पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री यूएई में वर्ल्ड ग्रीन इकोनॉमी समिट के दौरान हुई मिनिस्ट्रियल राउंडटेबिल फॉर ग्रीन इकोनॉमी में शामिल हुए
विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों में कम कार्बन उत्सर्जन को बढ़ावा देना वर्तमान समय की आवश्यकता है : श्री भूपेंद्र यादव
Posted On:
28 SEP 2022 4:30PM by PIB Delhi
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव आज दुबई, यूएई स्थित वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में हुई वर्ल्ड ग्रीन इकोनॉमी समिट के दौरान हुई मिनिस्ट्रियल राउंडटेबिल में शामिल हुए। राउंडटेबिल में संबोधन के दौरान केंद्रीय मंत्री ने आर्थिक विकास के साथ-साथ पर्यावरण और जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने के महत्व पर जोर दिया और कहा कि विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों में कम कार्बन उत्सर्जन की ओर बढ़ना वर्तमान समय की आवश्यकता है।
केंद्रीय मंत्री ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के गतिशील नेतृत्व में भारत द्वारा विभिन्न नीतियों के साथ-साथ साझेदारियों के तहत हासिल उपलब्धियों को रेखांकित किया। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन जैसी वैश्विक पहलों और ऊर्जा, उद्योग, परिवहन, कृषि तथा वानिकी जैसे प्रमुख क्षेत्रों में हरित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए की गईं अन्य पहलों का उल्लेख किया। इसके साथ ही, उन्होंने सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड्स, मिश्रित वित्तपोषण के साथ ही गिफ्ट सिटी की स्थापना और आईएसए-सोलर रिस्क मिटिगेशन इनिशिएटिव का भी उल्लेख किया।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने कहा कि भारत ऊर्जा दक्षता और थर्मल कम्फर्ट पर आधारित शीतलन कार्य योजना वाला पहला देश है। भारत ने उजाला योजना और औद्योगिक ऊर्जा दक्षता से जुड़ी योजनाओं सहित कई महत्वपूर्ण पहल शुरू की हैं। इस अवसर पर भारत की महत्वाकांक्षी अक्षय ऊर्जा प्रगति का भी उल्लेख किया गया।
जलवायु वित्त पर श्री यादव ने कहा कि ग्लासगो फाइनेंशियल एलायंस फॉर नेट जीरो का अनुमान है कि 2050 तक वैश्विक नेट जीरो के लिए 100 ट्रिलियन डॉलर के वित्तपोषण की आवश्यकता होगी। लेकिन, विकसित देश 2020 तक प्रति वर्ष 100 अरब डॉलर की धनराशि जुटाने में भी विफल रहे हैं। वहीं, भारत के एनडीसी का व्यापक रूप से घरेलू निवेश से वित्तपोषण किया गया है।
राउंडटेबिल के बाद, केंद्रीय मंत्री ने यूएई के विदेश व्यापार मंत्री डॉ. थानी, बिन अहमद अल जियुदी के साथ द्विपक्षीय बैठक भी की थी। बैठक में, उन्होंने सीओपी 27, सीओपी 28 से जुड़े मुद्दों, भारत और यूएई के बीच क्लाइमेट एक्शंस पर एमओयू एवं जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिए यूएई और भारत द्वारा आगे बढ़ाई जा रहीं वैश्विक पहलों पर विचार विमर्श किया गया।
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