विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
'विज्ञान प्रगति' का विशेष अंक आज जारी
एनआईएससीपीआर की पत्रिका के विशेष अंक में विज्ञान को लोकप्रिय बनाने में लगे भारतीय संगठनों की चर्चा
Posted On:
23 AUG 2022 6:13PM by PIB Delhi
सीएसआईआर-राष्ट्रीय विज्ञान संचार और नीति अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर), नई दिल्ली ने 23 अगस्त 2022 को विज्ञान पर अपनी लोकप्रिय हिंदी पत्रिका "विज्ञान प्रगति" के विशेष अंक का विमोचन किया। एनआईएससीपीआर की इस लोकप्रिय पत्रिका ने वर्ष 2022 में, जनता के बीच विज्ञान के प्रसार के गौरवशाली 70 वर्ष पूरे कर लिए हैं। इस पत्रिका का पहला अंक अगस्त 1952 में प्रकाशित हुआ था। 'विज्ञान प्रगति' के इस विशेष अंक (अगस्त 2022) में विज्ञान को लोकप्रिय बनाने में लगे भारत के अग्रणी संगठनों की चर्चा है। इस विशेष अंक में सरकारी और स्वयंसेवी संगठनों को शामिल किया गया है। यह कार्यक्रम आजादी का अमृत महोत्सव का हिस्सा है।
विज्ञान को लोकप्रिय बनाने में लगे भारतीय संगठनों पर केन्द्रित 'विज्ञान प्रगति' पत्रिका के विशेष अंक का विमोचन
कार्यक्रम की शुरुआत वैज्ञानिक ज्ञान के प्रकाश से गलत सूचना के अंधकार को मिटाने के संकेत के रूप में दीप प्रज्ज्वलित कर हुई। सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर की निदेशक प्रो रंजना अग्रवाल ने मुख्य अतिथि डॉ. शेखर सी मांडे और विशिष्ट अतिथि डॉ. शर्मिला मांडे का गर्मजोशी से स्वागत किया। अपने संबोधन में उन्होंने विज्ञान पत्रिका 'विज्ञान प्रगति' की समृद्ध विरासत और विज्ञान को लोकप्रिय बनाने में सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के योगदान का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि विज्ञान पश्चिमी संस्कृति का एकमात्र हिस्सा नहीं है। भारत प्राचीन काल से विज्ञान का अभ्यास कर रहा है और हमारे देश की एक समृद्ध वैज्ञानिक विरासत और पारंपरिक ज्ञान है। उन्नीसवीं शताब्दी में विज्ञान को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए उन्होंने आचार्य पी.सी. रे का भी उल्लेख किया।
विशिष्ट अतिथि और टीसीएस रिसर्च एंड इनोवेशन में मुख्य वैज्ञानिक डॉ. शर्मिला मांडे ने क्षेत्रीय भाषाओं में विज्ञान प्रसार की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस तरह, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवाचार समाज की बड़ी आबादी तक पहुंच सकता है। मुख्य अतिथि, डीएसआईआर के पूर्व सचिव और सीएसआईआर के पूर्व महानिदेशक डॉ शेखर सी मांडे ने राष्ट्र की प्रगति में विज्ञान और वैज्ञानिक स्वभाव की भूमिका पर जोर दिया। वह एक समृद्ध वैज्ञानिक इतिहास होने के बावजूद विज्ञान के प्रति लोगों की सामान्य धारणा को लेकर चिंतित थे। उन्होंने उल्लेख किया कि वैज्ञानिक समुदाय और समाज के बीच अभी भी एक अंतर है। उन्होंने कहा कि विज्ञान तब तक समाप्त नहीं होता है जब तक इसका प्रसार नहीं किया जाता है। इसके अलावा, उन्होंने समाज की बेहतरी के लिए सीएसआईआर संस्थानों की ऐतिहासिक उपलब्धियों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि विज्ञान के लिए हमेशा कठिन समय रहा है चाहे वह औपनिवेशिक दौर हो या कोविड महामारी का चुनौतीपूर्ण समय रहा हो या कोई भी प्राकृतिक आपदा, सीएसआईआर अपनी जिम्मेदारी से कभी पीछे नहीं हटा। सीएसआईआर के योगदान के बारे में शायद कोई नहीं जानता लेकिन अनजाने में सीएसआईआर हर किसी के दैनिक जीवन का हिस्सा है। डॉ. शेखर ने पिछले 70 वर्षों में 'विज्ञान प्रगति' के योगदान को याद किया और कहा कि यह पत्रिका और इसकी लोकप्रिय विज्ञान सामग्री आक्रामकता से आम आदमी तक पहुंचनी चाहिए। यह आने वाले 25 वर्षों में राष्ट्र का भाग्य तय करेगी, जब भारत अपनी स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे करेगा।
'विज्ञान प्रगति' के विशेष अंक का मुख पृष्ठ (अगस्त 2022)
कार्यक्रम के अंत में सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के वैज्ञानिक और विज्ञान प्रगति के संपादक डॉ मनीष मोहन गोरे ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। उन्होंने पत्रिका के विशेष अंक का संक्षिप्त विवरण दिया। पत्रिका के विशेष अंक (अगस्त 2022) में सार्वजनिक वित्त पोषित संस्थानों के साथ-साथ देश भर में विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के लिए काम करने वाले स्वैच्छिक संगठनों का जिक्र शामिल हैं। उन्होंने कहा कि कुछ संगठनों ने स्वतंत्रता से पहले ही विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के महत्व को महसूस किया और विज्ञान को आम लोगों तक ले जाने का काम शुरू कर दिया। उन्होंने आश्वासन दिया कि 'विज्ञान प्रगति' समाज में गहरी पैठ बनाने की दिशा में काम करेगी ताकि विज्ञान को देश में दर्शकों के बड़े वर्ग तक पहुंचाया जा सके।
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