शिक्षा मंत्रालय

केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की शुरुआत के दो साल पूरे होने के मौके पर शिक्षा और कौशल विकास संबंधी कई पहलों का शुभारंभ किया


मोदी जी की राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लोग अलग-अलग तरह से देखते हैं, लेकिन मेरा मानना है कि किसी भी राष्ट्र का निर्माण उसके नागरिकों द्वारा किया जाता है और यह एनईपी 2020 प्रतिभाशाली नागरिक बनाने के मूल विचार के साथ तैयार किया गया है

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यह नई शिक्षा नीति आत्मनिर्भर, मजबूत, समृद्ध और सुरक्षित भारत की नींव है और यह शिक्षा नीति हर बच्चे तक पहुंचने और उसके भविष्य को आकार देने का एक साधन है

नई शिक्षा नीति में यह स्पष्ट किया गया है कि सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली एक जीवंत लोकतांत्रिक समाज का आधार है

स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि शिक्षा व्यक्ति को संघर्ष का सामना करने के योग्य बनाती है, उसके चरित्र का निर्माण करती है, उसे परोपकारी बनाती है और उसमें शेर की तरह साहस का संचार करती है। व्यापक मंथन के बाद पीएम मोदी ने इन सभी उद्देश्यों को एनईपी-2020 में शामिल किया है

एनईपी-2020 भारत की सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ी है और यह शिक्षा नीति सभी के सुझावों का सम्मान करते हुए तैयार की गई है

स्वतंत्रता के बाद आई सभी शिक्षा नीतियों में पीएम मोदी द्वारा लाई गई एनईपी-2020 एकमात्र ऐसी शिक्षा नीति है, जिसे किसी विरोध का सामना नहीं करना पड़ा

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 सिर्फ एक नीति दस्तावेज नहीं है बल्कि भारत के शिक्षा क्षेत्र में काम करने वाले सभी शिक्षार्थियों, शिक्षाविदों और नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है

तकनीकी शिक्षा हो, चिकित्सा शिक्षा या कानून की पढ़ाई, जब हम इन सभी को भारतीय भाषाओं में नहीं पढ़ाते हैं तो हम देश की क्षमताओं को सीमित करके केवल 5 प्रतिशत का ही उपयोग कर पाते हैं लेकिन जब हम इन विषयों को भारतीय भाषाओं में पढ़ाते हैं तो हम देश की 100 प्रतिशत क्षमता का उपयोग करने में सक्षम होते हैं

एनईपी 2020 में भारत की संस्कृति और ज्ञान परंपरा को शामिल करने के साथ-साथ दुनियाभर से नवाचार, सोच और आधुनिकता को भी शामिल करने का रास्ता खुल गया है और इसमें संकीर्ण सोच के लिए कोई जगह नहीं है

इस नीति का मुख्य उद्देश्य ऐसे छात्रों को तैयार करना है, जिनमें राष्ट्रीय गौरव के साथ-साथ विश्व कल्याण की भावना हो और जो सही मायने में वैश्विक नागरिक बनने की क्षमता रखते हों

रटना सीखकर व्यक्ति जीवन में अच्छा स्थान हासिल कर सकता है लेकिन वह सम्मान प्राप्त नहीं कर सकता है

यदि किसी व्यक्ति को श्रेष्ठता हासिल करनी है तो उसकी स्मरणशक्ति, सोच, तर्क, विश्लेषण और निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाकर नीति के आधार पर निर्णय लेने और उसे लागू करने की क्षमता को विकसित करना होगा, यही एनईपी 2020 का उद्देश्य है

इस नीति के 5 मुख्य स्तंभ हैं- क्षमता में वृद्धि, पहुंच, गुणवत्ता, निष्पक्षता और जवाबदेही, शिक्षा पर यह दस्तावेज इन्हीं स्तंभों पर तैयार किया गया है

मातृभाषा में अनुसंधान और शिक्षा प्रणाली के बीच घनिष्ठ संबंध है। जो अपनी भाषा में सोचता है, वह शोध में अच्छा कर सकता है क्योंकि उसकी मूल सोचने की क्षमता उसकी अपनी भाषा में विकसित होती है

देश को आरएंडडी हब बनाने के लिए चिंतन प्रक्रिया को बनाए रखना बहुत जरूरी है

Posted On: 29 JUL 2022 10:30PM by PIB Delhi

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 शुरू होने के दो साल पूरे होने के अवसर पर, केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज केंद्रीय शिक्षा एवं कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान की उपस्थिति में शिक्षा और कौशल विकास से संबंधित कई नई पहलों का शुभारंभ किया। इन पहलों के तहत डिजिटल शिक्षा, नवाचार, शिक्षा में तालमेल और कौशल विकास, शिक्षक प्रशिक्षण और मूल्यांकन जैसे क्षेत्रों सहित शिक्षा और कौशल विकास के पूरे स्पेक्ट्रम को कवर किया गया है।

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इस अवसर पर शिक्षा राज्य मंत्री श्री सुभाष सरकार, श्रीमती अन्नपूर्णा देवी और कौशल विकास राज्य मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर उपस्थित थे। सचिव, स्कूल शिक्षा श्रीमती अनीता करवाल ने स्वागत भाषण दिया और सचिव उच्च शिक्षा श्री के. संजय मूर्ति ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया। शुभारंभ के बाद, कार्यक्रम में केंद्रीय विद्यालयों के छात्रों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुति दी गई और गणमान्य व्यक्तियों ने सभा को संबोधित किया।

इस अवसर पर बोलते हुए श्री अमित शाह ने कहा कि वैसे लोग प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अलग-अलग तरीके से देखते हैं, लेकिन उनका मानना है कि किसी भी राष्ट्र का निर्माण उसके नागरिकों द्वारा किया जाता है और यह एनईपी 2020 प्रतिभाशाली नागरिक बनाने के मूल विचार के साथ तैयार किया गया है।

एनईपी की भूमिका पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति आत्मनिर्भर, मजबूत, समृद्ध और सुरक्षित भारत की नींव है और यह शिक्षा नीति हर बच्चे तक पहुंचने और उसके भविष्य को आकार देने का एक साधन है। स्वामी विवेकानंद की बात को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा व्यक्ति को संघर्ष का सामना करने के योग्य बनाती है, उसके चरित्र का निर्माण करती है, उसे परोपकारी बनाती है और उसमें साहस का संचार करती है। उन्होंने आगे कहा कि व्यापक मंथन के बाद पीएम श्री नरेन्द्र मोदी ने इन सभी उद्देश्यों को एनईपी-2020 में शामिल किया है। उन्होंने यह भी कहा कि एनईपी-2020 भारत की सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ी है और यह शिक्षा नीति सभी के सुझावों का सम्मान करते हुए तैयार की गई है।

उन्होंने कहा कि आजादी के बाद जो भी शिक्षा नीतियां आईं, उनमें प्रधानमंत्री द्वारा लाई गई एनईपी-2020 एकमात्र ऐसी शिक्षा नीति है जिसे किसी विरोध का सामना नहीं करना पड़ा।

हितधारकों के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 केवल एक नीति दस्तावेज नहीं है, बल्कि भारत के शिक्षा क्षेत्र में काम करने वाले सभी विद्यार्थियों, शिक्षाविदों और नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है।

मातृभाषा और भारतीय भाषाओं की भूमिका पर बोलते हुए, उन्होंने कहा कि तकनीकी शिक्षा हो, चिकित्सा शिक्षा या कानून की पढ़ाई, जब हम इन सभी को भारतीय भाषाओं में नहीं पढ़ाते हैं तो हम देश की क्षमताओं को सीमित करके केवल 5 प्रतिशत का ही उपयोग कर पाते हैं लेकिन जब हम इन विषयों को भारतीय भाषाओं में पढ़ाते हैं तो हम देश की 100 प्रतिशत क्षमता का उपयोग करने में सक्षम होते हैं। उन्होंने आगे कहा कि मातृभाषा में अनुसंधान और शिक्षा प्रणाली के बीच घनिष्ठ संबंध है, जो अपनी भाषा में सोचता है वह शोध में अच्छा कर सकता है क्योंकि उसकी मूल सोचने की क्षमता उसकी अपनी भाषा में विकसित होती है।

उन्होंने कहा कि एनईपी 2020 में भारत की संस्कृति और ज्ञान परंपरा को शामिल करने के साथ-साथ दुनियाभर से नवाचार, सोच और आधुनिकता को भी शामिल करने का रास्ता खुल गया है और इसमें संकीर्ण सोच के लिए कोई जगह नहीं है।

श्री अमित शाह ने यह भी कहा कि इस नीति का मुख्य उद्देश्य छात्रों को कुछ इस तरह से तैयार करना है, जिनमें राष्ट्रीय गौरव के साथ-साथ विश्व कल्याण की भावना हो और जो सही मायने में वैश्विक नागरिक बनने की क्षमता रखते हों। उन्होंने इस नीति के 5 मुख्य स्तंभों- क्षमता में वृद्धि, पहुंच, गुणवत्ता, निष्पक्षता और जवाबदेही के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि भारत के ज्ञान और शोध का लाभ केवल भारत तक ही सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि पूरे विश्व को मिलना चाहिए।

कौशल विकास के बारे में बोलते हुए, उन्होंने कहा कि इस शिक्षा नीति में 2025 तक स्कूल और उच्च शिक्षा प्रणाली में कम से कम 50 प्रतिशत छात्रों को व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है, जो एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है।

प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए श्री प्रधान ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत पहलों की शुरुआत करने और लगातार मार्गदर्शन के लिए गृह मंत्री अमित शाह का आभार व्यक्त किया। श्री प्रधान ने कहा कि ज्ञान हमेशा से भारत की पूंजी रहा है। उन्होंने कहा कि जब दुनिया कोविड-19 महामारी के संकट से जूझ रही थी, भारत ने संकट को अवसर में बदल दिया और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अत्याधुनिक राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 अस्तित्व में आई।

ऐतिहासिक संदर्भ पर बोलते हुए केंद्रीय मंत्री प्रधान ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 मैकाले की शिक्षा प्रणाली का प्रतिकारक (एंटीडोट) है, जिसे हमारे दिमाग को उपनिवेश बनाने के लिहाज से डिजाइन किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 अब भारत का वर्तमान और भारत का भविष्य है और भारतीय सोच को प्रदर्शित करता है। शिक्षा के महत्व पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा भारत को सफलता के शिखर तक पहुंचने में सक्षम बना सकती है और समाज उम्मीद भरी नजरों से हमारी तरफ देख रहा है। उन्होंने आगे कहा कि हमारी शैक्षणिक आकांक्षा न केवल डिग्री और प्रमाण पत्र हासिल करने की है बल्कि हम वैश्विक भलाई भी चाहते हैं।

आज शुरू की गई कुछ पहलें इस प्रकार हैं:

  • प्रौद्योगिकी प्रदर्शन के लिए आईकेएस-एमआईसी कार्यक्रम की स्थापना

यह अनूठी पहल भारतीय पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों से प्रेरित और विकसित उत्पादों, प्रक्रियाओं के विकास को बढ़ावा देगी। प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और विज्ञान के क्षेत्रों में प्रोटोटाइप के विकास और प्रौद्योगिकियों के प्रदर्शन के लिए आईकेएस डिवीजन और एमओई इनोवेशन सेल का संयुक्त कार्यक्रम प्रस्ताव मांगेगा। सफल प्रतिभागियों को स्टार्टअप खड़ा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा और आईकेएस-एमआईसी के नवाचार के वर्चुअल हब के माध्यम से सपोर्ट किया जाएगा।

  • स्कूलों में 75 भारतीय खेलों से परिचय

इन पहलों का उद्देश्य हमारे बच्चों को भारतीय खेलों से परिचित कराना है। कई पारंपरिक खेलों में संसाधन कम लगते हैं और रचनात्मकता और सौहार्द्र को प्रोत्साहित करते हैं और भारत की संस्कृति से जुड़ते हैं। हर महीने, पीटी शिक्षकों के जरिए सीजन के हिसाब से उपयुक्त एक भारतीय खेल स्कूलों में शुरू किया जाएगा। पीटी शिक्षक तस्वीरें और छोटे वीडियो भी अपलोड करेंगे। सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले स्कूलों और पीटी शिक्षकों को प्रमाण पत्र दिया जाएगा। साथ-साथ छात्र mygov.in पोर्टल पर एक प्रश्नोत्तरी में भाग ले सकेंगे और प्रमाण पत्र हासिल कर सकेंगे।

  • स्थानीय कलाओं को बढ़ावा देने और समर्थन करने के लिए 750 स्कूलों में कलाशाला पहल की शुरुआत

इस पहल का मकसद बच्चों को भारत के विभिन्न कला रूपों के बारे में शिक्षित करना और उन्हें भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को जानने, समझने में उनकी मदद करना है। यह पहल विजिटिंग कलाकारों के लेक्चर (व्याख्यान) के माध्यम से देश के स्कूली बच्चों को भारत के विभिन्न कला रूपों से परिचित कराएगी। ऐसे सांस्कृतिक रूप से जागरूक बच्चे सांस्कृतिक रूप से जागरूक नागरिक के तौर पर आगे बढ़ेंगे, जो इनमें से कुछ कला रूपों की सराहना, समर्थन और अभ्यास कर सकेंगे। शिक्षा मंत्रालय का आईकेएस प्रभाग, आईकेएस कलाशाला निवासी कलाकार कार्यक्रमों के माध्यम से शैक्षणिक संस्थानों के लिए एनईपी 2020 के सुझावों को लागू करना चाहता है।

  • छात्रों के करियर उत्थान और उच्च शिक्षा हासिल करने एवं आजीविका के अधिक अवसर प्राप्त करने में मदद के लिए इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) के साथ साझेदारी- इग्नू के तीन साल के डिग्री कार्यक्रम में शामिल होने का अवसर मिलेगा। इस साझेदारी के तहत, 32 राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थान (एनएसटीआई), 3000 से ज्यादा सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई), 500 से ज्यादा प्रधानमंत्री कौशल केंद्र (पीएमकेके) और करीब 300 जन शिक्षण संस्थान (जेएसएस) इग्नू से पंजीकरण केंद्रों, परीक्षा केंद्रों और व्यावहारिक प्रशिक्षण के लिए वर्क सेंटर के रूप में जुड़े रहेंगे। साथ ही, आज 500 इग्नू केंद्रों की घोषणा की गई है।
  • भारत सरकार ने प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) के तहत कौशल विकास में 'कौशल हब' जैसी नई पहल की है, जिसका उद्देश्य स्थानीय आर्थिक और कौशल विकास की जरूरतों को पूरा करने के लिए शिक्षा और कौशल पारिस्थितिकी तंत्र के साथ साझा बुनियादी ढांचा तैयार करना है। इसके तहत उच्च शिक्षा संस्थान अपने परिसर का स्किल हब के रूप में विस्तार कर रहे हैं ताकि कौशल विकास पाठ्यक्रम के लिए क्षमता बढ़ाई जा सके। इस पायलट कार्यक्रम के तहत, अब तक करीब 2000 स्किल हब स्थापित किए गए हैं और 1.53 लाख से अधिक उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया गया है।
  • 100 से अधिक राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (एनएसक्यूएफ) ने 6 प्रमुख क्षेत्रों के तहत विकसित की जाने वाली भविष्य की कौशल योग्यता के लिए सपोर्ट किया है:
  1. उद्योगों में स्वचालन (विनिर्माण/सेवा) और उद्योग 4.0
  2. इन्फ्रास्ट्रक्चर कनेक्टिविटी (ईवी और ड्रोन)
  3. इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण और वीएलएसआई
  4. 5जी और साइबर सुरक्षा सहित प्रौद्योगिकी अवसंरचना
  5. डिजिटल उभरती प्रौद्योगिकियां
  6. स्वदेशी अनुसंधान और विकास

ये योग्यताएं फाउंडेशन स्तर के पाठ्यक्रमों से लेकर लंबी अवधि के प्रशिक्षण तक हैं।

एनसीवीईटी ने भविष्य के लिए उपयोगी कौशल के मद्देनजर 216 एनएसक्यूएफ के तहत भविष्य की कौशल योग्यता के विकास और मंजूरी की सुविधा प्रदान की है, जो भविष्य के कौशल को पूरा करने के लिए कई क्षेत्रों से जुड़े हैं।

  • वर्चुअल लैब की स्थापना

- व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में, महत्वपूर्ण थिंकिंग स्किल को बढ़ावा देने के लिए, रचनात्मकता के लिए जगह देने के लिए, विज्ञान और गणित में 75 वर्चुअल लैब और सिमुलेटेड लर्निंग के माहौल के लिए 75 कौशल ई-लैब 2022-23 में स्थापित की जाएंगी।

  • 200 लैब पहले ही स्थापित हो चुकी हैं।
  • कक्षा 9 से 12 तक के लिए भौतिकी, रसायन विज्ञान, गणित, जीव विज्ञान के विषयों में दीक्षा (डीआईकेएसएचए) पोर्टल पर वर्चुअल लैब पर वर्टिकल बनाया गया है।
  • लाभार्थी: मिडिल और सेकेंडरी स्टेज पर विद्यार्थी, शिक्षक और टीचर एजुकेटर। इससे करीब 10 लाख शिक्षक और 10 करोड़ छात्र लाभान्वित होंगे।
  • अपेक्षित लाभ: स्कूली छात्रों और शिक्षकों के कौशल और दक्षताओं का विकास, जिसका असर शिक्षण-पढ़ाई की गुणवत्ता और मूल्यांकन प्रक्रिया पर होगा।
  • एनडीईएआर के अनुरूप विद्या समीक्षा केंद्र
  • एनडीईएआर के अनुरूप वीएसके एक संस्थागत केंद्र है, जो अपने कार्यक्रमों की सफलता के लिए प्रमुख हितधारकों द्वारा कार्रवाई के लिए डेटा आधारित निर्णय को बढ़ाने के लिए एकीकृत और साझा समझ विकसित करता है।
  • वीएसके एक 'फोर्स मल्टीप्लायर' हो सकता है जो लोगों या प्रणालियों की मौजूदा क्षमताओं को बढ़ाता है, जिससे परिणामों पर परिवर्तनकारी असर पड़ता है।
  • लाभार्थी: देशभर के स्कूल, शिक्षक, विद्यार्थी, प्रशासक।
  • अपेक्षित लाभ: नीतिगत फैसलों को सुविधाजनक बनाने के लिए पीएमईविद्या, दीक्षा, एनडीईएआर, पोषण, निष्ठा, एनएएस, पीजीआई, यूडीआईएसई आदि से संबंधित डेटा एकत्र, विश्लेषण और प्रदर्शित किए जाएंगे।
  • विद्या अमृत पोर्टल
  • देश के विभिन्न हिस्सों में स्कूली शिक्षा में हो रहे सूक्ष्म सुधारों को बढ़ाने के लिए एक डिजिटल परियोजना को आगे बढ़ाया जा रहा है।
  • इस तरह के सभी सूक्ष्म सुधार नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर फॉर एजुकेशन- दीक्षा के माध्यम से सभी स्तरों पर लीडर्स के लिए उपलब्ध होंगे। यह एनडीईएआर के 'लर्न - डु - प्रैक्टिस' से जुड़ा हुआ है।
  • लाभार्थी: देशभर में शिक्षक, एजुकेटर्स, प्रशासक।
  • अपेक्षित लाभ: यह सर्वोत्तम तरीकों को साझा करके देशभर में विभिन्न लर्निंग पहलों को 'लर्निंग टू इंप्रूवमेंट' पहल में बदलने का एक बड़ा अवसर उपलब्ध कराता है।
  • स्कूल प्रमुखों और शिक्षकों के समग्र उत्थान की राष्ट्रीय पहल (निष्ठा): ईसीसीई
  • उद्देश्य: आंगनबाड़ियों में उच्च गुणवत्ता वाले ईसीसीई शिक्षकों का शुरुआती कैडर तैयार करना।
  • लाभार्थी: सीआरसी और बीआरसी समन्वयकों समेत करीब 90,000 लोग, डायट फैकल्टी (एई और एनएफई के लिए डीआरयू शाखा से), पीओ, सीडीपीओ और आईसीडीएस के पर्यवेक्षक शामिल हैं।
  • अपेक्षित लाभ: बच्चों के समग्र विकास के लिए उपयुक्त शिक्षण पद्धति पर मास्टर प्रशिक्षकों को संवेदनशील बनाना, जिससे मूलभूत स्तर पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ाने में योगदान किया जा सके।

सामग्री के हिसाब से मास्टर प्रशिक्षकों के लिए प्रशिक्षण 6 सप्ताह (हर सप्ताह 2 मॉड्यूल और मूल्यांकन) के लिए होगा। हर मॉड्यूल को एनसीईआरटी से एनआरजी द्वारा जूम और डीटीएच टीवी चैनलों से लाइव संवाद के जरिए संचालित किया जाएगा।

  • स्कूल नवाचार नीति
  • राष्ट्रीय नवाचार और उद्यमिता संवर्धन नीति विभिन्न उपायों पर स्कूल शिक्षा प्रणालियों का मार्गदर्शन करती है, जिसे सीखने के माहौल को बढ़ावा देने के लिए अपनाया जा सकता है। इसके तहत उम्र की बाधा के बगैर छात्रों की रचनात्मकता, विचार, नवाचार, समस्या-समाधान और उद्यमिता कौशल को बेहतर किया जा सकता है।
  • इन छह स्तंभों के तहत स्कूल शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र में आईआईई को बढ़ावा देने के लिए प्री-स्कूल से उच्च शिक्षा तक सीखने के प्रत्येक चरण में विशिष्ट कदम उठाए जा सकते हैं:
  • मानसिकता में बदलाव, जागरूकता और प्रशिक्षण
  • नवाचार को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी ढांचा और सलाह
  • शिक्षकों को प्रोत्साहित करना
  • अध्यापन संबंधी नवाचार
  • सहयोगात्मक भागीदारी- स्कूल और समुदाय
  • स्कूल उद्यमियों के नेतृत्व वाला स्टार्टअप
  • लाभार्थी: स्कूल, शिक्षक और विद्यार्थी।
  • अपेक्षित फायदे:
  • यह नीति स्कूलों में आइडिया, इनोवेशन और एंटरप्रेन्योरशिप (आईआईई) की संस्कृति को बढ़ावा देगी।
  • स्कूलों में नवाचार, विचार, डिजाइन थिंकिंग, रचनात्मक सोच, उद्यमिता और स्टार्टअप की संस्कृति तैयार करने के लिए कार्यान्वयन तंत्र उपलब्ध कराता है।
  • नवाचार-उन्मुख गतिविधियों के स्तर पर स्कूलों के लिए रैंकिंग प्रणाली बनाने और मापने की वकालत।
  • छात्रों में नवाचार, विचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए स्कूल के मौजूदा बुनियादी ढांचे को सलाह देने और उपयोग के लिए तंत्र प्रदान करता है।
  • विचार, नवाचार और उद्यमिता पर शिक्षकों की सलाह देने की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करना, इंसेंटिव देना और कुशल बनाना।
  • स्कूल शिक्षा से ज्यादा स्टार्ट-अप्स खड़ा करने का एक तंत्र प्रदान करना और हितधारकों के बीच न्याय संगतता सुनिश्चित करना।
  • नवोन्मेषकों, शिक्षकों और स्कूलों सहित हितधारकों के बीच आईपी, राजस्व और हिस्सेदारी साझा करने पर दिशानिर्देश देता है।
  • एनसीएफ के लिए सार्वजनिक परामर्श सर्वेक्षण
  • उद्देश्य: 1 करोड़ लक्षित उत्तरदाताओं/नागरिकों के साथ एनसीएफ के विकास के लिए जानकारी और सुझाव प्राप्त करने के लिए 23 भाषाओं में एक सार्वजनिक परामर्श सर्वेक्षण आयोजित करना।

परियोजना के तहत शामिल हैं:

    • सर्वेक्षण आवेदन का डिजाइन और विकास
    • विजुअल डैशबोर्ड का डिजाइन और विकास
    • न्यूनतम यूजर प्रबंधन
    • बहु-मॉडल दृष्टिकोण के माध्यम से समर्थन और संवर्धन
  • पहुंच: माईगोव डोमेन, एनसीएफ पोर्टल, एसएमएस, फेसबुक, ट्विटर, टेलिग्राम, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, सिग्नल और सैंड्स जैसे सभी प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लॉन्च किया जाएगा।
  • लक्षित लाभार्थी: भारत के नागरिक विशेष रूप से शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र जैसे- नीति निर्माता, एजुकेटर्स, शिक्षक, विद्यार्थी, माता-पिता, सामुदायिक कार्यकर्ता आदि। 
  • अपेक्षित लाभ: यह राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा के समग्र विकास में संलग्न बचपन में प्रारंभिक देखभाल, स्मार्ट और भविष्यवादी शिक्षा, नवाचार, उद्यमशीलता और रोजगार योग्यता के लिए एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव तैयार करेगा। यह रूपरेखा मुख्य रूप से 4 पाठ्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करेगी- बचपन में प्रारंभिक देखभाल शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, शिक्षक शिक्षा और वयस्क शिक्षा।

 

एमजी/एएम/एएस



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