विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
सरकार ने बताया कि कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) की तर्ज पर वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्व (एसएसआर) को लेकर दिशानिर्देश उसने 11 मई 2022 को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस पर जारी कर दिए गए हैं।
दिशानिर्देश स्वैच्छिक आधार पर वैज्ञानिक समुदाय में निहित क्षमता का दोहन करने, विज्ञान और समाज के संबंधों को मजबूत करने और इस तरह सामाजिक आवश्यकताओं के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र को उत्तरदायी बनाने की कोशिश हैं: डॉ. जितेंद्र सिंह
Posted On:
27 JUL 2022 2:47PM by PIB Delhi
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने आज जानकारी दी कि सरकार ने कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) की तर्ज पर वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्व (एसएसआर) को लेकर दिशानिर्देश राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस पर 11 मई 2022 जारी किए।
लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि एसएसआर दिशानिर्देश स्वैच्छिक आधार पर वैज्ञानिक समुदाय में निहित क्षमता का दोहन करने, विज्ञान और समाज के संबंधों को मजबूत करने और इस तरह विज्ञान और प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र को सामाजिक जरूरतों के लिए उत्तरदायी बनाने के प्रयास हैं। उन्होंने कहा कि दिशा-निर्देशों में वैज्ञानिकों/ज्ञानकर्मियों के प्रदर्शन मूल्यांकन में व्यक्तिगत एसएसआर गतिविधियों को उचित महत्व देने का प्रावधान है। दिशानिर्देशों में व्यक्तिगत और संस्थागत एसएसआर गतिविधियों को प्रोत्साहित करने का प्रावधान भी शामिल है।
देश के वैज्ञानिकों, ज्ञान-कर्मियों और संस्थानों की जिम्मेदारियों में स्कूलों और कॉलेजों में व्याख्यान देना, मीडिया में लोकप्रिय विज्ञान लेख लिखना, बुनियादी ढांचे और ज्ञान संसाधनों को साझा करना और जागरूकता विकसित करके, प्रशिक्षण कार्यक्रम, प्रशिक्षण और कार्यशालाओं के माध्यम से कौशल विकास, समाधान और प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन आदि महिलाओं और समाज के कमजोर वर्गों का विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आधारित सशक्तिकरण जैसी एसएसआर गतिविधियों का संचालन करना शामिल है।
दिशानिर्देशों में सामाजिक समस्याओं के वैज्ञानिक और अभिनव समाधान लाने की क्षमता है, विशेष रूप से समाज में हाशिए पर रहने वाले वर्गों के लिए और भारत को एक आत्मनिर्भर राष्ट्र (आत्म निर्भर भारत) बनाने की दिशा में समावेशी विकास और सतत विकास को प्राप्त करने के लिए आकांक्षी जिलों में बदलाव, मेक इन इंडिया, स्वच्छ भारत और डिजिटल इंडिया जैसी सरकार की नई पहलों पर जोर के प्रयास किए गए हैं।
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