विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि "बैंगनी क्रांति" की सफलता ने कृषि-तकनीक स्टार्ट-अप पर ध्यान केंद्रित किया है
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में किसान अच्छी कमाई के लिए पारंपरिक खेती छोड़ लैवेंडर फूल जैसी सुगंधित फसलों की खेती को अपना रहे हैं
सीएसआईआर की उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और पूर्वोत्तर राज्यों जैसे अन्य पहाड़ी राज्यों में सुगंधित फसलों की खेती शुरू करने की योजना है: डॉ. जितेंद्र सिंह
Posted On:
22 JUN 2022 5:07PM by PIB Delhi
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि "बैंगनी क्रांति" ने कृषि-तकनीक स्टार्टअप पर ध्यान केंद्रित किया है।
मीडिया के साथ एक विशेष साक्षात्कार में डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि उच्च मौद्रिक रिटर्न के कारण, जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी इलाकों में किसान बड़े स्तर पर पारंपरिक खेती से लैवेंडर जैसी सुगंधित फसलों की खेती की ओर बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि सुगंधित फसलें सूखा और कीट प्रतिरोधी दोनों हैं और सीएसआईआर केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) में इस कृषि स्टार्ट-अप वरदान को बढ़ावा देने के लिए सभी प्रकार की तकनीकी सहायता प्रदान कर रहा है।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि सीएसआईआर उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और पूर्वोत्तर राज्यों जैसे ऐसी ही जलवायु परिस्थितियों वाले अन्य पहाड़ी राज्यों में भी सुगंधित फसलों की खेती शुरू करने की योजना बना रहा है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सीएसआईआर द्वारा समर्थित केंद्र का अरोमा मिशन किसानों की मानसिकता को बदल रहा है और उनमें से अधिक से अधिक किसान कई उद्योगों में इस्तेमाल होने वाले महंगे तेल निकालने के लिए लैवेंडर, लेमन ग्रास, गुलाब और गेंदे के फूल जैसी सुगंधित फसलों की खेती कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि लगभग 9,000 रुपये प्रति लीटर बिकने वाले तेलों का उपयोग अगरबत्ती बनाने में किया जाता है। इन महंगे तेलों का उपयोग कमरे का स्प्रे बनाने, सौंदर्य प्रसाधन और बीमारियों के इलाज के लिए भी किया जा रहा है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस बात की व्यापक प्रचार की आवश्यकता है कि आईआईआईएम जम्मू सुगंध और लैवेंडर की खेती से जुड़े स्टार्ट-अप को उनकी उपज बेचने में मदद कर रहा है। उन्होंने बताया कि मुंबई स्थित अजमल बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड, अदिति इंटरनेशनल और नवनैत्री गमिका जैसी प्रमुख कंपनियां इनकी प्राथमिक खरीदार हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने पिछले महीने भारत की बैंगनी क्रांति के जन्मस्थान भद्रवाह में देश के पहले 'लैवेंडर फेस्टिवल' का उद्घाटन किया और कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रगतिशील सोच के कारण ही संभव हो पाया, जिन्होंने 2014 में प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद इस बात पर जोर दिया कि जिन क्षेत्रों को पहले उचित प्राथमिकता नहीं मिल पाई है, उन्हें विकसित क्षेत्रों के स्तर तक पहुंचा दिया जाएगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि अरोमा मिशन देश भर से स्टार्ट-अप और कृषकों को आकर्षित कर रहा है और पहले चरण के दौरान, सीएसआईआर ने 6,000 हेक्टेयर भूमि पर सुगंधित फसलों की खेती में मदद की तथा इसमें देश भर के 46 आकांक्षी जिलों को शामिल किया। इसमें 44,000 से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया गया है और किसानों का करोड़ों का राजस्व अर्जित किया गया। अरोमा मिशन के दूसरे चरण में, देश भर में 75,000 से अधिक कृषक परिवारों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से 45,000 से अधिक कुशल मानव संसाधनों को इसमें शामिल करने का प्रस्ताव है।
सीएसआईआर-आईआईआईएम ने जम्मू-कश्मीर के डोडा, रामबन, किश्तवाड़, कठुआ, उधमपुर, राजौरी, पुलवामा, अनंतनाग, कुपवाड़ा और बांदीपोरा जिलों में किसानों को लैवेंडर की खेती से परिचय कराया। इसने किसानों को मुफ्त में गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री और लैवेंडर फसल की खेती, प्रसंस्करण, मूल्यवर्धन और विपणन के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी पैकेज प्रदान किया।
सीएसआईआर-आईआईआईएम ने सीएसआईआर-अरोमा मिशन के तहत जम्मू-कश्मीर के विभिन्न स्थानों पर 50 आसवन इकाइयां, 45 स्थायी और पांच घूमंतू (अस्थायी), स्थापित की हैं।
लैवेंडर की खेती ने जम्मू-कश्मीर के भौगोलिक दृष्टि से दूरदराज के इलाकों में लगभग 5,000 किसानों और युवा उद्यमियों को रोजगार दिया है। 200 एकड़ से ज्यादा जमीन पर 1,000 से ज्यादा किसान परिवार इसकी खेती कर रहे हैं।
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