इस्पात मंत्रालय
इस्पात मंत्री श्री राम चंद्र प्रसाद सिंह ने मध्यम दर्जे के इस्पात क्षेत्र के लिए सहयोग और सही पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर दिया; वर्ष 2030 तक 300 मिलियन टन इस्पात उत्पादन क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य
Posted On:
16 JUN 2022 8:54PM by PIB Delhi
केंद्रीय इस्पात मंत्री श्री राम चंद्र प्रसाद सिंह ने आज गुजरात के सूरत में गुजरात स्टील के मध्यम दर्जे के इस्पात क्षेत्र और इसके उपभोक्ताओं के सामने आने वाली चुनौतियों को समझने के उद्देश्य से आयोजित एक संवाद बैठक में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने वर्ष 2030 तक 300 मिलियन टन इस्पात उत्पादन क्षमता प्राप्त करने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए माध्यमिक इस्पात क्षेत्र और इसके उपभोक्ताओं के सहयोग तथा सही पारिस्थितिकी तंत्र उपलब्ध कराने की आवश्यकता पर बल दिया। केंद्रीय मंत्री ने जोर देकर कहा कि इन सभी उद्देश्यों को मध्यम दर्जे के इस्पात उत्पादकों और इस्पात उपभोक्ताओं की सक्रिय भागीदारी से ही प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने व्यापार करना सुगम बनाने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राज्य और केंद्र सरकार की नीतियों के बीच तालमेल पर भी जोर दिया।
बैठक में दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स, सेकेंडरी स्टील एंड स्टील कंज्यूमर एसोसिएशन ऑफ गुजरात के लगभग 50 सदस्यों तथा इस्पात मंत्रालय और गुजरात सरकार के अधिकारियों ने भाग लिया। बैठक के दौरान राष्ट्र निर्माण में मध्यम दर्जे के इस्पात उत्पादकों की भूमिका तथा मध्यम दर्जे के इस्पात क्षेत्र के लिए विभिन्न योजनाओं के प्रावधानों पर चर्चा की गई।
गुजरात इस्पात क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने केंद्रीय मंत्री के समक्ष अपनी-अपनी समस्याएं रखीं।
इससे पहले दिन के समय में, इस्पात मंत्री ने एक ही छत के नीचे सभी हीरा व्यापारिक गतिविधियों के लिए स्थापित किये गए दुनिया के सबसे बड़े बिजनेस कॉम्प्लेक्स डायमंड बोर्स का भी दौरा किया। इस परिसर में लगभग 54000 टन स्टील का उपयोग टीएमटी बार के रूप में किया गया है, जो मध्यम दर्जे के इस्पात निर्माताओं द्वारा उत्पादित है। श्री राम चंद्र प्रसाद सिंह ने कहा, इस निर्माण से पता चलता है कि मध्यम दर्जे के इस्पात उत्पादकों द्वारा तैयार किया गया इस्पात ऊंची इमारतों की गुणवत्ता की सभी आवश्यकताओं को पूरा करता है। केंद्रीय मंत्री ने इस उपलब्धि के लिए सभी मध्यम दर्जे के इस्पात निर्माताओं को बधाई दी। उन्होंने इस्पात कंपनियों को विशिष्ट इस्पात उत्पादों के विकास में अधिक रुचि लेने की सलाह दी ताकि देश की आवश्यकताओं को स्वदेशी माध्यम से पूरा किया जा सके।
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