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न्यूयॉर्क टाइम्स में 16 अप्रैल, 2022 को प्रकाशित लेख 'इंडिया इज स्टॉलिंग द डब्लूएचओज एफर्ट्स टु मेक ग्लोबल कोविड डेथ टोल पब्लिक' का जवाब

Posted On: 16 APR 2022 10:46PM by PIB Delhi

भारत इस मुद्दे पर विश्व स्वास्थ्य संगठन(डब्ल्यूएचओ) के साथ नियमित एवं गहन तकनीकी आदान-प्रदान कर रहा है। हालांकि इस विश्लेषण में टियर-1 देशों से सीधे तौर पर प्राप्त मृत्यु दर के आंकड़ों का उपयोग किया गया है और टियर-2 देशों (जिसमें भारत शामिल है) के लिए गणितीय मॉडलिंग प्रक्रिया का उपयोग किया गया है। मुख्‍य तौर पर भारत की आपत्ति परिणाम (जो कुछ भी हो सकता है) के लिए नहीं बल्कि इसके लिए अपनाई गई कार्यप्रणाली के लिए है।

भारत ने डब्ल्यूएचओ को जारी किए गए छह पत्रों (17 नवंबर, 20 दिसंबर 2021, 28 दिसंबर 2021, 11 जनवरी 2022, 12 फरवरी 2022 और 2 मार्च 2022) सहित अन्य सदस्य देशों के साथ औपचारिक संचार की एक श्रृंखला, वर्चुअल मीटिंग 16 दिसंबर 2021, 28 दिसंबर 2021, 6 जनवरी 2022, 25 फरवरी 2022 को आयोजित और 10 फरवरी 2022 को आयोजित एसईएआरओ क्षेत्रीय वेबिनार के जरिये कार्यप्रणाली के बारे में अपनी चिंताओं को साझा किया है। इस दौरान भारत ने चीन, ईरान, बांग्लादेश, सीरिया, इथियोपिया और मिस्र जैसे अन्‍य सदस्‍य देशों के साथ कार्यप्रणाली और अनौपचारिक डेटा के उपयोग के संबंध में खास सवाल उठाए थे।

विशेष तौर पर इस मुद्दे पर चिंता जताई गई है कि भारत जैसे भौगोलिक आकार और जनसंख्या वाले देश के लिए सांख्यिकीय मॉडल परियोजनाओं का अनुमान कैसे लगाया गया है और यह उन अन्य देशों के साथ भी फिट बैठता है जिनकी आबादी कम है। इस प्रकार सभी दृष्टिकोण और मॉडलों के लिए एक ही आकार ट्यूनीशिया जैसे छोटे देशों के लिए सही है लेकिन 1.3 अरब आबादी वाले भारत जैसे देश के लिए यह लागू नहीं हो सकता है। डब्ल्यूएचओ ने अभी तक विभिन्न देशों में वर्तमान सांख्यिकीय मॉडल के लिए कॉन्फिडेंस इंटरवल को साझा नहीं किया है।

यह मॉडल टियर-1 देशों के डेटा का उपयोग करते समय और 18 भारतीय राज्यों के गैर-सत्यापित डेटा का उपयोग करते समय अतिरिक्‍त मृत्यु दर अनुमान के लिए दो बिल्‍कुल अलग आंकड़े देता है। इस प्रकार अनुमानों में व्यापक भिन्नता ऐसे मॉडलिंग की वैधता और सटीकता के बारे में चिंता पैदा करती है।

भारत ने जोर देकर कहा है कि यदि मॉडल सटीक एवं विश्वसनीय है तो इसे सभी टियर-1 देशों के लिए उपयोग करते हुए प्रमाणित किया जाना चाहिए और सभी सदस्य देशों के साथ उसके नतीजे को साझा किया जा सकता है।

यह मॉडल के तहत मासिक तापमान और मासिक औसत मृत्‍यु के बीच एक विपरीत संबंध माना गया है जबकि इस तरह के अजीब अनुभवजन्य संबंध स्थापित करने के लिए कोई वैज्ञानिक तथ्‍य मौजूद नहीं है। भारत एक ऐसा महाद्वीपीय देश जहां विभिन्न राज्यों में और यहां तक ​​कि एक राज्य के भीतर भी जलवायु और मौसमी स्थितियां काफी भिन्न होती हैं। इसलिए सभी राज्यों के मौसमी पैटर्न में काफी भिन्‍नता होती है। इस प्रकार, इन 18 राज्यों के आंकड़ों के आधार पर राष्ट्रीय स्तर की मृत्यु दर का अनुमान सांख्यिकीय तौर पर प्रमाणित नहीं है।

वैश्विक स्वास्थ्य अनुमान (जीएचई) 2019 अपने आप में एक अनुमान है। इसी पर टियर-2 देशों के लिए मॉडलिंग आधारित है। ऐसा लगता है कि वर्तमान मॉडलिंग अभ्यास देश के पास उपलब्ध आंकड़ों को नजरअंदाज करते हुए ऐतिहासिक अनुमानों के एक अन्य सेट के आधार पर अनुमानों का अपना सेट प्रदान कर रहा है। यह स्पष्ट नहीं है कि भारत के लिए अपेक्षित मृत्‍यु के आंकड़ों का अनुमान लगाने के लिए जीएचई 2019 का उपयोग क्यों किया गया है जबकि टियर-1 देशों के लिए उनके अपने ऐतिहासिक डेटासेट का उपयोग किया गया था। जबकि इस तथ्‍य को बार-बार उजागर किया गया था कि भारत में डेटा संग्रह और प्रबंधन की एक मजबूत प्रणाली है।

भारत के लिए आयु-लैंगिक मृत्यु की गणना करने के लिए डब्‍ल्‍यूएचओ ने डेटा दर्ज करने वाले देशों (61 देशों) के लिए आयु एवं लिंग संबंधी मानक पैटर्न निर्धारित किए और फिर उन्हें अन्य देशों (भारत सहित) के लिए सामान्‍य कर दिया जिनके पास मृत्‍यु दर के ऐसे आंकड़े नहीं थे। इस दृष्टिकोण के आधार पर भारत में अनुमानित मृत्‍यु का आयु-लैंगिक वितरण चार देशों (कोस्टा रिका, इजराइल, पराग्वे और ट्यूनीशिया) द्वारा रिपोर्ट की गई मृत्‍यु के आयु-लैंगिक वितरण के आधार पर निकाला गया था।

विश्लेषण के लिए उपयोग किए गए कोवैरिएट्स में आय के लिए कहीं अधिक व्‍यावहारिक ग्रेडेड वैरिएबल के बजाय बाइइनरी माप का उपयोग किया गया है। इस प्रकार के महत्वपूर्ण माप के लिए बाइनरी वैरिएबल्‍स का उपयोग करने से नतीजे प्रभावित हो सकते हैं। डब्ल्यूएचओ ने बताया है कि 90 देशों और 18 महीनों (जनवरी 2020 से जून 2021) के नमूने के लिए अतिरिक्‍त मृत्यु दर का सही आकलन करने के लिए इन वेरिएबल्‍स का एक संयोजन सबसे सटीक पाया गया था। लेकिन इन वेरिएबल्‍स के संयोजन को सबसे सटीक कैसे पाया गया, इसका विस्तृत विवरण डब्ल्यूएचओ द्वारा प्रदान किया जाना अभी बाकी है।

भारत में कोविड-19 के लिए जांच के दौरान संक्रमण दर किसी भी समय पूरे देश में एक समान नहीं थी। लेकिन भारत के भीतर कोविड-19 संक्रमण दर में इस बदलाव पर मॉडलिंग के दौरान गौर नहीं किया गया। इसके अलावा, भारत ने डब्‍ल्‍यूएचओ की सलाह के मुकाबले कहीं अधिक तेजी से कोविड-19 जांच को आगे बढाया है। भारत ने मॉलिक्‍यूलर जांच को पसंदीदा जांच विधियों के रूप में बनाए रखा है और रैपिड एंटीजन का उपयोग केवल स्क्रीनिंग उद्देश्य से किया है। फिलहाल यह नहीं बताया गया है कि भारत के मॉडल में इन कारकों का उपयोग किया गया है या नहीं।

रोकथाम के मोर्चे पर खुद के प्रदर्शन को मापने में बहुत से व्यक्तिपरक दृष्टिकोण (जैसे स्कूल बंद करना, कार्यस्थल बंद करना, सार्वजनिक कार्यक्रमों को रद्द करना आदि) शामिल हैं। लेकिन भारत जैसे देश के लिए रोकथाम संबंधी ऐसे विभिन्न उपायों को मापना वास्तव में असंभव है क्योंकि इस तरह के उपायों की सख्ती में भी भारत के विभिन्‍न राज्यों और जिलों में व्यापक तौर पर भिन्नता है। ऐसे में इस प्रक्रिया के लिए अपनाया गया दृष्टिकोण काफी संदिग्ध है। इसके अलावा, ऐसे उपायों की मात्रा निर्धारित करने के लिए व्यक्तिपरक दृष्टिकोण में हमेशा बहुत अधिक पूर्वाग्रह शामिल होगा जो निश्चित रूप से वास्तविक स्थिति को प्रस्तुत नहीं करेगा। डब्ल्यूएचओ ने भी इस उपाय के व्यक्तिपरक दृष्टिकोण के बारे में सहमति व्यक्त की है। लेकिन इसका उपयोग अभी भी जारी है।

हालांकि भारत ने डब्ल्यूएचओ के सामने उपरोक्‍त और ऐसी अन्‍य चिंता जाहिर की है लेकिन डब्ल्यूएचओ से अब तक कोई संतोषजनक प्रतिक्रिया नहीं मिली है।

डब्ल्यूएचओ के साथ बातचीत के दौरान इस बात को भी उजागर किया गया है कि अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस आदि सहित कुछ टियर-1 देशों से कोविड-19 डेटा की आधिकारिक रिपोर्टिंग में कुछ उतार-चढ़ाव ने रोग महामारी विज्ञान के ज्ञान की अवहेलना की है। विस्तारित जटिल आपातकाल से गुजर रहे इराक जैसे देश को टियर-1 देशों के तहत शामिल किए जाने से टियर-1/2 के रूप में देशों को वर्गीकृत करने संबंधी डब्‍ल्‍यूचओ के आकलन और इन देशों से मृत्यु दर रिपोर्टिंग की गुणवत्ता संबंधी दावे पर संदेह पैदा होता है।

हालांकि भारत डब्ल्यूएचओ के साथ सहयोग करने के लिए हमेशा तत्‍पर रहा है क्योंकि इस तरह के डेटा सेट नीति निर्माण के दृष्टिकोण से मददगार साबित होंगे। भारत का मानना ​​​​है कि कार्यप्रणाली की व्‍यापक स्पष्टता और इसकी वैधता का स्पष्ट प्रमाण ऐसे डेटा का उपयोग करने के लिए नीति निर्माताओं को आश्वस्त करने के लिए महत्वपूर्ण है।

आश्चर्य की बात है कि कि न्यूयॉर्क टाइम्स भारत के संबंध में अधिक कोविड-19 मृत्यु दर के कथित आंकड़े प्राप्त कर सकता था लेकिन वह 'अन्य देशों के अनुमानों को जानने में असमर्थ' रहा!!

 

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