इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्रालय

इन-ट्रांस एई-II कार्यक्रम के तहत भारतीय यातायात परिदृश्य के लिये स्वदेशी इंटेलीजेंट ट्रांस्पोर्ट सिस्टम्स (आईटीएस) सॉल्यूशंस

Posted On: 11 APR 2022 12:36PM by PIB Delhi

इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की इंडियन सिटीज फेज-II के लिये इंटेलीजेंट ट्रांस्पोर्ट सिस्टम्स (आईटीएस) (कुशल यातायात प्रणाली) के तहत स्वदेशी ऑनबोर्ड ड्राइवर असिस्टेंस एंड वार्निंग सिस्टम (ओडीएडब्लूएस), बस सिग्नल सिस्टम तथा कॉमन स्मार्ट आई-ओटी कनेक्टिव (कॉस्मिक) सॉफ्टवेयर का शुभारंभ कर दिया गया है। इस उत्पाद को इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अपर सचिव डॉ. राजेन्द्र कुमार ने जारी किया। इस अवसर पर मंत्रालय के जीसी (इलेक्ट्रॉनिक आर-एंड-डी) श्री अरविन्द कुमार, अमेरिका के पर्ड्यू यूनिवर्सिटी के डॉ. सतीस वी. उक्कूसूरी, इन-ट्रांस एसई कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो. एचपी किन्चा,  ईएसओडी की विभागाध्यक्ष और साइंटिस्ट-जी श्रीमती सुनीता वर्मा तथा मंत्रालय के साइंटिस्ट डी श्री कमलेश कुमार की गरिमामयी उपस्थिति रही। इस उत्पाद को प्रगत संगणन विकास केंद्र (सीडैक) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (आईआईटी-एम) की संयुक्त पहल के जरिये विकसित किया गया है। महिन्द्रा एंड महिन्द्रा ने परियोजना के लिये औद्योगिक सहयोग दिया।

  1. ऑनबोर्ड ड्राइवर असिस्टेंस एंड वार्निंग सिस्टम – ओडीएडब्लूएसः विकसित राजमार्ग अवसंरचना और वाहनों की अधिकता के साथ-साथ सड़कों पर गति में इजाफा हुआ है, जिसके कारण सुरक्षा की चिंता भी बढ़ गई है। केंद्रीय सड़क यातायात और राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार दुर्घटना के लगभग 84 प्रतिशत मामले चालक की गलती से होते हैं। इसलिये वाहन चालन में गलतियां न्यूनतम करने के लिये चालकों की सहायता तथा चेतावनी के सम्बंध में सक्षम प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल महत्त्वपूर्ण हो जाता है।

ओडीएडब्लूएस में चालक के नजदीक आने की निगरानी के लिये वाहन-आधारित सेंसर लगाने का प्रावधान है। साथ ही चालक की सहायता के लिये वाहन के आसपास सुनने और नजर आने वाले अलर्ट भी इसमें शामिल हैं। परियोजना में नौवहन इकाई, चालक सहायता केंद्र और एमएम-वेव रडार सेंसर जैसे उपायों का विकास किया जा रहा है। आसपास के वाहनों की स्थिति और उनकी दशा के बारे में जानने के लिये एमएम-सेंसर का इस्तेमाल होता है। नौवहन सेंसर से वाहन की सटीक जियो-स्पेशल स्थिति पता चलेगी। साथ ही वाहन किस तरह चलाया जा रहा है, इसके बारे में भी पता चलेगा। ओडीएडब्लूएस एलॉगरिद्म को सेंसर के डेटा को समझने में इस्तेमाल किया जाता है और इनसे वाहन चालक को वास्तविक समय में सूचना दी जाती है, जिससे सड़क सुरक्षा बढ़ जाती है।

  1. बस सिग्नल प्रायोरिटी सिस्टमः सार्वजनिक यातायात प्रणाली का कम भरोसेमंद होने के कारण लोग निजी वाहनों का इस्तेमाल करते हैं। इसमें सुधार लाना बहुत जरूरी है, ताकि लोग सार्वजनिक यातायात के प्रति आकर्षित हों। इस तरह ज्यादा वहनीय यातायात समाधान होगा। शहरी इलाकों में सार्वजनिक बसों के विलंब का प्रमुख कारण सिग्नल वाले अति व्यस्त चौराहे होते हैं।

बस सिग्नल प्रायोरिटी सिस्टम परिचालन रणनीति है, जो सामान्य यातायात सिग्नल संचालन को बेहतर बनाने के लिये है, ताकि सार्वजनिक वाहनों को सिग्नल द्वारा नियंत्रित चौराहों पर आराम से निकाला जा सके। आपातकालीन वाहनों के लिये तुरंत प्राथमिकता के विपरीत, यहां शर्त आधारित प्राथमिकता दी जाती है। यह तभी दी जाती है, जब सभी वाहनों के लिये विलंब में कटौती हो रही हो। यह विकसित प्रणाली सार्वजनिक बसों को प्राथमिकता देकर अन्य वाहनों के विलंब में कमी लायेगी। इसके लिये हरी बत्ती के अंतराल को बढ़ाया जायेगा और लाल बत्ती के अंतराल को कम किया जायेगा। यह प्रणाली उस समय काम करना शुरू कर देगी, जब किसी चौराहे पर वाहन पहुंच रहे होंगे।

  1. कॉमन स्मार्ट आई-ओटी कनेक्टिव (कॉस्मिक): यह मिडिलवेयर सॉफ्टवेयर है, जो वन-एम2एम आधारित वैश्विक मानक का पालन करते हुये आईओटी की तैनाती करता है। इससे उपयोगकर्ताओं तथा विभिन्न क्षेत्रों के सेवा प्रदाताओं को एक सिरे से दूसरे सिरे तक संचार के मामले में मुक्त इंटरफेस प्रदान करता है। ये सभी सेवा प्रदाता वन-एम2एम मानक का पालन करते हैं। इसे ध्यान में रखकर कॉस्मिक सामान्य सेवा को किसी भी विक्रेता के इंटरफेस के लिये इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके विशिष्ट मानक हैं। इसका इस्तेमाल स्मार्ट सिटी डैशबोर्ड के संचालन को बढ़ाकर किये जाने के लिये है।

एक निश्चित केंद्र पर आधारित यह परिचालन व्यवस्था और आंकड़ों का आदान-प्रदान आईओटी उपकरणों तथा एप्लीकेशनों के बीच होता है, ताकि वेंडर लॉक-इन को टाला जा सके। कॉस्मिक में 12 सामान्य सेवायें शामिल हैं – पंजीकरण, खोज, सुरक्षा, सामूहिक प्रबंधन, डेटा प्रबंधन, डेटा प्रबंधन एवं भंडारण, सब्सक्रिप्शन एवं सूचना, उपकरण प्रबंधन, एप्लीकेशन एवं सेवा प्रबंधन, संचार प्रबंधन, आपूर्ति, नेटवर्क सेवा, लोकेशन, सेवा शुल्क और लेखा परीक्षण।

कॉस्मिक प्लेटफॉर्म से कनेक्टिंग गैर-वन-एम2एम (नो-डीएन) उपकरण या तीसरे पक्ष के एप्लीकेशन के लिये इंटरवर्किंग प्रॉक्सी एंटिटी (आईपीई) आपीआई मिलता है, ताकि वे कॉस्मिक प्लेटफॉर्म से जुड़ सकें। कॉस्मिक एक डैशबोर्ड पेज भी मुहैया कराता है, जहां आईओटी इकाइयों, उत्पादों, एप्लीकेशनों और जियोग्राफीकल इंफर्मेशन सिस्टम (जीआईएस) मानचित्र में प्रत्यक्ष डेटा दिखता है। चार्टों और रिपोर्टों के लिये दूसरे क्रम के आंकड़े भी उपलब्ध हैं। कॉस्मिक में आईओटी उपकरणों तथा एप्लीकेशनों के निर्बाध संपर्क के लिये आमूल समाधान भी मिलता है।

*******

एमजी/एएम/एकेपी/सीएस
 



(Release ID: 1815620) Visitor Counter : 445