मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय

केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री, श्री पुरुषोत्तम रूपाला 5 मार्च 2022 को 'सागर परिक्रमा' का उद्घाटन करेंगे


मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय का मत्स्य पालन विभाग द्वारा 'आजादी का अमृत महोत्सव' के भाग के रूप में इसका आयोजन कर रहा है

Posted On: 03 MAR 2022 4:54PM by PIB Delhi

केन्द्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री, श्री पुरुषोत्तम रूपाला भारत सरकार के मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के मत्स्यपालन विभाग और राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड द्वारा गुजरात सरकार के मत्स्यपालन विभाग, भारतीय तटरक्षक बल, भारतीय मात्स्यिकी सर्वेक्षण, गुजरात मेरीटाइम बोर्ड और मछुआरों के प्रतिनिधियों के सहयोग से 5 मार्च 2022 को आयोजित किए जाने वाले ‘सागर परिक्रमा’ का उद्घाटन करेंगे।

'आजादी का अमृत महोत्सव' के भाग के रूप में गुजरात के मांडवी स्थित श्यामीजी कृष्ण वर्मा स्मारक से शुरू होने वाली यह परिक्रमा तटीय मछुआरों की समस्याओं को जानने की एक कोशिश है। इस परिक्रमा का आयोजन चरणबद्ध रूप से गुजरात के अन्य जिलों और देश के अन्य राज्यों/ केन्द्र शासित प्रदेशों में किया जाएगा।

इस अवसर पर गुजरात सरकार के कृषि, पशुपालन एवं गौ-संवर्धन मंत्री श्री राघवजीभाई पटेल; कल्पसर और मत्स्यपालन राज्यमंत्री श्री जीतूभाई चौधरी; भारत सरकार के मत्स्यपालन सचिव श्री जतिन्द्र नाथ स्वैनगुजरात सरकार के मत्स्यपालन सचिव श्री नलिन उपाध्याय तथा भारत सरकार के मत्स्यपालन विभागराष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड, गुजरात सरकार, भारतीय मात्स्यिकी सर्वेक्षण, गुजरात मेरीटाइम बोर्ड और भारतीय तटरक्षक बल के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहेंगे।

इस परिक्रमा में राज्य के मत्स्य अधिकारी, मछुआरों के प्रतिनिधि, मत्स्यपालन से जुड़े हुए किसान, उद्यमी, हितधारक, पेशेवर, अधिकारी और देश भर के वैज्ञानिक भी शामिल होंगे।

इस आयोजन के दौरान प्रगतिशील मछुआरों, विशेष रूप से तटीय मछुआरों, मछुआरों और मत्स्यपालन से जुड़े हुए किसानों, युवा मत्स्य उद्यमियों आदि को प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई), केसीसी और राज्य योजना से संबंधित प्रमाण पत्र/ अनुमोदन प्रदान किया जाएगा। पीएमएमएसवाई योजना से संबंधित साहित्य, राज्य की योजनाओं, एफआईडीएफ, केसीसी आदि को प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, वीडियो और जिंगल युक्त डिजिटल अभियानों के माध्यम से मछुआरों के बीच लोकप्रिय बनाया जाएगा। ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ प्रतियोगिता के दौरान ‘सागर परिक्रमा’ पर एक गीत को भी जारी किया जाएगा।

भारत सरकार मात्स्यिकी के क्षेत्र में बदलाव लाने और इससे संबंधित पारिस्थितिकी तंत्र पर केन्द्रित एक दृष्टिकोण के माध्यम से सतत और जिम्मेदार विकास सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी मात्स्यिकी प्रशासन प्रदान करने की दिशा में एक नियामक संरचना से युक्त मात्स्यिकी प्रबंधन योजनाएं तैयार करने की दिशा में अग्रणी है। ‘सागर परिक्रमा’ की यह यात्रा देश की खाद्य सुरक्षा, तटीय मछुआरा समुदायों की आजीविका और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिए समुद्री मत्स्य संसाधनों के उपयोग में स्थायी संतुलन पर केंद्रित होगी।

'सागर परिक्रमा' की इस विकासवादी यात्रा की परिकल्पना, आत्मनिर्भर भारत की भावना के अनुरूप देश के तटीय क्षेत्र के सभी मछुआरों, मत्स्यपालन से जुड़े हुए किसानों और संबंधित हितधारकों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए की गई है।

भारतीय तटीय राज्यों की अर्थव्यवस्था, सुरक्षा और आजीविका के लिए महासागर महत्वपूर्ण हैं। देश में 8,118 किलोमीटर लंबी तटीयरेखा है, जोकि तटवर्ती 9 राज्यों/ 4 केंद्र शासित प्रदेशों से गुजरती है और लाखों तटीय मछुआरों को आजीविका प्रदान करती है। हमारे महासागरों के प्रति कृतज्ञता के प्रतीक के रूप में, हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों, नाविकों और मछुआरों को नमन करते हुए 'आज़ादी का अमृत महोत्सव' के एक भाग के रूप में 'सागर परिक्रमा' के कार्यक्रम की कल्पना की गई है। तटीय मछुआरों की समस्याओं को जानने के लिए मछुआरों, मात्स्यिकी से जुड़े समुदायों और हितधारकों के साथ संवाद करने के उद्देश्य से इस परिक्रमा को एक पूर्व-निर्धारित समुद्री मार्ग के माध्यम से गुजरात, दीव, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल, तमिल नाडु, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, अंडमान एवं निकोबार और लक्षद्वीप समेत देश के सभी तटीय राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में आयोजित करने का प्रस्ताव है।

'आजादी का अमृत महोत्सव' भारत सरकार की आजादी के 75वें वर्ष और अपने लोगों, संस्कृति एवं उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास को रेखांकित करने और उसका उत्सव मनाने से जुड़ा हुआ एक महत्वपूर्ण पहल है। ब्रिटिश काल के दौरान भारत के गुजरात राज्य में 12 जून 1928 को शुरू हुई बारदोली सत्याग्रह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान सविनय अवज्ञा और विद्रोह की एक प्रमुख घटना थी। इस सत्याग्रह का नेतृत्व सरदार वल्लभभाई पटेल ने किया था और इसकी सफलता, विशेष रूप से किसानों से जुड़े हुए मुद्दों का समाधान, ने सरदार पटेल को स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक के रूप में स्थापित किया था।

गुजरात की तटीय लंबाई 1,214 किलोमीटर है, जोकि उन 16 तटीय जिलों से होकर गुजरती है जिनमें समुद्र आधारित पारिस्थितिकी तंत्र और विकास के अवसरों की व्यापक विविधता है। आर्थिक, विशेष रूप से निर्यात के दृष्टिकोण से यहां के मत्स्यपालन से जुड़े समुदायों, विक्रेताओं और उद्योगों का मत्स्यपालन क्षेत्र के विकास में प्रत्यक्ष रूप से हिस्सेदारी है।

‘सागर परिक्रमा’ का पहला चरण 5 मार्च 2022 को मांडवी से शुरू होगा और 6 मार्च 2022 को पोरबंदर में समाप्त होगा। संपूर्ण दूरी को गुजरात के कच्छ जिले में अरब सागर के तट पर मांडवी के समुद्री तट से तय किया जाएगा, जो उस मुहाने पर स्थित है जहां रुक्मावती नदी कच्छ की खाड़ी से मिलती है।

गौरतलब है कि महासागर दुनिया का सबसे बड़ा पारिस्थितिकी तंत्र हैं, जो पृथ्वी की सतह का लगभग तीन-चौथाई हिस्से को कवर करता है और आजीविका, जलवायु परिवर्तन, वाणिज्य एवं सुरक्षा जैसे उभरते हुए जटिल एवं परस्पर जुड़े विकास के मुद्दों के लिए एक व्यापक क्षेत्र प्रदान करते हैं।

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