सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय
सिंधुदुर्ग में 200 करोड़ रुपये की लागत से एमएसएमई प्रौद्योगिकी केंद्र स्थापित होगा
केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने कोंकण क्षेत्र में उद्यमिता और व्यापार के अवसर बढ़ाने के मकसद से आयोजित एमएसएमई काॅन्क्लेव का उद्घाटन किया।
कुडाल में कोनबैक-स्फूर्ति बांस क्लस्टर का उद्घाटन करते हुए मंत्री नारायण राणे ने कहा, महज आम और काजू ही नहीं बांस भी आय का एक बड़ा स्रोत
Posted On:
25 FEB 2022 3:57PM by PIB Delhi
सिंधुदुर्ग, मंुबई 25 फरवरी 2022
केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्री श्री नारायण राणे ने आज सिंधुदुर्ग में 200 करोड़ रुपये के खर्च से एमएसएमई-प्रौद्योगिकी केंद्र की स्थापना की घोषणा की। एमएसएमई-प्रौद्योगिकी केंद्र उद्योग, विशेष रूप से एमएसएमई, को उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने और क्षेत्र के नियोजित और बेरोजगार युवाओं को उनकी रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए कौशल सेवाएं प्रदान करने के लिए सर्वोत्तम प्रौद्योगिकी, इनक्यूबेशन के साथ-साथ परामर्श सहायता प्रदान करेगा।
श्री राणे ने यह घोषणा एमएसएमई मंत्रालय द्वारा सिंधुदुर्ग में आयोजित दो दिवसीय एमएसएमई कॉन्क्लेव (25 और 26 फरवरी) के उद्घाटन के मौके पर की। कॉन्क्लेव का उद्देश्य कोंकण क्षेत्र में एमएसएमई के लिए प्रौद्योगिकी, उत्पाद विकास और कौशल के उपयोग में उद्यमिता और व्यापार के अवसरों को बढ़ावा देना है।
कॉन्क्लेव के महत्व पर प्रकाश डालते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, ’’ऐसे कॉन्क्लेव उद्यमियों, नीति निर्माताओं और अन्य प्रमुख हितधारकों के लिए सूचनाओं के आदान-प्रदान, नवोन्मेषी विचारों और पारस्परिक व्यापार के अवसरों की तलाश करने के लिए एक खुले संवाद में शामिल होने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच का काम करते हैं।’’
श्री राणे ने कहा, ’’इस सम्मेलन का मकसद सिंधुदुर्ग इलाके को औद्योगिक क्षेत्र में शीर्ष स्थान पर लाना है।’’ उन्होंने बताया कि कैसे सिंधुदुर्ग के अधिकांश निवासियों को नौकरी के अवसरों की तलाश में जीविकोपार्जन के लिए शहर छोड़ना पड़ा। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें वर्तमान परिदृश्य में बदलाव लाना होगा जहां सिंधुदुर्ग में आय पैदा हो और जहां हमारी आने वाली पीढ़ी इससे लाभान्वित हो सके।
एमएसएमई मंत्रालय ने कोंकण में करीब 2000़ से अधिक नई विनिर्माण इकाइयां स्थापित की हैं, महाराष्ट्र में रोजगार सृजन की अपार संभावनाएं
मंत्री ने कोंकण क्षेत्र में एमएसएमई मंत्रालय की पहलों की सराहना की और कहा कि महाराष्ट्र में विशेष रूप से कोंकण क्षेत्र में रोजगार सृजन की काफी संभावनाएं हैं। मंत्री ने कहा कि सरकार पीएमईजीपी (प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम), स्फूर्ति (पारंपरिक उद्योगों के पुनर्जनन के लिए कोष की योजना), हनी मिशन और कुम्हारों के सशक्तीकरण के लिए कुम्हार सशक्तीकरण योजना जैसे प्रमुख कार्यक्रमों के सही कार्यान्वयन द्वारा क्षेत्र में उद्यमिता और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।
श्री राणे ने कहा कि मंत्रालय ने 2016 के बाद से कोंकण क्षेत्र में लगभग 2,000़ नई विनिर्माण इकाइयां स्थापित करके उद्यमिता को व्यापक प्रोत्साहन दिया है, जिसके परिणामस्वरूप 16,400 प्रत्यक्ष रोजगार का सृजन हुआ है। इन परियोजनाओं को समर्थन देने के लिए मंत्रालय ने 71.65 करोड़ रुपये की सब्सिडी राशि का वितरण किया है।
मंत्री ने रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग जिले और आसपास के क्षेत्रों के ग्रामीण कारीगरों को बिजली के कुम्हारी पहिये, मधुमक्खी के बक्से और अगरबत्ती बनाने की मशीनें भी वितरित कीं। उन्होंने 25 खादी कारीगरों को भी सम्मानित किया और प्रशिक्षण पूर्ण होने के प्रमाण पत्र सौंपे। इसके अलावा, 10 पीएमईजीपी लाभार्थियों को स्वीकृति पत्र सौंपे गए जो खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) की स्वरोजगार गतिविधियों से जुड़कर आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढाएंगे।
कॉन्क्लेव के दौरान मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित विभिन्न योजनाओं की प्रस्तुति भी मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा दी गई, जिसमें ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों के उद्यमियों और युवाओं ने हिस्सा लिया।
अतिरिक्त सचिव और विकास आयुक्त, एमएसएमई, श्री शैलेश कुमार सिंह ने एमएसएमई क्षेत्र के लिए उद्यम पंजीकरण और चैंपियंस पोर्टल जैसी विभिन्न योजनाओं के महत्व और प्रासंगिकता पर जोर दिया, जिनका कोविड-19 महामारी के दौरान सकारात्मक प्रभाव पड़ा।
एमएसएमई मंत्री ने कुडाल में कोनबैक-स्फूर्ति बांस क्लस्टर का उद्घाटन किया
इससे पहले दिन में, एमएसएमई मंत्री ने कुडाल में कोनबैक-स्फूर्ति (कोंकण बांस और गन्ना विकास केंद्र - पारंपरिक उद्योगों के उत्थान के लिए फंड की योजना) बांस क्लस्टर का उद्घाटन किया। क्लस्टर 300 कारीगरों को मदद करेगा। एमएसएमई मंत्रालय ने क्लस्टर की स्थापना के लिए 1.45 करोड़ रुपये की राशि जारी की है।
कोंकण क्षेत्र में स्थानीय लोगों के लिए उपलब्ध अवसरों पर प्रकाश डालते हुए श्री राणे ने कहा, ’’न सिर्फ आम और काजू बल्कि बांस को भी आय का स्रोत माना जाना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि लोगों को बांस के कारोबार की ओर आकर्षित करने के लिए कोनबैक-स्पूर्ति क्लस्टर का आयोजन किया गया है और स्थानीय लोगों को इसका लाभ उठाना चाहिए।
सचिव एमएसएमई, बी.बी. स्वैन, अध्यक्ष, खादी और ग्रामोद्योग आयोग, विनय कुमार सक्सेना, अध्यक्ष-कॉयर बोर्ड, डी. कुप्पुरामू और कोनबैक के निदेशक मोहन होडावड़ेकर इस अवसर पर उपस्थित थे।
कोनबैक के संबंध में
कोनबैक एक स्वतंत्र गैर-लाभकारी संगठन है जो एक आत्मनिर्भर संस्थागत पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में विकसित हुआ है और इसके पास भारतीय व अंतर्राष्ट्रीय बाजारों के लिए प्रीमियम बांस उत्पादों के डिजाइन, प्रोटोटाइप और उत्पादन के लिए पूर्ण विकसित सुविधा है। इसके पास गरीब बांस उत्पादकों को बड़े आकर्षक बाजारों से जोड़ने की व्यवस्था उपलब्ध है और यह पहले से ही एक मॉडल के रूप में उभरा है जिसका भारत समेत विदेशों अन्य जगहों पर अनुकरण किया जा रहा है।
पारंपरिक उद्योगों के उत्थान के लिए फंड की योजना (स्फूर्ति) क्लस्टर विकास को बढ़ावा देने के लिए एमएसएमई मंत्रालय की एक पहल है। खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) खादी के लिए क्लस्टर विकास को बढ़ावा देने के लिए नोडल एजेंसी है। यह योजना पारंपरिक उद्योगों और कारीगरों को प्रतिस्पर्धी बनाने और उनकी दीर्घकालिक संधारणीयता में सहायता प्रदान करने के लिए समूहों में संगठित करती है। इसका उद्देश्य पारंपरिक उद्योग कारीगरों और ग्रामीण उद्यमियों के लिए निरंतर रोजगार प्रदान करना है।
कोनबैक-स्फूर्ति उद्घाटन देखने के लिए क्लिक करें
https://youtu.be/cmegfTO5Eg0
एमएसएमई उद्यमिता विकास कार्यक्रम, ओरोस, सिंधुदुर्ग के उद्घाटन के लिए लिंक
https://youtu.be/Rx-ppixSLno
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