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सफलता की कहानी : स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण-चरण II


ठोस तरल अपशिष्ट प्रबंधन (एसएलडब्ल्यूएम) में तेलंगाना का आकांक्षी जिला भद्राद्रि कोथागुडेम प्रगति कर रहा है

Posted On: 10 FEB 2022 12:55PM by PIB Delhi

अपने लोगों को प्रदूषण व संबंधित स्वास्थ्य मुद्दों से बचाने के लिए स्वच्छ और हरित जिले का निर्माण करने के इरादे से तेलंगाना के आकांक्षी जिले भद्राद्रि कोथागुडेम के जिला प्रशासन ने ग्रामीण समुदाय के सहयोग से जागरूकता पैदा करने और साफ-सफाई सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न ओडीएफ प्लस गतिविधियां शुरू की हैं।

स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण (एसबीएम-जी) चरण I के तहत 88,416 व्यक्तिगत घरेलू शौचालयों के निर्माण के बाद अगस्त 2019 में ओडीएफ घोषित होने के बाद जिले ने सुनिश्चित किया है कि नए बनने वाले घरों में शौचालयों के निर्माण में कोई छूटे नहीं और अब तक एसबीएम-जी चरण II के तहत 1090 आईएचएचएल का निर्माण किया गया है। जिला अब राज्य द्वारा संचालित पल्ले प्रगति कार्यक्रम के तहत ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन (एसएलडब्ल्यूएम) परिसंपत्‍ति स्थापित करने के लिए तैयार है।

ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (एसडब्ल्यूएम) : 22 मंडलों की सभी 479 ग्राम पंचायतों ने कचरा संग्रह के लिए एसडब्ल्यूएम शेड और ट्रैक्टर खरीदे हैं। इसके अलावा शेडों के कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए फील्ड कर्मियों को प्रशिक्षण दिया गया और आज सभी ग्राम पंचायतों (जीपी) में कंपोस्टिंग की जाती है। जिले ने ग्राम पंचायत (जीपी) स्तर पर 5 चरण एसडब्ल्यूएम स्वच्छता सेवा श्रृंखला भी स्थापित की हैं, जिसमें स्रोत अलगाव, संग्रह, परिवहन, प्रसंस्करण/उपचार और सुरक्षित निपटान शामिल हैं।

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सूखे कचरे के स्रोत पृथक्करण व आगे के जुड़ाव को सुनिश्चित करने की प्रक्रिया में चुनौतियां या बाधाएं कम नहीं थीं। लेकिन इसे वॉश संस्थान (वॉश-I) के सहयोग से सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया गया, जो स्रोत पृथक्करण के लिए लाभार्थियों के बीच जागरूकता पैदा करने और जिला, मंडल और जीपी स्तर के कर्मचारियों के लिए क्षमता निर्माण सत्र आयोजित करने में जिले का सहयोग कर रहा है।

अब तक 168 ग्राम पंचायतों ने 100 प्रतिशत स्रोत पृथक्करण हासिल कर लिया है और अधिकांश ग्राम पंचायतों में स्रोत पृथक्करण लगभग 70 प्रतिशत है। सभी ग्राम पंचायतों में शत-प्रतिशत स्रोत पृथक्करण हासिल करने के लिए ग्राम पंचायत के पदाधिकारियों और वॉश-I के माध्यम से हर सप्ताह जागरूकता गतिविधियां संचालित की जाती हैं।

प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन : 5 सितंबर 2019 को जिला कलेक्टर और डीआरडीए के अध्यक्ष ने संयुक्त रूप से एकल उपयोग वाले प्लास्टिक (एसयूपी) पर प्रतिबंध लगाया और प्लास्टिक के विकल्प के रूप में कपड़े की थैलियों का उत्पादन करने के लिए एक कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इसके अलावा उन्होंने सभी सरकारी कार्यालयों से एसयूपी प्रतिबंध के बारे में जागरूकता फैलाने को कहा।

प्लास्टिक मुक्त जिले के निर्माण के लिए जागरूकता पैदा करने और प्लास्टिक के उपयोग पर अंकुश लगाने के लिए विभिन्न गतिविधियां शुरू की गईं। डोर-टू-डोर अभियान चलाने के लिए एसएचजी सदस्यों के सहयोग को सूचीबद्ध किया गया था और उन्होंने एसयूपी को इकट्ठा करने, अलग करने और निपटाने के लिए बड़े पैमाने पर सामुदायिक भागीदारी को संबोधित किया। उन्होंने एसयूपी पर अंकुश लगाने की आवश्यकता पर जिले भर में जागरूकता बैठकें, रैलियां, कार्यशालाओं का भी आयोजन किया, वहीं उन्होंने कपड़े के बैग तैयार किए और उसे लोगों में वितरित किए।

जहां तक पुनर्चक्रण योग्य कचरे के प्रसंस्करण का संबंध है ग्राम पंचायतों ने सूखे कचरे के सुरक्षित निपटान की सुविधा के लिए स्थानीय कबाड़ डीलरों के साथ करार किया है। राज्य एसबीएम-जी के सहयोग से कचरा प्रबंधन सेवा प्रदाताओं के साथ साझेदारी करने की दिशा में जिला स्तर पर आगे के जुड़ाव की प्रक्रिया को बढ़ाया जा रहा है। आईटीसी पहले से ही यूएलबी के साथ काम कर रहा है और उसने कोथागुडेम, येल्लांदु मनुगुरु, पल्वांचा में 4 ड्राई रिसोर्स कलेक्शन सेंटर (डीआरसीसी) स्थापित किए हैं जो काम कर रहे हैं और शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों का भार उठा रहे हैं। सभी ग्राम पंचायतों को अपने प्लास्टिक कचरे को अपने नजदीकी डीआरसीसी तक पहुंचाने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही वॉश-I के सहयोग से कचरे की मात्रा का निर्धारण और लक्षण वर्णन की दिशा में कदम उठाए जाते हैं, ताकि गैर-पुनर्नवीनीकरण योग्य कचरे के आगे के जुड़ाव संभव हो सकें। यूएलबी के साथ अभिसरण या सम्मिलन में अंतराल को कवर करने के लिए एसबीएम (जी) के तहत नए डीआरसीसी भी प्रस्तावित किए गए हैं।

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तरल अपशिष्ट प्रबंधन (एलडब्ल्यूएम) : अधिकांश ग्राम पंचायतों में घरेलू स्तर पर व्यक्तिगत मनोहर सोख्ता गड्ढों पर काफी ध्यान दिया जा रहा है। मनरेगा के तहत निर्मित नालियों के माध्यम से भी गंदे पानी का निपटान किया जाता है और इन नालियों से सामुदायिक सोख्ता गड्ढे बन जाते हैं जो प्रभावी रूप से अपशिष्ट जल का उपचार करते हैं और भूजल स्तर को रिचार्ज करने में मदद करते हैं। जिला प्रशासन ने सभी ग्राम पंचायतों को इस वित्तीय वर्ष के अंत तक मिशन मॉडल में प्रत्येक मंडल में 6 ग्राम पंचायतों को एलडब्ल्यूएम गतिविधियों से परिपूर्ण व्यक्तिगत और समुदाय दोनों सोख्ता गड्ढों को बनाने का निर्देश दिया है। अब तक 32,791 व्यक्तिगत सोख्ता गड्ढ़े और 1,331 सामुदायिक सोख्ता गड्ढे बनाए जा चुके हैं।

 

ओडीएफ प्लस उपलब्धियां : अब तक जिले ने अपने सभी 479 ग्राम पंचायतों को ओडीएफ प्लस आकांक्षी घोषित किया है, सभी घरों और संस्थानों में शौचालय की पहुंच सुनिश्चित करना व आवश्यक एसडब्ल्यूएम परिसंपत्तियों का निर्माण करना और उनके प्रभावी कामकाज को सुनिश्चित करना तय किया है। जिला ओडीएफ प्लस गतिविधियों पर जागरूकता पैदा करने में भी बहुत आगे है, यह सुनिश्चित करके कि सभी जीपी के पास आईईसी संदेश हैं, जिन्हें सार्वजनिक स्थानों पर प्रमुखता से रखा गया है। इसके अलावा जिले की सभी ग्राम पंचायतों को 100 प्रतिशत एलडब्ल्यूएम कवरेज प्राप्त करके ओडीएफ प्लस मॉडल का दर्जा प्राप्त करने का निर्देश दिया गया है।

ओडीएफ प्लस मॉडल का दर्जा हासिल करने के लिए न केवल ग्राम पंचायतों को लक्षित किया जा रहा है, बल्कि जिला प्रशासन पूरे जिले के लिए ओडीएफ प्लस का दर्जा सुनिश्चित करने के लिए डीआरसीसी और अपशिष्ट शोधन संयंत्र  (एफएसटीपी) स्थापित करने की भी योजना बना रहा है। इस संबंध में इसने 4 यूएलबी में 4 एफएसटीपी का प्रस्ताव किया है, जो सेप्टिक टैंक वाले ग्रामीण एचएच को भी पूरा करेगा। इससे जिले भर में अपशिष्ट कीचड़ का सुरक्षित निस्तारण सुनिश्चित होगा।

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