उप राष्ट्रपति सचिवालय

उपराष्ट्रपति ने युवाओं से उस भारत के निर्माण के लिए कड़ी मेहनत करने का आह्वान किया, जिसकी परिकल्पना स्वतंत्रता सेनानियों ने की थी


उपराष्ट्रपति ने माता-पिता और शिक्षकों से युवा पीढ़ी में देशभक्ति की भावना जगाने का अनुरोध किया किया

'राष्ट्र सबसे ऊपर है' की भावना हमारे डीएनए में है: उपराष्ट्रपति

हमारा राष्ट्रीय ध्वज स्वाधीनता, स्वतंत्रता और बलिदान का एक प्रतीक है: उपराष्ट्रपति

हमारे युवा आत्मनिर्भरता के निर्माता और लाभार्थी, दोनों बनने जा रहे हैं: उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति ने पहले से रिकॉर्ड किए गए एक वीडियो संदेश के जरिए भारत माता आरती कार्यक्रम को संबोधित किया

Posted On: 25 JAN 2022 8:01PM by PIB Delhi

उपराष्ट्रपतिश्री एम. वेंकैया नायडु ने आज युवाओं से स्वतंत्रता सेनानियों की परिकल्पना के अनुरूप एक मजबूत और समृद्ध भारत के निर्माण के लिए कड़ी मेहनत करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यह उन महान पुरुषों और महिलाओं को दी गई एक सच्ची श्रद्धांजलि होगी, जिन्होंने हमारे देश की आजादी के लिए संघर्ष किया था। उपराष्ट्रपति ने आगे कहा, "हमारे राष्ट्र को विदेशी दासता से मुक्त करने के लिए स्वतंत्रता सेनानियों के किए गए अनगिनत बलिदानों को कभी न भूलें।"

श्री नायडु ने पहले से रिकॉर्ड किए गए एक वीडियो संदेश के जरिए भारत माता आरती कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने माता-पिता और शिक्षकों से युवा पीढ़ी के भीतर देशभक्ति की भावना जगाने का अनुरोध किया।उपराष्ट्रपति ने आगे कहा, "जैसा कि हम अपनी समृद्ध विरासत पर गर्व करते हैं, हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि आने वाली पीढ़ियों को हमारे महान राष्ट्र के बारे में जानें और वे इसके सर्वांगीण विकास में अपना योगदान दें।"

भारत के स्वतंत्रता संघर्ष पर श्री नायडु ने कहा कि भारत को ब्रिटिश शासन से जो आजादीप्राप्त हुई थी, वह कड़ी मेहनत से प्राप्त की गई थी और यह पूरे देश के विविध पृष्ठभूमि वाले लोगों के सामूहिक प्रयासों का एक परिणाम था।उपराष्ट्रपति ने इसका उल्लेख किया कि भारत के स्वतंत्र होने के बाद कई संशयवादियों को विश्वास ​​था कि भारत अपनी भाषाई और सांस्कृतिक विविधताओं की वजह से खुद को बनाए हुए नहीं रख पाएगा, लेकिन भारत ने उन्हें गलत साबित कर दिया है। उन्होंने आगे कहा,भारत की सांस्कृतिक और सभ्यतागत विरासत यहां के लोगों को एकजुट रखती है। देश सबसे ऊपर है' की भावना हमारे डीएनए में मौजूद है।"

हमारे राष्ट्रीय ध्वज के महत्व को रेखांकित करते हुए श्री नायडु ने कहा किहमारा ध्वज रंगों के साथ केवल कपड़े का एक टुकड़ा नहीं है, बल्कि यह स्वाधीनता, स्वतंत्रता और बलिदान का एक प्रतीक है।

उपराष्ट्रपति ने 35 साल से कम आयु के देश की लगभग 65 फीसदी जनसंख्या के साथ भारत के जनसांख्यिकीय लाभ का उल्लेख किया। उन्होंने तेजी से विकास के लिए एक युवा राष्ट्र की क्षमता का पूरी तरह से लाभ उठाने का आह्वान किया। श्री नायडु ने कहा कि सभी क्षेत्रों में "आत्मनिर्भरता" प्राप्त करने के लिए अधिक ताकत, ऊर्जा और उत्साह के साथ काम करने की जरूरत है।उन्होंने आगे कहा, "हमारे युवा आत्मनिर्भरता के निर्माता और लाभार्थी, दोनों बनने जा रहे हैं।"

श्री नायडु ने इस अनोखे कार्यक्रम, जहां राष्ट्र को मजबूत बनाने, बाहरी व आंतरिक आक्रमण से बचाने और लोगों को एकजुट, प्रसन्नव स्वस्थ रखने कीप्रार्थना की गई, को आयोजित करने के लिए भारत माता फाउंडेशन की सराहना की। उन्होंने कहा कि देशभक्ति, सामाजिक एकता और राष्ट्रीय एकता की भावना को बढ़ावा देने वाले समारोह महत्वपूर्ण हैं और इन्हें देश के सभी हिस्सों में अधिक से अधिक बार आयोजित किए जाने चाहिए।

 

पूरा भाषण निम्नलिखित है :

इस बहुत ही अनोखे भारत माता आरती कार्यक्रम का हिस्सा बनकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है।

अतीत में मैंने कई आरती के बारे में सुना है, लेकिन उनका धार्मिक संदर्भ रहा है, जहां हम एक देवता, एकनदी या किसी शक्ति से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करते हैं।यहां हम अपनी मातृभूमि के लिए प्रार्थना कर रहे हैं, वह देश जिसे हम प्यार करते हैं, वह देश जहां हम रहते हैं और जिस देश को हम आने वाले वर्षों में देखना चाहते हैं। यह एक ऐसा देश है, जिसे हम सामूहिक रूप से आकार दे रहे हैं।यह एक नए भारत का विचार है, जिसका हम प्रतिबद्धता और भक्ति के साथ अथक रूप से पोषण कर रहे हैं।

मैं भारत माता फाउंडेशन व केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन और उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रीश्री जी किशन रेड्डी को इस तरह के एक प्रेरक कार्यक्रम की अवधारणा और उसे बनाए रखने के लिए बधाई देना चाहता हूं।मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि भारत माता फाउंडेशन पिछले 6 वर्षों से इस कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है। इसके तहत भारत माता की वेशभूषा में 3,000 से अधिक लड़कियां वैदिक मंत्रों का जाप करने के लिए पुजारी के रूप में इकट्ठी होती हैं और मां भारती को पारंपरिक आरती दिखाती हैं।

इस कार्यक्रम के लिए चुनी गई तारीख और भी विशेष है: 26 जनवरी, गणतंत्र दिवस। यह दिन सभी भारतीयों के लिए शुभ है, यह वह दिन है जब हम सभी संविधान का अनुपालन करने के लिए सहमत हुए थे। संविधान ने हमें सुशासन और एक मजबूत लोकतांत्रिक कार्यप्रणाली के लिए आधार दिया है।हालांकिहम मानते हैं कि हमारे प्यारे देश भारत का कई हजार वर्षों का एक लंबा और शानदार सांस्कृतिक इतिहास रहा है।

भारत की एकीकृत भौगोलिक अवधारणा का उल्लेख विष्णु पुराण में किया गया है। इसके श्लोक में कहा गया है- महासागर के उत्तर में और बर्फीले पहाड़ों के दक्षिण में स्थित देश को भारत कहा जाता है और वहां भरत के वंशज रहते हैं।

चूंकि, यह प्रार्थना राष्ट्र को मजबूत बनाने, बाहरी व आंतरिक आक्रमण से रक्षा करने और लोगों को एकजुट, प्रसन्न और स्वस्थ रखने के लिए है, इसलिए इस कार्यक्रम का संदेश धर्मनिरपेक्ष और सार्वभौमिक है। भारत माता आरती सभी के कल्याण के लिए हैऔर इसलिए यहग्रह पर जीवन का उत्सव मनाने के लिए है।

इस तरह के समारोह काफी महत्वपूर्ण हैं। ये हमारी देशभक्ति, सामाजिक एकता और राष्ट्रीय एकता की भावना में बढ़ोतरी करते हैं। हमारी मातृभूमि के लिए लोगों को एक साथ लाने वाले इस तरह के अनोखे समारोहों को अधिक से अधिक और देश के सभी हिस्सों में आयोजित किए जाने चाहिए, जिससे लोग हमारी महान मातृभूमि के साथ एक गहरा जुड़ाव बना कर सकें।जैसा कि हम अपनी समृद्ध विरासत पर गर्व करते हैं, हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि आने वाली पीढ़ियों को हमारे महान राष्ट्र के बारे में जानें और वे इसके सर्वांगीण विकास में अपना योगदान दे सकें।

मेरी प्यारी बहनो और भाइयो,

जैसा कि आप सभी को मालूम है कि हम भारतीय स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। आजादी का अमृत महोत्सव की विषयवस्तु के तहत बड़े पैमाने पर पूरे देश के नागरिकों और इसके साथ प्रवासियों की भी भागीदारी के साथ कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। अंग्रेजों से हमें जो स्वतंत्रता मिली थी, वह काफी मेहनत से प्राप्त की गई थी। काफी सारे लोगों नेसभी सामाजिक बाधाओं को पार करते हुएइसके लिए संघर्ष किया। जब भारत एक आजाद देश बना, तो कई संशयवादियों का मानना था कि भारत अपनी भाषाई और सांस्कृतिक विविधता के साथएक राष्ट्र के रूप में खुद को बनाए हुए नहीं रख पाएगा। भारत ने उन सभी को गलत साबित कर दिया है।हमलोगों ने उन्हें गलत साबित कर दिया, क्योंकि हम सभीअपनी सांस्कृतिक विविधता के बावजूदमूल मूल्यों के एक समूह से प्रेरणा लेते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू ने अपनी पुस्तक "भारत की खोज" में इसके लिए विभिन्न फूलों को धारण करने के लिए एक माला के धागे की उपमा का इस्तेमाल किया है। यह सांस्कृतिक और सभ्यतागत विरासत है, जो हमें विरासत में मिली है और यह हमें एकजुट रखती है। और चूंकि हम एकजुट हैं, इसलिएहम राष्ट्र को बनाए रखने और विश्व को आश्चर्यचकित करने में सक्षम हैं। "राष्ट्र सबसे ऊपर है" की भावना हमारे डीएनए में है। यही हमें एकसाथ रखता है और हमें देश के लिए काम करने योग्य बनाता है।

महान तेलुगु लेखक रायप्रोलू सुब्बा राव ने कहा था,

ఏదేశమేగినాఎందుకాలిడినా

ఏపీఠమెక్కినాఎవ్వరేమనినా

పొగడరానీతల్లిభూమిభారతిని

నిలుపరానీజాతినిండుగౌరవము

इसका अर्थ है: आप जिस भी देश में जाते हैं, जिस भी देश की यात्रा करते हैं, जिस भी स्थिति में होते हैं, जो कुछ कोई भी कह सकता है, अपनी मातृभूमि भारती का जयगान करें! अपने राष्ट्र की गरिमा और सम्मान को बनाए रखें!

उर्दू के मशहूर शायर इकबाल ने कहा था- सारे जहां से अच्छा- हिंदोस्तां हमारा

रायप्रोलु सुब्बा राव और इकबाल अलग-अलग क्षेत्र व धर्मके हैं।लेकिन राष्ट्र के प्रति उनकी भक्ति एक समान ही है, क्योंकि वे दोनों एक ही माला के फूल हैं।

प्रिय युवाओं,

हमारे देश को विदेशी दासता से मुक्त कराने के लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के किए गए अनगिनत बलिदानों को कभी न भूलें। कल जब हम राष्ट्रीय ध्वज को सलामी देंगे, तो स्मरण रखें कि हमारा ध्वज रंगों के साथ केवल कपड़े का एक टुकड़ा नहीं है, बल्कि यह स्वाधीनता, स्वतंत्रता और बलिदान का एक प्रतीक है।अब कठिन मेहनत और एक ऐसे भारत का निर्माण करने का दायित्व हमारे ऊपर है, जिसकी परिकल्पना हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने की थी।यह उन महान पुरुषों और महिलाओं को एक सच्ची श्रद्धांजलि होगी। माता-पिता के साथ-साथ शिक्षकों को भी युवा पीढ़ी में देशभक्ति की भावना उत्पन्न करनी चाहिए।

कई आर्थिक और राजनीतिक जानकारों का अनुमान है कि भारत, भविष्य में विश्व की नियति को परिभाषित करने में अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है। हम एक युवा राष्ट्र हैं, जिसकी लगभग 65 फीसदी जनसंख्या 35 साल से कम आयु की है। मेरे सामने यहां बड़ी संख्या में छात्र हैं और उनकी जिम्मेदारी एक राष्ट्र के रूप में हमारे पास मौजूद विशाल क्षमता को सामने लाने की है। हमें अधिक ताकत, ऊर्जा व उत्साह के साथ काम करने और सभी क्षेत्रों में "आत्मनिर्भरता" प्राप्त करने की जरूरत है। हमारे युवा आत्मनिर्भरता के निर्माता और लाभार्थी, दोनों बनने जा रहे हैं। मुझे विश्वास है कि इस देश को एक बार फिर से "विश्वगुरु" बनाने में आप सभी को भारत माता का आशीर्वाद प्राप्त है।

मैं एक बार फिर आयोजकों, विशेष रूप से श्री जी किशन रेड्डी को बधाई देता हूं। यहां उपस्थित सभी बच्चों को मेरा आशीर्वाद और सभी को मेरी ओर से शुभकामनाएं हैं।

जय हिंद!

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एमजी/एएम/एचकेपी/एसएस



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