विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) – बीआईआरएसी सहायता प्राप्‍त स्टार्ट-अप्स इनएक्सेल और निरामई (एनआईआरएएमएआई) को विश्‍व बैंक समूह और कंज्यूमर टेक्नोलॉजी एसोसिएशन के ग्लोबल वीमेन हेल्थटेक पुरस्‍कार मिले हैं

Posted On: 12 JAN 2022 2:34PM by PIB Delhi

निरामई हेल्थ एनालिटिक्स प्राइवेट लिमिटेड और इनएक्‍सेल टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, डीबीटी-बीआईआरएसी द्वारा सहायता प्राप्‍त दो स्टार्ट-अप्स ने विश्व बैंक समूह और कंज्यूमर टेक्नोलॉजी एसोसिएशन के ग्लोबल वीमेन हेल्थटेक पुरस्कार प्राप्त किए हैं, जो उभरते हुए बाजारों में महिलाओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने वाले नवाचारी स्टार्टअप्स को मान्यता प्रदान करते हैं।

निरामई हेल्थ एनालिटिक्स प्राइवेट लिमिटेड, बीआईआरएसी का वीमेन इन एंटरप्रेन्योरियल रिसर्च अवार्ड 2019 प्राप्तकर्ता है। इसे नवीन सॉफ्टवेयर-आधारित चिकित्सा उपकरण बनाने के लिए चुना गया था, यह उपकरण सभी आयु वर्ग और स्तन घनत्वों की महिलाओं में एक सरल और निजी तरीके से स्तन के प्रारंभिक चरण के कैंसर का भी पता लगाता है। यह कैंसर का पता लगाने में महत्वपूर्ण और आवश्यक जरूरत का समाधान भी करता है। विकसित किया गया यह समाधान बहुत कम लागत वाला लेकिन सटीक, स्वचालित, पोर्टेबल, संपर्क रहित, रेडिएशन से मुक्त और दर्द रहित कैंसर की स्क्रीनिंग करने वाला उपकरण है जिससे कोई ज्ञात दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। यह मुख्य नवाचार मशीन लर्निंग और एआई-आधारित कंप्यूटर डायग्नोस्टिक इंजन है, जिसे थर्मलीटिक्स कहा जाता है, जो थर्मल इमे‍ज की व्याख्या करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) एल्गोरिदम का उपयोग करता है और स्तन के स्वास्थ्य और उसकी संभावित विषमताओं के बारे में मात्रात्‍मक रिपोर्ट तैयार करता है। अभी तक, पूरे भारत में 30 से अधिक अस्पतालों और निदान केन्‍द्रों में इस स्‍टार्टअप के साथ 45,000 से अधिक महिलाओं की जांच की जा चुकी है। यह उत्पाद विश्‍व में 2 अरब से अधिक महिलाओं को कैंसर की नियमित रूप से जांच करने में मदद कर सकता है और अकेले भारत में ही यह हर वर्ष 90,000 जान बचा सकता है।

इनएक्‍सेल टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, डीबीटी और बीएमजीएफ का ग्रैंड चैलेंजेज एक्सप्लोरेशन-इंडिया 2019 अवार्ड प्राप्‍तकर्ता है, जिसे प्रसव के दौरान या 37 सप्‍ताह के गर्भ के बाद माताओं के लिए मॉनिटर आधारित भ्रूण ईसीजी सिग्नल एक्‍सट्रेक्‍शन पर एआई-संचालित फेटल हार्ट रेट (एफएचआर)  मॉनिटर आधारित फेटल लाइट (अगली पीढ़ी) के लिए वीमेन हेल्‍थ टेक पुरस्‍कार का विजेता घोषित किया गया था। फेटल लाइट में अगली पीढ़ी की ईसीजी सिग्नल प्रोसेसिंग है और यह माताओं के लिए आरामदायक होने के साथ-साथ पारंपरिक डॉपलर-आधारित उपकरणों की तुलना में अधिक सटीक, विश्वसनीय और उपयोग करने में बहुत आसान है। फेटल लाइट यूरोपीय सीई प्रमाणित है और इसने उत्कृष्ट परिणामों के साथ 60 से अधिक रोगियों में 2 नैदानिक ​​परीक्षण पूरे किए हैं। इसके अलावा, इसने 30 से अधिक अस्पतालों में डेमो भी दिए हैं। इस उपकरण का उपयोग अस्‍पतालों में और इन-होम सेटिंग्स में सक्रिय और दूरस्‍थ दोनों निगरानियों में ही किया जा सकता है। अब तक, इस उपकरण ने जनजातीय क्षेत्रों सहित 5000 मामलों की निगरानी करने में मदद की है और इसमें पूरी दुनिया मे हर साल 12 लाख जान बचाने की क्षमता है।

निरामई की संस्थापक गीता मंजूनाथ ने कहा कि विश्व बैंक से यह मान्यता प्राप्त होने पर हमें बहुत प्रसन्नता हो रही है। यह विश्‍व में हमारे भारतीय नवाचारों की व्‍यवहार्यता को सत्‍यापित करता है। इनएक्सेल के सह-संस्थापक नितेश जंगीर ने कहा कि यूरोपीय नियामक अनुमोदन के साथ मरीजों को लाभान्वित करने के विचार की हमारी यात्रा के लिए बीआईआरएसी की सहायता बहुत महत्‍वपूर्ण रही है। यह केवल वित्त पोषण ही नहीं है, बल्कि इसने मार्गदर्शन और साथ भी निभाया है। जिससे हमारे जोखिम कम करने में मदद मिली है।

डीबीटी के सचिव डॉ. राजेश गोखले ने कहा कि मैं अपने विभाग द्वारा सहायता प्राप्‍त दो स्टार्टअप्स को दी गई इस वैश्विक मान्यता के बारे में सुनकर बहुत प्रसन्न हूं। एक वित्त पोषण एजेंसी के रूप में ये सफलता की कहानियां मानवता द्वारा सामना की जा रही चुनौतियों के दबाव का समाधान करने के लिए एक जीवंत स्टार्टअप इकोसिस्‍टम के पोषण द्वारा हमारे द्वारा सृजित प्रभाव के बारे में प्राप्‍त हुई मान्यता हैं।

विश्व बैंक के एक बयान के अनुसार, इस वर्ष, इन पुरस्कारों ने 35 देशों की 70 से अधिक कंपनियों को आकर्षित किया था, जिन्होंने तीन श्रेणियों - प्रजनन स्वास्थ्य और गर्भावस्था, सामान्य महिला और किशोर स्वास्थ्य तथा महिला सुरक्षा और संरक्षा के तहत अपने नवाचारी उत्‍पादों और सेवाओं को प्रस्‍तुत किया था।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग के बारे में कुछ जानकारी:

जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी), 1986 में स्थापित, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत भारत सरकार का एक विभाग है। डीबीटी पर देश में आधुनिक जीव विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी में विकास और व्यावसायीकरण के प्रशासन का दायित्‍व है। इस विभाग ने कृषि, स्वास्थ्य देखभाल, पशु विज्ञान, पर्यावरण और उद्योग के व्यापक क्षेत्रों में जैव प्रौद्योगिकी के विकास और अनुप्रयोग में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। प्रयोगशाला स्तर पर सिद्ध प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा दिया है और उन्‍हें क्षेत्र में प्रदर्शित किया गया है। अधिक जानकारी के लिए http://dbtindia.gov.in/ देखें।

बीआईआरएसी के बारे में कुछ जानकारी :

जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) एक गैर-लाभकारी धारा 8, अनुसूची बी, का सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम है, जिसे जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी), भारत सरकार द्वारा राष्‍ट्रीय रूप से महत्‍वपूर्ण उत्‍पाद विकास जरूरतों को पूरा करने के लिए रणनीतिक अनुसंधान और नवाचार के लिए उभरते हुए बायोटेक उद्यमों को मजबूत और सशक्त बनाने के लिए एक इंटरफेस एजेंसी के रूप में स्थापित किया गया था। अधिक जानकारी के लिए https://birac.nic.in/ देखें।

ट्विटर - @डीबीटीइंडिया; @बीआईआरएसी_2012

फेसबुक - जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारत

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