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14 जनवरी से काशी विश्वनाथ मंदिर में श्रद्धालु "खादी हस्तनिर्मित कागज की चप्पल" पहनेंगे

Posted On: 10 JAN 2022 4:42PM by PIB Delhi

वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं और मंदिर के सैकड़ों कर्मचारियों को अब नंगे पांव मंदिर परिसर में प्रवेश करने की आवश्यकता नहीं होगी। 14 जनवरी, 2022 से खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) श्रद्धालुओं और कर्मचारियों के उपयोग के लिए खादी हस्तनिर्मित कागज से बनी "यूज एंड थ्रो" चप्पलों की बिक्री शुरू कर रहा है।

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काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की पार्किंग में स्थित खादी बिक्री आउटलेट के माध्यम से खादी हस्तनिर्मित कागज की चप्पलों की बिक्री की जाएगी। हस्तनिर्मित कागज की चप्पलों को 50 रुपये प्रति जोड़ी की मामूली कीमत पर खरीदा जा सकता है। चप्पलों की बिक्री वाराणसी में पंजीकृत खादी संस्थान, काशी हस्तकला प्रतिष्ठान द्वारा की जाएगी। हस्तनिर्मित कागज की चप्पलों की निर्माण इकाई का उद्घाटन मकर संक्रांति के दिन यानी 14 जनवरी, 2022 को काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत करेंगे।

यह घटनाक्रम तब सामने आया जब प्रधानमंत्री ने काशी विश्वनाथ मंदिर के कर्मचारियों के लिए जूट से बनी चप्पलें भेजीं। प्रधानमंत्री को पता चला कि मंदिर में काम करने वाले अधिकतर लोग नंगे पांव ही अपने दायित्व का निर्वहन करते हैं। मंदिर परिसर में चमड़े या रबर से बने जूते पहनकर जाना वर्जित है। मंदिर के पुजारियों, सुरक्षा गार्डों, सफाई कर्मियों और सेवा में लगे लोगों सहित पूरे कार्यबल को इस नियम का पालन करना पड़ता है।

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खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष, श्री विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि हस्तनिर्मित कागज से बने हुए "यूज एंड थ्रो" चप्पलों का उपयोग न केवल मंदिर की पवित्रता को कायम रखेगा बल्कि कष्टप्रद मौसम के दौरान श्रद्धालुओं को गर्मी और ठंड से भी बचाएगा। साथ ही इन चप्पलों से किसी भी प्रकार के प्रदूषण से बचाव होगा क्योंकि ये प्राकृतिक रेशों से बनी हुई हैं। श्री सक्सेना ने कहाये हस्तनिर्मित कागज की चप्पलें मंदिर की पवित्रता को बनाए रखेंगी। ये चप्पल पूर्ण रूप से इको फ्रेंडली सामग्री से बनी हुई हैं। मंदिर परिसर में इन चप्पलों का इस्तेमाल करने से खादी कारीगरों के लिए रोजगार के दीर्घकालिक अवसर भी उत्पन्न होंगे। केवीआईसी द्वारा 14 जनवरी से इन चप्पलों की बिक्री शुरू की जाएगी।

गौरतलब है कि खादी के हस्तनिर्मित कागज से बनी "यूज एंड थ्रो" चप्पलों को भारत में पहली बार विकसित किया गया है। ये हस्तनिर्मित कागज की चप्पलें शत प्रतिशत पर्यावरण के अनुकूल और लागत प्रभावी हैं। इन चप्पलों को बनाने में उपयोग किया जाने वाला हस्तनिर्मित कागज पूरी तरह से लकड़ी से मुक्त होता है और कपास तथा रेशम के चिथड़े और कृषि अपशिष्ट जैसे प्राकृतिक रेशों से बना हुआ होता है और इसलिए यह पूजा स्थलों में उपयोग के लिए उपयुक्त है। यह स्वच्छता के दृष्टिकोण से भी बहुत ही प्रभावी है। इन चप्पलों को केवीआईसी ने हस्तनिर्मित कागज उद्योग को समर्थन प्रदान करने और कारीगरों के लिए रोजगार के दीर्घकालिक अवसर उत्पन्न करने के उद्देश्य से विकसित किया है।

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