आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

वर्षांत समीक्षा 2021: आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय


एमओएचयूए की योजनाओं और मिशन से मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत पहल को बढ़ावा देने में मदद

Posted On: 04 JAN 2022 4:31PM by PIB Delhi

2021 के दौरान आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा चलायी जा रही विभिन्न योजनाओं और मिशन ने मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत पहल को कई तरह से बढ़ावा देने में मदद की है। योजनाओं और मिशन ने आत्मनिर्भर भारत को सीधे तौर पर और मेक इन इंडिया पहल को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित किया है।

प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (पीएमएवाई-यू) शहरों में घरों की कमी को दूर करने के लिये शुरू की गयी थी जिसमें झुग्गी झोपड़ी में रहने वालों सहित सभी योग्य शहरी परिवारों को वर्ष 2022 तक पक्का घर दिया जाना है। तेज गति के साथ घरों के निर्माण के लिये इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक काफी इनोवेटिव थी, विशेष रूप से ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज- इंडिया (जीएचटीसी-इंडिया) पहल के हिस्से के रूप में छह राज्यों की लाइट हाउस परियोजनाएं। इस पहल ने भारत में निर्माण प्रौद्योगिकी में एक नये युग का नेतृत्व किया, जिससे मेक इन इंडिया पहल को बल मिला। लोगों और प्रौद्योगिकी को एक साथ लाकर, एलएचपी (लाइट हाउस परियोजनाएं) एक नये इकोसिस्टम का मार्ग प्रशस्त करेंगी जहां लागत प्रभावी, पर्यावरण के अनुकूल और तेज निर्माण के लिये विश्व स्तर पर अपनी क्षमता साबित कर चुकीं तकनीकों को अपनाया जायेगा। इन एलएचपी के कई फायदे हैं, जिनमें मुख्य हैं लंबे समय तक इस्तेमाल योग्य, हर जलवायु में कारगरकिफायती, सुरक्षित और तेज निर्माण।

एमओएचयूए ने टेक्नोग्राही के लिये नामांकन मॉड्यूल भी लॉन्च किया है, जहां आईआईटी, एनआईटी, इंजीनियरिंग, प्लानिंग और आर्किटेक्चर कॉलेजों के छात्र, फैकल्टी मेंबर, शिक्षाविद और हितधारक सीखने, परामर्श, विचारों और समाधानों के विकास, प्रयोग, इनोवेशन और तकनीकी जागरूकता के लिए छह एलएचपी साइट की जारी प्रयोगशालाओं का दौरा करने के लिए खुद को पंजीकृत करते हैं। इससे उन्हें उपयोग की जा रही प्रौद्योगिकियों की प्रत्यक्ष जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलती है और बदले में, वे 'मेक इन इंडिया' दृष्टिकोण के लिये निर्माण क्षेत्र में अपनी आवश्यकताओं के अनुसार प्रौद्योगिकियों में ढल सकते हैं और उन्हें अपना सकते हैं।

कम लागत, तेज और गुणवत्तापूर्ण घरों के निर्माण के लिये नवीन, टिकाऊ, पर्यावरण के अनुकूल और आपदाओं का सामना करने योग्य तकनीकों और निर्माण सामग्री को अपनाने की सुविधा के साथ एक प्रौद्योगिकी उप-मिशन (टीएसएम) की स्थापना की गयी थी। टीएसएम न केवल पीएमएवाई-यू के तहत तेजी से और सुरक्षित आपूर्ति सुनिश्चित करने उद्देश्य रख रहा है बल्कि देश के समग्र आवास निर्माण क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव लाने की क्षमता भी रखता है।

आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत वहन योग्य किराये पर घरों की परियोजना (एआरएचसी)  कम किराये के आवासीय समाधानों का एक स्थायी इकोसिस्टम बनाकर और शहरी प्रवासियों/गरीबों के लिए कम किराये के आवास की आवश्यकता को शामिल करते हुए "सभी के लिए आवास" के समग्र उद्देश्य को प्राप्त करने के 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' की सोच को उल्लेखनीय रूप से साकार करती है। एआरएचसी उन्हें उनके कार्यस्थल के पास आवश्यक नागरिक सुविधाओं के साथ सम्मानजनक जीवन प्रदान करेगी।

स्मार्ट सिटीज मिशन (एससीएम) के तहत, सिटी इनोवेशन एक्सचेंज (सीआईएक्स) प्लेटफॉर्म को शहरों में इनोवेटिव कार्य प्रणालियों के लिए शुरू किया गया था। प्लेटफॉर्म भारत के बढ़ते इनोवेशन इकोसिस्टम के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि था और शहरों में इनोवेटिव कार्य प्रणालियों को बढ़ावा देने पर केंद्रित था। सीआईएक्स, एक 'ओपन इनोवेशन' प्रक्रिया के माध्यम से, इनोवेटर्स के द्वारा शहरी चुनौतियों के समाधानों के विकास-जांच-आपूर्ति में साथ देता है। यह पहल शहरों को अधिक आत्मनिर्भर और अपने नागरिकों की जरूरतों को पूरा करने और सेवायें प्रदान करने में सक्षम बनाकर, नये और आत्मनिर्भर भारत के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को साकार करने के लिये सरकार के द्वारा चलाये जा रहे प्रयासों में से एक है। एससीएम लक्ष्यों को आसान बनाने की दिशा में एक और कदम, स्मार्टकोड एक ऐसा मंच है जिसे एमओएचयूए द्वारा लॉन्च किया गया था और जो इकोसिस्टम के सभी हितधारकों को शहरी प्रशासन के लिये विभिन्न समाधानों और अनुप्रयोगों को ओपन-सोर्स कोड के लिये संग्राहक में योगदान करने में सक्षम बनाता है। यह शहरी चुनौतियों का समाधान करने के लिये डिजिटल अनुप्रयोगों के विकास और इस्तेमाल के लिये शहरी स्थानीय निकायों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसमें शहरों को यह सुविधा मिलती है कि वो किसी नये समाधान को पूरी तरह शुरुआत से विकसित करने की जगह पहले से मौजूद कोड को अपनी जरूरत के आधार पर विकसित कर सकें। इंडिया अर्बन डेटा एक्सचेंज को स्मार्ट सिटीज मिशन और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएससी), बेंगलुरु के बीच साझेदारी में विकसित किया गया है। एससीएम के तहत परियोजनाओं की उचित समीक्षा और कार्यान्वयन में परियोजना निगरानी के लिए एक नयी स्मार्ट सिटी वेबसाइट और भू-स्थानिक प्रबंधन सूचना प्रणाली जीएमआईएस भी विकसित की गयी।

आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने सभी नागरिकों की जरूरतों को बेहतर ढंग से पूरा करने के लिए सार्वजनिक परिवहन में सुधार करने वाले समाधान विकसित करने के लिये शहरों, नागरिक समूहों और स्टार्ट-अप को एक साथ लाने के उद्देश्य से ट्रांसपोर्ट फॉर ऑल लॉन्च किया। इसने ईटस्मार्ट सिटीज चैलेंज भी शुरू किया जिसका उद्देश्य स्मार्ट शहरों को एक ऐसी योजना विकसित करने के लिए प्रेरित करना था जो संस्थाओं, वास्तविक, सामाजिक और आर्थिक इंफ्रास्ट्रक्चर द्वारा समर्थित हो और भोजन से जुड़े मुद्दों को हल करने के साथ स्वस्थ, सुरक्षित और लंबे समय तक कायम रह सकने वाले फूड इकोसिस्टम को विकसित करने में मदद करे।

राष्ट्रीय शहरी डिजिटल मिशन एक नागरिक केंद्रित शासन बनाने की दिशा में शहरी और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र से अत्यधिक तालमेल का उपयोग करने के लिये आदर्श स्थान बनायेगा जो प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के 'मिनिमम गर्वनमेंट एंड मैक्सिमम गवर्नेंस' के दृष्टिकोण को दर्शाता है। नेशनल अर्बन डिजिटल मिशन (एनयूडीएम) शहरी भारत के लिए एक साझा डिजिटल बुनियादी ढांचा तैयार करेगा, जो शहरों और कस्बों को समग्र समर्थन प्रदान करने के लिये लोगों, प्रक्रिया और प्लेटफॉर्म के तीन स्तंभों पर काम करेगा। यह 2022 तक 2022 शहरों में और 2024 तक भारत के सभी शहरों और कस्बों में शहरी शासन और सेवा वितरण के लिए एक नागरिक-केंद्रित और इकोसिस्टम-संचालित दृष्टिकोण को संस्थागत रूप देगा।

स्ट्रीट वेंडर्स को आत्मनिर्भर बनाने के लिये, प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर की आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि) योजना के तहत, एमओएचयूए ने भारत में भोजन का ऑर्डर और डिलीवरी के लिये सबसे बड़े ऑनलाइन प्लेटफार्म जोमैटो के साथ एक समझौता किया है, जिससे उसके फूड-टेक प्लेटफॉर्म पर स्ट्रीट फूड वेंडर्स शामिल हो सकें। इसने स्ट्रीट फूड वेंडर्स की हजारों उपभोक्ताओं तक ऑनलाइन पहुंच प्रदान की है और इन विक्रेताओं को अपना व्यवसाय बढ़ाने में मदद की है। इसके अलावा, एमओएचयूए ने पीएम स्वनिधि लाभार्थियों और उनके परिवारों की सामाजिक-आर्थिक रुपरेखा बनाने के लिये पीएम स्वनिधि से समृद्धि के लिए मोबाइल एप्लिकेशन लॉन्च किया- जिससे उन्हें केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं से जोड़ा जा सके।

आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत, डीएवाई-एनयूएलएम योजना ने शहरी गरीब महिलाओं को पर्याप्त कौशल और अवसर प्रदान करने और उन्हें लंबे समय तक कायम रह सकने वाले सूक्ष्म उद्यमों स्थापित करने में सक्षम बनाने पर ध्यान केंद्रित किया है। यह इन महिलाओं के समर्थन में प्रणाली तैयार करने के लिये शहरी गरीब परिवारों की महिलाओं को एसएचजी और उनके संघों से जोड़ता है। लगभग 60 लाख सदस्यों के साथ विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 5.7 लाख से अधिक एसएचजी का गठन किया गया है। इनमें से कई स्वयं सहायता समूह आजीविका से जुड़ी गतिविधियों में लगे हुए हैं, और हस्तशिल्प, वस्त्र, खिलौने, खाने योग्य वस्तुओं आदि का उत्पादन करते हैं। ये मुख्य रूप से स्थानीय बाजारों में बेचे जा रहे थे और अक्सर लोगो की नजर में आने और व्यापक बाजारों तक पहुंचने में इन्हें बाधाओं का सामना करना पड़ता था।

शहरी ट्रांसपोर्ट मिशन के तहत मेट्रो कोच जो पहले स्पेन, दक्षिण कोरिया और चीन से आयात किये जाते थे, अब देश के भीतर ही निर्मित किेये जा रहे हैं। उनकी गुणवत्ता अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है और वे ऑस्ट्रेलिया और कनाडा को भी निर्यात किये जा रहे हैं।

सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत, नया संसद भवन आजादी@75 की सोच का एक मूलभूत हिस्सा है और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की दिशा में हमारी प्रतिबद्धता और प्रयासों का प्रतीक है। नयी संसद भारतीय सामग्री का उपयोग करके भारतीयों द्वारा डिजाइन और निर्माण की जा रही है। यह पहली भारतीय संसद होगी जो लोगों की, लोगों के द्वारा और लोगों के लिये बनायी गयी है।

नये शहरी भारत के लिए माननीय प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को साकार करने के लिये, आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने देश भर में शहरी परिदृश्य को बदलने पर आधारित एक प्रदर्शनी के साथ आजादी@75 सम्मेलन-सह-एक्सपो का आयोजन लखनऊ, उत्तर प्रदेश में किया।

 

उपलब्धियां और पहल

प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (पीएमएवाई-यू)

प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (पीएमएवाई-यू) 25 जून, 2015 को ईडब्ल्यूएस/एलआईजी और एमआईजी श्रेणी के बीच शहरी आवास की कमी को दूर करने के लिए शुरू किया गया था, जिसमें वर्ष 2022 तक झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों के साथ योग्य शहरी परिवारों को पक्का घर सुनिश्चित किया गया है।

  • 1.12 करोड़ आवासों की कुल निर्धारित मांग के मुकाबले 1.14 करोड़ आवास स्वीकृत किये गये हैं। इनमें से कुल 91.5 लाख घर पर निर्माण किया जा रहा है और 53 लाख घर 12 दिसंबर, 2021 तक पूरे / वितरित किये गये थे।
  • कुल 17.35 लाख लाभार्थियों ने क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी योजना (सीएलएसएस) के माध्यम से आवास ऋण पर सब्सिडी का लाभ उठाया है, जिसमें से 6.15 लाख लाभार्थी मध्यम आय वर्ग से हैं।
  • 790.57 करोड़ रुपये की परियोजना लागत के साथ लाइट हाउस परियोजनाओं में कुल 6,368 घरों का निर्माण किया जा रहा है।

अटल नवीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत)

  • 77,640 करोड़ रुपये के कुल एसएएपी आकार के मुकाबले 80,713 करोड़ रुपये की 5818 परियोजनाएं जमीन पर हैं। अब तक कुल 50,118 करोड़ रुपये का खर्च के साथ इन परियोजना में से 57,414 करोड़ रुपये के कार्य (इसमें पूरी हो चुकी 22,756 करोड़ रुपये की परियोजनाएं शामिल हैं) भौतिक रूप में पूरे किये जा चुके हैं ।

  • अमृत ​​परियोजनाओं की क्षेत्रवार प्रगति निम्नानुसार है:

क्षेत्र

परियोजनाएं पूरी हुईं

जारी परियोजनाएं

कुल परियोजनाएं

संख्या

राशि

संख्या

राशि

संख्या

राशि

जलापूर्ति

740

11,530

586

30,320

1,326

41,850

सीवरेज और सेप्टेज

370

8,259

483

25,074

853

33,332

बरसाती पानी की निकासी

612

1,114

187

1,829

799

2,943

गैर-मोटर चालित शहरी परिवहन

218

397

131

626

349

1,023

पार्क और हरे भरे स्थान

1,943

1,130

548

435

2,491

1,565

कुल

3,883

22,430

1,935

58,284

5,818

80,713

 

  • अमृत ​​2.0 को माननीय प्रधानमंत्री द्वारा 1 अक्टूबर 2021 को शहरों को 'जल सुरक्षित' बनाने और सभी घरों में नल कनेक्शन से पानी पहुंचाने के उद्देश्य से लॉन्च किया गया था। अमृत 2.0 के लिए कुल निर्देशात्मक परिव्यय 2,77,000 करोड़ रुपये है, जिसमें 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिए 76,760 करोड़ रुपये का केंद्रीय हिस्सा शामिल है। जल आपूर्ति क्षेत्र में, 41,850 करोड़ रुपये की 1,326 परियोजनाओं के लिए अनुबंध प्रदान किये गये हैं। जिसमें 11,530 करोड़ रुपये की 740 परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं। इसके अलावा, 358 करोड़ रुपये की 18 परियोजनाएं निविदा के विभिन्न चरणों में हैं। सभी को नल से जल पहुंचाने के लिये 1.39 करोड़ नल कनेक्शन प्रदान करने का लक्ष्य है। अमृत ​​के माध्यम से अन्य योजनाओं के साथ अब तक 1.18 करोड़ नल कनेक्शन प्रदान किये गये हैं।

स्वच्छ भारत मिशन- शहरी (एसबीएम-यू)

स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) 2 अक्टूबर 2014 को भारत को खुले में शौच से मुक्त बनाने की दृष्टि से शुरू किया गया था। मिशन के तहत, 31 शहरों ने खुद को ओडीएफ के रूप में घोषित किया है और 58 को 1 जनवरी 2021 से ओडीएफ के रूप में प्रमाणित किया गया है। 1 जनवरी 2021 से ओडीएफ प्लस प्रमाणित शहरों की संख्या में 1,828 और ओडीएफ प्लस प्लस प्रमाणित शहरों की संख्या में 472 की बढ़त दर्ज हुई है। अब तक निर्मित व्यक्तिगत घरेलू शौचालयों की संख्या में 20,892 और सामुदायिक/सार्वजनिक शौचालयों की संख्या में 17,866 की वृद्धि हुई है। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के तहत, अब तक 86,403 वार्ड में घर-घर जाकर 100 प्रतिशत कलेक्शन  हो रहा गया है और 100 प्रतिशत स्रोत पृथक्करण बढ़कर 77,415 वार्ड तक हो गया है, जिसके परिणामस्वरूप कुल अपशिष्ट प्रसंस्करण 1 जनवरी 2021 तक के 68 प्रतिशत की तुलना में 70 प्रतिशत तक बढ़ गया है।

स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 : माननीय प्रधानमंत्री ने 'सार्वभौमिक दृष्टिकोण' अपनाने और सभी शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) में स्वच्छता और पानी की उपलब्धता को लेकर  'परिपूर्णता' की दिशा में एक कदम बढ़ाने के लिये 1 अक्टूबर, 2021 को लगभग 4.4 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 के दूसरे चरण का शुभारंभ किया।

दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (डीएवाई-एनयूएलएम)

डीएवाई-एनयूएलएम एक प्रमुख योजना है जिसका उद्देश्य मजबूत सामुदायिक संस्थानों के निर्माण, कौशल प्रशिक्षण, स्वरोजगार के लिए किफायती ऋण तक पहुंच, रेहड़ी-पटरी वालों के लिए सहायता और शहरी बेघरों के लिये आश्रयों के माध्यम से शहरी गरीबी को कम करना है। शुरुआत के बाद से, योजना 28 राज्यों, 7 केंद्र शासित प्रदेशों और 3,806 शहरों में फैल गई है। इस योजना के तहत, शहरी बेघरों के लिये 1.30 लाख आश्रय स्थल बनाये गये और 66.70 लाख महिला सदस्यों को 6.4 लाख स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) में शामिल किया गया।

25 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में अमेज़ॅन और फ्लिपकार्ट जैसे ई-कॉमर्स दिग्गजों के साथ ई-कॉमर्स पोर्टल पर 5,000 एसएचजी सदस्यों द्वारा बनाये गये 2,000 से अधिक उत्पादों की बिक्री के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) लागू किये गये थे। स्थानीय संस्कृति से जुड़े उत्पादों जैसे हस्तशिल्प, भोजन, परिधान, सजावटी उत्पाद को लोगों की नजरों में लाने और बड़े बाजारों तक पहुंच दिलाने के लक्ष्य के साथ 'सोन चिरैया' ब्रांड को लॉन्च किया गया था। मिशन ने शहरों के स्ट्रीट वेंडर को उनके अधिकारों की रक्षा के लिये 26.50 लाख वेंडिंग सर्टिफिकेट (सीओवी) प्रदान किये हैं। मिशन ने पीएआईएसए पोर्टल के माध्यम से कौशल प्रशिक्षण प्रदाताओं को प्रशिक्षण शुल्क के भुगतान की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया है, जो मिशन के तहत लाभार्थियों को भुगतान करने के लिए केंद्रीकृत इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म है।

आज़ादी का अमृत महोत्सव: एमओएचयूए के चल रहे "आज़ादी का अमृत महोत्सव" के एक भाग के रूप में, पीएआईएसए पोर्टल के माध्यम से एरिया लेवल फेडरेशन (एएलएफ) यानी स्वयं सहायता समूहों के फेडरेशन को रिवॉल्विंग फंड (आरएफ) का समर्थन 30.09.2021 को शुरू किया गया था।

पीएम स्ट्रीट वेंडर की आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि)

स्ट्रीट वेंडर्स को स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बनाने के लिए पीएम स्वनिधि की शुरुआत की गयी थी। "स्वादिष्ट व्यंजन की आधुनिक दुकान (स्वाद)" के तहत, एमओएचयूए ने स्ट्रीट फूड वेंडर्स (एसएफवी) को एक डिजिटल प्लेटफॉर्म प्रदान करने के लिए स्वीगी और जोमैटो के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं। वर्तमान में 8,486 से अधिक एसएफवी प्लेटफॉर्म में शामिल किये गये हैं और उन्होंने 4.9 करोड़ रुपये से अधिक की बिक्री की है।

लाभार्थियों को यूपीआई आईडी, क्यूआर कोड जारी करने और डिजिटल प्रशिक्षण देने के लिये भारतपे, एमस्वाइप, फोनपे, पेटीएम, एसवेयर जैसे डिजिटल भुगतान एग्रीगेटर्स (डीपीए) के साथ गठजोड़ किया गया। लगभग 24.5 लाख स्ट्रीट वेंडर (एसवी) को डिजिटल रूप से जोड़ा गया है, जिनमें से 9.8 लाख वेंडर डिजिटल रूप से सक्रिय हैं जिन्होंने अब तक 10.9 करोड़ डिजिटल लेनदेन किये हैं।

पहली किश्त के तहत 42 लाख से अधिक योग्य ऋण आवेदन और दूसरी किश्त के तहत 773,986 योग्य ऋण आवेदन जमा किये गये थे। इनमें से पहली किश्त के तहत 30 लाख से अधिक ऋण और दूसरी किश्त के तहत 46,931 ऋण स्वीकृत किए गए और पहली किश्त के तहत 27 लाख से अधिक ऋण और दूसरी किश्त के तहत 33,471 ऋण वितरित किये गये। पहली किश्त के तहत वितरित ऋण की कुल राशि 2656.97 करोड़ रुपये है और दूसरी किश्त के तहत 66.62 करोड़ रुपये है।

शहरी परिवहन

जून, 2021 में 14,788 करोड़ रुपये की पूर्ण लागत पर 58.19 किलोमीटर लंबी एक मेट्रो परियोजना अर्थात बैंगलोर मेट्रो रेल परियोजना चरण 2ए और 2बी को मंजूरी दी गयी है। दिल्ली, बैंगलोर, चेन्नई कोलकाता और नागपुर शहरों में 31 किलोमीटर मेट्रो रेल लाइनें चालू की गयी हैं। मेक-इन-इंडिया पहल के तहत, मंत्रालय ने जनवरी, 2021 में उन वस्तुओं की एक सूची जारी की है, जिसकी सार्वजनिक खरीद केवल स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं से की जायेगी। दिल्ली मेट्रो के नेटवर्क पर 94 किमी पर चालक रहित ट्रेन संचालन के साथ, भारत दुनिया की मेट्रो प्रणालियों के विशिष्ट वर्ग में चौथे स्थान पर है जो चालक रहित ट्रेनों का संचालन करती है।

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