इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्रालय

वर्षांत समीक्षा 2021: इलेक्ट्रोनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई)


डिजिटल पहचान -31 अक्टूबर, 2021 तक 126 करोड़ से अधिक व्यक्तियों को आधार उपलब्ध कराये गए

पीएमजीदिशा स्कीम के तहत लगभग 5.36 करोड़ प्रत्याशियों को नामांकित किया गया है तथा 4.54 करोड़ को प्रशिक्षित किया गया है

देश भर में 60 संस्थानों पर अत्याधुनिक वीएलएसआई प्रयोगशालाएं स्थापित की जा चुकी हैं

चिप्स से सिस्टम डिजाइन के लिए स्पेशल मैनपावर डेवलपमेंट प्रोग्राम (एमएमडीपी-सी2एसडी) के तहत लगभग 52,000 विशिष्ट श्रमबल प्रशिक्षित

डिजिटल ट्रांजेक्शनों की संख्या 50.42 प्रतिशत की सीएजीआर दर से बढ़ कर वित्त वर्ष 2016-17 के 1085 करोड़ की तुलना में 2020-21 में 5,554 करोड़ तक पहुंच गई है

मंत्रालय की बीपीओ संवर्धन स्कीम के तहत 45,500 व्यक्तियों को प्रत्यक्ष रोजगार प्राप्त हुआ

वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान, सीडैक ने राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन के चरण -2 के तहत आईआईटी हैदराबाद में एक तथा सी-डीएसी बंगलुरु में एक 650 टीएफ (800 टीएफ पीक) की कुल दो प्रणालियों को कमीशन किया

सुपरकंप्यूटिंग मिशन के तहत मार्च 2022 तक आईआईएससी बंगलुरु में 3पीएफ पीक, आईआईटी रुड़की में 1.66 पीएफ पीक तथा आईआईटी गुवाहाटी, नाबी मोहाली, आईआईटी गांधीनगर, एनआईटी त्रिची तथा आईआईटी मंडी में 833 टीएफ पीक सहित सिस्टम स्थापित किए जाएंगे

Posted On: 31 DEC 2021 3:22PM by PIB Delhi

भारत सरकार के इलेक्ट्रोनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने वर्ष 2021 के दौरान कई अग्रणी/महत्वपूर्ण पहल की है। निम्नलिखित विवरण 2021 के दौरान मंत्रालय की विभिन्न पहलों की एक झलक उपलब्ध कराते हैं:

i.   सभी के लिए डिजिटल एक्सेस (पहुंच)

i.   डिजिटल अवसंरचना

i.   डिजिटल पहचान: आधार

  • आधार विश्व का सबसे बड़ा डिजिटल पहचान कार्यक्रम है जो बायोमैट्रिक तथा जनसांख्यिकी आधारित अनूठी डिजिटल पहचान प्रदान करता है जिसे कहीं भी, किसी भी समय प्रमाणित किया जा सकता है और डुप्लीकेट तथा नकली पहचानों को समाप्त किया जा सकता है। यह विभिन्न सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों की प्रदायगी के लिए एक पहचान का बुनियादी ढांचा उपलब्ध करता है।
  • 31 अक्टूबर, 2021 तक, 126.09 करोड़ (लाइव) आधार जारी किए जा चुके हैं।
  • लोगों को आधार नामांकन तथा सेवाओं को अपडेट करने में सुविधा प्रदान करने के लिए, यूआईडीएआई ने संशोधित लक्ष्य के अनुरूप, देश भर में 122 नगरों में 166 आधार सेवा केंद्र (एएसके) को स्थापित तथा प्रचालित करने के लिए दो सेवा प्रदाताओं को नियुक्त किया है। 31 अक्टूबर, 2021 तक, 57 एएसके को प्रचालनगत बना दिया है।

2. सेवाओं की डिजिटल डिलीवरी

i. सामान्य सेवा केंद्र (सीएससी): सीएससी दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल सेवा डिलीवरी नेटवर्क है जिसकी ग्राम पंचायत तथा प्रखंड स्तर तक ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक पहुंच है। ब्रौडबैंड कनेक्टिविटी के साथ ये सूचना तथा संचार प्रौद्योगिकी सक्षम कियोस्क नागरिकों को विभिन्न सरकारी, निजी तथा सामाजिक सेवाएं उपलब्ध करा रहे हैं। 1 जनवरी 2020 से 31 अक्टूबर, 2020 तक 6,467 अतिरिक्त कार्यात्मक सीएससी ( शहरी एवं ग्रामीण सहित) जोड़े गए जबकि ग्राम पंचायत स्तर पर 10,339 कार्यात्मक सीएससी जोड़े गए।

ii. वीडियो कांफ्रेंसिंग (वीसी): एनआईसी की वीसी सेवाओं का प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों, राज्यपालों, राज्यों के मुख्यमंत्रियों, कैबिनेट सचिव एवं मुख्य सचिवों, मुख्य सूचना आयुक्त तथा देश भर में विभिन्न अन्य वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है। एनआईसी केंद्र सरकार तथा राज्य सरकारों के विभन्न विभागों के उपयोगकर्ताओं को वेब आधारित डेस्कटाप वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधाएं भी प्रदान कर रहा है।

iii. वर्चुअल न्यायालय

  • इसका उद्देश्य न्यायालय में उल्लंघनकर्ता या अधिवक्ता की शारीरिक उपस्थिति को समाप्त करने के जरिये न्यायालयों में आने वाले लोगों की संख्या में कमी लाना है। वर्चुअल न्यायालय का प्रबंधन वर्चुअल न्यायाधीश द्वारा किया जा सकता है जिनके अधिकार क्षेत्र को समस्त राज्य तक बढ़ाया जा सकता है तथा काम के घंटों को सप्ताह के सातों दिन 24 घंटे तक विस्तारित किया जा सकता है।  न तो वादी को न्यायालय जाने की आवश्यकता है और न ही न्यायाधीश को शारीरिक रूप से न्यायालय में रह कर निर्णय सुनाने की आवश्यकता है जिससे न्यायालयों के बहुमूल्य समय की बचत हो सकती है।
  • राज्य भर में यातायात चालानों के न्यायनिर्णयन के लिए आवश्यक न्यायाधीशों की संख्या को घटा कर वर्चुअल तरीके से एक न्यायाधीश तक लाया जा सकता है। न्यायालय में प्रस्तुत किए जाने वाले ई-चालान स्वचालित रूप से निर्णय के लिए वर्चुअल न्यायालय में दायर किए जाते हैं। वर्चुअल न्यायाधीश कहीं से भी वर्चुअल न्यायालय आवेदन को एक्सेस कर सकते हैं, मामलों को देख सकते हैं तथा मामलों का आॅनलाइन निर्णय कर सकते हैं।

iv.  आरोग्य सेतु: यह सरकार के कोविड-19 के विरुद्ध प्रयासों में सहायता करने के लिए भारत सरकार द्वारा 2 अप्रैल, 2020 को लांच किया गया एक मोबाइल ऐप्लीकेशन है। यह ऐप कांट्रैक्ट ट्रेसिंग पद्धति के आधार पर कार्य करता है तथा देश भर में कोविड-19 के प्रसार की पहचान करने, निगरानी करने तथा उसे कम करने में सरकार की सहायता करता है।

v.   आरटी-पीसीआर एवं रति मोबाइल ऐप: एनआईसी ने निगरानी के लिए लोकेशन पर रोगियों की गुणवत्ता और सटीक डाटा सुनिश्चित करने के लिए, अधिकृत प्रयोगशालाओं द्वारा उपयोग के लिए आईसीएमआर को सैंपल विवरण तत्काल हस्तांतरित करने के लिए आरटी-पीसीआर तथा एंड्रायड एवं आईओएस प्लेटफार्म पर रति मोबाइल ऐप तथा एक पोर्टल डेवेलप किया है।

vi.  जीएसटी प्राइम: जीएसटी प्राइम कर प्रशासकों को उनके अधिकार क्षेत्र में कर संग्रह तथा अनुपालन का विश्लेषण एवं निगरानी करने में सहायता करने का एक उत्पाद है। जीएसटी प्राइम जीएसटी अनुपालन में सुधार लाता है, कर संग्रह बढ़ाता है, कर आधार में वृद्धि करता है, कर चोरी तथा घपलेबाजी का पता लगाता है और नीतिगत बदलाव के प्रभाव का पूर्वानुमान लगाता है।

vii. ई-ताल ( इलेक्ट्रानिक ट्रांजेक्शन एग्रेगेशन एंड एनालिसिस लेअर): विभिन्न ई-गवर्नेंस सेवाओं में इलेक्ट्रानिक ट्रांजेक्शन ( ई- ट्रांजेक्शन) में अत्यधिक बढोतरी हुई है। जनवरी, 2020 से 8 दिसंबर, 2020 तक लगभग 6456 करोड़ इलेक्ट्रानिक ट्रांजेक्शन रिकार्ड किए गए है तथा 122 अतिरिक्त ई-सेवाओं को ई-ताल प्लेटफार्म के साथ समेकित किया गया है।

viii. ई-डिस्ट्रिक्ट मिशन मोड प्रोजेक्ट (एमएमपी): ई-डिस्ट्रिक्ट एक मिशन मोड प्रोजेक्ट (एमएमपी) है जिसका लक्ष्य जिला या उप-जिला स्तर पर चिन्हित उच्च मात्रा नागरिक केंद्रित सेवाओं की इलेक्ट्रानिक डिलीवरी है। 1 जनवरी 2020 से 30 नवंबर 2020 तक, 931 से अधिक ई-सेवाएं नागरिकों के लिए रिकार्ड की गई हैं और 33 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 15 जिलों में रोल आउट बढ़ाया गया है।

ix.  वेहिकल लोकेशन ट्रैकिंग सिस्टम (वीएलटीएस): इसे जीपीएस आधारित ट्रैकिंग डिवाइसेज जो वाहनों में फिट हो जाती है, की सहायता से सार्वजनिक वाहनों को ट्रैक करने तथा निगरानी करने के लिए डिजाइन की गई है। इस प्रणाली में पैनिक अलर्ट भेजने का भी प्रावधान है जो कमांड कंट्रोल सेंटर (सीसीसी) का उपयोग करने के जरिये प्रभावी निगरानी की सहायता से मुसीबत में फंसे यात्रियों की मदद के लिए आपातकालीन रिस्पांस प्रक्रिया को ट्रिगर करता है।

x.   ई-चालान: एक मोबाइल आधारित ऐप तथा सहायक वेब ऐप्लीकेशन, जो सीसीटीवी/एएनपीआर (टोमैटिक नंबर प्लेट रीडिंग) कैमरों, आरएलवीडी /ओएसवीडी (रेड लाइट/ ओवर स्पीड उल्लंघन) डिवाइस, लैटर गन आदि  के साथ समेकित है, का उपयोग करते हुए चालान/नोटिस जारी करने के लिए एक व्यापक ट्रैफिक प्रबंधन समाधान है।

xi.  इलेक्ट्रानिक मानव संसाधन प्रबंधन प्रणाली (ईएचआरएमएस): ईएचआरएमएस ऐप्लीकेशन नियुक्ति से लेकर सेवा निवृत्ति तक इलेक्ट्रोनिक रूप से कर्मचारी के रिकार्ड के रखरखाव के लिए जिम्मेदार है। इस परियोजना में विरासत डाटा प्राप्त करने के लिए सर्विस बुक की स्कैनिंग/डिजिटलीकरण और विभिन्न माड्यूल, जैसेकि सर्विस बुक, छुट्टियों, एलटीसी, व्यक्तिगत सूचना, प्रतिपूर्ति, अग्रिम, टूर, हेल्पडेस्क आदि के माध्यम से 28 नलाइन सेवाओं का प्रावधान शामिल है।

xii. सर्विस प्लस: यह एक मेटा डाटा आधारित ई-सर्विस डिलीवरी संरचना है जो समान सेवा प्रदायगी आउटलेटों के जरिये आम आदमी को उसके क्षेत्र में ही सभी सरकारी सेवाओं की सुविधा उपलब्ध कराने में सहायता करता है। यह संरचना केंद्रीय, राज्य तथा स्थानीय सरकार की 2,299 से अधिक सेवओं को सुगम बनाते हुए 33 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में सफलतापूर्वक चल रही है।

xiii. रैपिड ऐसेसमेंट सिस्टम (आरएएस): भारत सरकार तथा राज्य सरकारों द्वारा दी जा रही ई-सेवाओं पर एक सतत फीडबैक प्रणाली। आरएएस 9 भाषाओं अर्थात हिन्दी, गुजराती, बंग्ला, कन्नड, मलयालम, मराठी, पंजाबी, तमिलऔर तेलुगू में स्थानीकृत फीडबैक फॉर्म प्रस्तुत करता है। 1 जनवरी, 2020 से 30 नवंबर, 2020 तक आरएएस पूरे भारत में 21 विभागों की 97 ई-सेवाओं के साथ एकीकृत है और 3.31 करोड़ फीडबैक फॉर्म भेजे जा चुके हैं।

xiv. ओपेन गवर्नमेंट डाटा (ओजीडी 2.0) : ओजीडी प्लेटफॉर्म इंडिया (https://data.gov.in) का गठन भारत की ओपेन डाटा पालिसी ( एनडीएसएपी) के अनुपालन में नेशनल इनफार्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) द्वारा किया गया है। इस नीति का उद्वेश्य सरकार की विभिन्न संबंधित नीतियों, नियमों एवं अधिनियमों की संरचना के भीतर, सावधिक रूप से अद्यतन तरीके से, देश भर में नेटवर्क के एक व्यापक क्षेत्र के जरिये,ओपेन/मशीन रीडेबल फॉर्मेट में, इसकी उपयोग सूचना के साथ साथ सरकार के स्वामित्व वाली साझा करने योग्य डाटा तक सक्रिय पहुंच उपलब्ध कराना है। 1 जनवरी, 2020 से 30 नवंबर, 2020 तक ओजीडी इंडियाके पास 87,974 डाटासेट संसाधन, 9 मंत्रालयों/विभागों के योगदान से 1,118 कैटलाग है।  242 से अधिक विजुअलाइजेशन सृजित किए गए हैं, 39,112 एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (एपीआई का सृजन किया गया है। ओजीडी इंडिया को 30.40 लाख बार देखा गया है तथा 5.50 लाख डाटासेट को डाऊनलोड किया गया है।

xv. वैश्विक सूचकांक: ई-गवर्नमेंट डेवेलपमेंट सूचकांक (इजीडीआई) संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य देशों के ई-गवर्नमेंट डेवेलपमेंट सूचकांक की स्थिति प्रस्तुत करता है। किसी भी देश में वेबसाइट विकास पैटर्न के आकलन के साथ ई-गवर्नमेंट डेवेलपमेंट सूचकांक में अवसंरचना तथा शैक्षणिक स्तरों जैसी एक्सेस की विशेषताओं को सम्मिलित किया जाता है जिससे कि यह दर्शाया जा सके कि देश किस प्रकार एक्सेस तथा अपने लोगों के समावेशन को बढ़ावा देने के लिए सूचना प्रौद्योगिकीयों का उपयोग कर रहा है। इलेक्ट्रोनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) इजीडीआइ का नोडल मंत्रालय है।

इजीडीआइ ई-गवर्नमेंट के तीन महत्वपूर्ण आयामों जिनके नाम हैं: नलाइन सेवा सूचकांक, दूरसंचार अवसंरचना सूचकांक तथा मानव पूंजी सूचकांक, का एक समग्र माप है।

  • नलाइन सेवा सूचकांक (ओएसआई) सरकार की क्षमता और सेवा प्रदान करने तथा अपने नागरिकों के साथ इलेक्ट्रोनिक रूप से संवाद करने की इच्छा की माप करता है। उदाहरण: लेनदेन संबंधी सेवाएं: राष्ट्रीय वेबसाइटों के जरिये आय कर- एमईआईटीवाई
  • दूरसंचार अवसंरचना सूचकांक (टीआईआई) विद्यमान अवसंरचना की माप करता है जिसकी आवश्यकता नागरिकों को ई-गवर्नमेंट-दूरसंचार विभाग (डीओटी) में भाग लेने के लिए पड़ती है।
  • मानव पूंजी सूचकांक (एचसीआई) का उपयोग नागरिकों की ई-गवर्नमेंट सेवाओं का उपयोग करने की क्षमता की माप के लिए किया जाता है -उच्च शिक्षा विभाग तथा स्कूली शिक्षा और साक्षरता (डीओएसईएल)

जनवरी, 2021 से अक्टूबर, 2021 तक आरंभ किए गए कार्य

  • एक ई-गवर्नमेंट सूचकांक निगरानी कमिटी (ईजीआईएमसी) गठित की गई तथा एमईआईटीवाई के अपर सचिव की अध्यक्षता में ई-गवर्नमेंट विकास सूचकांक (ईजीडीआई) के उप-सूचकांकों की स्थिति समीक्षा करने के लिए सावधिक बैठकें आयोजित की जाती हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र संघ के आर्थिक एवं सामाजिक कार्य विभाग (यूएनडीईएसए) द्वारा साझा सदस्य देश प्रश्नावली (एमएसक्यू) को विधिवत भरा गया तथा निर्धारित समय सीमा के भीतर साझा किया गया।
  • कर्यान्वित किए जाने वाले मानकों की पहचान करने के लिए 51 पोर्टलों का आकलन किया गया तथा संबंधित विभागों/मंत्रालयों द्वारा ओएसआई कार्य योजना का कार्यान्वयन सुनिश्चित किया गया।
  • ओएसआई, टीआईआई, एचसीआई तथा अन्य सूचकांकों के लिए जीआईआरजी डैश बोर्ड पर डाटा बढ़ाना जहां एमईआईटीवाई लाइन मंत्रालय है।
  • कार्य मदों के अनुपालन के लिए 51 पोर्टलों के नोडल अधिकारियों के साथ अनुवर्ती कार्रवाई करना जैसाकि ओएसआई कार्य योजना में उल्लेखित है।
  • डीओटी द्वारा साझा किए गए ईजीडीआई टीआईआई डाटा का विश्लेषण किया गया तथा परिष्कृत डाटा साझा करने के लिए डीओटी के साथ निरंतर अनुवर्ती कार्रवाई की गई।
  • नीति आयोग के अधिदेश के अनुसार राज्य स्तरीय निगरानी के लिए एक राष्ट्रीय नलाइन सेवा सूचकांक (एनओएसआई) ढांचा तैयार किया गया है।
  • राष्ट्रीय ई-गवर्नमेंट सेवा वितरण आकलन (एनईएसडीए) तथा राष्ट्रीय नलाइन सेवा सूचकांक (एनओएसआई) ढांचा का तुलनात्मक विश्लेषण तथा ओएसआई की राज्य स्तरीय निगरानी एवं कार्यान्वयन के लिए एक एकल फ्रेमवर्क का सृजन करने के लिए सहयोगात्मक प्रयास किए जा रहे हैं।
  • इसके अतिरिक्त, ऐसे सात वैश्विक सूचकांक हैं जिनमें एमईआईटीवाई लाइन मंत्रालय के रूप में कार्य करता है और संबंधित नोडल मंत्रालयों के साथ निम्नलिखित सूचकांकों पर संगत डाटा साझा कर रहा है और जीआईआरजी वेबसाइट पर और अधिक अपडेट कर रहा है:
  • नेटवर्क तैयारी सूचकांक
  • सुरक्षित शहर सूचकांक
  • सेवा व्यापार प्रतिबंध सूचकांक
  • वैश्विक नवोन्मेषण सूचकांक
  • भ्रष्टाचार अनुभूति सूचकांक

ii.  डिजिटल समावेश के जरिये डिजिटल अधिकारिता

1.   डिजिटल कौशल निर्माण

i. प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (पीएमजीदिशा): पीएमजीदिशा का लक्ष्य 31.03.2022 तक 6 करोड़ ग्रामीण घरों ( प्रति घर एक व्यक्ति) को कवर करते हुए ग्रामीण भारत में डिजिटल साक्षरता उपलब्ध कराना है। आज की तिथि तक, लगभग 5.36 करोड़ प्रत्याशियों का नामांकन किया जा चुका है तथा 4.54 करोड़ को प्रशिक्षित किया जा चुका है जिसमें से 3.37 करोड़ प्रत्याशियों को पीएमजीदिशा के तहत प्रमाणित किया गया है।

 ii.  डिजिटल इंडिया के लिए ईएसडीएम में कौशल विकास:  आज की तारीख तक, इस स्कीम के तहत कुल 4.14 लाख प्रत्याशियों का नामांकन किया गया है जिसमें से 4.06 लाख प्रत्याशियों को विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में प्रशिक्षित किया गया है जिसमें से 2.77 लाख प्रत्याशियों को प्रमाणित किया जा चुका है।

iii. शुल्क-प्रतिपूर्ति कार्यक्रम: इस कार्यक्रम के तहत, एनआईईएलआईटी में, विभिन्न औपचारिक, गैर औपचारिक तथा आईटी साक्षरता पाठ्यक्रमों में एससी/एसटी प्रत्याशियों को निशुल्क प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। वित्त वर्ष 2020-21 में, कुल 15,329 एससी/एसटी प्रत्याशियों को प्रशिक्षित किया गया।

iv. फ्यूचर स्किल प्राइम: नई तथा उभरती प्रौद्योगिकीयों में ‘ वन स्टाप रि-स्किलिंग/अप स्किलिंग साल्यूशन‘ उपलब्ध कराने के लिए ‘‘ एग्रेबेटर फ एग्रेगेटर फ्रेमवर्क ‘‘। इसका लक्ष्य 4.12 लाख आईटी प्रोफेशनलों को कवर करना है। अभी तक, लगभग 3.68 लाख प्रत्याशियों ने फ्यूचर स्किल प्राइम पोर्टल के बीटा वर्जन पर साइन अप किया है, 76,437 प्रत्याशियों ने फाउंडेशन/डीप स्किलिंग कोर्स में नामांकन कराया है जिसमें से लगभग 65,463 प्रत्याशियों ने पाठ्यक्रम पूरा कर लिया है तथा ब्लेंडेड लर्निंग प्रोग्राम के तहत, रिसोर्स केंद्रों ने 397 प्रशिक्षकों तथा 2,700 सरकारी अधिकारियों को प्रशिक्षित किया है।

v. चिप्स से सिस्टम डिजाइन के लिए स्पेशल मैनपावर डेवलपमेंट प्रोग्राम (एएमडीपी-सी2एसडी)

एसएमडीपी-सी2एसडी का आरंभ आईआईटी, एनआईआईटी, आईआईएससी, आईआईआईटी तथा अन्य इंजीनियरिंग महाविद्यालयों सहित देश भर में फैले 60 शैक्षणिक/आरएंडडी संस्थानों में दिसंबर 2014 में ‘ डिजिटल इंडिया‘ के तहत किया गया था और इसका लक्ष्य वीएलएसआई डिजाइन के क्षेत्र में 6 वर्षों की अवधि में 50,000 विशिष्ट श्रमबलों को प्रशिक्षित करना तथा स्नातक, स्नातकोत्तर एवं शोध स्तरों पर सिस्टम आन चिप (एसओसी)/प्रणाली की संस्कृति विकसित करना है।

एसएमडीपी-सी2एसडी कार्यक्रम के तहत निम्नलिखित उपलब्धियां अर्जित की गई हैं:

  • 60 संस्थानों में उन्नत ईडीए उपकरणों से सुसज्जित अत्याधुनिक वीएलएसआई प्रयोगशालाएं।
  • बी. टेक, एम.टेक तथा पीएचडी स्तरों पर लगभग 52,000 विशिष्ट श्रमबल प्रशिक्षित किए गए।
  • एससीएल मोहाली फाउंड्री तथा देश के बाहर फाउंड्रियों में 60 शैक्षणिक संस्थानों द्वारा लगभग 150 डिजाइनों का निर्माण। शुरुआत से ही स्वदेशी तरीके से डिजाइन किए गए इन 150 चिप्स का उपयोग रणनीतिक तथा सामाजिक क्षेत्रो के लिए विकसित की जा रही 15 वर्किंग प्रोटोटाइप एसओएसी/सिस्टम्स में किया जाएगा।
  • सीडैक-बंगलुरु में चिप केंद्र की स्थापना की गई है। अभी तक, 71 एएसआईसी चिप्स का निर्माण चिप सेंटर के माध्यम से एमपीडब्ल्यू तरीके से किया गया और 29 चिप्स का निर्माण 2021 में किया जाना है।
  • वीएलएसआई/सिस्टम डिजाइन के क्षेत्र में 60 पीआई के संकाय सदस्यों को प्रशिक्षित करने के लिए 15 निर्देश संवर्धन कार्यक्रम (आईईपी) आयोजित किए गए हैं।
  • 21 पैटेंट दायर किए गए हैं तथा लगभग 1500 शोध पत्रों को सम्मेलन की कार्यवाहियों/जर्नलों में प्रकाशित किया गया है।

2.  डिजिटल भुगतान

i. डिजिटल भुगतान का संवर्धन - भीम, यूपीआई, भारत क्यूआर, आधार भुगतान

  • कैशलेस अर्थव्यवस्था के महत्व को स्वीकार करते हुए, एक डिजिटल भुगतान परितंत्र का सृजन करने को वित्त वर्ष 2027-18 के लिए बजट घोषणाओं में जोर दिए जाने वाले क्षेत्रों में से एक के रूप में पहचान की गई है। वित्त वर्ष 2027-18 के दौरान यूनिफायड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई), अनस्ट्रक्चर्ड सप्लीमेंटरी सर्विस डाटा (यूएसएसडी), आधार पे, इमिडिएट पेमेंट सर्विस (आईएमपीएस) तथा डेबिट कार्ड के जरिये 2,500 करोड़ डिजिटल पेमेंट ट्रांजेक्शन के लक्ष्य के साथ एक समर्पित मिशन जिसे अब डिजिधन मिशन का नाम दिया गया है, की स्थापना। सभी हितधारकों के समन्वित प्रयास के फलस्वरूप, डिजिटल ट्रांजेक्शन की संख्या 50.42 प्रतिशत की सीएजीआर की दर से वित्त वर्ष 2016-17 के 1085 करोड़ से बढ़कर 2020-21 में 5,554 करोड़ हो गई। वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान, मिशन को 5,500 करोड़ डिजिटल पेमेंट ट्रांजेक्शन का लक्ष्य दिया गया था अब अब यह उससे अधिक अर्थात 5,554 करोड़ हो गया है।

वित्त वर्ष

ट्रांजेक्शन की मात्रा( करोड़ में)

2016-17

1,085

2021-22

3,623*

 

*वित्त वर्ष 21-22 के लिए 31 अगस्त, 2021 तक का दिया गया डाटा

 

iii.  डिजिटल उद्यमिता और उद्योग

.1 इलेक्ट्रोनिक्स विनिर्माण का संवर्धन

इलेक्ट्रोनिक्स उद्योग विश्व का सबसे बड़ा और सबसे तेजी से बढ़ने वाला उद्योग है और अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में लगातार उपयोग में लाया जा रहा है। इलेक्ट्रोनिक्स हार्डवेयर की घरेलू मांग के 2025 तक लगभग 400 बिलियन डॉलर तक तेजी से बढ़ने की उम्मीद है। सरकार इलेक्ट्रोनिक्स हार्डवेयर विनिर्माण को उच्च प्राथमिकता देती है और यह भारत सरकार के ‘‘ मेक इन इंडिया‘‘ तथा ‘‘ डिजिटल इंडिया‘‘ दोनों ही कार्यक्रमों के महत्वपर्ण स्तंभों मे से एक है।

हाल के वर्षों में, सरकार ने देश में इलेक्ट्रोनिक्स विनिर्माण के संवर्धन के लिए कई पहल की है, मोबाइल और मोबाइल कंपोनेंट विनिर्माण कंपनियां 2014 की दो यूनिट से बढ़कर 256 यूनिट हो गई है तथा भारत दुनिया में दूसरे सबसे बड़े मोबाइल विनिर्माण देश के रूप में उभरा है। मोबाइल फोन उत्पादन का मूल्य 2014-15 के 18,900 करोड़ रुपये से बढ़कर 2018-19 में 1,70,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। इसके अतिरिक्त, औद्योगिक इलेक्ट्रोनिक्स के उत्पादन, एलईडी उत्पादन, उपभोक्ता इलेक्ट्रोनिक्स के उत्पादन में भी उल्लेखनीय उछाल देखने में आया है।

राष्ट्रीय इलेक्ट्रोनिक्स नीति 2019 (एनपीई 2019) देश में चिपसेट सहित मुख्य कंपोनेंट के विकास के लिए देश में क्षमताओं को प्रोत्साहित एवं विकसित करने एवं उद्योग के लिए वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धा करने के लिए इलेक्ट्रोनिक्स सिस्टम डिजाइन एवं विनिर्माण (ईएसडीएम) के लिए एक सक्षमकारी वातावरण का सृजन करने के द्वारा भारत को वैश्विक हब के रूप में स्थापित करने की परिकल्पना करती है।

एक मजबूत विनिर्माण परितंत्र के निर्माण की दृष्टि से जो वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक परिसंपत्ति होगी, सरकार मूल्य श्रृंखला में एक मजबूत परितंत्र विकसित करने और इसे वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के साथ समेकित करने की आशा कर रही है। यह इन चार योजनाओं का सार है जिनके नाम हैं , (i) व्यापक पैमाने पर  इलेक्ट्रोनिक्स विनिर्माण के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन स्कीम (पीएलआई), (ii) इलेक्ट्रोनिक कंपोनेंट एवं सेमीकंडक्टरों के विनिर्माण के संवर्धन के लिए स्कीम (स्पेक्स) (ii) मोडीफायड इलेक्ट्रोनिक्स विनिर्माण क्लस्टर्स (ईएमसी 2.0) स्कीम और (iv) आईटी हार्डवेयर के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन स्कीम (पीएलआई)।

स्थिति इस प्रकार है:

i. व्यापक पैमाने पर इलेक्ट्रोनिक्स विनिर्माण के लिए पीएलआई: पीएलआई स्कीम के पहले दौर के लिए सक्षम प्राधिकारी द्वारा 36,440 करोड़ रुपये ( प्रशासनिक व्ययों को छोड़कर के बजट को मंजूरी दी गई है।

  • स्कीम के तहत सक्षम प्राधिकारी द्वारा 16 आवेदनों को अनुमोदित किया गया है।
  • पीएलआई स्कीम के दूसरे दौर को 11.03.2021 को लांच किया गया है।  आवेदन प्राप्त करने की अंतिम तिथि 31.03.2021 थी। प्राप्त आवेदनों का मूल्यांकन किया जा रहा है।

ii. आईटी हार्डवेयर के लिए पीएलआई:

  • आईटी हार्डवेयर के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन स्कीम (पीएलआई) दिनांक 03 मार्च, 2021 की राजपत्र अधिसूचना संख्या सीजी-ड़ीएलिई-03032021-225613 द्वारा अधिसूचित हुई और यह घरेलू विनिर्माण को बढ़़ावा देने तथा मूल्य श्रृंखला में बड़े निवेश को आकर्षित करने के लिए उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन की पेशकश करती है।
  • आवेदन प्राप्त करने की अंतिम तिथि 3.04.2021 है।

iii. स्पेक्स

  • 24 आवेदन प्राप्त  और स्वीकार किए गए हैं तथा 11 आवेदन अंतिम रूप दिए जाने के चरण में हैं, 2 आवेदनों को मंजूरी दे दी गई है।
  • स्पेक्स के लिए कार्यकारी समिति (ईसी) की तीसरी बैठक 05.03.2021 को हुई जिसमें ईसी के विचारार्थ 6 आवेदन प्रस्तुत किए गए और पांच आवेदनों को ईसी द्वारा मंजूरी दी गई।
  • स्पेक्स के लिए कार्यकारी समिति (ईसी) की दूसरी बैठक 28.12.2020 को हुई जिसमें ईसी के विचारार्थ 2 आवेदन प्रस्तुत किए गए और एक आवेदन को ईसी द्वारा मंजूरी दी गई।
  • स्पेक्स के लिए कार्यकारी समिति (ईसी) की पहली बैठक 03.11.2020 को हुई जिसमें ईसी के विचारार्थ 5 आवेदन प्रस्तुत किए गए और एक आवेदन को ईसी द्वारा मंजूरी दी गई।

iv.  ईएमसी 2.0

  • हरियाणा और आंध्र प्रदेश में ईएमसी के गठन के लिए दो आवेदन प्राप्त किए गए हैं। इनमें से, आंध्र प्रदेश के लिए एमईआईटीवाई से 350 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता सहित 748.76 करोड़ रुपये की परियोजना लागत के साथ ईएमसी के आवेदन को 18.03.2021 को अनुमोदित किया गया है। हरियाणा का ईएमसी आवेदन मूल्यांकन के अधीन है। इसके अतिरिक्त, 6 राज्यों तेलंगाना, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब और बिहार ने ईएमसी परियोजनाओं के गठन के लिए दिलचस्पी प्रदर्शित की है।

.2 आईटी/आईटी सक्षम सेवाओं का संवर्धन

i. अगली पीढ़ी इनक्यूबेशन स्कीम(एनजीआईएस) का लक्ष्य घरेलू साफ्टवेयर उत्पाद परितंत्र की सहायता करना तथा राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर उत्पाद नीति (एनपीएसपी) के उल्लेखनीय उद्वेश्यों को पूरा करना है। एनजीआईएस को श्रेणी-2 के 12 स्थानों अर्थात अगरतला, भिलाई, भोपाल, भुवनेश्वर, देहरादून, गुवाहाटी, जयपुर, मोहाली, पटना, विजयवाड़ा, लखनऊ एवं प्रयागराज पर फोकस के साथ लांच किया गया है। एनजीआईएस के पास कुल 95.03 करोड़ रुपये का बजट परिव्यय है तथा उसका लक्ष्य तीन वर्षों की अवधि में इन स्थानों के 300 टेक स्टार्ट अप्स की सहायता करना है।

एनजीआईएस के तहत पहली स्टार्ट अप, चुनौती ( चैलेंज हंट अंडर एनजीआईएस फार एडवांस्ड अनहिबिटेड टेक्नोलॉजी इंटरवेंशन) 10 अगस्त 2020 को लांच की गई। चुनौती 1.0 को 1820 आवेदनों के रूप में आशातीत प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है जिसमें से 42 स्टार्ट अप्स का चयन बहु स्तरीय सख्त प्रक्रियाओं के तहत की गई है तथा 38 स्टार्ट अप्स को न बोर्ड किया गया है। चुनौती 2.0 को 06 अगस्त 2021 को लांच किया गया जिसमें महिला उद्यमियों पर विशेष फोकस था। कुल 537 आवेदन प्राप्त हुए हैं जिनमें महिला के नेतृत्व/संबंधित स्टार्ट अप्स से 316 आवेदन शामिल हैं। इनकी स्क्रीनिंग तथा मूल्यांकन का कार्य जारी है।

नौर्डिक्स तथा अफ्रीका क्षेत्रों में बाजार विकास पहल:  एमईआईटीवाई ने भारतीय आईटी/आईटीईएस उद्योग, विशेष रूप से छोटे एवं मझोले उद्यमों (एसएमई) एवं नास्काम के जरिये स्टार्ट अप्स की वैश्विक उपस्थिति को बढ़ाने के लिए उच्च संभावना और कम पैठ वाले बाजारों -अफ्रीका तथा नौर्डिक्स क्षेत्रों में आईटी/आईटीईएस बाजार विकास के लिए एक व्यापक तथा सतत दृष्टिकोण के लिए परियोजना की शुरुआत की है।

ii. बीपीओ संवर्धन योजनाएं:

  • एमईआईटीवाई ने रोजगार अवसरों का सृजन करने तथा विशेष प्रोत्साहनों के साथ साथ पूंजीगत तथा प्रचालनगत व्यय की दिशा में व्यवहार्यता अंतराल की फंडिंग के रूप में प्रति सीट एक लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने के द्वारा 53,300 सीट बीपीओ/आईटीईएस प्रचालनों के गठन को प्रोत्साहित करने के माध्यम से  छोटे नगरों एवं शहरों में आईटी/आईटीईएस उद्योग के प्रसार के लिए भारत बीपीओ संवर्धन स्कीम (आईबीपीएस) तथा पूर्वोत्तर बीपीओ संवर्धन स्कीम (एनईबीपीएस) की शुरुआत की थी। आईबीपीएस तथा एनईबीपीएस की अवधि क्रमशः  31.03.2019 तथा 31.03.2020 थी, तथापि वित्तीय सहायता का संवितरण इस अवधि से आगे जा सकता है। इन स्कीमों के तहत वित्तीय सहायता का संवितरण प्रतिपूर्ति आधार पर है जो प्रत्यक्ष रूप से उद्वेश्य अर्थात यूनिटों द्वारा रोजगार सृजन के उद्वेश्य से जुड़ा हुआ है।
  • वर्तमान में, लगभग 247 बीपीओ/आईटीईएस यूनिट या तो प्रचालनगत हैं यहां उन्होंने लगभग 45,500 व्यक्तियों को प्रत्यक्ष रोजगार उपलब्ध कराने के जरिये आईबीपीएस तथा एनईबीपीएस के तहत अपनी अवधि पूरी कर ली है।

iii. निर्यात संवर्धन योजनाएं

देश से साफ्टवेयर निर्यातों के संवर्धन के लिए , साफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क फ इंडिया (एसटीपीआई) का गठन एमईआईटीवाई के तहत एक स्वायत्तशासी सोसाइटी के रूप में 1991 में किया गया था। एसटीपीआई साफ्टवेयर निर्यातकों को सेवाएं प्रदान करने में ‘सिंगल विंडो‘ के रूप में काम करता है। एसटीपी स्कीम साफ्टवेयर कंपनियों को सुविधाजनक तथा कम महंगे स्थानों में प्रचालन स्थापित करने तथा व्यवसाय की आवश्यकताओं द्वारा प्रेरित अपने निवेश और विकास की योजना बनाने में सक्षम बनाता है।

एसटीपी स्कीम के तहत कई लाभ हैं जैसे पूंजीगत वस्तुओं का निशुल्क आयात जो आईजीएसटी छूट प्राप्त भी होती है, डीटीए से खरीदी गई पूंजीगत वस्तुएं जीएसटी के रिफंड के लिए हकदार होती हैं, 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति होती है, डीटीए में विक्रय की अनुमतियोग्य होती है, पांच वर्षों की अवधि के लिए पूंजीगत वस्तुओं पर 100 प्रतिशत अवमूल्यन होता है, आदि।

इलेक्ट्रोनिक हार्डवेयर टेक्नोलॉजी पार्क (ईएचटीपी) स्कीम इलेक्ट्रोनिक वस्तुओं का विनिर्माण आरंभ करने के लिए एक निर्यातोन्मुखी स्कीम है।

स्थिति

  • एसटीपीआई ने देश भर में कुल 61 एसटीपीआई प्रचालनगत केंद्रों/उप केंद्रों का गठन किया है जिसमें से 53 केंद्र संतुलित विकास के लिए छोटे शहरों में आईटी/आईटीईएस/ईएसडीएम उद्योग को प्रसारित करने के उद्वेश्य से श्रेणी 2 और श्रेणी 3 शहरों में हैं।
  • जैसाकि एसटीपी/ईएचटीपी स्कीमों के तहत पंजीकृत इकाइयों द्वारा रिपोर्ट की गई है, वित वर्ष 2020-21 के लिए निर्यात (अनंतिम) 5,03,260.69 करोड़ रुपये है।

 

iv. नवोन्मेषण एवं स्टार्ट अप्स

i. एमईआईटीवाई स्टार्ट अप हब (एमएसएच): एमएसएच भारतीय स्टार्ट अप स्थान में सार्थक समन्वय का निर्माण करने की दिशा में टेक स्टार्ट अप समुदाय के लिए एक गतिशील, एकल तथा सहयोगात्मक मंच है। परिमाण, बाजार पहुंच तथा घरेलू मूल्य वर्धन में सुधार लाने तथा विभिन्न हितधारकों के साथ नवोन्मेषी साझीदारी की स्थापना की दृष्टि से एमएसएच का टेक स्टार्ट अप के लिए त्वरित मूल्य वर्धन देश में टेक स्टार्ट अप परितंत्र को तेजी से आगे बढ़ाने में एमएसएच के प्रयासों के लिए एक प्रमुख अंतर रहा है। एमएसएच में बहुत कम ही समय में ही 2,650 से अधिक स्टार्ट अप्स, 418 इनक्यूबेटर, 347 मेंटर तथा 22 अत्याधुनिक उत्कृष्टता केंद्रों (सीओई) का समेकन हो चुका है।

ii. टीआईडीई ( टेक्नोलॉजी इनोवेशन डेवलपमेंट फार एंटरप्रेनियोर्स) 2.0 -- टीआईडीई 2.0 का निर्माण इनक्यूबेटी स्टार्ट अप्स के लिए आइडियेशन से एक्जिट तक एक स्थिर फंडिंग चक्र का प्रावधान करने के लिए किया गया है। राष्ट्रीय सरोकार के चयनित विषयगत क्षेत्रों में व्यवसाय माडल को आगे बढ़ाते हुए इस व्यापक स्कीम का लक्ष्य 2000 प्रौद्योगिकी स्टार्ट अप की प्राथमिक सहायता एवं पोषण करना तथा नवोन्मेषण को बढावा देने तथा आर्थिक संपदा का निर्माण करने के लिए पूरे भारत में 51 टेक्नोलॉजी इनक्यूबेशन केंद्रों के क्षमता निर्माण में वृद्धि करना है। इस स्कीम के तहत 51 इनक्यूबेशन केंद्रों में 300 से अधिक स्टार्टअप शमिल किए गए हैं।

iii. ब्लौकचेन के लिए उत्कृष्टता केंद्र (सीओई): सीओई शासन के विभिन्न आयामों में ब्लौकचेन टेक्नोलाजी के उपयोग के लिए अवधारणाओं के साक्ष्य का निर्माण करने में विभिन्न सरकारी विभागों को सुविधा प्रदान करेगा जिससे कुछ ऐसे अनुप्रयोगों की बड़े पैमाने पर तैनाती हो सकेगी।

iv. एमईआईटीवाई -ईआरएनईटी- इंटरनेट स्कीम आफ थिंग्स (आईओटी), बंगलुरु के लिए नास्काम उत्कृष्टता केंद्र (सीओई): सीओई की फंडिंग अपने उद्योग साझीदारों के जरिये एमईआईटीवाई तथा नास्काम के बीच सार्वजनिक निजी साझीदारी (पीपीपी) माडल पर 50-50 प्रतिशत के द्वारा की जाती है। सीओई-आईओटी बंगलुरु के तहत, कई स्टार्ट अप को इनक्यूबेट किया गया है और उन्हें उन्नत उपकरणों तक निर्बाध पहुंच प्राप्त हो रही है। सीओई-आईओटी बंगलुरु की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

  • 91 स्टार्ट अप्स का आंतरिक रूप से नामांकन हुआ जो पूरे भारत में 1,463 स्टार्ट अप्स से जुड़े
  • 117 आईटी शोधकर्ताओं ने इनक्यूबेट किया
  • 74 प्रोटोटाइप प्रदर्शित किए गए
  • आईपी के लिए आवेदन किया गया -19, प्राप्त हुए-7
  • 34 समाजगत परियोजनाओं का निष्पादन हुआ
  • रोजगार सृजित हुए - 1,076
  • पार्टनर ने साइन किया: रणनीतिक-18, को-क्रिएट-2, नवोन्मेषण-8, अवसंरचना-6, प्रौद्योगिकी-3, परितंत्र -3, अंतरराष्ट्रीय-2

v. दिल्ली -एनसीआर में एसटीपीआई द्वारा इलेक्ट्रोप्रेन्योर पार्क: नवोन्मेषण, अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने तथा ईएसडीएम डोमेन में भारतीय आईपी का निर्माण करने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय के दक्षिणी परिसर में भारतीय इलेक्ट्रोनिक्स एवं सेमीकंडक्टर संघ (आईईएसए) तथा दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के सहयोग से सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजर पार्क आॅफ इंडिया (एसटीपीआई) द्वारा इलेक्ट्रोप्रेन्योर पार्क (ईपी) की स्थापना की गई है। ईपी दिल्ली की स्थापना प्रयोगशालाओं (आरएफ और पावर लैब्स) सहित सुविधाओं के साथ 10,000 वर्ग फुट के निर्मित स्थान में की गई है। आरंभ में, इसकी अवधि पांच वर्षों कर थी जिसे 2022 के जून तक विस्तारित कर दिया गया है। ईपी दिल्ली का लक्ष्य 51 स्टार्ट अप्स की सहायता करना है।

अभी तक, ईपी दिल्ली ने 50 स्टार्ट अप्स की सहायता की है। ईपी दिल्ली के कुछ प्रमुख परिणाम हैं: 43 नए उत्पाद और 33 कार्यशील प्रोटोटाइप विकसित किए गए हैं, 51 आईपी दायर किए गए, 34 स्टार्ट अप्स को बाहरी वित पोषण/अनुदान प्राप्त हुआ है, स्टार्ट अप्स द्वारा सृजित कुल राजस्व 65 करोड़ रुपये है, अनुमानित कुल मूल्यांकन 310 करोड़ रुपये है तथा 558 व्यक्तियों के लिए रोजगार सृजित किए गए हैं।

vi. एसटीपीआई भुवनेश्वर, ओडिशा में फैब लैब: एसटीपीआई ने अमेरिका के फैब फाउंडेशन तथा ओडिशा सरकार की सहायता से भुवनेश्वर में पहले फैब लैब की स्थापना की है।  लैब में मुख्य रूप से लेजर कटर, बड़े पैमाने पर सीएनसी मिल, लघु सीएनसी मिल, 3डी प्रिंटर, विनाइल कटर, सैंड ब्लास्टर, इलेक्ट्रोनिक कंपोनेंट तथा टूल, मोल्डिंग तथा कास्टिंग टूल्स और इलेक्ट्रोनिक टेस्ट इक्विपमेंट आदि जैसे इंवेटरी शामिल हैं।

vii. उत्कृष्टता के डोमेन विशिष्ट केंद्र (सीओई): इसका लक्ष्य प्रौद्योगिकीय नवोन्मेषण को बढ़ावा देने तथा अवसंरचनागत उत्कृष्टता सृजित करने के लिए फिनटेक, मेडटेक, आईओटी, आटोमोटिव इलेक्ट्रोनिक जैसे विविध क्षेत्रों में 20 डोमेन विशिष्ट सीओई का सृजन करना है। अभी तक, 16 सीओई का सृजन किया जा चुका है।       

v.  अनुसंधान एवं विकास

i. राष्ट्रीय भाषा अनुवाद मिशन (एनटीएलएम) आरंभ किया गया है जो इंटरनेट पर शासन और नीति संबंधित ज्ञान की संपदा को प्रमुख भारतीय भाषाओं में उपलब्ध कराने में सक्षम होगा। मिशन भाषा की बाधाओं को पार करने के उद्देश्य से योगदानकर्ताओं, साझीदारी करने वाले निकायों तथा नागरिकों के विविध परितंत्र को सक्षम बनाने के लिए प्राकृतिक भाषा प्रौद्योगिकीयों का उपयोग करेगा और इसके जरिये ‘आत्म निर्भर भारत‘ में डिजिटल समावेशन तथा डिजिटल सशक्तिकरण सुनिश्चित करेगा। अभी तक, आर एंड डी प्रस्ताव एमईआईटीवाई के पोर्टल https://www.meity.gov.in/national-language-translation-mission पर प्रस्तुत किए गए हैं।

ii. क्वानटम कंप्यूटिंग: क्वानटम कंप्यूटिंग में उन्नत अनुसंधान करने के लिए बेहतर हार्डवेयर डिजाइन करने में सहायता करने, क्वानटम कंप्यूटिंग एग्लोरिद्म/प्रोग्रामों की जांच तथा व्यावहारिक परीक्षण में सुविधा प्रदान करने के लिए एक ‘ क्वानटम कंप्यूटर सिमुलेटर‘ विकसित किया गया है। सिमुलेटर को परम शावक तथा परम सिद्धि जैसे एचपीसी अवसंरचना पर पोर्ट किया गया है।

iii. नेशनल सुपरकंप्यूटिंग मिशन (एनएसएम): वित वर्ष 2021-22 के दौरान, एनएसएम के दूसरे चरण के तहत, सी-डैक पहले ही एक आईआईटी हैदराबाद में तथा एक सी-डैक बंगलुरु में, 650 टीएफ (800 टीएफ पीक) की दो प्रणालियां कमीशन कर चुकी है। इन प्रणालियों में आईआईएससी बंगलुरु में 3पीएफ पीक, आईआईटी रूड़की में 1.66 पीएफ पीक तथा आईआईटी गुवाहाटी, एनएबीआई मोहाली, आईआईटी गांधीनगर, एनआईटी त्रिची तथा आईआईटी मंडी में एक-एक 833 टीएफ पीक मार्च 2022 तक संस्थापित कर दिए जाएंगे।

iv. परम सिद्धि - 210 एआई पेटाफ्लौप्स सुपरकंप्यूटर का एआई: इसे सी-डैक द्वारा विकसित किया गया है। यह अत्याधुनिक बड़े पैमाने पर एचपीसी-एआई परिमाणयोग्य अवसंरचना विज्ञान एवं इंजीनियरिंग में अनुसंधान एवं नवोन्मेषण के लिए एक जीवंत परितंत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। ‘परम सिद्धि-एआई‘ सुपरकंप्यूटर भारत में सबसे बड़ा तथा सबसे तेज सुपरकंप्यूटर है और अमेरिका में सुपरकंप्यूटिंग सम्मेलन में घोषित ‘शीर्ष 500 सुपरकंप्यूटर की सूची‘-नवंबर, 2020‘ में 62वें स्थान पर है।

v. सर्वर प्लेटफार्म रूद्र:  सी-डैक ने दूसरी पीढ़ी इंटेल एक्सीओन स्कैलेबल प्रोसेसर कैसकैड लेक पर आधारित अपना स्वदेशी सर्वर प्लेटफार्म रूद्र विकसित किया है। सी-डैक से पूर्ण साफ्टवेयर स्टैक के साथ साथ रूद्र आधारित सर्वर सिस्टम सरकारों तथा पीएसयू की एचपीसी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भारत में बनी अपनी तरह की पहली प्रणाली है। रूद्र सर्वर पर आधारित आईपीएफ सिस्टम का शीघ्र ही निर्माण और तैनाती होगी। एनएसएम के तहत चरण-3 प्रणालियों को रूद्र सर्वर के साथ तैनात किया जाएगा। इंटेल के नेक्स्ट जेन प्रोसेसर का उपयोग करते हुए भविष्य के सर्वर प्लेटफार्म का विकास किया जा रहा है।

vi. माइक्रोप्रोसेसर डेवलपमेंट प्रोग्राम (एमडीपी): 32-बिट/64-बिट माइक्रोप्रोसेसरों और संबद्ध सॉफ्टवेयर टूल-चेन और आईपी कोर के एक परिवार को ओपन सोर्स आईएसए (इंस्ट्रक्शन सेट आर्किटेक्चर) का उपयोग करके स्वदेशी रूप से डिजाइन किया जा रहा है और रणनीतिक तथा वाणिज्यिक आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए एससीएल फाउंड्री तथा विदेशों की फाउंड्री में तैयार किया जा रहा है। एमडीपी के तहत:

  • 32-बिट/64-बिट शक्ति प्रोसेसर को आईआईटी मद्रास द्वारा डिजाइन किया गया तथा 180 एनएम, एससीएल मोहाली और 22 एनएम, इंटेल फाउंड्र का उपयोग करते हुए बनाया गया।
  • वेगा प्रोसेसरों के 64-बिट सिंगल/डुएल/क्वाड-कोर वैरिएंट को सी-डैक द्वारा डिजाइन किया गया है तथा 130 एनएम सिलटेरा फाउंड्री और 180 एनएम, एससीएल फाउंड्री में फैब्रिकेशन के लिए भेजा गया।
  • 64-बिट क्वाड-कोर अजीत प्रोसेसर को आईआईटी बांबे द्वारा डिजाइन किया जा रहा है।

vi. साइबर सुरक्षा

i. साइबर सुरक्षित भारत (सीएसबी): इसे साइबर सुरक्षा की चुनौतियों का समाधान करने के लिए केंद्रीय/राज्य सरकारों, बैंकों तथा पीएसयू के मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारियों (सीआईएसओ)तथा व्यापक आईअी समुदाय को शिक्षित तथा सक्षमम बनाने के उद्वेश्य से सर्वाजनिक निजी साझीदारी (पीपीपी) मोड में उद्योग परिसंघ की साझीदारी में शुरु किया गया था। लगभग 1200 अधिकारियों को प्रशिक्षित करने तथा सक्षम बनाने के लिए 6 नगरों में प्रशिक्षण का आयोजन किया गया।  अक्टूबर 2021 तक, डीप डाइव के प्रशिक्षण के कुल 23 बैचों ( 16 को शारीरिक रूप से तथा 7 को आनलाइन मोड में) का आयोजन किया जा चुका था और सरकार के 931 सीआईएसओ/आईटी अधिकारियों, बैंकों, पीएसयू तथा सरकारी संगठनों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।

ii.  स्टार्ट अप्स के लिए साइबर सुरक्षा ग्रैंड चैलेंज: इसे जनवरी 2020 में स्टार्ट अप्स के लिए लांच किया गया था जिससे कि साइबर स्पेस इको सिस्टम में वर्तमान चुनौतियों के लिए सबसे संगत 6 चिन्हित विशिष्ट साइबर सुरक्षा समस्या विवरणों पर साइबर सुरक्षा उत्पाद का विकास किया जा सके। चुनौती के तीन चरण हैं जिनके नाम हैं आईडिया चरण, न्यूनतम व्यवहार्य उत्पाद चरण (एमवीपी) चरण तथा अंतिम चरण। आईडिया चरण में, संकल्पना के आधार पर, 6 समस्याओं पर आधारित एक उत्पाद का निर्माण करने के लिए प्रस्तावित दृष्टिकोण में, जूरी ने 12 टीमों का चयन किया जिन्हें 5 लाख रुपये की राशि तथा मेंटरशिप सहायता दी गई। एमवीपी चरण में, उनके दृष्टिकोण, यूएसपी तथा मूल्य प्रस्ताव, तैनाती की क्षमता और उत्पाद के बाजार फिट होने के आधार पर जूरी ने 6 टीमों का चयन किया जिनमें से प्रत्येक को 10 लाख रूपये दिए गए। अंतिम परिणाम की घोषणा 18 नवंबर 2021 को की गई और विजेता को 1 करोड़ रुपये का नकद पुरस्कार प्रदान किया गया। दूसरे स्थान पर आने वाले को 60 लाख रुपये का नकद पुरस्कार तथा तीसरे स्थान पर आने वाले को 40 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया गया।

iii. केंद्रीय सरकार मंत्रालयों/विभागों के अधिकारियों का नलाइन साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण:

  • भारत सरकार के सभी अधिकारियों/ कर्मचारियों के लिए लगभग 6-8 घंटों का साइबर सुरक्षा में जेनेरिक नलाइन प्रशिक्षण (जागरूकता प्रशिक्षण)। 31 अक्टूबर, 2021 तक 76 मंत्रालयों/विभागों से 9,145 सरकारी अधिकारियों को कवर करते हुए 25 बैच पूरे हो चुके हैं।
  • तकनीकी रूप से योग्य या साइबर सुरक्षा/आईटी में में अपेक्षित रुझान रखने वालों के लिए साइबर सुरक्षा (60 घंटे थ्योरी तथा 40 घंटे लैब्स) में आनलाइन फाउंडेशन प्रशिक्षण (एडवांस लेवल)। 31 अक्टूबर, 2021 तक 76 मंत्रालयों/विभागों से 605 सरकारी अधिकारियों को कवर करते हुए 9 बैच पूरे हो चुके हैं।

iv. साइबर सुरक्षा में राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (एनसीओई) :

साइबर सुरक्षा आर एंड डी प्रोग्राम के तहत साइबर सुरक्षा में राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (एनसीओई) का गठन  इलेक्ट्रोनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से वित्त पोषित परियोजना के तहत भारत डाटा सुरक्षा परिषद के सहयोग से किया गया है। उपरोक्त पहल देश भर में एक टिकाऊ साइबर सुरक्षा प्रौद्योगिकी तथा एद्योग विकास गति के निर्माण की एक कोशिश है। केंद्र के प्रमुख उद्वेश्य हैं: (i) साइबर सुरक्षा प्रौद्योगिकी विकास तथा उद्यमिता के परितंत्र का निर्माण करना (ii) आर एंड डी को सुरक्षा उत्पादों में रूपांतरित करना (iii) सुरक्षा उत्पादों के टेक्नोलाजी स्टैक को समसामयिक तथा अत्याधुनिक बनाना और (iv) वित्तीय क्षेत्र सहित साइबर सुरक्षा के विभिन्न डोमेन में विकसित उत्पादों का बाजार अंगीकरण। अभी तक एनसीओई के तहत साइबर सुरक्षा के विभिन्न प्रमुख डोमेन में उत्पादों/ सॉल्यूशंस के विकास के लिए 27 स्टार्ट अप्स को इनक्यूबेट किया गया है। 20 और स्टार्ट अप्स मेंटरिंग की प्रक्रिया में हैं।

v. पूर्वोत्तर क्षेत्र में साइबर सुरक्षा के लिए क्षमता निर्माण:

 पूर्वोत्तर के राज्यों में साइबर फोरेन्सिक प्रशिक्षण सह जांच प्रयोगशालों का विकास और क्लाउड आधारित केंद्रीकृत साइबर फोरेन्सिक प्रयोगशाला अवसंरचना-इस परियोजना के तहत, पूर्वोत्तर के राज्यों के 8 एनईआईएलआईटी में साइबर फोरेन्सिक प्रशिक्षण सह जांच प्रयोगशालाएं। इस कार्यक्रम के तहत, 1290 कर्मियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त, एनआईईएलआईटी कोहिमा में होस्ट किया गया क्लाउड आधारित अवसंरचना का उपयोग पूर्वोत्तर के सभी आठ राज्यों के एलईए के लिए साइबर फोरेन्सिक उपकरणों, कंटेंट डिलीवरी और साइबर फोरेन्सिक पर क्लाउड आधारित वर्चुअल प्रशिक्षण साझा करने के लिए किया जाता है।

vi. सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 79ए के तहत ‘ इलेक्ट्रोनिक साक्ष्य के परीक्षक‘ के रूप में फोरेन्सिक प्रयोगशालाओं की अधिसूचना

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 79ए केंद्र सरकार को किसी भी न्यायालय या अन्य प्राधिकरण के समक्ष इलेक्ट्रानिक प्रपत्र साक्ष्य पर विशेषज्ञ राय प्रदान करने के उद्वेश्य से इलेक्ट्रानिक साक्ष्य के परीक्षक को अधिसूचित करने के लिए अधिदेशित करती है। इलेक्ट्रानिक साक्ष्य के परीक्षक की पहचान और चयन के लिए, एमईआईटीवाई ने प्रायोगिक आधार पर इलेक्ट्रानिक साक्ष्य के परीक्षक तक पहुंचने और अधिसूचित करने के लिए आरंभ में एक योजना को डिजाइन और विकसित किया है। अभी तक, 10 साइबर फोरेन्सिक प्रयोगशालाओं को एमईआईटीवाई ने अधिसूचित कर दिया है।

vii. शिक्षा तथा अनुसंधान नेटवर्क (ईआरएनईटी)

i. देश के पूर्वात्तर राज्यों में इंटरनेट/इंट्रानेट एक्सेस के लिए ईआरएनईटी वीसैट कनेक्टिविटी: वीसैट कनेक्टिविटी पूर्वात्तर राज्यों में 60 शैक्षणिक संस्थानों/स्कूलों में तीन वर्ष की अवधि के लिए 22.02.2020 तक उपलब्ध कराई गई थी। इसके बाद इसे 37 स्कूलों में एक वर्ष और की अवधि अर्थात 22.02.2021 तक के लिए विस्तारित कर दिया गया और फिर 26 स्कूलों में इसे छह महीने और की अवधि अर्थात 22.08.2021 तक के लिए विस्तारित कर दिया गया जहां स्थलीय कनेक्टिविटी उपलब्ध नहीं थी। परियोजना 22.08.2021 को सफलतापूर्वक संपन्न हो गई।

ii. एनकेएन के लिए उच्च क्षमता एससीपीसीसैट: इआरनेट इंडिया ने एमईआईटीवाई की एनकेएन परियोजना के लिए दो उच्च क्षमता एससीपीसीसैट लिंक स्थापित किया है (i) केंद्र शासित प्रदेश द्वीपसमूह लक्षद्वीप में एनकेएन कवाराट्टी जो 1.3.2017 से कार्यशील है तथा (ii ) केंद्र शासित प्रदेश अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह में एनकेएन पोर्टब्लेयर जो 9.1.2018 से कार्यशील है। ये व्यक्तिगत रूप से दोनों स्थानों पर 47 एमबीपीएस की डाटा रेट उपलब्ध करा रहे हैं। इन लिंकों का उपयोग क्षेत्र के ज्ञान संस्थानों को इंटरनेट कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने के लिए किया जा रहा है।

iii. एलआईटीएसएस लक्षद्वीप के लिए उच्च क्षमता एससीपीसीवीसैट लिंक : इआरनेट इंडिया ने लक्षद्वीप के 9 द्वीप समूहों अर्थात अगत्ती, अमिनी, एंड्रोट, चेतलत, कदमत, कालपेनी, कवरत्ती, किल्तान तथा मिनिक्विाय में लक्षद्वीप सूचना प्रौद्योगिकी सेवा सोसाइटी (एलआईटीएसएस) के लिए नौ उच्च क्षमता एससीपीसीवीसैट लिंक की स्थापना की है। आरंभ में, इन नौ स्थानों के बीच 25.5 मेगा हर्टज के सैटेलाइट वैंडविड्थ को 31.10.2019 से आवंटित किया गया था जिसे तीन बार और अर्थात (1) 23.02.2020 से 42.6 मेगा हर्टज (2) 01.01.2021 से 44.00 मेगा हर्टज तथा (3) 19.09.2021 से 48.5 मेगा हर्टज। वर्तमान में, ये 9 लिंक 48.5 मेगा हर्टज सैटेलाइट वैंडविड्थ के साथ आपरेट कर रहे हैं। सभी लिंक कार्यशील हैं और एलआईटीएसएस द्वारा उपयोग में लाए जा रहे हैं।

उपरोक्त वीसैट लिंक देश के बिना कनेक्टेड हिस्सों में सूचना प्रवाह की बाधाओं को हटाने के लिए इंटरनेट कनेक्टिविटी उपलब्ध करा रहे हैं।

iv. शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों के डोमेन नाम: ईआरएनईटी ac.in, res.in, edu.in- और विद्या.भारत के तहत डोमेन उपलब्ध कराने के लिए विशिष्ट रजिस्ट्रार हैं। वर्तमान में, 16000 से अधिक डोमेन को ईआरएनईटी से सहायता उपलब्ध कराई जा रही है।

v. श्रवण और दृष्टि बाधित (दिव्यांगजन) के लिए सुलभ वेबसाइट: नागरिको को डिजिटल जानकारी तक एक्सेस करने में बाधा मुक्त और समावेशिता प्रदान करने के उद्वेश्य से ईआरनेट देश भर में राज्य सरकार की बेवसाइटों को विकसित/संशोधित करने का कार्य करता रहा है जिससे कि उन्हें उपयोग करने में सुगम तथा समाज के सभी वर्गों विशेष रूप से दिव्यांगजनों के लिए एक्सेसबल बनाया जा सके। अंतरराष्ट्रीय वेब कंटेंट एक्सेसिबिलिटी दिशानिर्देशों (डब्ल्यूसीएजी) के अनुरूप 500 से अधिक वेबसाइटों को डेवेलप किया गया है।

vi. डीएनएस रूट सर्वर टेस्टबेड: ईआरनेट अनुकूलता तथा स्थिरता का परीक्षण करने पर सक्रियतापूर्व अनुसंधान कर रहा है जब केवल भविष्य का इंटरनेट प्रोटोकाल आईपीवी6 का उपयोग किया जाएगा।  विश्व भर में तैनात 25 सर्वरों में से आईडीएन नाम वाला सर्वर सहित केवल 3 सर्वर ईआरनेट द्वारा तैनात किए गए हैं।

vii. उन्नत कंप्यूटिंग विकास केंद्र (सी-डैक)

i. एचपीसी अनुप्रयोगों का विकास किया जा रहा है

  • भारत के नदी बेसिन में बाढ़ के पूर्वानुमान के लिए आरंभिक चेतावनी प्रणाली (ईडब्ल्यूएस)
  • पैनोरमा -समुद्री पूर्वानुमान विजुअलाइजेशन सिस्टम
  • तेल एवं गैस की खोज में सहायता के लिए भूकंपीय इमेजिंग के लिए एचपीसी साफ्टवेयर सूईट
  • जेनो वाल्ट: एक क्लाउड आधारित जिनोमिक्स रिपोजिटरी

ii. सी-डैक द्वारा स्वास्थ्य सूचना समाधान

  • ड्रग वेअरहाउसिंग सॉल्यूशन 18 राज्यों, 1 केंद्र शासित प्रदेश में प्रचालनगत है तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत पांच राष्ट्रीय कार्यक्रम तथा ई-औषधि और ई-उपक्रम का कार्यान्वयन भी रक्षा मंत्रालय के तहत महानिदेशक सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा (डीजीएएफएमएस) में सफलतापूर्वक किया जा रहा है।
  • ई-रक्तकोष - ब्लड बैंक प्रबंधन प्रणाली ने देश के 34 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को 2100 से अधिक ब्लड बैंको के साथ जोड़ा है।
  • ई-सुश्रुत - भारत भर में एम्स में 10 स्थानों के लिए अस्पताल प्रबंधन तथा सूचना प्रणाली और ई-सुश्रुत तैनाती ने भी पूरे देश में 715 से अधिक भारतीय रेल अस्पतालों को शामिल करने के द्वारा एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। इसके अतिरिक्त, सी-डैक को स्टील अथारिटी फ इंडिया (सेल) में अपनी बोकारो इकाई के लिए एचएमआईएस के कार्यान्वयन के लिए कांट्रैक्ट प्रदान किया गया है तथा इसे सेल की अन्य इकाइयों तक विस्तारित करने के लिए आगे की चर्चा चल रही है।
  • आकांक्षा - रैडिएशन ट्रीटमेंट प्लानिंग सिस्टम (टीपीएस) को टाटा मेमोरियल सेंटर में तैनात किया गया है तथा यूजर की स्वीकृति की दिशा में प्रणाली सत्यापन एवं प्रमाणीकरण का कार्य टीएमसी में जारी है।
  • ई-संजीवनी (आयुष्मान भारत) 15 राज्यों में आरंभ किया गया है।

iii. साइबर सुरक्षा समाधान

  • ब्लौकचेन प्रौद्योगिकी के लिए वितरित उत्कृष्टता केंद्र - सफलतापूर्वक विकसित किया गया तथा संपत्ति पंजीकरण आवेदन के वर्तमान कार्यप्रवाह में ब्लौकचेन प्रौद्योगिकी के लाभों का उपयोग करते हुए तेलंगाना में संपत्ति रिकॉर्ड प्रबंधन प्रणाली को तैनात किया गया। ब्लौचेन पर संपत्ति पंजीकरण को रिकॉर्ड करने के लिए इस प्रणाली का लाभ उठाया गया तथा तैनाती को बढ़ाने के लिए विस्तार योजना भी प्रस्तुत की गई। ऐप्लीकेशन डोमेन एजुकेशन तथा क्लाउड सेक्युरिटी में पीओसी का भी विकास किया गया।
  • मशीन लर्निंग सिस्टम का उपयोग करके बहुस्तरीय हमलों की भविष्यवाणी करने के लिए प्रोटोटाइप प्रणाली सफलतापूर्वक विकसित की गई है। यह सॉल्यूशन कई चरणों में किए जानेवाले हमलों का पता लगाने के लिए एमएल माडल का लाभ उठाता है। माडल का निर्माण साइबर किल चेन के प्रत्येक चरण के लिए किया जाता है तथा सटीक परिणाम प्राप्त करने के लिए सभी चरणों को आपस में जोड़ दिया जाता है। सॉल्यूशन का सफलतापूर्वक विकास किया गया है और प्रायोगिक तैनाती सी-डैक में की जा रही है तथा आगे का मूल्यांकन सीईआरटी-इन द्वारा किया जा रहा है।
  • फोरेन्सिक उद्देश्यों के लिए डिजिटल साक्ष्य के स्वाभाविक विश्लेषण के लिए डिजिटल फोरेन्सिक प्लेटफार्म का विकास किया जा रहा है।
  • सइबर वियु थ्रेट मैनेजमेंट सिस्टम (सीटीएमएस) वर्तमान में कार्यशील है तथा विभिन्न सेक्टरों के 60 विविध संगठनों में सेंसर तैनात किए गए हैं।
  • सूचना सुरक्षा शिक्षा एवं जागरूकता (आईएसईए)-इस पहल के हिस्से के रूप् में, 52 संस्थानों के जरिये विभिन्न औपचारिक/अनौपचारिक पाठ्यक्रमों के तहत लगभग 3,96,394 प्रत्याशियों को प्रशिक्षित किया गया है/ प्रशिक्षित किया जा रहा है तथा प्रत्यक्ष कार्यशालाओं/वेबीनारों में 2,27,239 प्रतिभागियों को कवर करते हुए 1340 जागरूकता कार्यशालाओं का आयोजन किया गया।
  • सी-डैक की ई-साइन सर्विस ने विभिन्न सरकारी एजेन्सियों के लिए 2.02 करोड़ हस्ताक्षरों की पेशकश की है। 

iv. एसएआरएस-सीओवी-2 पर कंप्यूटेशनल ड्रग रिपर्पोजिंग अध्ययन

  • सी-डैक ने एसएआरएस-सीओवी 2 के महत्वपूर्ण लक्ष्यों पर ड्रग रिपर्पोजिंग अध्ययन किया है। एफडीए से अनुमोदित दवाओं, विभिन्न भारतीय औषधीय पौधों के फाइटोकैमिकल डाटाबेस को कोविड 19 प्रोटीन लक्ष्यों के विरुद्ध डौक किया गया था।
  • सार्स-कोव-2 के आरएनए निर्भर आरएनए पोलीमेरास प्रोटीन के विरुद्ध आयुर्वेदिक कंपाउंडों की भूमिका का अध्ययन किया गया। श्वसन विकारों के उपचार में भूमिका निभाने वाले भारतीय औषधीय पौधों से एक फाइटोकैमिकल डाटासेट तैयार किया गया। सर्वोत्तम डौक्ड फाइटोकैमिकल के लिए उच्च थौरोपुट डाकिंग तथा सिमुलेशन किए गए। फाइटोकैमिकल पर इन अध्ययनों से वायरल प्रतिरूप रोकने के लिए शक्तिशाली अणुओं के रूप में गिलोय तथा अश्वगंधा के अणुओं की पहचान की जाती है।

ix. राष्ट्रीय इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईईएलआईटी)

  • वित्तीय वर्ष 2021-22 में, आज की तारीख तक विभिन्न औपचारिक/अनौपचारिक/डिजिटल साक्षरता पाठ्यक्रमों (आनलाइन/दूरस्थ प्रशिक्षण मोड) के तहत 3.85 लाख तथा 209 लाख लोगों को प्रशिक्षित और प्रमाणित किया जा चुका है।
  • एनआईईएलआईटी ‘‘ एससी/एसटी शुल्क प्रतिपूर्ति स्कीम ( एमईआईटीवाई) की डीबीटी योजनाओं में से एक ) का कार्यान्वयन कर रहा है और इसने वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 1,978, एससी प्रत्याशियों तथा 13,351 एसटी प्रत्याशियों को प्रशिक्षित किया है, वित्त वर्ष 2021-22 के लिए दावे प्रक्रिया के अधीन हैं।

x. एसटीक्यूसी निदेशालय

प्रमुख उपलब्धियों का संक्षिप्त विवरण

i. बायोमीट्रिक डिवाइस सर्टिफिकेशन स्कीम (बीडीसीएस)

  • भारत में तीन स्थान -दिल्ली, बंगलुरु तथा मोहाली में जांच सुविधा स्थापित की गई
  • अब तक, प्रमाणित कुल उत्पाद हैं-85 से अधिक बायोमीट्रिक डिवाइस, 135 से अधिक आर एंड डी सेवाएं, 90 से अधिक वेंडरों के लिए 04 पीसीएच।
  • सुरक्षित हार्डवेयर आधारित विश्वसनीय निष्पादन पर्यावरण तथा एल 1 बायोमीट्रिक डिवाइस को सम्मिलित किए जाने से हार्डवेयर की सुरक्षा बढ़ गई है तथा वर्तमान में यूआईडीएआई आधार परितंत्र के लिए 07 पीसीएच सॉल्यूशन तथा 02 एल 1 प्रमाणित हैं।

ii. थर्ड पार्टी आग्रह करने वाली ऐजेंसियो के लिए एयूए/केयूए लेखा परीक्षा

  • पहली लेखा परीक्षा प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के लिए की गई तथा पूरी की गई

iii. एसटीक्यूसी पैनलबद्ध परीक्षण प्रयोगशालाएं (एसईटीएल)

  • वर्तमान में, इस स्कीम के तहत नौ निजी प्रयोगशालाएं पैनल में शामिल हैं।

iv. भारतीय समान मानदंड प्रमाणीकरण स्कीम (आईसी3एस)

  • समान मानदंड जांच प्रयोगशाला (सीसीटीएल)-सीसीटीएल दिल्ली, सीसीटीएल बंगलुरु, सीसीटीएल कोलकाता, सीसीटीएल मुंबई।
  • प्रमाणित उत्पादों की संख्या : 19

v. राष्ट्रीय कॉमन मोबिलिटी कार्ड (एनसीएमसी)

  • परिवहन गतिशीलता के लिए एक राष्ट्र, एक कार्ड  के लिए  जांच सुविधा दो एसटीक्यूसी प्रयोगशालाओं अर्थात दिल्ली और बंगलुरु में स्थापित की गई है।
  • मेसर्स फाइम को एएफसी जांच के लिए एसटीक्यूसी प्रयोगशाला के रूप में पैनल में शामिल किया गया है।
  • पांच एनसीएमसी कंपोनेंट के लिए परीक्षण मूल्यांकन प्रगति पर है।

vi. मानकों/दिशानिर्देशों/संरचना का विकास

  • प्रकाशित रूपरेखा/संस्थागत तंत्र एवं नीतियां : 18
  • प्रकाशित अधिसूचित मानक : 25
  • प्रकाशित दिशानिर्देश : 26
  • दिशानिर्देशों/संरचना दस्तावेज (प्रगति पर): 6
  • मानको के विकास के लिए विभिन्न आईएसओ/आईईसी एवं बीआईएस समितियों में भागीदारी

vii. विश्वसनीय इलेक्ट्रोनिक्स मूल्य श्रृंखला प्रमाण स्कीम (टीईवीसीसीएस)

  • स्कीम अनुमोदित और प्रकाशित
  • यह स्कीम एप्पल, सिस्को, डेल, सैमसंग आदि जैसी 13 कंपनियों में लागू की गई
  • प्रमाणित डिवाइस की संख्या: 01
  • दो डिवाइस के लिए परीक्षण प्रगति पर

viii. ई-शासन प्रणाली

  • आम लोगों के लिए विशेष ऋणों के कोविड समय वितरण के लिए तमिलनाडु ग्रामीण रूपांतरण परियोजना वेब पोर्टल

ix. रक्षा प्रणालियां

  • पीएमओबीएसएस, आईएसीसीएस का iv और v और, 3डीटीसीआर परियोजनाएं आदि।

x. रेलवे ऐप्लीकेशंस

  • कोंकण रेलवे द्वारा विकसित एंटी-कौलुजन डिवाइस (एसीडी) -रक्षा कवच का सत्यापन और प्रमाणीकरण
  • रेलटेल के लिए सीसीटीवी कैमरों का आकलन

xi. ई खरीद प्रणालियां

  • स्पेक्ट्रम नीलामी (दूरसंचार विभाग), कोयला नीलामी, सरकारी खरीद प्रणाली (सीपीपीपी-एनआईसी), सरकारी ई-मार्केट प्रणाली का मूल्यांकन और प्रमाणन
  • विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर ई-प्रोक्योरमेंट सिस्टम

xii .समाज कल्याण ऐप्लीकेशन

  • ‘ कन्याश्री‘, मिड डे मील‘, ‘मनरेगा‘ आदि जैसी विभिन्न सामाजिक कल्याण परियोजनाओं के लिए वेब ऐप्लीकेशन का सुरक्षा आकलन

xiii. स्वास्थ्य ऐप्लीकेशन

  • आरोग्य सेतु ऐप
  • को-विन प्रणाली
  • तमिलनाडु अस्पताल प्रबंधन प्रणाली (एचएमएस) का अनुरूपता आकलन
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के लिए राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन का अनुरूपता आकलन

xiv. उभरते क्षेत्रों में गतिविधियां

  • आईओटी डिवाइस लेबेलिंग स्कीम
  • मोबाइल ऐप्लीकेशन, स्मार्ट सिटीज
  • कर्नाटक सरकार के लिए ब्लाकचेन आधारित संपत्ति पंजीकरण प्रणाली का अनुरूपता आकलन
  • माइक्रोसर्विसेज आधारित ऐप्लीकेशन परीक्षण: एपीआई की कार्यशीलता, सुरक्षा और निष्पादन के लिए बंगलुरु के एसआईडी, आईआईएससी में विकसित इंडिया अर्बन डाटा एक्सचेंज (आईयूडीएक्स) सिस्टम 2.0 का परीक्षण किया जा रहा है जो सर्विस मेश आर्किटेक्चर का उपयोग कर माइक्रोसर्विसेज पर आधारित है।

xv. ई-लर्निंग गतिविधियां

  • वीडियो कांफ्रेंसिंग सॉल्यूशंस : भारत वीसी

xvi. वेबसाइट गुणवत्ता प्रमाणन स्कीम (सीक्यूडब्ल्यू)

  • सरकारी मंत्रालयों/विभागों/संगठनों की अभी तक 282 वेबसाइटों को जीआईजीडब्ल्यू आवश्यकताओं के अनुसार प्रमाणित किया जा चुका है।

 

xvii. प्रमाणन गतिविधियां

  • ई-प्रोक्योरमेंट सिस्टम : 27 प्रमाणित
  • क्लाउंड इंपैनलमेंट : 11 वेंडर
  • डिजिटल फोरेन्सिक प्रयोगशालाएं : इस योजना के तहत 10 प्रयोगशालाओं को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 79 ए के तहत अब तक इलेक्ट्रोनिक साक्ष्य के परीक्षक के रूप में अधिसूचित किया गया है। इसके अतिरिक्त, जयपुर तथा चेन्नई के दो स्थानों पर क्षमता निर्माण उपाय स्थापित किए गए हैं।

xviii. भारत निर्वाचन आयोग के लिए ईवीएम और वीवीपीएटी के गुणवत्ता मूल्यांकन के लिए प्रस्ताव आरंभ कर दिया गया है। 

xi. माईगव

 

1. कोविड 19 अभियान पेज

https://www.mygov.in/covid-19/?utm_source=mygov_campaign

 

i. सभी नवीनतम मंत्रीस्तरीय सूचनाओं के लिए डैशबोर्ड बनाया गया जिसमें नियम और विनियम, दिशानिर्देश, अधिसूचनाएं, मिथकों का खंडन, कोविड प्रयोगशालाओं की स्थिति, जांच एवं संबंधित स्वास्थ्य आंकड़े, इंफो ग्राफिक्स तथा वीडियो और सभी अपडेट एवं सूचना पर दैनिक अद्यतन अधिसूचनाएं, सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों से संबंधित परामर्शी शामिल हैं।

ii.  जागरूकता बढ़ाने तथा नागरिकों को नवीनतम जानकारी की सुविधा प्रदान करने के लिए माईगव कोरोना हेल्पडेस्क नामक व्हाट्सअप चैटबोट तथा टेलीग्राम पर माईगव कोरोना न्यूजडेस्क चैनल बनाया गया है। 21.11.2021 तक व्हाट्सअप चैटबोट पर 6.1 करोड़ यूजर हैं जबकि अंग्रेजी टेलीग्राम चैनल पर लगभग 14.45 लाख यूजर तथा हिन्दी टेलीग्राम चैनल पर 48,000 से अधिक यूजर हैं। कोरोना 19 पर अंकुश लगाने की दिशा में नागरिकों के प्रयासों पर कहानियों के एक संग्रह (कोरोना वैरियर स्टोरीज) को https://self4society.mygov.in/  पर होस्ट किया जाता है जिसमें 2,26,125 व्यक्तिगत तथा 7,306 संगठन पंजीकरण हैं जो 21.11.2021 तक 12,66,616 कहानियां प्रस्तुत कर चुके हैं। कोविड 19 के दौरान नेशनल कैडेट कोर (एनसीसी) के कार्यकलापों को भी https://www.mygov.in/campaigns/indiancc/.  पर उपलब्ध कराया गया।

2. नवोन्मेषण तथा अनुसंधान की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए माईगव ने स्टार्ट अप्स तथा व्यक्तिविशेषों के लिए इन्नोवेट इंडिया, ऐप्प इन्नोवेशन चैलेंज, श्री शक्ति चैलेंज, आइडिया फार न्यू इंडिया चैलेंज 2020, कोविड 19 सॉल्यूशंस चैलेंज, अटल टिंकरिंग लैब मैराथन 2019, इंडियन लैंग्वेज लर्निंग ऐप्प इन्नोवेशन चैलेंज, प्लेनेटोरियम इन्नोवेशन चैलेंज, ट्याय हैकथोन, ड्रग डिस्कवरी हैकथेन 2020, अमृत महोत्सव ऐप इन्नोवेशन चैलेंज, एफओएसएस4गाव इन्नोवेशन चैलेंज, उद्यमशीलता कार्यक्रम के माध्यम से महिलाओं का सशक्तिकरण, इंडिया इन्नोवेशन चैलेंज डिजाइन कंटेस्ट आदि शामिल हैं।

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एमजी/एएम/एसकेजे



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