रक्षा मंत्रालय

माननीय उपराष्ट्रपति ने आईएसी (पी-71)/विक्रांत का दौरा किया

Posted On: 02 JAN 2022 5:32PM by PIB Delhi

माननीय उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने 02 जनवरी, 2022 को कोच्चि स्थित कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में स्वदेशी विमान वाहक पोत (आईएसी) 'विक्रांत' का दौरा किया। यह अपने निर्माण के उन्नत चरण में है।

इस दौरे के दौरान भारत के माननीय उपराष्ट्रपति को परियोजना की अद्वितीयता और निर्माण की प्रगति के बारे में बताया गया। इसके अलावा उन्हें 'आजादी का अमृत महोत्सव' मनाने के लिए अगस्त, 2022 से पहले इस विमान वाहक पोत को सौंपने और सेवा में शामिल करने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों के बारे में भी जानकारी दी गई। वहीं, माननीय उपराष्ट्रपति ने एक विमान वाहक पोत के डिजाइन और निर्माण में राष्ट्र की क्षमता की सराहना की। साथ ही, इसकी 'आत्म निर्भरता' या आत्मनिर्भर भारत की हमारी खोज के एक प्रज्ज्वलित उदाहरण के रूप में सराहना की।

हिंद महासागर क्षेत्र में भारतीय नौसेना एक अजय समुद्री शक्ति के रूप में मौजूद है और विमान वाहक युद्ध समूह इसके संचालन की अवधारणा के केंद्र में है। विक्रांत, हमारे राष्ट्रीय हितों के अनुरूप भारतीय नौसेना को अपेक्षित लचीलापन, गतिशीलता, पहुंच और युद्ध शक्ति प्रदान करेगा। इसके अलावा यह हिंद महासागर क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए एक मजबूत उत्प्रेरक के रूप में भी काम करेगा। एक विमान वाहक पोत रणनीतिक और तकनीकी प्रतिष्ठा की स्थिति रखता है। साथ ही, इसे युद्धपोत डिजाइन और निर्माण के क्षेत्र में चरम सीमा माना जाता है। स्वदेशी विमान वाहक पोत के निर्माण के साथ ही भारत एक विमान वाहक के डिजाइन और निर्माण के लिए विशिष्ट स्वदेशी क्षमता वाले देशों के चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो जाएगा।

भारतीय पोत निर्माण उद्योग ने 1960 के दशक से एक लंबा सफर तय किया है। इसमें आईएसी विक्रांत भारत की स्वदेशी औद्योगिक क्षमता की पहचान है। आईएसी के निर्माण में कुल परियोजना लागत 19,341 में लगभग 76 फीसदी हिस्सा स्वदेशी सामग्री का है।      वहीं, इस पोत में भारतीय औद्योगिक कंपनियों और लगभग 100 एमएसएमई द्वारा निर्मित उपकरणों व प्रणालियों के अलावा बड़ी संख्या में स्वदेशी सामग्रियों जैसे इस्पात का उपयोग किया गया है। इस विमान वाहक पोत के स्वदेशी निर्माण ने न केवल शिपयार्ड के भीतर बल्कि, बाहर से परियोजना की सहायता करने वाले कई अन्य उद्योगों के लिए भी रोजगार के अवसर उत्पन्न किए हैं। इसके चलते घरेलू अर्थव्यवस्था पर लाभकारी प्रभाव पड़ा है। आईएसी के निर्माण के लिए हर एक साल लगभग 2000 शिपयार्ड और 13000 गैर-यार्ड कर्मियों को नियोजित किया गया है।

इस दौरे के दौरान माननीय उपराष्ट्रपति के साथ केरल के माननीय राज्यपाल श्री आरिफ मोहम्मद खान, दक्षिणी नौसेना कमान के प्रमुख रियर एडमिरल एंटनी जॉर्ज, कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) के एनएम, वीएसएम, सीएमडी श्री मधु एस नायर और नौसेना व सीएसएल के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। माननीय उपराष्ट्रपति को विमान वाहक पोत की चहलकदमी करते हुए स्वदेशी प्रौद्योगिकियों और क्षमताओं के योगदान के बारे में जानकारी दी गई। वहीं, उन्होंने इस पर संतुष्टि व्यक्त की और हमारी स्वदेशी युद्धपोत निर्माण क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में भारतीय नौसेना तथा कोचीन शिपयार्ड के प्रयासों की सराहना की। इसके अलावा माननीय उपराष्ट्रपति ने कोविड से संबंधित अपरिहार्यताओं के बावजूद अब तक किए गए कार्यों की प्रगति पर संतुष्टि व्यक्त की।

इसके बाद, माननीय उपराष्ट्रपति ने 'आज़ादी का अमृत महोत्सव' के तहत नवल फिजिकल एंड ओशनोग्राफिक लेबोरेटरी का दौरा किया और डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम स्मारक का अनावरण किया। इसके अलावा उन्होंने टो अरै इंटीग्रेटेड सुविधा का शिलान्यास किया और नौसेना को एक स्वचालित सोनार ट्रेनर भी सौंपा। माननीय उपराष्ट्रपति केरल के तीन दिवसीय दौरे पर हैं और लक्षद्वीप के अपने दौरे के बाद वे रविवार की सुबह कोच्चि नौसेना हवाई अड्डे पर पहुंचे। इससे पहले, दिन में उपराष्ट्रपति के सम्मान में आईएनएस गरुड़ में 100 पुरुष गार्ड की औपचारिक परेड की गई थी।

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