मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
मत्स्य पालन विभाग, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय से संबंधित प्रमुख पहलों और उपलब्धियों की वर्षांत समीक्षा, 2021
Posted On:
30 DEC 2021 3:32PM by PIB Delhi
परिचय
मत्स्य पालन क्षेत्र को आय और रोजगार उत्पन्न करने वाले एक शक्तिशाली क्षेत्र के रूप में मान्यता प्रदान की गई है, क्योंकि यह कई सहायक उद्योगों के विकास को प्रोत्साहित करता है और यह सस्ता और पौष्टिक भोजन का स्रोत है, साथ ही साथ यह देश की आर्थिक रूप से पिछड़ी आबादी के एक बड़े वर्ग के लिए आजीविका का साधन भी है। देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में मत्स्य क्षेत्र का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। मत्स्य पालन क्षेत्र, भारत में तेजी से विकसित होता हुआ क्षेत्र है, जो 28 मिलियन से ज्यादा लोगों को आय और रोजगार का अवसर प्रदान करने के अलावा देश की एक बड़ी आबादी को पोषण और खाद्य सुरक्षा भी प्रदान करता है।
मत्स्य पालन क्षेत्र को 'सनराइज सेक्टर' के रूप में मान्यता प्रदान की गई है और इसने 2014-15 से लेकर अब तक उत्कृष्ट रूप से दो अंकों वाली 10.87 प्रतिशत औसत वार्षिक वृद्धि दर का प्रदर्शन किया है। यह क्षेत्र वित्तीय वर्ष 2019-20 में 142 लाख टन के रिकॉर्ड मछली उत्पादन तक पहुंच गया है और इसमें विकास की अपार संभावनाएं मौजूद हैं। इसके अलावा, इसने भारत में 28 मिलियन से ज्यादा लोगों की आजीविका को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, विशेष रूप से वंचित और कमजोर समुदाय के लोगों के लिए और सामाजिक-आर्थिक विकास को प्रोत्साहन प्रदान करने की दिशा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है जिसका योगदान वैश्विक उत्पादन में 7.56% है और यह देश के सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) में लगभग 1.24% और कृषि जीवीए में 7.28% से ज्यादा का योगदान करता है। मत्स्य पालन और जलीय कृषि लाखों लोगों के लिए भोजन, पोषण, आय और आजीविका का एक महत्वपूर्ण स्रोत बना हुआ है। 2019-20 के दौरान मत्स्य पालन क्षेत्र में निर्यात से प्राप्त आय 46,662.85 करोड़ रुपये रही है। यह क्षेत्र प्राथमिक स्तर पर लगभग 280 लाख लोगों को आजीविका प्राप्त करने में सहायता प्रदान करता है और मूल्य श्रृंखला के साथ इनकी संख्या लगभग दोगुनी है और पिछले कुछ वर्षों में मत्स्य पालन क्षेत्र में वार्षिक औसत वृद्धि दर 7% रही है। मछली पशु प्रोटीन का एक सस्ता और समृद्ध स्रोत है जिसके कारण यह भूखमरी और पोषक तत्वों की कमी को कम करने के लिए सबसे ज्यादा स्वास्थ्यप्रद विकल्पों में से एक है। इस क्षेत्र में अपने निर्यात को दोगुना करने की अपार संभावनाएं हैं और यह आवश्यक है कि निरंतर, जिम्मेदारी के साथ, समावेशी और न्यायसंगत रूप से इसके विकास में तेजी लाने के लिए नीति और वित्तीय सहायता के माध्यम से मत्स्य पालन क्षेत्र पर लगातार ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।
योजनाएं और कार्यक्रम
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई)
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 20 मई, 2020 को प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) को 20,050 करोड़ रुपये के अब तक के सर्वाधिक कुल निवेश के साथ मंजूरी प्रदान की(i) केंद्रीय हिस्सेदारी 9,407 करोड़ रुपये (ii) राज्य की हिस्सेदारी 4,880 करोड़ रुपये और (iii) सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में वित्तीय वर्ष 2020-21 से लेकर वित्तीय वर्ष 2024-25 तक 5 वर्षों की अवधि के दौरान इसके कार्यान्वयन के लिए लाभार्थियों का अंशदान 5,763 करोड़ रुपये है। वित्तीय वर्ष 2019-20 के केंद्रीय बजट में पीएमएमएसवाई का शुरुआत करने की घोषणा की गई और बाद में भारत सरकार के कोविड-19 राहत पैकेज (आत्मनिर्भर भारत पैकेज) के भाग के रूप में इसकी घोषणा की गई। पीएमएमएसवाई की शुरुआत माननीय प्रधानमंत्री द्वारा 10 सितंबर 2020 को की गई थी।
मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के मत्स्य पालन विभाग द्वारा क्रमशः 12 जून 2020 और 24 जून 2020 को सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को पीएमएमएसवाई का प्रशासनिक अनुमोदन और संचालन करने के लिए दिशानिर्देश जारी किया गया।
2020-21 के दौरान, 34 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों (पश्चिम बंगाल, चंडीगढ़ को छोड़कर) और अन्य संगठनों से 2,881.41 करोड़ रुपये की कुल लागत वाले प्रस्ताव प्राप्त हुए(सीएसएस के अंतर्गत 2,746.86 करोड़ रूपये + सीएस के अंतर्गत 134.56 करोड़ रूपये), जिसमें केंद्रीय हिस्सा 1,089.86 करोड़ रूपये (सीएसएस के अंतर्गत 955.26 करोड़ रुपये + सीएस के अंतर्गत 134.56 करोड़ रूपये)शामिल है,को मंजूरी प्रदान की गई और केंद्रीय भाग की पहली किस्त 585.68 करोड़ रूपये (सीएसएस के अंतर्गत 500.08 करोड़ रुपये + सीएस के अंतर्गत 85.60 करोड़ रुपये) जारी किए जा चुके हैं। गतिविधियों के अनुसार प्राप्त की गई उपलब्धियां निम्नानुसार है:
2021-22 के दौरान,आज की तारीख में विकास परियोजनाओं के लिए 16 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और 22 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से मछली पकड़ने पर प्रतिबंध/ प्रतिकुल अवधि के दौरान आजीविका और पोषण सहायता केअंतर्गत कुल परियोजना लागत 2600.54 करोड़ रुपये है, जिसमें केंद्रीय हिस्सेदारी के रूप में 845.31 करोड़ रूपये स्वीकृत किए जा चुके हैं और विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को 405.92 करोड़ रुपये की केंद्रीय हिस्सेदारी और प्रतिबद्ध दायित्व के रूप में 176.27 करोड़ रुपये की पहली किस्त जारी की जा चुकी है। वर्ष 2021-22 के दौरान पीएमएमएसवाई के अंतर्गत अब तक की गतिविधि वार उपलब्धियां निम्न प्रकार हैं-
अंतर्देशीय मत्स्य पालन : अंतर्देशीय जलीय कृषि के लिए 2983 हेक्टेयर तालाब क्षेत्र, 676 बायोफ्लोक इकाइयां और 1178 पुन: परिसंचरण एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस), 10,490 पिंजरों की संख्या और जलाशयों और अन्य जल निकायों में 126 हेक्टेयरबाड़ा; 110 मछली/झींगा हैचरी, अंतर्देशीय खारा-क्षारीय संस्कृति के लिए 79 हेक्टेयर तालाब क्षेत्र को मंजूरी प्रदान की गई।
समुद्री मत्स्य पालन : गहरे समुद्र में मछली पकड़ने वाले 101 जहाज, मौजूदा मछली पकड़ने वाले 260 जहाजों का उन्नयन, मशीनीकृत मछली पकड़ने वाले जहाजों में 1,353जैव-शौचालय; मछली पालन के लिए 890 खुले समुद्री पिंजड़े, 2 छोटी समुद्री फिनफिश हैचरी, खारे पानी की जलीय कृषि के लिए 642 हेक्टेयर तालाब क्षेत्र और 3 खारे पानी की हैचरी को मंजूरी प्रदान की गई।
मछुआरों का कल्याण : मछुआरों के लिए 974 प्रतिस्थापन नौकाएं और जाल; मछली पकड़ने पर प्रतिबंध/प्रतिकुल अवधि के दौरान मत्स्य संसाधनों के संरक्षण के लिए 6,58,462 मछुआरों के परिवारों के लिए आजीविका और पोषण संबंधी सहायता और 19 विस्तार और सहायता सेवाएं (मत्स्य सेवा केंद्र)।
मत्स्य पालन अवसंरचना : 127 बर्फ संयंत्र/कोल्ड स्टोरेज, 117 मछली चारा मिल/संयंत्र; मछली परिवहन सुविधाओं की 4660 इकाइयां, रेफ्रिजेरेटेड (67) और इन्सुलेटेड ट्रक (373), ऑटो रिक्शा (783), मोटर साइकिल (1893) और बर्फ के बक्से (1304) वाली साइकिलें; मछली खुदरा बाजार (81) की 957 इकाइयां और सजावटी कियोस्क (876) और 13 मूल्य वर्धित उद्यम इकाइयों सहित मछली कियोस्क को अब तक मंजूरी प्रदान की गई है।
जलीय स्वास्थ्य प्रबंधन : 4 रोग निदान केंद्र और गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशाला, 2 मोबाइल सेंटर और जांच प्रयोगशाला और एक जलीय रेफरल लैब को मंजूरी प्रदान की गई है।
सजावटी मत्स्य पालन : 273 सजावटी मछली पालन इकाइयों और 37 एकीकृत सजावटी मछली इकाइयों (प्रजनन और पालन) को मंजूरी प्रदान की गई है।
समुद्री शैवाल की खेती : समुद्री शैवाल की खेती के लिए 23,000 राफ्ट और 41,000 मोनोलिन ट्यूबनेट को मंजूरी प्रदान की गई है।
पूर्वोत्तर क्षेत्रों में विकास : कुल 122.50 करोड़ रुपये की परियोजना लागत को 59.75 करोड़ रुपये की केंद्रीय हिस्सेदारी के साथ मंजूरी प्रदान की गई। 23 हैचरी, एकीकृत मत्स्य पालन के लिए 421.76 हेक्टेयर क्षेत्र, 29 री-सर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस), 115 सजावटी मत्स्य पालन इकाइयां, 290 बायोफ्लॉक इकाइयां, 300 हेक्टेयर नए तालाबों का निर्माण और 39 फीड मिलों को मंजूरी प्रदान की गई।
अन्य महत्वपूर्ण क्रियाकलाप : 368 सागर मित्र और 19 मत्स्य सेवा केंद्र।
एफआईडीएफ का कार्यान्वयन
मत्स्य पालन क्षेत्र के लिए अवसंरचना की आवश्यकता को पूरा करने के लिए, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने 2018-19 के दौरान 7,522.48 करोड़ रुपये की कुल राशि के साथ मत्स्य पालन और एक्वाकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (एफआईडीएफ) नाम से एक समर्पित फंड बनाया है।एफआईडीएफ राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों और राज्य संस्थाओं सहित पात्र संस्थाओं (ईई) को नोडल ऋण संस्थाओं (एनएलई) के माध्यम से पहचान की गई मत्स्य पालन अवसंरचना का विकास करने के लिए रियायती वित्त प्रदान करता है, अर्थात् (i) राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड), (ii) राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) और (iii) सभी अनुसूचित बैंक।
एफआईडीएएफके अंतर्गत, मत्स्य विभाग एनएलई द्वारा कम से कम 5% प्रति वर्ष ब्याज की दर पर रियायती वित्त प्रदान करने के लिए 3% प्रति वर्ष तक ब्याज में छूट प्रदान करता है। एफआईडीएफ के अंतर्गत ऋण देने की अवधि 2018-19 से 2022-23 तक पांच वर्ष और मूलधन के पुनर्भुगतान पर 2 वर्ष की मोहलत सहित 12 वर्ष की अधिकतम पुनर्भुगतान अवधि है।
एफआईडीएफ के अंतर्गत राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों सहित विभिन्न पात्र संस्थाओं (ईई) से अब तक 5,954.96 करोड़ रुपये के 156 प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं । ये प्रस्ताव आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, जम्मू और कश्मीर, तेलंगाना, मिजोरम, पश्चिम बंगाल, असम, लक्षद्वीप, गुजरात, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, अंडमान निकोबार, केरल, त्रिपुरा, गोवा और बिहार जैसे कुल 20 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से प्राप्त हुए हैं। एफआईडीएफ के अंतर्गत नाबार्ड द्वारा त्रिपक्षीय एमओए का निष्पादन राज्य/केंद्र शासित प्रदेश परियोजनाओं का वित्तपोषण करने के लिए संबंधित (ऋण प्राप्त करने वाले) राज्य सरकार, (ii) नाबार्ड और (iii) मत्स्य पालन विभाग (डीओएफ), मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के बीच किया जाता है। हालांकि, अब तक तमिलनाडु, गुजरात, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, हरियाणा और गोवा जैसे केवल 8 राज्यों की सरकारों ने प्रारंभिक रियायती वित्त का लाभ उठाने के लिए त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओए) पर हस्ताक्षर किया है।
एफआईडीएफ के अंतर्गत गठित केंद्रीय अनुमोदन एवं निगरानी समिति (सीएएमसी) ने 3,783.46 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी प्रदान की है, जिसमें एफआईडीएफ के अंतर्गत ब्याज अनुदान परियोजना की लागत को 2,304.37 करोड़ रुपये तक सीमित किया गया है।
किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी)
माननीय वित्त मंत्री द्वारा आत्मनिर्भर भारत पैकेज के अंतर्गत किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना के तहत मछुआरों और मछली पालकों सहित 2.5 करोड़ किसानों को 2 लाख करोड़ रुपये की रियायती ऋण की घोषणा की गई। इस प्रकार, मत्स्य पालन विभाग ने सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के सहयोग से मत्स्य पालन और मत्स्य पालकों को केसीसी जारी करने के लिए कई बार विशेष अभियान चलाया है।इसके अलावा माननीय केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री, श्री परशोत्तम रूपाला ने 15 नवंबर, 2021 को मत्स्य पालन और मत्स्य पालकों को शामिल करने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) अभियान की शुरुआत की। यह अभियान 15.11.2021 से 15.02.2022 तक चलेगा और अधिकांश मछुआरों और मत्स्य किसानों को संस्थागत ऋण के दायरे में लाने के प्रयास किए जाएंगे।
मछुआरों को दो प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है, अर्थात समुद्री मछुआरे और मछली किसान (एक्वाकल्चरिस्ट), जलीय कृषि जिसके लिए भारी पूंजी निवेश की आवश्यकता होती है, वह देश में अभी भी शुरूआती अवस्था में थी और पारंपरिक समुद्री मछुआरों को उनकी मौजूदा प्रथाओं के अनुसार बहुत अधिक पूंजी की आवश्यकता नहीं होती है । इस योजना के अंतर्गत और पीएमएमएसवाई के तहत, डीओएफ राज्य सरकारों और मछुआरों/मछली पालकों के साथ मिलकर सर्वोत्तम प्रथाओं के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने और उन्हें अपनी गतिविधियों को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने की दिशा में काम कर रहा है । इससे किसानों को अपनी आय में बढ़ोत्तरी करने में मदद मिलेगी और ऋण की मांग में भी बढ़ोत्तरी होगी।
आज की तारीख में, मछुआरों और मत्स्य पालकों की ओर से कुल 6,08,820 केसीसी के लिए आवेदन प्राप्त हुए हैं। उसमें से 70,818 केसीसी जारी किए जा चुके हैं और केसीसी जारी करने के लिए विभिन्न चरणों में लगभग 4,80,965 लाख आवेदन बैंकों के पास हैं। जारी किए गए केसीसी कार्ड के माध्यम से विभिन्न केसीसी कार्ड धारकों के बीच 1,038.60 करोड़ रुपये की राशि का भी वितरण किया गया है।
बजट घोषणाएं
तमिलनाडु में समुद्री शैवाल पार्क की घोषणा
इस पहल की घोषणा बजट के अंतर्गत की गई थी जो समुद्री शैवाल खेती और समुद्री शैवाल आधारित उद्योगों को एक साथ जोड़ेगी और बढ़ावा देगी, जिससे इस क्षेत्र का पूर्ण विस्तार किया जा सके। इसके अलावा, संपूर्ण समुद्री शैवाल मूल्य श्रृंखला के लिए वन स्टॉप पार्क सभी गतिविधियों, किसानों, प्रोसेसरों, खरीदारों, निर्यातकों, आयातकों, खुदरा विक्रेताओं को एक साथ एक सर्वोत्तम उत्पादन तक पहुंचने और इस प्रकार मूल्य वर्धन को अधिकतम करने, बर्बादी में कमी लाने, किसानों की आय बढ़ाने और रोजगार के अवसर उत्पन्न करने के लिए जोड़ेगा और इसे एक हब और स्पोक मॉडल के रूप में विकसित किया जाएगा और सरकार समुद्री शैवाल पार्क की स्थापना के लिए लगभग 100 करोड़ रुपये का निवेश करेगी।
बहुउद्देशीय समुद्री शैवाल पार्क के लिए व्यापक मॉडल को जल्द से जल्द प्रस्तुत करने के लिए, तमिलनाडु राज्य सरकार द्वारा हितधारकों और भारत सरकार के साथ विस्तृत विचार-विमर्श और चर्चा के बाद सहयोग के संभावित क्षेत्र की पहचान की जा रही है।
आर्थिक गतिविधियों के केंद्र के रूप में मछली पकड़ने के लिए 5 प्रमुख बंदरगाहों के विकास की घोषणा
मछली पकड़ने के लिए 5 प्रमुख बंदरगाहों- कोच्चि, चेन्नई, विशाखापत्तनम, पारादीप और पेटुआघाट - को आर्थिक गतिविधियों के केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा, जिसमें विश्व स्तरीय अवसंरचना और सुविधाओं, निर्बाध और गुणवत्ता वाली कोल्ड चेन और हाइजीनिक हैंडलिंग, फसल के बाद के नुकसान में कमी लाने लिए लगभग 600 करोड़ खर्च किए जाएंगे। इस संबंध में, जहां कहीं भी आवश्यक हो, डीपीआर की तैयारी और प्रभाव आकलन 30 सितंबर, 2021 तक पूरी कर लिया जाएगा और इसके बाद 31 दिसंबर, 2021 तक परियोजनाओं को मंजूरी प्रदान कर दी जाएगी।
अन्य प्रमुख पहलें/मुख्य बातें
1.मत्स्य पालन, पशुपालन राज्य मंत्री, श्री प्रताप चंद्र सारंगी ने 10 जनवरी, 2021 को ओडिशा के बालासोर तट में ओपन सी केज कल्चर को बढ़ावा देने और प्रवर्धन करने वाली परियोजना की आधारशिला रखी। इस अवसर पर एनएफडीबी के मुख्य कार्यकारी और विभाग के दोनों संयुक्त सचिव मौजूद थे। इसके बाद, माननीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री, श्री सारंगी ने ओडिशा राज्य के मत्स्य पालकों के फायदे के लिए मत्स्य पालन और जलीय कृषि पर विशेष ध्यान देते हुए एक प्रशिक्षण सह-जागरूकता कार्यक्रम का उद्घाटन किया, जिसका आयोजन 11.01.2021 को मत्स्य पालन विभाग, भारत सरकार, राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड, हैदराबाद और ओडिशा सरकार के मत्स्य पालन विभाग द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था। इस कार्यक्रम के दौरान ओडिशा सरकार के सभी 30 जिला मत्स्य अधिकारी, ओडिशा के प्रत्येक जिले से 50 किसान (1500 किसान) के साथ सभी 07 कृषि विज्ञान केंद्र, प्रत्येक केंद्र से 30 किसान (210 किसान), एक्वा वन सेंटर (एनएफडीबी द्वारा वित्त पोषित) के अंतर्गत नामांकित 650 किसान, 1000 से ज्यादा झींगा किसानों, ओडिशा के किसानों और हैचरी ऑपरेटरों, सीआईएफए वैज्ञानिकों और तकनीकी कर्मियों आदि ने इस वेबिनार में हिस्सा लिया।
2. केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री, श्री गिरिराज सिंह ने 21 जनवरी, 2021 को चेन्नई के पडप्पई में जलीय पशु संगरोध इकाई (एएक्यूयू) और रोग नैदानिक प्रयोगशाला (डीडीएल) के स्थापना की आधारशीला रखी। यह जलीय संगरोध सुविधा कृषि क्षेत्र को बीमारियों से बचाने और जीवित जलीय जंतुओं की शुरुआत से जुड़े हुए जोखिम को कम करने की दिशा में एक प्रमुख भूमिका निभाएगी। माननीय मंत्री 20 से लेकर 24 जनवरी, 2021 तक अपनी यात्रा के दौरान, तटीय जलकृषि प्राधिकरण (सीएए), केंद्रीय खारा जल जलकृषि संस्थान (सीआईबीए), केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (सीएसएमसीआरआई), केंद्रीय नमक एवं समुद्री रसायन अनुसंधान संस्थान (सीएसएमसीआरआई) और तमिलनाडु राज्य मत्स्य विभाग द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में भी शामिल हुए।
3.तत्कालीन मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री, श्री गिरिराज सिंह ने गोवा राज्य में पीएमएमएसवाई के अंतर्गत मछली पकड़ने के लिए बंदरगाह/लैंडिंग सेंटर, समुद्री शैवाल खेती, सागरीय कृषि वाली गतिविधियों के विकास सहित गोवा सरकार के साथ मत्स्य पालन क्षेत्र के विकास पर चर्चा करने के लिए 5-7 फरवरी, 2021 के दौरान गोवा का दौरा किया। इसके अलावा माननीय मंत्री ने 2024-25 तक गोवा में पीएमएमएसवाई के अंतर्गत कई प्रकार कामध्यवर्त करने की भी घोषणा की। अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान (एनआईओ), भारतीय मत्स्य सर्वेक्षण, गोवा बेस, गोवा विश्वविद्यालय के एनसीपीओआर जैसे विभिन्न वैज्ञानिक संस्थानों का भी दौरा किया और गोवा को देश में समुद्री मत्स्य पालन निर्यात केंद्रों में से एक बनाने के लिए रणनीतियों पर चर्चा की।
- माननीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री ने 6 जुलाई, 2021 को "मत्स्य सेतु" ऐप को जारी किया। राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी), हैदराबाद के वित्तीय समर्थन के माध्यम से मत्स्य सेतु ऐप विकसित किया गया है।यह प्रसिद्ध जलीय कृषि विशेषज्ञों द्वारा समझाए गए प्रजाति-वार/ विषय-वार ऑनलाइन पाठ्यक्रम मॉड्यूल के साथ-साथ एक स्व-शिक्षण ऐप है।यह जलीय किसानों और उद्यमियों को अपनी सुविधानुसार जलीय कृषि प्रौद्योगिकियों और बेहतर कृषि प्रबंधन प्रथाओं में विकास सीखने में सक्षम बनाएगा। प्रत्येक पाठ्यक्रम मॉड्यूल के सफल समापन परएक ई-प्रमाण पत्र स्वतः उत्पन्नकिया जा सकता है।
- मत्स्य विभाग और उसके अधीनस्थ संगठनों ने 10 जुलाई 2021 को राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस मनाया। इस दिन को एनएफडीबी स्थापना दिवस के रूप में भी मनाया गया।इस अवसर पर माननीय केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री ने स्वास्थ्य भोजन के रूप में पूरे देश में घरेलू मछलियों की खपत को लोकप्रिय बनाने और बढ़ावा देने के लिए सोशल मीडिया/रेडियो जिंगल और नारों का भी शुभारंभ किया।
6.15 जुलाई, 2021 को माननीय केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री ने लोकसभा में एक आश्वासन को पूरा करने वाले भाग के रूप में भारतीय समुद्री मत्स्य पालन विधेयक, 2021 के मसौदे पर चर्चा करने के लिए तटीय क्षेत्रों से लोकसभा के माननीय सांसदों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता की। केंद्रीय मंत्री ने 26 जुलाई से लेकर 28 जुलाई, 2021 तक भारतीय समुद्री मत्स्य पालन विधेयक, 2021 के संशोधित मसौदे पर तटीय राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के माननीय सांसदों और तटीय क्षेत्रों से लोकसभा के माननीय सांसदों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श भी किया। माननीय सांसदों द्वारा दिए गए सुझावों को विधेयक के मसौदे में शामिल किया गया। इसके अलावा, मछुआरा संघों और समुद्री मत्स्य पालन विशेषज्ञों के साथ विधेयक के मसौदे पर भी विचार-विमर्श किया गया और उनसे विचारों और सुझावों को प्राप्त किया गया।
7.राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड, हैदराबाद ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत समूह दुर्घटना बीमा योजना (जीएआईएस) के कार्यान्वयन के लिए 14 जुलाई, 2021 को मेसर्स ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (ओआईसीएल) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओए) पर हस्ताक्षर किया।इसके अलावा, समूह दुर्घटना बीमा योजना (जीएआईएस) का कार्यान्वयन करने हेतु सुचारू समन्वय और निगरानी स्थापित करने के लिए 14.07-.2021 को एनएफडीबी, ओआईसीएल और मेसर्स प्रोविडेंस इंश्योरेंस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (बीमा मध्यस्थ) के बीच त्रिपक्षीय सेवा स्तर समझौता (एसएलए) पर भी हस्ताक्षर किया गया।
8.विभाग ने आजादी का अमृत महोत्सव के एक भाग के रूप में 28 अगस्त, 2021 को "मीठे पानी की जलीय कृषि और उसके प्रबंधन में प्रमुख रोग समस्याएं" पर एक वेबिनार का आयोजन किया।मत्स्य पालन विभाग, भारत सरकार, राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारियों, राज्य कृषि और मत्स्य पालन विश्वविद्यालयों के संकाय सदस्यों, उद्यमियों, जलीय कृषि किसानों, हैचरी मालिकों, जलीय कृषि उद्योग के प्रतिनिधियों आदि ने इस वेबिनार में हिस्सा लिया। आईसीएआरसेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेशवाटर एक्वाकल्चर ने भारत में मीठे पानी की जलीय कृषि में प्रमुख रोग समस्याओं और उनके प्रबंधन पर एक प्रस्तुति प्रदान की।
9.श्री परुशोत्तम रूपाला, माननीय केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री ने 8.10.2021 को बृजघाट, गढ़ मुक्तेश्वर, उत्तर प्रदेश में गंगा नदी में नदी तटीय कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इसके साथ ही उत्तराखंड, ओडिशा, त्रिपुरा और छत्तीसगढ़ राज्यों में कार्यक्रम आयोजित किए गए। गंगा, ब्रह्मपुत्र और महानदी जैसे तीन नदी प्रणालियों में 8.10.2021 को कुल 8.85 लाख मछली के बच्चों को छोड़ा गया। अक्टूबर, 2021 के दौरान पूरे देश में कुल 76.91 लाख मछली के बच्चों को छोड़ा गया। इससे इन नदियों में मछलियों की आबादी बढ़ने की संभावना है।
10.आजादी का अमृत महोत्सव समारोह के अंतर्गत मत्स्य विभाग ने 20 अक्टूबर, 2021 को "फिश फॉर हेल्थ एंड फिश फॉर वेल्थ" पर एक वेबिनार का आयोजन किया। इसमें मत्स्य विभाग (भारत सरकार) और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारी, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के संकाय सदस्यों, उद्यमी, जलीय कृषि किसानों और देश भर के मछुआरों ने हिस्सा लिया। पश्चिम बंगाल के बैरकपुर स्थित केंद्रीय अंतर्देशीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सीआईएफआरआई) के निदेशक, डॉ. के. के. दास ने मछली स्वास्थ्य, उदयीमान मछलियों और भारत में शेल्फिश रोग और इसकी रोकथाम और शमन पर विस्तृत प्रस्तुति प्रदान की।
11.डॉ एल मुरुगन, माननीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी एवं सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री ने 30 अक्टूबर से लेकर 1 नवंबर, 2021 के दौरान लक्षद्वीप का दौरा किया और अगाटी द्वीप स्थित मरीन सी केज फार्म में उच्च मूल्य पोम्पानो मछली के बीजों का भंडारण करने के लिए संग्रहण का उद्घाटन किया, जिसे सीएमएफआरआई, मत्स्य विभाग लक्षद्वीप, मत्स्य विभाग, भारत सरकार और एनएफडीबी ने मिलकर संयुक्त रूप से विकसित किया है।
12.माननीय केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री, श्री परुशोत्तम रूपाला और मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री, डॉ एल मुरुगन ने संयुक्त रूप से लक्ष्मणराव इनामदार राष्ट्रीय सहकारी अनुसंधान और विकास अकादमी,राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (लिनैक-एनसीडीसी) के लिए 16 नवंबर, 2021 को उद्घाटन पट्टिका का अनावरण किया, जो पीएमएमएसवाई योजना के अंतर्गत गुरुग्राम में एक मत्स्य व्यवसाय इनक्यूबेटर केंद्र है। लिनैक-एनसीडीसी मत्स्य व्यापार इनक्यूबेटर, युवा उद्यमियों को इस क्षेत्र में शामिल होने के लिए प्रेरित करेगा, जिससे रोजगार सृजन होगा और स्टार्ट-अप गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा जिससे भारत में मत्स्य पालन क्षेत्र में और ज्यादा विकास होगा।
13.विश्व मत्स्य दिवस-2021 का आयोजन: मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के मत्स्य पालन विभाग द्वारा 21 नवंबर, 2021 को भुवनेश्वर, ओडिशा के रेल सभागार में 'विश्व मत्स्य दिवस' 2021 मनाया गया। माननीय केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री, श्री पुरुषोत्तम रूपाला औरमत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री, डॉ एल मुरुगन इस अवसर पर उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्य मत्स्य विभागीय अधिकारियों, मत्स्य पालकों, मछुआरों, मत्स्य किसानों, उद्यमियों, हितधारकों, पेशेवरों, अधिकारियों और वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम के दौरान अंतर्देशीय, समुद्री, पहाड़ी और पूर्वोत्तर क्षेत्र, अंतर्देशीय, समुद्री, पहाड़ी और पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए सर्वश्रेष्ठ जिले, अंतर्देशीय, समुद्री, पहाड़ी और पूर्वोत्तर क्षेत्र, सर्वश्रेष्ठ अर्ध सरकारी संगठन/फेडरेशन/निगम/बोर्ड इनलैंड, मरीन, पहाड़ी और पूर्वोत्तर (एनई) क्षेत्र की श्रेणी में 2020-21 के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्यों को पुरस्कार प्रदान किए गए। इसके अलावा, सर्वश्रेष्ठ मछली किसान (अंतर्देशीय, समुद्री, पहाड़ी और पूर्वोत्तर क्षेत्र), सर्वश्रेष्ठ हैचरी (मछली, झींगा और ट्राउट हैचरी), सर्वश्रेष्ठ मत्स्य पालन उद्यम, सर्वश्रेष्ठ मत्स्य पालन सहकारी समितियां/किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ)/स्वयं सहायता समूह (एसएचजी), सर्वश्रेष्ठ व्यक्तिगत उद्यमी, सर्वश्रेष्ठ नवाचार विचार/टेक्नोलॉजी इनफ्यूजन के अंतर्गत भी पुरस्कार प्रदान किए गए। कार्यक्रम के दौरान दोनों माननीय केंद्रीय मंत्रियों द्वारा पुस्तिकाओं के विभिन्न प्रकाशनों, पोस्टरों, रेडियो जिंगलको भी जारी किया गया।
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