विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

वर्षांत – समीक्षा – 2021 - विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय


वैश्विक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी  सूचकांकों में भारत की श्रेणी  ( रैंकिंग ) लगातार बढ़ रही है

सुपरकंप्यूटिंग मिशन के साथ भारत आगे बढ़ा

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (  डीएसटी ) के प्रयास वैज्ञानिक बुनियादी ढांचे को विभिन्न संस्थानों में सुलभ बनाते हैं

डीएसटी ने महिला वैज्ञानिकों को संस्थागत सहयोग दिया

पूर्वोत्तर में पहुँच गया केसर का कटोरा

इंस्पायर मानक दूरस्थ स्थानों तक पहुँच रहा है और इसमें अधिक से अधिक छात्र शामिल हो रहे  है

डीएसटी से सहायता प्राप्त अनुसंधान सभी के लिए लाभकारी लागत पर स्वास्थ्य और कल्याण की ओर बढ़ने में सहायक है

मूलभूत नवाचार ( ग्रासरूट इनोवेशन ) : स्थानीय उत्पाद के लिए मुखर बनें ( वोकल फॉर लोकल )

Posted On: 28 DEC 2021 12:56PM by PIB Delhi

वर्ष 2021 मानव जाति के लिए कुछ अभूतपूर्व चुनौतियां लेकर आया। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी)  और उसके स्वायत्त संस्थानों ने इन चुनौतियों से निपटने में भारत की मदद करने के लिए खुद को तैयार किया। विभाग ने पिछले साल कोविड -19  वैश्विक महामारी के माध्यम से मिले अनुभवों को वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिक (एसटीआई) समाधानों के साथ दुनिया तक पहुंचाने के लिए अपनाया और जिनसे  जो हर क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन आया , चाहे वह स्वास्थ्य सेवा, स्थिरता, ऊर्जा दक्षता, जलवायु परिवर्तन, खाद्य उत्पादन या जिस तरह से हम काम करते हैं ऐसे किसी संदर्भ में रहा हो ।

2021 के दौरान विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (  डीएसटी ) की प्रमुख सफलता की कहानियां

1.वैश्विक वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिक ( एसटीआई  ) सूचकांकों में भारत की  श्रेणी ( रैंकिंग ) लगातार बढ़ रही है

वैश्विक नवाचार सूचकांक ( ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स – जीआईआई )  के अनुसार भारत वैश्विक स्तर पर शीर्ष 50 नवीन अर्थव्यवस्थाओं में 46वें स्थान पर पहुंच गया है। राष्ट्रीय विज्ञान संस्थान ( एनएसएफ ) के डेटाबेस के अनुसार देश वैज्ञानिक प्रकाशनों के क्षेत्र  में शीर्ष 3 देशों में बना हुआ है और उच्च शिक्षा प्रणाली के आकार में पीएचडी की संख्या के साथ ही स्टार्टअप्स की संख्या के मामले में भी तीसरे स्थान पर पहुंच गया है  

2.सुपरकंप्यूटिंग मिशन के साथ भारत आगे बढ़ा

राष्ट्रीय सुपर-कंप्यूटर मिशन ( एनएसएम ) के अंतर्गत जुलाई 2021 से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान ( आईआईटी )  -हैदराबाद,  राष्ट्रीय कृषि –खाद्य जैव प्रौद्योगिकी संस्थान ( एनएबीआई ) - मोहाली, सी डैक  ( सीडीएसी ) -बेंगलुरु, और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान ( आईआईटी )  कानपुर में राष्ट्रीय सुपर-कंप्यूटर मिशन ( एनएसएम )  4 नए सुपर कंप्यूटर स्थापित किए गए हैं, जिनका उद्देश्य राष्ट्रीय ज्ञान संजाल  ( नेशन नॉलेज नेटवर्क – एनकेएन ) के माध्यम से काम करने वाले लगभग 75 संस्थानों और हजारों से अधिक सक्रिय शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों को उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग (एचपीसी) सुविधाओं के लिए। सुपरकंप्यूटिंग सुविधाओं का ग्रिड स्थापित करना है ।

3..विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ( डीएसटी ) के प्रयास वैज्ञानिक बुनियादी ढांचे को संस्थानों में सुलभ बनाते हैं

देश भर में वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिक आधारभूत अवसंरचना ( एस एंड टी इन्फ्रास्ट्रक्चर ) तक खुली पहुंच के माध्यम से मानव संसाधन और इसकी क्षमता निर्माण को बढ़ावा देने के लिए सिनर्जिस्टिक ट्रेनिंग प्रोग्राम यूटिलाइज़िंग द साइंटिफिक एंड टेक्नोलॉजिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर  (एसटीयूटीआई) नामक एक नए कार्यक्रम की घोषणा हाल ही में की गई है। परिष्कृत विश्लेषणात्मक और तकनीकी सहायता संस्थान ( साथी- एसएटीएचआई ) कार्यक्रम के अंतर्गत  आमंत्रित किए गए प्रस्ताव उच्च समापन अनुसंधान के लिए 3 अत्याधुनिक राष्ट्रीय सुविधा साथी- एसएटीएचआई  केंद्रों की सहायता करेंगे। " विश्वविद्यालय शोध और वैज्ञानिक उत्कृष्टता को प्रोत्साहन  " ( पर्स- पीयूआरएसई ) योजना के अंतर्गत देशभर में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विश्वविद्यालयों के अनुसंधान एवं विकास आधार को मजबूत करने में सहायता के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए गए हैं ।

4..विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने महिला वैज्ञानिकों को संस्थागत सहयोग दिया

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी)  के महिला विज्ञान कार्यक्रम ने महिला विश्व विद्यालयों में नवाचार एवं उत्कृष्टता के लिए विश्वविद्यालय शोध -यूनिवर्सिटी रिसर्च फॉर इनोवेशन एंड एक्सीलेंस इन वूमेन यूनिवर्सिटीज –क्यूरी- सीयूआरआईई ) कार्यक्रम के तहत महिला स्नातकोत्तर  कॉलेजों को सहायता  देने के लिए एक नई पहल शुरू की है और इसके लिए प्रस्ताव भी आमंत्रित किए हैं। इसके अलावा, 30 संस्थानों ने आधिकारिक तौर पर इस साल गति-जीएटीआई  (जेंडर एडवांसमेंट फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंस्टीट्यूशंस ) का अभिनव कार्यक्रम शुरू किया है। भारत और जर्मनी के बीच संयुक्त अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं में महिला शोधकर्ताओं के लिए पार्श्व प्रवेश (लेटरल इंट्री ) के लिए अपनी तरह का पहला कार्यक्रम शुरू किया गया था।

5.वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिक केंद्र (एसटीआई हब) ,  देखरेख का बिंदु नैदानिक किट (पॉइंट ऑफ़ केयर डायग्नोस्टिक किट)  और उद्यमशीलता की पहल को प्रोत्साहित करने के माध्यम से समुदायों का सशक्तिकरण

तकनीकी, समावेशी आर्थिक विकास के लिए समुदाय के वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिक (एसटीआई) सशक्तिकरण का वर्ष भर चलने वाला समारोह  मनाने के लिए जनजातीय गौरव दिवस पर समुदायों के सशक्तिकरण पर कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए एक कार्यक्रम  टेकनींव@75 शुरू किया गया था । आज़ादी का अमृत महोत्सव के अवसर पर अगस्त 2022 तक हर महीने एक चयनित विषय पर वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिक (एसटीआई) इकोसिस्टम के आयोजन के लिए 'विज्ञान उत्सव' नामक एक साल का कार्यक्रम भी शुरू किया गया है । विभाग ने समुदाय स्तर पर विभिन्न अनिश्चितताओं के खिलाफ बेहतर वापसी , विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार (एसटीआई) सामर्थ्य और अन्य क्षमताओं के निर्माण के लिए सामुदायिक कोविड  लचीलापन संसाधन केंद्र ( सीसीआरआरसी ) स्थापित करने की पहल की थी । अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के समग्र विकास के लिए सात अनुसूचित जाति ( एससी ) /अनुसूचित जनजाति ( एसटी ) प्रकोष्ठ  और सात विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार (एसटीआई)  केंद्र -हब स्थापित किए गए हैं। भोजन में  साल्मोनेला, स्टैफिलोकोकस ऑरियस, क्लोस्ट्रीडियम परफिरिंगेंस, कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी और कैम्पिलोबैक्टर कोलाई संदूषण का पता लगाने के लिए पॉइंट-ऑफ-केयर, लागत प्रभावी, आसानी से निष्पादित नैदानिक ​​टूलकिट विकसित किए गए । स्क्रब टाइफस का रोगी के स्थान पर ही ( ऑनसाइट) पता लगाने के लिए एक पेन ड्राइव आकार का एंड्रॉइड ऐप सक्षम उपयोगकर्ता के अनुकूल डीएनए सेंसर विकसित किया गया था । रेशमकीट पालन के लिए रंगीन कृत्रिम आहार का एक गुलदस्ता प्राकृतिक रूप से रंगीन कोकून का उत्पादन करने के लिए विकसित किया गया था ।

6.पूर्वोत्तर में लाया गया केसर का कटोरा

भारत में केसर का कटोरा कहलाने वाला क्षेत्र जो अब तक कश्मीर के कुछ हिस्सों तक ही सीमित था उसे  अब उत्तर पूर्वी प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग एवं प्रसार केंद्र ( नॉर्थ ईस्ट सेंटर फॉर टेक्नोलॉजी एप्लीकेशन एंड रीच – एनईसीटीएआर –नेक्टर) के केंद्रित प्रयासों के माध्यम से उत्तर पूर्व के कुछ हिस्सों में पल्लवित किया जा चुका है। पूर्वोत्तर में पहली बार दक्षिण सिक्किम के यांगंग गांव में केसर की सफल खेती देखी गई। अब इसका विस्तार तवांग , अरुणाचल प्रदेश और बारापानी, मेघालय में किया जा रहा है ।

7.विज्ञान और इंजीनियरी अनुसंधान बोर्ड - विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ( एसईआरबी –डीएसटी ) ने भारत में गहन तकनीक-आधारित अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिए अपनी तरह की प्रारम्भिक पहल शुरू करने के लिए  इंटेल- इंडिया ( Intel India  ) के साथ साझेदारी की

भारतीय अनुसंधान समुदाय इंटेल इंडिया के सहयोग से विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) द्वारा लॉन्च किए गए  ' औद्योगिक अनुसंधान अनुप्रयोगों  के लिए कोष ( एफआईआरई ) '  के माध्यम से जल्द ही गहन प्रौद्योगिकियों के क्षेत्रों में ऐसे उद्योग-प्रासंगिक अनुसंधान के अवसरों का अनुसरण करने में सक्षम होगा जो अनूठे एवं  परिवर्तनकारी हैं, और राष्ट्रीय स्तर पर एक महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं ।

8.भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास और सोनी इंडिया द्वारा आयोजित राष्ट्रीय हैकथॉन नागरिकों को इन्टरनेट ऑफ़ थिंग्स (आई टू टी) सेंसर बोर्ड का उपयोग करके समाधान के साथ आने के लिए प्रोत्साहित करता है

देश भर के नागरिकों ने 'संवेदन 2021 - भारत के लिए  संवेदन समाधान ( सेंसिंग सॉल्यूशंस' )  नामक एक राष्ट्रीय हैकथॉन के माध्यम से इन्टरनेट ऑफ़ थिंग्स ( आई टू टी  ) सेंसर बोर्ड का उपयोग करके सामाजिक हित की भारत-विशिष्ट समस्याओं को हल करने में भाग लिया। भारत में रहने वाले सभी देशज  नागरिकों के लिए खुली महा चुनौती ( ग्रैंड चैलेंज ) प्रतियोगिता का आयोजन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)  मद्रास प्रवर्तक टेक्नोलॉजीज फाउंडेशन (आईआईटीएम-पीटीएफ) द्वारा सोनी इंडिया सॉफ्टवेयर सेंटर के साथ संयुक्त रूप से किया गया था।

9.प्रौद्योगिकी भवन परिसर में निर्मित एक नए अत्याधुनिक भवन, कार्यालय ब्लॉक- आई  का उद्घाटन किया गया

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) और वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर) के लिए प्रौद्योगिकी भवन परिसर में निर्मित एक नए अत्याधुनिक भवन का उद्घाटन किया गया है। दिल्ली में स्थित डीएसटी के तहत विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) और वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर) और कुछ स्वायत्त संस्थानों को समायोजित करने के लिए नए कार्यालय प्रखंड (ब्लॉक) का निर्माण किया गया है

10. इनोवेशन इन साइंस परसूट फॉर इंस्पायर्ड रिसर्च –इंस्पायर- आईएनएसपीआईआरई मानक दूरस्थ स्थानों तक पहुँचता है और इसमें छात्रों की अधिकाधिक बढ़ती हुई संख्या शामिल होती है

इनोवेशन इन साइंस परसूट फॉर इंस्पायर्ड रिसर्च –इंस्पायर- आईएनएसपीआईआरई मानक पुरस्कार कुल 3,92,486 छात्रों में से चुने गए शीर्ष 60 नवप्रवर्तकों को प्रदान किए गए, जिन्होंने देश भर के स्कूलों से अपने नवाचार प्रस्तुत किए और जिन्हें विभिन्न स्तरों पर जांचा भी गया था।

11.विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) समर्थित भारत में बनाएं (मेक इन इंडिया) के अंतर्गत कई स्वदेशी स्मार्ट, कम लागत वाली प्रौद्योगिकियों के साथ आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ना

भारतीय रेलवे की शौचालय प्रणाली को गतिशील रखने के लिए शौचालय अपशिष्टों के संग्रह के लिए एक ऐसी नई स्वचालित तकनीक का उपयोग किया जा सकता है  जिसका उपयोग करना आसान है और जिसके लिए जैव-शौचालय के 7 गुना सस्ते विकल्प का प्रयोग किया जा सकता है। एक स्मार्ट सिस्टम जो शॉर्ट-सर्किट से पावर ग्रिड की रक्षा करने में सक्षम एक स्मार्ट प्रणाली  विकसित की गई  है जिसे बिजली क्षेत्र की  उन बड़ी  कंपनियों में शामिल किया जा सकता है जो अपने मानक सुपरकंडक्टिंग फॉल्ट करंट लिमिटर्स के साथ काम कर रहे हैं। कम लागत वाली अर्धचालक (सेमीकंडक्टर) निर्माण प्रक्रिया विकसित की गई है और 20वाट  तक के वोल्टेज को संभालने के लिए एकीकृत परिपथ ( सर्किट- आईसी ) को डिजाइन करने के लिए जिसका  उपयोग किया जाता है । समुद्री शैवाल अगर से प्राप्त एक प्राकृतिक बहुलक - ऐगारोज  पर आधारित एक उन्नत घाव ड्रेसिंग घावों के लिए लागत प्रभावी ड्रेसिंग को  बनाना संभव करेगा। संपर्क सतह से धूल हटाने में सक्षम एक चिपचिपी चटाई हमारे घर, कार्यालयों, अस्पतालों और प्रयोगशालाओं में एक स्वच्छ, स्वच्छ, स्वस्थ और ताज़ा वातावरण सुनिश्चित करने  के  साथ ही कई महंगे उपकरणों के सुचारू संचालन को भी सुनिश्चित कर सकती है। एक  त्रि-आयामी (3डी प्रिंटिंग) द्वारा सक्षम एक बहु-कार्यात्मक  ऊष्मा अवशोषक ( हीट सिंक ) जो पारंपरिक सिंक की तुलना में यांत्रिक उपकरणों से उत्पन्न ऊष्मा को 50 प्रतिशत अधिक  दर पर विलुप्त  कर सकता है, को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान  (आईआईटी) बॉम्बे में छात्रों  द्वारा ऊष्मा  को नष्ट करते हुए विद्युत मात्रा को सभालने के लिए विकसित किया गया था। प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) ने स्थानीय विनिर्माण को मजबूत करने, स्थानीय आपूर्ति श्रृंखलाओं के निर्माण और स्थानीय स्वदेशी उत्पादों को वैश्विक ब्रांडों में परिवर्तित करने के लिए " आत्म-निर्भर भारत   के लिए स्टार्टअप्स द्वारा प्रौद्योगिकियों के व्यावसायीकरण" प्रस्ताव आमंत्रित किए हैं ।

12. कार्बन फुटप्रिंट कम करने वाली प्रौद्योगिकियों के साथ स्थिरता की ओर बढ़ना : ईवी (विद्युत वाहन)  , वैकल्पिक और स्वच्छ ऊर्जा

नवाचार मिशन (मिशन इनोवेशन) 2.0 के एक हिस्से के रूप में, भारत यूरोपीय आयोग और  ब्रिटेन (यूके) के साथ-साथ  भवनों में कम कार्बन वाले  किफायती  रूप से गर्म  और ठंडा रखने वाली प्रणाली  पर नवाचार समुदाय (इनोवेशन कम्युनिटी) का सह-नेतृत्व कर रहा है। इसे कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, फिनलैंड, मोरक्को, नीदरलैंड, स्वीडन और सऊदी अरब से जबरदस्त सार्थक समर्थन मिला है और इस प्रक्रिया में  जिसमें अन्तर्रष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) और आरएमआई हितधारकों के रूप में भाग ले रहे हैं ।

यूरोपीय यूनियन –भारत स्वच्छ ऊर्जा  एवं जलवायु सहभागिता (ईयू-इंडिया क्लीन एनर्जी एंड क्लाइमेट पार्टनरशिप) के तहत विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार और यूरोपीय संघ ने सहयोगी अनुसंधान परियोजनाओं के लिए प्रस्तावों को आमंत्रित किया, जिसका उद्देश्य स्थानीय ऊर्जा प्रणालियों में बड़ी मात्रा में नवीकरणीय ऊर्जा को डीएसटी से मिलते-जुलते अनुदान के साथ क्षितिज 2020 कार्यक्रम के तहत यूरोपीय देशों द्वारा प्रतिबद्ध 9 मिलियन की राशि के साथ स्मार्ट तरीके से एकीकृत करना है ।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने वैश्विक प्रथाओं को अपनाने और निम्न से उच्च प्रौद्योगिकी तैयारी स्तरों (टीआरएल) वाली  प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण के लिए अअनुप्रयोग  संबंधी अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए कार्बन कैप्चर यूटिलाईजेशन एंड स्टोरेज - सीसीयूएस के क्षेत्र में अन्य एसीटी भागीदार देशों के सहयोग से एसीटी  # 3 कॉल में भाग लिया था। नीदरलैंड, नॉर्वे, डेनमार्क, जर्मनी, यूके, यूएसए आदि के साथ साझेदारी में आईआईटी खड़गपुर, आईआईटी बॉम्बे, जीआईआईपी नई दिल्ली को दो बहुपक्षीय कार्बन कैप्चर यूटिलाईजेशन एंड स्टोरेज -सीसीयूएस संघ का सहयोग लिया गया है।

इन-सीटू कार्बन संशोधित एलआईएफईपीओ4 (LiFePO4)  (एलईपी) के संश्लेषण के लिए विकसित अभिनव और कम लागत वाली प्रक्रिया, एसीआरआई  द्वारा लिथियम-आयन बैटरी के लिए एक कैथोड सामग्री  स्वदेशी रूप से विकसित बड़े पैमाने पर रिएक्टर सूर्य के प्रकाश और पानी जैसे स्थायी स्रोतों का उपयोग करके पर्याप्त मात्रा में हाइड्रोजन का उत्पादन करती  है । शोधकर्ताओं ने लिथियम आयन बैटरी (इलेक्ट्रिक वाहनों में प्रयुक्त) के लिए लिथियम धातु ऑक्साइड इलेक्ट्रोड पर कार्बन की परत चढाने का एक सस्ता  तरीका विकसित किया है जो सुरक्षात्मक कार्बन कोटिंग के कारण इसके जीवनकाल  को दोगुना कर देगा। भाप के रूप में बर्बाद होने वाली बिजली को बचाने के साथ-साथ उच्च राख वाले भारतीय कोयले को मेथनॉल में बदलने के लिए औद्योगिक प्रक्रियाओं के दबाव और प्रवाह विसंगतियों को ठीक करने के लिए प्रौद्योगिकियों का विकास किया गया है। जवाहर लाल नेहरु उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र (जेएनसीएएसआर) के वैज्ञानिकों ने एक नई सीसा (पीबी) मुक्त सामग्री की खोज की है जो हमारे छोटे घरेलू उपकरणों और स्वचालित वाहनों (ऑटोमोबाइल) को बिजली देने के लिए अपशिष्ट गर्मी को कुशलतापूर्वक परिवर्तित कर सकती है।

13. विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) से सहायता प्राप्त  अनुसंधान सभी के लिए लाभकारी लागत पर स्वास्थ्य और कल्याण की ओर बढ़ने में सहायक  है

शोधकर्ताओं ने " 6बायो (बीआईओ) " नामक एक यौगिक विकसित किया है जो ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) के इलाज के लिए एक बेहतर तरीका प्रदान कर सकता है।जवाहर लाल नेहरु उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र (जेएनसीएएसआर) के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा अणु विकसित किया है जिसके माध्यम से अल्जाइमर रोग (एडी) में न्यूरॉन्स निष्क्रिय होकरने वाले तन्त्र को बाधित किया जा सकता है  और यह  इस रोग की  संभावित दवा के लिए प्रतिस्पर्धी  हो सकता है। डीएनए संशोधनों को मापने की एक नई तकनीक कई बीमारियों के शीघ्र निदान में मदद कर सकती है। बेहतर दवा वितरण तंत्र विकसित किया गया है साथ ही लचीला कम लागत, पहनने योग्य सेंसर जो मानव शरीर के स्वास्थ्य और शारीरिक स्थिति की निगरानी के लिए पसीने को ट्रैक कर सकता है। देश में पहला राष्ट्रीय हृदय विफलता बायोबैंक (एनएचएफबी) जो भविष्य के उपचारों के लिए एक गाइड के रूप में रक्त, बायोप्सी और नैदानिक ​​डेटा एकत्र करेगा, का उद्घाटन श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी (एससीटीआईएमएसटी) में किया गया ।

14.मूलभूत नवाचार (ग्रासरूट इनोवेशन) : स्थानीय उत्पाद के लिए मुखर बनें (वोकल फॉर लोकल)

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने राष्ट्र्रीय नवाचार संस्थान (नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन) (एनआईएफ) के साथ मिलकर कई मूलभूत  नवाचारों का समर्थन किया है जैसे कि एटिकोप्पका खिलौने बनाने की पारंपरिक विधि, लक्ष्मी आसू मेकिंग मशीन जिसने पोचमपल्ली रेशम की बुनाई में क्रांति ला दी है और व्यवसाय में शामिल हजारों बुनकरों की मेहनत को कम कर दिया है तथा  डेयरी मवेशियों की संक्रामक बीमारी मास्टिटिस के इलाज के लिए पॉलीहर्बल और किफ़ायती दवा।

15. डीएसटी समर्थित अनुसंधान राज्य स्तर की भेद्यता, स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन के अन्य प्रभावों का आकलन करता है

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा समर्थित राष्ट्रीय जलवायु भेद्यता मूल्यांकन रिपोर्ट ने 6 पूर्वी राज्यों - झारखंड, मिजोरम, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, असम, बिहार, अरुणाचल प्रदेश और पश्चिम बंगाल को जलवायु परिवर्तन के लिए अत्यधिक संवेदनशील राज्यों के रूप में पहचाना है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि बच्चों में कुल संक्रामक रोग के मामलों में जलवायु मापदंडों का हिस्सा 9-18% है। एक अन्य शोध में पाया गया है कि खनिज धूल, जैव-अपशिष्टों ( पराली आदि-  बायोमास )  का जलना, द्वितीयक सल्फेट, उत्तर पश्चिमी भारत और पाकिस्तान से द्वितीयक नाइट्रेट, दिल्ली जैसे प्रदूषित शहर, थार रेगिस्तान और अरब सागर क्षेत्र, मध्य और लंबी दूरी तक पहुँच सकने  वाले समुद्री मिश्रित एरोसोल इसके मुख्य स्रोत हैं। भारत के उत्तर-पश्चिमी, मध्य मध्य हिमालय क्षेत्र में एरोसोल और आगे दक्षिण-मध्य क्षेत्र को पिछली आधी शताब्दी में तीव्र  लू ( हीटवेव )  की घटनाओं का नया हॉटस्पॉट पाया गया, जिसमें तीन हीटवेव हॉटस्पॉट क्षेत्रों में निवासियों के बीच विभिन्न कमजोरियों से निपटने के लिए  प्रभावी गर्मी कार्ययोजना ( हीट एक्शन प्लान )  विकसित करने की आवश्यकता पर ध्यान दिया गया। शोधकर्ताओं ने फोटोवोल्टिक और रूफटॉप सौर प्रतिष्ठानों से सौर ऊर्जा उत्पादन को कम करने वाले एरोसोल, धूल और बादलों के आर्थिक प्रभाव की भी गणना की है, पिछले चार दशकों में उत्तर हिंद महासागर क्षेत्र में गंभीर चक्रवाती तूफानों में वृद्धि हुई है, और  पाया है   कि भूकंप रोधी भवनों के निर्माण का भविष्य थर्मोकोल की सामग्री हो सकती है ।

16. विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) का सहयोग  बेहतर आपदा प्रबंधन की ओर ध्यान देता  है

वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (डब्ल्यूआईएचजी) के शोधकर्ताओं ने असम और अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर स्थित हिमेबस्ती गांव में भूकंप का पहला ऐसा भूवैज्ञानिक प्रमाण पाया है, जिसे इतिहासकारों ने इतिहास में सदिया भूकंप के रूप में प्रलेखित किया है और  जिसे इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर विनाश के लिए दर्ज किया गया है । और इसने लगभग 1697 ईस्वी में शहर को लगभग नष्ट कर दिया था । यह खोज पूर्वी हिमालय के भूकंपीय खतरे के नक्शे में योगदान कर सकती है, जो इस क्षेत्र में निर्माण और योजना की सुविधा प्रदान कर सकती है। दूसरी ओर भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र  के अंतिम  भाग की   मिशमी पर्वतमाला (एमआर) जिसने अरुणाचल प्रदेश के कमलांग नगर शहर में हिमालय में दर्ज किए गए अब तक के सबसे बड़े भूकंप के निशान देखे हैं, भारत में व्यापक रूप से वितरित भूकंप पैटर्न है,  जबकि इसके विपरीत पश्चिमी और मध्य हिमालय  है जहां भूकम्पों  का पैटर्न सिंधु सुतुरे  क्षेत्र ( आईएसजेड ) के दक्षिण में यूरेशियन और भारतीय प्लेट्स के बीच मार्जिन में लगभग 30 किमी चौड़ा 10 - 20 किमी गहराई पर केंद्रित है ।

17. विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) का सहयोग सभी के लिए स्वच्छ और पीने योग्य पानी तक पहुंच में सहायता करता है

गंगा नदी के निचले हिस्सों में पानी की गुणवत्ता चिंताजनक पाई गई, जबकि इंदौर नगर निगम ने 330 पारंपरिक जल आपूर्ति स्रोतों (कुओं और बावड़ियों) का कायाकल्प किया। एक बेहतर अपशिष्ट जल उपचार समाधान विकसित किया गया है जो कपड़ा उद्योग से औद्योगिक रंजक (डाई) वाले अपशिष्ट जल का पूरी तरह से पुन: उपयोग कर सकता है, इसकी विषाक्तता को समाप्त कर सकता है और इसे घरेलू और औद्योगिक उपयोग के लिए उपयुक्त बना सकता है। शून्य प्रवाह (जीरो डिस्चार्ज) जल प्रबंधन प्रणाली को लक्षित करने वाली एक उन्नत उन्नत ऑक्सीकरण प्रक्रिया (एओपी) तकनीक का उपयोग घरेलू और औद्योगिक उपयोग के लिए 10 किलो लीटर / दिन की दर से औद्योगिक डाई अपशिष्ट जल के पूर्ण पुन: उपयोग के लिए किया जा रहा है। यूवी-फोटोकैटलिसिस का उपयोग करने वाली एक नई तकनीक नगरपालिका सीवेज और अत्यधिक प्रदूषणकारी औद्योगिक अपशिष्ट जल धाराओं का इलाज कर सकती है। विलवणीकरण के क्षेत्र में अनुसन्धान एवं विकास गतिविधियों के लिए जल प्रौद्योगिकी पहल (डब्ल्यूटीआई) के तहत प्रस्तावों के लिए एक राष्ट्रीय आह्वान पर , कुशल विलवणीकरण प्रणाली और उभरती और भविष्य की प्रौद्योगिकियों के लिए परीक्षण आधारित अभिनव मानक (पायलट-स्केल) प्रदर्शनों को दीर्घकालिक एवं स्थायी समाधान  के लिए । एप्लाइड रिसर्च, टेक्नोलॉजी असेसमेंट, कन्वर्जेंट सॉल्यूशन और सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (सीओई) स्ट्रीम को कवर करने वाली विलवणीकरण प्रौद्योगिकियोँ पर 300 से अधिक प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। भारत और नीदरलैंड के बीच जल सहयोग के लिए भविष्य का रोडमैप तैयार करने के लिए डीएसटी द्वारा  भारत- डच  जल गोलमेज वार्ता (इंडो डच वाटर राउंडटेबल)  का आयोजन किया गया था।

18. विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) किसान की आय को दोगुना करने के लिए मूलभूत (जमीनी) स्तर से लेकर प्रयोगशाला तक कृषि प्रौद्योगिकियों में सहायता करता है

मूलभूत (ग्रासरूट)  प्रौद्योगिकियों जैसे आम की एक किस्म जिसे सदाबहार कहा जाता है, जो कि अधिकांश प्रमुख बीमारियों और आम में सामान्य विकारों के लिए प्रतिरोधी है, काजू के पेड़ों में ताना छेदक कीट (बोरर) के प्रकोप  और चक्रवाती तूफानों से बचाने के लिए समर्थन जड़ों को विकसित करने की प्रथा  एवं  सेब की स्व-परागण वाली किस्म जिसे लंबे समय तक द्रुतशीतन घंटों  की आवश्यकता नहीं होती है , की सहायता की गई। वैज्ञानिकों द्वारा परिरक्षकों से भरी हुई कार्बन ( ग्राफीन ऑक्साइड ) से बना एक मिश्रित कागज विकसित किया गया है जिसे फलों के शेल्फ जीवन को बढ़ाने में मदद करने के लिए रैपर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

19. विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सहयोग से अपशिष्ट प्रबंधन प्रौद्योगिकियां अपशिष्ट से सम्पदा की ओर बढ़ने में मदद करती हैं

दीर्घकालीन पूर्व-उपचार प्रक्रिया के साथ एकीकृत एक अनूठी उच्च प्रदर्शन जैवप्रक्रिया (बायोरिएक्टर) प्रणाली दुग्ध (डेयरी) उद्योग से निकलने वाले जटिल वसा युक्त कीचड़ के अवायवीय (एनैरोबिक) पाचन को सक्षम बनाती है। शोधकर्ताओं ने भवन निर्माण और उनके विध्वंस जनित  अपशिष्ट और क्षार-सक्रिय योजकों (बाइंडरों) का उपयोग करके ऊर्जा-कुशल दीवार सामग्री का उत्पादन करने के लिए एक तकनीक विकसित की है। सीवेज और कार्बनिक ठोस अपशिष्ट और बायोगैस और जैव खाद के सहवर्ती उत्पादन के एकीकृत उपचार के लिए एक नई उच्च दर बायोमेथेनेशन तकनीक भूजल और अपशिष्ट जल का उपचार कर सकती है और इसे पीने योग्य पानी में परिवर्तित कर सकती है। एक कम लागत वाली, एकीकृत कंपोस्टिंग तकनीक, जिसमें माइक्रोब-एडेड वर्मिस्टैबिलाइजेशन शामिल है, कम समय में कपड़ा उद्योग से निकलने वाले जहरीले कीचड़ को प्लांट प्रोबायोटिक्स में बदल सकती है।

20. विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सहयोग ने कई नई तकनीकों को विकसित करने में मदद की है

नैनो-सामग्री से एक अत्यधिक स्थिर और गैर-विषाक्त सुरक्षा स्याही जो अपने अद्वितीय रासायनिक गुणों के कारण स्वचालित रूप से प्रकाश (ल्यूमिनसेंट) उत्सर्जित करती है अब  ब्रांडेड उपभोक्ता वस्तुओं , बैंक-नोट्स, दवाएं , प्रमाण पत्र, मुद्रा की जालसाजी का प्रतिकार  कर सकती है। नैनो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएनएसटी) के वैज्ञानिकों ने उच्च तीव्र गतिशीलता (अल्ट्रा-हाई मोबिलिटी) के साथ इलेक्ट्रॉन गैस का उत्पादन किया है, जो एक उपकरण (डिवाइस) के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में क्वांटम सूचना और सिग्नल के हस्तांतरण को तेज कर सकता है और डेटा संग्रहण एवं स्मृति (स्टोरेज एंड मेमोरी) को बढ़ा सकता है। गहन शिक्षा (डीप लर्निंग – डीएल) नेटवर्क पर आधारित एक वर्गीकरण पद्धति स्तन कैंसर के पूर्वानुमान के लिए हार्मोन की स्थिति का मूल्यांकन कर सकती है। आरआरआई के शोधकर्ताओं ने एक ऐसे वातावरण के संपर्क में सामग्री की एक नई विचित्र स्थिति की खोज की है जो विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र की उपस्थिति में अपने भौतिक गुणों को बदल देती है, जिससे ऐसी बेहतर क्वांटम प्रौद्योगिकियों की प्राप्ति होती है, जिसे उपयोगकर्ता अपनी  आवश्यकताओं के अनुसार निर्देशित और नियंत्रित करने योग्य बना सकते  हैं ।

21. विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के स्वायत्त संस्थान स्वास्थ्य, चिकित्सा उपकरणों, ऊर्जा से लेकर ब्रह्मांड के रहस्यों को जानने तक के विविध अनुसंधानों में अपना योगदान देते है

श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी, त्रिवेंद्रम (एससीटीआईएमएसटी) ने सुपरइलास्टिक निटिनोल (एनआईटीआईएनओएल) मिश्र धातुओं का उपयोग करके नेशनल एयरोस्पेस लैबोरेट्रीज, बैंगलोर (सीएसआईआर – एनएएल) के सहयोग से एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट ओक्लूडर और इंट्राक्रैनील फ्लो डायवर्टर स्टेंट नामक दो जैवचिकित्सकीय (बायोमेडिकल) प्रत्यारोपण उपकरण (इम्प्लांट डिवाइस विकसित) किए हैं। एससीटीआईएमएसटी ने इन दो बायोमेडिकल इम्प्लांट उपकरणों के लिए बायोराड मेडिसिस के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते भी किए ।

 

(चित्रा एएसडी ऑक्लुडर)

जवाहर लाल नेहरु उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र (जेएनसीएएसआर) के वैज्ञानिकों ने उपकरणों द्वारा उत्पन्न अपशिष्ट ताप को नापने  और उसका पुन: उपयोग करने के लिए सामग्री विकसित की है। इसमें एक नई सामग्री, सिल्वर एंटीमनी टेलुराइड, ऊर्जा रूपांतरण की सुविधा प्रदान कर सकती है।

 ताप-विद्युतीय (थर्मो-इलेक्ट्रिक)  प्रभाव का प्रदर्शन करने वाली एक प्रतिनिधि छवि

जवाहर लाल नेहरु उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र (जेएनसीएएसआर) बेंगलुरु और भारतीय विज्ञान संस्थान (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस – आईआईएस), बेंगलुरु के वैज्ञानिकों ने त्रि-आयामी (3डी)  मुद्रण (प्रिंटिंग) की सहायता  से मिलीमीटर आकार के चावल के आकार के अनाज के दाने की काईरल गतिविधि की प्रकृति को नियंत्रित किया। काईरल सक्रिय पदार्थ को बनाने के लिए त्रि-आयामी (3डी)  मुद्रण (प्रिंटिंग) का प्रयोग करके, वैज्ञानिक व्यवस्थित रूप से काईरल गतिविधि के विभिन्न विस्तारों को कूटबद्ध (एन्कोड) कर सकते हैं और उभरते गतिशील व्यवहार पर इसके ऐसे परिणामों का पता लगा सकते हैं जो औषधीय दवा डिजाइनिंग में उपयोगी हो सकते हैं और जहां विभाजित करके आत्म-मान्यता, सॉर्टिंग और अणुओं के अलगाव की आवश्यकता  है ।

अघरकर शोध संस्थान रिसर्च (एआरआई), पुणे, बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान (बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियोसाइंसेज – बीएसआईपी), लखनऊ,  विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उच्च अध्ययन संस्थान (इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी –आईएएसएसटी) , गुवाहाटी और श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी (एससीटीआईएमएसटी), तिरुवनंतपुरम को एसएआरएस –सीओवी -2 का पता लगाने और कोविड-19 नमूनों के परीक्षण की मंजूरी दी गई।

विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) ने भूगर्भीय खतरों तथा  मौसम के लिए  कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) और मशीनी शिक्षा (मशीन लर्निंग - एआई एंड  एमएल) दृष्टिकोण विकसित करने के लिए पृथ्वी और वायुमंडलीय विज्ञान और जलवायु भविष्यवाणी के क्षेत्र में 3 उत्कृष्टता केंद्र ( सीओई ) स्थापित करने को मंजूरी दी है। ये सीओई पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के संपर्क में नेटवर्क केंद्रों के रूप में विकसित होंगे। एसईआरबी देश में इन उत्कृष्टता केन्द्रों को मौसम और समुद्र के बेहतर पूर्वानुमान और दीर्घकालिक पर्यावरणीय स्थिरता, अत्यधिक भूगर्भीय -खतरों की प्रारंभिक चेतावनी के लिए गहन शिक्षण मॉडल और उच्च-सटीक विश्लेषण के माध्यम से जलवायु चरम सीमाओं और जलवायु परिवर्तन शमन की भविष्यवाणी करने के लिए अनुसंधान एवं विकास प्रस्तावों का अनुरोध करता है ।

इंटरनेशनल एडवांस्ड रिसर्च सेंटर फॉर पाउडर मेटलर्जी एंड न्यू मैटेरियल्स (एआरसीआई) ने अत्यधिक उन्नत जलरोधी (सुपर-हाइड्रोफोबिक) क्रियाशील कार्बन परिधानों (फंक्शनल कार्बन टेक्सटाइल्स) को पानी में दूषित तेल / जहरीले रसायनों के प्रभावी और मूल्य-सह पृथक्करण/हटाने के लिए बहुक्रियाशील उन्नत सामग्री के रूप में विकसित किया।

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जवाहर लाल नेहरु उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र (जेएनसीएएसआर) के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा उपकरण तैयार किया है जो मानव मस्तिष्क की संज्ञानात्मक क्रियाओं की नकल कर सकता है और कृत्रिम बुद्धिमत्ता का अनुकरण करने में पारंपरिक तकनीकों की तुलना में अधिक कुशल है, इस प्रकार गणना योग्य (कम्प्यूटेशनल) गति और बिजली की कम खपत की दक्षता को बढ़ाता है ।

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( जैव-तंत्रिकीय ( बायो-न्यूरल ) नेटवर्क से मिलते-जुलते कृत्रिम सिनैप्टिक नेटवर्क डिवाइस की स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप छवि। पावलोव के कुत्ते का अनुकरण करके सहयोगी शिक्षा का प्रदर्शन किया जाता है, जहां प्रशिक्षण के बाद कुत्ता घंटी सुनकर लार टपकाता है।)

इंटरनेशनल एडवांस्ड रिसर्च सेंटर फॉर पाउडर मेटलर्जी एंड न्यू मैटेरियल्स (एआरसीआई) ने  प्रयोगशाला  स्तर पर प्लास्टिक सामग्री उद्योग में उपयोग किए जाने वाली  खराद (डाई) घटकों पर अनुप्रयोग के लिए स्पंदित इलेक्ट्रोडपोजिशन (पीईडी) द्वारा परत चढाने और संक्षारण प्रतिरोधी निकल मिश्र धातु कोटिंग्स विकसित की हैं। ये परतें (कोटिंग्स) 500o सेल्सियस तक के तापमान को भी सह सकती हैं ।

पीईडी की परत चढ़ी (कोटेड) इस्पात उपकरण खराद (टूल स्टील डाई) का प्लास्टिक मोल्डिंग उद्योग में उपयोग किया जाता है

जवाहर लाल नेहरु उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र (जेएनसीएएसआर) के शोधकर्ताओं की एक टीम ने ऑक्सीजनी नामक एक मजबूत, परिवहन योग्य सामूहिक ऑक्सीजन सान्द्र्क (क्न्सेंट्रेटर्स) तैयार किए हैं जिसका उपयोग ग्रामीण क्षेत्रों में किया जा सकता है और उन्हें किसी भी स्थान पर आपात स्थिति में शीघ्रता से भेजा जा सकता है।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उच्च अध्ययन संस्थान (इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी –आईएएसएसटी) , गुवाहाटी  ने "चाय और केले के कचरे का उपयोग गैर-विषैले सक्रिय कार्बन को विकसित करने के लिए किया है" जो औद्योगिक प्रदूषण नियंत्रण, जल शोधन, खाद्य और पेय प्रसंस्करण और गंध हटाने जैसे कई उद्देश्यों के लिए उपयोगी है और इसे डीएसटी के डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उल्लिखित भी किया गया था

इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस (आईएसीएस) , कोलकाता ने डीएनए मरम्मत तंत्र और जीनोम स्थिरता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जो कार्सिनोजेनेसिस और कैंसर की प्रगति के संकेत को रेखांकित करने वाले जीनोमिक परिवर्तनों की समझ को आगे बढ़ाता है।

लद्दाख में लेह के पास हनले में स्थित भारतीय खगोल भौतिकी (इंडियन इन्स्तित्यूट ऑफ़ एस्ट्रोफिजिक्स –आईएए) की भारतीय खगोलीय वेधशाला (आईएओ) विश्व स्तर पर संभावित वेधशाला स्थलों में से एक बन रही है। अंतरिक्ष मौसम की भविष्यवाणी करने की एक तेज विधि की पहचान एक प्रकार के सौर रेडियो विस्फोट (सोलर रेडियो बर्स्ट - एसआरबी) में की गई है, जिसे कैलिस्टो नामक सौर रेडियो दूरबीनों के वैश्विक नेटवर्क का उपयोग करते हुए देखा गया है, जो पृथ्वी पर कम मात्र में पाए जाने वाले तत्व लिथियम की उच्च बहुतायत के पीछे के रहस्य का एक संकेत भी है। जब एक सक्रिय आकाशगंगा सामान्य से 10 गुना अधिक एक्स-रे उत्सर्जन के साथ ऐसी बहुत प्रकाशित अवस्था में पाई जाती है, जो 10 खरब से अधिक सूर्यों के बराबर होती है तथा 5 अरब प्रकाश-वर्ष दूर स्थित होती है, तो इससे जांच में यह सहायता मिल सकती है कि कण तीव्र गुरुत्वाकर्षण और प्रकाश की गति से  त्वरण के अंतर्गत  कैसे व्यवहार करते हैं। पृथ्वी के वायुमंडल द्वारा प्रदूषण को कम करके एक्सोप्लैनेट से प्राप्त डेटा की सटीकता को बढ़ा सकने और उपकरणों के प्रभावों और अन्य कारकों के कारण होनेवाले व्यवधानों के समाधान के लिए एक प्रक्रिया (एल्गोरिथम) को विकसित किया गया है वहीं  सौरमंडल से परे (एक्स्ट्रासोलर) ग्रहों के वातावरण को समझने के लिए एक नई विधि भी विकसित की गई है। इसके अलावा, अब हमारे पास सौर ज्वालाओं के रहस्य के संकेत भी हैं जो सूर्य पर अशांत चुंबकीय क्षेत्र वाले क्षेत्रों में कोरोनल मॉस इजेक्शन (सीएमई) सौर मौसम की भविष्यवाणियों को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं ।

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