रक्षा मंत्रालय
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फिक्की की वार्षिक आम बैठक में रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने "इंडिया बियॉन्ड 75" पर सरकार के दृष्टिकोण की व्यापक रूपरेखा पेश की कहा, भारत को वैश्विक रक्षा विनिर्माण केंद्र बनाना है उद्देश्य



वर्तमान और भविष्य के सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए सशस्त्र बलों का आधुनिकीकरण और "आत्मनिर्भर" रक्षा उद्योग बनाना हमारा ध्येय है : रक्षा मंत्री

'मेक इन इंडिया, मेक फॉर इंडिया और मेक फॉर द वर्ल्ड' पर ज्यादा जोर

Posted On: 18 DEC 2021 4:25PM by PIB Delhi

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 18 दिसंबर, 2021 को नई दिल्ली में "इंडिया बियॉन्ड 75" विषय पर फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) की 94वीं वार्षिक आम बैठक को संबोधित किया। उन्होंने आने वाले समय में भारत को वैश्विक रक्षा विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए सरकार के दृष्टिकोण को सामने रखा, सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण पर जोर दिया और मजबूत व "आत्मनिर्भर" रक्षा उद्योग बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जो देश को पारंपरिक और गैर पारंपरिक, वर्तमान और भविष्य के सुरक्षा खतरों से बचाने में मदद कर सकता है।

रक्षा में "आत्मनिर्भर भारत" होने के महत्व को रेखांकित करते हुए श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत अपने कद, भौगोलिक स्थिति और सुरक्षा चुनौतियों के कारण रक्षा प्रौद्योगिकियों के लिए अन्य देशों पर निर्भर नहीं रह सकता है। उन्होंने कहा कि भारत और उसके लोगों की सुरक्षा के लिए यह आवश्यक है कि हम अपनी रक्षा क्षमता और विकसित करें, ताकि दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश को भी हमारे हितों को खतरे में डालने वाली कोई भी योजना बनाने से पहले एक हजार बार सोचना पड़े। हमारी सरकार का उद्देश्य किसी पर हमला करना नहीं है, बल्कि देश के दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए हमारे सशस्त्र बलों को हर समय मुस्तैद रहने के लिए तैयार करना है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि एक तरफ एक देश विभाजन से पैदा हुआ है और भारत की प्रगति को देखकर चिंतित है तो दूसरी तरफ एक ऐसा देश है जो नई योजनाएं बनाता रहता है। उन्होंने अमेरिका, रूस और फ्रांस के रक्षा मंत्रियों की हाल की यात्राओं पर प्रकाश डाला और कहा कि दुनिया भर के देशों से हमारे मैत्रीपूर्ण संबंध हैं और हमने उनसे कहा है कि हम भारत में रक्षा उपकरणों का निर्माण करना चाहते हैं क्योंकि राष्ट्रीय सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने अमेठी में छह लाख से अधिक एके-203 राइफल्स के निर्माण को लेकर रूस के साथ 5000 करोड़ रुपये से अधिक के हालिया समझौते का भी उल्लेख किया, जिसमें हर देश को 'मेक इन इंडिया, मेक फॉर इंडिया और मेक फॉर द वर्ल्ड' के लिए आमंत्रित किया गया था।

श्री राजनाथ सिंह ने विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए उपायों को सूचीबद्ध किया, जिसमें कुछ परिस्थितियों में एफडीआई सीमा को सहज (ऑटोमैटिक) मार्ग से 74 प्रतिशत और सरकारी मार्ग से 100 प्रतिशत तक बढ़ाना शामिल है। उन्होंने कहा कि विदेशी निवेश देश में रक्षा निर्माण का पारिस्थितिकी तंत्र बनाने और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना "आत्मनिर्भर भारत" को प्राप्त करने में मदद करेगा। उन्होंने आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए सरकार द्वारा की गई पहल के बारे में भी बताया, जैसे 200 से अधिक वस्तुओं की दो सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियों को अधिसूचित करना। उन्होंने कहा कि इस दशक में 'सकारात्मक सूची' में आइटम 1000 का आंकड़ा पार कर जाएंगे। यह है "इंडिया बियॉन्ड 75" का हमारा विजन।

सरकार द्वारा लाए गए नीतिगत सुधारों के कारण रक्षा क्षेत्र कोविड-19 से उत्पन्न चुनौतियों को दूर करने में सक्षम है, रक्षा मंत्री ने निजी क्षेत्र को नीतियों का लाभ उठाने और राष्ट्र निर्माण में योगदान करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि आयुध निर्माणी बोर्ड को निगमित करने का निर्णय रक्षा क्षेत्र में सार्वजनिक और निजी संस्थाओं के बीच उचित प्रतिस्पर्धा और सरकारी कंपनियों में दक्षता लाने के लिए लिया गया था। उन्होंने आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए सरकार के साथ काम करने के लिए उद्योग की सराहना की। उन्होंने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) से तकनीकी हस्तांतरण के बाद इकोनॉमिक एक्सप्लोसिव्स लिमिटेड को दिए गए 10 लाख मल्टी मोड हथगोले के ऑर्डर का विशेष उल्लेख किया, जिसकी पहली खेप पहले ही भारतीय सेना को सौंपी जा चुकी है।

एमएसएमई की क्षमता का उपयोग करने और उनकी प्रगति सुनिश्चित करने के सरकार के उद्देश्य को व्यक्त करते हुए श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि रक्षा और हवाई क्षेत्र में स्वदेशीकरण, विकास और डिजाइन को प्रोत्साहित करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। वर्तमान में भारत का रक्षा और एयरोस्पेस विनिर्माण बाजार 85000 करोड़ रुपये का है। मेरा मानना है कि 2022 में यह बढ़कर एक लाख करोड़ रुपये हो जाएगा। जब मैं "इंडिया बियॉन्ड 75" की बात करता हूं तो मुझे लगता है कि 2047 तक भारत में रक्षा और एयरोस्पेस विनिर्माण बाजार पांच लाख करोड़ रुपये का हो जाएगा। उन्होंने कहा कि 85000 करोड़ रुपये के बाजार में निजी कंपनियों का मौजूदा योगदान 18000 करोड़ रुपये है। वर्तमान स्थिति के अनुसार, भविष्य में पांच लाख करोड़ रुपये के बाजार में निजी क्षेत्र का योगदान एक लाख करोड़ रुपये से अधिक होगा।

इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस (आईडीईएक्स) की पहल पर रक्षा मंत्री ने कहा कि यह सशस्त्र बलों की तकनीकी समस्याओं को हल कर रहा है, इसने सैन्य सुरक्षा प्रणाली, सुरक्षित हार्डवेयर एन्क्रिप्शन उपकरण, मानव रहित बाहय परत और पानी के नीचे के वाहन, 4जी/एलटीई रणनीतिक स्थानीय क्षेत्र नेटवर्क, रडार, कृत्रिम बुद्धि आधारित छवि विश्लेषण उपग्रह जैसी कई तकनीकों की पहचान की है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भविष्य के युद्ध आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ऑगमेंटेड रियलिटी और वर्चुअल रियलिटी से जुड़े हुए डिजिटल क्षेत्र में लड़े जाएंगे, उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों से ऐसे पेशेवरों की मांग को पूरा करने के लिए रक्षा प्रौद्योगिकियों में विशेष पाठ्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया जो भविष्य की चुनौतियों को अवसरों में बदल सकते हैं और देश की सुरक्षा ढांचे को मजबूती दे सकते हैं। उन्होंने फिक्की से भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के सामूहिक प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आह्वान किया।

भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने के अपने दृष्टिकोण को साकार करने पर श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार ने पिछले बजट में रक्षा पूंजी परिव्यय में 18.75 प्रतिशत की वृद्धि सहित कई उपाय किए हैं। उन्होंने कहा कि हमारे कुल पूंजीगत परिव्यय का 64 प्रतिशत जो लगभग 70221 करोड़ रुपये है, घरेलू खरीद के लिए आरक्षित किया गया है। उन्होंने इस तथ्य की सराहना की कि पिछले पांच वर्षों में देश का रक्षा निर्यात 325 प्रतिशत बढ़ा है और विश्वास व्यक्त किया कि भारत न केवल 2024-2025 तक 35000 करोड़ रुपये के अपने निर्यात लक्ष्य को प्राप्त करेगा बल्कि रक्षा उपकरणों का शुद्ध निर्यातक भी बन जाएगा। उन्होंने कहा कि देश के रक्षा निर्यात में निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी 95 फीसदी है।

रक्षा मंत्री ने कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए सरकार के प्रयासों में उद्योगों के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि देश भर में पीपीई किट, वेंटिलेटर, मास्क और सैनिटाइज़र की भारी मांग को पूरा करने के लिए युद्ध स्तर पर काम किया गया। इसके अलावा जिस देश में टीकाकरण में हमेशा देरी होती थी, हमने शुरुआत में ही यह संकल्प ले लिया था। इसी का परिणाम है कि आज भारत की 55 प्रतिशत जनसंख्या का टीकाकरण किया जा चुका है। जो काम पहले की सरकारों ने सालों में किया वह हमारी सरकार ने दिनों में किया।

श्री राजनाथ सिंह ने श्री संजीव मेहता को शुभकामनाएं देते हुए अपने संबोधन का समापन किया। श्री मेहता ने श्री उदय शंकर के स्थान पर फिक्की के अध्यक्ष के रूप में पदभार ग्रहण किया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत को रक्षा उपकरणों में दुनिया का प्रमुख निर्यातक बनाने में फिक्की जैसे उद्योग और संगठन मदद करेंगे।

 

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