सूचना और प्रसारण मंत्रालय

"सरमाउंटिंग चैलेंजेज" दिल्ली मेट्रो के फेज-3 के दौरान इंजीनियरिंग से संबंधित बाधाओं से सामना को दर्शाती है


हमारी फिल्म देश में मेट्रो परियोजनाओं के लिए उत्प्रेरक है : अनुज दयाल

Posted On: 23 NOV 2021 4:29PM by PIB Delhi

दिल्ली की जीवन रेखा से लेकर कार्बन फुटप्रिंट और जानलेवा दुर्घटनाओं को कम करने तक, दिल्ली मेट्रो को सभी पहलुओं में एक विश्व स्तरीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम के रूप में जाना जाता है। लेकिन क्या हम सभी इस बात से अवगत हैं कि निर्माण के दौरान विभाग को किन बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा? खैर, उसके लिए आपको फिल्म 'सरमाउंटिंग चैलेंज' देखनी होगी।

52वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह (आईएफएफआई) के मौके पर पत्रकारों को संबोधित करते हुए, फिल्म के निदेशक सतीश पांडे ने कहा, “सरमाउंटिंग चैलेंजेज दिल्ली मेट्रो के चरण -3 पर आधारित है, जिसके लिए निर्माण कार्य 2011 में शुरू हुआ और 2020 के आसपास समाप्त हुआ। इन 10 वर्षों से हम लगातार इन कार्यों की शूटिंग कर रहे थे। चरण -3 पूरा होने के बाद हमने इंजीनियरिंग और पीआर जैसे विभागों के साथ मिलकर स्क्रिप्ट तैयार की।

सतीश ने कहा कि यह फिल्म परियोजना के समक्ष विभिन्न प्रमुख चुनौतियों तथा विभाग द्वारा उनके समाधान को दर्शाती है।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/2-1L5YB.jpg

मेट्रो के साथ अपने जुड़ाव के बारे में बताते हुए, फिल्म ' ड्रीम फुलफिल्ड - मेमोरीज ऑफ इंजीनियरिंग चैलेंजेज' के राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक ने कहा कि मेट्रो के साथ उनकी बॉन्डिंग बहुत पुरानी है और उन्होंने 27 साल पहले दिल्ली मेट्रो पर व्यापक थीम 'दिल्ली को मेट्रो की जरूरत क्यों है?' पर अपनी पहली फिल्म बनाई थी।

उन्होंने कहा, “मैंने अपनी यात्रा वहीं से शुरू की है। मैंने दिल्ली मेट्रो के फेज-1 और फेज-2 पर फिल्में बनाई हैं। मैंने मुंबई, नागपुर, पुणे, लखनऊ, कानपुर, गोरखपुर, आगरा और जयपुर मेट्रो पर भी फिल्में बनाई हैं।"

उन्होंने कहा कि फिल्म 'सरमाउंटिंग चैलेंज' मुख्य रूप से 2 घंटे की अवधि की है, जो बहुत ही तकनीकी है और आईआईटी के छात्रों और इंजीनियरों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो सकती है। वर्तमान फिल्म उसी का एक छोटा संस्करण है।

मीडिया से बात करते हुए, निर्माता अनुज दयाल ने कहा कि कलकत्ता मेट्रो एक कठिन अनुभव था और शहर में बहुत व्यवधान था।

उन्होंने कहा, “जब हमने दिल्ली मेट्रो का निर्माण किया, तो इसका ध्यान रखा। हमने निर्माण से पहले विस्तृत पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन किया था। इसके परिणामस्वरूप कार्बन फुटप्रिंट में कमी आई है। साथ ही जानलेवा हादसों की संख्या में भी कमी आई है। इसलिए मेट्रो परियोजना के सामाजिक-आर्थिक लाभ उल्लेखनीय हैं

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/2-2UQDE.jpg

एक सवाल के जवाब में अनुज ने कहा कि निर्माण शुरू करने से पहले सामुदायिक संपर्क कार्यक्रम आयोजित किया गया था। यह एक सतत संवाद प्रक्रिया थी जिसके माध्यम से सभी की समस्याओं का समाधान किया जाता था।

उन्होंने कहा, “लोगों को शुरुआत में मेट्रो के बारे में संदेह था। लेकिन यह एक सफलता थी और अब अन्य महानगर हमारी ओर देख रहे हैं। इस बारे में हमारी फिल्म उत्प्रेरक थी

फिल्म के बारे में

जबकि दिल्ली मेट्रो के चरण I और II ने एक मजबूत और विस्तृत रैपिड ट्रांजिट सिस्टम की नींव रखी, तीसरे चरण ने मेट्रो को दिल्ली के प्रमुख इलाकों तक पहुँचाया। लेकिन यह भी सिविल इंजीनियरिंग की प्रमुख चुनौतियों के मामले में  सबसे कठिन था। 160 किलोमीटर लंबे इस खंड में 11 विभिन्न गलियारों पर काम हुआ, जिसमें 30 विशाल सुरंग खोदने वाली मशीनें और लगभग 30,000 कार्यबल थे। यह फिल्म इस बात पर प्रकाश डालती है कि कैसे डीएमआरसी ने लीक से हटकर समाधान के साथ ऐसी इंजीनियरिंग चुनौतियों का सामना किया।

कास्ट और क्रेडिट

निर्देशक: सतीश पांडे

निर्माता: अनुज दयाल

पटकथा: अहद उमर खान

डीओपी: राजन कुमार श्रीवास्तव

संपादक: पवन कुमार

*****

एमजी/ एएम/ एसकेएस

 



(Release ID: 1774481) Visitor Counter : 219


Read this release in: English , Urdu , Marathi