उप राष्ट्रपति सचिवालय

सुशासन को आखिरी छोर तक ले जाना चाहिए: उपराष्ट्रपति


उपराष्ट्रपति ने भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए) से वितरण प्रणाली में क्षमता अंतराल को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अनुरोध किया

महामारी के दौरान संकट का सामना करने के लिए देश

ने असाधारण क्षमता का प्रदर्शन किया: उपराष्ट्रपति

प्रत्येक भारतीय सामाजिक परिवर्तन का सक्रिय धारक बन रहा है: उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति ने भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए)

के आम निकाय की 67वीं वार्षिक बैठक की अध्यक्षता की

Posted On: 01 NOV 2021 5:43PM by PIB Delhi

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने जोर देते हुए कहा कि सुशासन को आखिरी छोर तक ले जाना चाहिए।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए) की आम सभा की 67वीं वार्षिक बैठक की आज अध्यक्षता करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि सरकार ऐसी नीतियां और कार्यक्रम तैयार कर रही है जिनका उद्देश्य भारत के विकास को तेजी से सुनिश्चित करते हुए लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करके इसे सुख और आरामदायक बनाते हुए बेहतर बनाना है।

उन्होंने कहा कि लोक प्रशासन के सिद्धांत और व्यवहार के लिए समर्पित एक प्रमुख संस्थान के रूप में भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए) को वितरण प्रणाली में क्षमता अंतराल को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने कहा कि आईआईपीए देश में शासन सुधारों की नई लहर को उत्प्रेरणा देने के लिए एक उपयुक्त संगठन है।

प्रधानमंत्री जन धन योजना, आयुष्मान भारत बुनियादी संरचना मिशन, आयुष्मान भारत-डिजिटल मिशन और हाल ही में घोषित 100 लाख करोड़ के राष्ट्रीय अवसंरचना मास्टर प्लान, 'गति शक्ति' जैसी सरकार की कई पहलों का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत स्पष्ट रूप से परिवर्तनकारी पथ पर है। उन्होंने कहा कि हम लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं, उनकी जरूरतों और अधिकारों, उनके कर्तव्यों और जिम्मेदारियों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हम प्रत्येक भारतीय को सामाजिक परिवर्तन का एक सक्रिय धारक बना रहे हैं।

श्री नायडू ने कहा कि सरकार न्यूनतम सरकार-अधिकतम शासन को हासिल करने के लिए सरकार आम जन से दूरी को कम करने के लिए व्यवस्था और सुविधाओं, समस्याओं और समाधानों के बीच की खाई को पाटते हुए कठिनाइयों को दूर कर आम जनता की सुविधा को बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी पर जोर दे रही है। उन्होंने कहा कि यह कल के भारत को आकार देने में भागीदारों के रूप में निजी क्षेत्र और नागरिक समाज को व्यापक स्तर पर शामिल करके किया जा रहा है।

विभिन्न क्षेत्रों के सर्वांगीण प्रयासों की सराहना करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश असंख्य सिविल सेवकों जो शासन को बदलकर इस परिकल्पना को यथार्थ में परिवर्तित कर रहे हैं, वर्तमान महामारी का मुकाबला करने वाले चिकित्सा पेशेवरों; हमारी सीमाओं की सुरक्षा के लिए रक्षा बलों, हमारी सुरक्षा सुनिश्चित कर रहे सुरक्षा कर्मियों, हमारी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले किसानों और युवा दिमाग को आकार देने वाले शिक्षण संस्थानों का आभारी है। उन्होंने कहा कि वे सभी सरकार और संसद द्वारा बनाए गए प्रगतिशील कानूनों के माध्यम से लोगों के जीवन को प्रभावित करने वाले घटकों को सकारात्मक परिणामों में बदल रहे हैं।

कोविड-19 महामारी का उल्लेख करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि महामारी के दौरान कठिन समय के बावजूद, देश ने संकट का सामना करने के लिए असाधारण क्षमता का प्रदर्शन किया और अपनी आंतरिक शक्तियों का सफलतापूर्वक दोहन करते हुए इन चुनौतियों को अवसरों में बदल दिया। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे में सुधार किया गया है, दवाओं और टीकों का उत्पादन बढ़ाया गया है और हमने 21 अक्टूबर 2021 को 100 करोड़ टीकाकरण की महत्वपूर्ण उपलब्धि को हासिल भी कर लिया है। उन्होंने कहा कि यह मजबूत, रणनीतिक, दूरदर्शी नेतृत्व, सक्षम और समर्पित कार्यान्वयन व्यवस्था का परिणाम है।

टोक्यो ओलंपिक 2020 और टोक्यो पैरालंपिक 2020 में भारतीय खिलाड़ियों के प्रदर्शन की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि 'आत्मनिर्भर भारत' की भावना खेलों में भी दिखाई दे रही है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार का खेलो इंडिया (खेल विकास के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम) प्रतिभा की पहचान करने और खेल के बुनियादी ढांचे के विकास में मदद कर रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने देश भर में 1000 खेलो इंडिया सेंटर स्थापित करने की योजना बनाई है और शहरी, ग्रामीण, आदिवासी और पिछड़े क्षेत्रों में खेल और खेल प्रतिभा को बढ़ावा देने के लिए दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय खेल कल्याण कोष, राष्ट्रीय खेल विकास कोष स्थापित करने का निर्णय लिया है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें इस बात की प्रसन्नता है कि आईआईपीए वर्तमान और उभरती चुनौतियों के परिप्रेक्ष्य में स्वयं को पुनर्स्थापित कर रहा है। पिछले वर्ष में आईआईपीए की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए, श्री नायडू ने कहा कि आईआईपीए अब डिजिटल प्रशिक्षण के क्षेत्र में अग्रणी संस्थान है और मिशन कर्मयोगी का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है, आईआईपीए ने 2020-21 में सफलतापूर्वक 66 ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए हैं और 8353 अधिकारियों को प्रशिक्षित किया है। उन्होंने कहा कि आईआईपीए ने 60 शोध अध्ययन भी पूरे किए और वर्तमान प्रासंगिकता के विषयों पर 46 वेबिनारों का आयोजन किया है। उन्होंने कहा कि यह क्षमता निर्माण के प्रति आईआईपीए की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।

उपराष्ट्रपति ने केंद्रीय मंत्री और आईआईपीए कार्यकारी परिषद के अध्यक्ष डॉ जितेंद्र सिंह के नेतृत्व की सराहना की और कहा कि आईआईपीए कार्यकारी परिषद को प्रभावी बनाने के लिए पिछले एक वर्ष में आईआईपीए मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन को प्रभावी, कुशल और अधिक प्रतिनिधित्वकारक बनाने के लिए नियमों में कई व्यापक संशोधन किए गए हैं।  

केंद्रीय मंत्री और आईआईपीए कार्यकारी परिषद के अध्यक्ष, डॉ जितेंद्र सिंह, ई.सी. सदस्य, आईआईपीए और छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल, श्री शेखर दत्त, आईआईपीए के महानिदेशक, श्री सुरेंद्र नाथ त्रिपाठी और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने इस वर्चुअल बैठक में भागादारी की।

संभाषण का पूरा पाठ इस प्रकार है-

"आईआईपीए के अध्यक्ष के रूप में, मुझे संस्थान के आम निकाय की इस 67वीं वार्षिक बैठक की अध्यक्षता करते हुए बहुत प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। मैं उपस्थित सभी प्रतिष्ठित सदस्यों, विभिन्न पुरस्कार विजेताओं और अन्य अतिथियों का स्वागत करता हूं।

कल, हमने एक दूरदर्शी नेता सरदार वल्लभभाई पटेल की 147वीं जयंती मनाई, जिन्होंने एक एकीकृत और समावेशी भारत को आकार देने में सिविल सेवकों की महत्वपूर्ण भूमिका की परिकल्पना की थी। देश उन असंख्य सिविल सेवकों का आभारी है जो शासन में परिवर्तन करके इस दृष्टि को साकार कर रहे हैं, इसके साथ-साथ वर्तमान महामारी का मुकाबला करने वाले चिकित्सा पेशेवरों को, हमारी सीमाओं को सुरक्षित रखने वाले रक्षा बलों को, हमारी सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले सुरक्षा कर्मियों को, हमारी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए। किसानों को और युवा दिमाग को आकार देने वाले शिक्षण संस्थानों का भी आभारी है। वे सभी सरकार और संसद द्वारा बनाए गए प्रगतिशील कानूनों के माध्यम से लोगों के जीवन को प्रभावित करने वाले घटकों को सकारात्मक परिणामों में बदल रहे हैं।

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि भारत कोविड महामारी के दौरान बहुत कठिन समय से गुजरा है। हालांकि, हमारे देश ने इस संकट का सामना करने के लिए असाधारण क्षमता का प्रदर्शन किया है। इसने अपनी आंतरिक शक्तियों का सफलतापूर्वक दोहन किया है और इन चुनौतियों को अवसरों में बदल दिया है। स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे में सुधार किया गया है, दवाओं और टीकों का उत्पादन बढ़ाया गया है और हमने 21 अक्टूबर 2021 को 100 करोड़ के टीकाकरण की उपलब्धि को हासिल किया है।

यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि कठिन परिस्थितियों में भी मजबूत, रणनीतिक, दूरदर्शी नेतृत्व और एक सक्षम और समर्पित कार्यान्वयन व्यवस्था के माध्यम से क्या हासिल किया जा सकता है।

मुझे यह जानकर प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है कि आईआईपीए कार्यकारी परिषद, आईआईपीए के अध्यक्ष डॉ जितेंद्र सिंह  के नेतृत्व में पिछले एक वर्ष के दौरान सकारात्मक रूप से आगे कदम बढ़ाए गए हैं। आईआईपीए कार्यकारी परिषद को प्रभावी, कुशल और अधिक जन प्रतिनिधि बनाने के लिए पिछले साल आईआईपीए मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन और नियमों में कई व्यापक संशोधन किए गए हैं। मुझे विश्वास है कि डॉ. जितेंद्र सिंह के सक्षम और प्रेरक नेतृत्व में आईआईपीए नई ऊंचाइयां हासिल करेगा।

मुझे बताया गया है कि 1 जनवरी 2021 को आईआईपीए आजीवन सदस्यता फिर से खोले जाने के बाद से दो सौ पचास से अधिक सदस्यों को आईआईपीए के आजीवन सदस्यों के रूप में शामिल किया गया है। आईआईपीए अब डिजिटल प्रशिक्षण के क्षेत्र में अग्रणी संस्थान है और माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की  सकारात्मक सोच मिशन कर्मयोगी का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है। डीओपीटी से अतिरिक्त अनुदान के साथ, नए बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जा रहा है और नए आईआईपीए भवन का निर्माण शुरू हो चुका है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि आईआईपीए इस कोविड और लॉकडाउन अवधि के दौरान टी.एन.चतुर्वेदी मेमोरियल हॉल का निर्माण करने में सक्षम रहा है। यह प्रसन्नता का विषय है कि इस कोविड-19 महामारी की स्थिति में भी, आईआईपीए ने 2020-21 में 66 ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रमों का सफलतापूर्वक संचालन किया है और 8353 अधिकारियों को प्रशिक्षित किया है जो क्षमता निर्माण के प्रति आईआईपीए की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। इसके अलावा, आईआईपीए ने 60 शोध अध्ययन पूरे किए हैं और वर्तमान प्रासंगिकता के विषयों पर 46 वेबिनार आयोजित किए हैं। इन कठिन समय में ये कोई मामूली उपलब्धियां नहीं हैं और आईआईपीए की अंतर्निहित लचीलापन और इसके समर्पित संकाय और अन्य स्टाफ सदस्यों की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है। मैं आपके अथक प्रयासों की हदय से सराहना करता हूं।

थिंक-टैंक होने की छह दशकों से अधिक लंबी यात्रा के साथ, मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि आईआईपीए वर्तमान और उभरती चुनौतियों के आलोक में खुद को पुनर्स्थापित कर रहा है। मुझे प्रसन्नता  है कि आईआईपीए के पास राज्य और स्थानीय स्तर पर संस्थानों का एक मजबूत नेटवर्क है और यह इस नेटवर्क को और मजबूत कर रहा है। मुझे यह जानकर भी प्रसन्नता हो रही है कि आईआईपीए भारत सरकार के मिशन कर्मयोगी कार्यक्रम के तहत क्षमता वृद्धि आयोग (सीबीसी), एलबीएसएनएए और अन्य सीटीआई के साथ सक्रिय रूप से सहयोग कर रहा है।

सुशासन को अंतिम छोर तक पहुंचना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी की दूरदृष्टि 'न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन' की है। सरकार ऐसी नीतियां और कार्यक्रम तैयार कर रही है जिनका उद्देश्य लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना और भारत के विकास को तेजी से ट्रैक करके लोगों के जीवन को खुशहाल और आरामदायक बनाना है। भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार शुरू हो गया है। आईएमएफ ने अनुमान लगाया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था 2021 में 9.5 फीसदी और 2022 में 8.5 फीसदी बढ़ेगी। इस विकास दर में लोगों की आजीविका में सुधार और सरकार की योजनाओं सहित बेहतर जीवन जीने के लिए सुरक्षा प्रदान करके भारत के समावेशी विकास का दृष्टिकोण भी शामिल है। भारत में प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई)  दुनिया की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन पहल है। नागरिकों के वित्तीय समावेशन और लगभग 44 करोड़ नए लाभार्थियों ने अपने बैंक खाते खोले हैं, इसका लाभ सीधे समाज के सबसे गरीब वर्ग तक पहुंच रहा है। लगभग 180 करोड़ लाभार्थियों को समर्थन मिला है। देश के लोगों को आज विश्वास है कि बिना बिचौलियों के सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा। सु-राज (सुशासन) स्पष्ट रूप से सरकार की प्राथमिकता है। कई बड़े महत्वाकांक्षी कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। उदाहरण के लिए, आयुष्मान भारत इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन में देश में स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य को बदलने की क्षमता है। आयुष्मान भारत-डिजिटल मिशन स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे के उन्नयन के साथ-साथ अस्पतालों में प्रक्रियाओं को सरल बनाने के साथ-साथ जीवन को आसान बनाने की सुविधा प्रदान करेगा।

स्पष्ट है, हम एक परिवर्तनकारी रास्ते पर हैं। हम लोगों, उनकी आशाओं और आकांक्षाओं, उनकी जरूरतों और अधिकारों, उनके कर्तव्यों और जिम्मेदारियों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हम प्रत्येक भारतीय को सामाजिक परिवर्तन का सक्रिय एजेंट बना रहे हैं। 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास' हमारा निरंतर प्रयास है। आत्मनिर्भर भारत की दिशा में निरंतर प्रगति करते हुए, हम अपनी विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ा रहे हैं। हाल ही में घोषित 100 लाख करोड़ का राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा मास्टर प्लान, 'गति शक्ति', एक गेम चेंजर साबित होने की उम्मीद है।

हमारी आत्मनिर्भर भावना खेलों में भी दिखाई देने लगी है। हमारे खिलाड़ियों ने हाल के ओलंपिक खेलों और 2021 के पैरा-ओलंपिक खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। भारत सरकार का खेलो इंडिया (खेल विकास के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम) संभावित प्रतिभा की पहचान और खेल के बुनियादी ढांचे के विकास में मदद कर रहा है। सरकार ने देश भर में 1000 खेलो इंडिया केंद्र स्थापित करने की योजना बनाई है और शहरी, ग्रामीण, आदिवासी और पिछड़े क्षेत्रों में खेल और खेल प्रतिभा को बढ़ावा देने के लिए दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय खेल कल्याण कोष, राष्ट्रीय खेल विकास कोष स्थापित करने का निर्णय लिया है। मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई कि आईआईपीए ने ही खेलो इंडिया योजना का मूल्यांकन किया है और खेल और युवा मामलों के मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपी है।

सरकार न्यूनतम सरकार-अधिकतम शासन प्राप्त करने, सरकार और लोगों के बीच की खाई को पाटने, व्यवस्था और सुविधाओं, समस्याओं और समाधानों को प्राप्त करने, कठिनाइयों को दूर करने और आम जनता की सुविधा को बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी पर जोर दे रही है। उदाहरण के लिए, इसने स्वच्छता और स्वास्थ्य जैसे कई कार्यक्रमों को नागरिक-स्वामित्व और नागरिक-संचालित बना दिया है। यह कल के भारत को आकार देने में भागीदारों के रूप में निजी क्षेत्र और नागरिक समाज को बड़े पैमाने पर शामिल कर रहा है।

नीति निर्माण में इस परिवर्तनकारी दौर की पृष्ठभूमि को देखते हुए, आईआईपीए को लोक प्रशासन की उभरती जरूरतों के लिए त्वरित प्रतिक्रिया देने के लिए पर्याप्त  रूप से गतिशील होने की जरूरत है।

लोक प्रशासन के सिद्धांत और व्यवहार के लिए समर्पित एक प्रमुख संस्थान के रूप में भारतीय लोक प्रशासन संस्थान को, मेरे विचार से, वितरण प्रणाली में क्षमता अंतराल को पाटने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। हमें संस्थागत सुधारों के लिए ठोस रणनीति बनानी होगी और देश में शासन सुधारों की नई लहर को उत्प्रेरणा देने के लिए आईआईपीए को एक उपयुक्त संगठन बनाना होगा। इसमें सिविल सेवकों के रूप में कई विशिष्ट पूर्व छात्र भी हैं जिन्हें आईआईपीए में प्रशिक्षित किया गया है। हमें उनके व्यापक अनुभव और विशेषज्ञता का पूरा उपयोग करना चाहिए। राज्य सरकारों को शामिल किया जाना चाहिए और सक्रिय भागीदार बनने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और साथ ही शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय निकायों को भी शामिल किया जाना चाहिए। हमें दुनिया भर में और देश के भीतर भी विभिन्न अनुभवों से सीखना चाहिए। हमें इन केस स्टडीज को एकत्र और व्यापक रूप से साझा करना चाहिए।

आईआईपीए के अध्यक्ष के रूप में, मुझे आज की बैठक की अध्यक्षता करते हुए बहुत खुशी हो रही है। मैं अन्य सभी पुरस्कार विजेताओं को उनके पुरस्कारों और उपलब्धियों के लिए बधाई देता हूं।

मुझे उम्मीद है कि आने वाले दिनों में आईआईपीए नई ऊंचाइयों को छुएगा।

मैं इसे एक महत्वाकांक्षी भारत की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पूर्ण शक्ति और क्षमता के साथ आगे बढ़ाने के प्रति आशान्वित हूं, जिसे हम सभी मिलकर आकार देने की कोशिश कर रहे हैं।

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एमजी/एएम/एसएस

 

 



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