खान मंत्रालय
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने आजादी का अमृत महोत्सव के तहत देश भर में विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया
152वीं गांधी जंयती की पूर्व संध्या पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की गई
Posted On:
02 OCT 2021 3:17PM by PIB Delhi
भारत सरकार के खान मंत्रालय के तहत 171 साल पुराने प्रमुख भू-वैज्ञानिक संगठन भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम के तहत जीएसआई के सभी कार्यालयों में विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया और महात्मा गांधी को 152वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। महानिदेशक श्री राजेंद्र सिंह गरखल ने कोलकाता में जीएसआई के केंद्रीय मुख्यालय से कार्यक्रम का वस्तुतः उद्घाटन किया। इस मौके पर सभी कार्यालयों में अखिल भारतीय रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया और एक कॉफी टेबल बुक भी प्रकाशित की गई। इसका शीर्षक था- "उत्तराखंड 2013 चार धाम मार्गों पर भूस्खलन प्रभाव", "अंडमान द्वीप: एमराल्ड द्वीपों की झलक- एक भूवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य", "भारतीय डायनासोर" और "राजस्थान के पुरापाषाणकालीन खजाने"। इस मौके पर इन विषयों पर रचनात्मक वीडियो भी लॉन्च किए गए- i)पूर्वी हिमालयी टेक्टोनिक्स की शक्तिशाली ब्रह्मपुत्र कथा और माजुली- लुप्त होता द्वीप ii) समुद्री खनिज की खोज iii)दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु के नीलगिरी में प्रोटोटाइप भूस्खलन पूर्व चेतावनी प्रणाली iv) जियोटूरिज्म के क्षेत्र में बिहार राज्य के लिए अवसर।

"जीएसआई की महिला भूवैज्ञानिक: लैंगिक समानता की एक कहानी" पर एक फेसबुक लाइव सत्र भी आयोजित किया गया था जिसमें केंद्रीय मुख्यालय की दो महिला भूवैज्ञानिकों डॉ. स्निग्धा घटक और सुश्री गीतांजलि राणा ने भाग लिया और जनता को जीएसआई के संदर्भ में अतीत और वर्तमान परिदृश्य के बारे में बताया गया।

भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) की स्थापना 1851 में मुख्य रूप से रेलवे के लिए कोयले के भंडार का पता लगाने के लिए की गई थी। इन वर्षों में, जीएसआई न केवल देश में विभिन्न क्षेत्रों में आवश्यक भू-विज्ञान की जानकारी के भंडार के रूप में विकसित हुआ है, बल्कि इस संगठन ने अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के संगठन का दर्जा भी प्राप्त किया है। इसका मुख्य कार्य राष्ट्रीय भू-वैज्ञानिक जानकारी को अपडेट करना और खनिज संसाधन मूल्यांकन के निर्माणसे संबंधित है। इन उद्देश्यों को जमीनी सर्वेक्षण, हवाई और समुद्री सर्वेक्षण, खनिज पूर्वेक्षण और जांच, बहु-विषयक भूवैज्ञानिक, भू-तकनीकी, भू-पर्यावरण और प्राकृतिक खतरों के अध्ययन, हिमनद विज्ञान, भूकंपीय विवर्तनिक अध्ययन और मौलिक अनुसंधान के माध्यम से प्राप्त किया जाता है।
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