सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता मंत्रालय

'सीनियर केयर एजिंग ग्रोथ इंजन' (एसएजीई) परियोजना भारत के वरिष्‍ठ नागरिकों का सहयोग करेगी


वरिष्‍ठ नागरिकों के लिए एसएजीई परियोजना, स्टार्टअप पर अधिकार प्राप्त विशेषज्ञ समिति (ईईसी) की रिपोर्ट की सिफारिशों के आधार पर तैयार की गई है

एसएजीई, वरिष्‍ठ नागरिकों की देखभाल करने वाले उत्पादों और सेवाओं के लिए वन-स्टॉप एक्सेस का निर्माण करने के लिए चयन और सहयोग करेगा

एसएजीई का उद्देश्य वरिष्‍ठ नागरिकों को फायदा पहुंचाने वाले उत्पादों में नवाचार के लिए निजी उद्यमों को बढ़ावा देना है

Posted On: 30 SEP 2021 2:42PM by PIB Delhi

भारत की आबादी में वरिष्‍ठ नागरिकों की तेजी से वृद्धि हुई है और एक ऐसा इकोसिस्टम बनाने पर जोर दिया जा रहा है जो उनकी जरूरतों को कहीं बेहतर तरीके से पूरा कर सके। इस समय देश में 110 मिलियन वरिष्‍ठ नागरिकों हैं, जिनकी आयु 60 वर्ष से अधिक है। नवीनतम उद्योग रिपोर्टों के अनुसार, देश की कुल जनसंख्या में वरिष्‍ठ नागरिकों की हिस्सेदारी 2001 के लगभग 7.5 प्रतिशत से बढ़कर 2026 तक लगभग 12.5 प्रतिशत और 2050 तक 19.5 प्रतिशत फीसदी तक पहुंचने की उम्मीद है।

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने 2016 में वरिष्ठ नागरिक कल्याण कोष बनाया था। जो भारत में वरिष्‍ठ नागरिकों के जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव ला रहा है। इस फंड से ईपीएफ और अन्य सार्वजनिक निधियों में पड़े बिना दावे वाले 9,000 करोड़ रुपये की जमा राशि का इस्तेमाल करने की उम्मीद है। इसके माध्यम से राष्ट्रीय वयोश्री योजना का वित्तपोषण किया जाता है।

इस फंड का उपयोग करने के लिए, सरकार ने आजीविका, रोजगार, स्वास्थ्य, पोषण, सिल्वर इकोनॉमी, क्षमता निर्माण और अनुसंधान के क्षेत्रों से जुड़े 7 प्रख्यात लोगों को शामिल करते हुए विशेषज्ञ समूहों का गठन किया गया है। सिल्वर इकोनॉमी पर विशेषज्ञ समूह ने निजी उद्यमों को प्रोत्साहित करने के लिए एक योजना लाने की सिफारिश की है, जिससे कि वह वरिष्‍ठ नागरिकों के फायदे के उत्पादों को विकसित कर सकें और नवाचार को बढ़ावा दे। उनकी सिफारिशों के आधार पर, सीनियर एजिंग ग्रोथ इंजन (एसएजीई) को डिजाइन किया गया है।

योजना का उद्देश्य, भारत में वरिष्‍ठ नागरिकों की तेजी से बढ़ती आबादी की जरूरतों को पूरा करने पर फोकस करना है तथा उनकी देखभाल करने वाले उत्पादों और सेवाओं की "वन-स्टॉप एक्सेस" उपलब्ध कराना है। इसके लिए चयनित "स्टार्टअप" को अभिनव उत्‍पाद बनाने और सेवाओं के लिए प्रोत्साहित करना है। स्वास्थ्य, आवास, केयर सेंटर, वित्त, भोजन और पूंजी प्रबंधन से लेकर कानूनी मार्गदर्शन तक की जरूरतों को  प्रौद्योगिकी के जरिए उपलब्ध कराया जा सकता है।

एसएजीई पोर्टल: स्टार्ट-अप के चयन के लिए एक पारदर्शी सिस्टम देने के लिए एक समर्पित पोर्टल तैयार किया गया है। जहां सभी प्रस्तावों को अपलोड किया जाएगा और चयन, विशेषज्ञों की एक स्वतंत्र स्क्रीनिंग कमेटी की समीक्षा पर आधारित होगा। चयनित स्टार्टअप के पहले सेट को लगभग दो महीने के समय में पोर्टल पर होस्ट किया जाएगा। एनईएटी शिक्षा मंत्रालय के सीईओ श्री चंद्रशेखर बुद्ध और एमएचआरडी के सहायक इनोवेशन डायरेक्टर डॉ. के एलंगोवन ने रिकॉर्ड समय में पोर्टल तैयार किया है।

इक्विटी सपोर्ट- एससीडब्ल्यूएफ के लिए अंतरमंत्रालीय समिति ने लगभग 100 करोड़ रुपये का इक्विटी सपोर्ट देने का फैसला किया है। चयनित प्रत्येक स्टार्ट-अप को इक्विटी सपोर्ट के रूप में @ अधिकतम 1 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। चालू वर्ष के लिए 20 करोड़ रुपए उपलब्ध कराए गए हैं। अगले पांच वर्षों में इस परियोजना के तहत ऐसे 100 अभिनव स्टार्ट-अप को पूंजी सहायता दी जाएगी।

अपेक्षित परिणाम: एसएजीई परियोजना का उद्देश्य उत्पादों, समाधानों, सेवाओं की पहचान करना, मूल्यांकन करना, सत्यापित करना, एकत्र करना और वितरित करना है। इसके तहत उत्पाद और सेवाएं ऐसे होने चाहिए जो सीधे हितधारकों को प्रदान की जा सकें और उत्पादों, समाधानों तथा सेवाओं का चयन करने के लिए व्यापक विकल्प प्रदान करें। साथ ही वह उनकी आवश्यकताओं और सहायता के अनुरूप होंगे और जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने में सहायक होंगे। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय पूरी प्रक्रिया में एक सूत्रधार के रूप में कार्य करेगा जिससे वरिष्‍ठ नागरिक इन पहचाने गए स्टार्ट-अप के माध्यम से विश्वसनीय उत्पादों तक पहुंच सकें।

 

ईईसी रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि इस क्षेत्र में व्यापार के अवसर सामाजिक उद्यम, गैर-लाभकारी, अनौपचारिक नेटवर्क, प्रौद्योगिकी स्टार्ट-अप (फिनटेक, एडटेक, फूडटेक, हेल्थटेक, वेल्थटेक), कानूनी और वित्तीय क्षेत्र में बन सकते हैं। इसी तरह सेवाएं (योजना समाधान, बीमा, मेडिको-लीगल) और इंफ्रास्ट्रक्चर तथा मैनेज्ड केयर सिस्टम (बुजुर्गों के लिए घर, रहने की सुविधाएं, केयर सेंटर) के अलावा, रिसर्च और डेटा आधारित संगठनों तथा सामाजिक उद्यमों के इन्क्यूबेटरों के भी एसएजीई का हिस्सा बनने की उम्मीद है।

अधिकार प्राप्त समिति ने सिफारिश की है कि चयन के समय, ऐसे  युवा स्टार्टअप (3 वर्ष से कम समय के) जो सोशल इन्क्यूबेटरों द्वारा प्रस्तुत किए गए नवीन विचारों को पेश करते हैं और 3 वर्षों तक वरिष्‍ठ नागरिकों के लिए काम करने वाले स्वतंत्र स्टार्टअप को तरजीह देते हैं, उन्हें प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

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