रक्षा मंत्रालय
रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 18वें भारत-अमेरिका आर्थिक शिखर सम्मेलन को संबोधित किया
अमेरिकी कंपनियों को भारत में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया
हमारा उद्देश्य 'मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड' है: रक्षा मंत्री
Posted On:
15 SEP 2021 6:02PM by PIB Delhi
रक्षा मंत्री के उद्बोधन की ख़ास बातें:
- भारत एक मजबूत और विश्वसनीय निवेश गंतव्य है
- अमेरिकी कंपनियों को संयुक्त उद्यमों के माध्यम से प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए
- युवा भारतीय दिमाग के साथ अनुसंधान और विकास एक मजबूत रक्षा पारितंत्र का निर्माण करेगा
- भारत में व्यापार के अनुकूल माहौल बनाने के लिए सरकार का रवैया नवीन विचारों के लिए खुला है
रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने अमेरिकी कंपनियों को भारतमें निवेश करने और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा परिकल्पित 'मेकइन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड' के सपने को साकार करने में योगदान देने केलिए आमंत्रित किया है। वह दिनांक 15 सितंबर, 2021 को वीडियोकॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इंडो-अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित 'बाउंसिंग बैक - रेजिलिएंट रिकवरी पाथ पोस्ट कोविड-19' विषय पर आयोजित 18वें भारत-अमेरिका आर्थिक शिखर सम्मेलन में उद्घाटन भाषण दे रहे थे।
रक्षा क्षेत्र को न केवल सुरक्षा बल्कि देश के समग्र विकास काएक अभिन्न अंग बताते हुए श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा की गई पहलों ने भारत को एक मजबूत और विश्वसनीय निवेश गंतव्य में बदल दिया है। उन्होंने कहा कि भारत अब स्थिर और सुरक्षित सरकार वाला स्थान है जो सुधारोंकी श्रृंखला के माध्यम से आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित करता है। उन्होंने कहा कि मजबूत घरेलू मांग और प्रतिभाशाली युवा कार्यबल और नवाचार की उपलब्धता भारत को एक प्रमुख निवेश गंतव्य बनाती है।
रक्षा मंत्री ने उद्योग जगत के प्रमुखों से रक्षा क्षेत्र मेंदेश की वास्तविक क्षमता का एहसास करने के लिए संयुक्त उद्यमों के माध्यम से प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि विदेशी ओईएम 'मेक इन इंडिया' पहल को भुनाने के लिए एकसंयुक्त उद्यम या प्रौद्योगिकी समझौते के माध्यम से व्यक्तिगत रूप से या भारतीय कंपनियों के साथ साझेदारी कर सकते हैं। श्री राजनाथ सिंह ने उन्हें देश के युवा मस्तिष्कों के साथ अनुसंधान और विकास की प्रक्रिया शुरूकरने का आह्वान किया जो उद्योगों के बीच संबंधों को बढ़ाएगा और शिक्षा औरअनुसंधान के समान योगदान के माध्यम से एक पारितंत्र का निर्माण करेगा।
यह कहते हुए कि भारतीय उद्योग अमेरिकी उद्योगों को घटकों कीआपूर्ति कर सकते हैं श्री राजनाथ सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिकी और भारतीय रक्षा उद्योगों के लिए सह-उत्पादन और सह-विकास के लिए काफी संभावनाएं हैं। यह विश्वास व्यक्त करते हुए कि अमेरिकी फर्म भारत कोरक्षा निर्माण के लिए एक प्रमुख निवेश गंतव्य के रूप में पाएंगे, उन्होंने उद्योग को आश्वासन दिया कि सरकार भारत में व्यापार के अनुकूल वातावरण बनाने के लिए नए विचारों के लिए खुली है और रक्षा क्षेत्र मेंसभी प्रकार की उद्यमशीलता और विनिर्माण को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि शिखर सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा हैजब भारत स्वतंत्रता के 75 वें वर्ष का जश्न मना रहा है, उन्होंने इसे विदेशी उद्योगों, विशेष रूप से अमेरिकी कंपनियों के लिए 'आत्मनिर्भर भारत' के निर्माण में योगदान करने का एक प्लैटिनम अवसर बताया। उन्होंने आगेकहा, "मुझे यकीन है कि भारत और अमेरिका के बीच आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी एक स्प्रिंग बोर्ड के रूप में काम करेगी और यह फोरम इसे हासिल करने के लिए एक सेतु का काम करेगा।"
भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते संबंधों पर प्रकाश डालते हुए श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी, 2 + 2 संवाद, क्वाड सुरक्षा संवाद और लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट और कम्युनिकेशंस कम्पैटिबिलिटी एंड सिक्योरिटी एग्रीमेंट जैसे समझौतों ने द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाइयां प्रदान की हैं। हालांकि उन्होंने इसबात पर जोर दिया कि संबंधों को अभी तक अपनी पूरी क्षमता प्राप्त नहीं हुई है, उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों में कई प्रगतिशील नीतियां बनाई गई हैंजिन्होंने रक्षा क्षेत्र को एक अप्रत्याशित विकास के मार्ग पर अग्रसर कियाहै।
किए गए उपायों में उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा औद्योगिक गलियारों की स्थापना; कतिपय परिस्थितियों में एफडीआई सीमा को स्वचालित मार्ग से 74 प्रतिशत और सरकारी मार्ग से 100 प्रतिशत तक बढ़ाना; रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया-2020 में 'बाय एंड मेक' श्रेणी को शामिल करना जोएक विक्रेता को एक किफायती कार्यबल प्रदान करता है और भारत को प्रौद्योगिकी और प्रशिक्षित जनशक्ति मिलती है; विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने के प्रावधानों के साथ और व्यापार सहयोग बढ़ाने के लिए दो सकारात्मक स्वदेशीकरणसूचियों की अधिसूचना के साथ रक्षा उत्पादन और निर्यात संवर्धन नीति (डीपीईपीपी-2020) का मसौदा शामिल है।
रक्षा मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कोविड-19 स्थिति के बावजूद सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के कारण देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर है। “भारत के सकल घरेलू उत्पाद ने पिछले दो वर्षों में एक 'वी' आकार का विकास वक्र दिखाया है। जहां पिछले साल ग्रोथ में 24 फीसदी की गिरावट देखी गई, वहीं इस साल की पहली तिमाही में 20 फीसदी का उछाल देखा गया है। यहदेश की मजबूत आर्थिक बुनियादी बातों का प्रतिबिंब है।"
श्री राजनाथ सिंह ने आगे कहा, “हम कोविड-19 की चुनौती के बावजूद वित्त वर्ष-22 में दोहरे अंकों की वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं। लेकिन चुनौती वित्त वर्ष-22 के बाद के वर्षों में 7-8 प्रतिशत की स्वस्थविकास दर बनाए रखने की होगी। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्वमें हम वित्त वर्ष-22 से काफी आगे गतिशील विकास की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सात वर्षों में प्रमुख संरचनात्मक और प्रक्रियात्मक सुधारों ने भारत को विकास के मामले में एक बड़ी छलांग लगाने के लिए तैयारकिया है। उन्होंने कहा कि प्रगतिशील और निवेशक अनुकूल कर नीतियों कानिर्माण, व्यापार करने में आसानी पर ध्यान केंद्रित करना, कृषि और श्रम सुधार कुछ ऐसी पहल हैं जिन्होंने 'नए भारत' की नींव रखी है ।
रक्षा मंत्री ने मास्क, पीपीई किट, वेंटिलेटर की आवश्यकता को पूरा करने और महामारी से निपटने के लिए सरकार के साथ काम करने के लिएभारतीय उद्योग की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि उद्योग भारत में चलाए जारहे दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहाहै ।
18वें भारत-अमेरिका आर्थिक शिखर सम्मेलन का आयोजन कोविड-19 केबाद के आर्थिक सुधार में भारत और अमेरिका की महत्वपूर्ण भूमिका को ध्यानमें रखते हुए किया गया है। इस कार्यक्रम में भारत और अमेरिका के व्यापारिक नेताओं ने वर्चुअल रूप से भाग लिया। शिखर सम्मेलन में महिला सशक्तिकरण जैसे सामाजिक मुद्दों पर सत्र भी शामिल हैं। आईएसीसी शीर्ष द्विपक्षीय चैंबर है जिसका उद्देश्य भारत-अमेरिका आर्थिक जुड़ाव में तालमेल बिठाना है ।
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एमजी/एएम/एबी/ केजे
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