विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
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उन्नत जल प्रबंधन प्रणाली विकसित की गई


यह घरों और उद्योगों में इसके पुन: इस्‍तेमाल को आसान बनाकर विषाक्त वस्‍त्र अपशिष्टों का उपचार कर सकती है

Posted On: 09 SEP 2021 3:03PM by PIB Delhi

भारतीय अनुसंधानकर्ताओं ने एक बेहतर अपशिष्ट जल उपचार समाधान विकसित किया है जो कपड़ा उद्योग से औद्योगिक डाई अपशिष्ट जल का पूरी तरह से पुन: उपयोग कर सकता है, इसकी विषाक्तता को समाप्त कर सकता है और इसे घरेलू और औद्योगिक उपयोग के लिए उपयुक्त बना सकता है। यह जल उपचार की लागत को कम कर सकता है और शुष्क क्षेत्रों में पानी के पुन: उपयोग की सुविधा प्रदान कर सकता है।

प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक उपचार से युक्त अपशिष्ट जल के लिए वर्तमान तीन चरण की उपचार प्रक्रिया विषाक्‍त औद्योगिक अपशिष्ट जल का उपचार करने में असमर्थ है। औद्योगिक अपशिष्ट (डाई-आधारित) में रंग और गंध के गुणों के लिए केवल एओपी उपचार तकनीक निर्धारित सरकारी मानकों को पूरा करने के लिए अपर्याप्त हो सकती है और रासायनिक अभिकर्मकों की निरंतर आपूर्ति से जुड़े एओपी की उच्च लागत के कारण भी सीमित है। इसका कारण यह है कि यह सिंथेटिक औद्योगिक रंगों और चमकीले रंग और गंध को दूर नहीं कर सकता है, जिसका पारिस्थितिक और विशेष रूप से जलीय जीवन पर लंबे समय तक चलने वाला कैंसरजन्य और विषाक्त प्रभाव पड़ता है। इस विषाक्तता को दूर करने के लिए, उन्नत ऑक्सीकरण प्रक्रिया (एओपी) तकनीक के साथ एक उन्नत समाधान आज की आवश्यकता है।

इस दिशा में काम करते हुए, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर के साथ मालवीय राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, जयपुर और एमबीएम कॉलेज जोधपुर के शोधकर्ताओं ने एक परिवर्तित एओपी समाधान विकसित किया है। इस पूरी तरह से उन्‍नत उपचार प्रक्रिया में प्राथमिक शमन के चरण के बाद रेत निस्पंदन चरण, एक और एओपी और बाद में कार्बन निस्पंदन चरण शामिल है। यह पारंपरिक प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक प्रक्रियाओं की आवश्यकता को समाप्त करता है, जिसके परिणामस्वरूप अधिकतम रंग हटाया जाता है और अंतर्देशीय जल निर्वहन मानकों को पूरा करता है।

भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) की जल प्रौद्योगिकी पहल (डब्ल्यूटीआई)के साथभारतीय राष्ट्रीय इंजीनियरिंग अकादमी (आईएनएई) नेलक्ष्मी टेक्सटाइल प्रिंट्स के सहयोग से टेक्सटाइल इंडस्ट्रियल पार्क, जयपुर में इस पायलट-स्केल प्लांट को चालू करने के लिए पायलट स्तर पर इस तकनीक के विकास का समर्थन किया।

जीरो डिस्चार्ज वाटर मैनेजमेंट सिस्टम को लक्षित करने वाली अत्‍यधिक विकसित इस उन्नत ऑक्सीकरण प्रक्रिया (एओपी) तकनीक का उपयोग घरेलू और औद्योगिक उपयोग के लिए 10 किलो लीटर प्रतिदिन की दर से औद्योगिक डाई अपशिष्ट जल के पूर्ण पुन: उपयोग के लिए किया जा रहा है। कपड़ा अपशिष्टों के जहरीले और अत्यधिक कैंसरकारी औद्योगिक रंगों का उपचार इस एओपी तकनीक का उपयोग करके अपशिष्ट जल से अघुलनशील कार्बनिक पदार्थों को डिग्रेड और खनिजयुक्‍त करने के लिए किया जाता है।

यह मौजूदा उपचार संयंत्र प्रक्रियाओं का एक सीधा प्रतिस्थापन है और इसमें अम्‍लीय मिट्टी पर डाई सोखने का एक कम लागत वाला समाधान होता है, जिसके बाद एक फोटोकैलेटिक दृश्य प्रकाश फिल्टर और एक अद्वितीय कार्बन और पैन नैनो-मैट फाइबर निस्पंदन के भीतर एक फोटोकैमिकल प्रतिक्रिया का चरण होता है। प्रायोगिक आधार पर स्थापित होने के बाद, यह औद्योगिक अपशिष्ट जल का उपचार करता है।

प्रौद्योगिकी के परिणामस्वरूप राजस्थान के पानी की कमी वाले क्षेत्रों में जल उपचार के लिए पारंपरिक प्रक्रियाओं (विशेष रूप से कीचड़ निपटान की उच्च लागत के कारण) से होने वाली उपचार लागत के 50 प्रतिशत की भरपाई हुई है। इसके अलावा, वर्तमान औद्योगिक आवश्यकता को पूरा करने के लिए इस संयंत्र को 100 किलो लीटर प्रतिदिन की क्षमता तक बढ़ाने के लिए स्वचालित संयंत्र संचालन सहित काम चल रहा है।

अधिक जानकारी के लिए डॉ. शांतनु भट्टाचार्य, आईआईटी कानपुर, से bhattacs@iitk.ac.in पर संपर्क किया जा सकता है।

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चित्र : उपचार के कई चरणों के बाद अपशिष्टों के रंग में परिवर्तन

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