स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय
ब्रिक्स डिजिटल स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन में भारत
ब्रिक्स मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में डॉ. भारती प्रवीण पवार ने डिजिटल स्वास्थ्य के कार्यान्वयन के दौरान आई चुनौतियों और अवसरों की चर्चा की
'एनडीएचएम डिजिटल स्वास्थ्य को सुव्यवस्थित करेगा और यूनिक हेल्थ आईडी के माध्यम से केंद्रों और चिकित्सकों के लिए सही सूचना का एकल स्रोत तैयार करेगा'
'ब्रिक्स डिजिटल स्वास्थ्य प्लेटफॉर्म समय की मांग है। यह साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण के लिए भंडार उपलब्ध कराएगा।'
ब्रिक्स डिजिटल स्वास्थ्य घोषणा को अपनाया गया
Posted On:
03 SEP 2021 7:56PM by PIB Delhi
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने आज यहां वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से ब्रिक्स मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया। पैनल ने डिजिटल स्वास्थ्य के कार्यान्वयन के दौरान आई चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा की।
उन्होंने सभी स्तरों पर डिजिटल स्वास्थ्य प्रौद्योगिकियों को पूर्ण रूप से अंगीकार करने की भारत की प्राथमिकताओं पर पैनल को संबोधित किया। साथ ही उन्होंने ब्रिक्स देशों के बीच मानक पाठ्यक्रम के माध्यम से सक्षम स्वास्थ्य सूचना विज्ञान पेशेवरों के कैडर निर्माण संबंधी बिक्स की रणनीति के बारे में अपनी बात रखी। स्वास्थ्य प्रणालियों (ब्रिक्स के तहत) के लिए साक्ष्य आधारित डिजिटल प्रौद्योगिकियों के भंडार और नवाचारों के विकास से भारत की अपेक्षाएं और सुगम स्वास्थ्य प्रणाली बनाने की दिशा में कोविड-19 के दौरान डिजिटल नवाचारों के इस्तेमाल से प्राप्त लाभों को बनाए रखने की भारत की रणनीतिक पहल पर भी चर्चा हुई।
शुरुआत में, डॉ. पवार ने स्वीकार किया कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर डिजिटल स्वास्थ्य प्राथमिकता बन चुका है। उन्होंने कहा, 'कोविड-19 की दो लहरों ने विशिष्ट चुनौतियां पेश कीं, जिसके लिए प्रभावी एवं क्षेत्रीय जरूरतों के प्रति संवेदनशील मानवीय केंद्रीकृत जवाबी कार्रवाई की आवश्यकता पड़ी। डिजिटल स्वास्थ्य का इस महामारी के प्रबंधन में कुशलता से उपयोग किया गया तथा इससे हम अपनी कार्रवाई को मजबूत करने के लिए और वैज्ञानिक एवं आंकड़ा आधारित पहल अपना सके।'
भारत में डिजिटल पहलों के एक व्यापक ढांचे के तौर पर राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य ब्लूप्रिंट के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा, 'हम राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (एनडीएचएम) के माध्यम से डिजिटल स्वास्थ्य कार्यक्रमों को सुव्यवस्थित करने के लिए सिफारिशों को लागू कर रहे हैं। यूनिक हेल्थ आईडी के माध्यम से एनडीएचएम विभिन्न केंद्रों और चिकित्सकों के लिए सच्ची सूचना का एकल स्रोत तैयार करेगा और डिजिटल मोड के माध्यम से विभिन्न स्वास्थ्य सेवाओं को विस्तार देगा।'
डॉ. पवार ने बताया कि डिजिटल स्वास्थ्य का एक पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करने के लिए भारत की तत्काल क्षेत्रीय स्तर की प्राथमिकताओं में रियल टाइम नैदानिक प्रबंधन के लिए सभी जिला अस्पतालों में अस्पताल प्रबंधन सूचना प्रणाली (एचएमआईएस) का कार्यान्वयन, टेलीमेडिसिन के माध्यम से प्रत्येक नागरिक के लिए सस्ती और सुलभ चिकित्सा परामर्श सुविधा और सभी हितधारकों को एकीकृत कर स्वास्थ्य आपदा प्रबंधन के लिए एक ढांचा स्थापित करना शामिल है।
डिजिटल रूप से महामारी के प्रबंधन के लिए मानव संसाधन का पूल तैयार करने के संबंध में, केंद्रीय मंत्री ने बताया कि कैसे भारत ने 16 मिलियन से ज्यादा कोविड योद्धाओं को प्रशिक्षित करने के लिए आईजीओटी (ऑनलाइन प्रशिक्षण प्लेटफॉर्म) का लाभ उठाया। इसमें डॉक्टर, पैरामेडिक, नर्स, सामुदायिक प्रतिभागी आदि शामिल हैं।
डॉ. पवार ने इस बात पर जोर दिया कि कंप्यूटरीकृत तरीके से देखभाल की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए ब्रिक्स देशों में स्वास्थ्य डेटा की उपलब्धता के लिए ब्रिक्स डिजिटल स्वास्थ्य मंच समय की जरूरत है; 'वैश्विक कल्याण के लिए साक्ष्य आधारित डिजिटल स्वास्थ्य की सर्वोत्तम प्रणालियों का भंडार तैयार करने के लिए हमें मिलकर और सहयोग से काम करने की आवश्यकता है। इस तरह का फ्रेमवर्क डेटा की शेयरिंग और उसकी उपलब्धता सुनिश्चित करेगा और मौजूदा कोविड-19 महामारी जैसे रोग के प्रकोप से सुरक्षा के लिए डेटा के समन्वय, उसे जुटाने और शेयर करने की वैश्विक क्षमताओं को बढ़ाने में मदद करेगा।'
वैश्विक डिजिटल स्वास्थ्य भागीदारी, विश्व स्वास्थ्य संगठन, जी20 आदि जैसे मौजूदा संगठनों और उनके अनुभवों का लाभ उठाने की मंच की क्षमता और ब्रिक्स देशों तक ही सीमित न रहने वाली डिजिटल प्रौद्योगिकियों को व्यापक औरउचित रूप से अपनाने के लिए नीति की परिकल्पना, इस मंच से भारत की प्रमुख अपेक्षाएं हैं।
कोविड-19 के दौरान अपनाई गई तकनीकों पर बोलते हुए, उन्होंने कहा, 'हमने राष्ट्रीय कोविड पोर्टल के माध्यम से एक मजबूत तंत्र की शुरुआत की जिससे एकीकृत तरीके से निगरानी, परीक्षण, रसद प्रबंधन, डेटा संचालित विश्लेषण आदि हुआ। हमने आरोग्य सेतु और आईटीआईएचएएस एप्लकेशन- डिजिटल निगरानी एप्लेकशन को नागरिकों से डेटा हासिल करने और समुदाय में हॉटस्पॉट की भविष्यवाणी करने के लिए लोकप्रिय बनाया। आरोग्य सेतु 201 मिलियन डाउनलोड के साथ सबसे ज्यादा डाउनलोड किए गए एप्लिकेशन में से एक बन गया। इसी तरह, स्वास्थ्य सेवाओं को नागरिकों के दरवाजे तक ले जाने के लिए, हम भारत के राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म (ई-संजीवनी) को बढ़ा रहे हैं और सभी जिलों में समर्पित डॉक्टरों के साथ टेलीमेडिसिन हब स्थापित कर रहे हैं। ये हब अपने-अपने क्षेत्र में कोविड और गैर-कोविड स्वास्थ्य देखभाल में मदद करेंगे।'
उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि इनमें से कुछ प्लेटफॉर्मों का सार्वजनिक स्वास्थ्य पर स्थायी प्रभाव कैसे पड़ेगा: 'भारत एकीकृत स्वास्थ्य सूचना प्लेटफॉर्म के माध्यम से रोग निगरानी कार्यक्रम का लाभ उठा रहा है। यह प्लेटफॉर्म 33 महामारी उन्मुख बीमारियों को लेकर सामुदायिक निगरानी के लिए केंद्रों से रिएल टाइम डेटा इकट्ठा करता है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चला रहा है और इस पहल का प्रबंधन डिजिटल टूल को-विन (कोविड पर जीत) के माध्यम से किया जा रहा है। को-विन को लेकर भारत सरकार ने ऐसी व्यवस्था की है कि कोई भी देश अपने टीकाकरण अभियान के प्रबंधन में इसे अपना सकता है, यह कोविड तक ही सीमित नहीं है बल्कि पारंपरिक टीकाकरण में भी इसका इस्तेमाल हो सकता है।'
ब्रिक्स देशों के माननीय स्वास्थ्य मंत्रियों की मौजूदगी में ब्रिक्स डिजिटल स्वास्थ्य घोषणा को अपनाया गया।
ब्रिक्स डिजिटल स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन का मेजबान होने के नाते, इस सम्मेलन की अध्यक्षता केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव श्री राजेश भूषण ने की। उन्होंने कोविड-19 महामारी में डिजिटल स्वास्थ्य को व्यापक रूप से अपनाने पर जोर दिया, जिसमें जनसंख्या निगरानी, सक्रिय मामले का पता लगाना, संकट में आम नागरिकों के साथ संवाद शामिल है। प्राथमिक सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी अपनाने की दिशा में देशों के आगे बढ़ने पर भी प्रकाश डाला गया। श्री भूषण ने बैठक में भाग लेने वाले सभी देशों को डिजिटल स्वास्थ्य के संबंध में अपनी बहुमूल्य उपलब्धियों और सुझावों को साझा करने के लिए धन्यवाद दिया।
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