विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

नई उन्नत ऑक्सीकरण तकनीक कम लागत पर अपशिष्ट जल के दोबारा इस्तेमाल को बढ़ा सकती है

Posted On: 25 AUG 2021 3:59PM by PIB Delhi

एक नई तकनीक जल्द ही किफायती और टिकाऊ तरीके से अपशिष्ट जल के दोबारा इस्तेमाल को बढ़ा सकती है। यूवी-फोटोकैटलिसिस पर आधारित यह तकनीक नगरपालिका के सीवेज और औद्योगिकी इकाइयों से निकलने वाले अत्यधिक प्रदूषित अपशिष्ट जल का शोधन कर सकती है और एक तकनीकी विकल्प के रूप में औद्योगिकी इकाइयों एवं नगरपालिका के इस शोधित जल के दोबारा इस्तेमाल को बढ़ावा दे सकती है।

लगातार बढ़ते जल संकट के साथ, उद्योगों और उससे जुड़ी जरूरतों के लिए 'शोधित जल' का दोबारा इस्तेमाल करना जरूरी हो गया है। हालांकि मौजूदा शोधन के तरीके प्रभावी नहीं है क्योंकि यह तरीके बॉयोलॉजिकल ट्रीटमेंट सिस्टम पर अधिक निर्भर है जो बढ़ते प्रदूषण के भार को सहन करने में असमर्थ हैं। इसके बाद आरओ और मल्टी इफेक्ट इवेपोरेटर्स (एमईई) को शामिल करते हुए तृतीयक शोधन प्रणालियों का इस्तेमाल किया जा सकता है। इन प्रणालियों में कार्बन फुट प्रिंट और रख-रखाव की लागत बहुत अधिक होती है, जिससे अपशिष्ट जल का शोधन टिकाऊ और कारगर नहीं हो पाता है। इन शोधकर्ताओं ने मौजूदा प्रणालियों में नए दृष्टिकोण और उन्नत प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करने की आवश्यकता महसूस की है।

द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली ने द एडवांस्ड ऑक्सीडेशन टेक्नोलॉजी या TADOX® नामक एक तकनीक विकसित की है जो 'बॉयोलॉजिकल और तृतीयक शोधन प्रणालियों पर निर्भरता और दबाव को कम कर सकती है और जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (जेडएलडी) हासिल करने में मदद कर सकती है। यह औद्योगिक अपशिष्ट जल शोधन के लिए जेडएलडी पर पूंजीगत खर्च को 25-30प्रतिशत और परिचालन संबंधी खर्च को 30-40प्रतिशत तक कम कर सकती है।

अपशिष्ट जल के शोधन के लिए टेरी नई दिल्ली द्वारा विकसित उन्नत ऑक्सीकरण तकनीक, TADOX® इस दिशा में एक प्रयास है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), भारत सरकार- जल प्रौद्योगिकी इनीशिएटिव (डब्ल्यूटीआई) ने ओएनजीसी एनर्जी सेंटर (ओईसी), दिल्ली के साथ साझेदारी करके इस तकनीक को बेंच स्केल सहयोग पर विकसित करने के लिए टेरी का समर्थन किया है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के जल प्रौद्योगिकी इनिशिएटिव (डब्ल्यूटीआई) द्वारा समर्थित तकनीक है। इस तकनीक में यूवी फोटोकैटलिसिस का समावेश है, जो कि उन्नत ऑक्सीकरण प्रक्रिया (एओपी) के रूप में शोधन के द्वितीयक चरण में लक्षित प्रदूषकों का ऑक्सीकरण के जरिए अपघटन करता है और उन्हें खनिज तत्वों से लैस करता है। 

यह बायोडिग्रेडेबिलिटी में सुधार करता है, जिससे झिल्लियों में जैव-प्रदूषण को रोका जा सकता है और आरओ सिस्टम की लाइफ और क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। साथ ही मल्टीपल इफेक्ट इवेपोरेटर्स और मैकेनिकल वेपर रीकंप्रेशन (एमवीआर) जैसे वाष्पीकरण कर्ताओं पर दबाव बढ़ाता है। यह रासायनिक ऑक्सीजन मांग (सीओडी), जैविक ऑक्सीजन मांग (बीओडी), घुलने वाले आर्गेनिक्स, स्थायी कार्बनिक प्रदूषकों (पीओपी) और सूक्ष्म प्रदूषकों को कम कर सकता है।

TADOX® को मौजूदा शोधित प्रणालियों में एकीकृत और रेट्रोफिटेबल बनाया जा सकता है, जिससे यह आगामी और मौजूदा संरचनात्मक परियोजनाओं, टाउनशिप, वाणिज्यिक परिसरों, हरित भवनों और स्मार्ट शहरों में एक नई विकेंद्रीकृत अपशिष्ट जल उपचार प्रौद्योगिकी (डीडब्ल्यूटीटी) के रूप में एक व्यवहारिक विकल्प बन सकती है।

एक एमएसएमई कंपनी द्वारा टेरी गुरुग्राम परिसर में 10 किलो लीटर प्रति दिन निरंतर चलने वाले प्लांट के विस्तार के लिए इस प्रौद्योगिकी को अपनाया गया है। भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय ने 'नमामि गंगे' कार्यक्रम के तहत चिन्हित औद्योगिक क्षेत्रों के लिए प्रायोगिक परीक्षण और विस्तार योजना के लिए TADOX® तकनीक को चुना है। प्रौद्योगिकी टीआरएल 7 पर मौजूद है और 1 अप्रैल 2021 से क्षेत्रीय क्रियान्वन, प्रौद्योगिकी और ट्रेडमार्क लाइसेंस समझौते के माध्यम से व्यावसायीकरण के लिए तैयार है।

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