खान मंत्रालय

भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, केंद्रीय मुख्यालय, कोलकाता ने 75वां स्वतंत्रता दिवस हर्ष और उत्साह के साथ मनाया

Posted On: 15 AUG 2021 2:52PM by PIB Delhi

खान मंत्रालय के तहत देश के प्रमुख भू-वैज्ञानिक अनुसंधान संगठन, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने आज कोलकाता में अपने केंद्रीय मुख्यालय में तिरंगा फहराकर भारतीय स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ को उत्साह और उल्लास के साथ मनाया।

इस अवसर पर भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के महानिदेशक श्री राजेन्द्र सिंह गर्खाल, अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. एस. राजू, अतिरिक्त महानिदेशक श्री महादेव मारुति पोवार सहित अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे। सभी कोविड-19 संबंधी प्रोटोकॉल का पालन करते हुए इस समारोह का आयोजन किया गया।

श्री गर्खाल ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया। अपने संबोधन में श्री गर्खाल ने हमारे देश के स्वतंत्रता सेनानियों के उस महत्वपूर्ण योगदान को याद किया जिन्होंने भारत को ब्रिटिश शासन के चंगुल से मुक्त कराने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी I उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें इस स्वतंत्रता को मजबूत करने और राष्ट्र की प्रगति का मार्ग प्रशस्त करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।

अपने सम्बोधन में श्री गर्खाल ने कहा कि “भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने पारंपरिक खनिज अन्वेषण गतिविधियों के साथ-साथ खनिज अन्वेषण के क्षेत्र में राष्ट्रीय एयरो भूभौतिकीय मानचित्रण और उपग्रह आधारित तकनीकों जैसी महत्वाकांक्षी परियोजनाओं के लिए खुद को तैयार किया है। संगठन ने इससे भी आगे बढ़कर अपने प्रदर्शनों की सूची में भूगर्भीय खतरे एवं लोक कल्याण विज्ञान अध्ययन (जियो हैज़र्ड और पब्लिक गुड साइंसेज स्टडीज) को जोड़ दिया है। साथ ही हमारा संस्थान कई खनिज ब्लॉकों की पहचान करने में सफल रहा है और उनकी नीलामी के उद्देश्य से राज्य सरकारों को इस बारे में रिपोर्ट सौंप दी है।”

श्री गर्खाल ने पिछले 75 वर्षों में देश द्वारा की गई महत्वपूर्ण प्रगति के बारे में बताया। उन्होंने इस तथ्य पर जोर दिया कि प्रौद्योगिकी के मोर्चे पर भी भारत एक अग्रणी के रूप में उभरा है। चंद्र/मंगल मिशन और बाहरी अंतरिक्ष में उपग्रह/रोवर भेजना स्वतंत्रता के बाद के युग में हुए प्रौद्योगिक विकास के बारे में बहुत कुछ बताता है।

महानिदेशक श्री राजेंद्र सिंह गर्खाल, अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. एस. राजू और अतिरिक्त महानिदेशक श्री महादेव मारुति पोवार द्वारा कोलकाता में जीएसआई के परिसरों में 75 पौधों को लगाने की शुरुआत के साथ इस कार्यक्रम का समापन हुआ।

भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) की स्थापना 1851 में मुख्य रूप से रेलवे के लिए कोयला भंडारों की खोज के लिए की गई थीI तब से अब तक की अवधि में जीएसआई न केवल देश में विभिन्न क्षेत्रों में आवश्यक भू-विज्ञान सम्बन्धी सूचनाओं के भंडार के रूप में विकसित हुआ है बल्कि इसे अंतरराष्ट्रीय ख्याति के भू-वैज्ञानिक संगठन का दर्जा भी मिल चुका है। संगठन का मुख्य कार्य राष्ट्रीय भू-वैज्ञानिक जानकारी जुटाकर उसे अपडेट करते रहना और खनिज संसाधनों का निरंतर आकलन करना है। इन उद्देश्यों को जमीनी सर्वेक्षण,  हवाई और समुद्री सर्वेक्षण, खनिज पूर्वेक्षण और जांच, बहु-विषयक भूवैज्ञानिक, भू-तकनीकी, भू-पर्यावरण और प्राकृतिक खतरों के अध्ययन, हिमनद विज्ञान, भूकंप विवर्तनिक (टेक्टोनिक) अध्ययन और मौलिक अनुसंधान के माध्यम से प्राप्त किया जाता है।

जीएसआई की मुख्य भूमिका में नीति निर्धारण विषयक निर्णयों, वाणिज्यिक और सामाजिक-आर्थिक जरूरतों पर ध्यान देने के साथ ही उद्देश्यपूर्ण, निष्पक्ष और अद्यतन (अप-टू-डेट) भूवैज्ञानिक विशेषज्ञता परामर्श और सभी प्रकार की भू-वैज्ञानिक जानकारी प्रदान करना शामिल है। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) देश के भीतर और इसके अपतटीय क्षेत्रों की सतह और उपसतह से प्राप्त सभी भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं के व्यवस्थित प्रलेखन पर भी जोर देता है। संगठन इसके लिए भूभौतिकीय और भू-रासायनिक और भूवैज्ञानिक सर्वेक्षणों सहित नवीनतम और सबसे अधिक लागत प्रभावी तकनीकों और कार्यप्रणाली का उपयोग करता है।

अपने प्रबंधन, समन्वयन और सुदूर संवेदन प्रविधि (रिमोट सेंसिंग) के माध्यम से प्राप्त स्थानिक डेटाबेस का उपयोग करने से सर्वेक्षण और मानचित्रण में जीएसआई की मुख्य क्षमता में लगातार वृद्धि हुई है। इस उद्देश्य के लिए संगठन एक 'भंडार' या 'समाशोधन गृह' के रूप में कार्य करता है और भू-सूचना विज्ञान क्षेत्र में अन्य हितधारकों के साथ सहयोग और सहयोग के माध्यम से भू-वैज्ञानिक सूचना और स्थानिक डेटा के प्रसार के लिए नवीनतम कंप्यूटर-आधारित प्रौद्योगिकियों का उपयोग करता है।

भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) का मुख्यालय कोलकाता में है और इसके छह क्षेत्रीय कार्यालय लखनऊ, जयपुर, नागपुर, हैदराबाद, शिलॉन्ग और कोलकाता में स्थित हैं तथा देश के लगभग सभी राज्यों में राज्य इकाइयों के कार्यालय हैं।

 

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