राष्ट्रपति सचिवालय

कश्मीर विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भारत के माननीय राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द का संबोधन

Posted On: 27 JUL 2021 1:33PM by PIB Delhi

महान ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व की इस भूमि पर आज आप सबके बीच मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है। इसे 'ऋषि वीर' या संतों की भूमि कहा गया है और इसने हमेशा बहुत दूर तक के आध्यात्मिक साधकों को आकर्षित किया है। मैं इस भूमि पर खड़ा होकर खुद को धन्य महसूस करता हूं, जो न केवल ज्ञान का भंडार है, बल्कि अद्वितीय प्राकृतिक सौंदर्य से भी संपन्न है।

देवियो और सज्जनो,

सर्वप्रथम और सबसे आगे, मैं कश्मीर विश्वविद्यालय के उन युवा छात्रों को बधाई देना चाहता हूं, जिन्हें इस दीक्षांत समारोह में उनकी डिग्री प्रदान की जा रही है। पोश्ते मुबारक।

मुझे बताया गया है कि आज लगभग 3 लाख छात्र डिग्री प्राप्त कर रहे हैं। मैं इन संख्याओं से प्रभावित हूं। पिछले आठ वर्षों में 2.5 लाख से अधिक स्नातक और 1,000 से अधिक डॉक्टरेट के साथ विश्वविद्यालय ने उल्लेखनीय प्रगति की है। मैं आप में से प्रत्येक को बताना चाहता हूं कि सीखने को लेकर आपकी खोज और परिवर्तन के एक एजेंट के रूप में ज्ञान के लिए आपका विश्वास वास्तव में प्रेरणादायक है। इसका श्रेय कश्मीर विश्वविद्यालय के शिक्षकों और प्रशासकों को भी जाता है। ये उपलब्धियां आश्चर्य की बात नहीं हैं, क्योंकि विख्यात शारदा पीठ के चलते कश्मीर को हमेशा ‘शारदा देश’ के रूप में जाना गया है, जो प्राचीन काल में शिक्षा का एक प्रसिद्ध केंद्र था।

महिला छात्रों की सफलता भी समान रूप से प्रेरणादायी है। आज डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों में लगभग आधी महिलाएं हैं। इतना ही नहीं जब स्वर्ण पदक की बात आती है तो इसमें 70 फीसदी विजेता महिलाएं हैं। यह केवल संतोष की एक बात नहीं है, बल्कि हमारे लिए भी गर्व की बात है कि हमारी बेटियां, हमारे बेटों के समान स्तर पर प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं और कभी-कभी इससे भी बेहतर। यह समानता और क्षमताओं में विश्वास है जिसे सभी महिलाओं के बीच पोषित करने की जरूरत है जिससे हम सफलतापूर्वक एक नए भारत का निर्माण कर सकें - एक ऐसा भारत जो राष्ट्रों के समूह में अव्वल हो। हमारे मानव संसाधन और बुनियादी ढांचे का निर्माण इस उच्च आदर्श की ओर बढ़ते कदम हैं।

देवियो और सज्जनो,

जैसा कि आप जानते हैं, आधारशिला, नींव का निर्माण करते समय स्थापित किया जाने वाला पहला पत्थर होता है। इस मायने में शिक्षा हमारे राष्ट्र निर्माण की आधारशिला है। भारत ने हमेशा ज्ञान को सबसे ऊपर रखने को लेकर खुद पर गर्व किया है। सीखने में हमारी महान परंपराएं थीं और कश्मीर भी उनमें से कुछ का केंद्र रहा है। आधुनिक शिक्षा को हमारी समृद्ध विरासत के साथ इस तरह जोड़ने की एक जरूरत महसूस की गई कि यह हमें 21वीं सदी की चुनौतियों का बेहतर ढंग से मुकाबला करने में सहायता करे। इसी दृष्टिकोण के साथ पिछले साल एक नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की घोषणा की गई थी।

मुझे इस विषय पर सभी राज्यों के राज्यपालों, केंद्रशासित प्रदेशों के उप राज्यपालों और केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ वर्चुअल माध्यम के जरिए चर्चा करने का अवसर मिला था। मैंने पिछले सितंबर में वर्चुअल माध्यम के जरिए 'जम्मू और कश्मीर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन' पर एक सम्मेलन को भी संबोधित किया था।

मुझे यह जानकार प्रसन्नता हो रही है कि नई नीति की कुछ विशेषताएं कश्मीर विश्वविद्यालय में पहले ही शुरू की जा चुकी हैं। इस नीति के सही समय पर कार्यान्वयन के लिए एक रोडमैप तैयार करने के लिए एक समिति गठित करने के अलावा नीति के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए कई शैक्षणिक पाठ्यक्रमों को फिर से तैयार किया गया है। इस नीति में उल्लिखित पसंद आधारित क्रेडिट सिस्टम के तहत छात्रों को उनकी पसंद के विभाग या संस्थान से अपेक्षित क्रेडिट पूरा करने में सहायता करने के लिए एक क्रेडिट ट्रांसफर नीति अपनाई गई है।

इस विश्वविद्यालय की एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि यह है कि इसने अनुसंधान पर जोर दिया है, जो नई नीति का एक महत्वपूर्ण घटक है। मुझे बताया गया है कि कश्मीर विश्वविद्यालय को भारत में उन कुछ (विश्वविद्यालयों) में से एक होने की विशिष्टता प्राप्त है, जिसके पास एक समर्पित अंतर्विषयक अनुसंधान और नवाचार केंद्र है। यह विविध विषयों में विभिन्न फेलोशिप के माध्यम से युवा वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करेगा।

कश्मीर विश्वविद्यालय ने दो केंद्रों की स्थापना के साथ अपनी उपलब्धियों को आगे बढ़ाया है, जो उच्च महत्व के हैं। इनमें एक ग्लेसिओलॉजी को समर्पित है और दूसरा हिमालयी जैव विविधता प्रलेखन, जैव-पूर्वानुमान और संरक्षण के लिए है। इसके बाद यहां नेशनल हिमालयन आइस-कोर लेबोरेटरी भी है। जैसा कि आप सभी को इसकी जानकारी है, जलवायु परिवर्तन इस सदी में मानवता के सामने सबसे गंभीर चुनौती है। ग्लोबल वार्मिंग हर जगह अपना प्रभाव डाल रही है, लेकिन यह हिमालय के नाजुक इको-सिस्टम की तुलना में किसी अन्य स्थान पर ज्यादा महसूस नहीं किया गया है। मुझे विश्वास है कि उत्कृष्टता के ये दो केंद्र और प्रयोगशाला कश्मीर की सहायता करेंगे और जलवायु संबंधी चुनौतियों का मुकाबला करने व प्रकृति के पोषण में विश्व को रास्ता भी दिखाएंगे। मैं युवाओं को इन मंचों के जरिए प्रदान किए गए अवसर का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहता हूं। वे एक बड़ी वजह और एक महान करियर के एक सुखद संयोजन की ओर आगे देख सकते हैं।

नई शिक्षा नीति का एक प्रमुख उद्देश्य व्यावसायिक शिक्षा पर अधिक जोर देना है। इस क्षेत्र में भी कश्मीर विश्वविद्यालय कौशल विकास सर्टिफिकेट और डिग्री स्तर के पाठ्यक्रम प्रदान करने में सफल रहा है। इसके आजीवन शिक्षण निदेशालय और दीनदयाल उपाध्याय-कौशल केंद्र के माध्यम से ऑटोमोबाइल, वस्त्र, कृषि और बागवानी जैसे विविध क्षेत्रों में शिक्षा प्रदान की जाती है।

इन सबसे बढ़कर मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपके विश्वविद्यालय ने महामारी का सबसे प्रशंसनीय तरीके से जवाब दिया है। पूरा विश्व एक मुश्किल समय का सामना कर रहा है। कोरोना वायरस ने जीवन के सभी क्षेत्रों को प्रभावित किया है और इनमें शिक्षा कोई अपवाद नहीं है। सौभाग्य से प्रौद्योगिकी ने एक समाधान प्रदान किया। पूरे भारत के विद्यालयों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों ने ऑनलाइन माध्यम के जरिए शिक्षा प्रदान करना जारी रखा है। पिछले साल प्रकोप के बाद, कश्मीर विश्वविद्यालय तत्काल ऑनलाइन मॉड्यूल में स्थानांतरित हो गया और अपने छात्रों को ई-संसाधन उपलब्ध कराया। इससे अधिक इसने अपने मुख्य, उत्तर और दक्षिण परिसरों में क्वारांटीन सुविधाएं प्रदान करके प्रशासन का सहयोग किया। यह दिखाता है कि कैसे समाज में एक विश्वविद्यालय का योगदान शिक्षा प्रदान करने से कहीं आगे जा सकता है।

देवियो और सज्जनो,

कश्मीर एक ऐसी जगह है जो विवरणों को खारिज करती है। कई कवियों ने इसे धरती पर स्वर्ग कहते हुए इसकी सुंदरता की व्याख्या करने की कोशिश की है, लेकिन यह शब्दों से परे है। प्रकृति की इस उदारता ने ही इस स्थान को विचारों का एक केंद्र भी बनाया है। दो सदी पहले बर्फ से ढके पहाड़ों से घिरी यह घाटी ऋषियों व संतों के लिए एक आदर्श जगह प्रदान करती थी। कश्मीर के योगदान का उल्लेख किए बिना भारतीय दर्शन का इतिहास लिखना असंभव है। ऋग्वेद की सबसे पुरानी पांडुलिपियों में से एक कश्मीर में लिखी गई थी। दर्शनों के समृद्ध होने के लिए यह सबसे प्रेरक क्षेत्र है। यही वह स्थान है जहां महान दार्शनिक अभिनवगुप्त ने सौंदर्यशास्त्र और ईश्वर की अनुभूति के तरीकों पर अपनी व्याख्याएं लिखीं। कश्मीर में हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म का विकास हुआ, इसी तरह बाद की सदियों में इस्लाम और सिख धर्म के यहां आने के बाद हुआ था।

कश्मीर विभिन्न संस्कृतियों का मिलन स्थल भी रहा है। मध्यकाल में निश्चित रूप से, लाल डेड ही थीं, जिन्होंने विभिन्न आध्यात्मिक परंपराओं को एक साथ लाने का मार्ग दिखाया। लल्लेश्वरी के कार्यों में आप देख सकते हैं कि कैसे कश्मीर खुद को सांप्रदायिक सद्भाव और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का बेहतरीन ढांचा प्रदान करता है। यह यहां के जीवन के सभी पहलुओं में, लोक कलाओं व त्योहारों में, भोजन व पोशाक में भी प्रतिबिंबित होता है। इस स्थान की मूल प्रकृति हमेशा से समावेशी रही है। इस भूमि पर आने वाले लगभग सभी धर्मों ने कश्मीरियत की एक अनूठी विशेषता को अपनाया जिसने रूढ़िवाद को त्याग दिया और समुदायों के बीच सहिष्णुता व आपसी स्वीकृति को प्रोत्साहित किया।

देवियो और सज्जनो,

मैं इस अवसर पर कश्मीर की युवा पीढ़ी से उनकी समृद्ध विरासत से सीखने का आग्रह करता हूं। उनके पास यह जानने की हर वजह है कि कश्मीर हमेशा शेष भारत के लिए उम्मीद का एक प्रकाशस्तंभ रहा है। पूरे भारत पर इसका आध्यात्मिक और सांस्कृतिक प्रभाव है।

यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण है कि शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की इस उत्कृष्ट परंपरा को तोड़ा गया। हिंसा, जो कभी भी 'कश्मीरियत' का हिस्सा नहीं थी, दैनिक वास्तविकता बन गई। यह कश्मीरी संस्कृति के लिए प्रतिकूल है और इसे केवल एक पतन के रूप में परिभाषित किया जा सकता है - एक अस्थायी, एक वायरस की तरह है, जो शरीर पर हमला करता है और इसे खत्म की जरूरत होती है। अब यहां इस भूमि की खोई हुई महत्ता को फिर से प्राप्त करने के लिए एक नई शुरुआत और दृढ़ प्रयास है।

मेरा दृढ़ विश्वास है कि लोकतंत्र में सभी मतभेदों के समाधान की क्षमता है और नागरिकों की सर्वश्रेष्ठ सामर्थ्यता को सामने लाने की क्षमता भी है। कश्मीर प्रसन्नतापूर्वक पहले से ही इस दृष्टिकोण को साकार कर रहा है। लोकतंत्र आपको अपना भविष्य- एक शांतिपूर्ण और समृद्ध कल खुद बनाने देता है। इसमें विशेष रूप से युवाओं और महिलाओं की उच्च हिस्सेदारी है और मुझे विश्वास है कि वे जीवन के पुनर्निर्माण व कश्मीर के पुनर्निर्माण के इस अवसर को अपने हाथों से नहीं जाने देंगे।

जैसे कश्मीर नए रूप में बदला है, यह रोमांचक है कि नई संभानवाएं खुल रही हैं। पूरा भारत आपको प्रशंसा और गर्व की नजर से देख रहा है। कश्मीरी युवा लोक सेवा परीक्षा से लेकर खेल और उद्यमशीलता के उपक्रमों तक के विभिन्न क्षेत्रों में नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं।

पिछले साल सितंबर में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर एक परामर्श के दौरान मैंने अपने सपने की बात कही थी। मैं कश्मीर को धरती पर स्वर्ग के रूप में देखना चाहता हूं। मैं इस सपने को साकार करने के लिए जम्मू-कश्मीर की युवा पीढ़ी पर पूरी तरह से भरोसा कर रहा हूं, जिससे मुझे विश्वास है कि यह जल्द से जल्द सच हो जाएगा। कश्मीर भारत के शीर्ष गौरव के रूप में अपना सही स्थान पाने को लेकर प्रतिबद्ध है।

एक बार फिर मैं सभी छात्रों और उनके शिक्षकों को बधाई देता हूं और आप सभी की सफल यात्रा की कामना करता हूं।

धन्यवाद।

जय हिंद!

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एमजी/एएम/एचकेपी



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