स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय

केंद्र सरकार की ई-संजीवनी सुविधा से 80 लाख से ज्यादा रोगियों को स्वास्थ्य सेवा का लाभ मिला


राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सुविधा से प्रतिदिन 60,000 से अधिक स्वास्थ्य संबंधी परामर्श दिए जा रहे हैं

अभी तक 42 लाख से अधिक मरीज ई-संजीवनी ओपीडी के तहत सेवाएं ले चुके हैं

​​​​​​​ई-संजीवनी एबी-एचडब्ल्यूसी ने भी 39 लाख के करीब रोगियों को परामर्श दिए हैं

Posted On: 23 JUL 2021 5:54PM by PIB Delhi

भारत सरकार की राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा, ई-संजीवनी जनता के बीच लोकप्रियता प्राप्त कर रही है। इसने 80 लाख टेली-परामर्शों को पूरा करके एक और मील का पत्थर पार कर लिया है। वर्तमान में, राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा 35 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चालू है। देश भर में 60,000 से अधिक रोगी प्रतिदिन इस डिजिटल तरीके का उपयोग कर रहे हैं। प्रतिदिन लोग राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सरकार द्वारा संचालित स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रणाली से स्वास्थ्य सेवाएं ले रहे हैं।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा शुरू गई यह राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा दो टेलीमेडिसिन प्लेटफार्मों के माध्यम से दो प्रकार की टेलीमेडिसिन सेवाएं प्रदान कर रही है। ई-संजीवनी एबी-एचडब्ल्यूसी (डॉक्टर-टू-डॉक्टर टेलीपरामर्श के लिए) हब एंड स्पोक मॉडल पर आधारित है और ई-संजीवनी ओपीडी (मरीज को घर बैठे डॉक्टर से टेलीपरामर्श की सुविधा उपलब्ध कराता है।)

नवंबर 2019 में, भारत सरकार की आयुष्मान भारत योजना के तहत ई-संजीवनी एबी-एबी-एचडब्ल्यूसी का कार्यान्वयन शुरू किया गया था। दिसंबर 2022 तक, इसे पूरे भारत में सभी 1,55,000 स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों में चालू कर दिया जाएगा। अपनी शुरुआत के बाद से, ई-संजीवनी एबी-एचडब्ल्यूसी को लगभग 25000 स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों में और लगभग 2000 केंद्रों पर लागू किया गया है जिसमें मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शामिल हैं। ई-संजीवनी एबी-एचडब्ल्यूसी ने लगभग 39 लाख परामर्श पूरे कर लिए हैं।

मौजूदा वक्त में चल रही महामारी के मद्देनजर, पहले राष्ट्रीय लॉकडाउन के दौरान अप्रैल 2020 में ई-संजीवनी ओपीडी शुरू की गई थी। यह नागरिकों को ई-संजीवनी ओपीडी पर स्थापित 430 से अधिक ऑनलाइन ओपीडी के माध्यम से सीधे घरेलू डिजिटल स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करता है। इनमें से लगभग 400 ऑनलाइन ओपीडी विशेषज्ञ ओपीडी हैं और बाकी सामान्य ओपीडी हैं। अब तक ई-संजीवनी ओपीडी के माध्यम से लगभग 42 लाख रोगियों की सेवा की जा चुकी है।

भारत की राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा ने बेहद कम वक्त में शहरी और ग्रामीण भारत में मौजूद डिजिटल स्वास्थ्य सुविधाओं के बीच की खाई को कम करने का काम किया है। भारतीय स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रणाली की सहायता से इस अंतर को कम किया जा रहा है। राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के अनुरूप ई-संजीवनी न केवल देश में डिजिटल स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को मजबूती दे रही है, बल्कि यह माध्यमिक और तृतीयक स्तर के अस्पतालों पर बोझ को कम करते हुए जमीनी स्तर पर डॉक्टरों और विशेषज्ञों की कमी को भी दूर कर रही है।

रोगियों और डॉक्टरों द्वारा ई-संजीवनी के उपयोग के ट्रेंड को प्रोत्साहित करना इस बात का संकेत है कि टेलीमेडिसिन के माध्यम से ओपीडी सेवाओं का महत्वपूर्ण अनुपात प्रभावी ढंग से प्रदान किया जा सकता है। मरीज ई-संजीवनी का उपयोग फॉलो-अप के लिए कर रहे हैं और गंभीर चिकित्सा स्थितियों को छोड़ सभी अन्य स्वास्थ्य सेवाओं को लाभ घर बैठे ले रहे हैं। इस प्रक्रिया में वे अस्पतालों की भीड़ और संक्रमित होने के अवांछित जोखिम से खुद को बचा रहे हैं। ई-संजीवनी की आशाजनक प्रकृति को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार ने देश में टेलीमेडिसिन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए पहले ही धन आवंटित कर दिया है। टेलीमेडिसिन सेवाओं को सक्षम करने के लिए राज्य सूचना एवं प्रौद्योगिकी के बुनियादी ढांचे को मजबूत करेंगे। पंजाब के मोहाली में सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग में स्वास्थ्य सूचना विज्ञान समूह भी प्रति दिन 5 लाख परामर्श की सुविधा के लिए अगली पीढ़ी की ई-संजीवनी की अवधारणा कर रहा है।

ई-संजीवनी को अपनाने (परामर्श की संख्या) के मामले में अग्रणी 10 राज्य आंध्र प्रदेश (2013266), कर्नाटक (1470132), तमिलनाडु (1364567), उत्तर प्रदेश (1116759), गुजरात (351531), मध्य प्रदेश (301395), महाराष्ट्र (267162 ), बिहार (256962) , केरल (215813) और उत्तराखंड (192871) हैं। राष्ट्रीय स्तर पर, 60,000 से अधिक डॉक्टरों और पैरामेडिक्स को प्रशिक्षित कर राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा में शामिल किया गया है। इनमें से 2000 से अधिक डॉक्टर ई-संजीवनी पर टेलीमेडिसिन की प्रक्रिया में अभ्यासरत हैं।

 

 

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(Release ID: 1738438)
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