अंतरिक्ष विभाग
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग आम आदमी के जीवन में 'ईज ऑफ लिविंग' लाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है
उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में चल रही परियोजनाओं की समीक्षा करने के लिए इसरो के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बातचीत की
Posted On:
05 JUL 2021 6:07PM by PIB Delhi
केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास (डोनर), पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा राज्य मंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि आम आदमी के जीवन में 'ईज ऑफ लिविंग' लाने के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जा रहा है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि इसरो अब मुख्य रूप से केवल उपग्रहों का प्रक्षेपण करने तक ही सीमित नहीं है बल्कि पिछले सात वर्षों में यह विकास की गतिविधियों में अपनी भूमिका को लगातार बढ़ा रहा है और इस प्रकार से वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया' के मिशन में योगदान कर रहा है।
डॉ. जितेंद्र सिंह को इसरो के वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग व्यापक क्षेत्रों में होने के बारे में जानकारी प्रदान की जैसे कि कृषि, मृदा, जल संसाधन, भूमि उपयोग/भूमि कवर, ग्रामीण विकास, पृथ्वी एवं जलवायु अध्ययन, भू-विज्ञान, शहरी एवं बुनियादी संरचना, आपदा प्रबंधन सहायता, वानिकी एवं पारिस्थितिकी और निर्णय सहायता प्रणाली को सक्षम बनाने के लिए एक उपकरण के रूप में भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी का उपयोग आदि।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने याद किया कि पांच वर्ष पूर्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हस्तक्षेप के बाद देश की राजधानी में एक व्यापक मंथन का आयोजन किया गया था, जिसमें विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के प्रतिनिधियों को इसरो एवं अंतरिक्ष विभाग के वैज्ञानिकों के साथ गहन क्रिया में लगाया गया था, जिससे यह पता लगाया जा सके कि संरचनात्मक विकास के साथ-साथ विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के कार्यान्वयन में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग एक आधुनिक उपकरण के रूप में सर्वोत्तम रूप से कैसे किया जा सकता है। इसके बाद उन्होंने कहा कि अब अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल रेलवे, सड़क एवं पुल, चिकित्सा प्रबंधन/टेलीमेडिसिन, उपयोगिता प्रमाण पत्र की समय पर खरीद, आपदा पूर्वानुमान और प्रबंधन सहित विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में, उपग्रह से प्राप्त मौसमी फसल पैटर्न, उपज अनुमान परीक्षण, शुद्ध बोए गए फसल क्षेत्र का अनुमान और कृषि सूखा आकलन का अध्ययन किया जा रहा है। इसी प्रकार, मृदा के क्षेत्र में भूमि क्षरण मानचित्र तैयार किया गया जो मृदा संरक्षण/पुनर्ग्रहण कार्यक्रमों की योजना बनाने, भूमि उपयोग योजना, अतिरिक्त क्षेत्रों को खेती योग्य बनाने और परती भूमि की उत्पादकता स्तर में सुधार लाने के लिए उपयोगी हैं। भुवन पोर्टल के माध्यम से नमक प्रभावित एवं जलभराव क्षेत्र के नक्शे, मृदा अपरदन के नक्शे उपलब्ध कराए जाते हैं। उन्होंने कहा कि आईआरएस सेंसर से प्राप्त उपग्रह डेटा का उपयोग मोनोस्कोपिक (गैर-स्टीरियोस्कोपिक) दृश्य व्याख्या और कंप्यूटर-सहायता प्राप्त डिजिटल विश्लेषण के माध्यम से मिट्टी का नक्शा बनाने के लिए किया जाता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि वानिकी के क्षेत्र में, अन्य गतिविधियों के अलावा, वन क्षेत्र परिवर्तन का विश्लेषण, स्थानिक बायोमास का अनुमान, सामुदायिक जैव विविधता लक्षण का वर्णन, जंगल में आग पर चेतावनी प्रणाली, कार्य योजना और वाइल्ड लाइफ योजना तैयार करने के लिए इनपुट, वन कार्बन प्रच्छादन, यूएनएफसीसीसी को इनपुट आदि एमओईएफ एंड सीसी, डीबीटी, एफएसआई और राज्य वन विभाग के सहयोग से किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश के आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में वर्तमान गतिविधियां, बाढ़ और चक्रवात का वास्तविक समय निगरानी और मानचित्रण, बाढ़ संभावित राज्यों के लिए बाढ़ का खतरा/जोखिम क्षेत्र का आंकलन, स्थानिक बाढ़ की पूर्व चेतावनी, जंगल में आग की चेतावनी, भूस्खलन क्षेत्र और इन्वेंट्री, कृषि सूखा का अध्ययन आदि शामिल हैं।
ग्रामीण विकास के संदर्भ में, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में आवश्यक परिसंपत्तियों को समृद्ध करने के लिए सूक्ष्म एवं बड़े स्तर पर राज्य और केंद्र सरकार के विभागों द्वारा कई पहल/परियोजनाओं की शुरूआत की गई हैं, जिसके कुछ उदाहरण महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) (3.5 करोड़ परिसंपत्तियों के बारे में एकत्रित जानकारी), त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी), एकीकृत वाटरशेड प्रबंधन कार्यक्रम (आईडब्ल्यूएमपी) (1.5 लाख बिंदुओं पर एकत्रित जानकारी), ऑन फार्म वाटर मैनेजमेंट (ओएफडब्ल्यूएम), राष्ट्रीय स्वास्थ्य संसाधन भंडार (एनएचआरआर) परियोजना, ग्रामीण कनेक्टिविटी, स्वच्छता, जिसके परिचालन मोड में नवीनतम रिमोट सेंसिंग और जीआईएस प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया जाता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रशंसा करते हुए कहा कि यह व्यापक रूप से लोगों को ज्ञात नहीं है कि इसरो ने कोविड महामारी के दौरान कई राज्य सरकारों को अपनी विनिर्माण सुविधाओं के माध्यम से या मौजूदा स्टॉक से तरल ऑक्सीजन की लगातार आपूर्ति की है। उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं, इसरो अपने मौजूदा संसाधनों को पुनः तैयार करने, अपनी सुविधाओं की क्षमता बढ़ाने में भी लगा हुआ है और उसने कोविड-19 की दूसरी लहर के खिलाफ देश की लड़ाई में सहयोग प्रदान करने के लिए अपने प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण भी किया, जब कोरोना की दूसरी लहर अपने चरम पर थी।
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