वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय

मेक इन इंडिया पहल को सुदृढ़ करने के तहत जीईएम, एमएसई, महिला एसएचजी और स्टार्टअप जैसे विक्रेता समूहों की बाजार में पहुंच बढ़ा रहा है


“जीईएम सहाय” ऐप के जरिए विक्रेताओं को तुरंत ऋण की सुविधा

जीईएम पर 6,90,000 से ज्यादा एमएसई विक्रेता और सेवा प्रदाता जुड़े

अपने गठन से अब तक जीईएम के जरिए सरकार के 52,275 खरीदारों को 111,113 करोड़ रुपये के 67.27 लाख ऑर्डर पूरे किए गए

छोटे विक्रेताओं को ऑनलाइन बाजार में पहुंच प्रदान कर जीईएम ने "आत्मनिर्भर भारत", "वोकल फॉर लोकल", "मेक इन इंडिया" पहल को सुदृढ़ किया

Posted On: 16 JUN 2021 4:11PM by PIB Delhi

भारत सरकार के वाणिज्य विभाग में सचिव डॉ. अनूप वधावन ने आज कहा कि सरकार का ई-मार्केटप्लेस (जीईएम), मेक इन इंडिया पहल को सुदृढ़ करने के तहत एमएसई, महिला एसएचजी और स्टार्टअप जैसे विक्रेता समूहों की बाजार में पहुंच बढ़ा रहा है। साथ ही केंद्र सरकार की एमएसई नीति को भी बढ़ावा दे रहा है।

मीडिया से बात करते हुए, उन्होंने कहा कि वर्तमान में जीईएम के पास 6,90,000 से अधिक एमएसई विक्रेता और सेवा प्रदाता हैं, जो जीईएम पर कुल ऑर्डर मूल्य का 56 प्रतिशत से अधिक योगदान करते हैं। यह हिस्सेदारी न केवल एमएसई की पोर्टल से जुड़ने बल्कि उनकी सरकारी खरीद में भागीदारी का भी परिचायक है। साथ ही यह जीईएम की सफलता को भी दर्शाता है। पिछले वित्त वर्ष (2019-20) से जीईएम प्लेटफॉर्म पर पंजीकृत एमएसई  की संख्या में 62 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई है और यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। खास तौर पर यह देखते हुए कि वित्त वर्ष 2016-17 में केवल 3000 एमएसएमई जीईएम पोर्टल से जुड़े हुए थे।

अगस्त, 2017 में अपने गठन से अब तक जीईएम के जरिए सरकार के 52,275 खरीदारों को 111,113 करोड़ रुपये के 67.27 लाख ऑर्डर पूरे किए गए। जिसे 18.85 लाख पंजीकृत विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं ने पूरा किया है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि 6,95,432 एमएसई विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं ने जीईएम पर कुल ऑर्डर मूल्य का 56.13 प्रतिशत हिस्सा पूरा किया है।

हाल ही में, एमएसएमई मंत्रालय ने नई एमएसएमई नीति के अनुसार सभी एमएसएमई व्यवसायों के लिए एक नई उद्यम पंजीकरण योजना शुरू की। नए उद्यम फॉर्म में जीईएम पोर्टल पर ऑटो-रजिस्ट्रेशन के लिए कारोबारियों से सहमति लेने का प्रावधान है। पोर्टल पर एमएसई के लिए विक्रेता पंजीकरण प्रक्रिया को और अधिक सुगम बनाने के लिए, जीईएम ने उद्यम पंजीकरण डेटाबेस के साथ एपीआई एकीकरण का संचालन किया है और जिन एमएसएमई ने जीईएम के साथ अपना विवरण साझा करने के लिए अपनी सहमति दी है, उनकी विक्रेता प्रोफाइल ऑटोमेटिक रूप से तैयार हो जाएंगी और उन्हें सभी जरूरी सूचना नोटिफिकेशन के जरिए मिलती रहेंगी। 31 मई, 2021 तक, 18,75,427 विक्रेता जीईएम पर पंजीकृत हैं, जिनमें से 6,98,178 एमएसई हैं और पोर्टल के जरिए एमएसई से हुई खरीद की 57 फीसदी हिस्सेदारी है।

जीईएम प्लेटफॉर्म ने सीमित पहुंच वाले विक्रेता समूहों को ऑनलाइन बाजार प्रदान करने से "आत्मनिर्भर भारत", "वोकल फॉर लोकल", "मेक इन इंडिया" पहल और स्थानीय एमएसई को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार की नीति को मजबूत किया है। जीईएम प्लेटफॉर्म ने सूक्ष्म और लघु उद्यमों को वरीयता देकर मेक इन इंडिया नीति और सार्वजनिक खरीद नीति के प्रभावी और निर्बाध कार्यान्वयन को सुनिश्चित किया है। "आत्मनिर्भर भारत" के विजन के हिस्से के रूप में मेक इन इंडिया पहल को गति प्रदान करने के लिए "वोकल फॉर लोकल" पहल के माध्यम से स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने जीईएम  पर सभी विक्रेताओं के लिए नए उत्पादों का पंजीकरण करते समय मूल देश की जानकारी देना अनिवार्य कर दिया है।

स्टार्टअप्स के लिए अपने इन्नोवेटिव उत्पादों को लिस्ट कराने का जीईएम समर्पित प्लेटफॉर्म है। जिसके तहत स्टार्टअप 10 विश्व स्तरीय मान्यता प्राप्त सब सेक्टर के तहत लिस्ट करा सकते हैं। यह सुविधा 15 नवंबर, 2019 को लॉन्च की गई। वर्तमान में जीईएम पर 9,980 स्टार्टअप पंजीकृत हैं और इनमें से 87 स्टार्टअप ने स्टार्टअप रनवे पर अपने इन्नोवेटिव उत्पादों को लिस्ट किया है।

एमएसएमई को कर्ज लेने में आ रही चुनौतियों का समाधान करने के लिए विशेष रूप से एसएमई के लिए एक नवीनतम सुविधा जीईएम सहाय ऐप भी शुरू की जा रही है। हैशटैग जीईएम सहाय  पहल का लाभ उठाकर बिना किसी अवरोध के फिनटेक से कारोबारी कर्ज ले सकेंगे। जो कि उनके वित्तपोषण का मार्ग प्रशस्त करती है। एमएसई अब हैशटैग जीईएम प्लेटफॉर्म पर ऑर्डर की स्वीकृति के समय ऋण प्राप्त कर सकते हैं। यह कार्यशील पूंजी की जरूरतों को पूरा करने में मदद करेगा और एमएसई के लिए "आसानी से कर्ज लेना " सुनिश्चित करेगा।

एसएमई की प्रमुख चुनौतियों में से एक, जरूरत पर नकदी-प्रवाह आधारित कर्ज नहीं मिलना है।  क्योंकि कर्ज देते समय बैंक प्रमुख रूप से कोलैट्रल (गारंटी) का मूल्यांकन करते हैं। भले ही टीआरईडीएस जैसी योजनाएं हैं जो ऋण की सुविधा प्रदान करती हैं लेकिन एसएमई के लिए बिना कोलैट्रल के कर्ज लेना मुश्किल रहता है। इन चुनौतियों की समीक्षा की गई थी और आरबीआई की यू.के सिन्हा एमएसएमई समिति द्वारा जून 2019 में अपनी रिपोर्ट के माध्यम से इसे हल करने की दिशा में सिफारिशें की गई थीं। 'सहाय' पहल कर्ज के लिए एक मोबाइल एप्लीकेशन है। जो कि एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) भीम ऐप जैसा है। सहाय को छोटे कारोबारियों के इन मुद्दों को हल करने के लिए लॉन्च किया गया है।

जीईएम प्लेटफॉर्म जीईएम- सहाय परियोजना के क्रिन्यावन के लिए एक गैर-लाभकारी तकनीकी थिंक टैंक की स्वयंसेवी टीम, इंडियन सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट इंडस्ट्री राउंड टेबल (आईएसपीआईआरटी) के साथ सहयोग कर रहा है। जिसे जीईएम  प्लेटफॉर्म पर एमएसएमई की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयार किया गया है। कर्ज की सुविधा के लिए आवेदन करने वाले विक्रेताओं को मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए एक सहज डिजिटल सुविधाओं का लाभ मिलेगा।

'जीईएम सहाय' ऐप के माध्यम से, कर्ज लेने के समय पारंपरिक सैद्धांतिक मंजूरी के बजाय कर्ज कारोबारियों को तत्काल प्राप्त होगा। कई बार पारंपरिक तरीके में कर्ज का वितरण नहीं हो पाता है। जीईएम विक्रेताओं को इस सुविधा के जरिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, निजी बैंक और एनबीएफसी सहित देश के शीर्ष कर्जदाता से बेहतर कर्ज के ऑफर मिलेंगे।

जीईएम सहाय प्लेटफॉर्म ऐसे कर्जदाताओं को खुला मंच देता  है, जो भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विनियमित होते हैं और उन्हें रिजर्व बैंक जीईएम प्लेटफॉर्म पर विक्रेताओं को पूंजी और स्मार्ट अकाउंट प्रदान करने की अनुमति देता है। जीईएम भुगतान चक्र को यथा संभव छोटा रखने के लिए कई कदम उठा रहा है, जिससे कि एमएसई को बड़ी संख्या में सार्वजनिक खरीद में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। जीईएम ने अपनी भुगतान शर्तों को इस तरह डिजाइन किया है कि खरीदारों को सामग्री की स्वीकृति के 10 दिनों के भीतर भुगतान करना अनिवार्य है। इसके अलावा, जीईएम ने एक ऐसी प्रक्रिया लागू की है जिसके तहत यदि कोई खरीदार या भेजे गए उत्पाद को स्वीकार/अस्वीकार करने या भुगतान करने में समय पर कार्रवाई नहीं करता है, तो जीईएम सिस्टम स्वयं रिमाइंडर देता है और सामान्य पूल खाता भुगतान विधि के तहत ऑटो पीआरसी, ऑटो सीआरएसी और ऑटो भुगतान भी शुरू करता है। इसके अलावा एक प्रावधान यह भी पेश किया गया है कि जो खरीदार जीईएम अनुबंध के तहत विक्रेताओं को भुगतान करने में देरी करेंगे तो उन पर ब्याज के साथ पेनॉल्टी लगाई जाएगी।

जीईएम देश का पहला ई-कॉमर्स पोर्टल था जिसने अपने खरीदारों को खरीद के बारे में सूचित निर्णय लेने का अधिकार देने के लिए उत्पाद विवरण पृष्ठ पर सभी उत्पादों पर "मूल देश" को प्रमुखता से प्रदर्शित करना शुरू किया था। अब सभी विक्रेताओं के लिए यह अनिवार्य है कि वे उत्पाद बनाने वाले देश की घोषणा करें जिसके बिना वे जीईएम पर उत्पाद अपलोड नहीं कर सकते।

एक कदम आगे बढ़ते हुए, जीईएम  ने उत्पाद विवरण पृष्ठ पर स्थानीय सामग्री के अंश को प्रतिशत में बताने को प्रमुखता से उल्लेखित करना भी शुरू कर दिया है। इसलिए भारत में बने उत्पादों के भीतर भी  खरीदार उन उत्पादों की पहचान कर सकते हैं जिनमें स्थानीय सामग्री की हिस्सेदारी ज्यादा है और उस सूचना के अनुसार निर्णय ले सकते हैं। खरीदारों को केवल एमआईआई शिकायत विक्रेताओं/उत्पादों में से उत्पादों की पहचान करने और उनका चयन करने के लिए बाजार में एक फिल्टर भी प्रदान किया गया है। जो विक्रेता उत्पाद अपलोड करते समय और जीईएम पर कैटलॉग बनाते समय, स्थानीय सामग्री की हिस्सेदारी घोषित नहीं करते हैं, वे व्यवसाय से बाहर हो जाएंगे और उन बोलियों में भाग नहीं ले पाएंगे जिनमें खरीदार ने केवल एमआईआई अनुरूप उत्पादों की खरीद करना चुना है।

सार्वजनिक खरीद नीति में एमएसई और मेक इन इंडिया की वरीयता नीति पूरी तरह से जीईएम पर लागू है। जीईएम मार्केटप्लेस में एक एमआईआई फिल्टर प्रदान किया गया है जिसके उपयोग से खरीदार सभी गैर-स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं को फिल्टर कर सकता है और केवल स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं के बीच से प्रत्यक्ष खरीद और एल-1 खरीद के तहत अपनी खरीद को प्रतिबंधित कर सकता है।

जीईएम ग्रामीण विकास मंत्रालय, जनजातीय मामलों के मंत्रालय, कपड़ा मंत्रालय, एमएसएमई मंत्रालय, राष्ट्रीय बांस मिशन, कृषि मंत्रालय के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि "जीईएम आउटलेट स्टोर" विकसित किया जा सके और दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों में सीमित पहुंच वाले विक्रेताओं को ऑनलाइन "बाजारों तक पहुंच" प्रदान की जा सके। जनजातीय मामलों के मंत्रालय के ट्राइफेड के साथ उत्कृष्ट रूप से दस्तकारी जनजातीय हस्तशिल्प, वस्त्र पेंटिंग और लघु वन उपज को प्रदर्शित करने वाला एक समर्पित पोर्टल विकसित किया गया था और उसे 27 जून, 2020 को लॉन्च किया गया। वर्तमान में, आदिवासी उद्यमियों द्वारा बनाए गए 4,000 से अधिक उत्पाद पोर्टल पर सूचीबद्ध हैं। जीईएम ने 17 जुलाई, 2020 को हस्तशिल्प और हथकरघा विभाग, कपड़ा मंत्रालय के साथ लगभग 18 लाख कारीगरों और 35 लाख बुनकरों/संबद्ध श्रमिकों को बिना किसी दिक्कत के जोड़ा है। वर्तमान में 28,365 कारीगरों और 1.49 लाख बुनकरों को विक्रेता के रूप में जीईएम पर पंजीकृत किया गया है । और वह सभी प्रासंगिक उत्पाद श्रेणियों में अपने उत्पादों को अपलोड करने की प्रक्रिया में है । "खादी इंडिया" भी भारत के बुनकरों के हाथ से बुने हुए प्राकृतिक फाइबर कपड़ा उत्पादों की एक श्रृंखला को प्रदर्शित करता है और इसका उद्देश्य सरकारी खरीदारों को ग्रामीण क्षेत्रों के बाजार में पहुंच प्रदान करना है। जीईएम पोर्टल पर 4,100 से अधिक विक्रेताओं ने सफलतापूर्वक पंजीकरण किया है। दिव्यांगजनों द्वारा तैयार किए गए उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए "दिव्यांगजन कलेक्शन" एक अनूठी पहल है और इसका उद्देश्य दिव्यांगजनों को सरकारी खरीदारों के बाजार तक पहुंच प्रदान करना है। जीईएम पोर्टल पर दिव्यांगजन के साथ काम करने वाले गैर सरकारी संगठन अपने उत्पादों को 6 विशिष्ट उत्पाद श्रेणियों में नियमित रूप से सूचीबद्ध कर सकते हैं।

सरस कलेक्शन एक समर्पित पोर्टल है जो स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) द्वारा बनाए गए दैनिक उपयोग वाले उत्पादों को प्रदर्शित करता है। इसे ग्रामीण विकास मंत्रालय के सहयोग से विकसित किया गया और 4 मई, 2020 को लॉन्च किया गया था। वर्तमान में, जीईएम पर 3,000 से अधिक एसएचजी पंजीकृत विक्रेता हैं और उनके करीब 1,000 उत्पाद सूचीबद्ध हैं।

राष्ट्रीय बांस मिशन और जीईएम की एक अनूठी पहल, "द ग्रीन गोल्ड कलेक्शन" उत्कृष्ट हस्तशिल्प वाले बांस और बांस उत्पादों, हस्तशिल्प, और दैनिक उपयोगिता उत्पादों की एक श्रृंखला को प्रदर्शित करता है। और इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में बांस कारीगरों, बुनकरों और उद्यमियों को अवसर प्रदान करना है। सरकारी खरीदारों तक उनकी पहुंच बनाना है। लगभग 1,200 से अधिक विक्रेताओं ने पोर्टल पर अपने उत्पादों को सफलतापूर्वक पंजीकृत और सूचीबद्ध किया है। यह पहल सरकारी खरीदारों के बीच बांस उत्पादों को अपनाने और उपयोग को बढ़ावा देने और आत्मनिर्भर भारत के लिए एक स्थायी ग्रामीण अर्थव्यवस्था की शुरुआत करने का प्रयास है।

जीईएम ने फैसला किया है कि विक्रेताओं तक पहुंच बढ़ाने और उन्हें प्रशिक्षण के लिए उनकी भाषा में ऑनलाइन और ऑफलाइन प्रशिक्षण देगा। और उनकी जरूरत के अनुसार प्रशिक्षण प्रदान करेगा। जीईएम में एक समर्पित ऑनलाइन लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम (एलएमएस) पोर्टल भी विकसित किया गया है। जहां प्लेटफॉर्म का उपयोग करने के लिए सभी प्रशिक्षण संसाधन अपलोड किए गए हैं। चैटबॉट जीईएमएमवाईप्लेटफॉर्म पर विक्रेता के जुड़ते समय वर्चुअल असिस्टेंट जैसी सेवाओं की एक सहज श्रृंखला भी प्रदान करता है।

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