रक्षा मंत्रालय

रक्षा मंत्री ने 8वीं आसियान डिफेंस मिनिस्टर्स मीटिंग-प्लस की बैठक में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में खुली और समावेशी व्यवस्था का आह्वान किया


श्री राजनाथ सिंह ने संचार के समुद्री गलियारों को क्षेत्र की शांति और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण बताया

रक्षा मंत्री ने आतंकवाद से लड़ने के लिए सामूहिक सहयोग का आग्रह किया

Posted On: 16 JUN 2021 1:15PM by PIB Delhi

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 16 जून, 2021 को आठवीं आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक (एडीएमएम) प्लस को संबोधित करते हुए राष्ट्रों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान के आधार पर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक खुली और समावेशी व्यवस्था का आह्वान किया। एडीएमएम प्लस 10 आसियान (दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संघ) देशों और उसके आठ वार्ता सहयोगियों - ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, न्यूजीलैंड, कोरिया गणराज्य, रूस और अमेरिका के रक्षा मंत्रियों की वार्षिक बैठक है। ब्रुनेई इस वर्ष एडीएमएम प्लस फोरम की अध्यक्षता कर रहा है। श्री राजनाथ सिंह ने बातचीत के जरिए विवादों के शांतिपूर्ण समाधान और अंतरराष्ट्रीय नियमों और कानूनों का पालन करने पर भी जोर दिया।

उन्होंने कहा कि "भारत ने क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि के प्रचार के लिए बदलते दृष्टिकोणों और मूल्यों के आधार पर हिंद-प्रशांत में सहयोगी भागीदारी मजबूत की है। आसियान की केंद्रीयता के आधार पर भारत ने हिंद-प्रशांत के लिए हमारे साझा दृष्टिकोण के क्रियान्वयन के वास्ते महत्वपूर्ण मंच के तौर पर आसियान के नेतृत्व वाले तंत्रों के इस्तेमाल का समर्थन किया है।’’

क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा माहौल पर विषयगत विचार-विमर्श के दौरान श्री राजनाथ सिंह ने आसियान देशों के रक्षा मंत्रियों और आठ संवाद साझेदार देशों के समक्ष भारत के विचार रखे। उन्होंने जोर देकर कहा कि अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए उभरती चुनौतियों का समाधान अतीत में पैदा होने वाली स्थितियों से निपटने के लिए तैयार की गई पुरानी प्रणालियों से नहीं किया जा सकता।

रक्षा मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन ऑन द लॉ ऑफ द सी (यूएनसीएलओएस) के अनुसार अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में सभी के लिए नौवहन की स्वतंत्रता, समुद्री क्षेत्र में उड़ान और बेरोकटोक व्यापार की आजादी सुनिश्चित करने की जरूरत पर जोर दिया। समुद्री सुरक्षा संबंधी चुनौतियां भारत के लिए चिंता का विषय हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र की शांति, स्थिरता, समृद्धि और विकास के लिए संचार के समुद्री क्षेत्र महत्वपूर्ण हैं। रक्षा मंत्री ने आशा व्यक्त की कि कोड ऑफ कंडक्ट वार्ता से अंतर्राष्ट्रीय कानून को ध्यान में रखते हुए परिणाम सामने आएंगे और उन राष्ट्रों के वैध अधिकारों और हितों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा जो इन चर्चाओं के पक्षधर नहीं हैं।

नवंबर 2014 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा घोषित 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' पर श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इस नीति के प्रमुख तत्वों का उद्देश्य आर्थिक सहयोग, सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देना और द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय स्तरों पर निरंतर जुड़ाव के माध्यम से हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों के साथ रणनीतिक संबंध विकसित करना है।

आतंकवाद और कट्टरता को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताते हुए श्री राजनाथ सिंह ने आतंकी संगठनों और उनके नेटवर्क को पूरी तरह ध्वस्त करने के लिए सामूहिक सहयोग का आह्वान किया। सामूहिक सहयोग अपराधियों की पहचान करने और उन्हें जवाबदेह ठहराने और यह सुनिश्चित करने कि आतंकवाद का समर्थन करने और वित्तपोषण करने वालों, आतंकवादियों को आश्रय प्रदान करने वालों के खिलाफ मजबूत कदम उठाए जाएं। उन्होंने कहा कि वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) के सदस्य के तौर पर भारत वित्तीय आतंकवाद से लड़ने के लिए प्रतिबद्ध है।

साइबर खतरों से निपटने के लिए रक्षा मंत्री ने लोकतांत्रिक मूल्यों द्वारा निर्देशित बहु-हितधारक दृष्टिकोण का आह्वान किया, जिसमें एक शासन ढांचा हो जो खुला और समावेशी हो तथा देशों की संप्रभुता का सम्मान करते हुए एक सुरक्षित, खुले और स्थिर इंटरनेट वाला हो, यही साइबर स्पेस के भविष्य का संचालन करेगा ।

दुनिया के सामने सबसे हालिया चुनौती कोविड-19 के बारे में श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि महामारी का प्रभाव अभी भी सामने आ रहा है और इसलिए चुनौती यह है कि विश्व अर्थव्यवस्था सुधार की राह पर बढ़े और यह सुनिश्चित हो कि इसमें कोई भी पीछे न छूटे। उन्होंने कहा कि यह तभी संभव है जब पूरे मानव समुदाय को टीका लगाया जाए। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि विश्व स्तर पर पेटेंट मुक्त टीके उपलब्ध कराने, निर्बाध आपूर्ति श्रृंखलाएं और अधिक वैश्विक चिकित्सा क्षमताएं कुछ ऐसे प्रयास हैं जिनका सुझाव भारत ने संयुक्त प्रयास के तौर पर दिया है।

मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) अभियानों का जिक्र करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत अपने करीबी तथा दूर स्थित पड़ोसी देशों में संकट के समय सबसे पहले सहायता देने वाले देशों में से एक है। उन्होंने कहा कि हेड्स ऑफ एशियन कोस्टगार्ड एजेंसीज़ मीटिंग (एचएसीजीएएम) के संस्थापक सदस्य के रूप में भारत समुद्री खोज और बचाव के क्षेत्रों में सहयोग के माध्यम से क्षमता निर्माण को बढ़ाना चाहता है।

श्री राजनाथ सिंह ने क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए आसियान केंद्रीयता और एकता को भारत द्वारा दिए जाने वाले महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारत आसियान के साथ गहरा जुड़ाव रखता है और उसने, विशेष रूप से आसियान के नेतृत्व वाले तंत्रों जैसे पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन, आसियान क्षेत्रीय मंच और एडीएमएम-प्लस के माध्यम से, क्षेत्रीय शांति और स्थिरता में योगदान देने वाले कई क्षेत्रों में अपने सक्रिय संबंध जारी रखे हैं। उन्होंने कहा कि भारत-आसियान रणनीतिक साझेदारी को समृद्ध सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंधों और लोगों के बीच सहयोग बढ़ाने के आधार पर मजबूत किया गया है। रक्षा मंत्री ने कोविड-19 प्रतिबंधों के बावजूद एडीएमएम प्लस के आयोजन के लिए ब्रुनेई को धन्यवाद दिया।

रक्षा सचिव डॉ. अजय कुमार और चीफ ऑफ इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ टू द चेयरमैन चीफ्स ऑफ स्टाफ कमिटी (सीआईएससी) वाइस एडमिरल अतुल कुमार जैन और रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी बैठक में शामिल हुए।

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