कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय

दलहन-तिलहन में आत्मनिर्भरता के लिए रोडमैप : श्री तोमर


बीज मिनी किट लाभार्थियों से कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने की वर्चुअल बातचीत

केंद्र सरकार 300 करोड़ रू. की लागत से 13.51 लाख मिनी किट 15 जून तक किसानों को वितरित करेगी

Posted On: 02 JUN 2021 7:21PM by PIB Delhi


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दलहन व तिलहन के उत्पादन को बढ़ाकर इनमें देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के आह्वान पर सरकार द्वारा विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसी सिलसिले में केंद्र सरकार का बीज मिनी किट कार्यक्रम दलहनव तिलहन की नई किस्मों के अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों की आपूर्ति करके बीज प्रतिस्थापन अनुपात को बढ़ाने के लिए एक प्रमुख कार्यक्रम है। प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में सरकार के दूसरे कार्यकाल के दो साल पूरे होने के उपलक्ष्‍य में केंद्र सरकार 300 करोड़ रूपए खर्च कर 15 जून तक 13.51 लाख मिनी किट मुफ्त वितरित करेगी। इन्हीं कुछ बीज मिनी किट लाभार्थियों से केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बुधवार को वर्चुअल बातचीत की। श्री तोमर के साथ राज्य मंत्री श्री परषोत्तम रूपाला व श्री कैलाश चौधरी भी इस संवाद में शामिल हुए।

जिन किसानों से मंत्रियों ने संवाद किया, वे हैं- श्री ओमप्रकाश पटेल (वाराणसी, उत्तर प्रदेश), श्री रेखा राम (बाडमेर, राजस्थान), श्री रमेशभाई बालूभाई कोडलिया (अमरेली, गुजरात), श्री चंद्रकांत (हवेरी, कर्नाटक), श्री मदन सिंह (मुरैना, मध्य प्रदेश) तथा श्री उपेंदर सिंह (रीवा, मध्य प्रदेश)।

कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने कहा कि दलहन व तिलहन के उत्पादन को बढ़ाकर इस संबंध में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए केंद्र ने राज्य सरकारों के साथ विचार-विमर्श के बाद एक रोडमैप बनाया है। इस पर आगे चलते हुए निश्चित ही बहुत फायदा होगा और इनमें आत्मनिर्भर होने से आयात पर खर्च होने वाली बड़ी मुद्रा भी बच सकेगी, जो देश में विकास के अन्य कार्यों में उपयोग हो सकती है। रकबा बढ़ाने के लिए क्षेत्रों की पहचान की गई है व नई किस्मों के अवरोध को भी पार कर लिया गया है।

श्री तोमर ने कहा कि गेहूं व धान की खेती के बजाय दलहन-तिलहन की ओर फसल डायवर्सिफिकेशन आज समय की मांग है। इसके लिए राज्यों के मजबूत संकल्प की जरूरत है। कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) के ज्ञान को हर किसान के दरवाजे तक पहुंचाने की बात राज्य सरकारें ठान लें तो हम निकट भविष्य में आमूलचूल परिवर्तन कर सकते हैं। श्री तोमर ने उम्मीद जताई कि केंद्र व राज्यों ने जो संकल्प किया है, हम इसमें उत्साही व परिश्रमी किसानों के साथ मिलकर अवश्य ही सफल होंगे।

श्री तोमर ने कहा कि हमारे किसानों की ताकत ऐसी ही बनी रहना चाहिए, जो प्रतिकूल परिस्थितियों में भी देश को अपने कंधों पर खड़ा रखने का माद्दा रखते हैं। कृषि प्रधान हमारे देश में कृषि व ग्रामीण अर्थव्यवस्था बहुत बड़ी ताकत है, यह बढ़ती रहे तो निश्चित रूप से देश की बुनियाद को और मजबूत होने से कोई रोक नहीं सकता। इसीलिए, प्रधानमंत्री जी भी लगातार गांव-गरीब-किसान की स्थितियों में बदलाव लाने पर बल देते रहते हैं। आत्मनिर्भर भारत के पीएम के आह्वान में भी इन्हीं पर जोर रहा है।

श्री तोमर ने कहा कि कृषि से जुड़कर काम करना देश की बड़ी सेवा है। आज किसान के परिश्रम, वैज्ञानिकों के अनुसंधान व सरकार की कृषि हितैषी नीतियों का संयुक्त परिणाम है कि कृषि उत्पादन की दृष्टि से दुनिया में भारत पहले या दूसरे नंबर पर है, लेकिन हमें निर्यात और बढ़ाने की जरूरत है। खेती के विकास को लेकर समग्र, संतुलित व दूरगामी विचार एक साथ करना आवश्यक है। देश में खेती के प्रति रूचि व रकबा बनाए रखना व इसे बढ़ाना भी जरूरी है। प्रधानमंत्री जी द्वारा इस दिशा में योजनाएं शुरू की गई है व गैप्स भरने के लिए तमाम उपाय किए जा रहे हैं। गरीब-छोटे किसानों की ताकत बढ़ाने के लिए एफपीओ का नया संसार सृजित किया जा रहा है। ऐसी अनेक सतत योजनाएं फलीभूत हो रही है।

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कार्यक्रम में राज्य मंत्री श्री रूपाला ने कहा कि उत्पादकता बढ़ाने में बीज बहुत अहमियत रखता है। उन्होंने विश्वास जताया कि बीज मिनी किट वितरण के माध्यम से दलहन-तिलहन के क्षेत्र व उत्पादकता बढ़ाने का लक्ष्य हासिल किया जा सकेगा। निगरानी तंत्र के माध्यम से यह कार्यक्रम निश्चित सफल होगा।

राज्य मंत्री श्री चौधरी ने कहा कि किसानों में फसलों को लेकर काफी उत्साह दिखाई दे रहा है। किसानों की मेहनत, वैज्ञानिकों के योगदान तथा सरकार की नीतियों के निश्चय ही बहुत अच्छे परिणाम दिखाई देंगे और हम दलहन-तिलहन के मामले में आत्मनिर्भरता हासिल कर सकेंगे।

कृषि सचिव श्री संजय अग्रवाल ने दलहन-तिलहन के संबंध में सरकार के ठोस प्रयासों की अगले 5 साल की रूपरेखा बताई। कृषि उत्पादन आयुक्त श्री एस.के. मल्होत्रा वसंयुक्त सचिव श्रीमती शुभा ठाकुर ने भी विचार रखें। केंद्र वराज्यों के कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी इस कार्यक्रम से वर्चुअल जुड़े थे।

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एपीएस



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