स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय

केंद्र सरकार ने राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों से कोविड के मामलों में वृद्धि के प्रभावी प्रबंधन के लिए कोविड-19 प्रभावित जिलों में गहन कार्रवाई और स्थानीय कंटेनमेंट उपाय की सलाह दी है


10 प्रतिशत पॉजिटिविटी या 60%बेड से ज्यादा भरे होने वाले क्षेत्रों में गहन कार्रवाई की जरूरत है

संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ने के लिए स्थानीय स्तर पर 14 दिनों के लिए कंटेनमेंट उपाय किए जा सकते हैं

Posted On: 25 APR 2021 9:53PM by PIB Delhi

भारत सरकार कोविड महामारी की रोकथाम में राज्यों के प्रयासों में मदद के तौर पर समय-समय पर दिशानिर्देश और परामर्श जारी करती आ रही है। 5 जनवरी 2021 को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को सलाह दी थी कि वे सख्त निगरानी रखें और कोविड के मामलों में हालिया वृद्धि को रोकने के लिए कदम उठाएं। 21 फरवरी 2021 को जिन राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में तेजी से केस बढ़े, उनसे अनुरोध किया गया कि वे तत्काल स्वास्थ्य संबंधी जरूरी कदम उठाएं। इसके बाद, 27 फरवरी 2021 को सभी राज्यों को सलाह दी गई कि वे अपनी सतर्कता कम न करें, कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन कराएं और संक्रमण फैलने वाली संभावित घटनाओं को लेकर प्रभावी निगरानी व पहचान रणनीतियों का पालन करें। 20 अप्रैल 2021 को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को कोविड-19 मामलों के अनुमानों से अवगत कराया और उसी के हिसाब से पर्याप्त अवसंरचना और लॉजिस्टिक आवश्यकताओं को सुनिश्चित करने का अनुरोध किया। ये सब राज्यों और जिलों के साथ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री, कैबिनेट सचिव और केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव के स्तर पर वीडियो कॉन्फ्रेंस की श्रृंखला के अतिरिक्त है, जिनमें संक्रमण के प्रसार को नियंत्रित करने और मामलों में वृद्धि का प्रबंधन करने के लिए उठाए जाने वाले कदमों की समीक्षा की गई।

 

पिछले कुछ दिनों से बहुत अधिक संख्या में रोजाना आ रहे नए कोविड मामलों के मद्देनजर, केंद्र सरकार ने राज्यों से सख्त कोविड प्रबंधन पर विचार करने और ज्यादा संक्रमण वाले क्षेत्रों में कंटेनमेंट (निषेध) उपाय करने की तत्काल जरूरत पर बल दिया जिससे ज्यादा मामले आने वाले क्षेत्रों में संक्रमण के प्रसार को नियंत्रण कर स्थिति को काबू में लाया जा सके। इस बात पर जोर दिया गया कि मौजूदा बुनियादी ढांचा कोरोना के मामलों में ऐसी वृद्धि से निपटने में सक्षम नहीं है।

 

महामारी के मौजूदा वक्र को समतल करने के लिए चुनिंदा जिलों/शहरों/क्षेत्रों को लेकर शीघ्र और लक्षित कार्रवाई की आवश्यकता है, जिसे राज्य इन मानदंडों के अनुसार पहचान सकते हैं :

क्रमांक

मानदंड

सीमा रेखा

1.

टेस्ट पॉजिटिविटी

पिछले एक हफ्ते में टेस्ट पॉजिटिविटी 10% या इससे ज्यादा

या

2.

बिस्तर उपलब्धता

ऑक्सीजन सुविधा वाले या आईसीयू बेड60% से ज्यादा भरे हों

 

उपरोक्त दो मानदंडों में से किसी एक को पूरा करने वाले जिलों में गहन कार्रवाई और स्थानीय निषेध उपायों पर विचार किया जाए। स्थानीय निषेध मुख्य रूप से लोगों को मिलने-जुलने से रोकने पर केंद्रित होता है, जिसे 14 दिनों की अवधि के लिए किया जाता है, जिससे महामारी से निपटने के सिद्धांतों का पालन करते हुए संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ा जा सके। गहन कार्रवाई और स्थानीय निषेध की आवश्यकता वाले जिलों का वर्गीकरण भी राज्य द्वारा साप्ताहिक आधार पर किया जाना चाहिए और मीडिया में प्रचार के अलावा इसे ऑनलाइन भी उपलब्ध कराया जा सकता है।

 

गहन कार्रवाई और स्थानीय निषेध की आवश्यकता वाले क्षेत्रों को विशिष्ट और अच्छी तरह से परिभाषित भौगोलिक इकाइयों को माना जाता है जैसे शहरों/कस्बों/कस्बों के कुछ हिस्सों/जिला मुख्यालयों/अर्ध-शहरी इलाकों/नगरपालिका वार्डों/पंचायत क्षेत्रों आदि।

 

स्थानीय कंटेनमेंट अनिवार्य रूप से हस्तक्षेप के तीन रणनीतिक क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगा जिसमें निषेध, नैदानिक प्रबंधन और सामुदायिक भागीदारी शामिल हैं।

 

स्थानीय निषेध के लिए क्षेत्रों की पहचान लगातार अभ्यास के तहत होनी चाहिए, जिसका मकसद ज्यादा मामले और मौतें दर्ज करने वाले क्षेत्रों में- जहां स्वास्थ्य प्रणाली पर अतिरिक्त दबाव देखा जा रहा है, सार्स-कोव-2 के संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ना और जिंदगियां बचाना है।

 

केंद्र ने इस संबंध में एक निगरानी तंत्र का भी सुझाव दिया है। जैसे कि स्थिति लगातार परिवर्तनशील है, राज्य में उच्चतम स्तरों पर एक दैनिक समीक्षा की जानी चाहिए। गहन और स्थानीय निषेध के लिए जिलों/कस्बों/कस्बों के कुछ हिस्सों की पहचान करने के बाद, राज्यों को प्रभावी निगरानी और कार्यान्वयन के लिए 14 दिनों के लिए इन जिलों में वरिष्ठ अधिकारियों को बतौर नोडल अधिकारी तैनात करना चाहिए। 

 

जिला कलेक्टर और नगर आयुक्त के परामर्श से राज्य नोडल अधिकारी को जिले में दर्ज किए गए मामलों के समूहों के आधार पर स्थानीय निषेध के लिए क्षेत्र की पहचान करनी चाहिए। इसमें शहर, कस्बे, नगरपालिका वार्ड या कस्बा या पंचायत का कुछ हिस्सा मुख्य रूप से उन क्षेत्रों के आधार पर पहचाने जा सकते हैं जहां संक्रमण का ज्यादा प्रसार और मामलों में उच्च वृद्धि दर्ज की जा रही हो। राज्य नोडल अधिकारी को ऐसे सभी क्षेत्रों का विवरण मंजूरी के लिए राज्य सरकार को भेजना चाहिए जिसे स्थानीय कंटेनमेंट के लिए चुना गया है।

 

जिला कलेक्टर/नगर आयुक्त को रोजाना स्थिति की समीक्षा करनी चाहिए जिसमें क्षेत्र से फीडबैक के तहत केस प्रक्षेपवक्र का विवरण, रोजाना की योजना, विभिन्न गतिविधियों के कार्यान्वयन आदि का विश्लेषण शामिल है।

 

राज्यों से कहा गया है कि जिले से एक दैनिक स्थिति रिपोर्ट पेश की जानी चाहिए और राज्य स्तर पर भी समेकित रिपोर्ट तैयार कर सूचना भारत सरकार को भेजी जा सकती है।

 

यदि आवश्यक हो तो सभी राज्य स्थानीय हालात, आवश्यकताओं और संसाधनों के तहत आगे भी श्रेणीबद्ध प्रतिक्रिया पर विचार कर सकते हैं।

 

समुदाय निषेध/बड़े निषेध क्षेत्रों के लिए कार्यान्वयन तंत्र :

 

वायरस संक्रमण की रफ्तार को समझाना-

वायरस इंसान के जरिए ही फैलता है। यह समझना महत्वपूर्ण है कि वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए रणनीतियों में न केवल वायरस बल्कि इसे फैलाने वाले मेजबान यानी इंसानों को रोकना भी शामिल है।

 

सामान्य तौर पर, रणनीतियों में शामिल है:

1. व्यक्तिगत कदम जैसे मास्क पहनना, दूसरों से 6 फीट की दूरी बनाए रखना, हाथों को लगातार सैनिटाइज करते रहना और किसी भी सामूहिक कार्यक्रम में शामिल नहीं होना; और

 

2. वायरस से बचने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय:

संभावित पॉजिटिव लोगों को पृथकवास में रखने और परीक्षण के साथ ही सार्स-कोव-2 पॉजिटिव लोगों के संपर्क, एसएआरआई मामलों, फ्लू जैसे लक्षणों वाले लोगों की पहचान शामिल हैं। यह सुनिश्चित करें कि वे कहीं आ-जा न रहे हों और इस प्रकार से उन सभी पॉजिटिव लोगों को पृथकवास में, उनके संपर्क की पहचान कर परीक्षण करें। जहां मामलों के समूह हैं, सामान्य रूप से लोगों या परिवारों को पृथकवास में करने से फायदा नहीं होगा। उस स्थिति में संक्रमण बाहर न फैले इसके लिए स्पष्ट सीमाओं और कड़े नियंत्रण के साथ कंटेनमेंट जोन बनाने की जरूरत होगी। यह दुनियाभर में अपनाई जा रही निषेध रणनीति के तहत है और स्वास्थ्य मंत्रालय की एसओपी में भी इसका जिक्र है। इसका मतलब एक बड़े भौगोलिक क्षेत्र जैसे शहर या जिला या अच्छी तरह से परिभाषित हिस्से से है, जहां से ज्यादा मामले आ रहे हैं। इसे निषेध क्षेत्र बनाया जाए लेकिन आवश्यक जरूरतों के लिए सार्वजनिक वाहनों की आवाजाही को नहीं रोकना चाहिए।

 

3. तथ्य आधारित फैसले: बड़े निषेध क्षेत्र कब और कहां लगाए जाएं, इसका फैसला तथ्यों पर आधारित होना चाहिए और हालात के समुचित विश्लेषण के बाद राज्य/केंद्रशासित प्रदेश के स्तर पर किया जाना चाहिए जैसे; कितनी जनसंख्या प्रभावित हुई, भौगोलिक प्रसार, अस्पताल संबंधी बुनियादी ढांचा, श्रम शक्ति, सीमाओं को लागू करने में आसानी आदि।

 

4. हालांकि, वस्तुपरक, पारदर्शी और महामारी को लेकर सशक्त फैसले में सहयोग के लिए जिलों/क्षेत्रों के चयन में राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को सहायता प्रदान करने के लिए निम्नलिखित व्यापक तंत्र उपलब्ध कराया जाता है:

क्रमांक

मानदंड

सीमा रेखा

1.

टेस्ट पॉजिटिविटी

पिछले एक हफ्ते में टेस्ट पॉजिटिविटी 10% या इससे ज्यादा

या

2.

बिस्तर उपलब्धता

ऑक्सीजन सुविधा वाले या आईसीयू बेड60% से ज्यादा भरे हों

 

5. गहन कार्रवाई और स्थानीय निषेध की आवश्यकता वाले क्षेत्र विशिष्ट और अच्छी तरह से परिभाषित भौगोलिक इकाइयों जैसे शहरों/कस्बों/कस्बों के कुछ हिस्सों/जिला मुख्यालयों/अर्ध-शहरी इलाकों/नगरपालिका वार्डों/पंचायत क्षेत्रों आदि को दर्शाता है।

 

6. गहन कार्रवाई और स्थानीय निषेध के लिए पहचाने गए क्षेत्र मुख्य रूप से निम्नलिखित रणनीतिक बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करेंगे:

 

(क) कंटेनमेंट

1- महामारी के मौजूदा वक्र को समतल करने के लिए प्रमुख अप्रोच के तौर पर कंटेनमेंट पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

2- रात्रि कर्फ्यू- आवश्यक गतिविधियों को छोड़कर, रात के समय लोगों की आवाजाही सख्ती से प्रतिबंधित की जाएगी। स्थानीय प्रशासन कानून के उपयुक्त प्रावधानों के तहत जैसे सीआरपीसी की धारा 144 के तहत और कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए रात्रि कर्फ्यू की अवधि तय करेगा और अपने अधिकार क्षेत्र में आदेश जारी करेगा।

3- लोगों के आपसी मेलजोल को प्रतिबंधित कर, जो कोविड-19 वायरस फैलाने के एकमात्र ज्ञात संवाहक हैं, संक्रमण के प्रसार को नियंत्रित करना होगा।

4सामाजिक/राजनीति/खेल/मनोरंजन/शैक्षणिक/सांस्कृतिक/धार्मिक/त्योहार संबंधी और अन्य सभाओं और कार्यक्रमों को प्रतिबंधित किया जाएगा।

5- विवाह (50 लोगों तक के शामिल होने की अनुमति) और अंतिम संस्कार (20 व्यक्तियों तक अनुमति) को इजाजत दी जा सकती है।

6- सभी शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, सिनेमा हॉल, रेस्तरां और बार, खेल परिसर, जिम, स्पा, स्विमिंग पूल और धार्मिक स्थल बंद रहने चाहिए।

7- स्वास्थ्य सेवाएं, पुलिस, दमकल, बैंक, बिजली, जल और स्वच्छता जैसी आवश्यक सेवाएं और गतिविधियां, सभी आकस्मिक सेवाओं और गतिविधियों समेत सार्वजनिक परिवहन की नियंत्रित आवाजाही जारी रहेगी। ऐसी सेवाएं सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में जारी रहेंगी।

8- सार्वजनिक परिवहन (रेलवे, महानगर, बसें, टैक्सी) 50 प्रतिशत की अधिकतम क्षमता के साथ संचालित होंगे। आवश्यक वस्तुओं के परिवहन के साथ-साथ अंतर-राज्य और राज्य के भीतर आवाजाही पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा।

9- सभी कार्यालय, सरकारी और प्राइवेट दोनों अधिकतम 50 प्रतिशत कर्मचारियों के साथ काम करेंगे। सभी औद्योगिक और वैज्ञानिक प्रतिष्ठान, सरकारी और निजी दोनों को शारीरिक दूरी के मानदंडों के साथ श्रमबल के हिसाब से अनुमति दी जा सकती है। उनकी समय-समय पर आरएटी (फ्लू जैसे लक्षण किसी में दिखाई देने के बाद) के जरिए जांच की जानी चाहिए।

10- एमओएचएफडब्लू द्वारा पहले से जारी एसओपी जिसमें निगरानी टीमों और पर्यवेक्षकों के लिए प्रशिक्षण मैनुअल शामिल है, वेबसाइट पर उपलब्ध हैं और उनका पालन किया जाना चाहिए।

11- हालांकि ये निर्देशात्मक गतिविधियां हैं और राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों को स्थानीय हालात, कवर किए जाने वाले क्षेत्र और संक्रमण की संभावना का सावधानीपूर्वक विश्लेषण करना चाहिए और उसके बाद फैसला लेना चाहिए।

12- उपरोक्त प्रतिबंध 14 दिनों की अवधि के लिए जारी रहेगा।

13- कंटेनमेंट क्षेत्र की घोषणा करने से पहले, एक सार्वजनिक घोषणा की जाए और इसके औचित्य और लगाए जाने वाले प्रतिबंध को समझाया जाए (स्थानीय भाषा में स्थिति की गंभीरता और प्रतिबंधों के बारे में जानकारी देने के लिए एक पर्चा भी वितरित किया जा सकता है) ।

14- सामुदायिक स्वयंसेवक, नागरिक समाज संगठनों, पूर्व सैनिकों और स्थानीय एनवाईके/एनएसएस केंद्रों के सदस्यों आदि को कंटेनमेंट से संबंधित गतिविधियों के सतत प्रबंधन के लिए शामिल होना चाहिए और वे लोगों को उपरोक्त पर्चे की बातों को समझाएं और समुदाय के लोगों को टीकाकरण के साथ-साथ अपने व्यवहार में भी परिवर्तन के लिए प्रोत्साहित करें।

 

(बी) परीक्षण और निगरानी

 

कोविड-19 के प्रबंधन के लिए अपनाई जा रही रणनीति के तहत जिलों में 'टेस्ट-ट्रैक-ट्रीट-वैक्सीनेट' का अभियान और कोविड उपयुक्त व्यवहार का कार्यान्वयन जारी रहेगा।

1- पर्याप्त संख्या में टीमें तैयार कर पर्याप्त परीक्षण और क्षेत्र में घर-घर केस की तलाश सुनिश्चित करें।

2- आरएटी के माध्यम से इन्फ्लूएंजा बीमारी (आईएलआई) और एसएआरआई के सभी केस के परीक्षण की योजना बनाएं। लक्षण दिखाई देने वाले वे सभी लोग जो आरएटी (रैपिड एंटीजन टेस्ट) के जरिए सार्स-कोव-2 संक्रमण से निगेटिव पाए जा रहे हैं, उनका आरटी पीसीआर के जरिए फिर से परीक्षण होना चाहिए।

3- समुदाय आधारित संगठनों की भागीदारी के माध्यम से जागरूकता पैदा कर और कड़े नियम लगाकर दोनों तरीके से कोविड उपयुक्त व्यवहार का अनुपालन सुनिश्चित करें।

 

(ग) नैदानिक प्रबंधन

 

1- स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे की जरूरत के हिसाब से विश्लेषण करना चाहिए जिससे वर्तमान और संभावित मामलों (अगले एक महीने के) का प्रबंधन हो सके और इस बाबत आवश्यक कदम उठाए जाएं जिससे पर्याप्त संख्या में ऑक्सीजन की सुविधा से लैस बिस्तरों, आईसीयू बेड, वेंटिलेटर, एंबुलेंस, आवश्यकता पड़ने में अस्थायी अस्पताल भी तैयार करना सुनिश्चित हो सके। पर्याप्त पृथकवास सुविधाएं भी फिर से चालू हो जाएंगी।

2- सरकारी, निजी स्वास्थ्य सुविधाओं जिसमें केंद्रीय मंत्रालयों से संबंधित अस्पताल सुविधाएं, रेलवे कोच, अस्थायी फील्ड हॉस्पिटल भी उपलब्ध हैं, का लाभ उठाएं।

3- घर पर पृथकवास के लिए केवल उन्हें अनुमति दी जाए जो इस प्रोटोकॉल का पालन करना सुनिश्चित करें। ऐसे घरों की लगातार निगरानी के लिए टीमों के दौरे के साथ-साथ कॉल सेंटर के माध्यम से निगरानी का एक तंत्र बनाएं।

4- घर पर पृथकवास के तहत सभी मरीजों के लिए एक कस्टमाइज्ड किट का प्रावधान करें जिससे क्या करें और क्या न करें का पालन सुनिश्चित हो।

5- ज्यादा जोखिम वाले मामलों के लिए विशिष्ट निगरानी की जाए और समय पर उन्हें स्वास्थ्य केंद्रों में पहुंचाया जाए। इसी प्रकार से बुजुर्गों और दूसरी गंभीर बीमारी वाले पॉजिटिव मरीजों को पृथकवास केंद्रों में स्थानांतरित किया जाएगा और निगरानी की जाएगी।

6- सभी कोविड समर्पित अस्पतालों के लिए प्रभारी के रूप में वरिष्ठ जिला अधिकारियों की नियुक्ति करें और मरीजों के लक्षण के अनुसार प्रासंगिक सुविधाओं के लिए मरीजों के स्थानांतरण (घर पर पृथकवास वाले केस भी शामिल) के लिए एक तंत्र बनाएं।

7- ऐसे उद्देश्य के लिए पर्याप्त संख्या में एंबुलेंस की उपलब्धता सुनिश्चित करें।

8- ऑक्सीजन, अन्य संबंधित लॉजिस्टिक्स, दवाओं आदि की उपलब्धता के लिए राज्य के अधिकारियों के साथ समन्वय बनाएं और उसका तर्कसंगत उपयोग सुनिश्चित करें।

9- भर्ती वाले मरीजों के लिए ऑक्सीजन थेरेपी ऑक्सीजन के तर्कसंगत इस्तेमाल को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों के तहत होनी चाहिए।

10- रेमडेसिविर/टोसिलिजुमैब आदि जैसी दवाओं का इस्तेमाल भी स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी नैदानिक प्रबंधन प्रोटोकॉल/परामर्श का पालन करते हुए होना चाहिए।

11- इन्सीडेंट कमांडर/ जिला कलेक्टर/नगर आयुक्त द्वारा रोजाना केंद्र वार मामलों और मौतों का विश्लेषण किया जाएगा। फील्ड स्टाफ/अस्पतालों को सहयोगात्मक देखरेख प्रदान करने के लिए अस्पतालों और समुदाय में हुई सभी मौतों का डेथ ऑडिट किया जाएगा।

 

(घ) टीकाकरण

 

पात्र आयु-समूहों के लिए 100 प्रतिशत टीकाकरण के लिए अतिरिक्त टीकाकरण केंद्र तैयार किए जाएंगे और मौजूदा केंद्रों की पूरी क्षमता का उपयोग किया जाएगा।

 

(ड़) सामुदायिक सहभागिता

 

1- समुदाय को पर्याप्त अग्रिम सूचना उपलब्ध कराएं, इसमें कड़े निषेध उपायों की आवश्यकता समझाई जाए जिससे उनकी भागीदारी और सहयोग हासिल किया जा सके।

 

2- बड़े पैमाने पर कंटेनमेंट की घोषणा करने से पहले जरूरी आवश्यकताओं आदि के लिए लोगों को पर्याप्त समय दिया जाए।

3- समुदाय में दुष्प्रचार और भगदड़ (एक तरह की हलचल) के हालात से बचने के लिए आवश्यक कदम उठाएं।

4- एक सकारात्मक वातावरण बनाने और समुदाय के साथ निरंतर संवाद बनाने के लिए स्थानीय स्तर के एनजीओ/सीबीओ, प्रतिष्ठित लोगों और विषय विशेषज्ञों को शामिल करें।

5- चेतावनी देने वाले संकेतों और सेल्फ-रिपोर्टिंग पर व्यापक प्रचार करें ताकि मामलों की जल्द पहचान की जा सके और घर पर पृथकवास वाले मरीजों में मौतों को रोका जा सके।

6- इस व्यवस्था का व्यापक प्रचार करें कि लोग कहां अपना परीक्षण करा सकते हैं, स्वास्थ्य सुविधाओं का विवरण, एंबुलेंस आदि की जानकारी दें (सामुदायिक संगठनों को व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर सूचनाएं देने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है जिससे जरूरत के समय में लोगों की मदद हो और देरी न हो)।

 

7- अस्पतालों में बिस्तरों की उपलब्धता आदि की जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध कराएं और रोजाना मीडिया में जारी करें।

8- ऑक्सीजन, दवाइयों, वैक्सीन की उपलब्धता की जानकारी और वैक्सीनेशन केंद्रों (रेमडेसिविर/टोसिलिजुमैब आदि दवाओं से संबंधित दिशानिर्देश शामिल) का व्यापक रूप से प्रचार किया जाए ताकि समुदाय में भरोसा पैदा हो सके।

9- समुदाय में इस तरह से जानकारी दी जाए कि वे तापमान और पल्स ऑक्सीमीटर की मदद से ऑक्सीजन सैचुरेशन जैसे मापदंडों की उचित निगरानी के साथ घर पर ही हल्के कोविड मामलों का प्रबंधन कर सकें।

10- कोविड उपयुक्त व्यवहार की आवश्यकता, इसका पालन सुनिश्चित करने के लिए नियामकीय ढांचा आदि का व्यापक रूप से प्रचार किया जाना चाहिए।

11- बीमारी की प्रकृति के बारे में बताते हुए समुदाय में आत्मविश्वास पैदा करें और यह समझाएं कि जल्दी पहचान से जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है और अपने भीतर से डर को दूर कर 98 प्रतिशत से ज्यादा लोग कोविड-19 से ठीक हो सकते हैं। इस संबंध में नागरिक समाज संगठनों की भागीदारी से काफी मदद मिलती है।

 

 

एसजी/एएम/एएस



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