पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय
अप्रैल 2021 में अंटार्कटिक के लिए 40वें वैज्ञानिक अभियान की वापसी के साथ भारत ने अंटार्कटिक में वैज्ञानिक प्रयासों के चार सफल दशक पूरे किए
Posted On:
16 APR 2021 12:56PM by PIB Delhi
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा आयोजित अंटार्कटिक के लिए 40वां वैज्ञानिक अभियान स्टॉपओवरों सहित 94 दिनों में 12,000 नॉटिकल माइल की यात्रा पूरी करने के बाद 10 अप्रैल, 2021 को सफलतापूर्वक केपटाउन में लौट आया। इस उपलब्धि में शांति और सहयोग के महाद्वीप में भारत के वैज्ञानिक प्रयासों के चार सफल दशक शामिल हैं।
40-आईएसईए में भारतीय वैज्ञानिक, इंजीनियर, डॉक्टर तथा टेक्नीशियन शामिल थे, जिन्होंने 07 जनवरी, 2021 को गोवा के मोर्मुगाव बंदरगाह से अंटार्कटिक की यात्रा शुरू की। टीम 27 फरवरी, 2021 को भारती तथा 08 मार्च, 2021 को मैत्री के अपने गंतव्य केन्द्रों पर पहुंची। भारती और मैत्री अंटार्कटिक में भारत के स्थायी रिसर्च बेस स्टेशन हैं। इन स्टेशनों पर केवल नवम्बर तथा मार्च के बीच दक्षिणी ग्रीष्म ऋतु के दौरान पहुंचा जा सकता है। अंटार्कटिक की अपनी यात्रा के रास्ते में समुद्री यात्रा टीम ने हैदराबाद स्थित भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केन्द्र (आईएनसीओआईएस) के सहयोग से 35 डिग्री और 50 डिग्री अक्षांशों के बीच 4 स्वायत्तशासी ओसन ऑब्जर्विंग डीडब्ल्यूएस (डायरेक्शनल वेव स्पेक्ट्रा) वेव ड्रिफटर्स तैनात किये। ये ड्रिफटर्स आईएनसीओआईएस, हैदराबाद को तरंगों की स्पेक्ट्रल अभिलक्षणों, समुद्री सतह तापमानों और समुद्र स्तरीय वायुमंडलीय दबावों का रियल टाइम डाटा प्रेषित करेंगे, जो व्यापक रूप से मौसम पूर्वानुमानों को सत्यापित करने में मदद करेंगे।
40-आईएसईए में एक चाटर्ड आईस-क्लास पोत एमवी वेसिलेगोलोवामिन ऑनबोर्ड था। इसने हैलिकॉप्टरों को उठाने तथा ईंधन तथा प्रोविजन को फिर से भरने के लिए केपटाउन तथा रिसप्लाई और विंटर क्रू के चेंजओवर के लिए भारतीय रिसर्च बेस भारती और मैत्री में स्टॉप ओवर किया। अभियान ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ जियोमेग्नेटिजम से श्री अतुल सुरेश कुलकर्णी के नेतृत्व में भारती में 20 कार्मिकों तथा भारतीय मौसम विज्ञान विभाग से श्री रविन्द्र संतोष मोरे के नेतृत्व में मैत्री में 21 कार्मिकों की एक टीम पोजिशन की।
अंटार्कटिक विज्ञान में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की भावना से एमवी वेसिलेगोलोवामिन ने मार्च 2021 में केपटाउन में लौटते समय स्लाइट डेंचर किया और -67 डिग्री दक्षिण में सफलतापूर्वक दो रिमोटली ऑपरेटिड नोर्वे के ओसन ऑब्जर्विंग इंस्टूमेंट (एक सी ग्लाइडर और एक सेल बुवाओ) को बचाया। आगे की यात्रा के दौरान तैनात इन ओसन ऑब्जर्विंग इंस्ट्रूमेंट्स और वापसी यात्रा के दौरान रिट्राइवल से दक्षिणी महासागर के हिंद महासागर सेक्टर में कम उपलब्ध सूचना के अंतरालों को भरने में मदद मिलेगी।
40-आईएसईए का संचालन लगातार बढ़ते कोरोना वायरस महामारी के कारण उत्पन्न विषम चुनौतियों के तहत किया गया। अंटार्कटिक को कोरोना से मुक्त रखने के लिए आवश्यक कदम उठाए गए। प्रस्थान से पहले टीम को गोवा मेडिकल कॉलेज द्वारा सख्त चिकित्सकीय जांच से गुजरना पड़ा तथा जहाज पर सवार होने से पहले 14 दिनों तक क्वारंटाइन होना पड़ा।
कई वैज्ञानिक लक्ष्यों की प्राप्ति करने, विंटर क्रू के चेंजओवर तथा भारती और मैत्री की रिसप्लाई के बाद 40-आईएसईए भारतीय टुकड़ी 10 अप्रैल, 2021 को केपटाउन वापस पहुंची और अंटार्कटिक में देश के वैज्ञानिक प्रयासों की सफलता के चार दशक पूरे किये।
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