जल शक्ति मंत्रालय

जम्मू और कश्मीर ने जल जीवन मिशन के तहत अपनी वार्षिक कार्य योजना प्रस्तुत की


जम्मू और कश्मीर का लक्ष्य सितंबर, 2022 तक सभी ग्रामीण परिवारों को जल जीवन मिशन के दायरे में लाना है

Posted On: 12 APR 2021 5:28PM by PIB Delhi

जम्मू और कश्मीर ने आज जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल और स्वच्छता विभाग के सचिव की अध्यक्षता वाली एक राष्ट्रीय समिति के सामने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपनी वार्षिक कार्य योजना (एएपी) प्रस्तुत की। यह राष्ट्रीय समिति राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा तैयार प्रस्तावित वार्षिक कार्य योजना (एएपी) को मंजूर करने से पहले इसकी गहन जांच करती है। इसके बाद भौतिक एवं वित्तीय प्रगति और नियमित तौर पर क्षेत्र के दौरे के आधार पर किस्तों में रकम आवंटित की जाती है। वहीं जल जीवन मिशन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए वार्षिक कार्य योजना के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए समीक्षा बैठकें आयोजित की जाती हैं।

जम्मू और कश्मीर ने दो जिलों यानी श्रीनगर एवं गांदरबल को हर घर जलजिला घोषित किया है। इन जिलों में 100 फीसदी ग्रामीण परिवारों के पास नल जल कनेक्शन की सुविधा है। केंद्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में कुल 18.16 लाख ग्रामीण परिवार हैं। इनमें से लगभग 10 लाख परिवारों को 31 मार्च, 2021 तक नल कनेक्शन प्रदान किया जा चुका है। वहीं 2021-22 में इस केंद्रशासित प्रदेश की योजना 4.9 लाख नल कनेक्शन प्रदान करने की है। इसके अलावा इसकी योजना 9 और जिलों को हर घर जलजिला घोषित करना है, जिससे प्रत्येक ग्रामीण परिवारों को नल जल कनेक्शन प्रदान किया जा सके।  

जम्मू और कश्मीर ने समिति को जल जीवन मिशन के तहत राष्ट्रीय समयसीमा से पहले यानी सितंबर, 2022 तक प्रत्येक ग्रामीण परिवार को पाइप पेयजल प्रदान करने का आश्वासन दिया है। इस बैठक के दौरान जम्मू और कश्मीर के प्राधिकारियों ने केंद्रशासित प्रदेश में योजना के कार्यान्वयन के साथ-साथ ग्रामीण परिवारों के कवरेज के लिए वार्षिक कार्य योजना एवं केंद्रशासित प्रदेश में की जानी वाली सहायता गतिविधियों पर अपनी प्रगति प्रस्तुत की।   

गर्मी के दिनों के दौरान जम्मू और कश्मीर में जल की गुणवत्ता एक चिंता का विषय होता है। इसके लिए मंत्रालय के अधिकारियों ने जल की जांच को लेकर उचित प्रोत्साहन दिए जाने का सुझाव दिया है। वहीं जम्मू और कश्मीर की योजना चालू वर्ष के दौरान 20 प्रयोगशालाओं को एनएबीएल मान्यता देने की है। सुधारात्मक उपाय करने के लिए जल की गुणवत्ता परीक्षण को लेकर सामुदायिक स्तर पर क्षेत्र जांच किट और हाइड्रोजन सल्फाइड (एच2एस) की शीशियां प्रदान की जाएंगी। राष्ट्रीय समिति ने जम्मू और कश्मीर को सलाह दी है कि वह जल की उचित गुणवत्ता एवं निगरानी सेवाओं की सुनिश्चित करने की दिशा में अपने प्रयासों को तेज करें। इसके अलावा यह भी कहा कि प्रयोगशालाओं की वांछित क्षमता उपयोग के लिए आगे और सुधार की जरूरत है।

जल जीवन मिशन के तहत जिला एवं राज्य स्तर पर जल गुणवत्ता जांच प्रयोगशालाएं आम जनता के लिए खुली हैं, जिससे आम लोग मामूली दर पर जल की जांच करा सकेंगे। वहीं पानी की गुणवत्ता की निगरानी के लिए समुदाय को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके अलावा पीएचई विभाग समुदाय के साथ सशक्त बनने और शामिल होने की सुविधा प्रदान कर रहा है। इसके लिए, विभिन्न योजनाबद्ध गतिविधियों जैसे; किटों की समय पर खरीद, समुदाय को किटों की आपूर्ति, प्रत्येग गांव में कम से कम पांच महिलाओं की पहचान, क्षेत्र जांच किट के उपयोग, रिपोर्टिंग एवं जल स्रोतों के प्रयोगशाला आधारित निष्कर्षों के साथ रिपोर्टों के मिलान के लिए महिलाओं को प्रशिक्षित करने को लेकर कार्य योजना बनाई गई है।

जम्मू और कश्मीर ने उन दो जिलों में जहां 100 फीसदी एफएचटीसी प्रदान किया गया है, वहां सेंसर आधारित मापन एवं निगरानी प्रणाली शुरू करने का निर्णय किया है। इन जिलों के गांवों में जल आपूर्ति पर सेंसर का उपयोग करके निगरानी की जाएगी एवं विश्लेषण, प्रदर्शन एवं उपचारात्मक कार्रवाई के लिए डाटा स्वचालित तरीके से हासिल किया जाएगा। कोविड-19 महामारी की स्थिति के दौरान ग्रामीण घरों में नल जल कनेक्शन प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय जल जीवन मिशन और राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के प्रयासों के चलते कठिन परिश्रम में कमी होने से निश्चित रूप से विशेषकर महिलाओं एवं लड़कियों के जीवन को आसान बनाने में मदद मिलेगी, जो उन्हें सुरक्षित करने के साथ-साथ उन्हें एक सम्मानित जीवन की ओर ले जाएगी।   

जल जीवन मिशन (जेजेएम) केंद्र सरकार का एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है, जिसका लक्ष्य 2024 तक सभी ग्रामीण परिवारों को पाइप के माध्यम से पेयजल उपलब्ध करवाना है। 2021-22 में जल जीवन मिशन के लिए 50,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटन किया गया है। इसके अलावा 15वें वित्त आयोग के बंधित-अनुदानों के तहत 26,940 करोड़ रुपये का उपलब्ध निश्चित निधि आरएलबी/पीआरआई को जल और स्वच्छता एवं राज्यों के हिस्से और बाहरी सहायता प्राप्त परियोजनाओं के मिलान के लिए है। इस प्रकार 2021-22 में ग्रामीण घरों तक नल जल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक निवेश करने की योजना है। गांवों में इस तरह के भारी निवेश से विनिर्माण गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा, ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा होंगे और साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी तेजी आएगी। 

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