जनजातीय कार्य मंत्रालय

उपराष्ट्रपति श्री वेंकैया नायडू ने दिल्ली हाट में पखवाड़े भर चलने वाले राष्ट्रीय जनजातीय महोत्सव - आदि महोत्सव का उद्घाटन किया


उपराष्ट्रपति ने उनकी आय का स्रोत बढ़ाने के लिए जनजातीय उत्पादों को प्रोत्साहित करने और लोकप्रिय बनाने की जरूरत पर जोर दिया

सरकार ने आदिवासियों के लिए कौशल विकास, बेहतर विपणन कौशल और प्रशिक्षण देने की योजना बनाई है ताकि वे अपने उत्पादों की पूरी क्षमता का लाभ उठा सकें : श्री अर्जुन मुंडा

1 फरवरी- 15 फरवरी तक पखवाड़े भर चलने वाले इस महोत्सव में देश भर से लगभग 1000 आदिवासी कलाकार शामिल हो रहे हैं

Posted On: 01 FEB 2021 9:34PM by PIB Delhi

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज नई दिल्ली में आदिवासी महोत्सव - आदि महोत्सव का उद्घाटन किया। आदिवासी महोत्सव- आदि उत्सव नई दिल्ली के दिल्ली हाट में 1-15 फरवरी, 2021 के बीच आयोजित किया जा रहा है। श्री अर्जुन मुंडा, जनजातीय कार्य मंत्री;  श्रीमती रेणुका सिंह, जनजातीय कार्य राज्य मंत्री;  श्री फग्गन सिंह कुलस्ते, राज्य मंत्री, इस्पात; श्री रमेश चंद मीणा, अध्यक्ष, ट्राइफेड; श्री आर. सुब्रमण्यम, सचिव, जनजातीय कार्य मंत्रालय; ट्राइफेड के एमडी श्री प्रवीर कृष्णा के साथ मंत्रालय और ट्राइफेड के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

 

श्री एम. वेंकैया नायडू ने पारंपरिक दीप प्रज्ज्वलित करके समारोह का औपचारिक उद्घाटन किया। इस अवसर पर अपने संबोधन में, श्री एम. वेंकैया नायडू ने विकास का एक ऐसा मॉडल बनाने की अपील की, जो आदिवासियों की विशेष पहचान को संरक्षित करता हो। उन्होंने कहा, “उनकी संस्कृति ही उनकी पहचान है’ और आदिवासियों को मुख्य धारा में लाते समय इस संस्कृति को अक्षुण्ण रखना जरूरी है। आदिवासी हस्तशिल्प की व्यापक श्रृंखला को ध्यान में रखते हुए, उपराष्ट्रपति ने उनके उत्पादों को बढ़ावा और उन्हें लोकप्रिय बनाने के लिए आदिवासियों के स्वाभाविक कौशल को व्यवस्थित करने और उनके आय के स्रोतों को मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने प्रतिष्ठित संस्थानों के मुख्यधारा के डिजाइनर्स और आदिवासी कारीगरों के बीच संपर्क बढ़ा ने के लिए सरकार की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि दोनों के बीच तालमेल से वैश्विक बाजार में बिक्री योग्य कला और हस्तकला उत्पाद तैयार हो सकते हैं और यह दोनों के लिए सफलता की स्थिति होगी। उन्होंने आदिवासी समुदाय के व्यापार को बढ़ावा देने के लिए ई-कॉमर्स और डिजिटल प्लेटफार्मों को प्रोत्साहित करने सहित आर्थिक सशक्तिकरण के लिए किए गए महत्वपूर्ण कार्यों के लिए ट्राइबल कोऑपरेटिव मार्केटिंग डवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (ट्राइफेड), जनजातीय कार्य मंत्रालय की सराहना की। श्री नायडू ने यह भी कहा कि जैविक खाद्य उत्पादों की मांग बढ़ रही है और ट्राइफेड को इस खास तरह के बाजार का निश्चित तौर पर लाभ उठाना चाहिए। वे चाहते थे कि ट्राइफेड यह सुनिश्चित करे कि ऊंचे दाम का लाभ जनजातीय आबादी तक पहुंचे।

 

समारोह की अध्यक्षता करते हुए, जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने आदिवासियों के सशक्तिकरण की दिशा में निरंतर प्रयास करने के लिए मंत्रालय और ट्राइफेड की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, “यह वार्षिक उत्सव देश की पारंपरिक कला, हस्तशिल्प और सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करता है और आदिवासी कारीगरों को बड़े बाजारों से जोड़ता है। इसके अलावा यह भारत के आदिवासियों की विविधता और समृद्धि पर ध्यान केंद्रित करता है।” मंत्री ने कहा कि सरकार आदिवासी उत्पादों को लोकप्रिय बनाने और उन्हें राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय बाजारों से जुड़ने का अवसर देने के लिए भरपूर प्रयास कर रही है। उन्होंने आदिवासियों की ओर से एकत्रित “शहद” का विशेष तौर पर उल्लेख किया और कहा कि उसमें सभी प्राकृतिक औषधीय गुण मौजूद होते हैं। श्री अर्जुन मुंडा ने आदिवासी उत्पादों की एक और विशेषता का उल्लेख किया कि इनका मूल स्रोत जैविक होता है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने आदिवासियों के कौशल को उन्नत बनाने, बेहतर विपणन कौशल और प्रशिक्षण आयोजित करने के लिए योजना बनाई है, ताकि वे अपने उत्पादों का पूरी क्षमता के साथ लाभ उठा सकें। उन्होंने लोगों से महोत्सव में जाने और आदिवासी संस्कृति, व्यंजनों और कलाकृतियों का आनंद लेने की अपील की।

आदि महोत्सव एक वार्षिक कार्यक्रम है, जिसे 2017 में शुरू किया गया था। यह महोत्सव देश भर के आदिवासी समुदायों के समृद्ध और विविधतापूर्ण शिल्प व संस्कृति से लोगों का एक ही स्थान पर परिचय कराने की एक कोशिश है। हालांकि, महामारी के कारण, महोत्सव का 2020 का संस्करण आयोजित नहीं हो सका था।

महोत्सव का विषय “आदिवासी शिल्प, संस्कृति और वाणिज्य के भावना का उत्सव” है, जो जनजातीय जीवन के मूल लोकाचार का प्रतिनिधित्व करता है। पखवाड़े भर चलने वाले इस महोत्सव में आदिवासी हस्तशिल्प, कला, चित्रकारी, कपड़े, आभूषणों की प्रदर्शनी-सह-बिक्री सुविधा होगी और इसे 200 से ज्यादा दुकानों पर प्रदर्शित किया जाएगा। इस महोत्सव में देश भर से लगभग 1000 आदिवासी कारीगर और कलाकार भाग ले रहे हैं।

श्री प्रवीर कृष्ण, प्रबंध निदेशक, ट्राइफेड ने कहा, “छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश (एमपी), ओडिशा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, राजस्थान, गुजरात, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों समेत देश के 20 से अधिक राज्यों के कलाकार और कारीगर इस महा सांस्कृतिक जमावड़े का हिस्सा होंगे और अपनी पारंपरिक कला, शिल्प और संस्कृति का प्रदर्शन करेंगे।”

इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण विभिन्न प्रदर्शित जनजातीय हस्तशिल्प, जनजातीय प्राकृतिक उत्पाद, जनजातीय व्यंजन और संस्कृति है। मध्यप्रदेश की प्रसिद्ध माहेश्वरी साड़ियों से लेकर लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के गर्म ऊनी कपड़ों तक, तमिलनाडु के आदिवासियों द्वारा एकत्रित प्रतिरोधकता बढ़ाने वाले जड़ी-बूटियों और मसालों से लेकर पूर्वोत्तर भारत की विशेष शहद और जैविक उत्पादों तक; प्रतिष्ठित टोडा कढ़ाई से लेकर असम के मोगा रेशम तक और नगालैंड की काली मिट्टी के बर्तन तक; जनजातीय भारत की ओर से पेश किए जाने वाले सबसे अच्छे नमूनों को देख सकते हैं। यह महोत्सव एक जगह पर एक छत के नीचे जुटने वाला लघु भारत है!

देश के विभिन्न हिस्सों से आदिवासी व्यंजनों जैसे झारखंड से दाल पीठा, धोस्का, छिलका रोटी, महाराष्ट्र से गुरूडी, ज्वार पापड़ और महालपट्टा और तमिलनाडु से समई उरुंदई, रागी काली और थेनई चावल और नगालैंड के पोर्क से बने उत्कृष्ट आदिवासी व्यंजनों का आनंद लेते हुए, देश के विभिन्न हिस्सों से आए आदिवासियों की ओर से पेश मनमोहक कार्यक्रमों को देख सकते हैं। महोत्सव का मुख्य जोर आदिवासी सांस्कृतिक विविधता को उसके उत्पादों, हस्तशिल्पों और कला के माध्यम से प्रदर्शित करना है, जिन्हें पहले कभी नहीं देखा गया है।

वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण पर पीएम के जोर के साथ, महोत्सव का उद्देश्य भारतीय समाज के इस सबसे वंचित वर्ग की समृद्ध कलाकृतियों और परंपराओं को सामने लाना और उन्हें बड़े बाजारों तक पहुंच बनाने में मदद करना है।

ट्राइफेड, आदिवासी सशक्तिकरण की दिशा में काम करने वाली नोडल एजेंसी के रूप में, कई प्रयास कर रहा है, जो आदिवासी लोगों की जीवन शैली और परंपरा को सरंक्षित करते हुए उनकी आय और आजीविका को बेहतर बनाने में मदद कर रहा है। आदि महोत्सव ऐसी ही एक पहल है, जो इन समुदायों के आर्थिक कल्याण को सक्षम बनाने और उन्हें मुख्यधारा के विकास के नजदीक लाने में मदद करती है।

 

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