प्रधानमंत्री कार्यालय
हम इतिहास की गलतियों को सुधार रहे हैं जो योग्य नेताओं और योद्धाओं का सम्मान नहीं करते : प्रधानमंत्री
भारत का इतिहास केवल औपनिवेशिक शक्तियों या औपनिवेशिक मानसिकता वाले लोगों द्वारा लिखा गया इतिहास नहीं है : प्रधानमंत्री
Posted On:
16 FEB 2021 2:23PM by PIB Delhi
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि हम देश की आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं और ऐसे में उन ऐतिहासिक नायकों एवं नायिकाओं के योगदान को याद करना कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है जिन्होंने देश के लिए बड़ा योगदान दिया है। उन्होंने इस तथ्य पर अफसोस जताया कि जिन लोगों ने भारत और भारतीयता के लिए अपना बलिदान दिया उन्हें इतिहास की किताबों में उचित स्थान नहीं दिया गया है। भारतीय इतिहास के लेखकों द्वारा भारतीय इतिहास के निर्माताओं के खिलाफ इन अनियमितताओं और अन्याय को अब ठीक किया जा रहा है क्योंकि हम अपनी स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस मोड़ पर उनके योगदान को याद रखना कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। प्रधानमंत्री आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उत्तर प्रदेश के बहराइच में महाराजा सुहेलदेव स्मारक और चितौरा झील के विकास कार्य की आधारशिला रखने के बाद बोल रहे थे।
प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि भारत का इतिहास केवल औपनिवेशिक शक्तियों या औपनिवेशिक मानसिकता वाले लोगों द्वारा लिखा गया इतिहास नहीं है। भारतीय इतिहास वह है जिसे आम लोगों ने अपने लोकगीतों में पोषित किया है और जिसे पीढ़ियों द्वारा आगे बढ़ाया है।
प्रधानमंत्री ने पूछा कि क्या आजाद हिंद सरकार के पहले प्रधानमंत्री नेताजी सुभाष चंद्र बोस को वह स्थान दिया गया है जिसके वे हकदार हैं। श्री मोदी ने कहा कि हमने लाल किले से लेकर अंडमान निकोबार तक नेताजी की पहचान को मजबूती देते हुए उन्हें सम्मानित किया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इसी प्रकार 500 से अधिक रियासतों को एकीकृत करने वाले सरदार पटेल के साथ जो सलूक किया गया वह भी जगजाहिर है। आज स्टैच्यू ऑफ यूनिटी दुनिया की सबसे ऊंची सरदार पटेल की प्रतिमा है।
संविधान के प्रमुख निर्माता और शोषित, वंचित एवं दलितों की आवाज को आगे बढाने वाले बाबा साहेब अंबेडकर को हमेशा राजनीतिक चश्मे से देखा जाता रहा है। आज भारत से लेकर इंग्लैंड तक डॉ. अंबेडकर से जुड़े सभी स्थानों को पंचतीर्थ के रूप में विकसित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने पूछा, 'ऐसे असंख्य व्यक्तित्व हैं जिन्हें विभिन्न कारणों से मान्यता नहीं मिली। क्या हम भूल सकते हैं कि चौरी-चौरा के बहादुरों के साथ क्या हुआ था?'
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीयता की रक्षा के लिए महाराजा सुहेलदेव के योगदान को भी अनदेखा किया गया। महाराज सुहेलदेव को पाठ्यपुस्तकों द्वारा अनदेखा किए जाने के बावजूद अवध, तराई और पूर्वांचल के लोकगीतों ने लोगों के दिलों में जीवित रखा है। प्रधानमंत्री ने उनके योगदान को एक संवेदनशील और विकासोन्मुख शासक के रूप में याद किया।
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