शिक्षा मंत्रालय

‘अंतर्राष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस’ पर वेबिनार


उप राष्ट्रपति ने ‘अंतर्राष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस’ के अवसर पर वेबिनार का किया शुभारम्भ

मातृ भाषा में प्राथमिक शिक्षा से बच्चों के आत्म सम्मान और रचनात्मकता को बढ़ावा मिल सकता है : उप राष्ट्रपति

मातृ भाषा में शिक्षा से बच्चों का समग्र विकास होना चाहिए : केन्द्रीय शिक्षा मंत्री

Posted On: 21 FEB 2021 5:27PM by PIB Delhi

उप राष्ट्रपति श्री वेंकैया नायडू ने आज ‘अंतर्राष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस’ के अवसर पर वेबिनार का शुभारम्भ किया। ‘शिक्षा और समाज में समावेशन के लिए बहुभाषावाद को प्रोत्साहन’ पर वेबिनार को शिक्षा मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय और आईजीएनसीए द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जा रहा है। उप राष्ट्रपति ने अंतर्राष्ट्रीय वर्चुअल सुलेख प्रदर्शनी का भी शुभारम्भ किया। इस अवसर पर शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, संस्कृति राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रह्लाद सिंह पटेल; शिक्षा राज्य मंत्री श्री संजय धोत्रे और सदस्य सचिव, आईजीएनसीए डॉ. सच्चिदानंद जोशी भी वर्चुअल माध्यम से उपस्थित रहे। सभी वक्ताओं ने मातृ भाषा के महत्व और उसके संरक्षण पर विस्तार से बात की, जो हमारी भावी पीढ़ियों के लिए एक खजाना होगी।

उप राष्ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू ने आज मातृ भाषा को कम से कम ग्रेड 5 तक निर्देश का प्राथमिक माध्यम बनाने का आह्वान किया। उन्होंने सुझाव दिया कि एक बच्चे को एक ऐसी भाषा जो उसने कभी बोली न हो, में शिक्षा देने से विशेष रूप से प्राथमिक स्तर पर शिक्षा में एक बड़ी बाधा हो सकता है। कई अध्ययनों का उल्लेख करते हुए श्री नायडू ने कहा कि शिक्षा के शुरुआती चरण में मातृ भाषा के माध्यम से शिक्षा देने से बच्चे के आत्म-सम्मान में इजाफा हो सकता है और उसकी रचनात्मक भी बढ़ सकती है। नई शिक्षा नीति को एक दूरदर्शी और प्रगतिशील दस्तावेज बताते हुए उन्होंने नीति को पूर्ण रूप से लागू करने का अनुरोध किया।

उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए उप राष्ट्रपति ने मातृ भाषा के उपयोग को प्रोत्साहन देने के लिए पांच प्रमुख क्षेत्रों पर जोर दिया। प्राथमिक शिक्षा में मातृ भाषा के उपयोग पर जोर देने के अलावा, प्रशासन, अदालत की कार्यवाही और उनसे जुड़े फैसलों में स्थानीय भाषाओं के उपयोग पर भी प्रकाश डाला गया। वह उच्च और तकनीकी शिक्षा में स्वदेशी भाषाओं के उपयोग में धीरे-धीरे बढ़ोतरी भी चाहते हैं। इसके साथ ही हर किसी को अपने घरों में मातृ भाषा के उपयोग पर गर्व करना चाहिए और प्राथमिकता देनी चाहिए।

श्री वेंकैया नायडू ने कहा कि सैकड़ों भाषाओं के सह अस्तित्व के साथ भाषाई विविधता हमारी प्राचीन सभ्यता के केंद्र में रही है। मातृ भाषा में लोगों के बीच भावनात्मक लगाव पैदा करने की क्षमताओं को देखते हुए श्री नायडू ने उसे ‘हमारी सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान का अहम लिंक’, ‘हमारे सामूहिक ज्ञान और बुद्धिमत्ता का भंडार’ बताया और इसलिए इसे सुरक्षित, संरक्षित और प्रोत्साहित किए जाने की जरूरत बताया।

इस अवसर पर, श्री नायडू ने बहुभाषी समाज के लिए सरकार की राष्ट्रीय अनुवाद मिशन, भारतवाणी परियोजना जैसी सरकार की विभिन्न पहलों और एक भारतीय भाषा विश्वविद्यालय (बीबीवी) और भारतीय अनुवाद और व्याख्या संस्थान (आईआईटीटी) के स्थापना के प्रस्ताव की सराहना की।

आखिर में, उप राष्ट्रपति ने दोहराया कि निरंतर उपयोग से ही भाषाएं समृद्ध होती है और हर दिन एक मातृ भाषा दिवस होना चाहिए। उन्होंने मातृ भाषा को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्धता और प्रयास करने व ‘घरों, समुदाय, बैठकों और प्रशासन में खुलकर और आत्म विश्वास से मातृ भाषा में बातचीत पर गर्व करने’ का आह्वान किया।  

इस अवसर पर श्री पोखरियाल निशंक ने कहा कि भाषा का महत्व न सिर्फ राष्ट्रीय एकता में बल्कि देश की संस्कृति की मजबूती में निहित है। उन्होंने कहा, अध्ययन से साबित होता है कि 90 प्रतिशत बच्चों का दिमाग 6 साल तक की उम्र में विकसित होता है और हमारे बच्चों के समग्र विकास के लिए यह आवश्यक है कि ज्ञान मातृ भाषा में हासिल किया जाए।

श्री पोखरियाल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2021 में मातृ भाषाओं के विकास पर अधिकतम ध्यान दिया गया है। सरकार ने अपनी नीति के साथ बहु भाषावाद के प्रोत्साहन पर जोर दिया, जिससे हमारे बच्चे अपने देश की भाषाओं की व्यापक संपदा से परिचित हो सकें। उन्होंने कहा, यह पहली शिक्षा नीति है जो विद्यार्थियों को अपनी पसंद के विषय और भाषा में सशक्त करती है। नीति सिफारिश करती है कि कम से कम कक्षा 5 (विशेष रूप से ग्रेड 8 और उससे आगे तक) तक निर्देश का माध्यम मातृ भाषा/ देशी भाषा/ क्षेत्रीय भाषा होगी। श्री पोखरियाल ने कहा कि यह शिक्षा नीति कई नई पहलों की मांग करती है, जिससे भारत में एक वास्तविक बहुभाषी समाज विकसित करने में मदद मिलेगी।

श्री प्रहलाद ने कहा कि हर मातृ भाषा का अपना एक शब्द, अपना स्वभाव, अपनी अभिव्यक्ति होती हैं। जब हम दूसरी भाषाएं सीखते हैं तो स्वाभाविक रूप से आपके अंदर मातृ भाषा विकसित होती है। जब अपनी मातृ भाषा में बोलते हैं तो हर किसी को जुड़ाव और आत्मीयता महसूस होती है। जिस तरह से संस्कृति हमारे व्यक्तित्व विकास को प्रभावित करती है, उसी तरह से मातृभाषा भी व्यक्ति के विकास मजबूती देती है।

प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए श्री धोत्रे ने कहा कि यूनेस्को द्वारा 1999 में 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस के रूप में घोषणा के क्रम में, 2015 से इस दिन को भव्य रूप से मनाया जाता है, जिसमें देश भर के सभी उच्च शिक्षा संस्थान/ स्कूलों की भागीदारी होती है और वाद-विवाद, गायन, निबंध लेखन और चित्रकला प्रतियोगिता, संगीत और नाटक प्रदर्शन, प्रदर्शनी आदि आयोजित की जाती हैं। श्री धोत्र ने कहा कि इन आयोजनों का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर लोगों द्वारा बोली जाने वाली सभी भाषाओं को संरक्षण और सुरक्षा को बढ़ावा देना तथा भाषाई और सांस्कृतिक जागरूकता व भाषाओं के बहुभाषावाद को प्रोत्साहन देना है। उन्होंने कहा कि सरकार ने सभी भाषाओं को प्रोत्साहन और भारतीय शिक्षा प्रणाली में मातृ भाषा को मजबूती देने के लिए एक सक्रिय रणनीति अपनाई है।

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