वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय

उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव का कहना है किबजट 2021-2022 उद्योग जगत के लिएईज ऑफ डूइंग बिजनेसमें सुधार के उद्देश्य सेविनियामक अनुपालन बोझ (रेगुलेटरी कंप्लायंस बर्डन) को कम करता है

Posted On: 05 FEB 2021 3:33PM by PIB Delhi

वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय के तहत उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी)के सचिव डॉ. गुरुप्रसाद महापात्र ने आज कहा कि बजट 2021-22 में विनियामक अनुपालन बोझ (रेगुलेटरी कंप्लायंस बर्डन) को कम करने के लिए कई उपाय प्रस्तावित किए गए हैं। ये उपाय उद्योग जगत के लिए व्यवसाय करनेऔर नागरिकों के लिए जीवनयापन में आसानी की स्थिति मेंसुधार लायेंगे।

डॉ. गुरुप्रसाद महापात्र ने यहां मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि भारत सरकार ने व्यवसायियों और नागरिकों के लिए विनियामक अनुपालन को कम करने और उसे सरल बनाने की दिशा में निरंतर प्रयासों को अंजामदेने के लिए एक समग्र एवं व्यवस्थित दृष्टिकोणअपनाया है। माननीय प्रधानमंत्री के निर्देशों के अनुरूप यह प्रक्रिया भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्षगांठ के अवसर पर 15 अगस्त 2021 तक पूरी हो सकती है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान नियामक व्यवस्था में सरलीकरण, युक्तिकरण, डिजिटलीकरण और विकेंद्रीकरण लाने के लिए विभिन्न केन्द्रीय मंत्रालयों / विभागों और राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में एक व्यवस्थित अभियानचलाया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) द्वारा 1 जनवरी 2021 को एक नियामक अनुपालन पोर्टल शुरू किया गया है। इस पोर्टल का उद्देश्य सभी केन्द्रीय और राज्य स्तर के अनुपालन के ऑनलाइन भंडार (रिपॉजिटरी) के रूप में कार्य करना और नियामक अनुपालन बोझ को कम करना है।

बजट 2021 -22 में की गई महत्वपूर्ण घोषणाएं

त्वरित विवाद समाधान

बजट 2021-22 ने विवादों के त्वरित समाधान को संभव बनाने के लिए डिजिटलीकरण, फेसलेस विवाद समाधान और सरलीकरण से संबंधित कई पहल की है।

डिजिटलीकरण

  • एनसीएलटी ढांचे को मजबूत किया जाएगा, ई-कोर्ट प्रणाली को लागू किया जाएगा और कर्ज के समाधान के वैकल्पिक तरीकों और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए विशेष रूपरेखा पेश की जाएगी।

फेसलेस विवाद समाधान

  • मुकदमेबाजी को कम करने और छोटे करदाताओं के लिए विवाद समाधान कोगति देने के उद्देश्य सेएक विवाद समाधान समिति गठित करने का प्रस्ताव है। इस प्रस्तावित समिति की प्रक्रिया एक फेसलेस तरीके से संचालित की जाएगी।
  • एक पारदर्शी कर - अपीलीय तंत्र प्रदान करने के उद्देश्य से, आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण को फेसलेस और अधिकार-क्षेत्र से मुक्त बनाने का प्रस्ताव है। एक राष्ट्रीय फेसलेसआयकर  अपीलीय ट्रिब्यूनल सेंटर की स्थापना की जाएगी, जिसमें न्यायाधिकरण और अपीलकर्ता के बीच संपूर्ण संवाद इलेक्ट्रॉनिक तरीके से कियाजायेगा।

सरलीकरण

  • एडवांस रूलिंग्स के लिए प्राधिकरण की व्यवस्थाको एडवांस रूलिंग के लिए एक बोर्ड से बदलने और ऐसे बोर्ड के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करने का प्रावधान रखने का प्रस्ताव है।

निर्यात - आयात की सुव्यवस्थित प्रक्रिया

सीमा शुल्क क्लियरेंस की प्रक्रिया को तेज, लचीला और मानवीय हस्तक्षेप से मुक्त बनाने के लिए कई सुधारात्मक उपायों की शुरूआतकी गयी है और उन्हें लागू किया गया है। इससे निर्यात और आयात के क्लियरेंस में लगने वाले कुल समय और लागत में कमी आई। बजट 2021 में निर्यातकों और आयातकों के लिए अनुपालन में सहजता लाने के उद्देश्य से कई उपायों की घोषणा की गई है।

सेवाओं का समयबद्ध वितरण

  • सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 (धारा 46) में संशोधनों के जरिए माल के आगमन वाले दिन से एक दिन पहले दिन के खत्म होने से पहले प्रवेश के बिलों को दाखिल करने का प्रस्ताव है।
  • कुछ अपवादों को छोड़करजांच पूरी करने के लिए दो साल की एक निश्चित समयावधि निर्धारित करने के उद्देश्य से सीमा शुल्क अधिनियम 1962 में नई धारा 28 बीबी का प्रावधान करने का प्रस्ताव है।

डिजिटलीकरण

  • पेपरलेस प्रोसेसिंग को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से, नोटिस, आदेश आदि जारी करने के लिए एक साझा पोर्टल के उपयोग और उस पोर्टल को व्यापारिक जगत द्वारा सीमा शुल्क के साथसंवाद के लिए एक-बिंदु डिजिटल इंटरफ़ेस के रूप में कार्य करने के लिए मान्यता देने का प्रस्ताव है।

आसान कर अनुपालन

कर रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को आसानबनाकर करदाताओं के बोझ को कम करने की अपनी प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए,बजट 2021 ने विभिन्न उपायों की घोषणा की। आयकर रिटर्न भरने से संबंधित पेश किए गए सरलीकरण के कदम से पूरे भारत में बड़ी संख्या में वरिष्ठ नागरिक लाभान्वित होंगे।

डिजिटलीकरण

  • सूचीबद्ध प्रतिभूतियों से होने वाले पूंजीगत लाभ, लाभांश आय और बैंकों, डाकघर से मिलने वाले ब्याज आदि का विवरण आयकर रिटर्न में पहले से भरा होगा।
  • डिजिटल लेनदेन को प्रोत्साहित करने और अनुपालन संबंधी बोझ को कम करने के उद्देश्य से5 करोड़ रुपये से लेकर 10 करोड़ रुपये तक का अपना 95% लेनदेन डिजिटल रूप से करने वाले लोगों के लिए कर लेखा परीक्षा की सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव है।

सरलीकरण

  • 75 वर्ष या उससे अधिक आयु वाले उन वरिष्ठ नागरिकों को जिनके पास केवल पेंशन और ब्याज के रूप में प्राप्त होने वाली आय है, उन्हें भुगतान योग्य कर की पूर्ण राशि बैंक द्वारा काटे जाने पर आयकर दाखिल करने की जरूरत से छूट देने का प्रस्ताव है।

1 जुलाई, 2017 से वार्षिक खातों के ऑडिट और सुलह के विवरण, स्व-प्रमाणन के आधार पर वार्षिक रिटर्न दाखिल करने और शुद्ध नकद देयता पर ब्याज वसूलने की अनिवार्य आवश्यकता को हटाने का प्रस्ताव है।

प्रतिभूति की तर्कसंगत लेनदेन

  • सेबी अधिनियम, 1992, डिपाजिटरिजअधिनियम, 1996, प्रतिभूति संविदा (विनियमन) अधिनियम, 1956 और सरकारी प्रतिभूति अधिनियम, 2007 के प्रावधानों को एकल प्रतिभूति बाजार संहिता (सिक्योरिटीज मार्केट्स कोड) में समेकित किये जानेका प्रस्ताव है।

कंपनियों के लिए सरलीकृत अनुपालन

बजट 2021 भारत में किसी व्यवसाय को शुरू करने और उसके संचालन को आसान बनाने के लिए डीक्रिमीलाईजेशनऔर सरलीकरण से जुड़े उपायों पर केंद्रित है।

डीक्रिमीलाईजेशन

  • सीमित देयता भागीदारी (एलएलपी) अधिनियम, 2008 का डीक्रिमीलाईजेशन किया जा रहा है।

सरलीकरण

  • दो लाख से अधिक कंपनियों के लिए अनुपालन संबंधी आवश्यकताओं को छोटी कंपनियों की परिभाषा में प्रस्तावित संशोधन - 50 लाख रूपये से लेकर 2 करोड़ रुपये तक की प्रदत्त पूंजी और 2 करोड़ रुपये से 20 करोड़ रुपये तक के कारोबारके लिए सीमा में वृद्धि - के साथ कम किया जाएगा।

आधुनिक प्रौद्योगिकियों का उपयोग

  • आगामी वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान डेटा एनालिटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग से संचालित एमसीए-21 वर्जन 3.0 लॉन्च किया जाएगा। इस वर्जन 3.0 में ई-सिक्यूरिटी, ई -एडजुडीकेशन, ई-कंसल्टेशन और अनुपालन प्रबंधन के लिए अतिरिक्त मॉड्यूल होंगे।

यह उदारीकृत विनियामक व्यवस्था न केवल उत्पादकता, रोजगार और आर्थिक विकास को बढ़ावा देगी बल्कि भारत को विश्वस्तर पर एक पसंदीदा निवेश गंतव्य बनाने के साथ-साथ आत्मनिर्भर  भारत के दृष्टिकोण को भी आगे बढ़ायेगी।

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एमजी/एएम/आर/एसएस


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