रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय

आवश्‍यक प्रमुख प्रारंभिक सामग्री (केएसएम)/ मध्‍य दवा सामग्री और सक्रिय दवा सामग्री (एपीआई) के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए‘पीएलआई’योजना के तहत आवेदनों को मंजूरी दी गई  

Posted On: 22 JAN 2021 1:50PM by PIB Delhi

देश में आवश्यक प्रमुख प्रारंभिक सामग्री (केएसएम)/ मध्य दवा सामग्री और सक्रिय दवा सामग्री (एपीआई) के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए उत्‍पादन आधारित प्रोत्‍साहन (पीएलआई) योजना के तहत निम्‍नलिखित कंपनियों के आवेदनों को मंजूरी दे दी गई है जिन्‍होंने न्‍यूनतम प्रस्‍तावित वार्षिक उत्‍पादन क्षमता से भी अधिक को हासिल कर लेने और निर्धारित मानदंडों को पूरा करने की प्रतिबद्धता व्‍यक्‍त कर दी है:  

 

क्र. सं.

मंजूरी पाने वाली कंपनियों के नाम

संबंधित उत्‍पाद का  नाम

प्रतिबद्ध उत्‍पादन क्षमता  (एमटी में)

प्रतिबद्ध निवेश (करोड़ रुपये में)

1.

मेसर्स अरबिंदो फार्मा लिमिटेड (लिफियस फार्मा प्राइवेट लिमिटेड के मार्फत)

पेनिसिलिन जी

15000

1392

2.

मेसर्स कर्नाटक एंटीबायोटिक्‍स एंड फार्मास्‍युटिकल्‍स लिमिटेड

 

 

 

7 - एसीए

1000

275

3.

मेसर्स अरबिंदो फार्मा लिमिटेड (लिफियस फार्मा प्राइवेट लिमिटेड के मार्फत)

2000

813

4.

मेसर्स अरबिंदो फार्मा लिमिटेड( क्‍यूले फार्मा प्राइवेट लिमिटेड के मार्फत)

 

एरिथ्रोमाइसिन थियोसायनेट   (टीआईओसी)

1600

834

5.

मेसर्स किनवान प्राइवेट लिमिटेड

क्‍लाव्‍यूलैनिक एसिड

300

447.17

 

कपंनियों द्वारा दवाओं के उत्‍पादन के लिए इन संयंत्रों को लगाने पर कुल 3761 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। इससे करीब 3825 रोजगार अवसर पैदा होंगे। इन संयंत्रों में व्‍यावसायिक उत्‍पादन 1 अप्रैल 2023 से शुरू होने की संभावना है। इसके लिए सरकार की ओर से उत्‍पादन आधारित प्रोत्‍साहन योजना के तहत अगले छह वर्षों के दौरान अधिकतम 3600 करोड़ रुपये  दिए जाएंगे। इन संयंत्रों की स्‍थापना हो जाने से बल्‍क ड्रग्‍स के उत्‍पादन के मामले में देश काफी हद तक आत्‍मनिर्भर बन जाएगा।

देश में इन आवश्‍यक बल्‍क ड्रग्‍स यानी प्रमुख प्रारंभिक सामग्री (केएसएम)/ मध्य दवा सामग्री और सक्रिय दवा सामग्री (एपीआई) के आयात पर निर्भरता कम करने और आत्‍मनिर्भरता सुनिश्चित करने के उद्देश्‍य से फार्मास्‍युटिकल्‍स विभाग ने इनके घरेलू उत्‍पादन को बढ़ावा देने के लिए उत्‍पादन आधारित प्रोत्‍साहन योजना शुरू की है। इसके लिए 2020-21 से 2029-30 तक की अवधि में कुल 6940 करोड़ रुपये के परिव्‍यय से चार अलग अलग लक्षित वर्गों  में न्‍यूनतम घरेलू मूल्‍य वर्द्धन के साथ (दो फर्मेन्‍टेशन आधारित - कम से कम 90 प्रतिशत तथा दो केमिकल सिन्‍थेसिस आधारित - कम से कम 70 प्रतिशत ) ग्रीनफील्‍ड यानी नए संयंत्र लगाने की योजना है।

 इस योजना के तहत 30 नवंबर 2020 तक चार अलग अलग लक्षित वर्गों  में आवेदन आंमत्रित किए गए थे। इसमें चार लक्षित वर्गों  में कुल 36 उत्‍पादों के लिए 215 आवेदन प्राप्‍त हुए हैं। दिशानिर्देशों के अनुसार आवेदनों पर 90 दिनों की अवधि के भीतर विचार कर  28 फरवरी 2021 तक इनपर फैसला लेना तय किया गया है।
 लक्षित समूह के पहले वर्ग में चार दवाओं के उत्‍पादन को मंजूरी दी गई है। इसमें पेनिसिलिन जी, 7-एसीए, एरिथ्रोमाइसिन थि‍योसाइनेट (टीआईओसी) और क्‍लाव्‍यूलैनिक एसिड शामिल हैं। फिलहाल देश पूरी तरह से इनके आयात पर निर्भर है। इसलिए इनका चयन प्राथमिकता के आधार पर किया गया।

 बाकी तीन वर्गों के लिए मिले आवेदनों पर अगले 45 दिनों के भीतर फैसला ले लिया जाएगा।

 भारतीय फार्मा उद्योग कुल मात्रा के हिसाब से दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा दवा उद्योग है। अमेरिका और यूरोपीय संघ के देशों जैसी विकसित अर्थव्‍यवस्‍थाओं में इसकी अच्‍छी पैठ है। इसे किफायदी कीमतों वाली दवाओं विशेषकर जेनरिक दवाओं के उत्‍पादन के लिए जाना जाता है। लेकिन आवश्‍यक कच्‍चे माल यानी बल्‍क ड्रग्‍स के लिए देश काफी हद तक आयात पर निर्भर है जिनका उपयोग दवाओं के उत्पादन में किया जाता है।

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