उपभोक्‍ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय

खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने अनाज (चावल, गेहूं, जौ, मक्का और ज्वार), गन्ना, चुकंदर आदि जैसी खाद्य वस्तुओं से पहली पीढ़ी (1जी) के इथेनॉल के लिए देशभर में इथेनॉलउत्पादन क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से संशोधित योजना की अधिसूचना जारी की


खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने सभी राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर इस योजना को बढ़ावा देने का आग्रह किया

Posted On: 14 JAN 2021 7:22PM by PIB Delhi

वर्ष 2025 तक 20 फीसदी के सम्मिश्रण लक्ष्य को हासिल करने के अलावा देश में इथेनॉल उत्पादन क्षमता की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने पूर्व में लागू योजना में कुछ संशोधन किए हैं। खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने अपनी इथेनॉल उत्पादन क्षमता की परियोजना के प्रस्तावकों अथवा अनाज (चावल, गेहूं, जौ, मक्का और ज्वार), गन्ना, चुकंदर जैसी खाद्य वस्तुओं से पहली पीढ़ी (1जी) के इथेनॉल उत्पादन के लिए भट्ठी लगाने वाले लोगों अथवा 14 जनवरी 2021 की अधिसूचना के तहत गुड़ भट्ठियों को दोहरी अनाज भट्ठियों में बदलने वाले लोगों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए इस संशोधित योजना को अधिसूचित किया है। इस योजना के तहत आर्थिक सहायता का लाभ उठाने के लिए चीनी मिल/भट्ठियों/उद्यमियों को अधिसूचना जारी होने के 30 दिन के भीतर निर्धारित प्रारूप में खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) के पोर्टल (https://sugarethanol.nic.in) पर ऑनलाइन माध्यम से एक आवेदन जमा करना होगा।

सभी राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों से आग्रह किया गया है कि वे अपने राज्यों के उद्यमियों तक इस योजना को पहुंचाएं और इस योजना में भाग लेने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करें ताकि सरकार ने जो लक्ष्य तय किया है, उसे निर्धारित समय पर पूरा किया जा सके। डीएफपीडी ने राज्य सरकारों से यह आग्रह भी किया है कि वे अपने यहां उद्यमियों को परियोजना के लिए ज़मीन उपलब्ध कराने, पर्यावरण संबंधी सभी क्लीयरेंस जल्द से जल्द दिलवाने और भट्ठियों को स्थापित करने में उनकी मदद करें। उद्योग संगठनों से भी आग्रह किया गया है कि वे अपने सदस्यों तक इस योजना की जानकारी पहुंचाएं और उन्हें योजना में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें।

इस योजना के तहत, सरकार नई भट्ठी लगाने अथवा वर्तमान भट्ठी का विस्तार करने अथवा गुड़ भट्ठी को दोहरी अनाज भट्ठी में परिवर्तित करने की परियोजना के प्रस्तावकों द्वारा लिए गए ऋण पर एक वर्ष की मोहलत देने के साथ-साथ पांच वर्ष के लिए ब्याज सहायता का बोझ वहन करेगी। इसका निर्धारण प्रतिवर्ष 6 प्रतिशत ब्याज दर या बैंक द्वारा लिए गए ब्‍याज के 50 प्रतिशत में से जो भी कम होगा, उसके आधार पर किया जाएगा। इससे करीब 40,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा। क्षमता विस्तार/नई भट्ठियो में आगामी निवेश से ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार के नए अवसर भी बढ़ेंगे। इथेनॉल के उत्पादन के लिए खाद्य वस्तुओं की पर्याप्त उपलब्धता है और सरकार ने विभिन्न खाद्य वस्तुओं से उत्पन्न इथेनॉल के लाभकारी मूल्यों को भी निर्धारित कर दिया है। इसके अलावा, इथेनॉल के निश्चित खरीदार होने के नाते तेल विपणन कंपनियों ने भी अगले 10 वर्ष तक इन भट्ठियों से इथेनॉल खरीदने के संकेत दिए हैं। ऐसे में आगामी इथेनॉल परियोजनाएं काफी व्यवहार्य प्रतीत हो रही हैं।

इस योजना से न सिर्फ अतिरिक्त चीनी को इथेनॉल में परिवर्तित करने में मदद मिलेगी, बल्कि चावल और गन्ने जैसी फसलों की तुलना में कम पानी की ज़रूरत वाली मक्का/ज्वार जैसी फसलों का उत्पादन करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित भी करेगी। यह योजना विभिन्न खाद्य वस्तुओं से इथेनॉल के उत्पादन को बढ़ाएगी, जिससे पेट्रोल के साथ इथेनॉल के सम्मिश्रण के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी और कच्चे तेल के आयात पर हमारी निर्भरता कम होगी, जिससे हम आत्मनिर्भर भारत के उद्देश्यों को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ेंगे। इससे किसानों की आय भी बढ़ेगी, क्योंकि नई भट्ठियां लगने से न केवल किसानों की फसल की मांग बढ़ेगी, बल्कि किसानों की फसल की बेहतर कीमत भी सुनिश्चित होगी।

गन्ना और इथेनॉल का उत्पादन मुख्य रूप से तीन राज्यों (उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक) में किया जाता है। इन तीन राज्यों से देश के अन्य राज्यों और क्षेत्रों में इथेनॉल को पहुंचाने में काफी ज्यादा परिवहन लागत आती है। नई अनाज आधारित भट्ठियों के आने से देशभर में इथेनॉल का उत्पादन सुनिश्चित होगा, जिससे बड़े स्तर पर परिवहन लागत की बचत होगी। इससे सम्मिश्रण के लक्ष्यों को पूरा करने में होने वाली देरी को भी रोका जा सकेगा और देशभर के किसान लाभान्वित होंगे।

कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने, कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता कम करने, कच्चे तेल के आयात बिल पर विदेशी विनिमय की बचत करने और वायु प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से सरकार ने वर्ष 2022 तक पेट्रोल के साथ इथेनॉल के 10प्रतिशत सम्मिश्रण और 2030 तक 20प्रतिशत सम्मिश्रण का लक्ष्य निर्धारित किया है। ऐसा अनुमान है कि वर्तमान आपूर्ति वर्ष 2020-21 में 8.5 प्रतिशत के सम्मिश्रण स्तर तक पहुंचने के लिए तेल विपणन कंपनियों को करीब 325 करोड़ लीटर इथेनॉल की आपूर्ति की जाएगी। वर्ष 2022 तक हम 400 करोड़ लीटर इथेनॉल की आपूर्ति के साथ 10 प्रतिशत सम्मिश्रण के लक्ष्य को हासिल कर लेंगे।

चीनी क्षेत्र की सहायता और गन्ना किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए सरकार ने बी-भारी शीरा (गुड़रस), गन्ने का रस, चीनी सिरप और चीनी से भी इथेनॉल के उत्पादन को मंज़ूरी दी है। सरकार इथेनॉल के सीज़न में सी-भारी शीरा (गुड़रस), बी-भारी शीरा (गुड़रस), गन्ने के रस, चीनी सिरप से उत्पन्न होने वाले इथेनॉल के लिए एक लाभकारी कीमत भी निर्धारित कर रही है। ईंधन के लिए आवश्यक इथेनॉल के उत्पादन को बढ़ाने के लिए सरकार भट्ठियों को प्रोत्साहित कर रही है कि वे भारतीय खाद्य निगम के पास उपलब्ध मक्का, ज्वार और चावल से इथेनॉल का उत्पादन करें।

अब पेट्रोल के साथ इथेनॉल के 20 प्रतिशत सम्मिश्रण के लक्ष्य को समय से पहले 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य प्रस्तावित किया गया है। 20 प्रतिशत सम्मिश्रण के लक्ष्य को हासिल करने और रसायन एवं अन्य क्षेत्रों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए 1200 करोड़ लीटर एल्कोहल/इथेनॉल की ज़रूरत होगी, जिसमें से 900 करोड़ इथेनॉल की ज़रूरत 20 प्रतिशत सम्मिश्रण के लक्ष्य को पूरा करने के लिए और 300 करोड़ इथेनॉल की ज़रूरत रसायन और अन्य क्षेत्रों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए होगी। कुल 1200 करोड़ लीटर में से 700 करोड़ लीटर इथेनॉल की आपूर्ति चीनी उद्योग से होने की आवश्यकता है, जबकि अन्य 500 करोड़ लीटर की आपूर्ति अन्य खाद्य वस्तुओं से निर्मित इथेनॉल से होनी है। चीनी उद्योग से 700 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन करने के लिए करीब 60 लाख मीट्रिक टन अतिरिक्त चीनी को इथेनॉल उत्पादन के लिए इस्तेमाल करने की ज़रूरत होगी, जिससे अतिरिक्त चीनी के प्रबंधन और उसकी देख-रेख की समस्या भी खत्म होगी, अतिरिक्त चीनी के भंडारण की समस्या से राहत मिलेगी और चीनी मिलों के राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी, जिससे चीनी मिल मालिक, गन्ना किसानों के लंबित भुगतान को समय पर कर पाने में सक्षम होंगे। चीनी मिल और अन्य संबंधित क्षेत्र पर करीब 5 करोड़ गन्ना किसान एवं उनका परिवार और 5 लाख कर्मचारी आश्रित हैं। सरकार की इस नई योजना से इन सभी को फायदा होगा। खाद्य वस्तुओं से 500 करोड़ लीटर इथेनॉल/एल्कोहल के उत्पादन में करीब 125 एमएमटी खाद्य वस्तुओं का उपयोग होगा, अतिरिक्त खाद्य वस्तुओं के उपभोग से निश्चित ही किसानों को फायदा होगा क्योंकि इससे किसानों को उनके अनाज की बेहतर कीमत और निश्चित खरीदार मिल जाएगा। इससे वास्तव में देश के किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी।

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