श्रम और रोजगार मंत्रालय

वर्षांत समीक्षा-2020: श्रम एवं रोजगार मंत्रालय


देश भर में ईपीएफओ कार्यालयों ने 31.10.2020 तक 47.58 लाख रुपये कोविड-19 अग्रिम दावों का भुगतान किया

नियोक्ताओं को कोविड-19 के दौरान अंशदान और रिटर्न भरने और जमा करने में छूट

नए रोजगार सृजन के लिए नियोक्ताओं को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य के साथ प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना (पीएमआरपीवाई) की शुरुआत

Posted On: 08 JAN 2021 5:32PM by PIB Delhi

वर्षांत समीक्षा-2020

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ सभी श्रमिकों के लिए सुरक्षा, संरक्षा और स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए श्रम कानूनों में बड़े सुधारों की शुरुआत की है। कोविड-19 के मुश्किल समय के दौरान ईपीएफओ क्लेम की पूरी प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए ई-गवर्नेंस के कई उपायों को लाया गया था और उसी के साथ रोजगार के नए अवसरों को सृजित करने के लिए नियोक्ताओं को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना (पीएमआरपीवाई) की शुरुआत की गई।

कर्मचारी केंद्रित प्रयास

बेहतर सेवा वितरण के लिए एकीकृत पोर्टल पर नई सुविधाएं: - एकीकृत पोर्टल में, अब सदस्य अपने क्लेम फॉर्म को देख और उसका पीडीएफ डाउनलोड कर सकते हैं। इसके अलावा, सदस्य अपनी नौकरी छोड़ने की तारीख भी खुद ही दर्ज कर सकते हैं, जो नियोक्ताओं पर निर्भरता को घटाने वाला है। जिन सदस्यों के आधार गलत यूएएन से जुड़ गए थे, उनकी शिकायतें दूर करने के लिए एफओ इंटरफेस पर सत्यापित आधार से आधार डिलिंकिंग की सुविधा दी गई है।

विशेष कोविड-19 अग्रिम -पीएमजीकेवाई योजना के हिस्से के रूप में, पैरा-68एल के तहत, उन ईपीएफ सदस्यों के लिए ईपीएफ अकाउंट से गैर-वापसी योग्य अग्रिम के लिए प्रावधान किया गया था, जो ऐसे किसी क्षेत्र में स्थित कारखाने या संस्थान में कार्यरत थे, जिसे उपयुक्त सरकार द्वारा बीमारी या महामारी प्रभावित घोषित किया गया है। देश भर में ईपीएफओ कार्यालयों ने 31.10.2020 तक 47.58 लाख कोविड-19 अग्रिम क्लेम के मामले निपटाए और12,220.26 करोड़ रुपये वितरित किए। 01.04.2020के बाद से, ईपीएफओ कार्यालयों ने31.10.2020 तक कुल 149.31 लाख अंतिम भुगतानऔर अग्रिम क्लेम के मामले निपटाए और पीएफ सदस्यों को कुल 55,900.88 करोड़ रुपये वितरित किए। इसमें छूट पाने वाले प्रतिष्ठानों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और 31.10.2020 तक अपने सदस्यों को कोविड-19 के 3,89,178 अग्रिम क्लेम का निपटारा करते हुए अपने सदस्यों को 3782.83 करोड़ रुपये वितरित किए। कार्यालयों में 50 प्रतिशत से कम कर्मचारियों की तैनाती होने के बावजूद कोविड-19क्लेम का 72 घंटे के भीतर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए स्वचालित आधार पर (ऑटो-सेटलमेंट मोड) और अलग-अलग जगहों से (मल्टी-लोकेशन) क्लेम के निपटारे जैसे नए उपायों को रातोंरात अपनाया गया। महामारी और इसके चलते घोषित लॉकडाउन की गंभीर चुनौतियों के बावजूद क्लेम के निपटान में 87 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।

ईपीएफ सदस्यों के अग्रिम आवेदनों के लिए स्वचालित आधार पर क्लेम का निपटारा: ईपीएफओ ने न्यूनतम मानव हस्तक्षेप के साथ अग्रिम का स्वचालित आधार पर भुगतान करने के लिए प्रणाली-आधारित प्रक्रिया को बनाया और तैनात किया है। कोविड महामारी से लड़ने के लिए क्लेम के अग्रिम भुगतान के बारे में फैसला होने के 24 घंटे के भीतर इस सुविधा को बनाया और लगाया गया था। इसने एक ओर सदस्यों को त्वरित और निर्बाध सेवा उपलब्ध कराईऔर दूसरी ओर ईपीएफओ के कर्मचारियों की स्वास्थ्य और सुरक्षा को भी सुनिश्चित किया।

सदस्यों के क्लेम में तेजी के लिए अलग-अलग जगहों से क्लेम का निपटारा:देश में सेवा वितरण के एक समान मानकों और कोविड-19 महामारी के दौरान अपने कार्यबल के सदुपयोग को सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, ईपीएफओ ने एक बड़ा बदलाव करते हुए पूरे देश में किसी भी क्षेत्रीय कार्यालय से ऑनलाइन क्लेम को निपटाने की सुविधा शुरू की है। इस महत्वपूर्ण पहल के तहत सभी तरह के ऑनलाइन क्लेम का निपटारा किया जा सकता है। इसके अलावा, किसी भी जगह से क्लेम के निपटारे की सुविधा बगैर किसी इंसानी दखल के क्लेम निपटाने की प्रक्रिया लाने के व्यापक उद्देश्यों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, ताकि प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया विजन के अनुरूप अधिकतम स्तर की पारदर्शिता, दक्षता, सदस्य की शिकायतों में कमी और ऑनलाइन क्लेम को तेजी से निपटाने की व्यवस्था बनाई जा सके। इस व्यवस्था ने हमारे कामकाज को आपदा से सुरक्षित बनाया है, क्योंकि ग्राहकों को बिना किसी रूकावट के सेवा देने के लिए अब आपदा प्रभावित क्षेत्रके काम के दबाव को गैर-प्रभावित क्षेत्रों को सौंपा जा सकता है।

कोविड-19 महामारी के दौरान ईपीएफओ ने उमंग के माध्यम सेबाधामुक्त सेवा वितरण सुनिश्चित किया:यूनिफाइड मोबाइल एप्लीकेशन फॉर न्यू-एज गवर्नेंस (उमंग) ग्राहकों के बीच बहुत ज्यादा लोकप्रिय हुआ, जिसने उन्हें कोविड-19 महामारी के दौरान अपने घरों पर रहते हुए आराम से बगैर किसी बाधा के सेवाओं का उपयोग करने में सक्षम बनाया है। अप्रैल से सितंबर 2020 तक की अवधि के दौरान उमंग ऐप के माध्यम से कुल 19.20 लाख क्लेम दाखिल किए गए थे। यह अक्टूबर 2019 से मार्च 2020 तक की कोविड-19 के पहले की अवधि की तुलना में 274 प्रतिशत की बढ़ोतरी थी, जब ऐप के माध्यम से सिर्फ 5.14 लाख क्लेम दाखिल किए गए थे। अपना स्वयं का ऐप विकसित करने के बजाए लागत घटाने और केंद्रीकृत सेवाओं की सुविधा को बढ़ाने के लिए ईपीएफओ उमंग में शामिल हो गया था। ईपीएफओ सेवाएं उमंग ऐप पर सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली सेवा है। उमंग एप पर अप्रैल 2020 से सितंबर 2020 तक कुल जितने हिट्स आए थे, उनमें ईपीएफओ सेवाओं का हिस्सा 88 प्रतिशत था। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि ईपीएफओ ने उमंग ऐप की सफलता को ताकत दी है।

ग्राहकों काकेवाईसी अपडेशन - ईपीएफओ की ऑनलाइन सेवाओं का लाभ लेने के लिए नो योर कस्टमर’ (अपने ग्राहक को जानिए) (केवाईसी) को पूरी तरह से भरना अनिवार्य है। केवाईसी ने सदस्यों की पहचान करने और कर्मचारियों की मध्यता को घटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ऑनलाइन सेवाओं की उपलब्धता और पहुंच बढ़ाने के लिए, जो कोविड-19 महामारी के मद्देनजर महत्वपूर्ण हो गए हैं, ईपीएफओ अपने ग्राहकों के केवाईसी अपडेशन पर विशेष ध्यान दे रहा है। इसने क्लेम के भुगतान, ईपीएफ की अग्रिम निकासी, पीएफ ट्रांसफर और पेंशन मामलों के निस्तारण में लगने वाले समय को घटा करके सेवाओं को उपलब्ध कराने में गुणात्मक और मात्रात्मक दोनों ही रूप में ईपीएफओ की सहायता की है। 01.04.2020 के बाद से, ईपीएफओ कार्यालयों ने 31.07.2020 तक101.98 लाख ग्राहकों के लिए आधार सीडिंग (आधार नंबर जोड़ना), 59.09 लाख ग्राहकों के लिए मोबाइल सीडिंग (यूएएन को चालू करना) और 53.07 लाख ग्राहकों के लिए बैंक खाता सीडिंग (पीएफ अकाउंट से बैंक खाता नंबर को जोड़ना) को सुनिश्चित किया है।

जन्मतिथि संशोधन की प्रक्रिया में बदलाव - कोविड-19 महामारी के मद्देनजर ऑनलाइन सेवाओं की उपलब्धता और पहुंच बढ़ाने के लिए, ईपीएफओ ने अपने क्षेत्र कार्यालयों को पीएफ सदस्यों को ईपीएफओ के दस्तावेजों में अपनी जन्मतिथि को सुधारने की सुविधा देने के लिए संशोधित निर्देश जारी किया, ताकि सुनिश्चित हो सके कि उनके यूएएन की केवाईसी का काम पूरा हो चुका है। जन्मतिथि में किसी भी बदलाव के लिए अब आधार में दर्ज जन्मतिथि को ही जन्मतिथि के वैध दस्तावेज माना जाएगा, बशर्ते जन्मतिथि में सिर्फ तीन साल से कम का ही अंतर हो। पीएफ ग्राहक जन्मतिथि में बदलाव के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। यह ईपीएफओ को सदस्यों की जन्मतिथि को यूआईडीएआई के साथ तुरंत सत्यापित करने में सक्षम बनाएगा, इससे संशोधन से जुड़े आवेदनों के निपटारे का समय घटेगा।

पेंशन भुगतान आदेश (पीपीओ) और डिजिलॉकर पर यूएएन कार्ड की उपलब्धता: वर्ष 2017 के बाद से जारी किए गए पीपीओ और यूएएन कार्ड डिजीलॉकर पर उपलब्ध कराए गए हैं, जो दस्तावेजों और प्रमाणपत्रों को ऑनलाइन रखने, साझा करने और सत्यापन के लिए भारत सरकार की ओर से बनाया गया एक क्लाउड आधारित प्लेटफॉर्म है। यह कदम बड़ी संख्या में पेंशनभोगियों और पीएफ सदस्यों को अपने दस्तावेजो को डाउनलोड करने और समय पर लाभ उठाने में सक्षम बनाएगा।

कोविड-19महामारी के दौरान पेंशन का वितरण- ईपीएफओ ने सुनिश्चित किया किअभी जारी महामारी के बावजूद कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस)-1995 के तहत 67 लाख से ज्यादा पेंशनभोगियोंको हर महीने की पहली तारीख को नियमित रूप से मासिक भुगतान मिल सके,जिनमें ज्यादातर वरिष्ठ नागरिक, महिलाएं, बच्चे और अनाथ शामिल हैं। हाल ही शुरू की गईप्रयास पहल के तहत, ईपीएफओ के बहुत से क्षेत्र कार्यालय ईपीएस-1995के सदस्यों को उनकी सेवानिवृत्ति के दिन ही पीपीओ सौंप रहे हैं।

रूपांतरित पेंशन (कम्युटेड पेंशन) की बहाली- सीबीटी की सिफारिश पर, भारत सरकार ने 15 साल के बाद पेंशन के रूपांतरित मूल्य की बहाली को मंजूरी देनास्वीकार कर लिया है। सितंबर 2020 तक, ईपीएफओ ने पेंशन के रूपांतरित मूल्य कीबहाली के मद में157.13 करोड़ रुपये जारी किए हैं।

ईपीएफओ ने पेंशनभोगियों की ओर से जीवन प्रमाण जमा करने में सीएससी नेटवर्क का लाभ लिया-कोने-कोने तक पहुंच रखने वाले 3.65 लाख से अधिक कॉमन सर्विसेज सेंटर्स (सीएससी) के नेटवर्क का लाभ लेते हुए, ईपीएफओ ने अपने 67 लाख पेंशनरों को, अपने आवास के करीब डिजिटल जीवन प्रमाण जमा करने की सुविधा दी है। सीएससी केंद्रों के अलावा, ईपीएस पेंशनभोगी 138 क्षेत्र कार्यालयों और 117 जिला कार्यालयों और पेंशन वितरित करने वाले बैंकों के माध्यम से भी जीवन प्रमाण पत्र जमा कर सकते हैं। ईपीएफओ ओर से अपनाया गया यह बहु-एजेंसी मॉडल ईपीएस पेंशनभोगियों को अपनी सुविधा के हिसाब से सेवा देने वाली एजेंसी चुनने में विकल्प और स्वायत्तता देते हुए उन्हें सशक्त बनाता है।

उमंग ऐप पर ईपीएस-1995 के तहत योजना प्रमाणपत्र के लिए आवेदन करें:ईपीएफओ सदस्यों को कर्मचारी पेंशन योजना, 1995 के तहत उमंग ऐप के माध्यम से आवेदन करने में सक्षम बनाने के लिए एक नई सुविधा की शुरुआत की गई थी। योजना प्रमाणपत्र के लिए उमंग ऐप के माध्यम से आवेदन करने में आसानी अब सदस्यों को इसके लिए दस्तावेजों के जरिए आवेदन करने में होने वाली अनावश्यक परेशानियों से बचने में, खासकर कोविड-19 महामारी के समय, मदद करेगी। यह सुविधा 5.89 से अधिक ग्राहकों को लाभ पहुंचाएगी।

नियोक्ता केंद्रित पहल

जम्मू-कश्मीर भविष्य निधि के आंकड़ों का ईपीएफओ के डेटाबेस के साथ एकीकरण: पूर्ववर्ती जम्मू और कश्मीर प्रोविडेंट फंड संगठन से जुड़े आंकड़ों को सफलतापूर्वक हस्तांतरित करके ईपीएफओ के डेटाबेस से मिला दिया गया था। इस बाधारहित एकीकरण ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों के नियोक्ताओं को अपने मासिक रिटर्न दाखिल करने में सक्षम बनाया है और इन केंद्र शासित प्रदेशों के श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित की है। इसके अलावा, इस काम को सफलता के साथ लागू करने के लिए, ईपीएफओ अधिकारियों और नियोक्ताओं को बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण भी दिया गया है।

पीएमजीकेवाई के तहत ईपीएफ राहत पैकेज को लागू करने के उपाय:पीएमजीकेवाई के तहत राहत पैकेज के एक हिस्से के तौर पर, भारत सरकार ने कुछ शर्तों के साथ मासिक वेतन के 24 प्रतिशत हिस्से को ईपीएफ खातों में भुगतान करने का प्रस्ताव रखा है। इस पैकेज के तहत 30.09.2020 तक आधार से जुड़े यूएएन के लिए 2,570 करोड़ रुपये जमा किए गए हैं, जिसमें 2,81,939संस्थानों के 44,69,662  कर्मचारी शामिल हैं। उपरोक्त पैकेज को लागू करने के लिए अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू) सहित विस्तृत दिशानिर्देशों का ईपीएफओ की वेबसाइट, प्रेस विज्ञप्ति, वेबिनार, नियोक्ताओं को एसएमएस और ईपीएफओ के फेसबुक व ट्विटर हैंडल के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसारकिया गया था। लॉकडाउन के बाद से, ईपीएफओ कार्यालयों ने पीएमजीकेवाई के लाभों सहित विभिन्न सेवाओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियों का प्रचार-प्रसार करने के लिए 81,120 हितधारकों के साथ 8,585 वेबिनार आयोजित किए हैं।

वेतन माह मार्च 2020 के लिए अंशदान के भुगतान की अंतिम तारीख का विस्तार: कोविड-19 महामारी और उसके बाद लॉकडाउन के चलते बनी अभूतपूर्व स्थिति को देखते हुए, उन संस्थानों के नियोक्ताओं को ईसीआर भरने के लिए 30 दिनों का अतिरिक्त समय (16.04.2020 से 15.05.2020 तक) देने का फैसला किया गया था, जिन्होंने मार्च, 2020 के लिए वेतन बांटा था। इसने नगदी की कमी का सामना करने वाले नियोक्ताओं को बहुत जरूरी राहत दी थी।

अंशदान की दर में कटौती: आत्मनिर्भर पैकेज के हिस्से के रूप में केंद्र सरकार द्वारा 13.05.2020को ईपीएफ और एमपी अधिनियम, 1952 के दायरे में आने वाली सभी श्रेणी के संगठनों के लिए मई, जून और जुलाई 2020 के लिए अंशदान की वैधानिक दर को 12% से घटाकर 10% करने की घोषणा की गई थी, जिसे 18.05.2020 को जारी आदेश एसओ 1513 () के जरिए अधिसूचित किया गया है। ईपीएफ अंशदान की दर में कटौती से6.5 लाख प्रतिष्ठानों के 4.3करोड़ कर्मचारियों और नियोक्ताओं को नगदी के तत्काल संकट से कुछ हद तक निपटने में मदद मिलने की उम्मीद है।

इलेक्ट्रॉनिक चालान-सह-रसीद (ईसीआर) को जमा करने को सरल बनाया गया - वर्तमान लॉकडाउन के तहत नियोक्ताओं के सामने आ रहीकठिनाइयोंको देखते हुए और ईपीएफ अधिनियम के तहत अनुपालन सरल बनाने के लिए, मासिक ईसीआर जमा करने को ईसीआर में दर्ज वैधानिक अंशदान के भुगतान से अलग कर दिया गया है। अब कोई भी नियोक्ता ईसीआर भर सकता है, जिसके साथ-साथ अंशदान का भुगतान करने की जरूरत नहीं है, ईसीआर भरने के बाद में उसका भुगतान किया जा सकता है। भुगतान से रिटर्न के अलगाव ने नियोक्ताओं को ईपीएफ को लेकर केंद्र सरकार 24% अंशदान का लाभ उठाने की सुविधा दी है।

संगठनों को दंडात्मक क्षतिपूर्ति से राहत: लॉकडाउन के दौरान अंशदान या प्रशासनिक शुल्क के समय पर जमा करने में संगठनों को होने वाली परेशानियों को देखते हुए, यह निर्णय लिया गया है कि परिचालन या आर्थिक कारणों से होने वाली किसी देरी कोडिफॉल्ट नहीं माना जाएगा और ऐसी देरी के लिए कोई दंडात्मक शुल्क नहीं लगाया जाएगा।

नियोक्ता के डीएससी/अधिकृत हस्ताक्षरकर्ताओं के ई-साइन का पंजीकरण: नियोक्ता के अधिकृत हस्ताक्षरकर्ताओं द्वारा ईपीएफओ पोर्टल पर डिजिटल हस्ताक्षर (डीएससी) या आधार सत्यापित ई-साइन (इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर) के माध्यम से केवाईसी के सत्यापन, स्थानांतरण क्लेम के सत्यापन इत्यादि जैसे कई महत्वपूर्ण कार्य किए जाते हैं। डीएससी/-साइन का उपयोग करने के लिए, क्षेत्रीय कार्यालयों से एक बार अनुमोदन होना जरूरी है। मौजूदा स्थितियों को देखते हुए, ईपीएफओ ने ईमेल के माध्यम से भी ऐसे अनुरोधों को स्वीकार करने का फैसला किया था। इस सुविधा ने महामारी से प्रतिकूल रूप से प्रभावित नियोक्ताओं और ईपीएफ सदस्यों को अतिरिक्त अधिक राहत प्रदान की है।

पारदर्शी एवं निष्पक्ष अनुपालन प्रणाली सुनिश्चित करना: ईपीएफओ के अनुपालन तंत्र में कामकाज की सरलता, पारदर्शिता और निष्पक्षता बढ़ाने के उद्देश्य से माननीय अध्यक्ष, सीबीटी और राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), श्रम एवं रोजगार द्वारा ई-निरीक्षण को शुरू किया गया था। यह गैर-इरादतन होने वालों के लिए अनुपालन की लागत को घटाता है, क्योंकि यह नियोक्ताओं को या तो सहायक दस्तावेजों के साथ अपने व्यवसाय को बंद करने की घोषणा की अनुमति देता है या कारण बताते हुए डिफाल्ट में शामिल राशि की जानकारी और बिना भुगतान वाली राशि माफ करने का प्रस्ताव पेश करने की छूट देता है। शुरुआत में, आगरा और करनाल के दो क्षेत्रीय कार्यालयों में एक पायलट परियोजना को सफलतापूर्वक चलाया गया था। अब, ऐसे 30552 संस्थानों के नियोक्ताओं के लॉगिन में ई-निरीक्षण फॉर्म को लगाया जा चुका है, जिन्होंने जनवरी, 2020 तक की वेतन अवधि के दौरान 07 से 12 महीने तक ईसीआर जमा नहीं किया है। यह सुनिश्चित किया गया है कि ई-निरीक्षण नोटिस में महामारी या लॉक-डाउन की अवधि शामिल न रहे। ई-निरीक्षण सुविधा के माध्यम से, संस्थानों की स्थिति और बगैर भुगतान वाली राशि की जानकारी ईपीएफओ के लिए उपलब्ध रहेगी और नियोक्ताओं से मिली प्रतिक्रिया की प्रकृति के आधार पर आगे सुनिश्चितअनुपालन की कार्रवाई की जा सकती है। आरओ (क्षेत्रीय कार्यालयों) को निर्देश दिया गया है कि वे इस सुविधा का उपयोग करने में नियोक्ताओं, खास तौर पर छोटे कारोबारियों, की मदद करें, क्योंकि ऐसे कार्य क्षेत्रों में पेशेवर सहायता की कमी होती है।

अर्ध-न्यायिक मामलों के लिए वर्चुअल सुनवाई की सुविधा:09.09.2020 को आयोजित सीबीटी, ईपीएफ की 227वीं बैठक के दौरान, माननीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), श्रम एवं रोजगार ने ईपीएफ और एमपी अधिनियम-1952 के तहत अर्ध-न्यायिक मामलों की वर्चुअल सुनवाई की सुविधा का उद्घाटन किया था, जो नियोक्ताओं और कर्मचारियों के लिए आसानी और सहूलियत को बढ़ाएगा, वे अपनी पसंद की सुदूर जगहों से सुनवाई में शामिल हो सकते हैं। यह व्यवस्था सभी पक्षों का समय, यात्रा और खर्च को बचाती है, सामाजिक दूरी की शर्तों का अनुपालन सुनिश्चित करती है और अर्ध-न्यायिक तंत्र में बेहतर विश्वास के लिए श्रमिकों की बकाया राशि का त्वरित आकलन करती है। ईपीएफओ के सभी क्षेत्र कार्यालयों में इस व्यवस्था को सख्ती से लागू करने के लिए विस्तृत निर्देश जारी किए गए थे।

छूट प्राप्त ट्रस्टों से ईपीएफओ को धन और आंकड़ों के एकमुस्त हस्तांतरण की सुविधा: सचिव (श्रम और रोजगार) ने 7 अक्टूबर 2020 को एकल भुगतान के जरिए ईपीएफओ को छूट प्राप्त ट्रस्ट से धनराशि और आंकड़ों के एकमुश्त हस्तांतरण की एक नई सुविधा शुरू की थी। यह छूट प्राप्त संगठनों के लिए धनराशि हस्तांतरण में तेजी लाकर कारोबार करने में सरलता को बढ़ाएगा। किसी सदस्य के लिए छूट प्राप्त संस्थान से बगैर छूट प्राप्त संस्थान में रोजगार बदलने पर, उसकी पिछली जमा को ईपीएफओ में स्थानांतरित कर दिया जाता है। अब तक, छूट वाले प्रतिष्ठानों को प्रत्येक सदस्य के लिए धनराशि को एक-एक करके अनुमोदित और स्थानांतरित करना पड़ता था। बड़े संस्थानों के लिए, जहां प्रति दिन कई कर्मचारियों की जमा राशि स्थानांतरित करने की जरूरत होती है, यह प्रक्रिया बहुत बोझिल और समय की खपत करने वाली थी। नई सुविधा के तहत, छूट प्राप्त संस्थान एकमुश्त डेटा अपलोड कर सकते हैं और एकल भुगतान के जरिए बड़ी संख्या में सदस्यों की धनराशि स्थानांतरित कर सकते हैं। इस पहल से ईपीएफओ के लगभग 1500 छूट प्राप्त प्रतिष्ठानों को लाभ होने की उम्मीद है। ईपीएफओ और छूट प्राप्त संस्थानों के बीच सभी लेनदेन को पहले ही इलेक्ट्रॉनिक बनाया जा चुका है, जिससे धनराशि हस्तांतरित करने में देरी और तालमेल में आने वाली समस्या दूर हुई है।

अन्य उपलब्धियां:

ब्राजील के साथ सामाजिक सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर:25.01.2020 को ब्राजील के साथ (विदेश मंत्रालय से फरवरी में प्राप्त आधिकारिक संचार) के साथ एक सामाजिक सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। यह भारत की ओर से इस तरह का 20वां समझौता है और ब्राजील 19वां देश है जिसके साथ भारत ने सामाजिक सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता दोनों देशों के अंतरराष्ट्रीय श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा लाभ देने में बहुत मददगार होगा।

ईपीएफओ को उद्यम श्रेणीके तहत डिजिटल प्रौद्योगिकी का सभा पुरस्कार मिला: महामारी के समयआवश्यकताओं को देखते हुए स्वचालित आधार पर क्लेम को निपटाने की व्यवस्था विकसित करने के लिए ईपीएफओ ने डिजिटल प्रौद्योगिकी सभा पुरस्कार जीता। इस परियोजना को आंतरिक तौर पर तैयार किया गया था और इसने कोविड-19 क्लेम को निपटाने में लगने वाले समय को72 घंटे तक घटाने में मदद की।

ईपीएफओ ने ईपीएफआईजीएमएस के लिए स्कोच इंडिया से गोल्ड अवार्ड जीता: ईपीएफओ को इसके घरेलू शिकायत समाधान पोर्टल- ईपीएफआईजीएमएस के लिए सेवा वितरण-सरकार से नागरिक (जी2सी) श्रेणी में स्कोच डिजिटल इंडिया और ई-गवर्नेंस अवार्ड-2020 प्रदान किया गया। इस पोर्टल की मदद से, शिकायतों को दर्ज करना और उनका समाधान बाधामुक्त बना और लॉकडाउन के दौरान, जब सारी सुविधाएं और पीएफ कार्यालयों के पीआरओ केंद्र पूरी तरह से काम नहीं कर रहे थे, ईपीएफआईजीएमएस हितधारकों की समस्याएं सुलझाने और ऑफिस तक आने की जरूरत को खत्म करने वाला एक माध्यम था। वर्ष 2019-20 के दौरान, ईपीएफआईजीएमएस से 9.23 लाख सदस्यों को लाभ पहुंचा है। 01.04.2020 से 30.09.2020 तक लॉकडाउनके दौरान, 5.93 लाख सदस्यों ने इस पोर्टल का लाभ लिया।

वॉट्सएप आधारित हेल्पलाइन और शिकायत निवारण सुविधा: ईपीएफओ ने वॉट्सएप बिजनेस ऐप आधारित हेल्पलाइन-सह-शिकायत निवारण प्रणाली की शुरुआत की है और सभी क्षेत्रीय कार्यालय के वॉट्सएप नंबर ईपीएफओ की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। अब ग्राहक, नियोक्ता और पेंशनभोगी किसी भी मुद्दे पर वॉट्सएप पर संदेश भेजकर शिकायत दर्ज करा सकते हैं या कोई सलाह ले सकते हैं।

ईपीएफओ कर्मचारियों के लिए मृत्यु होने पर अनुग्रह राहत राशि में बढ़ोतरी: ईपीएफओ सदस्यों को आवश्यक सेवाएं देने के दौरान ईपीएफओ कर्मचारियों की कोविड-19 से निधन जैसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना होने उनके परिजनों की सहायता देने के क्रम में कल्याण कोष से देय अनुग्रह राहत राशि को बढ़ाने का फैसला लिया गया है। अनुग्रह राशि की सीमा को वर्तमान के 3.90 लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दिया गया है। इस कदम का उद्देश्य ईपीएफओ कर्मचारियों के मनोबल को बढ़ाना है, जो इस जरूरत की घड़ी में ईपीएफ सदस्यों को सामाजिक सुरक्षा सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए अपनी जान को जोखिम में डाल रहे हैं।

पीएम केयर्स फंड में योगदान: ईपीएफओ के कर्मचारी इस मुश्किल वक्त में हर संभव तरीके से राष्ट्र की सेवा में प्रतिबद्ध हैं। वे स्वेच्छा से अपना एक दिन का वेतन लगभग 2.5 करोड़ रुपये पीएम केयर्स फंड में देते हुए इस महामारी से निपटने में सरकार की मदद करने के लिए आगे आए।

वर्ष 2020में ईएसआईसी में उठाए गए प्रमुख कदम

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (आयुष्मान भारत) और कर्मचारी राज्य बीमा निगम के बीच एकीकरण/तालमेल

कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआई कॉरपोरेशन) ने आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी पीएम-जेएवाई) के संचालन में राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) के साथ एक साझेदारी की है, जो एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र बनाएगा, जिसमें नए कार्यान्वित क्षेत्रों के कुछ चुने हुए जिलों में ईएसआई योजना के लाभार्थी एबी-पीएमजेएई से संबद्ध अस्पतालों की सेवाओं लेने में सक्षम होंगे। इसके अलावा, ईएसआई कॉरपोरेशन भी अपने कम इस्तेमाल वाले अस्पतालों के माध्यम से पीएम-जेएवाई लाभार्थियों को इलाज उपलब्ध कराने में सक्षम होगा। इस उद्देश्य के लिए, ईएसआई कॉरपोरेशन के 15 अस्पतालों को पीएमजेएवाई के साथ जोड़ा जा रहा है। उपरोक्त सेवाओं के लिए एमओयू पर ईएसआई कॉरपोरेशन और एनएचए-पीएमजेएवाई के बीच पहले ही हस्ताक्षर हो चुके हैं। दो जिलों अहमदनगर (महाराष्ट्र) और बीदर (कर्नाटक) में इस योजना के पायलट परियोजना की शुरुआत को सफलतापूर्वक पूरा किया गया है। दो विशेषीकृत जिलों में आयुष्मान भारतके माध्यम से सेवाओं का लाभ लेने से पहले वास्तविक समय में पात्रता जांच के लिए पीएमजेएवाई के साथ पंचदीप मॉड्यूल का एकीकरण किया जा चुका है।

गैर-बीमित व्यक्तियों के लिए ईएसआईसी अस्पतालों को खोलना:

हाल के वर्षों में, ईएसआई कॉरपोरेशन ने बीमाधारक व्यक्तियों के अलावा अन्य लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने की पहल करते हुए अपने कम इस्तेमाल वाले अस्पतालों (60 प्रतिशत से कम बिस्तरों का इस्तेमाल) को मामूली उपयोगकर्ता शुल्क के साथ आम लोगों के लिए खोलने की अनुमति दी है। अभी ईएसआईसी के 7 अस्पताल आम जनता को भी चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध करा रहे हैं।

पात्रता शर्तों में छूट और विस्तारित राहत भुगतान के साथ अटल बीमित व्याक्ति कल्याण योजना का विस्तार:

ईएसआई कॉरपोरेशन ने कोविड-19 की वजह से बेरोजगार होने वाले आईपी को लाभ पहुंचाने के लिए अटल बीमित व्याक्ति कल्याण योजना को 24.03.2020 से 31.12.2020 तक पात्रता में छूट के साथ अगले एक वर्ष यानी 01.07.2020 से 30.06.2021 तक की अवधि के लिए विस्तार दिया है। पहले प्रतिदिन की औसत कमाई का 25% राहत भुगतान था, जिसे बढ़ाकर अब प्रति दिन की औसत कमाई का 50% कर दिया गया है।

प्रसूति व्यय में विस्तार :

ईएसआई डिस्पेंसरी/अस्पताल के बाहर होने वाले प्रसव के खर्च को 5000/- रुपये से बढ़ाकर 7500/- रुपये कर दिया गया है, जो 27/10/2020 से प्रभावी हुआ है। 

नए पंजीकृत कर्मचारियों के मोबाइल नंबर और बैंक खातों को जोड़ना:

लाभार्थियों तक लाभों की लक्षित वितरण और समय-समय पर सूचनाएं पहुंचाने के लिए, 01.07.2020 से ईएसआईसी डेटाबेस के साथ नए पंजीकृत कर्मचारियों के मोबाइल नंबर की सीडिंग (जोड़ना) को अनिवार्य बनाया गया था। इसके अलावा, नए पंजीकृत कर्मचारियों के बैंक खाते की जानकारी की ईएसआईसी डेटाबेस से जोड़ने को भी अनिवार्य बनाया गया था।

प्रदर्शन डैशबोर्ड:

संगठन की विश्वसनीयता और सेवाओं को देने की क्षमता में मूल्यों को जोड़ते हुए विभिन्न संकेतकों पर प्रदर्शन की स्थिति की जानकारी देने के लिएwww.esic.inमें एक डैशबोर्ड को प्रकाशित किया गया है।

कारोबार करने में सुगमता:

कारोबार में सरलता के लिए, कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के एजाइल प्लेटफॉर्म के माध्यम से कंपनी के रूप में रजिस्ट्रेशन कराने वाली नई संस्थाओं को एकल भुगतान के जरिए ईएसआई अधिनियम के तहत रजिस्ट्रेशन कराने की सुविधा दी जाती है। एमसीए पोर्टल के साथ पंचदीप के एकीकरण को प्रभावी बनाया गया है।

नियोक्ताओं को ईएसआईसी वेबसाइट के माध्यम से नेशनल करियर सर्विस (एनसीएस) पोर्टल पर अपना खाता बनाने का विकल्प:

ईएसआईसी ने नियोक्ताओं को अपनी वेबसाइट www.esic.inपर नियोक्ता पोर्टल के माध्यम से महज एक क्लिक पर नेशनल करियर सर्विस (एनसीएस) पोर्टल पर अपना खाता बनाने का विकल्प दिया गया है। एनसीएस के साथ ईएसआईसी की वेबसाइटों के एकीकरण से नियोक्ताओं को एनसीएस वेबसाइट पर अपने उद्योगों में रिक्तियों की सूचना देने में मदद करता है, जिसके चलते लाभार्थियों को मिलने वाले सुझावों के मूल्य में बढ़ोतरी होती है।

नियोक्ताओं को कोविड-19 अवधि के दौरान अंशदान और रिटर्न को दाखिल और जमा करने में छूट:

नियोक्ताओं को अपना अंशदान और रिर्टन दाखिल और जमा करने के लिए फरवरी और मार्च महीने के लिए समय सीमा में 15.07.2020 तक की छूट दी गई थी। अप्रैल-सितंबर 2019 की अंशदान अवधि के लिए नियोक्ताओं को अंशदान का रिटर्न दाखिल करने के लिए 15.05.2020 तक एकल छूट दी गई थी, जो 42 दिन के तय समय के भीतर रिटर्न दाखिल नहीं कर पाए थे। इसके अलावा, नियोक्ताओं को अक्टूबर 2019 से मार्च 2020 तक की अंशदान अवधि के लिए 15.07.2020 तक अंशदान रिटर्न जमा करने की अनुमति दी गई थी।

श्रम ब्यूरो, चंडीगढ़

1. औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई-आईडब्ल्यू) आधार 2001=100:

औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक(सीपीआई-आईडब्ल्यू) एक निश्चित बास्केट में श्रमिक वर्ग के उपभोग वाली वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में परिवर्तन की दर को आंकता है, जिसे श्रम ब्यूरो द्वारा संकलित और व्यवस्थित किया जाता है।

श्रम ब्यूरो ने 2001=100 आधार पर जनवरी, 2006 से अगस्त, 2020 तक के लिए औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक को संकलित और जारी किया। श्रम ब्यूरो द्वारा नये बेस (2016=100) के आधार पर सितंबर, 2020 से सूचकांक जारी किया जा रहा है।

2- ग्रामीण श्रमिक और कृषि श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक [सीपीआई (आरएल/एएल)] (आधार: 1986-87=100):

600 नमूना गांवों से लिए गए खुदरा मूल्य के आंकड़ों के आधार पर, ग्रामीण श्रमिकों और इसके उपवर्ग खेतिहर मजदूरों के लिए 20 राज्यों और अखिल भारतीय स्तर पर 1986-87=100 के आधार पर सीपीआई आंकड़ों को मासिक आधार पर तैयार जा रहाहै।

श्रम ब्यूरो ने कृषि और ग्रामीण श्रमिकों (आधार 1986-87=100) के लिए सितंबर, 2020 तक के सीपीआई आंकड़ों को संकलित और जारी किया है।

 

3- औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार में बदलाव (सीपीआई-आईडब्ल्यू):

  • श्रम ब्यूरो ने सीपीआई-आईडब्ल्यू सीरीज को हालिया आधार अवधि यानी 2016=100 तक अद्यतन करने का काम पूरा कर लिया है।
  • सीपीआई-आईडब्ल्यू की नई सीरीज में कुल 88 केंद्रों को शामिल किया गया है, जिन्हें श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की स्थायी त्रिपक्षीय समिति (एसटीसी) और कीमत व रहन-सहन की लागत की सांख्यिकी संबंधी तकनीकी सलाहकार समिति समूह (टीएसी ऑन एसपीसीएल) द्वारा अनुमोदित किया गया है।
  • सीपीआई-आईडब्ल्यू की नई सीरीज में, 7 मौजूदा क्षेत्रों (कारखाने, खदान, वृक्षारोपण, रेलवे, सार्वजनिक मोटर परिवहन उपक्रम, बिजली उत्पादन एवं वितरण, बंदरगाह एवं डॉक्स) से जुड़े 48384 कामकाजी श्रेणी के परिवारों के एक सैंपल साइज को कामकाजी वर्ग पारिवारिक आय एवं व्यय सर्वेक्षण और इन क्षेत्रों से जुड़े 18816 कामकाजी परिवारों को रिपीट हाउस रेंट सर्वे के तहत शामिल किया गया है।
  • नई सीरीज को स्थायी त्रिपक्षीय समिति (एसटीसी) और राष्ट्रीय त्रिपक्षीय फोरम के सामने भी रखा गया था, जिसमें शीर्ष स्तर के ट्रेड यूनियन के नेता, नियोक्ताओं के संगठन के प्रतिनिधि और केंद्रीय व राज्यों के मंत्रालयों के प्रतिनिधि शामिल थे।
  • श्री संतोष कुमार गंगवार, श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने 22 अक्टूबर, 2020 को नई दिल्ली में श्री अपूर्व चंद्रा, सचिव (श्रम एवं रोजगार) और श्री डी.पी.एस. नेगी, वरिष्ठ श्रम एवं रोजगार सलाहकार और महानिदेशक, श्रम ब्यूरोकी उपस्थिति में आधार वर्ष 2016 के साथ औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई-आईडब्ल्यू) की नई सीरीज जारी की। यह नई सीरीज 2001=100 आधार के साथ लागू मौजूदा सीरीज की जगह लेगी।

4- चार लेबर कोड के तहत वैधानिक और स्वैच्छिक रिटर्न:

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने सभी केंद्रीय श्रम कानूनों/अधिनियमों को चार लेबर कोड में शामिल कर दिया है।

श्रम ब्यूरो की मौजूदा जिम्मेदारियों के अलावा, अब श्रम ब्यूरो को सभी चार लेबर कोड के तहत लेबर रिटर्न के लिए प्रशासनिक आंकड़ों को जुटाने के लिए नोडल एजेंसी के रूप में नामित करने का प्रस्ताव किया गया है।

5- श्रम ब्यूरो का आधिकारिक लोगो जारी हुआ:

श्री संतोष कुमार गंगवार, राज्य मंत्री (आईसी), श्रम एवं रोजगार द्वारा 20 अगस्त, 2020 को श्री एच.एल.समारिया, सचिव (श्रम एवं रोजगार) और श्री डी.पी.एस. नेगी, वरिष्ठ श्रम एवं रोजगार सलाहकार व महानिदेशक, श्रम ब्यूरो की मौजूदगी में श्रम ब्यूरो के आधिकारिक लोगो का अनावरण किया गया था।

नया जारी लोगो प्रतिनिधित्व करता है कि श्रम ब्यूरो कामगारों और काम से जुड़े आंकड़ों से संबंधी एक डेटा आधारित संगठन है। यह लोगो उन तीन लक्ष्यों यानी सटीकता, वैधता और विश्वसनीयता का भी प्रतिनिधित्व करता है, जिनके लिए श्रम ब्यूरो हमेशा प्रयासरत रहता है, ताकि गुणवत्तापूर्ण आंकड़े तैयार किए जा सकें। नीला पहिया दांतों के साथ है जो काम का प्रतिनिधित्व करता है, नीले रंग का चुनाव यह बताता है कि हम मेहनतकश श्रमिकों से जुड़े हैं, ग्राफ अकेले ऊपर की ओर नहीं बढ़ रहा है, कारण कि वास्तविक दुनिया के आंकड़ों में उतार-चढ़ाव होता रहता है, क्योंकि यह जमीनी सच्चाई से जुड़ा होता है। लोगो में राष्ट्रीय ध्वज के रंगों से मेल खाते हुए तिरंगे ग्राफ को, गेहूं की बालियों के साथ, जो ग्रामीण कृषि श्रम के परिणाम को दर्शाता है, बड़ी ही खूबसूरती से रखा गया है।

6- श्रम ब्यूरो के कार्यालय भवन का उद्घाटन:

श्रम ब्यूरो के नवनिर्मित कार्यालय भवन-श्रम ब्यूरो भवनका उद्घाटन 11 सितंबर, 2020 को चंडीगढ़ में माननीय श्रम एवं रोजगार मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) द्वारा किया गया। इस अवसर पर श्री हीरालाल समारिया, सचिव, श्रम एवं रोजगार और श्री डी.पी. नेगी, वरिष्ठ श्रम एवं रोजगार सलाहकार व महानिदेशक, श्रम ब्यूरो भी उपस्थित रहे। सभी आधुनिक सुविधाओं के साथ, नई इमारत श्रम ब्यूरो की ढांचागत जरूरतों को पूरा करने में मदद करेगी।

प्रस्तावित सर्वेक्षण:

श्रम ब्यूरो को निम्नलिखित चार अखिल भारतीयसर्वेक्षण करने का काम सौंपा गया है:

(i)            प्रवासी श्रमिकों पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण,

(ii)           घरेलू कामगारों पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण,

(iii)          पेशवरों द्वारा सृजित रोजगार पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण, और

(iv)         गैर-औपचारिक परिवहन क्षेत्र में सृजित रोजगार पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण।

मंत्रालय ने श्रम ब्यूरो द्वारा किए जाने वाले उपरोक्त सभी अखिल भारतीय सर्वेक्षणों के लिए समय सारणी, नमूने लेने के प्रारूप और अन्य तकनीकी पक्षों की जांच करने और अंतिम रूप देने के लिए प्रो. एस.पी. मुखर्जी की अध्यक्षता और प्रोफेसर अमिताभ कुंडू की उपाध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समूह पहले ही गठित कर दिया गया है।

श्रम ब्यूरो का ट्विटर हैंडल

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने 27 मई, 2020 को श्रम ब्यूरो के एक समर्पित ट्विटर हैंडल @LabourDG को शुरू किया, जो श्रमिक कल्याण संबंधी नए आंकड़ों को उपलब्ध कराने के लिए है।

वी.वी.गिरी राष्ट्रीय श्रम संस्थान, नोएडा

वी.वी. गिरी राष्ट्रीय श्रम संस्थान, एक प्रमुख और राष्ट्रीय स्तर का संस्थान है, जो विशेष रूप से श्रम संबंधी विभिन्न मुद्दों पर प्रशिक्षण अनुसंधान, प्रकाशन और सलाह के लिए समर्पित है। यह संस्थान अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठनों के अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण केंद्र, ट्यूरिन, इटली जैसे अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के अलावा देश के अन्य राष्ट्रीय संस्थानों के साथ भी काम करता है।

संस्थान ने श्रम प्रशासन कार्यक्रम, औद्योगिक संबंध कार्यक्रम, बाल एवं बंधुआ श्रम कार्यक्रम, क्षमता निर्माण कार्यक्रम, अनुसंधान विधि कार्यक्रम, उत्तर पूर्वी राज्यों के लिए कार्यक्रम, अन्य राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रमों के अलावा अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के सहयोग से प्रशिक्षण कार्यक्रम जैसे कई प्रकार के कार्यक्रमों का संचालन किया है। श्रम प्रशासकों, केंद्र और राज्य सरकारों के अधिकारियों, ट्रेड यूनियन के नेताओं, औद्योगिक संबंध के प्रबंधकों, प्रबंधकों और सार्वजनिक क्षेत्र के अधिकारियों, शोधकर्ताओं के प्रशिक्षकों, क्षेत्र कर्मचारियों, सामाजिक गतिविधियों, संगठित और असंगठित क्षेत्रों से जुड़े अन्य सामाजिक भागीदारों के लिए भी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं।

संस्थान ने 01.11.2019 से 31.10.2020 के बीच 129 प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया है, जिसमें 4543 प्रशिक्षुओं ने भाग लिया। उक्त अवधि के दौरान, संस्थान ने 21 अनुसंधान परियोजनाएं/विषय संबंधी अध्ययन और 26 कार्यशालाएं आयोजित की, जिसमें 6571 सदस्यों ने हिस्सा लिया।

डीजीएमएस, धनबाद

विधायी सुधार:

. खदान व्यावसायिक प्रशिक्षण नियमावली प्रारूप-2019, 6 नवंबर, 2019 को आधिकारिक गजट में अधिसूचित किया गया और 05 फरवरी 2020 तक जनता से टिप्पणियों को स्वीकार किया गया।

बी. मेटैलिफेरेंस खदान नियमावली प्रारूप, 2019, 21 फरवरी 2020 को आधिकारिक गजट में प्रकाशित किया गया है और 19 मई 2020 तक जनता से टिप्पणियों को स्वीकार किया गया।

प्रशासनिक सुधार:

. डिजिटल इंडिया पहल के अनुरूप, “एप्रूवल सिस्टमनाम से एक सॉफ्टवेयर मॉड्यूल, “अनुमति/ माफी/रियायत सिस्टमको बनाया और उपयोगकर्ता उद्योग द्वारा इस्तेमाल करने के लिए चालू किया गया है। 31.10.2020 तक अनुमति/माफी/रियायत के लिए ऑनलाइन कुल 7309 आवेदन मिले हैं और उनमें से 7011 आवेदनों को निपटाया जा चुका है।

बी. नेशनल सेफ्टी अवार्ड (माइन्स) सिस्टमसॉफ्टवेयर मॉड्यूल को एनएसए (खान) के लिए आवेदनों को ऑनलाइन जमा करने, आंकड़ों के आकलन व सत्यापन और पुरस्कार जीतने वालों की सूची बनाने के लिए चालू किया गया है। इससे प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही आई है। प्रतियोगिता वर्ष 2015 और 2016 के लिए क्रमशः कुल 290 और 378 ऑनलाइन आवेदन प्राप्त हुए थे। राष्ट्रीय सुरक्षा पुरस्कार (खान) समारोह 16 दिसंबर 2019 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित किया गया था। प्रतियोगिता वर्ष 2017 और 2018 के लिए ऑनलाइन क्रमशः कुल 315 और 223 आवेदन प्राप्त हो चुके हैं।

सी. एक्सीडेंट्स एंड स्टैटिस्टिक्स सिस्टमसॉफ्टवेयर मॉड्यूल को बनाया और 01.08.2020 से चालू किया गया है। इस सिस्टम ने खान उपयोगकर्ता द्वारा दुर्घटना की ऑनलाइन सूचना देने, डीजीएमएस के निरीक्षण अधिकारियों द्वारा दुर्घटना की जांच रिपोर्ट पेश करने, दुर्घटना रिपोर्ट पर आगे की कार्रवाई करने, कार्रवाई को अंतिम रूप देने और सुरक्षा में सुधार के लिए खनन उद्योग को प्रासंगिक सूचना और चेतावनी देने को सक्षम बनाया है। यह प्रणाली खान उपयोगकर्ताओं द्वारा सांख्यिकीय ब्यौरों को ऑनलाइन दाखिल करने के लिए भी मंच प्रदान करती है। 31.1.2020 तक वेब पोर्टल पर कुल 19 घातक दुर्घटनाएं, 51 गंभीर दुर्घटनाएं और 10 खतरनाक घटनाएं दर्ज की गई हैं।

डी. निरीक्षण, पूछताछ, अनुपालन कार्रवाइयों, दैनिक आधार पर प्रोत्साहक प्रयासों का ब्यौरा तैयार करने के लिए अधिकारियों की ओर से दैनिक गतिविधियों की ऑनलाइन लॉगिंग करने के लिए मॉड्यूल बनाया गया है। यह अधिकारियों की ओर से मासिक कार्य का विवरण तैयार व दाखिल करने और डीजीएमएस वेबसाइट पर डैश बोर्ड को रियल टाइम के आधार पर अपडेट करने की सुविधा उपलब्ध कराएगा।

  1. अन्य उपलब्धियां:

. खदान में सुरक्षा पर 12वें राष्ट्रीय सम्मेलन को नई दिल्ली में 28 और 29 जनवरी 2020 को माननीय श्रम और रोजगार मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) की अध्यक्षता में आयोजित किया गया था। सम्मेलन में समकालीन महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई और बहुमूल्य सुझाव भी दिए गए। इस सम्मेलन से मिली सिफारिशों को सभी साझेदारों के बीच सर्कुलर माध्यम से वितरित किया गया है।

रोजगार महानिदेशालय

1. नेशनल करियर सर्विस प्रोजेक्ट (एनसीएस) – मंत्रालय, नेशनल करियर सर्विस (एनसीएस) परियोजना को मिशन आधारित परियोजना के रूप में लागू कर रहा है, ताकि राष्ट्रीय रोजगार सेवाओं में बदलाव करते हुए नौकरी से जुड़ी विभिन्न तरह की सेवाएं जैसे योग्यता के अनुरूप नौकरी, करियर के बारे में सलाह, व्यावसायिक मार्गदर्शन, कौशल विकास पाठ्यक्रम, अप्रेंटिसशिप, इंटर्नशिप इत्यादि के बारे में जानकारी उपलब्ध कराई जा सके। एनसीएस के तहत सेवाएं ऑनलाइन उपलब्ध हैं और इस तक करियर सेंटर, कॉमन सर्विस सेंटर, पोस्ट ऑफिस, मोबाइल डिवाइस, साइबर कैफे आदि के जरिए पहुंचा जा सकता है। एनसीएस मंच पर विभिन्न तरह के हितधारक भी मौजूद हैं। इन हितधारकों में नौकरियों के उम्मीदवारों, उद्योग, नियोक्तारोजगार केंद्र, प्रशिक्षण देने वाले, शैक्षिक संस्थान और नौकरी दिलाने वाले संगठन शामिल हैं। इस परियोजना में तीन महत्वपूर्ण घटक (i) एनसीएस पोर्टल (www.ncs.gov.in); (ii) मॉडल करियर सेंटर्स; और (iii) रोजगार केंद्रों (एंप्लायमेंट एक्सचेंज) को आपस में जोड़ना शामिल हैं।

एनसीएस पोर्टल (एनसीएसपी) को यूआरएल (www.ncs.gov.in)  के माध्यम से चालू किया गया है। यह पोर्टल 20.07.2015 को भारत के माननीय प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया गया था। एनसीएसपी एक समर्पित हेल्पलाइन नंबर 1800-425-1514 द्वारा समर्थित है, जो उपयोगकर्ताओं की मदद के लिए मंगलवार से रविवार (8.00 बजे से 8.00 बजे) तक उपलब्ध रहती है। यह सभी सेवाएं नि:शुल्क मिलती हैं। यह पोर्टल नौकरी के उम्मीदवारों, नियोक्ताओं, कौशल प्रशिक्षणदाताओं, नौकरी दिलाने वाले संगठनों, करियर परामर्शदाता आदि सहित सभी उपयोगकर्ताओं की पहुंच के दायरे में है। यह पोर्टल रोजगार मेले का आयोजन करने में मदद करता है, जहां नियोक्ता और नौकरी के उम्मीदवार दोनों चर्चा कर सकते हैं।

एनएससी पोर्टल के संक्षिप्त आंकड़े निम्न प्रकार हैं:

नेशनल करियर सर्विस पोर्टल

क्रम संख्या

मापदंड

4 नवंबर, 2020 तक संख्या

1.

नौकरी के लिए रजिस्टर्ड सक्रिय उम्मीदवार

1.04 करोड़

2.

रजिस्टर्ड सक्रिय नियोक्ता

57748

3.

जुटाई गईं सक्रिय रिक्तियां

78774

4.

कुल जुटाई गईं रिक्तियां

79.31 लाख

 

रोजगार के लिए परामर्श पर सरकार के बढ़ते जोर के साथ, मंत्रालय ने करियर के बारे में सलाह देने वालों का एक नेटवर्क बनाने का प्रस्ताव किया है, जहां करियर सेंटर्स अपने क्षेत्र में रोजगार की सलाह देने के केंद्र बन जाएंगे। एक प्रक्रिया के तहत, विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 6000 से ज्यादा रोजगार परामर्शदाता एनसीएस पोर्टल पर पंजीकृत हो चुके हैं, जिनमें से 700 से ज्यादा लोग नियमित रूप से एनसीएस पोर्टल पर अपने कार्यक्रम भी प्रकाशित कर रहे हैं।

एनसीएस परियोजना में राज्यों और अन्य संस्थानों के सहयोग से मॉडल करियर सेंटर्स (एमसीसी) बनाने की परिकल्पना की गई है, ताकि संपर्क गतिविधियों को चलाने के लिए एनसीएस की पहुंच बढ़ातेत हुए रोजगार आधारित सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकें। एमसीसी को स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य रोजगार मेलों का आयोजन, नियोक्ताओं को जुटाना, जिला स्तर पर रोजगार संबंधी परामर्श इत्यादि है। मंत्रालय मॉडल करियर सेंटर्स स्थापित करने के लिए राज्य सरकारों को एकमुश्त अनुदान के रूप में 50 लाख रुपये की सहायता देता है। मॉडल करियर सेंटर्स के प्रबंधन और मंत्रालय के साथ समन्वय, पहले के तीन साल तक, करने के लिए एक पेशेवर की मदद भी देता है, जिसकी नियुक्ति केंद्र सरकार करती है। अब तक, देश भर में 200 से अधिक एमसीसी स्थापित हो चुके हैं, जिनमें से 131 पूरी तरह से काम कर रहे हैं और शेष बनाए जाने की प्रक्रिया में हैं।

2. प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना (पीएमआरपीवाई) -

प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना (पीएमआरपीवाई) को 9 अगस्त, 2016 को नए रोजगार सृजन के लिए नियोक्ताओं को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। इस योजना के तहत, भारत सरकार ईपीएफओ के माध्यम से नए कर्मचारियों के ईपीएफ और ईपीएस (जो समय-समय पर स्वीकार्य हो) में नियोक्ताओं के पूर्ण अंशदान यानी 12 फीसदी का तीन साल की अवधि के लिए भुगतान कर रही है। इस योजना प्रतिमाह 15,000 रुपये तक की आमदनी वाले कर्मचारियों के लिए लक्षित है। इसके अलावा औपचारिक कार्यबल के लिए अनौपचारिक श्रमिकों की एक बड़ी संख्या को दायरे में लाने का भी लक्ष्य है। संस्थानों के लिए लाभार्थियों के पंजीकरण की अंतिम तारीख 31 मार्च, 2019 थी।

i) पहले, सरकार इन नए कर्मचारियों के लिए सभी क्षेत्रों में नियोक्ताओं के 8.33% ईपीएस योगदान का भुगतान कर रही थी। इस योजना के लाभ को प्रधानमंत्री परिधान रोजगार प्रोत्साहन योजना के तहत वस्त्र उद्योग तक बने-बनाए और सिले-सिलाए कपड़ा उद्योग के लिए विस्तार दे दिया गया था। इसके तहत सरकार नए कर्मचारियों के संबंध में नियोक्ता के 3.67% अतिरिक्त ईपीएफ अंशदान का भुगतान कर रही थी, जो कुल प्रोत्साहन 12% पहुंच तक पहुंचा देता है। सभी क्षेत्रों के नियोक्ताओं को कुल 12% अंशदान का लाभ देने के लिए सीसीईए की मंजूरी के साथ 01.04.2018 से इस योजना को सभी क्षेत्रों के लिए बढ़ा दिया गया था।

ii) इस योजना में दोहरे लाभ हैं। यह जहां, एक तरफ नियोक्ता को अपने संस्थान में श्रमिकों के लिए रोजगार आधार बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करता है, वहीं, दूसरी तरफ ऐसे संस्थानों में बड़ी संख्या में श्रमिकों को रोजगार मिल सकेगा। इसका एक सीधा लाभ यह है कि इन श्रमिकों की संगठित क्षेत्र के सामाजिक सुरक्षा लाभों तक पहुंच बनेगी। इस योजना के तहत सभी लाभार्थियों को आधार से जोड़ा गया है।

9 नवंबर, 2020 तक पीएमआरपीवाई की प्रगति की स्थिति निम्न अनुसार है-

प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना (पीएमआरपीवाई) के तहत 152900 संस्थानों को 8549,05,08,825/-रुपये का कुल लाभ दिया गया है, जिसमें 12169960 लाभार्थी शामिल है।

प्रधानमंत्री परिधान रोजगार प्रोत्साहन योजना (पीएमपीआरपीवाई) के तहत 802 संस्थानों को कुल 2396,73,353/- रुपये का लाभ दिया गया, जिसमें 269,044 लाभार्थी शामिल हैं।

3. विशेष रूप से सक्षम लोगों के लिए नेशनल करियर सर्विस सेंटर्स (एनसीएससी-डीए)श्रम एवं रोजगार महानिदेशालय के तहत देश भर में विशेष रूप से सक्षम लोगों के लिए 21नेशनल करियर सर्विस सेंटर्स काम कर रहे हैं। ये केंद्र विशेष रूप से सक्षम लोगों में मौजूद क्षमताओं का मूल्यांकन करते हैं, व्यावसायिक प्रशिक्षण देते हैं, और व्यावसायिक पुनर्वास के लिए सहायता आदि उपलब्ध कराते हैं। विशेष रूप से सक्षम व्यक्ति की शिक्षा और लैंगिक स्थिति पर ध्यान दिए बगैर एनसीएससी-डीए चलने, देखने और सुनने की अक्षमता, मामूली मानसिक मंदता और और उपचारित कुष्ठ रोग की श्रेणी में सभी के लिए खुले हैं।

इन 21 एनसीएससी-डीए से अलग, एक एनसीएससी-डीए कर्नाटक प्रदेश में विशेष रूप से सक्षम व्यक्तियों की पुनर्वास आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बेंगलुरु में बनाया गया है। एनसीएससी-डीए, बेंगलुरु को राज्य सरकार से मिली इमारत में खोला गया है। एनसीएससी-डीए, बेंगलुरु में छपाई और किताबों की बाइंडिंग, कपड़ों की सिलाई, एयर-कंडीशनिंग, लिपिकीय अभ्यास, कला, जनरल मैकेनिक, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स, व्यावसायिक, बढ़ईगिरी, रेडियो/टीवी, कटाई-सिलाई, धातु, लकड़ी के काम जैसे 13विषय मौजूद हैं।

एनसीएससी-डीए के कामकाज में प्रगति निम्न प्रकार है:

(उम्मीदवारों की संख्या)

वर्ष

गतिविधियां

लक्ष्य

उपलब्धियां

2019-20

 

प्रवेश

32400

30785

मूल्यांकन

31350

30752

पुनर्वास

12100

11349

2020-21

30 सितंबर, 2020

प्रवेश

32400

985

मूल्यांकन

31350

974

पुनर्वास

12100

564

4. एससी/एसटी के लिए नेशनल करियर सर्विस सेंटर्स (एनसीएससी); रोजगार महानिदेशालय अनुसूचित जाति (एससी)/अनुसूचित जनजाति(एसटी) वर्ग में नौकरी के उम्मीदवारों के लिए कोचिंग, व्यावसायिक मार्गदर्शन और प्रशिक्षण और उनके लिए मौजूदा नेशनल करियर सर्विस सेंटर्स (एनसीएससी) में नए पाठ्यक्रमों को शामिल करने और योजना से अब तक छूटे राज्यों में नए एनसीएससी बनाने के लिए योजना को लागू कर रहा है। इस योजना के तहत, कोचिंग/प्रशिक्षण के माध्यम से एससी/एसटी उम्मीदवारों के लिए रोजगार की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए भारत सरकार, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय, श्रम महानिदेशालय द्वारा नेशनल करियर सर्विस सेंटर्स (एनसीएससी) स्थापित किए गए हैं। अब तक एससी/एसटी के लिए पच्चीस नेशनल करियर सर्विस सेंटर्स बनाए जा चुके हैं, जिनमें से एक-एक सेंटर दिल्ली, जबलपुर, कानपुर, चेन्नई, हैदराबाद, तिरुवनंतपुरम, कोलकाता, जयपुर, रांची, सूरत, आइजोल, बैंगलुरु, इंफाल, हिसार, नागपुर, भुवनेश्वर, गुवाहाटी, मंडी, कोहिमा, जोवाई, जम्मू, जालंधर, नाहरलागुन, पुडुचेरी और विशाखापत्तनम में स्थित हैं। ये केंद्र शिक्षित एससी/एसटी उम्मीदवारों को रोजगार मिलने की संभावना को बढ़ाने के लिए व्यावसायिक मार्गदर्शन/करियर परामर्श सेवाएं प्रदान करते हैं। इसके अलावा, इन केंद्रों को नई दिशा देने के लिए विशेष कोचिंग योजना और कंप्यूटर प्रशिक्षण को आउटसोर्सिंग के जरिए जोड़ा गया है।

एनसीएससी-एससी/एसटीके कामकाज में प्रगति निम्न प्रकार है:

(उम्मीदवारों की संख्या)

वर्ष

गतिविधियां

लक्ष्य

उपलब्धियां

2019-20

 

परामर्श और निर्देश सेवाएं

140000

147777

टाइपिंग और शॉर्टहैंड

11000

11213

विशेष कोचिंग योजना

1300

1300

कंप्यूटर प्रशिक्षण

1050

1050

2020-21

31अक्टूबर, 2020 तक

परामर्श और निर्देश सेवाएं

70000

55121

टाइपिंग और शॉर्टहैंड

5500

4088

विशेष कोचिंग योजना

1350

1350

कंप्यूटर प्रशिक्षण

5200

5200

 

श्रम कल्याण महानिदेशालय (डीजीएलडब्ल्यू)

निर्माण श्रमिकों के वित्तीय संकट को दूर करने और कोविड-19 महामारी से निपटने में उनका मनोबल बढ़ाने के लिए, माननीय श्रम और रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने सभी राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिक (सेवा नियमन व शर्तें) अधिनियम, 1996 की धारा-60 के तहत डीबीटी के माध्यम से निर्माण श्रमिकों के बैंक खातों में पर्याप्त धनराशि स्थानांतरित करने के लिए सलाह दी थी। कोविड-19 महामारी के दौरान लगभग 1.83 करोड़ भवन और अन्य निर्माण श्रमिकों को 5,012 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दी गई है। इसके अलावा, 30 लाख बीओसी श्रमिकों को खाद्य राहत पैकेज प्रदान किए गए थे।

एलसी एवं आईएलएएस अनुभाग

महत्वपूर्ण उपलब्धियां और कार्यक्रम की प्रमुख झलकियां:

() अंतरराष्ट्रीय सहयोग कार्यक्रमों से जुड़ी उपलब्धियां:

(i) अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के अधिशासी निकाय की अध्यक्षता:

श्री हीरालाल समारिया, तत्कालीन सचिव (श्रम एवं रोजगार) को जून 2020 से जून 2021 तक की अवधि के लिए अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के शासी निकाय का अध्यक्ष चुना गया था। उनके सेवानिवृत्तहोने के बाद, श्री अपूर्व चंद्रा, सचिव (श्रम एवं रोजगार) को उनकी जगह पर निर्वाचित किया गया है। उन्होंने 2- 14 नवंबर 2020 के दौरान वर्चुअल माध्यम से आयोजित आईएलओ के शासी निकाय के 340वें सत्र की अध्यक्षता की।

(ii) शासी निकाय का 340वां सत्र:

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के शासी निकाय (जीबी) का 340वां सत्र 2-14 नवंबर, 2020 तक आयोजित किया गया था। श्री अपूर्व चंद्रा, सचिव (श्रम एवं रोजगार) ने शासी निकाय और शासी निकाय के अधिकारियों की बैठकों की अध्यक्षता की। भारतीय प्रतिनिधिमंडल में श्री राम कुमार गुप्ता, संयुक्त सचिव, सुश्री विभा भल्ला, संयुक्त सचिव, श्री एस.वी. रमण, अवर सचिव, सुश्री कामिनी टांडेकर, उप-निदेशक, सुश्री प्रिया सर्राफ, उपनिदेशक और पीएमआई, जिनेवा की अधिकारी शामिल थे।

(iii) अंतरराष्ट्रीय श्रम दिवस, 01.05.2020

अंतरराष्ट्रीय श्रम दिवस के अवसर पर, श्रम एवं रोजगार राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री संतोष कुमार गंगवार ने 1 मई, 2020 को श्रम शक्ति भवन, नई दिल्ली में केंद्रीय ट्रेड यूनियन के संगठनों और नियोक्ता संगठन के साथ एक वेबिनार का आयोजन किया था। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, विभिन्न केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और नियोक्ता संगठनों के प्रतिनिधियों ने वेबिनार में हिस्सा लिया और (i) कोविड-9 को देखते हुए श्रमिकों और प्रवासी श्रमिकों के हितों की रक्षा करने (ii) रोजगार सृजन के उपायों, (iii) आर्थिक गतिविधियों को दोबारा शुरू करने के लिए उठाए जाने वाले कदमों और (iv) श्रम कानूनों के तहत जवाबदेही को पूरा करने में सक्षम बनाने के लिए एमएसएमई को स्थिति को सुधारने वाले उपायों के बारे में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।

(iv) आईएलओ वैश्विक शिखर सम्मेलन

आईएलओ वैश्विक शिखर सम्मेलन को वर्चुअल माध्यम से 1-9 जुलाई तक आयोजित किया गया था। श्री संतोष कुमार गंगवार, श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने 2 जुलाई, 2020 को आईएलओ क्षेत्रीय कार्यक्रम और 09 जुलाई, 2020 को आईएलओ के संघटक दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया था।

(v) सऊदी अरब की अध्यक्षता में 10 सितंबर, 2020 को जी-20 श्रम एवं रोजगार मंत्रालयों की बैठक

श्री संतोष कुमार गंगवार, श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 10 सितंबर 2020 को सऊदी अरब की अध्यक्षता में वर्चुअल माध्यम के जरिए आयोजित जी-20 श्रम एवं रोजगार मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया। जी-20 श्रम एवं रोजगार मंत्रियों द्वारा जी-20 श्रम एवं रोजगार मंत्रीस्तरीय घोषणा को स्वीकार किया गया। चर्चा के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में (i) कार्य के बदलते तरीकों को प्रतिविंबित करने के लिए सामाजिक सुरक्षा को अपनाना (ii) कामकाज से जोड़ने के लिए युवाओं को बेहतर तरीके से तैयार करना (iii) कामकाज की दुनिया में लैंगिक समानता को प्राप्त करना (iv) मजबूत श्रम बाजार नीतियों के लिए व्यावहारिक अंतर्दृष्टि वाले प्रयोगों की तलाश करना शामिल था।

(Vi) 9अक्टूबर 2020 को रूस की अध्यक्षता में ब्रिक्स श्रम एवं रोजगार मंत्रिस्तरीय बैठक

श्री संतोष कुमार गंगवार, श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 9 अक्टूबर, 2020 को रूस की अध्यक्षता में वर्चुअल माध्यम से आयोजित ब्रिक्स श्रम एवं रोजगार मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया। ब्रिक्स श्रम एवं रोजगार मंत्रियों द्वारा ब्रिक्स श्रम एवं रोजगार मंत्रीस्तरीय घोषणा को स्वीकार किया गया। चर्चा के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में (i) एक निवारक सुरक्षा और स्वस्थ कार्य संस्कृति का विकास (ii) सामाजिक और आर्थिक परिवर्तनों के जरिए गरीबी उन्मूलन (iii) डिजिटल अर्थव्यवस्था में कामकाज का भविष्य शामिल था।

(बी) आईएलओ शताब्दी समारोह कार्यक्रम एवं इसके प्रकाशन

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन शताब्दी वर्ष को मनाने के लिए, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा 22 जनवरी, 2020 को नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम मेंआईएलओ स्मारक डाक टिकटजारी किया गया था। इसके अलावा, कार्यक्रम के दौरान आईएलओ के साथ भारत की 100 वर्ष की साझेदारीऔर भारत और आईएलओ, 100 वर्ष की साझी यात्रा का इतिहासनाम की दो पुस्तकों को जारी किया गया था।

मुख्य श्रम आयुक्त (केंद्रीय) का संगठन

पहल : इस अवधि के दौरान, भारत में कोविड-19 फैला हुआ था और लॉकडाउन लगा था। इसलिए, पूरे भारत में कोविड-19 के कारण लगे लॉकडाउन और नियोक्ताओं व श्रमिकों के सामने पेश आने वाली परेशानियों को ध्यान में रखते हुए, मुख्य श्रम आयुक्त (केंद्रीय) के संगठन द्वारा निम्नलिखित कदम उठाए गए थे:

आठ श्रम कानूनों और दस केंद्रीय नियमों के तहत वार्षिक रिटर्न भरने की अंतिम तिथि को दो महीने यानी 1 फरवरी, 2020 से 30 जून 2020 तक बढ़ा दिया गया था।

ठेका श्रम (नियमन एवं उन्मूलन) अधिनियम, 1970 और अंतर-राज्य प्रवासी कामगार (रोजगार एवं सेवा शर्तें) अधिनियम, 1979के तहत जारीऐसे लाइसेंस की वैधता को 30 जून 2020 तक बढ़ा दिया गया था, जिनका नवीकरण मार्च, अप्रैल, मई और जून 2020 के महीनों में होने वाला था।

मुख्य श्रम आयुक्त (केंद्रीय) के संगठन द्वारा मुख्य श्रम आयुक्त (केंद्रीय) की निगरानी और नियंत्रण में पूरे भारत में कंट्रोल रूम के बीस नंबर स्थापित किए गए थे, जिसका एकमात्र उद्देश्य वेतन के कम/भुगतान न होने, नौकरी से छंटनी/निकाले जाने/बर्खास्तगी से श्रमिकों के सामने आने वाली कठिनाइयों को दूर करना और उनके लिए अस्थायी आश्रय की व्यवस्था करना था।

उपलब्धियां:

नियोक्ताओं के खिलाफ बगैर किसी आक्रामक कार्रवाई के सक्रिय दृष्टिकोण के साथ, नियंत्रण कक्ष के अधिकारियों को, भारत सरकार द्वारा जारी विभिन्न श्रम कानूनों और दिशानिर्देशों के आधार पर प्रेरक प्रयासों के साथ, केंद्रीय क्षेत्र के 1,86,365श्रमिकों को मजदूरी के रूप में 2,95,33,43,880 /- रुपये वितरित करने का अवसर मिला।

नियंत्रण कक्षों के सक्रिय हस्तक्षेप और समन्वय के साथ केंद्रीय क्षेत्र में काम करने वाले 2005 श्रमिकों के रोजगार को छिनने/छंटनी/खत्म होने से बचाया गया था।

आईआर (पीजी) अनुभाग

सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग के जरिए शासन में सुधार:

समाधान पोर्टलसचिव द्वारा फरवरी 2019 में प्रायोगिक आधार पर कामगारों/नियोक्ता की औद्योगिक विवादों से जुड़ी शिकायतें दर्ज करने के लिए एक ई-विवाद पोर्टल समाधान को शुरू किया गया था। इसके बाद, 17 सितंबर, 2020 को इस पोर्टल को भारत के स्तर पर शुरू कर दिया गया था। इस पोर्टल को ऐसे बनाया गया है कि यह विवादों से जुड़े सभी हितधारकों (जैसे कर्मचारी/नियोक्ता,सुलह अधिकारी, उपयुक्त सरकार और सीजीआईटी) को एक ही छत के नीचे ला सके। इस पहल ने आसान, उपयोगी और पारदर्शी तरीके से औद्योगिक विवादों का बाधारहित और समय पर निष्तारण करते हुए औद्योगिक संबंधों के एक नए युग की शुरुआत की है। यह सरल, मानकीकृत और व्यवस्थित प्रक्रिया के परिणाम के रूप में सामने आया है, जो तेज है और निगरानी करने में आसान है। औद्योगिक विवाद से जुड़े कानूनों के प्रशासन में आया यह व्यापक बदलाव उद्योग में शांतिपूर्ण कार्य संस्कृति बनाए रखने को सुनिश्चित करेगा, ताकि औद्योगिक विकास को कोई नुकसान न हो और कर्मचारियों के अधिकारों की भी रक्षा हो सके।

पोर्टल की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं: पीड़ित पक्ष द्वारा आईडी का पंजीकरण; सभी जरूरी दस्तावेजों को पेश करना और; आईडी की वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त करना।

30 अक्टूबर, 2020 तक, पोर्टल पर कुल 7735 यूजर-आईडी बनी हैं, जिनमें से 6916 यूजर-आईडी व्यक्तिगत स्तर की और 819 ट्रेड यूनियन की हैं। इस पोर्टल के माध्यम से कुल 2786मामले दर्ज किए गए हैं और इनमें से 1744 मामलों को सुलझा दिया गया है।

श्रम सुधार प्रकोष्ठ (श्रम सुविधा पोर्टल)

तकनीक के माध्यम से शासन में सुधार:

श्रम सुविधा पोर्टल:श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने श्रम कानूनों को लागू करने में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने और अनुपालन की जटिलताओं को आसान बनाने के लिए एक एकीकृत वेब पोर्टल श्रम सुविधा पोर्टलतैयार किया है।

इस पोर्टल पर पजींकरण के बाद ऑनलाइन निरीक्षण और अनुपालन के लिए इकाइयों को यूनीक लेबर आइडेंटिफिकेशन नंबर (विशिष्ट श्रम पहचान संख्या) (एलआईएन) आवंटित किया जाता है। इस सुविधा को16.10.2014 को इस पोर्टल की शुरुआत के साथ ही शुरू कर दिया गया था। 24.11.2020 तक 30,10,746 इकाइयों को विशिष्ट श्रम पहचान संख्या (एलआईएन) आवंटित हो चुकी है।

16.10.2014 को पोर्टल के उद्घाटन के साथ केंद्रीय क्षेत्र में पारदर्शी श्रम निरीक्षण योजना को शुरू कर दिया गया था। श्रम निरीक्षण योजना की शुरुआत के बाद से, श्रम सुविधा पोर्टल पर चारों केंद्रीय श्रम प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा 5,75,967 निरीक्षण रिपोर्ट को अपलोड किया गया है।

ऑनलाइन रिटर्न:

आठ (8) केंद्रीय श्रम कानूनोंयानी वेतन भुगतान अधिनियम, 1936;न्यूनतम वेतन अधिनियम, 1948;मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961;बोनस भुगतान अधिनियम, 1965;औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947;ठेका श्रम (विनियमन और उन्मूलन) अधिनियम, 1970;अंतर-राज्य प्रवासी कामगार (रोजगार एवं सेवा शर्तें) अधिनियम, 1979;और भवन व अन्य निर्माण श्रमिक (रोजगार का नियमन और सेवा की शर्तें) (बीओसीडब्ल्यू) अधिनियम, 1996 के संबंध में एकीकृत ऑनलाइन वार्षिक रिटर्न को अनिवार्य बनाया गया है। पहले ये रिटर्न छमाही/वार्षिक थे, अब इसे सभी नियोक्ताओं द्वारा केवल वार्षिक आधार परऑनलाइन भरने की जरूरत है। ऑनलाइन वार्षिक रिटर्न भरने की शुरुआत होने के बाद से, 24.11.2020 तक श्रम सुविधा पोर्टल पर 1,30,925 ऑनलाइन रिटर्न भरे गए हैं।

श्रम सुविधा पोर्टल पर खदान अधिनियम, 1952 (कोयला खनन विनियमन, मेटलर्जिकल खनन विनियमन और तेल खनन विनियमन) के तहत 24.11.2020 तक 19,722ऑनलाइन रिटर्न दाखिल किए गए हैं।

ईपीएफओ और ईएसआईसी के लिए एकीकृत मासिक इलेक्ट्रॉनिक चालान-सह-रिटर्न (ईसीआर) को चालू किया गया है।

सबके लिए एक जैसा पंजीकरण:

ईपीएफओ और ईएसआईसी के लिए एक समान पंजीकरण फॉर्म को लागू किया गया है। 24 नवंबर, 2020तक, ईपीएफओ के साथ 2,16,640और ईएसआईसी के साथ 1,80,390इकाइयां पंजीकृत हो चुकी हैं। इसके अलावा, 15.02.2020 से प्रभावी होने के साथ एमसीए पोर्टल (www.mca.gov.in) पर स्पाइस+ और एजिल-प्रो ई-फॉर्म के माध्यम से कंपनी के निगमन के मौके पर नई पब्लिक व प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों और एकल व्यक्ति वाली कंपनी के लिए ईपीएफओ और ईएसआईसी के लिए एक जैसे पंजीकरण फॉर्म को लागू किया गया है। नई पब्लिक और प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों और एकल व्यक्ति की कंपनी के लिए ईपीएफओ और ईएसआईसी के लिए 15.02.2020 से श्रम सुविधा पोर्टल पर पंजीकरण रोक दिया गया है।

श्रम सुविधा पोर्टल पर भवन व अन्य निर्माण श्रमिक (रोजगार और सेवा शर्तों का विनियमन) अधिनियम, 1996, अंतर-राज्य प्रवासी कामगार (रोजगार और सेवा शर्तों का विनियमन) अधिनियम, 1979 और ठेका श्रम (विनियमन और उन्मूलन) अधिनियम, 1970 नाम के तीनों केंद्रीय अधिनियमों के तहत एक जैसे ऑनलाइन पंजीकरण को उपलब्ध कराया जा रहा है। 24.11.2020तक इस सुविधा का इस्तेमाल करते हुए9973पंजीकरण जारी किए गए हैं।

अंतर-राज्य प्रवासी कामगार (रोजगार और सेवा शर्तों का विनियमन) अधिनियम, 1979 और ठेका श्रम (विनियमन और उन्मूलन) अधिनियम, 1970 नाम के दोनों केंद्रीय कानूनों के तहत लाइसेंस को ऑनलाइन किया गया है। इस सुविधा का उपयोग करते हुए 24.11.2020तक 36,141लाइसेंस जारी किए गए हैं।

राज्यों का एकीकरण:

श्रम सुविधा पोर्टल के साथ राज्यों का एकीकरण जारी है। आज की तिथि तक, हरियाणा, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, उत्तराखंड और दिल्ली को पोर्टल के साथ जोड़ा जा रहा है। राज्य श्रम प्रवर्तन एजेंसियों के दायरे में आने वाले संस्थानों के आंकड़े साझा किए जा रहे हैं और एलआईएन आवंटित किया जा रहा है।

स्टार्ट अप इंडिया:

उन स्टार्ट-अप को छह (6) केंद्रीय श्रम कानूनों के तहत श्रम निरीक्षण से छूट की सुविधा दी जा रही है, जो श्रम सुविधा पोर्टल के माध्यम से स्व-प्रमाणित घोषणाएं पेश करते हैं।

राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को स्टार्ट-अप्स की जांच विनियमित करने और जहां भी लागू हो पाए, वहां पर स्व-प्रमाणित अनुपालन की व्यवस्था को 3 वर्ष से 5 वर्ष तक लागू करने की सलाह दी गई है। इस मंत्रालय द्वारा चार (4) श्रम कानूनों यानी भवन व अन्य निर्माण श्रमिक (रोजगार और सेवा शर्तों का विनियमन) अधिनियम, 1996, अंतर-राज्य प्रवासी कामगार (रोजगार और सेवा शर्तों का विनियमन) अधिनियम, 1979, ग्रेज्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 और ठेका श्रम (विनियमन और उन्मूलन) अधिनियम, 1970 के तहत स्टार्ट-अप के लिए स्वप्रमाणन और निरीक्षण विनियमन को प्रभावी बनाने, जहां लागू हो, के लिए12.01.2016/06.04.2017 को जारी एडवाइजरी पर 28 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों ने कार्रवाई की है।

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