आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय

स्वच्छता ऐप पर 1.5 लाख से ज्यादा कोविड से संबंधित शिकायतों का समाधान किया गया, कोविड-19 से संबंधित नौ अतिरिक्त श्रेणियों के साथ फिर से ऐप को पेश किया गया


स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 में 12 करोड़ से ज्यादा लोगों ने भाग लिया

सीवर और सेप्टिक टैंकों की जोखिम भरी सफाई पर रोक और मशीनयुक्त सफाई को प्रोत्साहन देने के लिए सफाईमित्र सुरक्षा चैलेंज शुरू किया गया, वर्तमान में इस पर 244 शहरों में काम हो रहा है

50 से ज्यादा स्मार्ट सिटीज में मौजूद कमान सेंटर्स को कोविड-19 वार रूम्स में बदला गया, बेंगलुरु स्मार्ट सिटी में 24 घंटों में मॉडल कोविड वार रूम तैयार किया गया

कोविड अस्पतालों, चिकित्सा अवसंरचना, वस्तु एवं सेवाओं की आवाजाही की निगरानी, लॉकडाउन संबंधी प्रबंधन, संक्रमित मरीजों के सुदूर उपचार और परामर्श के लिए स्मार्ट सिटीज में विकसित किए गए एकीकृत डैशबोर्ड

स्मार्ट सिटीज में वायरस संक्रमित लोगों के संपर्कों का पता लगाने, नजर रखने और निगरानी के लिए वेब आधारित मोबाइल ऐप्लीकेशन विकसित किए गए हैं

पीएमएवाई-यू के अंतर्गत लगभग 20,000 घरों को कोविड केन्द्रों के रूप में इस्तेमाल किया गया

अमृत शहरों में 93 लाख पेयजल नल कनेक्शन और 59 लाख सीवर कनेक्शन उपलब्ध कराए गए
लॉकडाउन के दौरान 50,000 से ज्यादा एसएचजीएस द्वारा 14 राज्यों में शहरी निराश्रितों के लिए बने आश्रय स्थलों में 7 करोड़ मास्क, मुफ्त भोजन, सामुदायिक रसोई की व्यवस्था की गई

स्वनिधि योजना के अंतर्गत 50 लाख रेहड़ी पटरी वालों ने लाभ लिया- 33.6 लाख से ज्यादा कर्ज आवेदन प्राप्त हुए- 17.6 लाख कर्जों को स्वीकृति दी गई और 12.7 लाख लोगों को कर्ज वितरित किए गए

व्यापक सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए विभिन्न केन्द्रीय योजनाओं का लाभ देने को पीएम स्वनिधि लाभार्थियों का सामाजिक-आर्थिक रिकॉर्ड तैयार किया गया

शहरी प्रवासियों के जीवन को सुगम बनाने के लिए पीएमएवाई-यू के अंतर्गत एक उप योजना के रूप में पेश की गई कम किराये वाली आवासीय परिसर योजना

Posted On: 11 JAN 2021 10:58AM by PIB Delhi

 

अभी तक पीएमएवाई के अंतर्गत 1.09 करोड़ से ज्यादा घरों को स्वीकृति दी गई - 70 लाख से ज्यादा घरों में विभिन्न चरणों में निर्माण जारी है, 40 लाख घरों की डिलीवरी हुई

18 शहरों में 702 किलोमीटर मेट्रो नेटवर्क परिचालन में आया और 27 शहरों तक हो रहा विस्तार- प्रतिदिन रिकॉर्ड 85 लाख सवारी का आंकड़ा हासिल किया (कोविड से पहले)

आत्म निर्भर भारत- भारत की कंपनियों को 1,000 से ज्यादा मेट्रो/ आरआरटीएस कोच के ऑर्डर मिले

छोटे शहरों के लिए अनुकूल मेट्रो लाइट और मेट्रो नियो के लिए विनिर्देश जारी किए

डेबिट/क्रेडिट कार्ड उपकरणों के बड़े स्तर पर स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड पेश किया गया - डीएमआरसी की एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन पर पूरी तरह से एनसीएमसी को लागू किया गया

दिल्ली मेट्रो की मैजेंटा लाइन पर चलाई गई पहली पूर्ण स्वचालित चालक रहित ट्रेन, इससे मानवीय गलती की संभावनाएं होंगी खत्म और मिलेगा परिचालन संबंधी लचीलापन

वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर “शहरी यातायात में उभरते रुझान” विषय पर 13वें भारतीय शहरी यातायात सम्मेलन का आयोजन किया गया - 1,000 से ज्यादा विशेषज्ञों ने की वैश्विक भागीदारी

लगभग 60,000 रियल एस्टेट परियोजनाएं और 46,000 रियल एस्टेट एजेंट पंजीकृत हुए

नया संसद भवन जीवंत लोकतंत्र का प्रदर्शन करने वाली आधुनिक आइकन इमारत होगी - इसमें बनी आलीशान केंद्रीय संवैधानिक गैलरी तक जनता की पहुंच होगी

ई-सम्पदा- 28 शहरों में एक लाख से ज्यादा सरकारी आवासों के आवंटन से जुड़ी प्रक्रियाओं के सरलीकरण और देश भर में एकरूपता लाने के लिए सुशासन दिवस पर पेश किया गया नया वेब पोर्टल और मोबाइल ऐप

60,000 से ज्यादा एलएंडडीओ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और विश्वसनीयता लाने, जीवन सुगमता सुनिश्चित करने के लिए ई-धरती जिओ पोर्टल का शुभारंभ किया गया

दिल्ली मास्टर प्लान- 2041 से टिकाऊ, रहने योग्य और जीवंत दिल्ली को प्रोत्साहन मिलेगा

पारदर्शिता, दक्षता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए सीपीडब्ल्यूडी में ईआरपी को लागू किया जा रहा है

ऑनलाइन निर्माण परमिट जारी करने की सुविधा देने के लिए 2,101 कस्बों में ऑनलाइन 

 

2004-2014 की तुलना में 2014-21 के दौरान बीते सालों में शहरी क्षेत्र में कुल निवेश 627 प्रतिशत तक बढ़ गया है। शहरी अवसंरचना के निर्माण और सुधार तथा नागरिकों के लिए सुगम जीवनशैली सुनिश्चित करने के लिए 2004-14 के दौरान हुए 1.5 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 12 लाख करोड़ रुपये (लगभग) की धनराशि खर्च हुई है। आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के अंतर्गत चलने वाले अभियानों ने कोविड-19 महामारी के दौरान उल्लेखनीय भूमिका निभाई है और महामारी के खिलाफ राष्ट्र की लड़ाई और नागरिकों के लिए जीवन सुगमता सुनिश्चित करने के कई उपायों को कार्यान्वित किया।

कोविड-19 का सामना करने के क्रम में, लॉकडाउन के पहले चरण के ठीक बाद नागरिकों को अपनी कोविड से संबंधित शिकायतों का संबंधित यूएलबी से समाधान कराने में सक्षम बनाने के लिए मौजूदा स्वच्छता-एमओएचयूए ऐप का एक संशोधित संस्करण पेश किया गया था। इस ऐप को कोविड-19 से जुड़ी शिकायतों की नौ अतिरिक्त श्रेणियों के साथ फिर से पेश किया गया था। 87 प्रतिशत की समाधान दर के साथ इस ऐप पर 1.5 लाख से ज्यादा कोविड से संबंधित शिकायतों का समाधान किया जा चुका है। एसबीएम-यू ने वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर अगस्त, 2020 में स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 पुरस्कार समारोह और नवंबर, 2020 में सफाईमित्र सुरक्षा चैलेंज सहित कई प्रमुख कार्यक्रमों का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया।

स्मार्ट सिटी मिशन ने सुनिश्चित कर दिया कि स्मार्ट शहर कोविड संकट से निपटने का प्रबंध करते समय प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने में सबसे आगे रहें। 50 से अधिक स्मार्ट शहरों ने अपने एकीकृत नियंत्रण और कमान केन्‍द्रों (आईसीसीसी) को कोविड-19 वार रूम में तब्दील कर दिया, ताकि कोविड से निपटने में विभिन्न सरकारी विभागों, विशेष रूप से बेंगलुरु, पुणे, इंदौर, आगरा, वाराणसी और सूरत के साथ सहयोग करने में सक्षम हो सकें। 24 घंटे में बेंगलुरु स्मार्ट सिटी में एक मॉडल कोविड वॉर रूम तैयार किया गया। पुणे, आगरा, वाराणसी, सूरत, बेंगलुरु शहरों में एकीकृत डैशबोर्ड विकसित किए गए, ताकि प्रभावी निर्णय लिए जा सकें, कोविड हॉटस्पॉट्स, चिकित्‍सा बुनियादी ढांचे, वस्तुओं और सेवाओं की आवाजाही पर निगरानी रखी जा सके और ट्रैकिंग पर नज़र रखने और लॉकडाउन के दौरान बंदोबस्‍त किए जा सकें। सूरत, पुणे, नागपुर, आगरा और चेन्नई जैसे स्‍मार्ट शहरों में संपर्क का पता लगाने के लिए और वायरस संक्रमित व्यक्तियों पर नज़र रखने और निगरानी के लिए वेब-आधारित/मोबाइल एप्‍लीकेशनों का लाभ उठाया गया। कानपुर, ग्वालियर, इंदौर और आगरा जैसे स्मार्ट शहरों ने टेलीमेडिसिन और संक्रमित रोगियों को परामर्श देने के लिए समर्पित लाइनों के साथ दो-तरफ़ा सम्‍पर्क के लिए अपने आईसीसीसी का लाभ उठाया। स्मार्ट सिटीज़ ने स्मार्ट संचार अवसंरचना और ड्रोन का उपयोग लॉकडाउन के दौरान प्रबंधन करने और सार्वजनिक स्थानों पर सोशल डिस्टेंसिंग को अधिक प्रभावी बनाने के लिए किया गया।

अमृत मिशन ने कोविड के कारण लागू लॉकडाउन के दौरान सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छता को बेहतर बनाने में मदद की और लॉकडाउन के बाद से लगभग 15 लाख पानी के नल कनेक्शन और 9 लाख से अधिक सीवर कनेक्शन प्रदान किए गए।

शहरी रेहड़ी-पटरी वालों के लिए एक अनोखी योजना, पीएम स्‍वनिधि, जून 2020 में शुरू की गई थी, इस योजना में ऐसे रेहड़ी-पटरी वालों को अपनी आजीविका को फिर से शुरू करने के लिए वहन करने योग्‍य कोलेटरल मुक्‍त कार्यशील पूंजी ऋण प्रदान करने की व्‍यवस्‍था की गई जो कोविड-19 लॉकडाउन के कारण काफी प्रभावित हुए थे। इस योजना में 50 लाख से अधिक रेहड़ी-पटरी वालों को लाभान्वित करने का लक्ष्य रखा गया और ऋण की नियमित अदायगी पर 7% प्रति वर्ष ब्याज की दर से ब्‍याज पर सब्सिडी के रूप में प्रोत्साहन प्रदान करने और निर्धारित डिजिटल लेन-देन करने पर प्रति वर्ष 1,200 रुपये तक कैश बैक की व्‍यवस्‍था की गई। समय पर या जल्द अदायगी करने पर, विक्रेता दूसरे चक्र के दौरान 20,000 रुपये और तीसरे चक्र के दौरान 50,000 रुपये तक के ऋण का पात्र है। भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक के सहयोग से एक आईटी प्लेटफॉर्म के माध्यम से शुरू से अंत तक समाधान विकसित किया गया है। अब तक, 33.6 लाख से अधिक ऋण आवेदन प्राप्त हुए हैं। इनमें से 17.3 लाख से अधिक ऋण स्वीकृत किए गए हैं और 12.7 लाख से अधिक ऋण वितरित किए गए हैं।

पीएम स्‍वनिधि योजना के एक अतिरिक्त घटक के रूप में पीएम स्‍वनिधि के लाभार्थियों और उनके परिवारों की सामाजिक-आर्थिक रूपरेखा का एक कार्यक्रम उनके समग्र सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ बढ़ाने के लिए शुरू किया गया था। यह माननीय प्रधान मंत्री के विजन पर आधारित था कि पीएम स्‍वनिधि योजना रेहड़ी-पटरी वालों को केवल ऋण देने की दृष्टि से नहीं बल्कि रेहड़ी-पटरी वालों और उनके परिवारों के लिए एक साधन के रूप में देखा जाना चाहिए। कार्यक्रम के लिए पहले चरण में 125 शहरों का चयन किया गया है।

राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एनयूएलएम) ने करीब 7 करोड़ मास्‍क, 3 लाख लीटर से अधिक सैनिटाइजर और 2 लाख पीपीई किट तैयार करने और इनकी आपूर्ति के लिए लगभग 50 हज़ार स्‍व सहायता समूहों के साथ समन्‍वय स्‍थापित किया। मिशन ने शहरी बेघरों के लिए 1 लाख से अधिक आश्रयों में एक दिन में 3 बार भोजन की मुफ्त आपूर्ति सुनिश्चित की, जिसमें प्रवासी भी शामिल थे। स्‍व सहायता समूहों ने लॉकडाउन के दौरान 14 राज्यों में सामुदायिक रसोइयों में रोजाना लगभग 60 हजार लोगों को भोजन उपलब्ध कराया।

'आत्‍मनिर्भर भारत' के प्रधानमंत्री के स्पष्ट आह्वान के अनुसार, औद्योगिक क्षेत्र में शहरी प्रवासियों/गरीबों के साथ-साथ गैर-औपचारिक शहरी अर्थव्यवस्था में जीवन को सुगम बनाने के लिए पीएमएवाई-यू के तहत एक उप योजना के रूप में सस्ते किराये के आवास परिसरों (एआरएचसी) को मंजूरी दी गई ताकि इन लोगों को अपने कार्यस्थल के करीब गरिमापूर्ण किफायती किराये के आवास मिल सकें। एआरएचसी के कार्यान्वयन के लिए अब तक 29 राज्यों/संघ शासित प्रदेशों ने समझौतों (एमओए) पर हस्ताक्षर किए हैं। मौजूदा सरकारी खाली मकानों की पहचान करके और आवंटन प्रक्रियाओं को आगे बढ़ाते हुए, गुजरात और संघ शासित प्रदेश चंडीगढ़ पहल करने वाले राज्‍य बन गए हैं। संघ शासित प्रदेश चंडीगढ़ ने ऐसे 2195 घरों की पहचान की है, जिनमें से 1703 शहरी गरीब परिवारों को पहले ही आवंटित किए जा चुके हैं। गुजरात में, राजकोट और अहमदाबाद के लिए आरएफपी जारी किए गए हैं जबकि सूरत के लिए रियायत प्राप्‍त करने वालों का चयन किया गया है।

पीएमएवाई-यू के एएचवी वर्टिकल के अंतर्गत लगभग 20,000 घरों का कोविड सुविधाओं के रूप में उपयोग किया गया था। पीएमएवाई-यू के तहत मध्‍यम आय वर्ग (एमआईजी) के लिए ऋण से जुड़ी सब्सिडी योजना (सीएलएसएस) को आत्‍मनिर्भर भारत पहल के तहत एक उपाय के रूप में 31 मार्च 2021 तक बढ़ाया गया। एमआईजी के लिए सीएलएसएस के विस्तार से वित्तीय वर्ष 2020-21 में 70,000 करोड़ रुपये का निवेश करने वाले मध्‍यम आय वर्ग के 2.5 लाख परिवारों को लाभ होगा।

यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर आवास परियोजनाओं को पूरा करने में किसी भी देरी के कारण घर खरीदने वालों को नुकसान नहीं हो, एमओएचयूए ने सभी राज्यों/संघ शासित प्रदेशों और उनके रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरणों को एक परामर्श जारी किया है ताकि अप्रत्‍याशित घटना खंड को लागू करने का आदेश उपयोग में लाने का आदेश जारी किया जा सके और पूरा करने की तारीख बढ़ाने के बारे में स्‍वत: संज्ञान लिया जा सके या 6 महीने की अवधि के लिए रेरा के तहत पंजीकृत रियल एस्‍टेट की सभी परियोजनाओं को पूरा करने की संशोधित तारीख/तारीख बढ़ाई जा सके, जहां पूरा करने की तारीख 25 मार्च, 2020 को या उसके बाद और 3 महीने तक की अवधि में समाप्त हो रही है, यदि कोविड-19 से उत्पन्न स्थिति के कारण ऐसा करना पड़ता है।

देश में लॉकडाउन और मेट्रो रेल नेटवर्क को रोकने के बावजूद, एनसीआरटीसी (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम) सहित मेट्रो कंपनियों ने अपना काम जारी रखा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि लॉकडाउन हटते ही मेट्रो नेटवर्क के निर्माण का जमीनी कार्य फिर से शुरू हो सके। विभिन्न मेट्रो रेल परियोजनाओं में वीसी और अनुबंध आदि के माध्यम से बोली पूर्व बैठकें हुईं। विभिन्न मेट्रो कंपनियों ने निविदाएं जारी की और महामारी के दौरान भी मेट्रो नेटवर्क के निर्माण के लिए काम सौंपा। एनसीआरटीसी ने दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के लिए निविदा जारी की, उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने कानपुर और आगरा परियोजनाओं के लिए निविदाएं प्रदान कीं। इसी प्रकार, डीएमआरसी, बेंगलुरु मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन, महाराष्ट्र मेट्रो, कोच्चिं मेट्रो, मध्य प्रदेश मेट्रो, नोएडा मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने भी तैयारी संबंधी कार्य किया। मेट्रो कंपनियों ने महामारी को फैलने से रोकने के लिए मेट्रो रेल सेवाओं को फिर से शुरू करने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) भी तैयार की। एसओपी के आधार पर, प्रत्येक मेट्रो रेल कंपनी ने श्रेणीबद्ध तरीके से लॉकडाउन के बाद सेवाओं को फिर से शुरू करने के लिए दिशा-निर्देश तैयार किए। मेट्रो यात्रा के दौरान फेस मास्क/मुंह ढक कर रखना और एक दूसरे से दूरी बनाकर रखना अनिवार्य कर दिया गया है।

एसबीएम-शहरी:

स्वच्छ्ता को जीवन का मार्ग बनाने के रूप में एसबीएम 2.0 पर ध्यान दिया जा रहा है। अगले पांच वर्षों में यह सुनिश्चित किया जायेगा कि शहरी भारत के सभी शहर ओडीएफ+ प्रमाणित हैं और कम से कम 3 स्टार कचरा मुक्त हैं तथा 1 लाख से कम आबादी वाले सभी शहर ओडीएफ++ प्रमाणित हैं। इसके अतिरिक्त, 1 लाख से कम आबादी वाले 50 प्रतिशत शहर जल+ प्रमाणित हैं। पिछले छह वर्षों के दौरान महत्वपूर्ण उपलब्धियों के साथ, मिशन ने वास्तव में एक स्वच्छ', स्वस्थ', 'सशक्त', 'समृद्ध' और 'आत्मनिर्भर' भारत की यात्रा में एक नया अध्याय लिखा है। मिशन में अब तक की प्रगति: -

स्वच्छता: खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) राज्यों और शहरों के सन्दर्भ में, 2014 के शून्य स्तर की स्थिति से शहरी भारत ओडीएफ बन गया है, (पश्चिम बंगाल के 12 यूएलबी को छोड़कर)।

• 66.5 लाख से अधिक व्यक्तिगत घरेलू शौचालयों का निर्माण किया गया है, जो 58.99 लाख के लक्ष्य से अधिक है।

• 6.2 लाख से अधिक सामुदायिक/सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण किया गया है, जो 5.07 लाख के लक्ष्य से अधिक है। समग्र और स्थायी स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए, मंत्रालय ने 2018 में ओडीएफ+ और ओडीएफ++ प्रोटोकॉल की शुरुआत की थी, जो समुदाय/सार्वजनिक शौचालयों के संचालन और उपयोगिता पर ध्यान केंद्रित करता है और क्रमशः मल और कीचड़ के पूर्ण प्रबंधन से सम्बंधित है। अभी तक कुल 1,389 शहरों को ओडीएफ+ और 489 शहरों को ओडीएफ++ प्रमाणित किया गया है।

सार्वजनिक शौचालयों को नागरिकों के लिए अधिक सुलभ बनाने के प्रयास में, मंत्रालय ने गूगल मैप्स पर सार्वजनिक शौचालयों को दिखाने के लिए गूगल के साथ भागीदारी की। अभी तक, 2900+ शहरों के 60,000 से अधिक शौचालयों को गूगल मानचित्र पर (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के 500+ शौचालय शामिल) दिखाया गया है। हर दिन शौचालयों को गूगल मैप्स से जोड़ा जा रहा है।

ठोस अपशिष्ट प्रबंधनघर-घर से कचरा संग्रह करना और कचरे को अलग-अलग करना, जो 2014 से पहले लगभग नगण्य थे, अब क्रमशः 97 प्रतिशत (86,284 वार्डों में से 83,435 वार्ड) और 77 प्रतिशत (86,284 वार्डों में से 66,400) हो गए हैं। कचरा प्रसंस्करण का प्रतिशत जो 2014 से पहले 18 था, अब तीन गुना बढ़कर 68 प्रतिशत हो गया है। कचरा मुक्त शहरों के लिए स्टार रेटिंग प्रोटोकॉल जनवरी 2018 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य समग्र और टिकाऊ ठोस अपशिष्ट प्रबंधन को बढ़ावा देना है, ताकि शहरों को स्वच्छता के उच्च स्तर की ओर बढ़ने में मदद की जा सके। अब तक 6 शहरों (मैसूरु, नवी मुंबई, सूरत, राजकोट, इंदौर और अंबिकापुर) को 5 स्टार, 86 शहरों को 3 स्टार और 64 शहरों को 1 स्टार का दर्जा दिया गया है।

स्वच्छ सर्वेक्षण

स्वच्छ सर्वेक्षण के 5 संस्करण अब तक आयोजित किए जा चुके हैं। इस सर्वेक्षण का पहला संस्करण वर्ष 2016 में 73 शहरों में (10 लाख से अधिक आबादी के साथ) शुरू किया गया था, वहीं अब सर्वेक्षण के पांचवें संस्करण यानी कि स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 में इसका आकार बेहद विशाल हो चका है और भाग लेने वाले शहरों की संख्या 4,242 तक पहुंच चुकी है। मार्च 2021 में किए जाने वाले ज़मीनी स्तर के मूल्यांकन के साथ ही स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 शुरू किया गया है। लोगों की सहभागिता स्वच्छ सर्वेक्षण का एक प्रमुख घटक रहा है, जिसमें जनता की भागीदारी साल दर साल बढ़ती जा रही है। पिछले संस्करण यानी स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 में 12 करोड़ नागरिकों की अभूतपूर्व भागीदारी देखी गई।

सफाईमित्र सुरक्षा चैलेंज-

स्वच्छ भारत मिशन-शहरी ने सफाईमित्र सुरक्षा चुनौती कार्यक्रम (19 नवंबर 2020) को सीवरों और सेप्टिक टैंकों की 'खतरनाक सफाई' को रोकने तथा इनकी मशीनीकृत सफाई को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू किया है। वर्तमान में 244 शहरों में सफाईमित्र सुरक्षा चुनौती कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम के एक हिस्से के रूप में, खतरनाक सफाई के लिए शिकायतों को दर्ज करने तथा लबालब भरी हुई सीवर लाइन का समय रहते समाधान प्रदान करने के लिए एक हेल्पलाइन नंबर 14420 जारी किया गया है। इसमें भाग लेने वाले शहरों का वास्तविक ऑन-ग्राउंड मूल्यांकन मई 2021 में एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा आयोजित किया जाएगा और इसके परिणाम अगस्त 2021 में घोषित किये जायेंगे।

स्वच्छता का काम करने वालों और कूड़ा बीनने का काम करने वालों को मुख्यधारा से जोड़ना तथा उनका एकीकरण- मिशन ने 84,000 से अधिक कचरा बीनने वालों को मुख्यधारा में शामिल किया है, जबकि 5.5 लाख से अधिक स्वच्छता कार्यकर्ताओं को सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ा गया है।

हितधारकों और स्वयंसेवकों को सशक्त बनाने तथा अपने शहरों की स्वच्छता में योगदान देने के लिए एक ऑनलाइन नागरिक पोर्टल स्वच्छ मंच पर 7 करोड़ से अधिक नागरिकों की ने अपनी भागीदारी दर्ज कराई है। स्वच्छ भारत मिशन-शहरी के पास इस काम की सफलता के बारे में ज़्यादा से ज़्यादा जानकारी जुटाने के लिए 140 से अधिक सेलेब्रिटी राजदूत हैं। 2020 के कुछ प्रमुख अभियानों में 'द स्टोरी ऑफ मालासुर- द डिमॉन ऑफ डिफेका' शामिल है, जो कि मल कीचड़ प्रबंधन और सीवरों एवं सेप्टिक टैंकों की खतरनाक सफाई के मुद्दे पर 'सुरक्षा नहीं तो सफाई नहीं' के आदर्श-वाक्य के साथ जन जागरूकता अभियान के लिए बहुत महत्वपूर्ण पहल है।

दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन

दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (डीएवाई-एनयूएलएम) मजबूत सामुदायिक संस्थानों के निर्माण के माध्यम से शहरी गरीबी को कम करने, कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने, स्व-रोजगार के लिए सस्ते ऋण तक पहुंच बढ़ाने, रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं की सहायता और शहरी बेघरों के लिए आश्रय देने का काम करता है। यह मिशन स्थायी आजीविका उपलब्ध करने में भी शहरी गरीबों को सुविधा प्रदान कर रहा है। 53 लाख से अधिक सदस्यों के साथ 5.2 लाख से ज़्यादा स्वयं सहायता समूह मौजूद हैं। अब तक 10 लाख से ज़्यादा व्यक्तियों को कौशल प्रशिक्षित करके प्रमाणपत्र और 12 लाख व्यक्तियों को बैंक ऋण दिए जा चुके हैं। मिशन के तहत 2,168 आश्रय स्थलों को भी मंजूरी दी गई है। डीएवाई-एनयूएलएम का लक्ष्य 50 लाख रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं को विक्रय प्रमाणपत्र जारी करना, 40 लाख शहरी गरीबों को उद्यमिता विकास के माध्यम से सशक्त बनाना और 10 लाख से ऊपर की आबादी वाले सभी स्मार्ट शहरों में शहरी आजीविका केंद्र बनाना है। मिशन का उद्देश्य 2024 तक 1 करोड़ महिलाओं को स्वयं सहायता समूह के अंतर्गत लाना है।

अटल नवीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत)

मिशन के अंतर्गत 93 लाख से अधिक जल के नल कनेक्शन और 59 लाख सीवर कनेक्शन प्रदान किए गए हैं। वर्ष 2023 तक अमृत के तहत लक्षित 1.39 करोड़ जल के नल कनेक्शन और 1.45 करोड़ सीवर कनेक्शन प्रदान कर दिए जायेंगे। लॉकडाउन के बाद से मिशन के तहत लगभग 15 लाख पानी के नल कनेक्शन और 9 लाख सीवर कनेक्शन उपलब्ध कराये गए हैं। मिशन ने 1,755 से अधिक हरित स्थानों तथा पार्कों का विकास सुनिश्चित किया है और वर्ष 2023 तक पार्कों के माध्यम से 5,400 एकड़ के हरे-भरे स्थानों को जोड़ा जाएगा, जिससे पर्यावरण एवं जल संरक्षण में सुधार होगा आएगा।

ऊर्जा संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए 80 लाख पारंपरिक स्ट्रीट लाइट्स को ऊर्जा कुशल एलईडी बल्ब से बदल दिया गया है, जिससे प्रति वर्ष ऊर्जा की खपत में 175 करोड़ यूनिट की बचत हो सकती है और कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन में प्रति वर्ष 14.02 लाख टन की कमी आएगी। साल 2020 में लगभग 13 लाख स्ट्रीट लाइट्स को एलईडी लाइट्स से बदला गया है। वर्ष 2023 तक 1.02 करोड़ स्ट्रीट लाइट्स को एलईडी लाइट्स से बदलने का लक्ष्य रखा गया है।

बाजार से प्राप्त वित्तीय सहायता का उपयोग करने में शहरों को श्रेय देने के लिए, 485 शहरों को क्रेडिट रेटिंग कार्य प्रदान किया गया है और यह 469 शहरों में पूरा किया गया है। 163 शहरों ने इन्वेस्टिबल ग्रेड रेटिंग (आईजीआर) प्राप्त की है, जिसमें A- या उससे ऊपर के 36 शहर शामिल किये गए हैं। अहमदाबाद, अमरावती, भोपाल, हैदराबाद, इंदौर, पुणे, सूरत, विशाखापत्तनम और लखनऊ के 9 शहरी स्थानीय निकायों ने नगरपालिका बांड के माध्यम से 3,690 करोड़ रुपये जुटाए हैं। लखनऊ के शहरी स्थानीय निकाय ने वर्ष 2020 में 200 करोड़ रुपये के नगरपालिका बांड उठाये हैं। इन नौ शहरी स्थानीय निकायों को प्रोत्साहित करने के लिए 207 करोड़ जारी किए गए हैं।

निर्माण परमिट की स्वीकृति देने के मामले में आसानी सुनिश्चित करने के लिए आंतरिक एवं बाहरी एजेंसियों के साथ सहज एकीकरण कर ऑनलाइन बिल्डिंग परमिशन सिस्टम (ओबीपीएस) को 2,101 शहरों में परिचालन योग्य बनाया गया है, जिसमें 444 अमृत शहर भी शामिल हैं, जो निर्माण परमिट जारी करने की सुविधा प्रदान करते हैं, जिससे लागत और समय में काफी कमी आती है। विश्व बैंक की डूइंग बिजनेस रिपोर्ट (डीबीआर) के अनुसार निर्माण परमिट की स्वीकृति देने में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस यानी कारोबार की सुगमता सूचकांक (ईओडीबी) में भारत की रैंक वर्ष 2018 में 181 के मुक़ाबले 2020 में 27 हो गई।

आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय एक नये जल जीवन मिशन (जेजेएम-यू) की योजना बना रहा है, ताकि सभी प्रमुख शहरों को 'जल सुरक्षित' बनाने के उद्देश्य से उन्हें योजना के दायरे में लाया जा सके। 2,79,000 करोड़ की अनुमानित लागत पर जेजेएम-यू पानी पर आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा, जिसमें (i) 2026 तक सभी शहरी घरों में 100% कार्यात्मक नल कनेक्शन प्रदान करना (ii) 2026 तक 500 अमृत शहरों में 100% सीवरेज कवरेज शामिल है (iii) पुनर्चक्रित पानी से 2026 तक 20% कुल पानी की मांग और 40% औद्योगिक तथा अन्य गैर पीने योग्य पानी की मांग को पूरा करना और (iv) 2026 तक प्रति शहर कम से कम 3 जल निकायों का कायाकल्प करना। इस निवेश से मिशन की अवधि में लोगों के लिए 84 करोड़ दिन का रोज़गार मिलने की उम्मीद है।

स्मार्ट सिटीज़ मिशन

यह देश के शहरी परिदृश्य को बदलने के लिए एक परिवर्तनकारी मिशन है। इसका अंतिम लक्ष्य सभी भारतीय शहरों को स्मार्ट बनाने की दिशा में काम करना है। वर्ष 2020 में स्मार्ट सिटी बनाने के उद्देश्य और परियोजनाओं को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए इनके कार्यान्वयन में तेजी आई है। स्वीकृत स्मार्ट शहरों की योजनाओं के अनुसार 2,05,018 करोड़ रुपये के कुल प्रतिबद्ध निवेशों में से अब तक 1,76,059 करोड़ रुपये (कुल का 86%) की 5,331 परियोजनाओं की निविदा दी जा चुकी है, 4,540 परियोजनाओं के लिए कार्य आदेश जारी किए गए हैं, जिनकी लागत 1,39,969 करोड़ रुपये (कुल का 68%) है और 34,986 करोड़ रुपये की (कुल का 17%) लागत वाली 2,122 परियोजनाओं को पूरा किया गया है।

परिवर्तनकारी परियोजनाएं- प्रमुख उपलब्धियां :

• 53 शहरों में और 30 शहरों में प्रगति में साक्ष्य-आधारित स्मार्ट प्रशासन में शहरों की मदद करने के लिए एकीकृत कमान और नियंत्रण केंद्र (आईसीसीसी)। मिशन के तहत कुल 15,000 करोड़ रुपये के निवेश की योजना है।

शहरी गतिशीलता को बढ़ाने के लिए, स्मार्ट शहरों ने 250 से अधिक स्मार्ट सड़क परियोजनाओं को पूरा किया है और 415 परियोजनाएं लगभग 20,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश के साथ पूरी होने वाली हैं।

दक्षता लाने के लिए निजी क्षेत्र के साथ सहयोग एवं साझेदारी की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए, 110 पीपीपी परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और 22,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ 203 परियोजनाएं प्रगति पर हैं।

सार्वजनिक स्थलों जैसे नदी / झील के किनारों, पार्कों और खेल के मैदानों, पर्यटन स्थलों पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही, 62 व्यवसायिक शहरी स्थानीय परियोजनाओं को पूरा किया गया है और 8,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश वाली 82 परियोजनाओं पर काम चल रहा है।

शहरों को अधिक रहने योग्य और टिकाऊ बनाने के लिए, 85 स्मार्ट वाटर प्रोजेक्ट और 46 स्मार्ट सोलर प्रोजेक्ट पूरे किए गए हैं। इसके अलावा, जल सम्बंधित 138 स्मार्ट परियोजनाएं तथा 36 स्मार्ट सौर परियोजनाएं पाइपलाइन में हैं।

लिविंग इंडेक्स और म्यूनिसिपल परफॉर्मेंस इंडेक्स में आसानी: जीवन की गुणवत्ता और शहर के प्रदर्शन को मापने के लिए आउटकम और प्रदर्शन मूल्यांकन रूपरेखा 114 शहरों में शुरू हुई है। सिटिजन परसेप्शन सर्वे में 31 लाख से अधिक नागरिक शामिल हुए हैं।

द अर्बन लर्निंग एंड इंटर्नशिप प्रोग्राम (ट्यूलिप) का उद्देश्य नए स्नातकों की सीखने की जरूरतों के साथ यूएलबी / स्मार्ट शहरों में अवसरों का मिलान करना है। 284 स्मार्ट सिटीज / यूएलबी ने 13,000 से अधिक इंटर्नशिप पोस्ट की हैं, जिनमें से 828 उम्मीदवार इंटर्नशिप कर रहे हैं और 81 उम्मीदवारों ने अपनी इंटर्नशिप पूरी कर ली है।

डेटा स्मार्ट सिटीज़ और डेटा मैच्योरिटी असेसमेंट फ्रेमवर्क (डीएमएएफ) शहरों का डेटा-संचालित गवर्नेंस के लिए डेटा इकोसिस्टम बनाने में मदद करने के लिए 100 स्मार्ट शहरों में शुरू किया गया। वर्तमान में वार्षिक मूल्यांकन का दूसरा दौर चल रहा है। एनआईयूए में डिजिटल गवर्नेंस के लिए केंद्र (सीडीजी) स्थापित किया गया है।

जलवायु परिवर्तन के परिप्रेक्ष्य में शहरों के शहरी नियोजन और शासन की व्यवस्था में मदद करने के लिए 100 स्मार्ट शहरों में क्लाइमेट स्मार्ट सिटीज असेसमेंट फ्रेमवर्क (सीएससीएएफ) शुरू किया गया है।

इंडिया साइकल्स4चेंज चैलेंज, स्ट्रीट्स फॉर पीपल चैलेंज, नर्चरिंग नेबरहुड चैलेंज को मिशन द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है, जिससे नागरिकों को लाभान्वित करने तथा जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने में योगदान करने वाली परिवर्तनकारी परियोजनाओं का क्रियान्वयन बढ़ रहा है।

एफएसएसएआई के सहयोग से ईट-स्मार्ट चैलेंज जैसी नई परिवर्तनकारी पहल की योजना बनाई जा रही है। सार्वजनिक परिवहन सुविधा बढ़ाने में प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए 'टेक4मोबिलिटी' नामक एक चुनौती की योजना बनाई जा रही है।

मिशन ने 2022 तक सभी 100 स्मार्ट शहरों में आईसीसीसी को सेटअप करने का लक्ष्य रखा है।

मिशन के अंत तक डाटास्मार्ट सिटीज की रणनीति 500 शहरों में लागू की जाएगी।

कार्यक्रम के तहत 500 शहरों में ओपन डाटा प्लेटफॉर्म / इंडिया अर्बन डेटा एक्सचेंज (आईयूडीएक्स) चालू कर दिए जायेंगे।

सभी के लिए आवास

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 1 जनवरी, 2021 को देश के निर्माण के क्षेत्र में एक नई सुबह की शुरुआत की। उन्होंने ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज (जीएचटीसी) के एक अंग के रूप में छह राज्यों में छह लाइट हाउस परियोजनाओं (एलएचपी) की नींव रखी। ये लाइट हाउस परियोजनाएं (एलएचपी) निर्माण के क्षेत्र में तकनीक के हस्तांतरण को सुगम बनाने और इन तकनीकों के आगे के अनुप्रयोग के लिए सजीव प्रयोगशालाओं के रूप में काम करेंगी। दुनिया भर में इन तकनीकों का बड़े पैमाने पर उपयोग संरचनाओं के निर्माण में गति, निरंतरता, संसाधन आधारित दक्षता,पर्यावरण की अनुकूलता, आपदा संबंधी लचीलापन, गुणवत्ता और स्थायित्व लायेगा। संबद्ध बुनियादी ढांचा से जुड़ी सुविधाओं के साथ एलएचपी की शुरुआत इंदौर (मध्यप्रदेश), राजकोट (गुजरात), चेन्नई (तमिलनाडु), रांची (झारखंड), अगरतला (त्रिपुरा) और लखनऊ (उत्तर प्रदेश) में की जा रही है। वैश्विक स्तर पर सिद्ध साबित हो चुकी तकनीकों का उपयोग पीएमएवाई-यू के तहत पक्के आवासों के त्वरित वितरण का मुख्य आधार रहा है। निर्माण तकनीक में व्यापक बदलाव को संभव बनाने के उद्देश्य से एक सक्षम माहौल बनाने के लिए जनवरी 2019 में जीएचटीसी इंडिया का शुभारंभ किया गया था 54 प्रमाणित वैकल्पिक और नवीन तकनीकों की पहचान की गई है, जिनका मूल्यांकन जीएचटीसीइंडिया के तहत चुनौती प्रक्रिया के जरिए किया गया है और जिन्हें मुख्यधारा में लाने के उद्देश्य से बढ़ावा दिया जा रहा है।

पीएमएवाई-यू के लिए 18,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त परिव्यय की घोषणा भी नवंबर,2020 में की गई थी। यह अनुमान है कि पीएमएवाई (यू) के तहत किये जाने वाले निवेश से 587 करोड़ से अधिक मानव दिवस के बराबर के रोज़गार सृजित होंगे, जो कुल मिलाकर लगभग 210 लाख (लगभग 58 लाख प्रत्यक्ष और 151 लाख अप्रत्यक्ष) नौकरियों का सृजन करेगा। यह भी अनुमान है कि पीएमएवाई (यू) के तहत पक्के (ग्राउंडेड) मकानों के निर्माण में अब तक 591 लाख मीट्रिक टन (एमटी) से अधिक सीमेंट और लगभग 141 लाख मीट्रिक टन (एमटी) स्टील का उपयोग किया जा चुका है। यह संबद्ध उद्योग के लिए एक उत्प्रेरक साबित हो रहा है।

पीएमएवाई (शहरी) के तहत अब तक 1.09 करोड़ से अधिक आवासों को मंजूरी दी गई है। 70 लाख से अधिक मकानों का निर्माण कार्य विभिन्न चरणों में है जबकि 40 लाख से अधिक मकान पहले ही वितरित किए जा चुके हैं। क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी योजना (सीएलएसएस) के तहत, 13.20 लाख लाभार्थियों को 30,868 करोड़ रुपये की ब्याज सब्सिडी के साथ वित्तीय पोषण प्रदान किया गया है, जिसमें मध्यम - आय समूह (एमआईजी) के 4.85 लाख लाभार्थियों के लिए 10491 करोड़ रुपये का वित्त पोषण शामिल है। पीएमएवाई-यू एक ऐसे निवेश को बढ़ावा दे रहा है, जो किफायती आवास कार्यक्रम में पहले किए गए निवेश से 17 गुना से अधिक है। इस मिशन की सफलता का श्रेय इसके मजबूत वित्तीय मॉडल को दिया जा सकता है, जिसका एक प्रमुख तत्व प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) रहा है। इसके अलावा, निगरानी और तकनीकी नवाचार के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग पीएमएवाई (यू) के प्रमुख पहलू हैं।

पानी और ऊर्जा संरक्षण, अपशिष्ट प्रबंधन, स्वच्छता और स्वच्छता जैसे सर्वोत्तम प्रथाओं के बारे में जागरूकता के माध्यम से प्रबंधन में परिवर्तन (चेंज मैनेजमेंट) के लिए लोगों को एकजुट करने के उद्देश्य से पीएमएवाई-यू के तहत अंगीकार अभियान शुरू किया गया। इस क्रम में 20 लाख परिवारों से संपर्क किया गया। अंगीकार अब फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) और फिट इंडिया आंदोलन के साथ मिलकर फाइनेंशियल अवेयरनेस मैसेजेस (एफएएमई), ईट राइट इंडिया जैसे अभियानों के साथ एकीकृत हो गया है।

शहरी परिवहन

देश में मेट्रो रेल नेटवर्क लगभग 702 किलोमीटर के नेटवर्क के साथ 18 शहरों में चालू है। मेट्रो रेल/आरआरटीएस का निर्माण कार्य वर्तमान में 27 शहरों में चल रहा है। रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) समेत स्वीकृत मेट्रो रेल नेटवर्क की लम्बाई 1,718 किलोमीटर है। देश में कोविड से पहले के काल ​​में मेट्रो रेल की दैनिक सवारियों की संख्या 85 लाख तक जा पहुंची थी। मेट्रो रेल प्रणालियों के व्यवस्थित नियोजन एवं कार्यान्वयन और शहरों में आवाजाही को बढ़ाने के उद्देश्य से व्यापक मेट्रो रेल प्रस्तावों को तैयार करने के लिए राज्य सरकारों के एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करने के लिए मेट्रो रेल नीति 2017 को लाया गया।

मेट्रो रेल में आत्मनिर्भरता और परिवर्तनकारी सुधार : -

  • स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने और लागत को कम करने के उद्देश्य से मेट्रो रेल के सभी उप प्रणालियों (रोलिंग स्टॉक, सिग्नलिंग, टेलीकॉम, सिविल और इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल) का मानकीकरण
  • मेट्रो रेल से जुड़े अवयवों की स्वदेशी खरीद, जिसके लिए पर्याप्त स्थानीय क्षमता उपलब्ध है। एल्सटॉम, बॉम्बार्डियर, टीटागढ़ और बीईएमएल जैसी भारत में स्थित कंपनियों ने मुंबई, पुणे, कानपुर, आगरा की मेट्रो परियोजनाओं और दिल्ली - मेरठ आरआरटीएस गलियारे के लिए 1,000 से अधिक मेट्रो एवं आरआरटीएस कोचों के लिए निविदाएं हासिल की हैं।
  • मेट्रो रेल से जुड़े अवयवों की खरीद में संशोधित न्यूनतम स्थानीय सामग्री (प्रतिशत के आधार पर) (रोलिंग स्टॉक -60%; टेलि कम्यूनिकेशन -50%; सिग्नलिंग -50%; भूमिगत के लिए 80% और एलिवेटेड के लिए सिविल -90%; इलेक्ट्रिकल एवं मैकेनिकल - 60 %)
  • डीएमआरसी और बीईएल (रक्षा मंत्रालय का एक सार्वजानिक उपक्रम) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित स्वदेशी स्वचालित ट्रेन पर्यवेक्षण प्रणाली (आईएटीएस) का उपयोग दिल्ली मेट्रो की लाइन -1 पर सिग्नलिंग सिस्टम को उन्नत करने के एक उपाय के रूप में किया जाएगा। स्वदेशी प्रणाली का उपयोग दिल्ली मेट्रो प्रणाली के चरण- IV में भी किया जाएगा।
  • मेट्रो लाइट: कम सवारियों वाले छोटे शहरों की आवागमन से जुड़ी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लाइट अर्बन रेल ट्रांजिट सिस्टम, जिसे "मेट्रो लाइट" कहा जाता है, के लिए जुलाई 2019 में मानक विनिर्देश जारी किए गए।
  • मेट्रो नियो: कम सवारियों के अनुमान वाले छोटे शहरों के लिए उपयुक्त रेल निर्देशित, रबर के टायरों से लैस ओवरहेड ट्रैक्शन सिस्टम से चलने वाले इलेक्ट्रिक कोचों, जिन्हें मेट्रो नियो कहा जाता है, के लिए नवम्बर 2020 में मानक विनिर्देश जारी किए गए।
  • नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (एनसीएमसी) का मार्च, 2019 में शुभारंभ किया गया। इस पहल से एनसीएमसी मानकों और विशिष्टताओं के अनुरूप बड़े पैमाने पर डेबिट / क्रेडिट कार्ड उपकरण का स्वदेशी उत्पादन और भारतीय आवागमन प्रणाली में उनकी तैनाती सुगम होगी। डीएमआरसी की एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन पर 28 दिसंबर 2020 से एनसीएमसी पूरी तरह से उपयोग में है।
  • स्वदेशी रूप से विकसित स्वागत नाम के एएफसी का शुभारंभ मार्च 2019 में किया गया। वेल्यू कैप्चर फाइनेंस (वीसीएफ) पॉलिसी फ्रेमवर्क, 2017 - बुनियादी ढांचे से जुड़ी परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए उपयुक्त उपकरणों की पहचान करता है।

दिल्ली मेट्रो की मजेंटा लाइन (जनकपुरी पश्चिम बोटैनिकल गार्डन) पर 28 दिसंबर 2020 को माननीय प्रधानमंत्री ने पहली पूर्ण स्वचालित चालक रहित ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। डीटीओ मानव त्रुटि की संभावना को समाप्त करेगा और परिचालन संबंधी अधिक लचीलापन प्रदान करेगा। यह ड्राइवरों की कामकाज की स्थितियों में सुधार करेगा, जिन्हें सेवा शुरू होने पर डिपो से मेट्रो रेक लाने की जरुरत नहीं होगी और मेट्रो सेवा के बंद होने पर डिपो तक मेट्रो रेक ले जाने की भी जरुरत नहीं होगी।

13वां अर्बन मोबिलिटी इंडिया कॉन्फ्रेंस का आयोजन आभासी प्लेटफॉर्म पर इमर्जिंग ट्रेंड्स इन अर्बन मोबिलिटी विषय पर किया गया। इस सम्मेलन में 1000 से अधिक विशेषज्ञों ने भाग लिया। प्रोफेसर जन गेहल, संस्थापक और वरिष्ठ सलाहकार, मेसर्स गेहल, श्री जीन-बैप्टिस्ट, द्जेब्बरी मिनिस्टर डेलिगेट ट्रांसपोर्ट,मिनिस्ट्री फॉर इकोलॉजिकल ट्रांजीशन, गवर्नमेंट ऑफ़ फ्रांस डॉ. क्लाउडिया वार्निंग, महानिदेशक डीआईजेड आदि प्रमुख विशेषज्ञ थे, जिन्होंने इस सम्मेलन में भाग लिया।

रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 (रेरा)

देश में पिछले 70 वर्षों से रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए कोई नियामक नहीं था, जिसके कारण कई तरह की समस्याएं हुईं। रियल एस्टेट में अनुचित कारोबार हुए, जिसने अंततः घर-खरीददारों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया। एक कुशल, पारदर्शी और जवाबदेह तरीके से रियल एस्टेट क्षेत्र के विनियमन और संवर्धन को सुनिश्चित करने और घर-खरीददारों के हितों की रक्षा के लिए, रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 (रेरा) को लागू किया गया। रेरा एक बदलाव लाने वाला कानून सिद्ध हुआ, जिसकी वजह से इस क्षेत्र में अनुशासन, पारदर्शिता, जवाबदेही और दक्षता आयी और इस प्रकार रेरा ने घर-खरीददारों को सशक्त बनाया। रेरा विवादों के शीघ्र समाधान के माध्यम से निष्पक्ष लेन-देन, समय पर डिलीवरी और गुणवत्तापूर्ण निर्माण के महत्वपूर्ण मुद्दों को सुलझाना चाहता है।

अब तक 34 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने रेरा के तहत नियमों को अधिसूचित किया है, जबकि नगालैंड राज्य नियमों को अधिसूचित करने की प्रक्रिया में है। पश्चिम बंगाल ने अपना अलग कानून बनाया है, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है और आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने इसे खारिज करने के लिए अपना हलफनामा दायर किया है। 30 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (नियमित- 25, अंतरिम- 05) की स्थापना की है। जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, मेघालय और सिक्किम ने प्राधिकरण स्थापित करने के लिए नियमों को अधिसूचित किया है। 26 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने रियल एस्टेट अपीलीय न्यायाधिकरण (नियमित -18, अंतरिम- 08) का गठन किया है। अरुणाचल प्रदेश, असम, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, मेघालय, मिजोरम और सिक्किम में गठन की प्रक्रिया चल रही है। देश भर में रेरा के तहत लगभग 60,000 रियल एस्टेट परियोजनाओं और 46,000 रियल एस्टेट एजेंटों का पंजीकरण किया गया है। पूरे देश में रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरणों द्वारा लगभग 60,000 शिकायतों का निपटारा किया गया है।

एलएंडडीओ और एस्टेट- ई-सम्पदा और ई-धरती पोर्टल का शुभारंभ

ई-सम्पदा पोर्टल- सम्पदा से जुड़ी आवंटन, रिटेंशन, नियमितीकरण आदि सेवाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के क्रम में ई-गवर्नेंस के तहत सम्पदा निदेशालय ने एक नए एकीकृत मोबाइल ऐप और वेब पोर्टल ई-सम्पदा का शुभारंभ किया। स्वचालित प्रक्रियाओं के बढ़ने से मानवीय दखल कम होगा परिणामस्वरूप पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा। ई-संपदा सेवा उपयोगकर्ताओं को व्यक्तिगत डैशबोर्ड, सेवाओं के उपयोग की आर्काइव और लाइसेन्स शुल्क/ड्यूज इत्यादि की स्थिति से जुड़ी जानकारियां वास्तविक समय में मुहैया कराने सहित अत्यधिक उपयोगी सेवाएं और सुविधाएं उपलब्ध कराती है। यह नया एप्लीकेशन सरकारी संपदा से जुड़ी सभी सेवाएं एक ही स्थान पर उपलब्ध कराता है, जिसमें लगभग 1 लाख सरकारी आवास परिसरों, 28 शहरों में 45 कार्यालय परिसरों में सरकारी संस्थानों को कार्यालयों का आवंटन, 1,176 हॉलिडे होम्स की बुकिंग और 5 अशोक रोड जैसी सम्पत्तियों का सामाजिक आयोजनों इत्यादि के लिए बुकिंग शामिल है।

ई-धरती जियो पोर्टल- 60,000 से अधिक सम्पत्तियों के प्रबंधन में और अधिक पारदर्शिता लाने तथा जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए इस पोर्टल का शुभारंभ किया गया। यह पोर्टल संपत्ति से जुड़ी सभी सूचनाएं एक ही स्थान पर उपलब्ध कराता है जिसमें आवंटन, संपत्ति की स्थिति, संपत्ति का क्षेत्रफल, वर्तमान लीज की आरंभिक अवधि, वर्तमान लीज मालिक का विवरण, विवाद से जुड़े अपडेट और मैप शामिल हैं। एलएंडडीओ द्वारा प्रमाणपत्र उपलब्ध कराया जाता है जिसके चलते वर्तमान पट्टेदार को उसकी संपत्ति से जुड़ी पूर्ण जानकारी मिलती है, इसमें संपत्ति के सामान्य विवरण के साथ-साथ उसका मानचित्र और स्थान की जानकारी होती है। इन उपायों की मदद से किसी संपत्ति के संभावित खरीददार को संपत्ति के बारे में सभी आवश्यक जानकारियां मिल जाती हैं, साथ ही उसको यह जानकारी भी मिल जाती है कि संपत्ति पर कोई विवाद तो नहीं है। इस सुविधा के चलते आम लोगों को लाभ होगा। विशेष रूप से वृद्ध, बीमार लोग, महिलाएं, विधवा महिलाएं संपत्ति से जुड़े अनावश्यक कार्रवाइयों से बचेंगे और अनावश्यक मुक़दमेबाज़ी का भी सामना नहीं करना पड़ेगा।

इसके अलावा सरकारी सम्पत्तियों के आवंटिती को, जो लॉकडाउन के कारण आवंटन को स्वीकार करने/खाली करने/बदलने आदि में असमर्थ रहे, उनकी समस्याओं का स्वतः संज्ञान लेते हुए संपदा निदेशालय ने ऐसे प्रभावित लोगों को एक बारगी की राहत देने का फैसला किया। आवंटित घर पर बने रहने की समय सीमा को पहले 30 मई 2020 तय किया गया और बाद में बढ़ाकर 15 जुलाई 2020 कर दिया गया है। अर्ध सैन्य बलों के अधिकारियों, जिनकी तैनाती सुदूर क्षेत्रों में थी उन्हें 31 अगस्त 2020 तक की छूट दी गई।

केंद्रीय विस्टा मास्टर प्लान के अंतर्गत अत्याधुनिक संसद भवन का निर्माण वर्तमान संसद भवन परिसर के पास किया जा रहा है, जिससे न सिर्फ संसद भवन में जगह की कमी से जुड़ी समस्याओं का समाधान होगा बल्कि यह भारत के जीवंत लोकतन्त्र की पहचान बनेगा। नया संसद भवन संसदीय परिवृत्ति का हिस्सा होगा और इसे 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में राष्ट्र को समर्पित किया जाएगा। इसके प्रारूप में एक विहंगम केंद्रीय संवैधानिक गैलरी बनाए जाने का प्रावधान है, जिसमें आम जनता भी जा सकती है। नए संसद भवन के निर्माण में हरित तकनीक से जुड़े संसाधनों का उपयोग किया जाएगा, रोजगार अवसरों का सृजन होगा और यह आत्मनिर्भर भारत के अभियान में अपना योगदान भी देगा। इस भवन के निर्माण में उच्चस्तरीय सुरक्षा मापदण्डों को अपनाया जाएगा। सीस्मिक ज़ोन 5 के नियमों का पालन किया जाएगा और इसका निर्माण रख-रखाव तथा संचालन से जुड़ी सुविधाओं को भी ध्यान में रखते हुए किया जाएगा। सेंट्रल विस्टा प्लान के अंतर्गत किए जा रहे विकास एवं पुनर्विकास के कार्यों का उद्देश्य संसद परिसर के विस्तार और सुविधाओं, सरकार की कार्यशीलता को तर्कसंगत बनाने, सेंट्रल विस्टा परिसरों के बेहतर संसाधनीकरण और सेंट्रल विस्टा में सांस्कृतिक संस्थानों को सशक्त करना है। गणतन्त्र दिवस परेड 2022 नए केंद्रीय परिसर में आयोजित की जाएगी।

दिल्ली के लिए मास्टर प्लान (एमपीडी)-2041 की तैयारी

दिल्ली के नागरिकों को शहरी सुविधाएं उपलब्ध कराने और जीवन सुगम बनाने के उद्देश्य से दिल्ली के लिए एक नया मास्टर प्लान 2041 तैयार किया जा रहा है। नया मास्टर प्लान जन-अनुकूल होगा, समझने में आसान होगा, जीआईएस आधारित होगा और यह आम जनता के लिए ऑनलाइन उपलब्ध रहेगा। यह विविध पक्षों द्वारा नीतियों/प्रावधानों को समझने योग्य बनाएगा ताकि वह यह समझ सकें कि अपनी भूमि/संपत्ति पर उसका अनुपालन किस तरह करें और परिसरों और गतिविधियों के उपयोग से जुड़े नियमों को सरल करेगा, एफ़एआर उपयोग को उदार बनाएगा, पार्किंग से जुड़े नियमों में बदलाव होंगे और लोगों की आवश्यकता के अनुसार इसमें बदलाव की उदारता रहेगी। दिल्ली के विजन के लिए वृहद स्तर पर लोगों की सहभागिता की गई है। इसमें स्कूल, विश्वविद्यालय, आरडब्ल्यूए, नागरिक समाज, और अभियान (बच्चों के अनुकूल शहर, सर्व सुलभता, लैंगिक चिंताएं, समानता, प्रवासी इत्यादि) व्यापारी एवं बाज़ार संघ, पर्यावरण विशेषज्ञ, औद्योगिक समूह, व्यावसायिक संगठन इत्यादि शामिल रहे।

मास्टर प्लान 2041 का विजन दिल्ली को 2041 तक लोगों के जीवन अनुकूल बनाना है। इसके प्रमुख बिन्दुओं में प्रदूषण का निवारण, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए दिल्ली की तैयारी हैं। इस विजन में कुछ नई व्यवस्थाएं शुरू होंगी जैसी पूर्ण उपयोग हेतु अपार्टमेंट (सर्विस्ड अपार्टमेंट), सह-स्वामित्व, हॉस्टल, छात्र घर, कामगारों के लिए घर इत्यादि शामिल हैं। टीओडी आधारित परियोजनाएं बड़े पैमाने पर घरों और नौकरी के बीच की दूरी को कम करेंगी। इसके अलावा शहर के पुराने एवं जीर्ण-शीर्ण क्षेत्रों को फिर से दुरुस्त करने के लिए समग्र रणनीति अपनाई जाएगी

प्रधानमंत्रीअनधिकृत कॉलोनियों मेंदिल्ली आवास अधिकार योजना (पीएम-उदय)-

दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले 40 लाख से अधिक लोगों के जीवन को सुखमय बनाने के लिए सरकार ने दिल्ली के अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वालों को उनका मालिकाना हक देने का फैसला किया। मालिकाना हक़ 1,731 कॉलोनियों में 10 लाख से अधिक संपत्ति मालिकों को उनकी संपत्ति का सौंपा जाएगा। इसके चलते संपत्ति मालिक अपनी संपत्ति के आधार पर वित्तीय संस्थानों से लोन ले सकेंगे। इसके चलते अनधिकृत कॉलोनियों में वृहद स्तर पर पुनर्विकास की संभावना है। अनधिकृत कॉलोनियों के नियमितीकरण का यह निर्णय 2008 विनियमों के अनुसार अपरिहार्य हो गया था, जिसका जीएनसीटीडी के साथ समन्वय किया जाना था। जबकि यह कार्य अब तक नहीं किया जा सका था।

केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी)

सीपीडब्ल्यूडी में बड़े पैमाने पर डिजिटल बदलाव हुए हैं जिसके चलते इसकी कार्य प्रणाली में बड़े पैमाने पर बदलाव आए हैं। केंद्रीय लोक निर्माण विभाग में ईआरपी क्रियान्वयन के चरण में है और इसको 2021 में ही पूर्ण किया जाना है। इसके चलते सीपीडब्ल्यूडी में पारदर्शिता, कार्यक्षमता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी। विनिर्देश एवं कीमतों की अनुसूची-2019 को लागू कर सीपीडब्ल्यूडी में 49 नई प्रौद्योगिकियों को शामिल किया गया। इसके चलते कार्बन उत्सर्जन में व्यापक कमी आने और कार्यों की गति तेज़ करने तथा निर्माण कार्यों के गुणवत्ता पूर्ण नियंत्रण करने में मदद मिलेगी। सीपीडब्ल्यूडी में ढांचागत परिवर्तन हुए हैं और इसने रिपोर्टिंग लेवल को 7 से घटाकर 4 कर दिया है, कार्य नियमावली का सरलीकरण (459 पृष्ठ से 54 पृष्ठ किया गया है), एसओपी में संशोधन किया गया, जिसके परिणामस्वरूप परियोजनाओं का क्रियान्वयन तेज़ हुआ और पारदर्शिता, जवाबदेही, उत्तरदायित्व बढ़ा। वेंडरों को बेहतर व्यवसाय देने की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए ऑनलाइन कांट्रैक्टर एनलिस्टमेंट मैनेजमेंट सिस्टम शुरू किया गया। सीपीडब्ल्यूडी द्वारा बनाए जा रहे सभी नए भवनों में अंतर्निहित ऊर्जा क्षमता और संसाधनों के संरक्षण के लिए इनका निर्माण 3-स्टार गृह (GRIHA) रेटिंग के साथ किया जा रहा है।

प्रिंटिंग प्रेस

नई दिल्ली के मिंटो रोड स्थित अत्याधुनिक प्रिंटिंग प्रेस का 2021 में संचालन शुरू हो जाएगा। नई दिल्ली के मायापुरी और राष्ट्रपति भवन, नासिक और कोलकाता स्थित चार अन्य पुराने प्रेसों को भी उनके परिसरों की अतिरिक्त उपलब्ध ज़मीन को बेचकर उनका आधुनिकीकरण किया जाएगा। इसके चलते प्रिंटिंग के क्षेत्र में न सिर्फ क्षमता बढ़ेगी बल्कि गुणवत्तापूर्ण प्रिंटिंग में बड़ी उपलब्धि हासिल होगी।

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एमजी/एएम/एमपी/केपी/एनकेएस/आर/डीटी/एसके


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