विद्युत मंत्रालय
लॉकडाउन के बावजूद अप्रैल, 2020 से नवंबर, 2020 तक दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत 83 नए सब-स्टेशनोंको शुरू किया गया, 224 सब-स्टेशनों को संवर्धित और 27,261 वितरणट्रांसफॉर्मरों को लगाया गया
मई, 2020 में सरकार द्वारा की गई लिक्विडिटी इंफ्यूजन पैकेज की घोषणा के तहत 45,083 करोड़ रुपये के कर्ज वितरित/जारी किए गए और 1,18,508 करोड़ रुपये के कर्ज की मंजूरी दी गई
आर्थिक मामलों पर गठित कैबिनेट कमिटी (सीसीईए) ने हिमाचल प्रदेश मेंलुहरी चरण-1 (210 मेगावाट) जल विद्युत परियोजना के लिए 1810.56 करोड़ रुपये की मंजूरी दी
साल 2020 (अक्टूबर तक) के दौरान ट्रांसमिशन लाइनों (220 किलोवाट और इससे अधिक) की लगभग 12,000 सर्किट किलोमीटर (सीकेएम) को जोड़ा गया
विद्युत मंत्रालय ने नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) पावर रियल टाइम मार्केट (आरटीएम) को बढ़ावा देने के लिए राउंड-द-क्लॉक (आरटीसी) पावर गाइडलाइन्स जारी किए। वहीं पावर एक्सचेंजों से नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) की खरीद को सक्षम बनाने के लिए ग्रीन टर्म अहेड मार्केट (जीटीएएम) को शुरू किया गया
Posted On:
30 DEC 2020 1:03PM by PIB Delhi
1. दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाई)
भारत सरकार ने कुल परिव्यय 75,893 करोड़ रुपये (डीडीयूजीजेवाई: 43033 करोड़ रुपये और आरई घटक: 32,860 करोड़ रुपये) के साथ दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाई) योजना को शुरू किया। 33 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में 44,416 करोड़ रुपये की कुल लागत वाली परियोजनाओं को मंजूरी दी गई। इसके अलावा 100 फीसदी घरेलू विद्युतिकरण को लेकर अतिरिक्त बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए 14,270 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि को मंजूरी दी गई। साल 2014-15 से 30 नवंबर, 2020 तक भारत सरकार द्वारा 49,457 करोड़ रुपये जारी किए गए।
ग्रामीण विद्युत से संबंधित बुनियादी ढांचा (डीडीयूजीजेवाई और सौभाग्य के तहत घरेलू विद्युतिकरण के लिए बनाई गई अतिरिक्त बुनियादी ढांचा)
30 नवंबर, 2020 तक 1,754 नए सब-स्टेशनों को शुरू किया गया। वहीं 2,142 सब-स्टेशनों को संवर्धित किया गया और 5,75,115 वितरण ट्रांसफॉर्मरों को लगाया गया। इसके अलावा 4,91,338 किलोमीटर लो टेंशन (एलटी) लाइन्स और 2,03,085 किलोमीटर हाई टेंशन (एचटी) लाइन्स (11 किलोवोल्ट और 33 किलोवोल्ट) का निर्माण किया गया एवं 1,22,049 किलोमीटर फीडर सेपरेशन को पूरा किया गया। इनके अतिरिक्त 1.48 करोड़ उपभोक्ता मीटर, 2,08,924 वितरण ट्रांसफॉर्मरों और 13,190 फीडरों को लगाने का काम पूरा किया गया।
वर्ष 2020-21 के दौरान की उपलब्धियां (1 अप्रैल, 2020 से 30 नवंबर, 2020 तक)
मद
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यूनिट
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उपलब्धियां
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नए सब-स्टेशन
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संख्या
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83
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सब-स्टेशन संवर्धन
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संख्या
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224
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वितरण ट्रांसफॉर्मरों की स्थापना
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संख्या
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27,261
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एलटी लाइन्स
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किलोमीटर
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23,092
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एचटी लाइन्स (11 केवीऔर 33 केवी)
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किलोमीटर
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11,598
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फीडर सेपरेशन
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किलोमीटर
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6,930
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उपरोक्त के अतिरिक्त अप्रैल, 2020 से नवंबर, 2020 तक 5.45 लाख उपभोक्ता मीटर, 35,889 वितरण ट्रांसफॉर्मरों और 471 फीडरों को लगाने का काम पूरा किया गया।
साल 2020-21 के दौरान भारत सरकार ने 932 करोड़ रुपये जारी किए।
2. एकीकृत विद्युत विकास योजना (आईपीडीएस) (13 नवंबर, 2020 तक)
- साल 2014 में 32,612 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ एकीकृत विद्युत विकास योजना (आईपीडीएस) को शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए शहरी क्षेत्रों में वितरण और सब-ट्रांसमिशन सिस्टम में सुधार और वृद्धि करना है।
- इस योजना के तहत सब-ट्रांसमिशन और वितरण नेटवर्क को मजबूत करने की प्रणाली को 448 सर्किलों में पूरा किया गया, जिसके दायरे में 3,000 शहर आते हैं।
- बड़ी उपलब्धियां निम्नलिखित हैं :
- 927 नए 33/11 किलोवोल्ट पावर सब-स्टेशनों (पीएसएस) को शुरू किया गया, पहले से संचालित 1500 से अधिक पीएसएस की क्षमता को बढ़ाया गया
- बेहतर विद्युत की विश्वसनीयता के लिए 33,000 सर्किट किलोमीटर (सीकेएम) नई ओवरहेड लाइन्स को चार्ज किया गया
- घाटे को कम करने के लिए 75,000 सीकेएम अंडरग्राउंड/एरियल बंचेड केबल्स लगाया गया
- शहरों में विद्युत आपूर्ति में सुधार के लिए लगभग 56,000 नए वितरण ट्रांसफॉर्मरों को चार्ज किया गया
- हरित ऊर्जा में भागीदारी के लिए सरकारी इमारतों और सब-स्टेशनों में लगभग 45 मेगावाट्स-पीक (एमडब्ल्यूपी) के सोलर पैनलों को लगाया गया
- 1.15 लाख से अधिक स्मार्ट मीटरों को लगाया गया
- उपभोक्ता सेवाओं में सुधार को लेकर उपयोगिता में बेहतर कार्य संचालन प्रबंधन के लिए आंध्र प्रदेश-पूर्व, तेलंगाना और उत्तराखंड के सभी छोटे शहरों को आईपीडीएस के तहत आईटी-सक्षम किया गया है। इसके अलावा आईपीडीएस ने कई उपयोगिताओं में एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग (ईआरपी) के लिए वित्त प्रदान की है, जिसमें 11 उपयोगिताओं में कार्यान्वयन पूरा हो चुका है। इसके अलावा विभिन्न राज्यों में 98 गैस इन्सुलेटेड स्विचगियर (जीआईएस) सब-स्टेशनों के कार्य प्रगति पर हैं।
- आईपीडीएस की पुरानी परियोजनाओं के तहत आने वाले सभी 1290 शहरों को आईटी-सक्षम किया गया और 57 शहरों में स्काडा प्रणालियों को पूरा किया गया। इसके अलावा 1,197 शहरों में प्रणालियों को मजबूत करने का कार्य पूरा किया गया।
- कोविड-19 महामारी की वजह से आईपीडीएस की प्रगति प्रभावित होने के बावजूद चालू वर्ष में प्रणालियों को मजबूत करने से संबंधित कार्यों की भौतिक प्रगति 90 फीसदी से अधिक पहुंच गई। वर्तमान कैलेंडर वर्ष में आईपीडीएस की नई परियोजनाओं से संबंधित किए गए कार्यों का विवरण निम्नलिखित है :
चालू वर्ष में आईपीडीएस के तहत पूरे किए गए कार्य
मद
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इकाई
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वर्ष 2020 में उपलब्धियां
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सब-स्टेशन
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नए सब-स्टेशन
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संख्या
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79
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क्षमता वृद्धि और अतिरिक्त ट्रांसफॉर्मर
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संख्या
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99
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ओवरहेड लाइन्स
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एचटी (33 और 11 केवी)
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सीकेएम
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2,791
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एलटी (440 वोल्ट)
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सीकेएम
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1,120
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केबल्स
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एरियल बंच / अंडरग्राउंड
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सीकेएम
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9,811
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वितरण ट्रांसफॉर्मर
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संख्या
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5,025
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मीटर
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स्मार्ट/ प्रीपेड
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संख्या
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35,635
|
उपभोक्ता प्रणाली
|
संख्या
|
6,72,217
|
सोलर पैनल
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किलोवाट्स-पीक
|
2,996
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3. प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य)
भारत सरकार ने सितंबर, 2020 में प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य) की शुरूआत की थी। इसका उद्देश्य मार्च, 2019 तक देशभर के ग्रामीण क्षेत्रों में सभी इच्छुक गैर-विद्युतीकृत घरों और शहरी क्षेत्रों में गरीब परिवारों को बिजली कनेक्शन प्रदान करके सार्वभौमिक घरेलू विद्युतिकरण प्राप्त करना था। इसके तहत सभी राज्यों ने 31 मार्च, 2019 तक सौभाग्य पोर्टल पर सभी घरों तक बिजली पहुंचाने की घोषणा कर दी थी। हालांकि छत्तीसगढ़ केवामपंथी अतिवाद (एलडब्ल्यूई) प्रभावित 18,734 घर शामिल नहीं हैं। 11 अक्टूबर, 2017 से 31 मार्च, 2019 तक 262.84 लाख घरों को बिजली कनेक्शन जारी किया गया।
वहीं सात राज्यों ने उन अधिकांश गैर-विद्युतिकृत घरों की जानकारी दी, जो 31 मार्च 2019 से पहले कनेक्शन लेने के इच्छुक नहीं थे, लेकिन इसके बाद में इसके लिए अपनी इच्छा जाहिर की। राज्यों से इन घरों को सौभाग्य के तहत बिजली कनेक्शन प्रदान करने के लिए कहा गया।
राज्यों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक सौभाग्य के तहत 11 अक्टूबर, 2019 से 30 नवंबर, 2020 तक 280.89 लाख घरों को बिजली कनेक्शन दिया गया है। सौभाग्य के कार्यान्वयन के लिए 30 नवंबर, 2020 तक भारत सरकार से 6,220.23 करोड़ रुपये का अनुदान जारी किया गया है। वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान 30 नवंबर, 2020 तक (एक अप्रैल, 2020 से 30 नवंबर, 2020 तक) 4.13 लाख घरों में बिजली पहुंचाया गया है।
4. स्मार्ट मीटरिंग
- चालू वित्तीय वर्ष में विद्युत मंत्रालय ने सभी राज्यों को दिशानिर्देश जारी कर सभी उपभोक्ता मीटरों को प्रीपेड मोड में लाने के लिए स्मार्ट मीटरों में बदलने को कहा है। प्रीपेड मोड में संचालित स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं को अपनी वित्तीय सुविधा और बिजली खपत की जरूरतों के अनुसार भुगताने करने की सुविधा देगा।
- एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल), विद्युत क्षेत्र में केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों (सीपीएसयू) का एक संयुक्त उपक्रम है। यह समझौता ज्ञापनों (एमओयू) के अनुसार अपने साथ आने वाले विभिन्न उपयोगिताओं कोस्मार्ट मीटरिंग सर्विसेज प्रदान कर रहा है। ईईएसएल ने स्मार्ट मीटरिंग परियोजनाओं के लिए अभिनव वित्तीय व्यवस्थाएं भी की हैं। इससे राज्यों/उपयोगिताओं से किसी भी तरह का प्रत्यक्ष पूंजी व्यय (कैपेक्स) वित्त पोषण की जरूरत के बिना डिस्कॉम्स को स्मार्ट मीटरिंग की सेवाएं प्रदान करने में उन्हें सक्षम बनाया जा सकेगा। स्मार्ट मीटिरिंग स्थापनाओं को लेकर वित्त पोषण की वसूली सात से आठ साल की एक अवधि में एक मासिक वार्षिकी (एनुइटी) के रूप में की जाएगी।
- नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) में 50,000 उपभोक्ताओं के लिए स्मार्ट मीटर लगाए जाने के अलावा ईईएसएल ने हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भी स्मार्ट मीटरों को लगाने का काम शुरू किया है। इनमें से सबसे अधिक स्मार्ट मीटरों को लगाने का काम उत्तर प्रदेश में हुआ है, जहां 11 शहरों में 7.78 लाख स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं।
देश में 19 लाख से अधिक स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं, जिनका विवरण नीचे है :
क्रम संख्या
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राज्य/डिस्कॉम//योजना का नाम
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स्मार्ट मीटर की स्थापना
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1
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स्मार्ट ग्रिड पायलट प्रोजेक्ट्स
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1,56,220
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2
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एनएसजीएम
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5,183
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3
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आईपीडीएस
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32,599
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4
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ईईएसएल
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14,56,961
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5
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उपयोगिता स्वामित्व वाली परियोजनाएं
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3,11,373
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कुल
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19,62,336
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5. आत्मनिर्भर भारत के तहत विद्युत क्षेत्र के लिए लिक्विडिटी इन्फ्यूजन योजना
- 13 मई, 2020 को माननीय केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा घोषित आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत एक हिस्से के रूप में भारत सरकार ने विद्युत क्षेत्र में 90,000 करोड़ रुपये का लिक्विडिटी इन्फ्यूजन का निर्णय लिया। पावर फाइनेंस कारपोरेशन लिमिटेड (पीएफसी) और रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कारपोरेशन (आरईसी) लिमिटेड द्वारा लिक्विडिटी इन्फ्यूजन कर इस क्षेत्र को विद्युत आपूर्ति और लाइट्स को चालू रखने के लिए सक्षम बनाया जाएगा। कोविड-19 महामारी की वजह से लगाए गए लॉकडाउन के दौरान नकदी का प्रवाह कम हो गया था।इसके तहत आरईसी और पीएफसी केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (सीपीएसयू), जेनरेशन कंपनियों (जेनको) एवं ट्रांसमिशन कंपनियों (ट्रांसकोज), स्वतंत्र विद्युत उत्पादकों (आईपीपी) और नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) उत्पादकों के 30 जून, 2020 तक के बकाया राशि को लेकर लिक्विडिटी पैदा करने के लिए विद्युत वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को 10 साल तक के विशेष दीर्घकालीन ट्रांसजिशन कर्ज प्रदान करेंगी। लिक्विडिटी इन्फ्यूजन पैकेज के तहत 1,18,508 करोड़ रुपये के कर्ज को मंजूरी दी गई। वहीं 45,083 करोड़ रुपये वितरित/जारी किए जा चुके हैं। इसके अलावा उन राज्यों में उपयोगिताओं को मंजूरी दी गई है, जिनके पास लिक्विडिटी इन्फ्यूजन योजना का लाभ उठाने के लिएउज्ज्वल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना (उदय) के तहत राज्य प्राप्तियों या कार्यशील पूंजी सीमाओं को लेकर पर्याप्त क्षमता नहीं है।
6.जल विद्युत विकास
- अरुणाचल प्रदेश में नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (नीपको) की कामेंग जल विद्युत परियोजना की चार इकाइयों में से दो (यानी 600 मेगावाट में से 300 मेगावाट) को फरवरी, 2020 में शुरू किया गया।
- सिक्किम में रंगित चरण-IV (120 मेगावाट) परियोजना का पुनरुद्धार किया गया। इसका काम अक्टूबर, 2013 से रूका हुआ था। इसका अधिग्रहण नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) नीलामी के माध्यम से नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन (एनएचपीसी) लिमिटेड ने किया था। समाधान पेशेवर द्वारा 24 जनवरी, 2020 को एनएचपीसी लिमिटेड के पक्ष में लेटर ऑफ इंटेंट जारी किया।
- हिमाचल प्रदेश के डुगर जल विद्युत परियोजना (500 मेगावाट) के पुनरूद्धार का काम नए आवंटन के माध्यम से राज्य सरकार द्वारा मेसर्स एनएचपीसी को सौंपा गया। इससे पहले डेवलपर के रूप में मेसर्स डुगर हाइड्रो पावर लिमिटेड (डीएचपीएल) ने इस परियोजना का आगे कार्यान्वयन नहीं करने का निर्णय लिया था।
- हिमाचल प्रदेश में रेओली दुगली जल विद्युत परियोजना (476 मेगावाट) के पुनरूद्धार का काम राज्य सरकार द्वारा नए आवंटन के माध्यम से मेसर्स एसजेवीएन लिमिटेड को दिया गया। इससे पहले के डेवलपर मेसर्स एल एंड टी हिमाचल हाइड्रो पावर लिमिटेड (एलएंडटी एचएचपीएल) ने इस परियोजना का आगे कार्यान्वयन नहीं करने का निर्णय लिया था।
- उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में रतले परियोजना (850 मेगावाट) के पुनरूद्धार का काम शुरू किया गया। इस परियोजना का काम जुलाई, 2014 से मेसर्स जीवीके और जम्मू-कश्मीर सरकार के बीच विभिन्न मुद्दों की वजह से रूका हुआ था। इस परियोजना के कार्यान्वयन के लिए तीन फरवरी, 2019 को एनएचपीसी और जम्मू-कश्मीर स्टेट पावर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (जेकेएसपीडीसी) के बीच क्रमश: 51 फीसदी और 49 फीसदी हिस्सेदारी के साथ एक संयुक्त (जेवी) कंपनी के माध्यम से परियोजना के कार्यान्वयन के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए थे।पीआईबी ने इस प्रस्ताव की सिफारिश सात सितंबर, 2020 को की थी।
- आर्थिक मामलों पर गठित कैबिनेट कमिटी ने हिमाचल प्रदेश में मेसर्स एसजेवीएन लिमिटेड की लुहरी- प्रथम चरण जल विद्युत परियोजना (210 मेगावाट) के लिए 1810.56 करोड़ रुपये (मई, 2020 पीएल) प्रदान किए।
- भारत सरकार ने हिमाचल प्रदेश में मेसर्स एसजेवीएन लिमिटेड की धौलासिद्ध जल विद्युत परियोजना (66 मेगावाट) के लिए 687.97 करोड़ रुपये (मई, 2020 पीएल) की निवेश मंजूरी दी।
- हिमाचल प्रदेश में कुथर जल विद्युत परियोजना (240 मेगावाट) और जम्मू-कश्मीर के किरू जल विद्युत परियोजना (624 मेगावाट) के निर्माण का काम शुरू हुआ।
- केंद्र सरकार की सलाह पर हिमाचल प्रदेश की राज्य सरकार ने जलविद्युत परियोजनाओं की टैरिफ को 4.50 रुपये/किलोवाट घंटा से कम करने के लिए निम्नलिखित छूट प्रदान की है :
- मुफ्त विद्युत को स्थगित किया गया
- राज्य जीएसटी की 50 फीसदी प्रतिपूर्ति के लिए सहमति
- परियोजना लागत के अलावा किसी भी मद के लिए 1.5 फीसदी लोकल एरिया डेवलपमेंट फंड (एलएडीएफ) बुक करना
- 70 वर्षों के लिए तेज वृद्धि/उछाल
उपरोक्त बातों के अलावा हिमाचल प्रदेश की सरकार ने चिनाब नदी पर लगभग 28,000 करोड़ रुपये के निवेश से 2,917 मेगावाट की 10 जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण के लिए तीन केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की उपक्रमों (सीपीएसयू)- एनटीपीसी, एनएचपीसी और एसजेवीएन के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
- जल विद्युत क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा सात मार्च, 2019 को निम्नलिखित उपायों के लिए दिशा-निर्देश तैयार किए गए हैं :
- बड़ी जल विद्युत परियोजनाओं (> 25 मेगावाट) को नवीकरणीय ऊर्जा घोषित करना
- जल विद्युत खरीद प्रतिज्ञापत्र (एचपीओ)
- टैरिफ युक्तिकरण उपाय
- बाढ़ परिनियमन घटक के लिए बजटीय सहायता
- बुनियादी ढांचों जैसे; पुलों और सड़कों के निर्माण के लिए बजटीय सहायता
एचपीओ के लिए दिशा-निर्देश, बाढ़ परिनियमन और बुनियादी ढांचे के लिए बजटीय सहायता को लेकर चर्चा अंतिम चरण में है और इन्हें जल्द ही जारी किए जाने की संभावना है। बिक्री की क्षमता को लेकर जल विद्युत क्षेत्र जिस तरह के मामलों का सामना कर रहा है, उनका समाधान एचपीओ, टैरिफ युक्तिकरण उपायों और बाढ़ परिनियमन एवं बुनियादी ढांचे (पुलों, सड़कों आदि) के निर्माण के लिए बजटीय सहायता के माध्यम से किया जाएगा। इसके अलावा बड़ी जल विद्युत परियोजनाओं (>25 मेगावाट) के नवीकरणीय ऊर्जा कीश्रेणी में शामिल होने से इसे हरित वित्त पोषण का लाभ मिल पाएगा।
7. वन नेशन-वन ग्रिड-वन फ्रिक्वेंसी
- साल 2020 (अक्टूबर, 2020 तक) के दौरान 11,921 सर्किट किलोमीटर (सीकेएम) ट्रांसमिशन लाइनों (220 केवी और इससे अधिक) को जोड़ा गया।
- समान अवधि के दौरान ट्रांसफॉर्मेशन कैपिसिटी में 35,760 मेगा वोल्ट एम्पियर की वृद्धि हुई।
- साल 2020 के दौरान (अक्टूबर, 2020 तक) तक अतंर-क्षेत्रीय हस्तांतरण क्षमता में 3,000 मेगावाट की वृद्धि हुई है।
8. विद्युत मंत्रालय ने साल 2020 (अक्टूबर, 2020 तक) के दौरानआरटीम/टीबीसीबी मोड के तहत इंटर-स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम (आईएसटीएस) परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए अनुमानित लागत 25,945.3 करोड़ रुपये को मंजूरी दी है।
9.नवीकरणीय ऊर्जा प्रबंधन केंद्र (आरईएमसी) की स्थापना
नवीकरणीय संसाधनों के पूर्वानुमान और निर्धारण को सक्षम करने एवं आंतरायिक और परिवर्तनीय नवीकरणीय ऊर्जा के कुशल प्रबंधन के लिए नवीकरणीय ऊर्जा प्रबंधन केंद्रों (आरईएमसी) की स्थापना करने का काम भारत सरकार ने पावरग्रिड को दिया है।साल 2019-20 के दौरान सात स्टेट लोड डिस्पैच केंद्रों (तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान) के साथ सभी 11 आरईएमसी, तीन क्षेत्रीय लोड डिस्पैच केंद्रों (बेंगलुरू, मुंबई और नई दिल्ली) एवं एनएलडीसी, नई दिल्ली की शुरूआत की गई।
साल 2019-20 के दौरान भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय ने तेलंगाना में एक आरईएमसी और दक्षिणी अंडमान में एक ऊर्जा प्रबंधन केंद्रकी स्थापना की जिम्मेदारी पावरग्रिड को दी है। ये दोनों कार्यान्वयन में हैं।
10. साल 2020 (31 अक्टूबर तक) के दौरान शुरू की गई बड़ी ट्रांसमिशन परियोजनाएं
- चंपा और कुरूक्षेत्र एचवीडीसी स्टेशन के पोल 4 को मार्च, 2020 में शुरू किया गया। इससे साल 2020 में 1,500 मेगावाट की अंतर क्षेत्रीय क्षमता को जोड़ा गया है।
- 765 केवी डी/सी चिलकलुरिपेटा-कुडप्पा लाइन (577 सीकेएम), 765 केवी डी/सी वेमागिरी- चिलकलुरिपेटा लाइन (558 सीकेएम) और 765/400 केवी, 3,000 एमवीए चिलकलुरिपेटा एस/एस परियोजनाओं का निर्माण टैरिफ आधारित प्रतिस्पर्द्धात्मक बोली (टीबीसीबी) के माध्यम से किया गया। इन सभी परियोजनाओं की शुरूआत जनवरी, 2020 में की गई।
- सितंबर, 2020 में रायगढ़ और पुगलूर स्टेशन एचवीडीसी टर्मिनल (पोल-1) के चार्ज होने के साथ 800 केवी एचवीडीसी रायगढ़ (एचवीडीसी स्टेशन)- पुगलूर (एचवीडीसी स्टेशन) बाइपोल लिंक (3531 सीकेएम) को शुरू किया गया। इससे वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान अंतर-क्षेत्रीय क्षमता में 1,500 मेगावाट की वृद्धि हुई।
- 15 फरवरी, 2020 को जम्मू-कश्मीर पावर ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (जेकेपीटीसीएल) द्वारा 45 किलोमीटर लंबी अलस्टेंग-जैनाकोट 220 केवी डी/सी ट्रांसमिशन लाइन को शुरू किया गया। प्रधानमंत्री पुनर्निर्माण योजना (पीएमआरपी-2005) के तहतइसका वित्त पोषण किया गया था। इन लाइनों के साथ उत्तरी ग्रिड स्थापित 220 केवी कनेक्टिविटी के रूप में जैनाकोट-अलस्टेंग (श्रीनगर)-लेह के इंटर-कनेक्शन के लिए 220 केवी ट्रांसमिशन सिस्टम रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण लद्दाख क्षेत्र को विश्वसनीय विद्युत आपूर्ति प्रदान करेगा, जो एक रक्षा प्रतिष्ठान का क्षेत्र भी है।
- कुंजर (लंबाई– 20 किलोमीटर) में 220 केवी डी/सी जैनाकोट-देलिना लाइन के एलआईएलओ और 220/132 केवी, 320 एमवीए अलस्टेंग सब-स्टेशन को फरवरी, 2020 में शुरू किया गया।
11.शक्ति नीति के तहत कोयला लिंकेज समझौता
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- शक्ति नीति पैरा बी (ii) (वैसेस्वतंत्र विद्युत उत्पादक (आईपीपी) जिन्होंने दीर्घकालीन विद्युत खरीद समझौते (पीपीए) किए हैं, उनके लिए नीलामी आधारित लिंकेज) : मई, 2020 में आयोजित लिंकेज नीलामी के तीसरे दौर में कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने पांच ताप विद्युत परियोजनाओं की 4510.5 मेगावाट की बैलेंस क्षमता के लिए 3.466 एमटीपीए (जी13 ग्रेड के समकक्ष) कोल लिंकेज प्रदान किए।
- शक्ति नीति पैरा बी (iii) (वैसेस्वतंत्र विद्युत उत्पादक (आईपीपी) जिन्होंने विद्युत खरीद समझौते (पीपीए) नहीं किए हैं, उनके लिए नीलामी आधारित लिंकेज) : सात फरवरी, 2020 को संपन्न नीलामी में 3775 मेगावाट (कुल 5995 मेगावाट) की कुल क्षमता वाले विद्युत उत्पादक जिसके पास पीपीए नहीं है, उन्हें 7.15 मीट्रिक टन कोयला (जी13 ग्रेड के समकक्ष) प्रदान किया गया।
- शक्ति नीति पैरा बी (viii) (a) (अल्पकालीन एवं डीएएम के लिए गैर-पीपीए को लेकर नीलामी आधारित लिंकेज)
(क.) दो फरवरी, 2019 को विद्युत मंत्रालय ने इस संबंध में एक कार्यप्रणाली जारी की, जिससे प्रत्येक तिमाही में अल्पावधि और डे-अहेड मार्केट्स (डीएएम) की गतिशील आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ऐसी नीलामी की जा सके। 15 मई, 2020 को कार्यप्रणाली में किए गए संशोधन जारी किए गए।
(ख.) नीलामी का पहला दौर (अप्रैल-जून, 2020 की तिमाही) : शून्य प्रीमियम के साथ नौ सफल नीलामी प्राप्त करने वालों ने 1.57 मीट्रिक टन बुक किया।
(ग।) नीलामी का दूसरा दौर (जुलाई- सितंबर, 2020 की तिमाही) : शून्य प्रीमियम के साथ आठ सफल नीलामी प्राप्त करने वालों ने 0.744 मीट्रिक टन (जी13 ग्रेड के समकक्ष) बुक किया।
(घ.) नीलामी का तीसरा दौर (अक्टूबर- दिसंबर, 2020 की तिमाही) : शून्य प्रीमियम के साथ छह सफल नीलामी प्राप्त करने वालों ने 0.41 मीट्रिक टन बुक किया।
(ङ) नीलामी का चौथा दौर (जनवरी-मार्च, 2021 की तिमाही) : 9.90 मीट्रिक टन (जी13 ग्रेड के समकक्ष) की कुल मानक मात्रा के लिए केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) को 14 मांगपत्र प्राप्त हुए हैं। नीलामी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) द्वारा प्रक्रिया में है।
सम्मिश्रण के लिए कोयले के आयात में कमी
घरेलू कोयले की बढ़ती उपलब्धता को देखते हुए विद्युत मंत्रालय ने 28 अप्रैल, 2020 को जारी पत्र में विद्युत उत्पादक कंपनियों को सलाह दी कि वे सम्मिश्रण के उद्देश्य से आयातित कोयले की जगह घरेलू कोयले का उपयोग करने की कोशिश करें। वहीं, सीईए ने भी विद्युत संयंत्रों को सलाह दी कि वे सम्मिश्रण के लिए कोयले का आयात न करें और इसके बदले घरेलू कोयले का उपयोग करें। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप अप्रैल-सितंबर, 2020के दौरान सम्मिश्रण के लिए आयातित कोयले में पिछले साल (2019) की तुलना में लगभग 54 फीसदी की कमी दर्ज की गई।
कोयले की उपलब्धता में सुधार
साल 2020-21 के दौरान विभिन्न घरेलू स्रोतों से कोयले की अपेक्षित उपलब्धता लगभग 644 मीट्रिक टन (सीआईएल : 526 मीट्रिक टन, एससीसीएल : 55 मीट्रिक टन और कैप्टिव: 63 मीट्रिक टन) है। वहीं घरेलू कोयले के उपयोग पर आधारित संयंत्रों की जरूरत 645 मीट्रिक टन है। यानी देश में कोयले की पर्याप्त उपलब्धता है।
इसके अलावा कोयले की प्राप्ति में भी लगातार बढ़ोतरी हुई है। साल 2015-16 में 561 मीट्रिक टन कोयले की प्राप्ति हुई थी। यह आंकड़ा 2019-20 में बढ़कर 638 मीट्रिक टन हो गया। सीईए द्वारा दैनिक आधार पर की जा रही निगरानी के तहत आने वाले विद्युत संयंत्रों के पास दो नवंबर, 2020 को 34.16 मीट्रिक टन भंडार है, जो औसतन 19 दिनों के लिए पर्याप्त है।
12. आईएसटीएस ट्रांसमिशन चार्ज और सौर एवं पवन विद्युत के नुकसान के लिए माफी
ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों को बढ़ावा देने के लिए विद्युत मंत्रालय ने पांच अगस्त, 2020 को एक आदेश जारी किया था। इसके तहत इंटर स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम (आईएसटीएस) चार्ज और संचालित सौर एवं पवन परियोजनाओं से उत्पादित बिजली के ट्रांसमिशन के दौरान हुए नुकसान को 30 जून, 2023 तक माफ किया गया है।
यह उल्लेखनीय है कि पहले की टैरिफ पॉलिसी 201 के प्रावधानों के अनुरूप मंत्रालय ने 30 सितंबर, 2016 को आईएसटीएस चार्ज एवं सौर और पवन ऊर्जा स्रोतों से उत्पादित विद्युत के ट्रांसमिशन के दौरान हुए नुकसान की माफी संबंधित आदेश को जारी किया था। आईएसटीएस चार्ज और नुकसान को लेकर इस तरह की माफी समय-समय पर बढ़ाई जाती रही है।
13. देरी से भुगतान पर लगने वाले सरचार्ज की दर में कमी
- कोविड-19 महामारी की वजह से बिजली वितरण कंपनियों के सामने आने वाली समस्याओं के समाधान के लिए विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 107 के तहत 28 मार्च, 2020 को विद्युत मंत्रालय ने सीईआरसी को निर्देश जारी किए। यह निर्देश उत्पादक कंपनियों और लाइसेंसधारियों की उस तरह की भुगतान जो 24 मार्च, 2020 से 30 जून, 2020 की अवधि के दौरान 45 दिनों (बिल की प्रस्तुति की तिथि से) से अधिक की देरी वाले हैं, उनके लिए लेट पेमेंट सरचार्ज (एलपीएस) की दरों में कमी की गई। इन कंपनियों और लाइसेंसधारियों ने उन प्रतिबंधों का पालन किया जिन्हें केंद्र सरकार ने 24 मार्च, 2020 को एक आदेश के माध्यम से जारी किए थे। इसमें कोविड-19 को एक बड़ी घटना के रूप में दर्ज किया गया था।
- विद्युत मंत्रालय के पत्र में इसका भी प्रावधान किया गया था कि उन कंपनियों और ट्रांसमिशन लाइसेंसधारियों के लिए जिनका टैरिफ केंद्रीय आयोग द्वारा धारा 63 के तहत निर्धारित किया गया था, उनके लिए डिस्कॉम संबंधित विद्युत खरीद समझौते (पीपीए) के प्रावधानों के तहत बड़ी घटना के रूप मेंअपने दायित्वों से राहत का दावा कर सकता है, जिस दर पर एलपीएस का भुगतान किया जाना है। मंत्रालय के निर्देश पर सीईआरसी ने तीन अप्रैल, 2020 को आवश्यक आदेश जारी किए हैं।
- विद्युत मंत्रालय ने 20 अगस्त, 2020 को एक पत्र के माध्यम से उत्पादक कंपनियों और ट्रांसमिशन कंपनियों को सलाह दी कि वे डिस्कॉम द्वारा किए गए सभी भुगतानों पर मूल बकाया (एलपीएस को छोड़कर) पर प्रतिमाह एक फीसदी से अधिक लेट पेमेंट सरचार्ज (एलपीएस) न करें। कंपनियों को इस तरह की सलाह आत्मनिर्भर भारत के तहत पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन (पीएफसी) और रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉर्पोरेशन (आरईसी) के लिए लिक्विडिटी इन्फ्यूजन स्कीम के तहत दी गई थी।
14. टैरिफ आधारित प्रतिस्पर्धात्मक नीलामी के माध्यम से नवीकरणीय परियोजनाओं से राउंड द क्लॉक पावर (आरटीसी पावर) की खरीद के लिए दिशानिर्देश
नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से डिस्कॉम को राउंड-द-क्लॉक पावर (आरटीसी) उपलब्ध करवाने के लिए विद्युत मंत्रालय ने 22 जुलाई, 2020 को आरटीसी पावर दिशानिर्देश जारी किए।
तीन नवंबर, 2020 को भारत के राजपत्र में इन दिशानिर्देशों में किए गए संशोधनों को अधिसूचित किया गया। अब पूरक विद्युत का उपयोग किसी भी ईंधन स्रोतों से किया जा सकता है।
15.पावर एक्सचेंज के माध्यम से रियल टाइम मार्केट (आरटीएम) और ग्रीन टर्म अहेड मार्केट (जीटीएएम) का परिचय
- पावर एक्सचेंज में दो नए उत्पाद शुरू किए गए- रियल टाइम मार्केट (आरटीएम) और ग्रीन टर्म अहेड मार्केट (जीटीएएम)। आरटीएम को एक जून, 2020 से शुरू किया गया, जो डिस्कॉम सहित अन्य खरीदारों को तय समय के करीब विद्युत खरीद में सक्षम बनाएगा। जीटीएम को 21 अगस्त, 2020 से शुरू किया गया। यह पावर एक्सचेंजों से नवीकरणीय ऊर्जा की खरीद को सक्षम करेगा। पावर एक्सचेंजों पर ग्रीन मार्केट्स की शुरूआत सर्वाधिक कुशल एवं लागत अनुकूलित तरीके से हरित ऊर्जा के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेगा।
16.अल्पावधि बाजार का कम होना
- पावर एक्सचेंजों के डे अहेड मार्केट में बिजली के अल्पावधि लेन-देन में कारोबार की मात्रा में वृद्धि और बिजली की कीमतों में कमी देखी गई है।समीक्षा की अवधि (जनवरी-सितंबर) के दौरान डे-अहेड मार्केट में कारोबार की जाने वाली बिजली की मात्रा में लगभग 18 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। वहीं समान अवधि में बिजली की कीमतों में 18 फीसदी की कमी आई है।पावर एक्सचेंजों में कारोबार की जाने वाली बिजली का हिस्सा कुल बिजली उत्पादन का लगभग पांच फीसदी है। इसमें नवीकरणीय और कैप्टिव पावर संयंत्रों से उत्पादित बिजली शामिल नहीं है।
17.डिस्कॉम द्वारा खरीदी गई बिजली की लागत को कम करने का प्रयास
वितरण लाइसेंसधारियों द्वारा खरीदी गई बिजली की लागत को कम करने के लिए पिछले साल सिक्योरिटी कन्स्ट्रैन्ट इकनॉमिक डिस्पैच (एससीईडी) का एक पायलट सिस्टम शुरू किया गया था। इसमें तापीय अंतर-राज्यीय उत्पादक स्टेशन (आईएसजीएस) के लिए राष्ट्रीय स्तर पर योग्यता क्रम का पालन किया जाएगा। इससे सस्ता उत्पादन अधिकतम स्तर पर उपलब्ध होगा। इस प्रणाली के परिणामस्वरूप वितरण लाइसेंसधारियों को बिजली खरीद लागत पर प्रतिदिन लगभग तीन करोड़ रुपये की बचत हुई है। केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग ने 18 अप्रैल, 2020 को आदेश जारी कर इस पायलट सिस्टम की समयसीमा को आगे बढ़ाकर 31 मार्च, 2020 कर दिया है। आयोग ने एससीईडी के दायरे को और बढ़ाकर इसमें तापीय आईएसजीएस के अलावा अन्य उत्पादकों को भी शामिल किया है, जिनके टैरिफ का निर्धारण आयोग द्वारा किया जाता है।
18 केंद्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर एवं केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के लिए संयुक्त विद्युत नियामक आयोग (जेईआरसी)
जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के अनुसार नौ अगस्त, 2019 को जम्मू और कश्मीर राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों- जम्मू और कश्मीर एवं लद्दाख में विभाजित किया गया। इसके बाद विद्युत अधिनियम, 2003 के तहत 18 जून, 2020 को अधिसूचना जारी कर जम्मू और कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश और लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश के लिए संयुक्त विद्युत नियामक आयोग (जेईआरसी) का गठन किया गया।
19.विद्युत (संशोधन) विधेयक 2020 का मसौदा
विद्युत क्षेत्र कई प्रमुख मुद्दों का सामना कर रहा है। इनमें अनुबंधों की शुचिता सुनिश्चित करना, अनुबंधों का प्रदर्शन, भुगतान सुरक्षा कार्यप्रणाली, अनुदान प्रबंधन और आरपीओ अनुपालन कार्यप्रणाली आदि शामिल हैं।
- इन मुद्दों को समाधान करने और इस क्षेत्र की स्थिरता को बढ़ाने के लिए विद्युत अधिनियम, 2003 में संशोधन मसौदा प्रस्तावित है। हितधारकों की टिप्पणी प्राप्त करने के लिए 17 अप्रैल, 2020 को विद्युत (संशोधन) विधेयक 2020 के प्रस्तावित मसौदे को प्रसारित कर दिया गया। हितधारकों से प्राप्त टिप्पणियों की जांच विद्युत मंत्रालय ने की है और विद्युत (संशोधन) विधेयक 2020 के परिशोधित मसौदे को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
20.टैरिफ नीति में संशोधन
विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 3 के प्रावधानों के अनुसार 28 जनवरी, 2016 को संशोधित टैरिफ नीति को अधिसूचित किया गया। टैरिफ नीति 2016 में कुछ संशोधन उपभोक्ता संरक्षण सुनिश्चित करने, क्षेत्र की वित्तीय व्यवहार्यता बढ़ाने, निवेश आकर्षित करने और विद्युत क्षेत्र में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए प्रस्तावित किए गए हैं। टैरिफ नीति के प्रस्तावित संशोधनों में उपभोक्ता संरक्षण जैसे; डिस्कॉम के प्रदर्शन मानक, बिजली की पर्याप्तता, बिजली कटौती के लिए जुर्माना और डिस्कॉम की अक्षमताओं की अनदेखी नहीं करना शामिल हैं।
- इनके अलावा प्रस्तावित संशोधनों में उत्पादक कंपनियों/ट्रांसमिशन कंपनियों को भुगतान, कानून के प्रावधानों में बदलाव पर स्पष्टता, नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना, इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग स्टेशन्स को इलेक्ट्रिसिटी टैरिफ, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी), स्मार्ट मीटरिंग, ओपन एक्सेस के अनुदान में पारदर्शिता, नियामक परिसंपत्तियों पर चिंताओं का समाधान करना, क्रॉस सब्सिडी की गणना के लिए फॉर्मूले में संशोधन और अतिरिक्त अधिभार शामिल हैं।
21.ऊर्जा दक्षता योजनाओं और कार्यक्रमों का प्रभाव
- 67,039 करोड़ रुपये की 136.37 बिलियन (13,637 करोड़) यूनिट विद्युत ऊर्जा की बचत
- तेल के समकक्ष 22,083 करोड़ रुपये की 12.00 मिलियन (1.2 करोड़) टन की तापीय ऊर्जा की बचत
- तेल के समकक्ष 23.73 मिलियन (2,37,30,000) टन की कुल ऊर्जा बचत, यह देश की कुल प्राथमिक ऊर्जा आपूर्ति का 2.69 फीसदी है
- 89,122 करोड़ रुपये की कुल लागत बचत, जो लगभग 151.74 मिलियन (15,17,40,000) टन के कार्बनडायऑक्साइडउत्सर्जन में कमी के बराबर है।
22.उद्योग क्षेत्र में ऊर्जा दक्षता
- 31 मार्च, 2019 कोपीएटी चक्र- II संपन्न हुआ, जहां 11 सेक्टरों के 621 नामित उपभोक्ताओं (डीसी) ने तेल के समकक्ष कुल 13.28 मिलियन टन (एमटीओई) ऊर्जा की बचत की।इसकी वजह से लगभग 61.34 मिलियन टन कार्बनडायऑक्साइड का उत्सर्जन कम हुआ।यह बचत 8.869 एमटीओई के अधिसूचित लक्ष्य से लगभग 25 फीसदी अधिक है।
- मार्च, 2020 पीएटी चक्र- III पूरा किया गया। इसके तहत 116 नए डीसी के मूल्यांकन एवं ऊर्जा बचत की प्रगति को लेकर निगरानी और सत्यापन का काम पूरा किया गया।
- अप्रैल, 2020 में पीएटी चक्र-VI (2020-21 से 2022-23) को अधिसूचित किया गया है। इसमें 135 नामित उपभोक्ताओं (डीसी) के साथ 1.277 एमटीओई की ऊर्जा बचत को शामिल किया गया है।
- पीएटी चक्र- VI के पूरा होने तक 1073 डीसी की हिस्सेदारी और लगभग 70 मिलियन टन कार्बनडायऑक्साइड का उत्सर्जन कम होने के साथ 25 एमटीओई की ऊर्जा बचत को पीएटी योजना के तहत प्राप्त करने का अनुमान है।
- सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) की ऊर्जा दक्षता में सुधार के लिए उल्लेखनीय प्रयास और प्रगति की गई है। इसमें एमएसएमई क्षेत्र के लिए विशेष रूप से द्वीपक्षीय भागीदारी शामिल है। भारत के 25 ऊर्जा गहन एसएमई सेक्टरों को लेकर एमएसएमई सेक्टरों के लिए ईसी दिशानिर्देश विकसित किए गए हैं।
- एमएसएमई में सिम्प्लिफाइड डिजिटल हैंड्स-ऑन इन्फॉर्मेशन ऑन एनर्जी एफिसिएंसी (सिद्धी) नाम से एक ज्ञान पोर्टल विकसित किया गया है। इस पोर्टल पर विभिन्न प्रकार के ज्ञान संबंधित संसाधन जैसे; केस स्टडी, सर्वश्रेष्ठ संचालन अभ्यास और नवीनतन ऊर्जा दक्ष तकनीकों का विवरण आदिउपलब्ध हैं।
23.उपकरण क्षेत्र
- डीप फ्रीजर्स और लाइट कॉमर्शियल एयर कंडीशनर के लिए स्वैच्छिक स्टार लेबलिंग कार्यक्रम को आठ मार्च, 2020 को शुरू किया गया।
- एलईडी बल्बों की संशोधित अधिसूचना एसओ 2178 (ई) दो जुलाई, 2020 को जारी किया गया। इसके तहत मौजूदा ऊर्जा उपभोग मानकों की वैधता में 30 जून, 2020 के बाद छह महीने का विस्तार किया गया। वहीं एक जनवरी, 2021 से संशोधित ऊर्जा उपभोग मानक वैध होंगे।
- ट्यूबलर फ्लोरोसेंट लैंप की संशोधित अधिसूचना एसओ 1930 (ई) 18 जून, 2020 को जारी की गई।
- वॉशिंग मशीन, माइक्रोवेव ओवन, चिलर की मौजूदा ऊर्जा खपत मानक जो 31 दिसंबर, 2020 तक मान्य है, उसे एक साल की अवधि (एक जनवरी, 2021 से 31 दिसंबर, 2021 तक) के लिए बढ़ाया गया।
24.बिल्डिंग सेक्टर
14 राज्यों और दो केंद्रशासित प्रदेशों ने ऊर्जा संरक्षण भवन कोड (ईसीबीसी) को अपने यहां अधिसूचित किया है। इनमें राजस्थान, ओडिशा, उत्तराखंड, पंजाब, कर्नाटक, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश और केंद्रशासित प्रदेश- अंडमान एवं निकोबार और पुडुचेरी हैं।
- इनके अलावा अन्य राज्य ईसीबीसी अपनाने के अग्रिम चरणों में हैं। वहीं, सात राज्यों में मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए ईसीबीसी अधिसूचना के लिए प्रस्ताव रखा गया है। इन राज्यों में गोवा, झारखंड, मध्य प्रदेश, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और सिक्किम हैं।
- राज्य नामित एजेंसियों (एसडीए) के पास रखे गए ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) की ऊर्जा संरक्षण भवन कोड (ईसीबीसी) इकाइयां राज्य स्तर पर ईसीबीसी के कार्यान्वयन में मदद कर रही हैं।
- 31 अक्टूबर, 2020 तक पांच राज्यों के 48 यूएलबी ने भवन अनुमोदन प्रक्रिया के लिए ईसीबीसी के प्रावधानों को शामिल किया है।
- 31 अक्टूबर, 2020 तक 264 भवनों को विभिन्न श्रेणियों के तहत स्टार रेटिंग से सम्मानित किया गया है।
25.सभी के लिए सस्ते एलईडी द्वारा उन्नत ज्योति (उजाला)
- देशभर में 36.66 करोड़ से अधिक बल्ब, 72.05 लाख एलईडी ट्यूबलाइट्स और 23.38 लाख ऊर्जा दक्ष पंखों को वितरित किया गया।
- इसके परिणामस्वरूप 9,736 मेगावाट की अधिक मांग के बावजूद प्रत्येक वर्ष 48.13 बिलियन किलोवाट घंटा की ऊर्जा बचत हुई। इसके अलावा प्रत्येक वर्ष ग्रीन हाउस गैस के रूप में अनुमानित 39 मिलियन टन कार्बनडायऑक्साइड का उत्सर्जन कम हुआ। वहीं प्रत्येक वर्ष उपभोक्ताओं के बिजली खर्च में कुल 19,228 करोड़ रुपये की अनुमानित कमी हुई है।
26. स्ट्रीट लाइटिंग नेशनल प्रोग्राम (एसएलएनपी)
- देशभर में 1.10 करोड़ ऊर्जा दक्षता से युक्त एलईडी स्ट्रीटलाइट्स लगाई गई हैं।
- इसके परिणामस्वरूप 1,241 मेगावाट की अधिक मांग होने के बावजूद प्रत्येक वर्ष 7.45 बिलियन किलो वाट घंटा (केडब्ल्यूएच) की अनुमानित बिजली बचत हुई है। इसके अलावा प्रत्येक वर्ष ग्रीनहाउस गैस के तहत कार्बनडायऑक्साइड के उत्सर्जन में भी 5.13 मिलियन टन की कमी हुई है। वहीं नगरपालिकाओं के बिजली खर्च में भी 5,212 करोड़ रुपये की बचत हुई है।
27.नेशनल ई-मोबिलिटी प्रोग्राम
10,000 ई-कारों की खरीद प्रक्रिया को पूरा किया गया। इन कारों की कीमत बाजार में उपलब्ध इस तरह की समान कारों से 25 फीसदी कम है। अब तक 1514 ई-कारों को सरकारी कार्यालयों में या तो तैनात कर दिया गया है या तैनाती की प्रक्रिया में है। वहीं इन कार्यालयों में 448 कैप्टिव चार्जरों (308 एसी एवं 180 डिसी) को शुरू किया गया है।
28.इलेक्ट्रिक व्हीकल्स चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर
इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग संबंधी बुनियादी ढांचा- 14 दिसंबंर, 2018 को दिशानिर्देश एवं मानकीकरण जारी किए गए। इसके बाद एक अक्टूबर, 2019 को इनमें संशोधन किया गया।वहीं पब्लिक चार्जिंग स्टेशन (पीसीएस) को बिजली की आपूर्ति के लिए टैरिफ की सीमाका निर्धारण और पीसीएस, बैटरी स्वैपिंग स्टेशन, बैटरी चार्जिंग स्टेशन और इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग इक्विपमेंट की परिभाषाओं के संदर्भ में आठ जून, 2020 को संशोधन जारी किए गए।
सितंबर, 2020 तक ईईएसएल/एनटीपीसी/पीजीसीआईएल द्वारा स्थापित किए गए पब्लिक चार्जिंग स्टेशन (पीसीएस)
i.ईईएसएल : 97 (दिल्ली/एनसीआर में अतिरिक्त 56 पीसीएस भी शुरू होने के लिए तैयार है)
ii.एनटीपीसी : 90
iii.पीजीसीआईएल : 13
29 बिल्डिंग एनर्जी एफिशिएंसी प्रोग्राम (बीप)
रेलवे स्टेशनों और हवाई अड्डों सहित 10,411 इमारतों में बिल्डिंग एनर्जी एफिशिएंसी प्रोग्राम (बीप) परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं।
30.कृषि मांग पक्ष प्रबंधन (एजीडीएसएस)
आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश में 74,262 से अधिक ऊर्जा दक्ष पंपों को स्थापित किया गया है।
31.सुरक्षा और दक्षता के लिए आंतरिक वायु गुणवत्ता में सुधार को लेकर वातानुकूलन का पुन:संयोजन (आरएआईएसई) कार्यक्रम
20 जुलाई, 2020 को केंद्रीय विद्युत मंत्री द्वारा आरएआईएसई कार्यक्रम को शुरू किया गया। यह कार्यक्रम कार्यालय के वातानुकूलन प्रणाली में आंतरिक वायु गुणवत्ता (आईएक्यू), तापीय सहजता और ऊर्जा दक्षता (ईई) में सुधार पर केंद्रित है।कोविड-19 महामारी परिदृश्य के बीच किसी भी कार्यस्थल में कर्मचारियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल) पूरे देश में मानकीकरण और मांग एकत्रीकरण दृष्टिकोण के साथ इस तरह की सुविधा उपलब्ध करवा रहा है।
ईईएसएल ने अपने कार्यालय के वातानुकूलन और वेंटिलेशन सिस्टम का पुन:संयोजन किया है। स्कोप कॉम्पलेक्स स्थित ईईएसएल के कॉरपोरेट कार्यालय को इस पहल के लिए एक पायलट के रूप में लिया गया है।
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एमजी/एएम/एचकेपी/केजे
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