वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय
उद्योग तथा आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग के लिए वर्षांत समीक्षा -2020
13 क्षेत्रों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना
इन्वेस्टमेन्ट क्लियरेंस सेल – व्यवसाय सहायता और समर्थन प्रदान करने के लिए वन स्टॉप डिजिटल प्लेटफॉर्म
निवेश के लिए अपने पसंदीदा स्थान चिन्हित करने में निवेशकों की सहायता के लिए औद्योगिक सूचना प्रणाली लॉन्च की गई
आत्मनिर्भर भारत के लिए वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट
एफडीआई की आवक 42.06 अमेरिकी बिलियन डॉलर से 11 प्रतिशत बढ़कर 46.82 बिलियन डॉलर हुई
Posted On:
31 DEC 2020 12:36PM by PIB Delhi
वर्ष 2020 के दौरान उद्योग तथा अंतरिक व्यपार सर्वधन विभाग की उपलब्धियों के प्रमुख आकर्षण निम्नलिखित हैं;
व्यवसाय की सुगमता
व्यवसाय कार्य रिपोर्ट, 2020: देश में व्यवसाय की सुगमता में सुधार के लिए वर्तमान नियमों को सरल तथा विवेक संगत बनाने पर बल दिया गया है तथा गवर्नेंस को अधिक सक्षम और प्रभावी बनाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी लागू करने पर बल दिया जाता रहा है। विश्व बैंक की डुइंग बिजनेस रिपोर्ट (डीबीआर), 2020 24 अक्टूबर, 2019 को जारी की गई। इस रिपोर्ट में भारत 190 देशों में 63वें स्थान पर रहा 2019 में भारत का रैंक 77 था। भारत ने 10 संकेतकों में से 7 संकेतकों में अपनी रैंक में सुधार की है और अंतरराष्ट्रीय श्रेष्ठ व्यवहारों के निकट आया है। डीबीआर 2020 में भारत को लगातार तीसरी बार 10 शीर्ष सुधार करने वालों में माना गया है। ऐसा इन वर्षों में 67 रैंक के सुधार से हुआ है। वर्ष 2011 से यह किसी देश द्वारा सबसे ऊंची छलांग है। वर्ष 2009 से ईओडीबी रैंकिंग में प्रगति तथा डीबीआर 2019 और 2020 में 10 संकेतकों पर तुलनात्मक स्थिति नीचे के ग्राफ में दिखती हैः
विश्व बैंक की डुंईंग बिजनेस रिपोर्ट में भारत की रैंकिंग
व्यवसाय सुगमता में भारत की प्रगति
राज्य सुधार कार्य योजना
राज्य स्तर पर व्यवसाय सुधारों को लागू करने पर 2014 से डीपीआईआईटी विश्व बैंक के सहयोग से नजर रखे हुए है। डीपीआईआईटी व्यवसाय सुगमता के विशिष्ट क्षेत्रों में सुधार के मूल्यांकन के आधार पर सभी राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों की वार्षिक रैंकिंग कर रहा है। 301 सूत्री राज्य सुधार कार्य योजना, 2020 को 31 दिसंबर, 2020 तक लागू करने के लिए 25 अगस्त, 2020 को राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों से साझा किया गया। कार्य योजना में सुधार के 24 क्षेत्रों को शामिल किया गया है और इसका उद्देश्य क्षेत्र विशेष दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करना है ताकि देश में विभिन्न क्षेत्रों में व्यवसाय सक्षमता में सहायता का वातावरण बन सके। विभिन्न क्षेत्रों में व्यापार लाइसेंस, स्वास्थ्य सेवा, कानूनी माप विद्या, फायर लाइसेंस/एनओसी, सिनेमा हॉल, आतिथ्य सत्कार, दूरसंचार, मूवी शूटिंग तथा पर्यटन हैं।
जिला सुधार कार्य योजना
जिला स्तर के कर्मी एक उद्यमी के लिए संपर्क बिंदु होते हैं और इसीलिए सुधार कार्यक्रम में अगला तार्किक कदम जिला स्तर सुधार कार्य है। डीपीआईआईटी ने 13 सूत्री जिला सुधार कार्य योजना 2020 तैयार की और इसे 25.08.2020 को राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों से साझा किया। कार्य योजना में राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों के साथ 8 सुधार क्षेत्र कवर किए गए हैं। जिला योजना 43 एनओसी/अनुमति/पंजीकरण/प्रमाण-पत्र कवर करती है जो खुदरा, शिक्षा, स्वास्थ्य, खाद्य तथा पेय पदार्थ, रियल स्टेट, रत्न और आभूषण खनन और मनोरजन जैसे क्षेत्रों के लिए विनियमों को सरल बनाएगी।
1. निवेश संवर्धन
उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना
सरकार ने मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए यह योजना मार्च, 2020 में 13 क्षेत्रों, 3 क्षेत्रों में तथा नवंबर, 2020 में 10 क्षेत्रों में 5 वर्ष के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपये के आवंटन के साथ लॉन्च की। यह क्षेत्र हैं (i) ऑटोमोबिल तथा ऑटो उपकरण (ii) फार्मास्यूटिकल्स दवाएं (iii) विशेषज्ञता स्टील (iv) दूरसंचार तथा नेटवर्किंग उत्पाद (v) इलेक्ट्रोनिक/टेक्नोलॉजी उत्पाद (vi) घरेलू सामान (एसी तथा एलईडी) (vii) खाद्य उत्पाद (viii) वस्त्र उत्पादः एमएमएफ वर्ग तथा टेक्निकल टेक्सटाइल (ix) उच्च दक्षता के सोलर पीवी मॉड्यूल (x) एडवांस केमेस्ट्री सेल (एसीसी) बैटरी (xi) चिकित्सा उपकरण (xii) मोबाइल फोन सहित व्यापक इलेक्ट्रोनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग (xiii) महत्वपूर्ण स्टार्टिंग सामग्री/दवा मध्यस्थ तथा एपीआई। पीएलआई योजनाएं संबंधित मंत्रालयों/विभागों द्वारा लागू की जाएंगी तथा निर्धारित समग्र वित्तीय सीमाओं के भीतर होंगी। सबसे अधिक वित्तीय आवंटन ऑटोमोबिल तथा ऑटो उपकरण और एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल (एसीसी) पर पीएलआई को दिया गया है।
सचिवों का अधिकार संपन्न ग्रुप तथा प्रोजेक्ट डेवलेपमेंट सेल
कोविड-19 महामारी के बीच भारत में निवेश करने वाले निवेशकों को समर्थन, सहायता तथा निवेशक अनुकूल इको सिस्टम प्रदान करने के लिए मंत्रालयों/विभागों में सचिवों के अधिकार संपन्न ग्रुप (ईजीओएस) तथा प्रोजेक्ट डेवलेपमेंट सेल (पीडीसी) स्थापित किए गए हैं। इन संस्थानों का काम केन्द्र तथा राज्य सरकारों के बीच तालमेल से निवेश को गति देना है, जिससे घरेलू निवेश तथा एफडीआई आवक बढ़ाने के लिए भारत में निवेश एवं परियोजनाओं की पाइप लाइन तैयार की जा सके।
भारत सरकार के 29 मंत्रालयों/विभागों में संबंधित संयुक्त सचिव स्तर के नोडल अधिकारियों की अध्यक्षता में पीडीसी बनाए गए हैं। सभी पीडीसी सुचारू रूप से कार्य कर रहे हैं और सुपरिभाषित निवेशक सहयोग रणनीतियों को लागू कर रहे हैं। इनमें संभावित निवेशकों को चिन्हित करना, निवेशकों से बहुस्तरीय रूप से काम करना, वर्तमान निवेशक मुद्दों के समाधान के लिए व्यापक हितधारकों के साथ सक्रिय बातचीत करना, वर्तमान निवेश अवसरों को प्रोत्साहित करने के लिए नई परियोजनाएं/प्रस्ताव विकसित करना है।
इन्वेस्टमेन्ट क्लियरेंस सेल
वन स्टॉप डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से व्यवसाय को सहायता और समर्थन प्रदान करने के लिए माननीय वित्त मंत्री द्वारा इन्वेस्टमेन्ट क्लियरेंस सेल (आईसीसी) बनाने की घोषणा के बाद एक सेंट्रल सिंगल विंडो सिस्टम (एसडब्ल्यूएस) स्थापित की जा रही है और 15 अप्रैल, 2021 तक चुनिंदा राज्यों के साथ प्लेटफॉर्म लॉन्च करने की योजना है। यह राष्ट्रीय पोर्टल मंत्रालयों के वर्तमान आईटी पोर्टलों को बाधा पहुंचाए बिना भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों तथा राज्यों सरकारों की वर्तमान क्लियरेंस प्रणालियों को एकीकृत करेगा।
औद्योगिक सूचना प्रणाली
डीपीआईआईटी ने एक औद्योगिक सूचना प्रणाली (आईआईएस) विकसित की है जो पूरे देश में क्लस्टरों पार्कों, नोड, जाने आदि सहित औद्योगिक क्षेत्रों का जीआईएस सक्षम डाटा बेस प्रदान करती है ताकि निवेशकों को निवेश के लिए उनके पसंदीदा स्थान चिन्हित करने में मदद दी जा सके। औद्योगिक सूचना प्रणाली (आईआईएस) में निवल भू-क्षेत्र उपलब्धता के साथ-साथ 4.76 लाख हेक्टेयर में 3390 औद्योगिक पार्कों/सम्पदाओं/एसईजेड की मैपिंग की गई है। राज्य औद्योगिक जीआईएस प्रणालियों के साथ आईआईएस को एकीकृत करके एक राष्ट्रीय स्तर का भूमि बैंक विकसित किया जा रहा है। माननीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री द्वारा 27 अगस्त, 2020 को 6 राज्यों (गुजरात, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना, गोवा तथा हरियाणा) के लिए जीआईएस भूमि बैंक लॉन्च किया गया तथा 7 और राज्य भूमि बैंक बनाएंगे, जिससे राज्यों की कुल संख्या 13 हो जाती है। इससे निवेशक भूखंड स्तर का डाटा तथा भूमि संबंधी अद्यतन सूचना की रियल टाइम में उपलब्धता को देख सकेंगे हैं। यूजरों की सहजता के लिए एक मोबाइल ऐप्प भी उपलब्ध है।
इन्डस्ट्रीयल पार्क रेटिंग सिस्टम
इन्डस्ट्रीयल पार्क रेटिंग सिस्टम (आईपीआरएस) श्रेष्ठ प्रदर्शन वाले पार्कों को मान्यता देती है, कार्यक्रमों को चिन्हित करती है और निवेशकों तथा नीति निर्माताओं के लिए निर्णय समर्थन प्रणाली के रूप में काम करती है। यह प्रणाली एडीबी के तकनीकी निर्देशन के अंतर्गत डीपीआईआईटी द्वारा चलाई जा रही है। अब डीपीआईआईटी का उद्देश्य प्रथम वार्षिक ‘इन्डस्ट्रीयल पार्क रैटिंग 2.0’ विकसित करना है जो अपना कवरेज बढ़ाएगी और पायलट चरण में गुणात्मक आंकलन करेगी। आईपीआरएस 2.0 के अंतर्गत निजी औद्योगिक पार्कों सहित औद्योगिक पार्कों का आंकलन गुणात्मक संकेतकों के साथ इस वर्ष किया जाएगा। आईपीआरएस 2.0 में किरायेदार फीडबैक व्यवस्था लागू करना शामिल होगा जिससे डेवलेपरों के जवाब के आंकलन में मदद मिलेगी और इस काम के अंतिम लाभार्थियों के साथ प्रत्यक्ष रूप से जुड़ाव होगा। मार्च, 2021 तक इन्डस्ट्रील पार्क रेटिंग सिस्टम 2.0 पर रिपोर्ट जारी होने के साथ औद्योगिक पार्क के आंकलन का काम समाप्त हो जाएगा।
फोकस सब-सेक्टर (उप-क्षेत्र)
डीपीआईआईटी भारतीय उद्योग की शक्तियों तथा स्पर्धी बढ़त, आयात विकल्प के लिए आवश्यकता, निर्यात क्षमता तथा रोजगार देने की बढ़ती शक्ति को ध्यान में रखकर चुने गये 24 उपक्षेत्रों के साथ घनिष्ठता से कार्य कर रहा है। ये 24 सब-सेक्टर हैं - फर्नीचर, एयर-कंडीशनर, लेदर, फूटवीयर, रेडी टू इट, मछली उत्पाद, कृषि उपज, ऑटो उपकरण, एल्युमीनियम, इलेक्ट्रॉनिक्स, कृषि रसायन, इस्पात, टेक्सटाइल, ईवी कम्पोनेंट्स और इंटीग्रेटेड सर्किट, इथेनॉल, सेरामिक्स, सेटटॉप बॉक्स, रोबॉटिक्स, टेलीविजन, क्लोज सर्किट कैमरा, खिलौने, ड्रोन, चिकित्सा उपकरण, खेल के समान, जिम इकक्यूपमेंट, उप-क्षेत्रों के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए समग्र तथा समन्वित रूप से प्रयास जारी है।
वन डिस्ट्रिक, वन प्रोडेक्ट (ओडीओपी)
15 अगस्त, 2020 को 74वें स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए माननीय प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर आह्वान में यह स्पष्ट रूप से बल देकर कहा गया है कि एक राष्ट्र के रूप में हमें अपने प्राकृतिक तथा मानव संसाधनों का मूल्य संवर्धन करने की राह पर बढ़ना होगा। डीपीआईआईटी इस विजन को आगे ले जाने के लिए वन डिस्ट्रिक, वन प्रोडेक्ट (एक जिला, एक उत्पाद) पहल पर काम कर रहा है। ओडीओपी की परिकल्पना जिले की वास्तविक क्षमता, आर्थिक विकास की गति, रोजगार सृजन और ग्रामीण उद्यमिता क्षमता को ध्यान में रखते हुए परिवर्तनकारी कदम के रूप में की गई है। ओडीओपी कुछ राज्यों में (उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश) लागू की गई है। इसे राष्ट्रीय आंदोलन का रूप देकर हम 739 जिलों से 739 उत्पादों का एक पूल बना सकते है, जिसका नियमन किया जा सकता है।
130 जिलों की पहचान मैन्यूफैक्चरिंग, निर्यात क्षमता वाले विशेष उत्पादों के साथ की गई है। 106 उत्पादों में से 68 उत्पाद बड़े कॉमर्स प्लेटफॉमों पर उपलब्ध हैं। मैन्यूफैक्चरिंग और निर्यात को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से विशेष पहल जैसे मार्किटिंग, टेक्नोलॉजी, डिजाइन आदि जारी है। इसके साथ-साथ इसके लिए जिम्मेदार एजेंसी को चिन्ह्ति करने का काम भी किया जा रहा है। दो पहलों ‘ओडीओपी’ तथा ‘एक्सपोर्ट हब के रूप में जिला’ को एक साझा पहल के रूप में विलय करने का नेतृत्व वाणिज्य विभाग द्वारा किया जाएगा और डीपीआईआईटी के समर्थन देगा।
2. इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स (बौद्धिक संपदा अधिकार)
पिछले दो दशकों में भारत ने बौद्धिक संपदा अधिकार में परिवर्तन किया है। अवसंरचना उन्नयन, मानव शक्ति को सुदृढ़ बनाने, नियामक सुधारों तथा आईटी सक्षम तरीके से आईपी आवेदनों के तेजी से निस्तारण में परिवर्तन हुए हैं। पेटेंट, ट्रेडमार्क, डिजाइन तथा जिओग्राफिकल इंडिकेशन्स के लिए आवेदन दाखिल करने की इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग सिस्टम लागू की गई है। कॉपी राइट कार्यालय में कॉपी राइट के पंजीकरण करने के लिए ऑनलाइन आवेदन की सुविधा भी है। आईपी आवेदनों के संबंध में रियल टाइम पर सूचना के प्रसार की स्थिति से भारत विश्व के देशों के समकक्ष हो गया है।
2020 की प्रमुख उपलब्धियां इस प्रकार हैं :-
- प्रक्रिया को सरल बनाने तथा परिपालन बोझ को कम करने के लिए सेक्शन-8 के तहत फॉर्म 27 में वांछित पेटेंट के कदम के संबंध में पेटेंट संशोधन नियम 2030 के माध्यम से संशोधन किए गए है। इसके अतिरिक्त पेटेंट के वाणिज्यिक कार्य पर वक्तव्य दाखिल करने की पहले निर्धारित तीन महीने की अवधि बढ़ाकर छह महीने की कर दी गई है। एक सामान्य पेटेंटी को दिए गए बहुविषयी पेटेंटों के मामलों में केवल एक ही फॉर्म दाखिल किया जा सकता है।
- जिओग्राफिकल इंडिकेशन्स उत्पाद के अधिकृत यूजरों के पंजीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए वस्तुओं के भौगोलिक संकेत (पंजीकरण तथा संरक्षण) (संशोधन) नियम 2020 गजट में 26 अगस्त, 2020 को अधिसूचित किए गए। इस संशोधन से जीआई पंजीकरण प्रक्रिया के लिए दी जाने वाली फीस कम हो गई है और पंजीकृत जीआई के अधिकृत यूजर के पंजीकरण के लिए प्रक्रिया सहज हो गई है।
- स्टार्टअप के नवाचार और सृजन कौशल को प्रोत्साहित करने के लिए स्टार्टअप बौद्धिक सम्पदा संरक्षण (एसआईपीपी) योजना लॉन्च की गई। यह योजना बढ़ाकर 31 मार्च, 2023 तक कर दी गई है।
स्टार्टअप बौद्धिक संपदा संरक्षण के अंतर्गत स्टार्टअप द्वारा दाखिल पेटेंट तथा ट्रेडमार्क आवेदनों की संख्या
वर्ष
|
पेटेंट
|
ट्रेडमार्क्स
|
|
दाखिल किए गए
|
मंजूरी
|
दाखिल किए गए
|
पंजीकृत
|
2019-20
|
1841
|
106
|
4130
|
2248
|
2020-21 (नवम्बर, 2020 तक)
|
1262
|
9
|
4104
|
89
|
- अपने नवाचारों के संरक्षण चाहने के लिए छोटे तथा मध्यम उद्यमों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से छोटे उद्यमों द्वारा दाखिल पेटेंट आवेदनों की प्रोसेसिंग फीस बड़े उद्योगों की तुलना में 80 प्रतिशत (16 मई, 2016 में लागू वर्तमान 50 प्रतिशत से) घटा दी गई है। परिणामस्वरूप छोटे उद्यमियों के लिए पेटेंट दाखिल करने तथा प्रोसेसिंग की फीस व्यक्तिगत आवेदकों और स्टार्टअप के लिए तय फीस के बराबर हो गई है।
- पिछले वर्ष भारत और जापान ने द्विपक्षीय कार्यक्रम ‘पेटेंट प्रॉसक्यूशन हाइवे’ पर हस्ताक्षर किये। जापान के साथ तीन वर्ष के पॉयलट पीपीएच कार्यक्रम को पहले वर्ष ही सफलता मिली, जिसमें 100 पेटेंट आवेदन प्राप्त किए गए। इस कार्यक्रम ने एक वर्ष में जापान से 100 आवेदनों की अनुमति दी।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग – नवाचार के लाभ तथा सतत आर्थिक विकास के लिए बौद्धिक संपदा अधिकारों के संरक्षण को मजबूत बनाने के उद्देश्य से दो देशों के बीच तकनीकी सहयोग की आधारशिला रखने के लिए भारत ने अनेक देशों के साथ समझौता ज्ञापन किया है। इस आधारशिला पर काम करते हुए भारत ने इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र अमेरिका डेनमार्क तथा पुर्तगाल के साथ समझौता ज्ञापन किया है। बाद में डेनमार्क के सहयोग से विभिन्न आईपीआर जागरूकता अभियान चलाए गए।
- कोविड-19 महामारी को देखते हुए आईपीआर जागरूकता के लिए डिजिटल स्पेस का सहारा लिया गया और फिक्की/सीआईआई/आईएनटीए/अटल टिंकरिंग लैब्स जैसे विभिन्न हितधारकों के लिए 224 वेबिनार आयोजित किए गए। इसके अतिरिक्त राज्य न्यायिक अकादमियों के सहयोग से आईपीआर लागू करने वाली एजेंसियों को संवेदी बनाने का कार्य भी किया गया है।
क्र.संख्या
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विवरण
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आईपीआर जागरूकता कार्यशालाएं/ सेमीनार
|
-
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अकादमिक संस्थान (स्कूल/कॉलेज/विश्वविद्यालय सहित)
|
117
|
-
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लागू करने वाली एजेंसियों तथा न्यायपालिका के लिए आईपी ट्रेनिंग तथा संवेदीकरण कार्यक्रम
|
16
|
-
|
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई)/स्टार्टअप/ युवा उद्यमियों सहित उद्योग
|
97
|
h) ‘क्वीज टाइम विद सीआईपीएएम’ तथा ‘डिफीट काउंटरफीट’ जैसे अनेक मीडिया अभियान चलाए गए। जीआई उत्पादों के संवर्धन और विपणन के लिए ‘गिफ्ट ए जीआई’ अभियान त्यौहारी सीजन के दौरान लॉन्च किया गया। ‘वोकल फॉर लोकल’ थीम की भावना के अनुरूप एजीएनआईआई के सहयोग से हाल में स्वदेशी टेक्नोलॉजी तथा स्टार्टअप की सफलता गाथाएं बताने वाला अभियान लॉन्च किया गया।
2020-21 में आईपीआर दाखिल करने तथा पंजीकरण के आंकड़े :
आईपी
|
संचयी सांख्यिकी : वित्त वर्ष 2020-21 (30 नवम्बर, 2020 तक)
|
दाखिल किए गए
|
मंजूरी/पंजीकरण
|
पेटेंट
|
37660
|
17148
|
ट्रेडमार्क
|
278023
|
135289
|
कॉपीराइट्स
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13861
|
9221
|
डिजाइन्स
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7403
|
5425
|
जिओग्राफिकल इंडिकेशन्स
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33
|
5
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- स्टार्टअप इंडिया
40,000 से अधिक मान्यता प्राप्त स्टार्टअप के साथ भारत रोजगार देने की क्षमता की पूरक और हमारी आत्मनिर्भरता को बढ़ाने वाली तीसरी सबसे बड़ी स्टार्टअप इको-सिस्टम में बदल गया है। स्टार्टअप इंडिया की भूमिका टीयर-एक शहरों से आगे उद्यमिता के प्रोत्साहन में महत्वपूर्ण है। राज्यों तथा केन्द्रशासित प्रदेशों के प्रयासों के माध्यम से क्षेत्रीय विकास ने अपने आर्थिक लक्ष्यों को बढ़ाने के लिए एक राष्ट्रीय इको-सिस्टम बनाया है।
स्टार्टअप इंडिया अभियान प्रारंभ किए जाने के साथ देश के 586 जिलों में मान्यता प्राप्त स्टार्टअप पहुंच गये हैं। 29 राज्यों तथा केन्द्रशासित प्रदेशों में स्टार्टअप नीतियां बन गई हैं। यह स्टार्टअप 4.2 लाख रोजगार सृजन कर रहे हैं। अब उद्यमियों के पास अनेक कानूनों, नियमनों, वित्तीय तथा संरचना समर्थन के लाभ उठाने के विकल्प हैं। स्टार्टअप इंडिया अभियान हमारी स्टार्टअप अर्थव्यवस्था के लिए चिन्ह्ति महत्वपूर्ण स्तंभों को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
स्टार्टअप इंडिया द्वारा प्रदान की गई योजनाओं की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं :-
- वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा 10294.27 करोड़ रुपये का स्टार्टअप फंड ऑफ फंड्स लॉन्च किया गया। 13 नवम्बर, 2020 तक फंड ऑफ फंड्स ने 60 निजी वेंचर फंडों को 4326.95 करोड़ रुपये देने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
- स्टार्टअप इंडिया अभियान ने सरकारी ई-मार्किट प्लेस (जीईएम) पोर्टल पर स्टार्टअप से खरीदारी को सुविधाजनक बनाया है। वर्तमान में जीईएम पोर्टल पर स्टार्टअप ने 1800 करोड़ रुपये मूल्य के आदेशों को पूरा किया है।
- सरकारी निकायों तथा कॉरपोरेट के साथ अनेक ‘स्टार्टअप ग्रैंड चैलेंजेज’ को संगठित किया गया है, ताकि वे स्टार्टअप के साथ काम को सक्रियता दे सकें और नवाचार तथा उद्यमिता की भावना अपना सकें।
- भारत की स्टार्टअप इको-सिस्टम तथा वैश्विक इको-सिस्टम के बीच के अंतर को पाटने के लिए कोरिया, ब्रिटेन, नीदरलैंड, स्वीडन, पुर्तगाल आदि देश सहित 11 देशों के साथ सहयोग मॉडल तैयार किए गए है।
- स्टार्टअप इंडिया अभियान ने 2017 में स्टार्टअप यात्रा लॉन्च की, जिससे ग्रामीण तथा गैर-मेट्रो क्षेत्रों को गति मिली और स्टार्टअप राज्यों के जमीनी स्तर तक पहुंचे।
- डीपीआईआईटी ने फरवरी, 2018 में राज्यों की स्टार्टअप रैंकिंग प्रारंभ की। दूसरी बार यह रैंकिंग मई, 2019 में की गई। राज्य स्टार्टअप रैंकिंग स्टार्टअप को मदद देने और आगे बढ़ाने में विभिन्न राज्यों द्वारा उठाये गये कदमों को पहचानने का एक प्रयास है। यह भारत को फलता-फूलता स्टार्टअप राष्ट्र बनाने के मिशन में राज्यों तथा केन्द्रशासित प्रदेशों के प्रासंगिक विभागों को मान्यता देने का अवसर भी है। एसआरएफ 2.0 के परिणाम सितम्बर, 2020 में घोषित किए गए। राज्यों में स्टार्टअप इको-सिस्टम के विकास में अग्रणी भूमिका निभाने वाले कदमों को जारी रखने के लिए स्टेट रैंकिंग फ्रेमवर्क 2020 की योजना बनाई जा रही है और इसे आने वाले महीनों में प्रारंभ किया जाएगा। इस प्रयास को और बढ़ाते हुए अगले फ्रेमवर्क में भारत को विश्व में श्रेष्ठ स्टार्टअप देश बनाने की नीतियों और प्रोत्साहनों को शामिल किया जाएगा।
- स्टार्टअप इंडिया अभियान में उठाये गये कदमों के परिणाम देश में नवाचार तथा उद्यमिता की संस्कृति में दिख रहे हैं। परिणाम मानव प्रयास के सभी क्षेत्रों तथा अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में दिख रहे हैं। भारतीय स्टार्टअप इको-सिस्टम को और मजबूत बनाने के लिए ‘नेशनल स्टार्टअप अवार्ड्स’ प्रारंभ किए गए हैं। इन पुरस्कारों का उद्देश्य नवाचारी उत्पाद या सोल्यूशन तथा मापनीय उद्यम बनाने वाले असाधारण स्टार्टअप तथा इको-सिस्टम को सक्षम बनाने वालों (इन्क्यूबेटर्स तथा एक्सीलेर्ट्स) को प्रोत्साहित करना है। ऐसे स्टार्टअप और इको-सिस्टम सक्षम बनाने वालों की रोजगार सृजन और धन सृजन क्षमता अधिक है और ये मापनीय सामाजिक प्रभाव दिखाते हैं। पहला पुरस्कार 12 क्षेत्रों तथा तीन विशेष श्रेणियों में नवम्बर, 2019 में दिए गए। इसके लिए 1,682 आवेदन प्राप्त हुए। पहले संस्करण के लिए विजेताओं की घोषणा 6 अक्टूबर, 2020 को की गई। दूसरे, राष्ट्रीय स्टार्टअप पुरस्कारों के लिए आवेदन आने वाले महीनों में प्राप्त किए जाएंगे।
- अटल इन्क्यूबेशन सेन्टर (एआईसी) योजना के अंतर्गत अटल इनोवेशन मिशन (एआईएम) ने वित्तीय समर्थन प्रदान करने के लिए देशभर में 102 इन्क्यूबेटरों का चयन किया है। 68 इन्क्यूबेटरों को 201.1 करोड़ रुपये के अनुदान दिए गए हैं। इस फंड ने 1,250 से अधिक स्टार्टअप के इन्क्यूबेशन को समर्थन मिला है, 13,800 रोजगार सृजन हुआ है और 2000 से अधिक आयोजन किए गए हैं और 700 प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए गए हैं।
- अटल इनोवेशन मिशन (एआईएम) द्वारा अटल टिकरिंग लैब्स (एटीएल) का उद्देश्य स्कूली विद्यार्थियों में उद्यम कौशल भरना है। अटल टिकरिंग लैब स्थापित करने के लिए 14,000 से अधिक स्कूलों का चयन किया गया है। प्रत्येक 5068 एटीएल को 12 लाख रुपये के अनुदान प्राप्त हुए हैं और ये संचालनरत हैं।
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश :
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश ने वैश्विकरण की इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और यह आर्थिक विकास का प्रमुख प्रेरक तथा भारत के आर्थिक विकास के लिए गैर-ऋण वित्त का स्रोत है। सरकार का प्रयास एक सक्षम तथा निवेशक अनुकूल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति बनाने का रहा है। सरकार ने अपनी ओर से अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में अनेक सुधार किए हैं। पिछले एक साल में व्यावसायिक सुगमता प्रदान करने तथा निवेश आकर्षित करने के लिए एफडीआई नीति को उदार एवं सरल बनाया गया है। विभिन्न क्षेत्रों में सरकार द्वारा निम्नलिखित सुधार प्रारंभ किए गए हैं :
बीमा इंटरमीडियरिज
प्रेस नोट-1 (2020) के माध्यम से बीमा ब्रोकरों, री-इंश्योरेंस ब्रोकरों, बीमा परामर्शदाताओं, कॉरपोरेट एजेंटों, थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर, सर्वेयर, लॉस एसेसर तथा समय-समय पर बीमा नियामक तथा विकास प्राधिकरण द्वारा अधिसूचित इंटरमीडियरिज सहित इंटरमीडियरी या बीमा इंटरमीडियरिज में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी गई है।
नागर विमानन
भारतीय राष्ट्रीय एनआरआई द्वारा 100 प्रतिशत तक विदेशी निवेश की अनुमति देने के लिए मेसर्स एयर इंडिया लिमिटेड के मामले में प्रेस नोट-2 (2020) के माध्यम से सरकार ने भारतीय राष्ट्रीयता वाले एनआरआई द्वारा ऑटोमेटिक रूप के अंतर्गत 100 प्रतिशत तक एयर इंडिया लिमिटेड में विदेशी निवेश की अनुमति के लिए एफडीआई नीति में संशोधन किया है।
कोविड-19 महामारी के कारण भारतीय कंपनियों को अवसरवादी तरीके से नियंत्रण में लेने/अधिग्रहण पर नियंत्रण
कोविड-19 महामारी के कारण भारतीय कंपनियों को अवसरवादी तरीके से नियंत्रण में लेने/अधिग्रहण करने पर नियंत्रण के उद्देश्य से सरकार ने प्रेस नोट-3 (2020) तिथि 17.04.2020 के माध्यम से एफडीआई नीति में संशोधन किया, जिसके अनुसार भारत के साथ सीमा साझा करने वाले देश की कंपनी या जहां निवेश का लाभ प्राप्त करने वाला स्वामी बसा है या किसी ऐसे देश का नागरिक है तो वह केवल सरकारी मार्ग के अंतर्गत ही निवेश कर सकता है। भारत में किसी कंपनी में वर्तमान या भविष्य की एफडीआई में स्वामित्व हस्तांतरण, जिससे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लाभार्थी स्वामित्व उक्त नीति संशोधन के दायरे में आता है, के मामले में लाभार्थी स्वामित्व में आगे परिवर्तन के लिए सरकार की मंजूरी आवश्यक होगी।
रक्षा क्षेत्र
अब नए औद्योगिक लाइसेंस लेने वाली कंपनियों के लिए ऑटोमेटिक रूप से रक्षा क्षेत्र में 74 प्रतिशत तक एफडीआई की अनुमति है। 74 प्रतिशत से अधिक और 100 प्रतिशत तक एफडीआई के लिए सरकारी मार्ग के अंतर्गत अनुमति दी जाएगी। वर्तमान एफडीआई मंजूरी धारकों/डिफेंस लाइसेंसियों के लिए इक्विटी/शेयर होल्डिंग पैटर्न में बदलाव के लिए 49 प्रतिशत तक नये विदेशी निवेश की घोषणा 30 दिनों के अंदर करनी होगी। पहले सरकारी स्वीकृति की आवश्यकता होती थी। अब रक्षा क्षेत्र में विदेशी निवेश की जांच राष्ट्रीय सुरक्षा आधारों पर की जाएगी।
कन्सोलिडेटेड एफडीआई पॉलिसी सर्कुलर 2020
विभाग ने कन्सोलिडेटेड एफडीआई पॉलिसी सर्कुलर 2020 जारी किया है और इसे मंत्रालयों/विभागों तथा संभावित निवेशकों सहित विभिन्न हितधारकों के संदर्भ के लिए विभाग की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है।
स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) – मानक संचालन प्रक्रिया
एफडीआई प्रस्तावों की प्रोसेसिंग सुगमता के लिए एसओपी में संशोधन किया गया है और इसे मंत्रालयों/विभागों तथा संभावित निवेशकों सहित विभिन्न हितधारकों के संदर्भ के लिए विदेशी निवेश सहायता पोर्टल पर अपलोड किया गया है।
2020 में निष्पादित एफडीआई आवेदन
डीपीआईआईटी को भेजे गये 26 एफडीआई आवेदन 2020 में निष्पादित किए गए हैं।
एफडीआई सांख्यिकी
वित्त वर्ष 2020-21 के पहले सात महीनों के दौरान कुल एफडीआई आवक 11 प्रतिशत बढ़कर 42.06 बिलियन डॉलर (अप्रैल 2019 से अक्टूबर 2019) से बढ़कर 46.82 बिलियन डॉलर (अप्रैल 2020 से अक्टूबर, 2020 तक) हो गई है। एफडीआई इक्विटी आवक 21 प्रतिशत बढ़कर 35.33 बिलियन डॉलर (अप्रैल 2020 से अक्टूबर 2020) हो गई है। यह आवक पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 29.31 बिलियन डॉलर थी।
- सार्वजनिक खरीद
भारत में मैन्यूफैक्चरिंग निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए सरकारी खरीद में मेक इन इंडिया उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसको ध्यान में रखते हुए डीपीआईआईटी ने विभिन्न परिवर्तनों के साथ 16 सितम्बर, 2020 को सार्वजनिक खरीद (मेक इन इंडिया को वरीयता) आदेश में संशोधिन किया।
- 200 करोड़ रुपये से कम अनुमानित मूल्य की खरीद के लिए ग्लोबल टेंडर इंक्वायरी जारी नहीं की जाएगी।
- न्यूनतम 50 प्रतिशत घरेलू मूल्यवर्द्धन के साथ सामग्री पेश करने वाले आपूर्तिकर्ता सरकारी खरीद में दूसरे आपूर्तिकर्ताओं की तुलना में वरीयता पाएंगे।
- 20 प्रतिशत से कम घरेलू मूल्यवर्द्धन से कम सामग्री पेश करने वाले आपूर्तिकर्ता घरेलू/राष्ट्रीय बोली प्रक्रिया में भाग नहीं ले सकते।
- क्लास-I/क्लास II आपूर्तिकर्ताओं यानी 50/20 प्रतिशत से अधिक आपूर्ति के लिए उच्च न्यूनतम स्थानीय कंटेंट अधिसूचित करने के लिए नोडल मंत्रालय/विभाग अधिकृत किए गए हैं।
भारत के साथ सीमा साझा करने वाले देशों से काम कर रही कंपनियों को सरकारी खरीद/टेंडरों में नियंत्रित करने के लिए जीएफआर/पीपीपी-एमआईआई में संशोधन किए गए हैं-प्राप्त आवेदन जांच और राजनीतिक मंजूरी के लिए गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय को अग्रसारित किए जाते हैं। आशा की जाती है कि मेड इन इंडिया उत्पादों के उपयोग से स्थानीय मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय लोगों की आय और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
6 टेक्नीकल रेगुलेशन
6. तकनीकी विनियमन/गुणवत्ता नियंत्रण आदेश
कोविड के बाद की अर्थव्यवस्था में निवेश आकर्षित करने के माध्यमों में से एक – डब्ल्यूटीओ अनुरूप माध्यम-तकनीकी विनियमनों का अंगीकरण है। तकनीकी विनियमन/गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यूसीओ) डीपीआईआईटी द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले उद्योगों के लिए सुरक्षित, भरोसेमंद गुणवत्तापूर्ण वस्तुओं को उपलब्ध कराने; उपभोक्ताओं को होने वाले स्वास्थ्य नुकसान को न्यूनतम करने; निर्यातों, निर्यात प्रतिस्थापनों को बढ़ावा देने तथा निम्न गुणवत्ता वाली वस्तुओं के आयातों को प्रतिबंधित करने के लिए उपलब्ध कराया जाता है। अपने अधिदेश के अनुसार, डीपीआईआईटी 1987 से ही क्यूसीओ जारी करता रहा है। बीआईएस अधिनियम, 1986/2016 के तहत 100 उत्पादों (जैसे एयरकंडिशनर, खिलौने, फुटवियर, प्रेशर कुकर, माइक्रोवेव ओवेन आदि) तथा भारतीय विस्फोटक अधिनियम, 1884 के तहत 15 उत्पादों (गैस सिलेंडर, वॉल्व एवं रेगुलेटर) के लिए क्यूसीओ जारी कर दिए गए हैं। आयातों में तेजी पर आधारित वाणिज्य विभाग (डीओसी) द्वारा चिन्हित 71 एचएसएन कोड की डीपीआईआईटी द्वारा जांच की गई है। इसमें से 22 के लिए क्यूसीओ अधिसूचित की गई, अतिरिक्त 13 पर विचार किया जा रहा है; शेष 36 एचएस लाइनों पर क्यूसीओ व्यवहार्य नहीं है। डीपीआईआईटी क्यूसीओ की अधिसूचना के लिए निरंतर बीआईएस एवं संगत हितधारकों के संपर्क में है।
7. औद्योगिक गलियारे
राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम भारत का सबसे महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है, जिसका लक्ष्य ‘स्मार्ट सिटी’ के रूप में नये औद्योगिक नगरों का विकास करना तथा पूरे अवसंरचना क्षेत्रों में नई पीढ़ी प्रौद्योगिकियों का अभिसरण करना है। राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा कार्यक्रम में निम्नलिखित औद्योगिक गलियारे शामिल हैं:
- दिल्ली मुंबई औद्योगिक गलियारा (डीएमआईसी)
- अमृतसर कोलकाता औद्योगिक गलियारा (एकेआईसी)
- कोयम्बटूर के रास्ते कोच्चि तक विस्तार के साथ चेन्नई बंगलुरू औद्योगिक गलियारा (सीबीआईसी)
- चरण-1 के रूप में विशाखापट्टनम चेन्नई औद्योगिक गलियारा (वीसीआईसी) के साथ पूर्वी तट आर्थिक गलियारा (ईसीईसी)
- बंगलुरू मुंबई औद्योगिक गलियारा (डीएमआईसी)
इसका उद्देश्य भारत के विनिर्माण एवं सेवा आधार को विस्तारित करना तथा राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारों का ‘वैश्विक विनिर्माण एवं व्यापार हब’ के रूप में विकास करना है। यह कार्यक्रम एक मुख्य वाहक के रूप में विनिर्माण के साथ भारत में नियोजित शहरीकरण को काफी बढ़ावा देगा। नये औद्योगिक नगरों के अतिरिक्त, कार्यक्रम में बिजली संयंत्रों, आश्वस्त जलापूर्ति, उच्च क्षमता परिवहन तथा संभार तंत्र सुविधाओं जैसे अवसंरचना संपर्कों एवं स्थानीय आबादी के रोजगार के लिए कौशल विकास कार्यक्रम जैसे सुलभ अंतःक्षेपों के विकास की परिकल्पना की गई है।
लोगों, वस्तुओं एवं सेवाओं की निर्बाध आवाजाही के लिए मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी अवसंरचना के नेटवर्क के साथ जुड़े आर्थिक विकास के प्रमुख बिन्दुओं के रूप में आर्थिक जोन को परिभाषित करने वाली मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी अवसंरचना के लिए एक राष्ट्रीय मास्टर प्लान तैयार किया गया है जो सीसीईए के अनुमोदन के लिए विचारार्थ है। राष्ट्रीय मास्टर प्लान के एक हिस्से के रूप में, 11 राष्ट्रीय गलियारों की 32 नोड्स/परियोजनाओं की पहचान की गई है, जिन्हें 2024-25 तक चौथे चरण में विकसित किया जाना प्रस्तावित है।
2020 की मुख्य उपलब्धियां निम्नलिखित हैं-
ट्रंक अवसंरचना घटकों की पूर्णता
- उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा (747 एकड़) में समेकित औद्योगिक टाउनशिप (आईआईटीजीएन), मध्य प्रदेश के उज्जैन के विक्रम उद्योगपुरी (1100 एकड़) में समेकित औद्योगिक टाउनशिप (आईआईटीवीयूएल) में ट्रंक अवसंरचना कार्यकलाप पूरे हो गए।
- गुजरात के धोलेरा विशेष निवेश क्षेत्र (डीएसआईआर) (22.5 वर्ग किलोमीटर) तथा महाराष्ट्र के औरंगाबाद (19 वर्ग किलोमीटर) में शेंद्राबिडकिन औद्योगिक क्षेत्र (एयूआरआईसी) में ट्रंक अवसंरचना कार्यकलाप के पूरा होने के करीब हैं।
आवंटित भूमि एवं प्रतिभूत निवेश
- अभी तक हाइयोसुंग (दक्षिण कोरिया), एनएलएमके (रूस), हैयर (चीन), टाटा कैमिकल्स एवं अमूल जैसे निवेशकों सहित 16,100 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश के साथ कंपनियों को लगभग 554.73 एकड़ माप के कुल 84 भूखंड आवंटित किए गए हैं। इसके अतिरिक्त, 09 कंपनियों ने अपना व्यावसायिक उत्पादन भी आरंभ कर दिया है।
- वर्ष के दौरान, शेंद्रा औद्योगिक नगर में 53 एकड़ माप के 09 भूखंड (औद्योगिक एवं आवासीय) तथा विक्रम उद्योगपुरी में समेकित टाउनशिप में 10 एकड़ माप के दो भूखंड उपलब्ध कराए गए।
- उपरोक्त आवंटित भूखंडों के अतिरिक्त, तत्काल आवंटन के लिए विकसित भूखंड के टुकड़े उपलब्ध हैं, जिनका विवरण नीचे दिया गया है-
क्र.सं.
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नोड/नगर का नाम
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आवंटन (औद्योगिक + अन्य उपयोगों) (एकड़) के लिए उपलब्ध भूमि
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1.
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शेंद्राबिडकिन औद्योगिक क्षेत्र (महाराष्ट्र), 4583 एकड़
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1100
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1700
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2.
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धोलेरा विशेष निवेश क्षेत्र (गुजरात) 5560 एकड़
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2900
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3.
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समेकित औद्योगिक टाउनशिप परियोजना, ग्रेटर नोएडा (उत्तर प्रदेश), 747 एकड़
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270
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4.
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समेकित औद्योगिक टाउनशिप ‘विक्रम उद्योगपुरी’ परियोजना (मध्य प्रदेश), 1100 एकड़
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650
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कुल
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6620
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लॉजिस्टिक्स डाटा बैंक (एलडीबी) परियोजना वर्तमान में लगभग 150 + कंटेनर फ्रेट स्टेशनों/इनलैंड कंटेनर डिपो तथा 60 + टोल प्लाजा को कवर करते हुए भारत में लगभग 28 बंदरगाहों पर प्रचालन में है। अभी तक 30 मिलियन से अधिक एक्जिम कंटेनर ट्रैक किए गए हैं। वर्ष के दौरान सेवाओं के नेपाल और बांग्लादेश तक विस्तारित कर दिया गया है।
8. पिछड़े क्षेत्रों का विकास
भारत सरकार की औद्योगिक कार्यनीति के प्रमुख उद्देश्यों में से एक-देश भर में संतुलित औद्योगिक विकास को बढ़ावा देना है। पहाड़ी राज्यों के औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए, केन्द्रीय सरकार प्रोत्साहनों की विभिन्न नीतियों / योजनाओं / पैकेज के जरिए राज्य सरकारों के प्रयासों की सहायता करती रही है। जम्मू एवं कश्मीर, हिमाचल प्रदेश एवं पूर्वोत्तर क्षेत्रों के लिए क्षेत्र विशिष्ट प्रोत्साहन योजनाओं का कार्यान्वयन डीपीआईआईटी द्वारा किया जा रहा है।
9. पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संगठन (पेसो)
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के अधीन एक अधिनस्थ संगठन के रूप में कार्य कर रहे पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संगठन (पेसो) ने व्यवसाय करने की सुगमता तथा हितधारकों की सहायता के लिए विभिन्न पहल की है। आरंभ की गई कुछ महत्वपूर्ण पहलें इस प्रकार हैं-
कागजरहित लाइसेंसिंग प्रणाली का आरंभः मानव अंतःसंपर्क समाप्त करने, पेसो की कार्यप्रणाली का पुनर्निर्माण करने तथा दक्षता एवं पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से 16.01.2020 से पेसो द्वारा कागजरहित आवेदन तथा लाइसेंसों का अनुमोदन/स्वीकृति/नवीकरण आरंभ किया गया है। लाइसेंसों की मंजूरी/नवीकरण के लिए कागजरहित आवेदन कीमती समय, स्टेशनरी/पोस्टेज तथा वास्तविक भंडारण स्थान में बचत करेगा। लाइसेंसों की धोखाधड़ी तथा दुरुपयोग पूर्ण रूप से खत्म हो जाएंगे, क्योंकि लाइसेंसों को एक सुरक्षित प्रणाली द्वारा जारी किया जाएगा।
लाइसेंस की वैधता का सत्यापन पेसो की वेबसाइट-https://online.peso.gov.in/PublicDomain/ के जरिए किया जा सकता है। आगे के एक कदम के रूप में तथा भारत सरकार की डिजिटल भुगतान पहल को बढ़ावा देने के लिए पेसो ने एप्लीकेशन मॉड्यूल में ऑनलाइन शुल्क भुगतान आरंभ किया है। शुल्कों का भुगतान क्रेडिट कार्ड, डेबिड कार्ड एवं नेट बैंकिंग द्वारा किया जा सकता है। 20.11.2019 से डिमांड ड्राफ्टों के जरिए शुल्कों की प्राप्ति पूर्ण रूप से रोक दी गई है तथा शुल्कों को नॉन टैक्स रिसिट पोर्टल (भारत कोष) द्वारा प्राप्त किया जाएगा।
पेसो द्वारा जारी 47 लाइसेंसों में से 28 को कागजरहित बना दिया गया है तथा शेष 31 मार्च, 2021 तक ऑनलाइन उपलब्ध हो जाएंगे। पेसो द्वारा जारी लाइसेंसों के 80 प्रतिशत से अधिक कागजरहित आवेदन एवं अनुमोदन के तहत कवर किए गए हैं। कागजरहित आवेदन, अनुमोदन एवं नवीकरण के तहत कवर किए गए सभी लाइसेंसों के विवरण निम्नलिखित हैं-
नियमों के तहत जारी किए गए लाइसेंस
|
कुल मॉड्यूल
|
ऑनलाइन प्रणाली के तहत कवर किए गए मॉड्यूल
|
ऑनलाइन प्रणाली के तहत कवर नहीं किए गए मॉड्यूल
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पेट्रोलियम नियम
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14
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11
|
3
|
एसएमपीवी (यू) नियम
|
7
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6
|
1
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गैस सिलेंडर नियम
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8
|
5
|
3
|
विस्फोटक नियम
|
12
|
3
|
9
|
अमोनियम नाइट्रेट नियम
|
5
|
2
|
3
|
कैल्सियम कार्बाइड नियम
|
1
|
1
|
0
|
कुल परिसर
|
47
|
28
|
19
|
पेट्रोलियम गैस एवं विस्फोटक उद्योग को पेसो की इस पहल से अत्यधिक लाभ प्राप्त होगा, क्योंकि वे पारदर्शी एवं प्रभावी जन सेवा की दिशा में प्रतिबद्ध है।
सक्षम व्यक्तियों की संख्या में वृद्धि करना
सक्षम व्यक्तियों की संख्या में वृद्धि करने के उद्देश्य से, पेसो ने अभिज्ञात सक्षम व्यक्तियों की विध्यमान संख्या में वृद्धि करने का प्रस्ताव रखा है। आज की तिथि तक, पेट्रोलियम नियमों, 2002 के तहत 349 अभिज्ञात सक्षम व्यक्ति हैं और एसएमपीवी (यू) नियम, 2016 के तहत 297 अभिज्ञात सक्षम व्यक्ति हैं। एक अतिरिक्त कदम के रूप में, पेसो उम्मीदवारों की अतिरिक्त शैक्षणिक योग्यताओं को शामिल करने तथा विद्यमान शैक्षणिक योग्यताओं में ढील देने एवं संगत कार्य अनुभव को जोड़ने का प्रस्ताव रखता है। सक्षम व्यक्तियों की शारीरिक एवं चिकित्सकीय फिटनेस सुनिश्चित करने के लिए उम्र सीमा लागू किए जाने का प्रस्ताव है।
तृतीय-पक्ष निरीक्षण
पेसो द्वारा शासित संविधियों एवं उसमें बनाए गए नियमों के तहत अधिदेशित निरीक्षणों की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए, पेसो जहां कहीं भी व्यावहार्य है, तृतीय पक्ष निरीक्षण की संभावना विस्तारित करने के लिए मूल्यांकन कर रहा है। डीपीआईआईटी पहले ही इस दिशा में कार्य कर रहा है और हितधारक मंत्रालयों / विभागों अर्थात पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय, उपभोक्ता मामले मंत्रालय, भारतीय मानक ब्यूरो एवं पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के साथ 25.11.2020 को परामर्श किए गए। हितधारकों द्वारा दिए गए विचारों की जांच करने, उनके साथ विस्तृत परामर्श करने तथा दिसंबर, 2020 तक एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए पेसो के अधिकारियों की एक समिति का गठन किया गया है।
10. कोविड के दौरान अंतःक्षेप
कोविड-19 निश्चित रूप से मानव जाति के साथ घटित होने वाली सबसे बुरी घटनाओं में से एक रही है। इस महामारी के प्रकोप ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को अभूतपूर्व झटका दिया है और उसके प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था में भी महसूस किए गए। दीर्घकालिक देशव्यापी लॉकडाउन, वैश्विक आर्थिक मंदी तथा इससे जुड़ी मांग एवं आपूर्ति श्रृंखला के व्यवधान के साथ अर्थव्यवस्था को मंदी की दीर्घकालिक अवधि का सामना करना पड़ा।
इस कठिन समय में उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग ने अन्य केन्द्रीय मंत्रालयों तथा नियामकीय निकायों के साथ घरेलू उद्योग की सहायता एवं सुरक्षा करने के लिए कई कदम उठाए। इन पहलों के पीछे उद्देश्य कोविड-19 के बाद औद्योगिक परितंत्र की सहायता करना था। नीचे दिए गए अंश भारत के औद्योगिक विकास को प्रबंधित करने के लिए की गई प्रमुख पहलों को संक्षेप में प्रस्तुत करते हैं।
क. अनिवार्य वस्तुओं और जिंसों के उत्पादन एवं लॉजिस्टिक्स की वास्तविक समय स्थिति की निगरानी के लिए एक ‘कंट्रोल रूम’ की स्थापना करना
- डीपीआईआईटी ने परिवहन एवं लॉजिस्टिक्स की वास्तविक समय स्थिति की निगरानी के लिए एक कंट्रोल रूम की स्थापना की। राष्ट्रीय लॉकडाउन की समस्त अवधि के दौरान कंट्रोल रूम प्रचालनगत रहा। टीम ने अनिवार्य जिंसों के आंतरिक व्यापार, उत्पादन, प्रदायगी एवं लॉजिस्टिक्स के मुद्दों की निगरानी की। उन्होंने संसाधन जुटाने में हितधारकों के सामने आने वाली कठिनाइयों ने भी उनका साथ दिया।
- कंट्रोल रूम ने राज्य सरकारों तथा अन्य एजेंसियों को फीडबैक सुलभ कराने के द्वारा व्यावहारिक कठिनाइयों के समाधान में प्रमुख भूमिका निभाई तथा आवश्यकता पड़ने पर स्पष्टीकरणों एवं आगे के कदमों, जो मुद्दों के समाधान के लिए आवश्यक थीं, पर प्रस्तुतियां भी उपलब्ध कराईं।
- किसी भी उत्पादक, ट्रांसपोर्टर, वितरक, थोक विक्रेता या ई-कॉमर्स कंपनियों के सामने आने वाली किसी भी व्यावहारिक कठिनाई की स्थिति में हेल्पलाइन नम्बर तथा ई-मेल के जरिए विभाग को सूचित किया गया।
- शिकायतों को पंजीकृत करने के बाद, डीपीआईआईटी ने इसे त्वरित कार्रवाई करने एवं यह सुनिश्चित करने के लिए कि अनिवार्य वस्तुओं की प्रदायगी प्रभावित न हो, संबंधित राज्य सरकार / विभागों को प्रस्तुत किया।
- व्यावहारिक रूप से वास्तविक समाधान की निगरानी करने के लिए दैनिक फीडबैक कॉल किए गए, जिससे कि विचाराधीन कार्य को समझा जा सके और उस पर प्रतिक्रिया दी जा सके। कंट्रोल रूम की सक्रिय प्रतिक्रिया तथा वास्तविक समय फीडबैक निगरानी ने कंट्रोल रूम में लॉग किए गए सभी प्रश्नों के समाधान की दर 73 प्रतिशत सुनिश्चित की। रिपोर्ट की गई 2500 (लगभग) प्रश्नों की कुल संख्या में से टीम द्वारा लगभग 1880 का सफलतापूर्वक समाधान किया गया।
ख. अखिल भारतीय चिकित्सा ऑक्सीजन आपूर्ति को प्रबंधित करना एवं सुगम बनाना
डीपीआईआईटी और इसके अधीनस्थ कार्यालय, पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संगठन (पेसो) ने लाइसेंसधारकों की समस्याओं को कम करने तथा वर्तमान कोविड महामारी के दौरान बिना किसी बाधा के देश भर में अस्पतालों को चिकित्सा ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा की आपूर्ति की चुनौती का सामना करने के लिए कई कदम उठाए हैं।
कई चुनौतियां सामने आईं और डीपीआईआईटी तथा भारत सरकार के सचिवों के उच्च अधिकार प्राप्त समूह (ईजी2) के त्वरित निर्णयों के सहयोग से परामर्शी तरीके से उनका समाधान किया गया। लिए गए कुछ प्रमुख निर्णय निम्नलिखित हैं-
i. भारत के सभी राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों में चिकित्सा ऑक्सीजन आपूर्ति की समीक्षा तथा निगरानी करने के लिए नोडल अधिकारियों के नामांकन के जरिए एक संस्थागत तंत्र स्थापित किया गया। यह सुनिश्चित करने के लिए कि ऑक्सीजन संबंधित मामलों का प्रतिनिधित्व करने एवं उनका त्वरित समाधान प्राप्त करने के लिए प्रत्येक राज्य एंव केन्द्र शासित प्रदेशों के पास एक तंत्र हो, नोडल अधिकारियों के साथ एक कंट्रोल रूम का निर्माण किया गया।
ii. सरकार ने इसकी पुष्टि करते हुए कि सभी चिकित्सा ऑक्सीजन उत्पादन इकाइयां लॉकडाउन के दौरान कार्यशील बनी रहें, एक पत्र जारी किया। ऑक्सीजन की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए एक बहु-विषयक ऑक्सीजन निगरानी समिति (वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के साथ) का गठन किया गया।
iii. औद्योगिक ऑक्सीजन के चिकित्सा उपयोग के लिए अनुमति दिए जाने के एक महत्वपूर्ण निर्णय को भी अमल में लाया गया, जो उस वक्त लाभदायक साबित हुआ, जब देश में ऑक्सीजन की आवश्यकता अपने शीर्ष पर थी।
iv. सरकार ने चिकित्सा ऑक्सीजन गैस सिलेंडरों, तरल ऑक्सीजन सिलेंडरों तथा अन्य संबंधित एसेसरीज की उत्पादन इकाइयों को लॉकडाउन के दौरान प्रचालित करने के निर्णय की अनुमति को सुगम बनाया। इस आदेश ने सभी राज्यों में उक्त उत्पादों को लाने-ले जाने वाले वाहनों की सीमा पार आवाजाही को सुगम बनाया।
v. पेसो की रिपोर्ट के अनुसार, देश में उपलब्ध चिकित्सा ऑक्सीजन गैस सिलेंडर की संख्या अप्रैल 2020 के 4.35 लाख से बढ़कर नवंबर, 2020 में 10.76 लाख हो गई, जिसमें से अधिकांश का उत्पादन भारत में ही हुआ।
vi. इसके अतिरिक्त ऑक्सीजन ढोने वाले वाहनों को भारत में सभी राज्यों में राज्य-विशिष्ट परमिट से छूट दे दी गई, जिससे क्रायोजेनिक टैंकरों की आवाजाही आसान हो गई।
vii. दूरस्थ स्थानों तक तरल चिकित्सा ऑक्सीजन ले जाने के लिए (और तरल ऑक्सीजन की सुरक्षित एवं तीव्र आवाजाही को सरल बनाने के लिए) टैंकरों की कमी को दूर करने के लिए पेसो ने घरेलू आवाजाही के लिए क्रायोजेनिक आईएसओ टैंकों (20 एमटी प्रत्येक) की अनुमति दी।
viii. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा कोविड-19 मामलों के अनुमानों के अनुरूप, ऑक्सीजन आपूर्ति की योजना बनाने के लिए चिकित्सा ऑक्सीजन आपूर्ति एवं भंडारण (राज्यवार) की दैनिक निगरानी की जा रही है।
ix. इसके अतिरिक्त, अस्पतालों में क्रायोजेनिक भंडारण सुविधाओं का नियमित आकलन भी किया जा रहा है, जिससे कि तरल चिकित्सा ऑक्सीजन के लिए अस्पतालों में भंडारण क्षमताओं की वृद्धि हो सके और उसके द्वारा उन्हें चिकित्सा ऑक्सीजन की आश्वस्त आपूर्ति के लिए आत्मनिर्भर बनाया जा सके। देश के अस्पतालों में तरल चिकित्सा ऑक्सीजन के लिए भंडारण क्षमता अप्रैल, 2020 के 5959 एमटी से बढ़कर नवंबर के आखिर तक 8000 एमटी से अधिक हो गई।
x. अतिरिक्त सृजित क्षमता के जरिए ऑक्सीजन उत्पादन क्षमता 5,913 एमटी (अप्रैल, 2020 को) से बढ़कर सितंबर, 2020 में 6,862 एमटी तथा अक्तूबर, 2020 के अंत तक 7014 एमटी तक पहुंच गई।
ग. लॉकडाउन के दौरान व्यवसाय मुद्दों के समाधान के लिए एक गतिशील मंच ‘बिजनेस इम्युनिटी प्लेटफॉर्म’ की स्थापना
- वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तहत भारत की राष्ट्रीय निवेश संवर्धन एवं सुगमीकरण एजेंसी, इनवेस्ट इंडिया ने 21 मार्च, 2020 को बिजनेस इम्युनिटी प्लेटफॉर्म (बीआईपी) लांच किया। इसका उद्देश्य कोविड-19 का मुकाबला करने के लिए आवश्यक मांग आपूर्ति को पूरा करने के लिए लॉजिस्टिक्स प्रदाताओं सहित प्रमुख हितधारकों को एक साथ लाने वाला एक ज्ञान आधार बनाना था। टीम ने लॉकडाउन अधिसूचनाओं को सरल बनाने के लिए सरकार के हितधारकों के साथ कार्य किया, राष्ट्रीय प्रणालियों के लिए एक कार्य नीति विकसित की तथा सक्रियतापूर्वक केन्द्रीय परामर्शियों एवं अधिसूचनाओं को परिष्कृत किया।
- इस गतिशील एवं निरंतर रूप से अद्यतन होने वाले प्लेटफॉर्म ने वायरस से संबंधित परिघटनाओं का एक नियमित ट्रैक भी रखा, विभिन्न केन्द्रीय एवं राज्य सरकार पहलों पर नवीनतम सूचना उपलब्ध कराई एवं ई-मेल तथा वॉट्सअप के जरिए प्रश्नों का समाधान किया। बीआईपी समर्पित क्षेत्र विशेषज्ञों की एक टीम के साथ 24 घंटे प्रचालित होने वाला तथा अतिशीघ्र प्रश्नों का जवाब देने वाला व्यवसाय मुद्दा समाधान के लिए एक सक्रिय मंच बन गया।
- इसमें कोविड-19 टेस्टिंग के स्थानों, विशेष अनुमतियों एवं अनुमोदन प्राप्त करने के लिए अनिवार्य सेवाओं पर फोकस करते हुए व्यवसायों की सहायता करने जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न भी शामिल थे। पोर्टल ने लॉकडाउन मुद्दों के समाधान के लिए प्रतिक्रिया तंत्र को मानचित्रित एवं रेखांकित किया।
घ. लाइसेंस नवीकरण तथा अनुपालन समय-सीमा का विस्तार
डीपीआईआईटी के तहत पेसो देश में विस्फोटकों एवं पेट्रोलियम के निर्माण, भंडारण, परिवहन तथा उपयोग में सुरक्षा आवश्यकताओं को सुनिश्चित एवं कार्यान्वित करने वाला एक नोडल संगठन है। राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण आवाजाही प्रतिबंध एवं वाहन ट्रैफिक बाधा की वजह से संगठन के लिए निरीक्षण तथा अन्य रूटिन कार्य करना एक चुनौती थी।
पेट्रोलियम, विस्फोटकों, आतिशबाजियों तथा औद्योगिक गैस उद्योगों के सामने आने वाली इन चुनौतियों का सामना करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए गएः
- विस्फोटक नियम, 2008 के नियम 112 (1) के तहत लाइसेंस के नवीकरण की वैधता 13.03.2020 से बढ़ाकर 30.09.2020 कर दी गई।
- तिथि की समाप्ति के बाद लाइसेंस के नवीकरण के लिए संगठन के समक्ष 30.09.2020 तक प्रस्तुत आवेदनों के लिए एक वर्ष के विलंब शुल्क में विस्फोटक नियम, 2008 के नियम 112 (6) के तहत छूट प्रदान की गई।
- गैस सिलेंडर नियम 2016 के नियम 35 के तहत टेस्टिंग के लिए 31.03.2020 की नियत तिथि अब 30.06.2020 मानी जाएगी।
- सेफ्टी रिलीज वॉल्व (एसआरवी) तथा प्रेसर वेसेल के हाइड्रो टेस्ट के संबंध में एसएमपीवी (यू) नियमों के नियम 18 एवं 19 के तहत जारी प्रमाण पत्रों की वैधता, जो 15.03.2020 से 30.06.2020 के बीच टेस्टिंग के लिए निर्धारित थी, बढ़ाकर 30.06.2020 कर दी गई है।
ड. सक्रिय उद्योग परामर्श
24 मार्च, 2020 को लगाए गए लॉकडाउन के साथ, सरकार ने व्यवसायों के सामने आने वाले व्यवहारिक मुद्दों को समझने के लिए उद्योग परामर्श आयोजित करने के लिए एक सक्रिय दृष्टिकोण अपनाया। इस संबंध में पहली बैठक माननीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री की अध्यक्षता में 28 मार्च, 2020 को आयोजित की गई और इन बैठकों में राष्ट्रीय चैम्बर (जैसे कि सीआईआई, फिक्की), क्षेत्रीय चैम्बर (जैसे कि इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स, पीएचडीसीसीआई), एमएसएमई संगठन (जैसे कि फिस्मे, एलयूबी), क्षेत्रवार चैम्बर (जैसे कि नॉस्कॉम, एसीएमए) जैसे अग्रणी चैम्बर सहभागी थे। कोविड-19 के प्रभाव तथा वर्तमान औद्योगिक परिदृश्य पर ध्यान देने के लिए सरकार द्वारा उठाए जाने वाले संभावित कदमों एवं सुगमीकरण पर चर्चा एवं विचार करने के लिए नवंबर, 2020 तक ऐसी सात बैठकें आयोजित की गई हैं। सहभागी उद्योग संगठनों के साथ इन परस्पर बैठकों के परिणाम का सरकार द्वारा नियमित रूप से विश्लेषण किया गया तथा विचार करने के लिए उन्हें तदनुरूपी अधिकार प्राप्त समूह को भेजा गया।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की उपलब्धियों पर एक पुस्तिका https://dipp.gov.in/whats-new/achievements-ministry-commerce-and-industry पर उपलब्ध है।
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