रेल मंत्रालय

भारतीय रेलवे के लिए यह वर्ष "दृढ़ता और विजय का वर्ष" रहा


बुनियादी ढांचे के विकास, नवाचार, नेटवर्क क्षमता का विस्तार, माल ढुलाई विविधीकरण और पारदर्शिता के मामलों में अभूतपूर्व बढ़ोतरी का वर्ष

रेलवे ने कोविड की चुनौती का उपयोग भविष्य के विकास और यात्रियों के लिए यात्रा के अगले स्तर की नींव रखने के अवसर के रूप में किया

योजना, प्रबंधन प्रणालियों और प्रक्रियाओं में रुपांतरकारी बदलाव के साथ अगले 30 वर्षों के लिए प्रगति की नींव रखी

कोविड की चुनौती का सीधे मुकाबला किया : रेलवे ने राष्ट्रीय आपूर्ति श्रृंखला को जारी रखा और कोविड लॉक डाउन अवधि के दौरान लगभग 6.3 मिलियन प्रवासियों को घर वापस भेजा

रेल से माल लाने-ले जाने से कोविड के बाद राष्ट्रीय अर्थव्‍यवस्‍था में सुधार हुआ

वर्ष के दौरान आत्‍मनिर्भर भारत मिशन को अभूतपूर्व प्रोत्‍साहन मिला

ट्रेनों को चलाने और स्टेशन के विकास में सार्वजनिक निजी भागीदारी को बड़े पैमाने पर बढ़ावा मिला

इस वर्ष रेलवे के प्रबंधन और संचालन के सभी क्षेत्रों में पारदर्शिता के युग का आरम्‍भ करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग देखने को मिला

पहली बार, अप्रैल 2019 के बाद से, ट्रेन दुर्घटनाओं में किसी भी यात्री

Posted On: 26 DEC 2020 3:59PM by PIB Delhi

यह वर्ष भारतीय रेलवे के लिए "दृढ़ता और विजय का वर्ष" रहा। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन और उनके विजन के तहत भयभीत करने वाली और अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना कर रही भारतीय रेलवे, न केवल राष्ट्रीय आपूर्ति श्रृंखला को चालू रखने में समर्थ रही बल्कि उसने बेहद प्रतिकूल परिस्थितियों में लाखों लोगों को उनके घर वापस भेजा। रेलवे बुनियादी ढांचे के विकास, नवाचार, नेटवर्क क्षमता में विस्तार, माल ढुलाई विविधीकरण और पारदर्शिता के मामलों में अभूतपूर्व वृद्धि करने में सफल रही। रेलवे ने कोविड चुनौती का इस्तेमाल भविष्य के विकास और यात्रियों के लिए यात्रा के अगले स्तर की नींव रखने के अवसर के रूप में किया है।

माननीय प्रधानमंत्री के मंत्र "सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन" के अनुरुप, और उनकी यह सलाह कि " बिना किसी लक्ष्‍य के आगे बढ़ने के बजाय बेहतर होगा कि एक कठिन लक्ष्य निर्धारित कर लिया जाए और उसे हासिल किया जाए", रेल मंत्रालय ने संचालन और प्रबंधन के सभी क्षेत्रों में युगांतरकारी परिवर्तनों की शुरुआत की। अवधि के दौरान प्रमुख सुधार किए गए जिनका विवरण नीचे दिया जा रहा है।

राष्ट्रीय रेल योजना: 2050 तक यातायात आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए: भविष्य की नींव रखना

वर्ष 2050 तक की यातायात आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय रेल योजना (एनआरपी) 2030 तैयार की गई ताकि 2030 तक बुनियादी ढांचे को विकसित किया जा सके। माल ढुलाई में रेलवे की हिस्‍सेदारी 40 प्रतिशत से अधिक बढ़ाने और 2030 तक यातायात आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एनआरपी के आधार पर, 2024 तक बुनियादी ढांचा विकसित करने के लिए एक विजन दस्‍तावेज तैयार किया गया है। विजन 2024 दस्तावेज में प्राथमिकता वाली सभी परियोजनाओं को उनके पूरा होने की निर्धारित तारीखों और संसाधनों के आवंटन के साथ दिया गया है। विजन 2024 के अंतर्गत 14,000 किलोमीटर मार्ग पर अनेक पटरियां बिछाने, समूचे रेलवे नेटवर्क का विद्युतीकरण, महत्वपूर्ण मार्गों पर गति को अपग्रेड कर उसे 130 किलोमीटर प्रति घंटा (केएमपीएच) और 160 केएमपीएच करने (वर्तमान गति संभावित 110 केएमपीएच), महत्वपूर्ण कोयला सम्‍पर्क और बंदरगाह सम्‍पर्क को पूरा करने की योजना बनाई गई है। प्राथमिकता वाली इन परियोजनाओं के लिए अतिरिक्‍त धनराशि जुटाने के लिए गैर-परम्‍परागत तंत्र तैयार किया गया है। भारतीय रेलवे वित्त निगम (आईआरएफसी) पर्याप्त अधिस्थगन अवधि (मोराटोरियम पीरियड) के साथ संसाधन जुटा रहा है और परियोजनाओं को अधिस्थगन अवधि समाप्त होने से पहले पूरा करने का लक्ष्य रखा जा रहा है। इन प्राथमिकता वाली परियोजनाओं को इस तरह से बनाया जा रहा है कि वे ऋण पर ब्‍याज और मूल राशि की अदायगी के लिए आवश्‍यक नकदी प्रदान कर पर्याप्‍त मुनाफा देंगी। मसौदा योजना को सार्वजनिक कर दिया गया है और अब इसे टिप्पणियों के लिए विभिन्न मंत्रालयों के बीच घुमाया जा रहा है। रेल मंत्रालय का लक्ष्य योजना को जल्द से जल्द अंतिम रूप देना है।

परियोजना को अमल में लाने और संगठनात्मक दक्षता सुधारने के लिए समय की प्रगति के साथ सुधार

अतीत में, रेलवे को बड़ी संख्या में परियोजनाओं पर लगने वाले कम संसाधनों के कारण बहुत अधिक समय और लागत बढ़ने और भूमि अधिग्रहण और अन्य मंजूरियों जैसे पहले से आवश्‍यक कार्यों के पूरा होने से पूर्व परियोजनाओं को अमल में लाने जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता था। रेलवे में बुनियादी ढांचे की कमी के जमा पिछले शेष कार्य को पूरा करने के लिए पूंजीगत व्यय को 2014 के बाद (पिछले स्तर से लगभग दोगुना) बहुत अधिक बढ़ाया गया है। निधि आवंटन के साथ-साथ, अत्‍यन्‍त महत्‍वपूर्ण (58) और महत्वपूर्ण परियोजनाओं (68) की पहचान की गई और उन्‍हें प्राथमिकता दी गई। कुल मिलाकर, 146 परियोजनाओं को माल लाने-ले जाने की दृष्टि से महत्वपूर्ण के रूप में पहचाना गया है और देरी में मूल कारण का विश्‍लेषण करने के बाद इन्हें निर्धारित समय पर पूरा करने के लिए प्राथमिकता के आधार पर धन आवंटित किया गया है। मूल्यांकन और परियोजनाओं की मंजूरी के लिए निर्णय लेने की प्रक्रिया और अनुमानों को मंजूरी दी गई है। उन परियोजनाओं पर भी ध्यान केन्‍द्रित करने का निर्णय लिया गया है, जो परिचालन क्षमता में सुधार, नेटवर्क क्षमता बढ़ाने के लिए आवश्यक हैं और जहां भूमि और पर्यावरण संबंधी मंजूरी सहित सभी मंजूरी आदि उपलब्ध हैं,

एक मानकीकृत ईपीसी दस्तावेज़ को अपनाया गया है। अनुबंध की सामान्य शर्तों को संशोधित किया गया है और क्षेत्र में उन्हें अधिक व्यावहारिक बनाने के लिए उनका नवीनीकरण किया गया है। जल्दी पूरा होने के लिए बोनस की शर्त, नकदी प्रवाह में सुधार के उपाय और बड़ी कंपनियों द्वारा जारी किए गए प्रत्‍यय पत्र की पहचान और छोटे कार्यों के लिए प्रत्‍यय पत्र का अनुरोध नहीं करना अनुबंध की संशोधित शर्तों में शामिल किया गया है। निर्णय लेने में तेजी लाने के लिए महाप्रबंधकों और क्षेत्र के अन्य अधिकारियों की मदद करने के लिए महाप्रबंधकों, मंडल रेल प्रबंधकों और अन्य क्षेत्र इकाइयों को मॉडल अनुसूची की शक्तियों के माध्यम से विस्‍तृत शक्तियां सौंपी गई हैं।

ई-कार्य अनुबंध प्रबंधन प्रणाली, ई-श्रमिक कल्याण पोर्टल और एक एकल केन्‍द्रीय भुगतान प्रणाली (भारतीय स्टेट बैंक के सहयोग से) की शुरुआत के साथ-साथ इन उपायों ने निर्णय लेने में पारदर्शिता में बहुत सुधार किया है। इसके परिणामस्वरूप परियोजना निष्पादन की गति तेज हो गई है (जैसा कि ब्रॉड गेज लाइनों के चालू होने या प्रतिवर्ष विद्युतीकृत किलोमीटर के संदर्भ में मापा जाता है)।

सुनियोजित बुनियादी ढांचा विकास और वित्त पोषण आवश्यकताओं को वर्ष 2024 तक 2024 मीट्रिक टन के लक्ष्य तक ले जाने के लिए पहुंच बनाई गई है। उपरोक्त विजन के लिए चिन्हित कार्यों में लक्षित नियोजित व्यय लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपये है।

श्रमिक स्‍पेशल चलाना: प्रतिकूल परिस्थिति में आशा की ट्रेनें

कोविड-19 महामारी और संबंधित लॉकडाउन ने लाखों प्रवासियों के जीवन और आजीविका दोनों को रोक दिया था। उनमें से बहुत से लोग तत्काल अपने घरों और गांवों में वापस जाना चाहते थे।

इस आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, गृह मंत्रालय ने रेल मंत्रालय को आदेश दिया कि वह अलग-अलग राज्य सरकारों के साथ समन्वय स्‍थापित कर एक आपातकालीन अद्वितीय ट्रेन सेवा की व्यवस्था करे। पहली श्रमिक स्पेशल ट्रेन को 1 मई, 2020 को रवाना किया गया था।

अधिकतम ट्रेनें उत्तर प्रदेश (1,726) और बिहार (1,627) के लिए चलाई गई। राज्य सरकारों के अनुरोधों के जवाब में 1 मई और 31 अगस्त, 2020 के बीच 4621 ट्रिप के माध्यम से 23 राज्यों में 63.15 लाख यात्रियों ने श्रमिक एक्सप्रेस से यात्रा की।

श्रमिक स्पेशल को चलाते समय रेलवे को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ा। फिर भी, सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि भयंकर गर्मी के महीनों के दौरान देश के कुछ सबसे गर्म इलाकों से होकर जाने वाले 63.15 लाख यात्रियों को पर्याप्त भोजन और पानी मिले। उदाहरण के लिए, दानापुर रेलवे स्टेशन ने भोजन के कुल 22.79 लाख पैकेट प्रदान किए, और 1773 ट्रेनों में यात्रा करने वाले लोगों को 28.75 लाख पानी की बोतलें प्रदान की। इसी तरह, पश्चिम रेलवे ने आईआरसीटीसी की सहायता से भोजन के लगभग 1.2 करोड़ पैकेट और पानी की 1.5 करोड़ बोतलें वितरित कीं।

कोविड की चुनौती महत्वपूर्ण ढांचागत और रखरखाव परियोजनाओं को पूरा करने का एक अवसर

कोविद-19 महामारी लॉकडाउन अवधि के दौरान, भारतीय रेलवे के कर्मचारी चुनौती का सामना करने के लिए खड़े हो गए और उन्‍होंने एक बार फिर दिखा दिया कि वे प्रतिकूल और संकट की स्थिति में कार्य कर सकते हैं। भारतीय रेलवे ने लॉकडाउन अवधि के दौरान ट्रेन परिचालन कम होने के कारण यातायात ब्‍लॉकों की उपलब्‍धता के अवसर का लाभ उठाया और 350 से अधिक महत्वपूर्ण और काफी समय से लटके हुए प्रमुख पुलों और पटरियों को बनाने का कार्य पूरा किया। इन कार्यों का सुरक्षा और परिचालन क्षमता की चाल पर महत्वपूर्ण असर पड़ा। इनमें से कुछ कार्य कई वर्षों से लंबित थे क्योंकि यातायात के उच्च घनत्व के कारण पर्याप्त ट्रैफ़िक ब्लॉक सामान्य कामकाजी परिस्थितियों में यातायात ब्‍लॉक उपलब्ध नहीं कराए जा सकते थे।

राष्‍ट्रीय सम्‍पर्क की प्रगति :

जम्‍मू और कश्‍मीर :
दिसम्‍बर 2022 तक उधमपुर- श्रीनगर- बारामूला रेल सम्‍पर्क (यूएसबीआरएल) परियोजना
लम्‍बाई: 272 किलोमीटर; तैयार- 161 किलोमीटर, (कटरा बनिहाल सेक्‍शन पर काम बाकी)
पूर्वोत्‍तर भारत :
23 मार्च, 2023 तक सभी पूर्वोत्‍तर राज्‍यों की राजधानियां (शिलांग को छोड़कर)
त्रिपुरा में 112 किलोमीटर लंबी अगरतला-सबरुम रेल लाइन पूरी
लुम्‍बडिंग से होजई तक 45 किलोमीटर लंबी दोहरीकरण परियोजना पूरी
रामेश्‍वरम :
अक्‍तूबर 2021 तक आधुनिक पम्‍बन पुल
स्‍टेच्‍यू ऑफ यूनिटी :
दभोई-केवडि़या परियोजना में पूरी : परिचालन जनवरी 2021 में शुरू
उत्‍तराखंड :
दिसम्‍बर 2024 तक ऋषिकेश –कर्णप्रयाग लिंक (125 किलोमीटर)
चार धाम सम्‍पर्क के लिए डीपीआर तैयार


रेलवे के विद्युतीकरण और मिशन हरियाली में तेजी

भारत को हरित राष्ट्र में बदलने के लिए राष्ट्रीय लक्ष्य के एक हिस्से के रूप में विद्युतीकरण को उच्च प्राथमिकता दी गई है। नवम्‍बर 2020 तक ट्रैक की लंबाई का 66 प्रतिशत विद्युतीकरण हो चुका है। रेलवे का लक्ष्य 2023 तक अपने पूरे ब्रॉड-गेज नेटवर्क के विद्युतीकरण को पूरा करना है।

कोविड का झटका लगने के बावजूद विद्युतीकरण की गति को 2014-15 में 1176 किलोमीटर के स्तर से 2018-19 में 5276 और 2019-20 में 4378 किलोमीटर के स्तर से बहुत बढ़ा दिया गया है (वास्तव में संचयी 1,682 आरकेएम को नवम्‍बर 20 तक विद्युतीकृत किया गया है)। एक बार पूरा होने के बाद, भारतीय रेल आयातित जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता के बिना स्वदेश में उत्पादित बिजली के साथ ट्रेनों को चलाने के लिए दुनिया के प्रमुख रेलवे के बीच एक अद्वितीय उपलब्धि हासिल करेगा। शत-प्रतिशत विद्युतीकरण के बाद, भारतीय रेल की प्रति वर्ष ईंधन/ ऊर्जा बिल पर अनुमानित बचत लगभग 14,500 करोड़ रुपये होगी।

भारतीय रेलवे ने 2030 तक कार्बन का शून्य उत्सर्जक होने का कठोर लक्ष्य निर्धारित किया है। इसमें 2023 तक भारतीय रेलवे नेटवर्क के पूर्ण विद्युतीकरण के लिए एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य और रेलवे की परिसंपत्तियों का उपयोग करके नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के लिए समान रूप से महत्वाकांक्षी लक्ष्य शामिल है।

इस वर्ष भारतीय रेलवे ने अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से अपने 1.5 मेगावाट के प्रारंभिक सौर ऊर्जा संयंत्र की शुरुआत की। यह 2030 तक 20 गीगावाट सौर ऊर्जा उत्‍पादन करने के एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम का हिस्सा है। नवीकरणीय ऊर्जा पैदा करने के साथ-साथ यह कार्यक्रम रेल की पटरियों के साथ-साथ मुफ्त बाड़ लगाएगा जिससे रेलवे संपत्ति को अतिक्रमण से बचाया जा सकेगा।

स्‍वच्‍छ रेल स्‍वच्‍छ भारत और हरित रेलवे की दिशा में उठाए गए कदम हैं :

§ शत-प्रतिशत कोचों में जैव शौचालय
§ अब 953 स्‍टेशनों पर अनिवार्य यंत्रचालित सफाई की व्‍यवस्‍था
§ 57 मेड इन इंडिया, 12000 एचपी इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव सौंपे
§ 960 रेलवे इमारतों की छतों पर 105.7 मैगावाट शक्ति के सौर ऊर्जा संयत्र लगाए गए
§ 103.4 मैगावाट पवन ऊर्जा संयंत्र लगाए
§ सौर ऊर्जा से कर्षण शक्ति के लिए प्रारंभिक चरण की शुरूआत
§ 1.6 जीडब्‍ल्‍यू के लिए टेंडर की प्रक्रिया शुरू
§ 2030 तक 30 जीडब्‍ल्‍यू

माल ढुलाई - भारत की बढ़ती अर्थव्‍यवस्‍था

रेलवे ने न केवल पारंपरिक खंडों से, बल्कि नए ग्राहकों को भी अपनी ओर आकर्षित करने के लिए माल ढुलाई के विस्तार के लिए एक आक्रामक ग्राहक-केंद्रित दृष्टिकोण पर जोर देते हुए "प्राथमिकता के आधार पर माल ढुलाई (फ्रेट ऑन प्रायोरिटी)" नीति अपनाई है।


रेलवे बोर्ड, जोनल रेलवे और डिवीजनल स्तरों पर व्‍यावसायिक विकास इकाइयां (बीडीयू) स्थापित की गई हैं। बीडीयू की बहु-अनुशासनात्मक टीमें दमदार लागत, गुणवत्‍ता और टिकाऊपन के साथ माल ढुलाई, भंडारण और सामान प्रदान कर नये व्‍यवसाय को आकर्षित करने ग्राहकों तक पहुँच रही हैं। बीडीयू ने उन ग्राहकों से नए व्यवसाय को आकर्षित करके कई शुरुआती सफलताएं अर्जित की हैं जिन्होंने अतीत में कभी रेल का इस्तेमाल नहीं किया था।


कूरियर सेवाओं, ई-कॉमर्स कंपनियों को विश्वसनीय सेवाएं प्रदान करने के लिए समय-सारणी के अनुसार पार्सल सेवाएं शुरू की गई हैं।


किसानों को बढ़ी हुई गति और कम लागत के साथ देश भर में उनकी उपज भेजने के लिए 8 किसान रेल सेवाएं शुरू की गई हैं।


मालगाड़ियों की गति दोगुनी करना: मालगाड़ियों की गति एक साल पहले के 24 किलोमीटर प्रति घंटे के स्तर से लगभग दोगुनी होकर 46 किलोमीटर प्रति घंटा कर दी गई है जिसका मतलब है कि उपज भेजने में आधा समय लगेगा।


रेलवे के साथ ग्राहकों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए बड़ी संख्या में माल भाड़ा प्रोत्साहन योजनाएं शुरू की गई हैं और गैर-टैरिफ उदारीकरण के उपाय किए गए हैं। हाल ही में रेलवे ने पथ प्रदर्शक "प्रीमियम इंडेंटिंग" योजना के साथ-साथ उन ग्राहकों के लिए एक रास्ता शुरू किया, जो अपनी डिलीवरी को प्राथमिकता देना चाहते हैं।


माल गाड़ी में वास्तविक सुधार वृद्धिशील माल ढुलाई में प्रारंभिक सफलता नहीं है, लेकिन रेलवे बोर्ड और रेल मंत्री के स्तर सहित हर स्तर पर ग्राहकों के साथ निरंतर जुड़ाव की संस्कृति है। इसका उद्देश्य इस संस्कृति को गहराई से लागू करना है ताकि ग्राहक का विश्‍वास जीतना एक आदत बन जाए।


इन सभी पहलों के साथ, रेलवे के की माल ढुलाई से नवम्‍बर 2020 के महीने में 109.68 मिलियन टन (एमटी) की रिकॉर्ड ढुलाई करके उल्लेखनीय वसूली की है, जो पिछले वर्ष इसी अवधि में की गई ढुलाई की समान अवधि के लिए लोडिंग की तुलना में 9% अधिक है। माल ढुलाई जोर-शोर से जारी है।

 

समर्पित फ्रेट कॉरिडोर अभूतपूर्व गति से पूरा हो रहा है

समर्पित फ्रेट कॉरिडोर अभूतपूर्व गति से पूरा हो रहे हैं, जिससे भारत में माल भाड़ा परिचालन का तरीका बदल जाएगा। यह न केवल माल ढुलाई की लागत को कम करने जा रहा है, बल्कि इस पर डिजिटल रूप से विस्‍तृत नजर रखी जा सकेगी।

पहले चरण में, डीएफएफसीआईएल पश्चिमी डीएफसी (1504 मार्ग किमी) और पूर्वी डीएफसी (1856 मार्ग किमी जिसमें सोननगर-दनकुनी खंड का पीपीपी खंड शामिल है) का निर्माण कर रहा है। ईडीएफसी लुधियाना (पंजाब) के नजदीक साहनेवाल से शुरू होकर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड से गुजरकर पश्चिम बंगाल के दनकुनी में समाप्त होने वाला है। पश्चिमी गलियारा जो उत्तर प्रदेश के दादरी को मुंबई में जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह (जेएनपीटी) से जोड़ने वाला है डब्‍ल्‍यूडीएफसी और ईडीएफसी (सोननगर - दनकुनी पीपीपी अनुभाग को छोड़कर) के उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र राज्यों से होकर गुजरेगा।

समर्पित माल ढुलाई गलियारे से उम्मीद : मौजूदा भारतीय रेलवे नेटवर्क की भीड़भाड़ को कम करते हुए, माल गाड़ियों की औसत गति को मौजूदा 25 से 70 किमी प्रति घंटे तक बढ़ाएँ, हैवी हॉल ट्रेनें (25 / 32.5 टन के उच्च एक्सल लोड) और 13,000 टन के समग्र भार वाली ट्रेनें चलां। लंबी (1.5 किमी) और डबल स्टैक कंटेनर ट्रेनों को चलाने की सुविधा प्रदान करें, वैश्विक मानकों के अनुसार माल की तेज आवाजाही के लिए मौजूदा बंदरगाहों और औद्योगिक क्षेत्रों को जोड़ें, ऊर्जा की किफायत वाली और पर्यावरण अनुकूल रेल परिवहन प्रणाली हो, रेल की हिस्‍सेदारी मौजूदा 30 प्रतिशत से 45 प्रतिशत बढ़ाकर की जाए और परिवहन की रसद लागत को कम किया जाए।

खंड की स्‍पीड बढ़ाना :

नई दिल्‍ली – मुम्‍बई और नई दिल्‍ली – हावड़ा मार्ग (160 किलोमीटर प्रति घंटा)
मंत्रिमंडल द्वारा अगस्‍त 2019 को मंजूर 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार बढ़ाना
योजना पूरी हुई
गहरी स्‍क्रीनिंग का कार्य, गहरे वेब स्विचेज, मोड़ों के पुनर्निर्माण का कार्य प्रगति पर
सौर पैनल फेंसिंग के लिए टेंडर आमंत्रित
स्‍वदेशी टीसीएएस सिग‍नलिंग और 2X25 किलोवाट कर्षण प्रणाली
सुरक्षा, उच्‍च गति और अतिरिक्‍त लाइन क्षमता के परिणाम
दिसम्‍बर 2023 तक पूरा
स्‍वर्णिम चतुर्भुज (जीक्‍यू) / गोल्‍डन डायगनल (जीडी) रूट्स (130 किलोमीटर प्रति घंटा)

नई दिल्‍ली- मुम्‍बई और नई दिल्‍ली – हावड़ा का पहले ही आधुनिकीकरण
शेष रूटों का नवीनीकरण जुलाई 2021 तक किया जाएगा
योजना बना ली गई है और पटरी बिछाने और सिगनलिंग का काम अंतिम चरण में है


पीपीपी के साथ यात्री ट्रेन परिचालन की नई सेवा

रेलवे अब यात्री ट्रेन परिचालन के लिए एक साझेदारी का कार्य कर रहा है। समग्र सेवा गुणवत्ता और परिचालन क्षमता बढ़ाने के लिए, भारतीय रेल अब हितधारकों के साथ सक्रिय रूप से संलग्न है और निजी उद्योगों के साथ बातचीत शुरू कर रहा है। इसका उद्देश्य यात्री अनुभव में सुधार करना और आधुनिक तकनीकों और निजी निवेशों को लाना है।

पहले चरण में, मार्गों के 109 मूल गंतव्य (ओडी) जोड़ों पर पीपीपी के माध्यम से संचालित 151 आधुनिक यात्री ट्रेनों को शुरू करने की योजना है। इससे निजी क्षेत्र का 30,000 करोड़ रुपये निवेश होगा। इच्छुक दलों से आवेदन प्राप्त हुए हैं और नवंबर 2020 में शॉर्टलिस्ट छांटे गए आवेदकों को रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) जारी किए गए हैं।

कोविड-19 के दौरान रेलवे की विशेष पहल

• कोविड-19 महामारी लॉकडाउन अवधि के दौरान, भारतीय रेलवे के कर्मचारी चुनौती का सामना करने के लिए खड़े हो गए और उन्‍होंने एक बार फिर दिखा दिया कि वे प्रतिकूल और संकट की स्थितियों में भी काम कर सकते हैं। देश भर में आवश्यक वस्तुओं, दवाओं, उपकरणों और आपूर्ति की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए निर्बाध रूप से 24X7 मालगाडि़यों के संचालन के अलावा, समय सारणी के अनुरुप चलने वाली पार्सल ट्रेनें और किसान रेल चलाने जैसी कई नई पहलों को शुरू करने, 24 किमी प्रति घंटे से मालगाड़ियों की गति को 46 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दोगुना करने के साथ पिछले साल भारतीय रेल कर्मचारियों ने लॉकडाउन की अवधि के दौरान ट्रेन परिचालन कम होने ट्रैफिक ब्‍लॉक की उपलब्‍धता के अवसर का लाभ उठाया और 350 से अधिक महत्वपूर्ण और काफी समय से लंबित प्रमुख पुलों को बनाने और पटरियां बिछाने का कार्य किया। के कार्यों के कारण यातायात ब्लॉक की उपलब्धता के अवसर का लाभ उठाया। इन कार्यों का सुरक्षा और परिचालन क्षमता पर महत्वपूर्ण असर पड़ा। इनमें से कुछ कार्य कई वर्षों से लंबित थे क्योंकि यातायात के उच्च घनत्व के कारण पर्याप्त ट्रैफ़िक ब्लॉक सामान्य कामकाजी परिस्थितियों में उपलब्ध नहीं कराए जा सकते थे।


सुरक्षा का प्रबल होना जरूरी :

अप्रैल 2019 के बाद से, पहली बार, ट्रेन दुर्घटनाओं में किसी भी यात्री की मृत्यु नहीं हुई है।

यात्रियों की सुरक्षा और रेलवे की संपत्ति का सुरक्षित रखरखाव भारतीय रेल की सर्वोच्च प्राथमिकता है। 2019-20 में सुरक्षा पर लगातार ध्यान देने के कारण ट्रेन दुर्घटनाएं उत्तरोत्तर कम होकर 55 के निचले स्तर तक पहुंच गई। पहली बार, अप्रैल 2019 के बाद से, ट्रेन दुर्घटनाओं में किसी भी यात्री की मृत्यु नहीं हुई है।

यह निम्नलिखित सहित मिशन मोड में किए गए विभिन्न सुरक्षा उपायों के माध्यम से संभव हुआ :
दुर्घटनाओं में कमी आई। 2015-16 में 107 दुर्घटनाएं हुई थी जो 2019-20 (दिसम्‍बर 2020 तक 12 ) में 55 हो गई।
जनवरी 2019 में ब्रॉड गेज पर सभी मानवरहित लेवल क्रॉसिंग को समाप्‍त कर दिया गया
2017-18 में 1,565 (+122%) की तुलना में 2018-19 में 3,479
मानव युक्‍त क्रॉसिंग फाटकों को समाप्‍त करने के कार्य में तेजी
2018-19 (+102%) में 631 की तुलना में 2019-20 में 1,274
वित्‍त वर्ष 2019-20 में 1,367 पुलों को पूर्व अवस्‍था में लाया गया जबकि 2018-19 में इनकी संख्‍या 1000 (+37%) थी
पटरियों में सुधार का बकाया कार्य तेजी से कम हो गया
जनवरी 2018 से आईसीएफ कोचों का उत्‍पादन बंद -> सुरक्षित एलएचबी कोच
पुरानी मैकेनिकल सिगनलिंग के स्‍थान पर इलेक्‍ट्रानिक सिगनलिंग के कार्य में तेजी

एक दूरदर्शी योजना में, ट्रेन परिचालन सुरक्षा को और बढ़ाने के लिए यह योजना बनाई गई है:

मानवयुक्‍त क्रॉसिंग समाप्‍त करना
ट्रेन की टक्‍कर रोकने की स्‍वदेशी प्रणाली [टीसीएएस]
मशीनी रखरखाव और पटरियों तथा पुलों का निरीक्षण
पटरियों और पुलों का नवीनीकरण
आईसीएफ कोचों को तेजस जैसे सुरक्षित और आरामदायक एलएचबी और ट्रेन सेटों से बदलना
मैकेनिकल सिगनलिंग समाप्‍त करना
लोकोमोटिव पायलटों का सिम्‍यूलेटर आधारित प्रशिक्षण

स्टेशन विकास और आधुनिकीकरण

गांधीनगर, हबीबगंज और अयोध्या स्टेशनों के विकास का काम तेजी से किया गया है। स्टेशनों के विकास के लिए रेलवे साझेदारी का तरीका अपना रहा है और सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड पर नई दिल्ली, छत्रपति शिवाजी मुंबई टर्मिनल, नागपुर, ग्वालियर, साबरमती, अमृतसर, पुड्डुचेरी, नेल्लोर, देहरादून और तिरुपति स्टेशनों के लिए रिक्‍वेस्‍ट फॉर क्‍वालीफिकेशन (आरएफक्‍यू) आमंत्रित किया गया है।

सुरक्षा सर्वोच्च: मानव रहित लेवल क्रॉसिंग (यूएमएलसी) और विपत्ति झेलने वाले यात्रियों की संख्‍या शून्य

यात्रियों की सुरक्षा और रेलवे की संपत्ति का सुरक्षित रखरखाव भारतीय रेल की सर्वोच्च प्राथमिकता है। पहली बार, अप्रैल 2019 के बाद से, ट्रेन दुर्घटनाओं में किसी भी यात्री की मृत्यु नहीं हुई है।

यह निम्नलिखित सहित मिशन मोड में किए गए विभिन्न सुरक्षा उपायों के माध्यम से प्राप्त किया गया है:

ब्रॉड गेज नेटवर्क पर मानव रहित लेवल क्रॉसिंग (यूएमएलसी) समाप्‍त करना

राष्ट्रीय रेल संरक्षण कोष (आरआरएसके) का गठन         

पूरी तरह से लिंक हॉफमैन बुश (एलएचबी) कोचों का सुरक्षित निर्माण की ओर

ट्रैक नवीनीकरण का बकाया समाप्त करने और पुलों को पूर्व अवस्‍था में लाने पर ध्यान दें

एक दूरदर्शी योजना में, रेल परिचालनों की सुरक्षा को और बढ़ाने के लिए रेलों में ट्रेनों की टक्‍कर से बचने की स्वदेशी प्रणाली (टीसीएएस) स्थापित करने की योजना है। यह प्रणाली 250 मार्ग किमी पर पहले से ही कार्य कर रही है और चरणबद्ध तरीके से इसका विस्‍तार पूरे नेटवर्क पर कर दिया जाएगा। 1,200 से अधिक रूट किमी पर काम चल रहा है।

रेल दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए जिन प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान देने की आवश्यकता है, उनमें से एक मानव रहित लेवल क्रॉसिंग था। मानव रहित लेवल क्रॉसिंग में रेल के साथ-साथ सड़क उपयोगकर्ताओं के लिए संभावित सुरक्षा खतरे अधिक थे। रेल मंत्री द्वारा सभी यूएमएलसी को समयबद्ध तरीके से समाप्त करने का निर्णय लिया गया। रेल मंत्रालय ने युद्धस्तर पर मानवरहित लेवल क्रॉसिंग को खत्म करने का अभियान चलाया।

01.04.2017 तक, 4943 मानव रहित लेवल क्रॉसिंग थे। मार्च 2020 तक सभी यूएमएलसी को समाप्त करने का निर्णय लिया गया और संसद में प्रतिबद्धता व्‍यक्‍त की गई।

मानव रहित लेवल क्रॉसिंग के उन्मूलन के लिए निम्नलिखित तरीके अपनाए जा रहे हैं:

  1. कम टीवीयू
    (ii) परिवर्तन मार्ग का निर्माण कर अन्‍य एलसी के साथ विलय
    (iii) सबवे/ आरयूबी का निर्माण
    (iv) मानवयुक्‍त

4943 यूएमएलसी को समाप्‍त करने के लिए वर्षवार योजना नीचे दी गई है :
वर्ष समाप्‍त करने के लिए लक्ष्‍य (संख्‍या)
2017-18 1500
2018-19 1500
2019-20 1943


2019 तक, सभी यूएमएलसी को समाप्त कर दिया गया है। रेलवे अब मानवयुक्त लेवल क्रॉसिंग को भी खत्म करने की ओर अग्रसर है।

यात्री सुरक्षा

ट्रेनों में यात्रा करने वाली महिलाओं की सुरक्षा पर ध्‍यान देने के लिए मेरी सहेलीपहल की गई

ट्रेनों में महिला यात्रियों की सुरक्षा के लिए अन्य सभी जोनल रेलवे के बीच आरपीएफ साउथ ईस्टर्न रेलवे द्वारा "मेरी सहेली" पहल शुरू की गई थी। कथित तौर पर यह पहल महिला यात्रियों के बीच सुरक्षा की भावना पैदा करने में सफल रही है और अनेक घटनाओं में उनकी मदद की है। लॉकडाउन के बाद यात्री ट्रेनों की संख्या को विभिन्‍न चरणामें में बढ़ाया जा रहा है। चूंकि स्टेशनों और ट्रेनों में लोगों की संख्‍या धीरे-धीरे बढ़ रही है, इसलिए महिला यात्रियों की सुरक्षा और रक्षा के लिए एक केंद्रित पहल शुरू करने की जरूरत थी।

इसलिए महिलाओं की सुरक्षा पर केंद्रित कार्रवाई के लिए एक संशोधित "मेरी सहेली" पहल शुरू करने का निर्णय लिया गया। इसका मुख्य उद्देश्य एक ऐसा वातावरण प्रदान करना है जिसमें महिलाएं अपनी यात्रा के दौरान सुरक्षित, निश्चिन्‍त और आरामदेह महसूस करें।

आरपीएफ की एक पहल, विशेष रूप से अकेले यात्रा कर रही महिला यात्रियों के साथ आरपीएफ कर्मियों की एक टीम की युवा महिला द्वारा बातचीत है। इन महिला यात्रियों को यात्रा के दौरान बरती जाने वाली सभी सावधानियों के बारे में बताया जाता है और कहा जाता है कि कोच में कोई समस्या होने पर वे 182 डायल करें। आरपीएफ टीम केवल महिलाओं की सीट संख्या एकत्र करती है और उन्हें बीच में गाड़ी के रूकने के स्‍टॉपों की जानकारी देती है। स्टॉपिंग स्टेशन पर प्लेटफार्म ड्यूटी आरपीएफ के जवान संबंधित कोच और बर्थ पर लगातार नजर रखते हैं और जरूरत पड़ने पर महिला यात्रियों से बातचीत करते हैं। आरपीएफ / आरपीएसएफ एस्कॉर्ट ट्रेन में भी अपनी ड्यूटी अवधि के दौरान सभी कोच / पहचाने गए बर्थ देखता है।

गंतव्य पर मौजूद आरपीएफ की टीमें चिन्हित महिला यात्रियों से प्रतिक्रिया एकत्र करती हैं। फिर प्रतिक्रिया का विश्लेषण किया जाता है और सुधारात्मक कार्रवाई की जाती है। यदि "मेरी सहेली" पहल के तहत कवर की गई ट्रेन से कोई कॉल आती है, तो कॉल के निपटान की निगरानी वरिष्ठ अधिकारियों के स्तर पर की जाती है।

"मेरी सहेली" पहल की शुरुआत सितंबर 2020 में दक्षिण पूर्व रेलवे में एक पायलट परियोजना के रूप में की गई थी और महिला यात्रियों से उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिलने के बाद, इसे 17.10.2020 से सभी क्षेत्रों और केआरसीएल तक बढ़ा दिया गया था। पहल गति पकड़ रही है।

भारतीय रेलवे ने रेलवे सुरक्षा के लिए कोरस” – कमांडोज शुरू किया

                                                                             
कोचों का आधुनिकीकरण और अधिक शक्तिशाली इंजन: भारत सबसे शक्तिशाली रेलवे इंजन का उत्पादन करता है

डब्‍ल्‍यूएजी 12 लोकोमोटिव का वाणिज्यिक संचालन: - रेलवे बोर्ड ने लॉकडाउन के दौरान 28.04.2020 को प्रोटोटाइप लोकोमोटिव की मंजूरी की जानकारी दी और लोकोमोटिव ने 14वें जोनल रेलवे में यात्रा की। गाडि़यों के समूह ने लगभग 18.66 लाख किलोमीटर अर्जित किए। प्रतिष्ठित मेड इन इंडिया परियोजना 120 किलोमीटर प्रति घंटे की उच्चतम गति के साथ एचएचपी लोकोमोटिव होने के नाते 12000 एचपी बना रही है।

आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूती मिली: आयात घटकर 1.6 प्रतिशत से भी कम रह गया

भारतीय रेलवे ने 2020 में महत्वपूर्ण रूप से अनेक नीतिगत सुधारों के साथ, 2020 में आत्मनिर्भर भारत की राह पर काफी प्रगति की है। भारतीय रेल, भागीदारी के माध्यम से स्थानीय वस्‍तुओं की वृद्धि, स्थानीय कंपनियों के साथ सहयोग, भारत में उत्पादन इकाइयों की स्थापना और भारतीय आपूर्तिकर्ताओं के साथ संयुक्त उद्यम के निर्माण को प्रोत्‍साहन और भारत में वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन को बढ़ावा दे रहा है। मेक इन इंडिया नीति में अग्रसक्रिय आदान-प्रदान करने के सिद्धांत को सक्षम किया गया है। आरडीएसओ और उत्पादन इकाइयों ने विक्रेताओं की निर्देशिकाओं की समीक्षा की है ताकि विक्रेताओं के नियंत्रण को कम किया जा सके और कुछ सीमित सुरक्षा / महत्वपूर्ण वस्तुओं को छोड़कर सभी वस्तुओं के लिए पूर्वनिर्धारित पात्रता मानदंड और विनिर्देश के आधार पर प्रतिस्पर्धी बोली की प्रक्रिया के माध्यम से खरीद की सुविधा प्रदान की जा सके। लगातार प्रयासों के साथ, वर्ष 2013-14 में 5.6 प्रतिशत की तुलना में आयात घटकर 1.6 प्रतिशत से कम रह गया है। रेलवे की आधारभूत संरचना और विनिर्माण परियोजनाओं को आत्मनिर्भर भारत अभियान के माध्यम से शुरू किया जा रहा है। वंदे भारत ट्रेनों के स्वदेशी निर्माण के लिए निविदा मंगाई गई है। इसके अलावा डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर और बुलेट ट्रेन (अहमदाबाद- मुंबई) पर काम तेजी से आगे बढ़ रहा है। रेलवे की सभी परियोजनाओं में स्वदेशी सामग्री की खरीद पर जोर दिया गया है। कुछ प्रमुख पहलों में वंदे भारत ट्रेनों के 44 रेक की खरीद के लिए प्रक्रिया शुरू करना और मधेपुरा में शक्तिशाली 12000 एचपी इंजन का उत्पादन शामिल है।


आत्‍मनिर्भर भारत को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदम हैं :

आयातित खरीद जो 2013-14 में 5.6 प्रतिशत थी वह 2018-19 में घटकर 2.5 प्रतिशत रह गई
मेक इन इंडिया नीति : सार्वजनिक खरीद पर डीपीआईआईटी के आदेशों के अनुसार
95 प्रतिशत से अधिक इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव कलपुर्जेां का स्रोत स्‍वदेश में
ट्रेनों की टक्‍कर बचाने की स्‍वदेशी प्रणाली (टीसीएएस)
निर्यात बढ़ाना: बनारस लोकोमोटिव वर्क्‍स (बीएलडब्‍ल्‍यू) ने श्री लंका की रेलवे को 7 डीजल इंजन निर्यात किए
इलेक्ट्रिक इंजन के उत्‍पादन में बढ़ोतरी, उत्‍पादन 30 प्रतिशत बढ़ा
एलएचबी कोचों का उत्‍पादन 42 प्रतिशत बढ़ा
रेल व्‍हील फैक्‍टरी (आरडब्‍ल्‍यूएफ) की एक्‍सल क्षमता बढ़ी
पहियों के स्‍वदेश में उत्‍पादन के लिए रायबरेली में रेल इस्‍पात निगम प्रवेश करेगा
पटरी बिछाने की मशीनों का स्‍वदेश में निर्माण
फरीदाबाद (हरियाणा), कर्जन (गुजरात) और बेंगलौर (कर्नाटक)

स्टेशनों पर यात्रियों के लिए अधिक सुविधाएं

इस वर्ष बीएफएआर पर 32 एस्‍केलेटर और 66 लिफ्ट प्रदान की गई हैं, 774 एस्‍केलेटर और 642 लिफ्टों को भारतीय रेल के लिए प्रदान किया गया है।

हवाईअड्डे के मानकों की तरह अब 893 रेलवे स्टेशन बेहतर रोशनी के स्तर के साथ उपलब्ध कराए गए हैं।

बेहतर ट्रेन सूचना प्रदर्शन कोच मार्गदर्शन प्रणाली 673 स्टेशनों पर है, जबकि ट्रेन संकेत बोर्ड अब 1208 स्टेशनों पर चालू हैं।

500 रेलवे स्टेशन आईएसओ : 14001 के पर्यावरण प्रबंधन प्रणाली के कार्यान्वयन के लिए प्रमाणित।

वित्‍त वर्ष 20-21 में (अब तक) 96 फुट ओवर ब्रिज (एफओबी) प्रदान किए गए

5885 स्‍टेशनों पर वाई-फाई प्रदान किया गया      

इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (आईआरसीटीसी) की वेबसाइट के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित पीएनआर कन्फर्मेशन को जोड़ा गया, जो बुकिंग के समय वेट लिस्टेड टिकट के कन्‍फर्म होने की संभावना की पुष्टि करता है और रेल यात्रियों के सामने अंतिम क्षणों में आने वाली अनिश्चितताओं को समाप्त करता है।

स्वचालित चार्ट तैयार करने और यात्री ट्रेन की जानकारी, फास्ट ट्रैक के लिए इसरो के सहयोग से रियल टाइम ट्रेन सूचना प्रणाली (आरटीआईएस) है :

डिजिटल और ई-गवर्नेंस के माध्यम से कामकाज के सभी पहलुओं में अभूतपूर्व पारदर्शिता

ए. सूचना पोर्टल के रूप में एक रेल दृष्टि पोर्टल शुरू किया गया है जो पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए एक एकल डैशबोर्ड पर विभिन्न स्रोतों से महत्वपूर्ण विवरण लाता है। उपयोगकर्ता यात्री आरक्षण, अनारक्षित टिकटिंग, माल ढुलाई आय और माल लदान से संबंधित जानकारी के लिए पोर्टल पर जा सकते हैं। पोर्टल पीएनआर पूछताछ, शिकायत पूछताछ, निविदा जांच, श्रमिक पूछताछ और माल संबंधी पूछताछ तक पहुंच प्रदान करता है। इसमें भारतीय रेल नेटवर्क पर किसी भी ट्रेन को देखने और ट्रेन में हाउसकीपिंग स्टाफ का संपर्क नंबर प्राप्त करने की सुविधा है। देश के प्रत्येक नागरिक तक पहुँच प्रदान करने से रेलवे के सभी पहलुओं में पारदर्शिता को बढ़ावा देने में मदद मिली है।

बी. रेलवे के सभी टेंडर (काम या स्टोर) को ई-टेंडरिंग प्लेटफॉर्म पर डाल दिया गया है। इलेक्ट्रॉनिक रिवर्स ऑशन का विकल्प स्टोर निविदाओं में 5 करोड़ रुपये से ऊपर और कार्यों और सेवाओं के लिए निविदाओं को 50 करोड़ रुपये से अधिक में शुरू किया गया है।

सी. आरडीएसओ ने वेंडर अनुमोदन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया है, जिसे पूरी तरह से ऑनलाइन कर दिया गया है। साथ ही, कॉमन वेंडर पोर्टल शुरू किया गया है, ताकि एक वेंडर को एक बार एक यूनिट के लिए मंजूरी मिल जाने पर उसे स्‍वत: अन्य यूनिटों के लिए भी मंजूरी मिल जाए। 3 से कम विक्रेताओं के साथ वस्तुओं की संख्या को कम करने के लिए सक्रिय कार्रवाई की जा रही है। 3 अनुमोदित विक्रेताओं से कम मदों की संख्या जो जनवरी 2020 में 220 थी उसे 20 नवम्‍बर तक घटाकर 74 कर दिया गया है।


डी. ई-ऑफिस को भारतीय रेल पर एक मिशन मोड के रूप में शुरू किया गया है और अब तक 1.23 लाख से अधिक उपयोगकर्ता इस प्लेटफॉर्म का उपयोग कर रहे हैं। 9.8 लाख से अधिक इलेक्ट्रॉनिक फाइलें बनाई गई हैं जिनमें मौजूदा वास्‍तविक फाइलों को इलेक्ट्रॉनिक में बदलने वाली फाइलें भी शामिल हैं और 42.45 लाख से अधिक प्राप्तियों को इलेक्ट्रॉनिक बनाया गया है।



ई. जीईएमआईएस के साथ आईआरईपीएस का एकीकरण तेजी से किया जा रहा है और इससे भारतीय रेल पर जीईएम के माध्यम से खरीद की सभी प्रक्रिया को डिजिटल बनाने में मदद मिलेगी।

एफ. महत्वपूर्ण स्थानों जैसे कि स्टेशन (630), ट्रेन कोच (2626), अस्पताल (102), पीआरएस केन्‍द्रों, माल को तोलने के कांटों और प्रमुख कार्यालयों में सीसीटीवी प्रदान किए गए हैं अथवा उनका प्रावधान किया जा रहा है।

जी. 2700 इलेक्ट्रिक इंजन आरटीआईएस के साथ और 3800 डीजल इंजन रामलोट के साथ प्रदान किए गए हैं;

एच. 6500 लोकोमोटिव के लिए स्वचालित नियंत्रण रूपरेखा तैयार की गई है; शेष 6000 को इलेक्ट्रिक इंजनों को एक वर्ष के समय में आरटीआईएस उपकरण के साथ प्रदान किया जाएगा। प्रक्रिया में संतुलन के लिए निविदा।

 

कार्य संबंधी आधार पर रेलवे बोर्ड का पुनर्गठन और 8 संगठित सेवाएं एक भारतीय रेलवे प्रबंधन सेवा (आईआरएमएस) में शामिल

एक जबरदस्‍त सुधार करते हुए, रेलवे बोर्ड का आकार उच्‍च स्‍तर पर प्रत्‍येक संगठित सेवा का प्रतिनिधित्‍व कर रहे अध्यक्ष और 8 सदस्यों से छोटा कर दिया गया है। एक अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी, 4 कार्यात्मक सदस्य वित्त, परिचालन और व्यवसाय विकास, कर्षण और रोलिंग स्‍टॉक तथा बुनियादी सुविधाओं संबंधी कामकाज का प्रतिनिधित्व करेंगे। सदस्य के पद को किसी विशेष सेवा में भेजने के बजाय, सदस्य और अध्यक्ष के पद अब सभी पात्र अधिकारियों के लिए खुले हैं। 8 संगठित समूह ’ सेवाओं को एक सेवा अर्थात भारतीय रेलवे प्रबंधन सेवा (आईआरएमएस) में एकीकृत करने का भी निर्णय लिया गया है। आईआरएमएस में अधिकारियों की भर्ती और नई सेवा में मौजूदा अधिकारियों के विलय के तौर-तरीकों पर काम किया जा रहा है।

इस मौलिक सुधार का उद्देश्य रेलवे के सभी पहलुओं में विभागीय साइलो को तोड़ना और समग्र दृष्टिकोण का विकास करना है। इसके अलावा, अंतर्विभागीय कलह को दूर करने और रेलवे को चुस्त बनाने के लिए संगठनात्मक पुनर्गठन लागू किया जा रहा है। इसलिए, यह भारतीय रेलवे के इतिहास में किए गए सबसे परिवर्तनकारी सुधारों में से एक है। महत्वपूर्ण यह है कि यह अतीत में कई समितियों द्वारा अनुशंसित किया गया है, लेकिन परिर्तन के प्रबंधन की जटिलता के डर से कभी भी प्रयास नहीं किया गया था। भारतीय रेलवे को वास्तविक विश्व स्तरीय संगठन में बदलने के लिए तैयार करने के लिए अधिकारियों के बीच व्यापक-परामर्श के बाद अब यह कदम उठाया गया है।

मानव संसाधन प्रबंधन में सुधार

प्रबंधन प्रणाली (एचआरएमएस): - 2020 में, एचआरएमएस को एप्‍लीकेशन में डाल दिया गया है और रेलवे कर्मचारियों द्वारा इसका बड़े पैमाने पर उपयोग किया जा रहा है। जैसा कि एचआरएमएस का उद्देश्य सभी एचआर गतिविधियों को एक डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाना है, यह भारतीय रेलवे के एचआर प्रबंधन में एक बदलाव है और इससे कर्मचारी उत्पादकता और प्रशासनिक दक्षता को बढ़ावा मिलेगा। 2020 में, हमने एचआरएमएस के विभिन्न मॉड्यूल जैसे कि ई-पास, ऑफिस ऑर्डर मॉड्यूल, कर्मचारी स्वयं सेवा, अधिकारियों के लिए कार्यकारी रिकॉर्ड शीट, पीएफ और सेटलमेंट शुरू किए हैं। इसके अलावा कर्मचारी मास्टर और ई-एसआर 2019 के अंत में शुरू किए गए थे।


वित्तीय सुधार

ए. आईआरएफसी और रेल मंत्रायल ने रेलवे विद्युतीकरण परियोजनाओं के लिए 750 मिलियन डॉलर (लगभग 5,267 करोड़ रूपये) के बराबर ऋण सुविधा के लिए एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के साथ एक सुविधा समझौता किया है।

बी. आईआरएफसी भारतीय रेलवे के लिए सबसे अधिक प्रतिस्पर्धी दरों और शर्तों पर धन की व्यवस्था करने के लिए अपने उधार पोर्टफोलियो में लगातार विविधता लाती है। आईआरएफसी ने अपने यूरो मीडियम टर्म नोट (ईएमटीएन) कार्यक्रम को ग्लोबल मीडियम-टर्म नोट (जीएमटीएन) कार्यक्रम में अपग्रेड किया, जिसने 144ए / आरईजी एस रूट के तहत अपने बांड पहले जारी करने की सुविधा प्रदान की। जीएमटीएन कार्यक्रम के अंतर्गत बांडों को 10 वर्ष और 30 वर्षों के कार्यकाल के साथ 700 मिलियन अमरीकी डालर और 300 मिलियन अमरीकी डालर के दो चरणों में जारी किया गया था जो क्रमशः 3.249 प्रतिशत (बेंचमार्क यूएस ट्रेजरी प्लस 160 बीपीएस) और 3.95 प्रतिशत (बेंचमार्क यूएस ट्रेजरी प्लस 184 बीपीएस) के कूपन लिए हुए थे)। आईआरएफसी द्वारा प्राप्त कूपन 2020 के दौरान जारी करने वालों में सबसे कम है। इसके अलावा, भारतीय सीपीएसई द्वारा 30-वर्षीय जारी करना पहला मामला है।


सी. रेलवे को आवक प्राप्तियों के डिजिटल भुगतान की सुविधा के लिए सीआरआईएस द्वारा एक विविध ई-रसीद प्रणाली (एमईआरएस) पोर्टल विकसित किया गया है। यह योजना सभी भारतीय रेलवे पर लागू की गई है और परिचालन दिशानिर्देश जून, 2020 में जारी किए गए हैं। पोर्टल पूरी तरह से इंजीनियरिंग विभाग के लैंड एसेट्स मैनेजमेंट सिस्टम (एलएएमएस) के साथ जुड़ा हुआ है। इसने रेलवे को एक डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लीज शुल्‍क, वे लीव शुल्‍क प्राप्त करने में सक्षम बनाया है। वाणिज्यिक प्राधिकरणों से अनुमोदन के बाद स्पेशल कोविड -19 पार्सल ट्रेनों ’के लिए रेलवे ग्राहकों से ऑनलाइन भुगतान स्वीकार करने के लिए एमईआरएस भी विकसित किया गया है। यह डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहित करने की सरकार की पहल के अनुरूप होगा और प्राप्तियों के तेजी से और पारदर्शी लेखांकन को लागू करेगा।


डी. ई-पीपीओ योजना का कार्यान्वयन: पेंशन संवितरण बैंकों को पेंशन भुगतान आदेशों के वास्‍तविक ट्रांसमिशन में देरी को रोकने के लिए, ई-पीपीओ की एक योजना को लागू किया गया है, जिसमें पीपीओ को एसएफटीपी मोड के माध्यम से बैंकों की प्रणाली में भेजा जा रहा है। पीपीओ वास्‍तविक ट्रांसमिशन में देरी को कम करता है। आईपीएएस पर ई-पीपीओ का एक नया संस्करण (डिजिटल हस्ताक्षर की संशोधित पद्धति) लागू किया गया है। ई-पीपीओ के नए संस्करण के अनुसार, सीआरआईएस बैंक के सर्वर के संबंधित केंद्रीयकृत पेंशन प्रसंस्करण केंद्रों (सीपीपीसी) में एन्क्रिप्टेड ई-पीपीओ फाइल (ज़िप्ड) को भेजेगा। बैंक फाइल प्रतियों की प्रतीक्षा किए बिना इन ई-पीपीओ पर कार्रवाई कर सकते हैं। यह प्रणाली सेवानिवृत्ति के अगले महीने से पेंशन शुरू करना सुनिश्चित करती है।

आगे का रास्ता

रेलवे देश की विकास यात्रा का इंजन बनने के लिए लगातार काम कर रहा है। पिछले 6 वर्षों में, रेलवे ने प्रणालियों, प्रक्रियाओं और बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण के लिए प्रयास किया है। रेलवे न्यू इंडिया की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए एक कुशल, स्वयं टिकाऊ, किफायती, यात्रियों का एक आधुनिक वाहक और उच्चतम मानकों का माल वाहक प्रदाता बनने के लिए प्रतिबद्ध है।

 

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