विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

विज्ञान से जुड़े नीति निर्माताओं ने युवाओं को विज्ञान के प्रति आकृष्‍ट करने और उनमें नवाचार की भावना विकसित करने की जरूरत पर बल दिया

Posted On: 24 DEC 2020 4:12PM by PIB Delhi

 

आईआईएसएफ-2020

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विज्ञान से जुड़े नीति निर्माताओं ने युवाओं को विज्ञान के प्रति आकृष्‍ट करने और वैज्ञानिक मनोवृत्ति विकसित करने के लिए बहुत छोटी आयु से ही उनमें नवाचार की भावना विकसित किए जाने के महत्‍व पर बल दिया है। उन्‍होंने यह विचार दूरदर्शन समाचार पर एक चर्चा के दौरान व्‍यक्‍त किए।

दूरदर्शन समाचार पर विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार की भूमिका और प्रगति की राह पर चर्चा के लिए आयोजित कार्यक्रम के दौरान सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ. शेखर सी. मांडे ने कहा, “देश की प्रगति और भारत की प्रतिभा का सर्वोत्‍तम उपयोग करने के लिए बहुत छोटी आयु से ही युवाओं को विज्ञान के प्रति आकृष्‍ट करना सबसे बड़ी चुनौती है।

इस चर्चा का आयोजन भारतीय अंतर्राष्‍ट्रीय विज्ञान महोत्‍सव (आईआईएसएफ 2020) के छठे संस्‍करण के उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के सम्‍बोधन के बाद किया गया, जिसमें उन्‍होंने देश की प्रगति और विकास के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार के उपयोग पर बल दिया था।

चर्चा के दौरान डॉ. मांडे ने कहा, “हमारे देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की समृद्ध परम्‍परा है। इस क्षेत्र में हमारी उपलब्धियां अभूतपूर्व हैं और आज हम जिस मुकाम पर खड़े हैं, वहां तक पहुंचाने में इसने बहुत महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई है।

उन्‍होंने जोर देकर कहा कि नई शिक्षा नीति में कार्यक्रम-आधारित शिक्षण और अध्‍ययन को प्रोत्‍साहन दिया गया है, जिससे बच्‍चों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रति आकृष्‍ट करने तथा उनमें वैज्ञानिक मनोवृत्ति विकसित करने में मदद मिलेगी। उन्‍होंने कहा, “बड़ी संख्‍या में लोगों को आकृष्‍ट करने तथा गांवों में बसे लोगों को विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार में भाग लेने के समान अवसर उपलब्‍ध कराने के लिए हमें स्‍थानीय भाषाओं में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का प्रसार किए जाने की आवश्‍यकता है। 

डॉ. मांडे ने जोर देकर कहा, “हमारे पास प्रतिभा की कोई कमी नहीं है और कोविड-19 इस बात का बड़ा उदाहरण है कि हमने चिकित्‍सा उपकरणों का निर्माण शुरु करने के लिए किस प्रकार अपने प्रयास बढ़ाए और यहां त‍क कि उनका निर्यात भी किया। प्रधानमंत्री के आत्‍मनिर्भर भारत के स्‍वपन को साकार करने के लिए देश के वैज्ञानिकों के पास हर तरह का सामर्थ्‍य, प्रतिभा और कौशल मौजूद है।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) में सलाहकार और पीसीपीएम के अध्‍यक्ष डॉ. अखिलेश गुप्‍ता ने कहा कि छोटी आयु से ही नवाचार प्रारंभ करने से वैज्ञानिक मनोवृत्ति का विकास करने और गुणवत्‍तापूर्ण शोध में मदद मिलेगी। डॉ. गुप्‍ता ने कहा, “शिक्षा की शुरुआत बहुत पहले हो जाती है, लेकिन नवाचार की शुरुचार बहुत देर से होती है। इसे बदलने की जरूरत है।

डॉ. गुप्‍ता ने आशा व्‍यक्‍त की कि विज्ञान, प्रौद्यौगिकी एवं नवाचार नीति (एसटीआईपी 2020) से पीएचडी शोधकर्ताओं को देश में ही रोके रखने में मदद मिलेगी, ताकि वे देश की प्रगति और विकास के लिए कार्य कर सकें। उन्‍होंने प्रवासी भारतीयों की विशेषज्ञता और देश के प्रति योगदान देने की उनकी उत्‍सुकता का उपयोग करते हुए ब्रेन ड्रेन (यानी प्रतिभाओं का देश से बाहर जाना) को ब्रेन गेन (यानी प्रतिभाओं को देश में लाना) में परिवर्तित किए जाने के बारे में चर्चा की।

डॉ. गुप्‍ता ने बताया कि गांवों और दूर- दराज के इलाकों में रहने वाले लोगों द्वारा किस प्रकार विज्ञान का उपयोग एक सक्षम साधन के रूप में किया जा रहा है। उन्‍होंने कहा, “अंतिम लक्ष्‍य विज्ञान को लोक-केंद्रित बनाना तथा उसका उपयोग आर्थिक और मानव विकास के प्रमुख माध्‍यम के रूप में करना है।उन्‍होंने यह बात एक नई प्रस्‍तावित योजना का उदाहरण प्रस्‍तुत करते हुए कही, जिसमें गांवों में वाईफाई उपलब्‍ध कराने की बात कही गई है। 

उन्‍होंने कहा, “हम वैज्ञानिक प्रकाशनों और साथ ही साथ स्‍टार्टअप्‍स दोनों ही क्षेत्रों में विश्‍व में तीसरे स्‍थान पर हैं। हम विज्ञान में 25,000 पीएचडी तैयार कर रहे हैं तथा अमरीका और चीन से ज्‍यादा पीछे नहीं हैं। कॉलेज शोध में हम 2013 में 13वें स्‍थान पर थे, लेकिन आज हम 9वें स्‍थान पर हैं।

आत्‍मनिर्भर बनने में विज्ञान के महत्‍व से संबंधित इस चर्चा में विज्ञान भारती के राष्ट्रीय संगठन सचिव श्री जयंत सहस्रबुद्धे ने भी भाग लिया।

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